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    फुलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान 2024 | Valley Of Flowers National Park Travek Guide 2024 in Hindi |

    19 Mins Read

    Valley Of Flowers National Park 2024 in Hindi | फुलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान 2024 | Valley Of Flowers National Park 2024 in Hindi | Valley Of Flowers Trek 2024 in Hindi | Valley Of Flowers Uttrakhand in Hindi | History | Best Time To Visit | Things to do | How to Reach | Entry Fees

    फुलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान 2024 – Valley Of Flower National Park 2024 In Hindi

    पूरे भारत और विश्व मे उत्तराखंड वैसे तो यहाँ पर स्थित तीर्थ स्थलों की वजह से ज्यादा प्रसिद्ध है । ( केदारनाथ, बद्रीनाथ, छोटा चारधाम, पंच केदार मंदिर ) इसलिए इसे देवभूमि भी कहा जाता है। लेकिन हिमालय में स्थित होने की वजह से इस राज्य का वन्यजीवन और वानस्पतिक विविधता देश विदेश के पर्यटको को पूरे साल आकर्षित करती है।

    उत्तराखंड में कुल 06 राष्ट्रीय उद्यान है जिनमें से सबसे छोटा और सबसे सुंदर राष्ट्रीय उद्यान है फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान जिसका क्षेत्रफल है मात्र 87.50 वर्ग किलोमीटर (08 किलोमीटर लंबा और 02 किलोमीटर चौड़ा)। समुद्रतल से 3352 मीटर (10997.38 फ़ीट) से लेकर लगभग 3658 मीटर (12001.31 फ़ीट) की ऊँचाई पर स्थित फुलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना 06 सितंबर 1982 को की गई थी ।

    और वर्ष 2005 में इस राष्ट्रीय उद्यान को नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान में सम्मिलित करके UNESCO वर्ल्ड हेरिटेज साइट का दर्जा दे दिया गया था। अब ऐसा नहीं है कि यह छोटा सा राष्ट्रीय उद्यान यहाँ पाये जाने वन्यजीवो  के लिये ज्यादा प्रसिद्ध है बल्कि यह राष्ट्रीय उद्यान यहाँ पाई जाने वाली 500 से भी अधिक फुलों की प्रजातियों के लिये ज्यादा प्रसिद्ध है।

    और इन सभी फूलों की प्रजातियों में कुछ ऐसी भी पुष्प प्रजातियां जिनका उपयोग स्थानीय निवासी धार्मिक कार्यों में किया करते है जैसे कि ब्रम्हकमल जो कि समुद्रतल से 3500 मीटर (11482.94 फ़ीट) पर ही पाया जाता है। इसके अलावा इस राष्ट्रीय उद्यान में जहाँ मुख्य रूप से हिम तेंदुआ, कस्तूरी मृग, एशियाई काले भालू, भूरा भालू और नीली भेड़ जैसे वन्यजीव पाये जाते है वहीं पक्षियों में हिमालयी मोनाल तीतर मुख्य रूप से पाया जाता है।

    अधिकतम ऊँचाई पर स्थित होने की वजह से फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान साल में सिर्फ जून महीने से लेकर अक्टूबर महीने तक ही खुला रहता है। बाकी के महीने यहाँ पर बहुत ज्यादा बर्फबारी होने की वजह से राष्ट्रीय उद्यान पर्यटकों के लिये बन्द रहता है।

    फुलों की घाटी का इतिहास – History of Valley Of Flower 2024 In Hindi

    Valley of Flowers | Ref image
    Valley of Flowers | Ref image

    वर्ष 1931 में कुछ ब्रिटिश पर्वतारोही फ्रैंक एस स्मिथ, आर एल होल्ड्सवर्थ और एरिक शिप्टन माउंट केमेट के सफल अभियान से वापस लौटते समय रास्ता भटक जाते है और एक ऐसी घाटी में पहुंच जाते है जो की फूलों से भरी हुई होती है। ब्रिटिश पर्वतारोहियों का यह ग्रुप इस घाटी की सुंदरता को देखकर मंत्रमुग्ध हो जाते है और इस जगह को “फूलों की घाटी” के नाम दे देते है।

    बाद में इन पर्वतारोहियों में से एक फ्रैंक एस स्मिथ “फूलों की घाटी” के नाम से एक पुस्तक भी लिखते है। इस घटना के बाद लगभग एक सदी से भी ज्यादा समय से फूलों की घाटी पर्वतारोहियों, पर्यटकों, वनस्पतिशास्त्रियों, फोटोग्राफर और साहित्यकारों की सबसे पसंदीदा जगहों में से एक रही है।

    अब ऐसा नहीं है कि फूलों की घाटी की खोज सिर्फ एक सदी पहले ही कि गई है। स्थानीय निवासियों के अनुसार फुलों की घाटी कई सौ सालों पहले साधु-संत और योगी की तपोस्थली के रही है। इसके अलावा इस जगह पर कुछ ऐसी फूलों की प्रजातियाँ पाई जाती है जिन्हें स्थानीय निवासी अपने घर पर होने वाले धार्मिक कार्यों में काम मे लेते है।

    पौराणिक कथाओं के अनुसार रामायण के युद्ध के समय हनुमानजी संजीविनी बूटी की खोज में इस जगह पर आए थे। 1931 के बाद 1939 में जोआन मार्गरेट लेगे नाम की एक वनस्पतिशास्त्री को रॉयल बोटेनिक गार्डन ने फूलों की घाटी में फूलों को प्रजातियों का अध्ययन करने के लिये भेजा । लेकिन एक चट्टान से फिसल कर गिरने से उनकी मृत्यु हो जाती है ।

    जिसके बाद में उनकी छोटी बहन फूलों की घाटी में जाती है उनके लिये वहाँ एक स्मारक बनवाती है। वर्ष 1993 में भारतीय वन्यजीव संस्थान ने वनस्पतिशास्त्री प्रो. चंद्र प्रकाश कला फूलों की घाटी में पाए जाने वाले फूलों पर अध्ययन करने के लिए उत्तराखंड भेजा। उसके बाद उन्होंने ने लगभग 10 साल तक फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान में पाए जाने वाले 520 अल्पाइन पौधों की एक सूची बनाई।

    साथ में प्रो. चंद्र प्रकाश कला ने इस जगह पर दो महत्वपूर्ण पुस्तकें भी लिखी – “फूलों की घाटी – मिथक और वास्तविकता” और “पारिस्थितिकी और फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान, गढ़वाल हिमालय का संरक्षण”।

    फूलों की घाटी की भौगोलिक स्थित – Geography of Valley Of Flowers In Hindi

    Mountain View From Valley of Flowers | Ref image
    Mountain View From Valley of Flowers | Ref image

    मूलरूप से फूलों की घाटी पुष्पावती नदी घाटी में स्थित है जो कि भुयंदर गंगा नदी का ऊपरी विस्तार माना जाता है। और जब यही भुयंदर गंगा नदी फूलों की घाटी से होते हुए नीचे गोविंदघाट तक पहुँचती है तो इसके निचले विस्तार को भुयंदर घाटी के नाम से जाना जाता है। फुलों की घाटी के समानांतर एक और घाटी भी है जिसे हेमकुंड घाटी के नाम से जाना जाता है।

    साल में लगभग 06 से 07 महीने तक बर्फ से ढकी रहने वाली फूलों की घाटी को वर्ष 1982 में एक राष्ट्रीय उद्यान घोषित कर दिया गया था लेकिन वर्ष 2005 में इसे नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान में शामिल करके UNESCO की वर्ल्ड हेरिटेज साइट घोषित कर दिया गया था। को वर्ष 1982 में एक राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था लेकिन वर्ष 2005 में इसे नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान में शामिल करके UNESCO वर्ल्ड हेरिटेज साइट घोषित कर दिया गया था।

    यह राष्ट्रीय उद्यान समुद्रतल से 3352 मीटर (10997.38 फ़ीट) से लेकर लगभग 3658 मीटर (12001.31 फ़ीट) की ऊँचाई पर स्थित है जहाँ तक पहुंचने के लिये आपको लगभग 17 किलोमीटर का ट्रैक करना पड़ता है। वैसे तो फुलों की घाटी का ट्रैक गोविंदघाट से 04 किलोमीटर दूर पुलना नाम की जगह से शुरू होता है लेकिन इसके सबसे नजदीकी बड़ा शहर जोशीमठ है।

    जो कि उत्तराखंड के हरिद्वार, ऋषिकेश और देहरादून से लगभग 270 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। फूलो की घाटी ट्रेक के दौरान एक घाघरिया नाम की जगह आती है जहाँ से फूलों की घाटी और सिख समुदाय के सबसे पवित्र धार्मिक स्थलों में से एक हेमकुंड साहिब गुरुद्वारे के लिए रास्ते अलग हो जाते है। और इसी वजह से आपको घाघरिया तक के रास्ते मे सिख तीर्थयात्री आमतौर पर मिल जाते है।

    फूलों की घाटी की जलवायु – Climate of Valley Of Flowers In Hindi

    Valley of Flowers Mountains | Ref image
    Valley of Flowers Mountains | Ref image

    हिमालय के भीतरी हिस्से में स्थित होने और नंदा देवी बेसिन का हिस्सा होने की वजह से फूलों की घाटी की जलवायु बेहद सूक्ष्म मानी जाती है। वैसे यहाँ पर वार्षिक वर्षा बहुत कम होती है इसी वजह से यहाँ का वातावरण आमतौर पर शुष्क रहता है। लेकिन मॉनसून के समय जून महीने के अंत से लेकर  सितंबर महीने के पहले सप्ताह तक यहाँ पर होने वाली बारिश की वजह से यहाँ धुंध और नमी बढ़ जाती है।

    फूलों की घाटी में लगभग अक्टूबर महीने से लेकर मार्च महीने तक बर्फबारी होती है। और इन 06 से 07 महीनों तक यह घाटी कई फ़ीट बर्फ से ढकी हुई रहती है इसी वजह से यह जगह पर्यटकों के लिए कुछ ही महीनों के लिये खुली रहती है। फूलों की घाटी में बर्फ पिघलने की शुरुआत मई महीने के अंतिम सप्ताह में शुरू होती जिसके बाद यहाँ पर धीरे-धीरे फूल खिलना शुरू होते है।

    इसके बाद जून महीने जब यहाँ पर्यटकों का आना शुरू होता है तब उसी समय हेमकुंड साहिब में भी श्रद्धालुओं का आना शुरू हो जाता है। जिस वजह से घाटी के पास में रुकना थोड़ा महँगा हो जाता है। जून के अंतिम सप्ताह में यहाँ पर मॉनसून आ जाता है जिस वजह से यहाँ की खूबसूरती कई गुना बढ़ जाती है और आपको यहाँ पर कई बेहद खूबसूरत झरने भी देखने को मिलते है।

    लेकिन जैसे ही यहाँ पर मानसून आता है वैसे ही यहां पर भूस्खलन की संभावना भी बहुत बढ़ जाती है। मॉनसून का मौसम यहाँ जुलाई के अंतिम सप्ताह तक ही रहता है लेकिन साल का ऐसा समय होता है जब आपको यहाँ पर फूलों की लगभग 650 प्रजातियाँ देखने को मिलती है। इसी वजह से जुलाई के अंतिम सप्ताह से लेकर सितंबर के दूसरे सप्ताह का समय फूलों की घाटी में घूमने का सबसे अच्छा समय माना जाता है।

    क्योंकि सितंबर के अंतिम सप्ताह के बाद यहां ठंड बढ़ने लग जाती है अक्टूबर महीना आते-आते यहां बर्फबारी भी शुरू हो जाती है।

    फूलों की घाटी की वनस्पति – Velly of Flower Flora in Hindi

    Flowers of Valley of Flowers | Ref Image
    Flowers of Valley of Flowers | Ref Image

    फूलों की घाटी में पाई जाने वाली वनस्पति को तीन भागों में बांटा जा सकता है। क्योंकि यह उद्यान 3200 मीटर (10499 फ़ीट) की ऊँचाई से शुरु हो कर 3700 मीटर (12140 फ़ीट) की ऊँचाई तक फैला हुआ है। और जैसे-जैसे पहाड़ो की ऊंचाई में अंतर आने लगता है वैसे ही वहाँ की वनस्पति में भी अंतर आने लगता है। एक रिसर्च के अनुसार 3200 मीटर   (10499 फ़ीट) से लेकर 3500 मीटर (11483 फ़ीट) की ऊँचाई के बाद पहाड़ों पर पेड़ बड़े नहीं हुआ करते है।

    इसके अलावा 3700 मीटर की ऊंचाई जहाँ तक फूलों की घाटी फैली हुई है वहां पर आपको अल्पाइन घास के मैदान और विभिन्न प्रकार की फूलों की प्रजातियाँ देखने को मिलती है। फुलों के8 घाटी में आपको फूलों के अलावा नदी, घाटी, छोटे-छोटे जंगल, घास के मैदान, ढलान वाले क्षेत्र, पठार, पत्थर के रेगिस्तान, दलदल और गुफाएं भी देखने को मिलती है।

    उद्यान का निचला हिस्सा जो कि इसका बफर जोन भी है वहाँ पर आपको घने जंगल मिल सकते है। वर्ष 1992 में वन अनुसन्धान संस्थान ने घाटी और इसके आसपास के क्षेत्र में एंजियोस्पर्म की 600 और टेरिडोफाइट्स की 30 प्रजातियों का रिकॉर्ड दर्ज किया इसके अलावा 58 ऐसी नई प्रजातियॉं भी ढूंढी जिनकी बारे पहले किसी को नहीं पता था, और इनमें से 04 प्रजतियाँ तो ऐसी थी जिनको हिमालय के इन पहाड़ों में पहली बार देखा गया था।

    उस समय किये गए रिसर्च में यह पाया गया कि विश्व स्तर पर खतरे में पाई जाने वाली 06 में 05 पौधों की (ए. बाल्फ़ोरी, ब्लू हिमालयन पोस्पी (मेकोनोप्सिस एक्यूलेटा), एकोनिटम फाल्कोनेरी, सौसुरिया एटकिंसोनी और हिमालयन मेपल (एसर सीज़ियम))  प्रजातियाँ सिर्फ नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान या फिर उत्तराखंड में ही पाई जाती है। वर्ष 1998 में एक बार से फूलों की घाटी में लुप्तप्राय और दुर्लभ प्रजाति की 31 नई पौधों की प्रजातियों को देखा गया।

    इसके बाद यहाँ पर जब दोबारा से अध्ययन शुरू किया गया तो यह पता चला की घाटी में पाई जाने वाली सबसे प्रमुख प्रजाति है एस्टेरेसिया जिसके यहाँ पर लगभग 62 प्रकार के पौधे पाए जाते है। फूलों की घाटी में पाए जाने वाले पौधों में से 45 ऐसे पौधे है जिनका स्थानीय निवासी औषधीय उपयोग लेते है। इसके अलावा ब्रम्हकमल को यहाँ का सबसे पवित्र पौधा माना  जाता है जिसे यहाँ पर होने वाले धार्मिक कार्यों में सबसे ज्यादा उपयोग में लिया जाता है।

    यहाँ पर पुष्प और पौधों में पाई जाने वाली ढेरों प्रजातियों की वजह से इस जगह पुष्प विविधता का केंद्र भी माना जाता है।

    फूलों की घाटी में पाए जाने वाले पुष्प – Flowers found in the Valley of Flowers In Hindi

    Valley of flowers waterfall | Ref Image
    Valley of flowers waterfall | Ref Image

    फूलों की घाटी में पाए जाने वाली फूलों की प्रजातियों पर देश की अलग-अलग संस्थाओं ने समय पर सर्वेक्षण किये है। सबसे पहले वर्ष 1987 में भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण ने और उसके बाद वर्ष 1992 में वन अनुसंधान संस्थान ने और वर्ष 1997 में भारतीय वन्यजीव संस्थान ने भी यहाँ पर पाए जाने वाले पौधों का सर्वेक्षण किया।

    सर्वेक्षण के दौरान वैज्ञानिकों ने पाया कि यहाँ पर पाँच फूलों की प्रजातियाँ ऐसी है जिनके बारे में आज तक किसी को भी नहीं पता था। यहाँ पर किये गए सर्वे के अनुसार फूलों की घाटी में ज्यादातर पॉपपीज़, गेंदा, ऑर्किड, प्राइमुलस, डेज़ी और एनीमोन प्रजाति के फूलों की प्रजातियाँ पाई जाती है। इसके अलावा उद्यान के उप-अल्पाइन वन क्षेत्र को बर्च और रोडोडेंड्रोन जिस वनस्पति से ढक रखा है।

    वर्ष 1993 में सी.पी. कला ने लगभग एक दशक तक उद्यान का अध्ययन करने के बाद यह निष्कर्ष निकाला कि फूलों की घाटी में लगभग 520 पौधों की प्रजातियाँ पाई जाती है जिनमें से 498 प्रजातियाँ फूलों की है। फूलों की घाटी में फूलों के अलावा कई प्रकार के औषधीय गुण वाले पौधे भी पाए जाते है जैसे – पॉलीगोनैटम, पिक्रोरिज़ा कुरूआ, डैक्टिलोरिज़ा हैटागिरिया, मल्टीफ्लोरम, एकोनिटम वायलेसम, पोडोफिलम हेक्सेंड्रम और फ्रिटिलारिया रॉयली आदि।

    फूलों की घाटी के वन्यजीव – Wildlife of Valley of Flowers in Hindi

    Snow Leopard Near Valley of Flowers | Ref Image
    Snow Leopard Near Valley of Flowers | Ref Image

    फूलों की घाटी अपने यहाँ पाई जाने वाली वानस्पतिक विवधता की वजह से ज्यादा प्रसिद्ध है ना कि यहाँ के वन्य जीवन के लिये । वैसे भी यहाँ भी यहाँ पर कोई ज्यादा वन्यजीव नहीं पाए है लेकिन जितने भी पाये जाते है उनमें से अधिकांश या तो दुर्लभ है या फिर लुप्तप्राय प्रजाति के वन्यजीव है। सी. पी. कला जिन्होंने ने फूलों की घाटी की वनस्पति पर लगभग एक दशक तक रिसर्च किया है।

    उन्होंने अपने रिसर्च के दौरान पाया कि स्तनधारी वन्यजीवों की कुल 13 प्रजातियाँ यहाँ पाई जाती है जिनमें से उन्होंने ने 09 प्रजातियों को खुद से देखा था। फूलों की घाटी में पाए जाने वाली स्तनधारी वन्यजीवों में उड़ने वाली गिलहरी, हिमालयी काला भालू, ग्रे लंगूर, लाल लोमड़ी, हिमालयन गोरल, हिमालयन तहर, हिमालयन वेसल, हिमालयन मस्क डियर, हिमालयन येलो-थ्रोटेड मार्टन और इंडियन स्पॉटेड शेवरोटेन जैसे वन्यजीव आम तौर पर दिखाई दे जाते है।

    वहीं सीरो, कस्तूरी मृग, भराल, गोरल और नीली भेड़ का दिखाई देना बेहद दुर्लभ माना जाता है। वर्ष 2004 में हुए एक सर्वेक्षण के अनुसार यहाँ पर हिम तेंदुए की उपस्थिति है लेकिन उसका दिखाई देना बहुत ही ज्यादा मुश्किल है। इसके अलावा उद्यान के निचले हिस्से में आम तेंदुआ दिखाई देने की सूचना कई बार स्थानीय निवासियों द्वारा वन विभाग को दी गई है।

    इन सब के अलावा फूलों की घाटी में सरीसृपों की भी कई प्रजातियाँ पाई जाती है जैसे – हिमालयन ग्राउंड, हिमालयन पिट वाइपर और अधिक ऊंचाई पर पाई जाने वाली छिपकली। यहाँ पर पाई जाने फूलों की प्रजातियां की वजह से उद्यान में तितलियों और मधुमक्खियों की भी कई प्रजातियाँ पाई जाती है जिन पर शोध करने की आवश्यकता है।

    फुलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान पश्चिम हिमालयी स्थानिक पक्षी क्षेत्र के अंतर्गत भी आता है लेकिन यहाँ पक्षियों को लेकर कोई विशेष रिसर्च नहीं किया गया है। घाटी में आमतौर पर पाए जाने वाली पक्षियों में येलो-बिल्ड और रेड-बिल्ड, येलोनेप कठफोड़वा, तीतर, हिमालयी गिद्ध और हिमालयी मोनाल तीतर आदि।

    फूलों की घाटी में घूमने का सबसे अच्छा समय – Best Time To Visit Valley Of Flower in Hindi

    Weather in Valley of Flowers | Ref Image
    Weather in Valley of Flowers | Ref Image

    फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान आम पर्यटकों के लिये साल में सिर्फ मई के अंतिम सप्ताह या फिर जून महीने के पहले सप्ताह आम पर्यटकों के लिये खुलता है और अक्टूबर के अंतिम सप्ताह या फिर नवंबर के पहले सप्ताह में आम पर्यटकों के लिये बंद हो जाता है। कुल मिलाकर यह राष्ट्रीय उद्यान साल में सिर्फ 05 महीने ही पर्यटकों के लिये खुला रहता है बाकी के 07 महीने यह राष्ट्रीय उद्यान यहाँ होने वाली बर्फबारी की वजह से पर्यटकों के लिये बंद रहता है।

    मई महीने के अंत मे जब इस राष्ट्रीय उद्यान में बर्फ पिघलना शुरू होती है। और उसके बाद जून महीने में यहाँ पर नए फूल धीरे-धीरे खिलना शुरू हो जाते है। और जुलाई आते-आते यह फूल पूरी तरह से खिल जाते है जिस वजह से यह घाटी किसी स्वर्ग से कम नहीं लगती है। और ऐसे स्वर्ग जैसे दृश्य आपको अगस्त और सितंबर महीने में भी दिखाई देते है।

    लेकिन सितंबर महीने का अंत आते-आते यहाँ ठंड बढ़ने लगे जाती है और अक्टूबर में बर्फबारी भी शुरू हो जाती है। जिस वजह से स्वर्ग जैसी दिखने वाली घाटी एकबार फिर से बर्फ की चद्दर में ढक जाती है। इसलिए आप जब फूलों की घाटी घूमने जाए तो आपके लिये जुलाई से लेकर सितंबर महीना सबसे अच्छा माना जाता है। बाकी साल के इस समय यहाँ बारिश भी होती है और साथ मे भूस्खलन की संभावना भी रहती है ।

    इसलिए आप जब यहाँ पर ट्रेक करने जाए तो पूरी सावधानी जरूर बरते।

    फूलों की घाटी का मौसम – Valley Of Flower Weather in Hindi

    Butterflies in Valley of Flowers | Ref Image
    Butterflies in Valley of Flowers | Ref Image

    नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान में स्थित फूलों की घाटी की समुद्रतल से ऊँचाई लगभग 3352 मीटर (10997.38 फ़ीट) से लेकर लगभग 3658 मीटर (12001.31 फ़ीट) की ऊँचाई पर स्थित है। जिस वजह से यहाँ पर साल के अधिकतम तामपान न्यूनतम स्तर पर रहता है। इसके अलावा समुद्रतल से अधिकतम ऊँचाई पर स्थित होने की वजह से यहाँ पर साल के अधिकतम समय बर्फ गिरा करती है।

    गर्मियों के मौसम में भी यहाँ पर दिन अधिकतम तामपान सिर्फ 24° डिग्री तक ही जाता है और वहीं रात का तामपान 08° डिग्री के आसपास रहता है।

    गर्मियों में फूलों की घाटी का मौसम – Valley Of Flower Weather in Summer

    मार्च से जून महीने तक – अधिकतम: लगभग 16℃ / न्यूनतम: लगभग -12℃

    मानसून में फूलों की घाटी का मौसम -Valley Of Flower Weather in Monsoon

    जुलाई से सितंबर महीने तक – अधिकतम: लगभग 24℃ / न्यूनतम: लगभग 6℃

    सर्दियों में फूलों की घाटी का मौसम – Valley Of Flower Weather in Winter

    अक्टूबर से फरवरी महीने तक – अधिकतम: लगभग 20℃ / न्यूनतम: लगभग -13℃ और कम।

    फूलों की घाटी प्रवेश का समय – Valley Of Flower Opening Time in Hindi

    View From Valley of Flowers | Ref image
    View From Valley of Flowers | Ref image

    फुलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान साल में सिर्फ 05 महीने ही पर्यटकों के लिए ही खुला रहता है। बाकी के समय यहाँ होने वाली बर्फबारी की वजह से यह उद्यान पर्यटकों के लिये बन्द रहता है। साल के इन महीनों में पर्यटक सुबह 08:00 बजे से लेकर शाम को 05:00 बजे तक पर्यटक उद्यान में घूमने जा सकते है। रात को उद्यान में अनुमति नहीं मिलती है।

    फूलों की घाटी में प्रवेश शुल्क – Valley Of Flower Opening Ticket in Hindi

    Waterfall in Valley of Flowers | Ref image
    Waterfall in Valley of Flowers | Ref image

    भारतीय पर्यटकों के लिये फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान में प्रवेश शुल्क 150/- रुपये निर्धारित किया गया है और विदेशी पर्यटकों के लिये उद्यान में प्रवेश शुल्क 600/- रुपये निर्धारित किया गया है। फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान के लिये प्रवेश टिकट की अवधि 03 दिन तक वैलिड रहती है। इसके लिये भारतीय पर्यटकों को 50/- रुपये अतिरिक्त भुगतान करना होता है और वहीं विदेशी पर्यटकों को 250/- रुपये अतिरिक्त देने पड़ते है।

    प्रोफेशनल कैमरा के लिये भारतीय पर्यटकों को प्रतिदिन के हिसाब से 500/- रुपये का भुगतान करना होता है और वहीं विदेशी पर्यटकों को प्रतिदिन के हिसाब से 1500/- रुपए भुगतान करना होता है।

    फूलों की घाटी का स्थानीय भोजन – Local Food In Valley Of Flowers Uttarakhand In Hindi

    Local Food In Uttrakhand | Ref Image
    Local Food In Uttrakhand | Ref Image

    अगर आपको किसी भी जगह का स्थानीय भोजन पसन्द है तो आप फूलों की घाटी की यात्रा के दौरान उत्तराखंड के स्थानीय भोजन का आनंद भी ले सकते है। उत्तराखंड के स्थानीय भोजन में कुमौनी रायता, गुलगुला, डुबुक, भांग की चटनी, चैन्सू, आलू का झोल, गढ़वाल का पन्हा, कफुली, अर्सा, झंगोरा की खीर, फानू, सिंगोरी और बड़ी का आप भरपूर स्वाद ले सकते है।

    फूलों की घाटी में कहाँ रुके – Hotels in Valley Of Flowers In Hindi

    Hotesl in Valley of Flowers | Ref image
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    फूलों की घाटी के सबसे नजदीकी शहर गोविंदघाट है जहाँ पर आपको ठहरने के लिए होम स्टे और होटल्स मिल जाएंगे। कुछ ऑनलाइन होटल बुकिंग वेबसाइट की सहायता से आप गोविंदघाट में अपने लिये होटल में रूम बुक करवा सकते है। बाकी आप चाहें तो आप गोविंदघाट पहुँच कर अपने लिये होटल में रूम बुक करवा सकते है। ट्रेक के दौरान घाघरिया नाम की जगह पर भी आप नाईट स्टे कर सकते है।

    फूलों की घाटी कैसे पहुँचे – How To Reach Valley Of Flowers in Hindi

    How to Reach Valley Of Flowers | Ref image
    How to Reach Valley Of Flowers | Ref image

    हवाई मार्ग से फूलों की घाटी कैसे पहुँचे – How To Reach Valley Of Flowers By Air in Hindi

    अधिकतम ऊँचाई पर स्थित होने की वजह से फूलों की घाटी के लिए कोई सीधी हवाई सेवा उपलब्ध नहीं है। देहरादून का जॉली ग्रांट हवाई अड्डा सबसे नजदीकी हवाई अड्डा है। जॉली ग्रांट हवाई अड्डे से फूलों की घाटी के सबसे नजदीकी शहर गोविंदघाट से दूरी मात्र 303 किलोमीटर है। देहरादून से आप बस, कैब, टैक्सी और शेयर्ड टैक्सी की सहायता से गोविंदघाट बड़ी आसानी से पहुंच सकते है।

    इसके अलावा दिल्ली के इंदिरा गांधी एयरपोर्ट से भी गोविंदघाट टैक्सी और कैब की सहायता से पहुँच सकते है। दिल्ली के इंदिरा गांधी एयरपोर्ट से गोविंदघाट की दूरी मात्र 528 किलोमीटर है। इसके अलावा गोविंदघाट से घाघरिया के लिए हेलीकॉप्टर सुविधा भी उपलब्ध है। देहरादून का जॉली ग्रांट एयरपोर्ट और दिल्ली का इंदिरा गांधी एयरपोर्ट देश के सभी प्रमुख शहरों द्वारा बहुत अच्छे से जुड़े हुए है।

    रेल मार्ग से फूलों की घाटी कैसे पहुँचे – How To Reach Valley Of Flowers By Train in Hindi

    ऋषिकेश और हरिद्वार के रेलवे स्टेशन गोविंदघाट के सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन है। ऋषिकेश और हरिद्वार से आप बस, टैक्सी, कैब और शेयर्ड टैक्सी के द्वारा गोविंदघाट बहुत आराम से पहुंच सकते है। ऋषिकेश से गोविंदघाट की दूरी मात्र 266 किलोमीटर है। और वहीं हरिद्वार से गोविंदघाट की दूरी मात्र 288 किलोमीटर है। ऋषिकेश और हरिद्वार रेलवे स्टेशन देश के लगभग सभी प्रमुख रेलवे स्टेशन से बहुत अच्छी तरह से जुड़े हुए है।

    सड़क मार्ग से फूलों की घाटी कैसे पहुँचे – How To Reach Valley Of Flowers By Road in Hindi

    फूलों की घाटी के सबसे नजदीकी शहर गोविंदघाट सड़क मार्ग द्वारा उत्तराखंड के कई प्रमुख शहर हरिद्वार, ऋषिकेश, देहरादून और श्रीनगर से बहुत अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। उत्तराखंड की सरकारी बस सेवा और निजी बस सेवा द्वारा आप गोविंदघाट बड़ी आसानी से पहुंच सकते है। इसके अलावा राष्ट्रीय राजमार्ग 58 से आप टैक्सी और कैब के द्वारा बड़ी आसानी से गोविंदघाट पहुँच सकते है। इसके अलावा आप अपने निजी वाहन से भी गोविंदघाट पहुंच सकते है।

    (अगर आप मेरे इस आर्टिकल में यहाँ तक पहुंच गए है तो आप से एक छोटा से निवदेन है की नीचे कमेंट बॉक्स में इस लेख से संबंधित आपके सुझाव जरूर साझा करें, और अगर आप को कोई कमी दिखे या कोई गलत जानकारी लगे तो भी जरूर बताए।  में यात्रा से संबंधित जानकारी मेरी इस वेबसाइट पर पोस्ट करता रहता हूँ, अगर मेरे द्वारा दी गई जानकारी आप को पसंद आ रही है तो आप अपने ईमेल से मेरी वेबसाइट को सब्सक्राइब जरूर करे, धन्यवाद )

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