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सुंदरबन – Sunderban in Hindi 

सुंदरबनवास्तव में एक बंगाली शब्द है जिसका हिंदी में मतलब होता हैसुंदर जंगल हालाँकि इस शब्द की उत्पत्ति भी यहाँ पाए जाने वाले सुंदरी (हेरिटिएरा फोम) नाम की प्रजाति के मैंग्रोव के ऊपर रखा गया है जो कि इस क्षेत्र में प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। ओर अगर भौगोलिक तौर पर देखा जाए तो सुंदरबन बंगाल की खाड़ी में गंगा, ब्रम्हपुत्र ओर मेघना नदी के संगम से बने डेल्टा में एक घना मैंग्रोव वन क्षेत्र है। 

लगभग 10000 वर्ग किलोमीटर में फैले हुए सुंदरबन मैंग्रोव वन क्षेत्र को चार भागों में बांटा गया है (इन चार भागों में तीन भाग बांग्लादेश में आते है जिन्हें सुंदरबन पश्चिम, सुंदरबन दक्षिण, ओर सुंदरबन पूर्व के नाम से जाना जाता है और वहीं चौथा हिस्सा भारत मे आता है जिसे सुंदरबन राष्ट्रीय उद्यान के नाम से जाना जाता है।) इन मैंग्रोव वन क्षेत्र के चारों ही भागों को यूनेस्को विश्व धरोहर स्थलों कि सूची में शामिल किया गया है। 

अब यहाँ यह ध्यान देने योग्य बात यह है कि सुंदरबन का लगभग 6517 वर्ग किलोमीटर का मैंग्रोव वन क्षेत्र बांग्लादेश के हिस्से में आता है ,जिसकी वजह से बांग्लादेश का सुंदरबन रिज़र्व फारेस्ट विश्व का सबसे बड़ा मैंग्रोव वन क्षेत्र बन जाता है। बांग्लादेश में स्थित सुंदरबन खुलना डिवीजन में बालेश्वर नदी से लेकर पश्चिम बंगाल में बहने वाली हुगली नदी तक फैला हुआ है। वहीं सुंदरबन का बाकी का 3483 वर्ग किलोमीटर का वन क्षेत्र भारत के पश्चिम बंगाल में आता है। पश्चिम बंगाल में स्थित सुंदरबन में आपको खुले ओर बंद मैंग्रोव वन के अलावा कृषि भूमि, कीचड़युक्त भूमि और बंजर भूमि देखने को मिलती है। 

इसके अलावा इस वन क्षेत्र में यहाँ बहने वाली नदियों की वजह से कई प्रकार की ज्वारीय धाराओं का निर्माण भी होता है। पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना ओर उत्तर 24 परगना जिलों में फैले हुए सुंदरबन में सबसे ज्यादा मात्रा में सुंदरी (हेरिटिएरा फोम) ओर गेवा ( एक्सकोकेरिया एगैलोचा) प्रजाति मैंग्रोव पाए जाते है। वही यह वन क्षेत्र 453 वन्यजीवों, 290 पक्षियों, 120 मछलियों, 35 सरीसृप, 08 उभयचर ओर 42 स्तनपायी जीवो का घर भी है। 

सुंदरबन सिर्फ विश्व के सबसे बड़े मैंग्रोव वन क्षेत्र की वजह से ही प्रसिद्ध नहीं है बल्कि इस पूरे वन क्षेत्र में पाए जाने वाले 180 बंगाल टाइगर की वजह से भी सुंदरबन पूरे विश्व मे अपनी एक अलग पहचान रखता है। इन 180 बंगाल टाइगर में से 106 टाइगर जहाँ बांग्लादेश के वन क्षेत्र में पाए जाते है वहीं 74 टाइगर भारत के सुंदरबन राष्ट्रीय उद्यान पाए जाते है। 

सुंदरबन राष्ट्रीय उद्यान का इतिहास – Sunderban National Park History In Hindi

Royal Bengal Tiger in Sundarbans National Park | Image Credit – Wikipedia

सुंदरवन राष्ट्रीय उद्यान भारत के पश्चिम बंगाल में एक राष्ट्रीय उद्यान होने के साथसाथ एक बाघ अभयारण्य और बायोस्फीयर रिजर्व भी है जिसका इतिहास मौर्य काल (चौथीदूसरी शताब्दी ईसा पूर्वसे जुड़ा हुआ है। सुंदरबन के बाघमारा फारेस्ट ब्लॉक में मौर्य कालीन काल खंड से जुड़े हूए शहर के खंडहर को ढूढ़ने का श्रेय बंगाली लोककथाओं के लेखक चंद सदागर को जाता है। 

बांग्लादेश के पुरातत्व विभाग ने सुंदरबन के उत्तर में कपिलमुनि, पाइकगाचा उपजिला में मध्य युग से जुड़े हुए कुछ ऐसे ही शहरी बस्ती के खंडहरों का पता लगाया है। अब जब हम इस जगह से जुड़े हुए मुगलकालीन इतिहास की देखते है तो यह पता चलता है कि मुगल शासकों ने इस जगह पर बस्तियाँ बसाने के लिये वन क्षेत्र को पट्टे पर दे दिया था। इसके अलावा मुगल शासक आलमगीर द्वितीय ने 1757 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी को सुंदरबन का मालिकाना हक दे दिया। 

जिसके बाद 1764 में इसका मानचित्रण पूरा कर लिया गया। हालाँकि व्यवस्थित तरीके से इस वन क्षेत्र के प्रबंधन का कार्य एक सदी बाद पूरा हुआ। इसके बाद सुंदरबन में सबसे पहले वन प्रबंधन प्रभाग की स्थापना 1869 में की गई फिर भारतीय वन अधिनियम 1865 (1865 का अधिनियम VIII) के अंतर्गत, 1875 में सुंदरबन के मैंग्रोव वनों के एक बड़े हिस्से को आरक्षित घोषित किया गया। 

जिसके बाद अगले वर्ष तक बचे हुए जंगल के शेष हिस्सों को भी आरक्षित घोषित कर दिया गया। अब इसके बाद हुआ ये की अब तक जो जंगल जिले के नागरिक प्रशासन द्वारा नियंत्रित किया जाता था। वह जंगल अब वह वन विभाग के नियंत्रण में चुका था। इसके बाद 1879 में खुलना जो कि आज के बांग्लादेश में है के अंदर एक वन प्रभाग मुख्यालय बनाया गया जो कि बुनियादी रूप से एक वन प्रबंधन और प्रशासन इकाई थी। 

वही  सुंदरबन के प्रबंधन की पहली योजना 1893-1898 के बीच शुरू की गई थी। वर्ष 1911 तक इस क्षेत्र की ना तो सही तरीके से जाँच की गई थीऔर ना ही उस समय की जनगणना में शामिल किया गया था। उस समय सुंदरबन हुगली नदी के मुहाने से लेकर मेघना नदी के मुहाने तक लगभग 266 किलोमीटर में फैला हुआ था, साथ में ही यह वन क्षेत्र का कुछ हिस्सा 24 परगना, बेकरगंज ओर खुलना जिलों की सीमाओं के भीतर आता था। 

ऐसा अनुमान लगाया गया था कि सुंदरबन का पानी सहित कुल क्षेत्रफल लगभग 16,900 वर्ग किलोमीटर था। आज के सुंदरबन राष्ट्रीय उद्यान का स्वतंत्रता के बाद पहली बार 1973 सुंदरबन टाइगर रिज़र्व घोषित किया गया था, और 1977 में वन्यजीव अभ्यारण्य घोषित किया गया था। इसके बाद 4 मैं 1984 को इस वन्यजीव अभ्यारण्य को राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया और 1977 में इसे यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट का दर्जा दिया गया। 

हाल ही में 2019 के अंदर सुंदरबन राष्ट्रीय उद्यान को रामसर साइट का दर्जा भी दे दिया गया है। इसके अलावा 1989 में सुंदरबन को विश्व बायोस्फीयर रिजर्व नेटवर्क भी माना गया है। 

सुंदरबन राष्ट्रीय उद्यान का भूगोल –  Sunderban National Park Geography In Hindi

Sundarban National Park Geography | Image Credit – Wikipedia

भौगिलिक रूप से सुंदरबन एक बहुत बड़ा नदी डेल्टा है  जिसकी समुद्रतल से ऊंचाई मात्र 7.5 मीटर है। यह डेल्टा गंगा, ब्रम्हपुत्र और मेघना जैसी नदियों से मिलकर बना है। और यही वजह है कि इस क्षेत्र में विश्व के सबसे बड़े मैंग्रोव वन क्षेत्र का विकास हुआ जो कि इस जगह की मुख्य वनस्पति भी है। सुंदरबन में मैंग्रोव वन के अलावा आपको यहाँ पर नमकीन दलदल, जलमार्ग, बांध और पहाड़ियों जैसी कई प्रकार की भौगोलिक विभिन्नता भी देखने को मिलती है। 

मूल रूप से इस वन क्षेत्र की जलवायु गर्म और आर्द्र है। सुंदरबन की भौगोलिक विशेषता इस क्षेत्र में वनस्पति ओर वन्यजीवन के फैलने में बहुत सहायक है और यही वजह है की इस जगह की वनस्पति ओर वन्यजीवन में विभिन्नता देखने को मिलती है  

सुंदरबन राष्ट्रीय उद्यान की जलवायु – Sunderban National Park Climate In Hindi

Sundarban National Park Climate | image Credit –Wikipedia

सुंदरबन राष्ट्रीय उधान की जलवायु मूलरूप से गर्म और आर्द्र है। सर्दियों में जहाँ इस उधान का न्यूनतम तापमान सिर्फ 10 डिग्री तक जाता है वहीँ गर्मियों के मौसम में यहाँ का अधिकतम तापमान 48 डिग्री तक चला जाता है। वहीँ बंगाल की खाड़ी के पास में स्थित होने की वजह से इस वन क्षेत्र की आर्द्रता 80% तक चली जाती है। 

मानसून का मौसम यहाँ पर जून महीने के दूसरे सप्ताह से शुरू होकर सितंबर महीने के अंत तक जारी रहता है और इस समय यहाँ पर बहुत भारी बारिश देखने को मिलती है। इसके अलावा बंगाल की खाड़ी के पास में स्थित होने की वजह से यहाँ पर कभीकभी चक्रवाती तूफान भी आते है। यहाँ पर आने वाले चक्रवाती तूफान मई महीने से लेकर अक्टूबर महीने के बीच मे आने की संभावना ज्यादा रहती है। 

सुंदरबन राष्ट्रीय उद्यान के वन्यजीव – Sunderban National Park Wildlife In Hindi

Sundarban National Park Wildlife | Image Credit – Wikipedia

विश्व का सबसे बड़ा मैंग्रोव वनक्षेत्र होने के साथसाथ सुंदरबन राष्ट्रीय उद्यान का वन्यजीवन भी काफी समृद्ध है। यह वन क्षेत्र 453 वन्यजीवों, 290 पक्षियों, 120 मछलियों, 35 सरीसृप, 08 उभयचर ओर 42 स्तनपायी जीवो का घर भी है विश्व के सबसे बड़े मैंग्रोव वन क्षेत्र के रूप में अपनी पहचान रखने वाला यह क्षेत्र लुप्तप्राय रॉयल बंगाल टाइगर के घर के रूप में अपनी एक विशेष पहचान रखता है।

वर्ष 2018 में की गई बाघ गणना के अनुसार सुंदरबन के पूरे वन क्षेत्र में 270 बाघ है। रॉयल बंगाल टाइगर के अलावा सुंदरबन में आपको तेंदुआ, जंगली सुअर, मकाक बंदर, आम ग्रे नेवला, मछली पकड़ने वाली बिल्लियाँ, चित्तीदार हिरण, उड़ने वाली लोमड़ी, जंगली बिल्ली और पेंगोलिन जैसे वन्यजीवों को देखा जा सकता है। 

सुंदरबन राष्ट्रीय उद्यान के सरीसृप  – Sunderban National Park Reptile In Hindi

Sunderban National Park Reptile | Ref image

वहीं सुंदरबन राष्ट्रीय उद्यान में पाए जाने वाले सरीसृपों की बात करें तो उनमे मगरमच्छ, वॉटर मॉनिटर लिजर्ड, घड़ियाल, हरे बेल वाले सांप,साल्वेटर छिपकली, माउस गेको, भारतीय अजगर, मोर नरमखोल कछुए, भारतीय फ्लैपशेल कछुए, चेकर्ड कीलबैक, रसेल वाइपर, किंग कोबरा, छिपकलियां, जैतून रिडले कछुए, टेरापिन नदी, कॉमन क्रेट, कुत्ते के चेहरे वाले पानी वाले सांप, जल मॉनिटर, हरे कछुए, हॉक बिल कछुए, समुद्री सांप, पीले मॉनिटर, अजगर, कठोर कवच वाले बैटगन टेरापिन, गिरगिट, मुहाना मगरमच्छ, कर्वियर्स और चूहे प्रमुख रूप से पाए जाते है। 

सुंदरबन राष्ट्रीय उद्यान के पक्षी – Sunderban National Park Birds In Hindi

Sunderban National Park Birds | Ref image

वन्यजीवों ओर सरीसृपों के अलावा सुंदरबन पक्षियों का घर भी है जिनमें भूरे पंखों वाले किंगफिशर, ऑस्प्रे, सफेद पेट वाले समुद्री ईगल, मास्क्ड फिनफुट्स, ग्रेहेडेड, ब्राह्मणी पतंग, काली पूंछ वाले गॉडविट्स, सफेद आंखों वाले पोचार्ड, गोल्डन प्लोवर, मार्श हैरियर, नाइट हेरॉन, पेरेग्रीन बाज़, पूर्वी समुद्री मील, ब्राह्मणी बत्तख, सामान्य किंगफिशर, गुलाबचक्राकार तोते, आम स्निप, सफेद पेट वाले समुद्री ईगल, पैराडाइज फ्लाईकैचर, कपास चैती, स्पॉटबिल्ड पेलिकन, जंगल मुर्गियां, कठफोड़वा, व्हिम्ब्रेल, वॉटर मुर्गियां, हरे कबूतर, ब्लैक हेडेड इबिस, ग्रे बगुले, जंगली कौवे, ग्रेट एग्रेट्स, दलदली तीतर, चित्तीदार कबूतर, जलकाग, कर्लेव्स, पिंटेल, ओपन बिल स्टॉर्क, कम सीटी बत्तख, कैस्पियन टर्न, तीतरपूंछ वाले जकाना, पारिया पतंग, आम मैना, जंगल बैबलर, हेरिंग गल, सीगल, छोटे स्टिंट, कूट, लाल और वुड सैंडपाइपर जैसे देशी और प्रवासी पक्षी प्रमुखता से पाए जाते है। 

सुंदरबन राष्ट्रीय उद्यान के वाटर एनिमल्स  – Sunderban National Park Water Animals In Hindi

Sunderban National Park Water Animals | Ref Image

वहीँ अगर हम सुंदरबन राष्ट्रीय उद्यान में समुद्र पाए जाने वाले जीवों की बात करें तो उनमे  गंगा डॉल्फ़िन, मडस्किपर, कॉमन टोड, हर्मिट क्रैब, किंग क्रैब, इलेक्ट्रिक रे, रिवर ईल, स्टारफिश, फिडलर क्रैब, स्किपिंग मेंढक, मछलियाँ, पेड़ मेंढक, सिल्वर कार्प, कॉमन कार्प, बटर फिश, सॉफिश और गोबियोइड जो पानी से बाहर मडफ्लैट में चढ़ जाता है और पेड़ों पर भी चढ़ सकता है प्रमुखता से पाए जाते है। इसके अलावा यहाँ का मैंग्रोव वन केकड़े, झींगा, छोटी मछलियाँ का घर भी माना जाता है। 

सुंदरबन राष्ट्रीय उद्यान के पर्यटक स्थल – Sunderban National Park Tourist Places in Hindi 

नेतिधोपानी वॉच टावर – Netidhopani Watch Tower In Hindi

Netidhopani Watch Tower | Ref image

वास्तव में नेतिधोपानी सुंदरबन में वॉच टॉवर है जो की बंगाल टाइगर देखे जाने के लिये जाना है। सुंदरबन राष्ट्रीय उद्यान के कोर ओर बफर जोन के किनारे पर स्थित नेतिधोपानी वॉच टावर पर जाने के लिये पहले किसी भी प्रकार का प्रतिबंध नहीं था, लेकिन 2020 के बाद से यहां पर एक दिन में सिर्फ 12 नाव को जाने की परमिशन ही दी जाती है। ध्यान देने बात यह है कि नेतिधोपानी जाने के लिये आप किसी भी प्रकार की अग्रिम बुकिंग नहीं कि जाती है। 

इस नेतिधोपानी वॉच टॉवर घूमने के लिए आपको सजनखेली इको टूरिज्म रेंज से अनुमति लेनी होती है उसके बाद ही आप यहाँ पर नाव द्वारा यहाँ पर सकते है। वॉच टावर के अलावा नेतिधोपानी 400 साल पुराने शिव मंदिर के लिये भी प्रसिद्ध है। हालाँकि आज यहां पर स्थित शिव मंदिर के सिर्फ खंडहर ही बचे है। शिव मंदिर के पास की गई पुरातात्विक खोजों में टेराकोटा के बर्तन पाए गए है जिनको नेतिधोपानी में प्रदर्शित भी किया गया है। 

इसके अलावा यहाँ पर एक मीठे पानी का तालाब भी है। नेतिधोपानी वॉच टॉवर पर एक बार में सिर्फ 20 लोग ही चढ़ सकते है। नेतिधोपानी से जुड़ी हुई एक लोककथा यहाँ पर खूब सुनी जाती है। कथा के अनुसार बेहुला नाम की महिला अपने मृत पति को नाव में लेकर जब नेतिधोपानी तट के पास से गुजरती है तो वो देखती है कि तट के पास एक महिला कपड़े धो रही होती है। उस महिला को उसका बच्चा लगातार परेशान कर रहा था, अपने बच्चे से परेशान हो कर वह महिला उस पर थोड़ा पानी छिड़क देती है जिससे वह बच्चा निर्जीव हो जाता है। 

अपने कपड़े धोने का काम पूरा करने के बाद वह महिला कुछ मंत्र पढ़कर दोबारा से अपने बच्चे पर पानी छिड़कती है, जिससे वो बच्चा दोबारा से जीवित हो जाता है। यह सबकुछ देखने के बाद बेहुला उस महिला से अपने पति को दोबारा से जीवित करने के लिए प्रार्थना करती है, ओर उस महिला की सहायता से अपने पति को वापस जीवित कर लेती है।

 

सजनखेली वॉच टॉवर – Sajnekhali Watch Tower In Hindi

Sajnekhali Tiger Reserve Sundarban Wildlife Reserve | Image Credit – Wikipedia

सजनखेली सुंदरबन राष्ट्रीय उद्यान का प्रवेश द्वार है। सुंदरबन में प्रवेश करने के लिये आपको सजनखेली से ही अनुमति लेनी पड़ती है उसके बाद ही आप सुंदरबन राष्ट्रीय उद्यान को देखने के लिये आगे जा सकते है। सजनखेली परिसर में पार्क देखने के लिये बने परमिशन काउंटर के अलावा पर्यटकों के लिये एक वॉच टॉवर भी बना हुआ है जो कि पूरे नेशनल पार्क में सबसे ऊंचा वॉच टावर है जिस पर एक बार मे 20 लोगों को चढ़ने की अनुमति दी जाती है। 

इस वॉच टावर से बंगाल टाइगर के देखे जाने की संभावना बहुत ज्यादा है। बाघों के अलावा यहाँ से चीतल, जंगली सुअर ओर मगरमच्छ बड़ी आसानी से देखे जा सकते है। बर्ड वॉचर्स के लिये यह जगज किसी स्वर्ग से कम नहीं है, इस वॉच टॉवर से प्लोवर, किंगफिशर,लैपविंग्स, कर्फ्यू,, सैंडपीपर, व्हिम्परल, व्हाइट बेलिड सी ईगल और पेलिकन जैसे पक्षी दिखाई देने की बहुत ज्यादा संभावना रहती है। 

यहाँ पर एक मीठे पानी का तालाब बना हुआ है जहाँ पर जंगली जानवर पानी पीने आते है। सजनखेली इको टूरिज्म सेंटर के परिसर में टेरापिन नदी का अंडे सेने का केंद्र, बोनो बीबी मंदिर, मगरमच्छ तालाब ओर मैंग्रोव व्याख्या केंद्र (जिसे सजनखेली संग्रहालय भी कहा जाता है।) भी बना हुआ है। 

हैलीडे वन्यजीव अभ्यारण्य – Heliday Wildlife Sanctuary in Hindi

Heliday Wildlife Sanctuary Sundarban | Ref image

भारत के सबसे छोटे वन्यजीव अभ्यारण्य में से एक हैलीडे वन्यजीव अभ्यारण्य को ज्यादातर हैलीडे द्वीप के नाम से जाना जाता है। यह वन्यजीव अभ्यारण्य सुंदरबन बायोस्फीयर रिजर्व के वन्यजीव अभ्यारण्यों लोथियन वन्यजीव अभयारण्य और सजनेखाली वन्य जीवन अभ्यारण्य के अलावा तीसरा वन्यजीव अभ्यारण्य है। लगभग 06 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है यह वन क्षेत्र मतला द्वीप और बिद्याधारी नदी के संगम पर बंगाल की खाड़ी के बेहद समीप स्थित है। 

इस वन क्षेत्र में आमतौर पर मेंग्रोव प्रजातियों के द्वीप है बावजूद इसके यहाँ पर कुछ मीठे पानी की प्रजातियाँ जैसे कैसुरीना, करंजा आदि वन अधिकारियों द्वारा वनीकरण कार्यक्रम के हिस्से के रूप में लगाई गई हैं। हैलीडे वन्यजीव अभ्यारण्य में मुख्यरूप से चित्तीदार हिरण, रीसस बन्दर, जंगली सूअर और बार्किंग हिरण पाए जाते है। वहीँ जंगली जानवरों के अलावा यहाँ पर अनेक प्रवासी पक्षियों की प्रजातियाँ और स्थानिक अकशेरुकी जीव पाए जाते हैं। 

इस वन क्षेत्र में कभीकभी सुंदरबन टाइगर रिज़र्व और बोनी कैंप क्षेत्र से बंगाल टाइगर जाते है। अगर आप यहाँ आना चाहते है आप नामखाना, रामगंगा, झरखाली और कैनिंग से यहाँ बड़ी आसानी पहुँच सकते है। 

कलश शिविर – Kalash Camp In Hindi

Kalash Camp sundarban | Ref image

सुंदरबन में पर्यटकों के लिए कलश शिविर समुद्री वन्य जीवन और प्रवासी पक्षियों को देखने के लिए सबसे उपयुक्त जगहों में से एक माना जाता है। सुंदरबन के 24 डिविजनल वन के चुलकाठी -1 ब्लॉक में स्थित कलश कैंप को नामखाना या फिर रामगंगा की तरफ से सुंदरबन राष्ट्रीय उद्यान देखने के लिये आने वाले पर्यटकों द्वारा ज्यादा देखा जाता है। इसके अलावा मतला नदी के दक्षिण मुहाने पर कलश द्वीप के तट पर उतरने की सख्त मनाही है, हालाँकि कुछ वर्ष पहले सशस्त्र सुरक्षा कर्मियों के साथ पर्यटकों को तट पर कम ज्वार के समय उतरने की अनुमति दी गई थी। 

लेकिन आज के समय मे सिर्फ नाव के द्वारा ही कलश द्वीप घूमने आया जा सकता है। सर्दियों के समय कलश द्वीप पर बड़ी संख्या में रिडले कछुओं को देखा जा सकता है। साल के इस समय कलश द्वीप के समुद्री तट रिडले कछुऐ के प्रजनन स्थल के रुप में भी प्रसिद्ध है। वन्यजीवन ओर समुद्री जीवन के अलावा कलश द्वीप कई प्रकार के तटीय और प्रवासी पक्षियों का घर भी है, इसके अलावा कई प्रकार के दुर्लभ जलचरों की देखने की सबसे अच्छी जगह है। इस खूबसूरत समुद्र तट पहुँचने के लिये आपको कलश कैम्प के फारेस्ट डिपार्टमेंट से नाव आसानी से मिल जाएगी। 

हालाँकि की कलश कैंप में रुकने की किसी भी प्रकार की सुविधा उपलब्ध नहीं है लेकिन फिर भी अगर यहाँ पर रुकना चाहते है तो फिर आप यहाँ आने वाली नाव पर रुक सकते है। 

भागवतपुर मगरमच्छ परियोजना – Bhagwatpur Crocodile Project In Hindi

Bhagwatpur Crocodile Project Sundarban | Ref image

पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना डिवीजन वन में स्थित भागवतपुर मगरमच्छ परियोजना बड़ी तेजी से सुंदरबन के एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल के रूप में उभर रही है। लोथियन द्वीप के निकट और सप्तमुखी नदी के मुहाने के तट के पर स्थित यह मगरमच्छ परियोजना पश्चिम बंगाल की इकलौती मगरमच्छ परियोजना है। 

यह जगह सप्तमुखी नदी प्रणाली के संगम के पास स्थित होने की वजह से घने मैंग्रोव जंगलों से घिरी हुई है जिसकी वजह से यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता बहुत ज्यादा बढ़ जाती है, और यही वजह है कि सुंदरबन में स्थित इस जगह को देखने के लिये पूरे साल पर्यटक आते रहते है। भागवतपुर मगरमच्छ परियोजना शुरू करने के पीछे का मुख्य उद्देश्य था मगरमच्छों के अंडों को सेना, पालनपोषण करना, उनको बड़ा करके जंगल में छोड़ना आदि। 

इस जगह पर आपको छोटे और बड़े हर तरीके के मगरमच्छ पाए जाते है। अगर आप नामखाना की तरफ से रहे है तो आप बहुत ही जल्दी इस जगह पर पहुंच सकते है। इसके अलावा अगर आप  रामगंगा, बोनी कैंप और कलश कैंप देखने रहे है तो आपको भागवतपुर मगरमच्छ परियोजना ले लिये समय जरूर निकालना चाहिए। आप चाहे तो आप सजनखेली से भी बड़ी आसानी से भागवतपुर मगरमच्छ परियोजना तक पहुंच सकते है। 

लोथियन द्वीप वन्यजीव अभ्यारण्यलोथियन द्वीप पक्षी अभ्यारण्य – Lothian Island Wildlife Sanctuary In Hindi

 / Lothian Island Bird Sanctuary In Hindi

Lothian Island Wildlife Sanctuary Sundarban | Ref image

पश्चिम बंगाल के दक्षिण परगना में जीप्लॉट द्वीप के पास में स्थित लोथियन द्वीप वन्यजीव अभ्यारण्य (लोथियन द्वीप पक्षी अभ्यारण्य) 38 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ सुंदरबन के प्रमुख पर्यटकों स्थलों में से एक है। यहाँ वन क्षेत्र वन्यजीवन और पक्षियों को रहने के लिए समान अनुकूल वातावरण प्रदान करता  है इसलिए यहाँ पर ढेरों प्रजाति के पक्षी और वन्यजीव देखने को मिलते है। 

यहाँ पर पाए जाने वाले पक्षियों में मुख्य रूप से व्हिम्ब्रेल, ब्लैककैप्ड किंगफिशर, टर्न, व्हाइटबेलिड सीईगल और कर्लेव शामिल है। वहीँ इस अभ्यारण्य के वन्यजीवों में चित्तीदार हिरण, रीसस मकाक, एस्टुरीन मगरमच्छ, जंगली बिल्लियाँ और ऑलिव रिडले समुद्री कछुए शामिल है। 

सुंदरबन बायोस्फीयर रिजर्व के अंदर स्थित तीन वन्यजीव अभ्यारण्यों सजनेखली वन्य जीवन अभयारण्य, हैलीडे द्वीप वन्यजीव अभयारण्य के अलावा लोथियन वन्यजीव अभ्यारण्य भी एक प्रमुख वन्यजीव अभ्यारण्य है। सप्तमुखी द्वीप से घिरा हुआ लोथियन वन्यजीव अभयारण्य प्राकृतिक रूप से भी बेहद समृद्ध है। 

सुधन्यखाली वॉच टॉवर – Sudhanyakhali Watch Tower in Hindi

Sudhanyakhali Watch Tower Sundarban | Ref image

सुंदरबन के सबसे प्रसिद्ध वॉच टॉवर में से एक और सजनेखाली वॉच टावर के निकट होने के कारण, सुधन्यखाली वॉच टावर पर्यटकों द्वारा सुंदरबन में सबसे ज्यादा देखी जाने वाली जगहों में से एक है। वैसे सुधन्यखाली वॉच टावर का इतनी ज्यादा संख्या में पर्यटकों द्वारा देखे जाने की सबसे महत्वपूर्ण वजह है यहाँ से बाघ के दिखाई देने में संभावना सबसे ज्यादा रहती है। इसके अलावा इस वॉच टॉवर से कुछ सरीसृपों और पक्षियों को भी बड़ी आसानी से देखा जा सकता है। 

वहीँ छिपकली, एक्सिस हिरण,जंगली सुअर और मगरमच्छ जैसे वन्यजीवों का इस वॉच टावर से दिखाई देना आम बात मानी जाती है। सुधन्यखाली वॉच टॉवर की क्षमता एक बार मे 25 पर्यटकों की है। सुंदरबन राष्ट्रीय उद्यान के वन अधिकारियों ने कड़ी मेहनत करके आज सुधन्यखाली वॉच टॉवर के आसपास मैंग्रोव की अन्य प्रजातियों को विकसित करने में सफलता प्राप्त की है। इस वॉच टावर के पास में एक मीठे पानी का तालाब भी बना हुआ जिसमें यहाँ रहने वाले वन्यजीव पानी पीने आते रहते है। 

तालाब के पीछे पूरे जंगल का विस्तार दिखाई देता है जिसकी वजह तालाब में पानी पीने आने वाले जानवरों को दूर से ही देखा जा सकता है। सुंदरबन में स्थित सुधन्यखाली वॉच टॉवर पूरे राष्ट्रीय उद्यान की उन गिनी चुनी जगहों में से एक जहाँ से सुंदरबन टाइगर रिज़र्व और उससे आगे फैले हुए जंगल के मनोरम दृश्यों को बड़ी आसानी से देखा जा सकता है। इसके आप इस जगज से सुंदरबन के प्राकृतिक और वन्यजीवन दोनों का आनंद एक बार मे ही ले सकते है।

आप जब भी सुधन्यखाली वॉच टॉवर देखने जाएं तो कुछ बातों का ध्यान जरूर रखें जैसे इस वॉच टॉवर की और जाने वाले रास्ते और सीढ़ियों के आसपास फिडलर केंकड़े और हर्मिट केंकड़े बड़ी आसानी से मिल जाते है उनसे अपने पैर बचा कर रखे और इसके अलावा जंगल के क्षेत्र में बहुत ज्यादा बंदर भी रहते है जिनसे आपको  सावधान रहने की जरूरत है नहीं तो वो आपका सामान छीन कर ले जा सकते है। 

पियाली नदी – Piyali River In Hindi

Piyali River Sundarban | Ref image

प्राकृतिक रूप से सुंदरबन राष्ट्रीय उद्यान एक बेहद सघन और सुंदर राष्ट्रीय उद्यान है। और इसी राष्ट्रीय उद्यान का हिस्सा है पियाली। सड़कमार्ग से कोलकाता से मात्र 72 किलोमीटर की दूरी पर स्थित पियाली को सुंदरबन का प्रवेश द्वार भी माना जाता है। अगर आप पानी के रास्ते जा रहे है तो यह जगह सजनखेली, सुधन्यखाली और नेतिधोपानी के पास में है। पश्चिम बंगाल के खेतों में से होकर बहने वाली छोटी सी नदी है पियाली जो कि आगे चलकर मतला नदी में मिल जाती है। 

प्राकृतिक रूप से समृद्ध पियाली डेल्टा छुट्टियाँ बिताने के लिए एक बहुत ही अच्छा पर्यटक स्थल माना जाता है, यही वजह है की पियाली नदी का किनारा पर्यटकों और प्रकृति प्रेमियों के लिए एक आदर्श स्थान माना जाता है। सुंदरबन में स्थित पियाली नदी घूमने आने वाले ज्यादातर पर्यटक नौकायन करना पसंद करते है, इसकी वजह है नावों के द्वारा पियाली नदी और सुंदरबन के समृद्ध वनस्पति को बड़े आराम से देखा जा सकता है, साथ मे ही अगर आपकी किस्मत अच्छी है तो आपको नौकायन के समय सुंदरबन के कई दुर्लभ वन्यजीव भी देखने को मिल सकते है। 

टिन कोना द्वीप – Tin Kona Island Sundarban In Hindi

Tin Kona Island Sundarban | Ref image

 पश्चिम बंगाल के सुंदरबन में स्थित टिन कोना द्वीप कई प्रकार के वन्यजीवों और वनस्पतियों विभिन्नता की वजह से इस राष्ट्रीय उद्यान में आने वाले पर्यटको द्वारा सबसे ज्यादा देखे जाने वाली और पसंद की जाने वाली जगहों में से एक है। टिन कोना द्वीप में मुख्य रूप से आपको  रॉयल बंगाल टाइगर, मगरमच्छ, तेंदुए, चित्तीदार हिरण, प्राइमेट, रेटल स्नेक और किंग कोबरा जैसे वन्यजीव और सरीसृप बड़ी आसानी से दिख जाते है। 

इसके अलावा मछली पकड़ने के लिए जैसी गतिविधि के लिए यह जगह सुंदरबन में सबसे उपयुक्त मानी जाती है। कुल मिला कर साहसिक गतिविधि को पसंद करने वाले पर्यटकों के लिए टिन कोना द्वीप एक आदर्श जगह मानी जाती है जो की वन्यजीवन और वानस्पतिक सम्पदा से भरपूर है। टिन कोना द्वीप घूमने का सबसे अच्छा समय  फरवरी से अप्रैल और सितंबर से नवंबर का  महीना माना जाता हैं। 

सुंदरबन घूमने आने वाले पर्यटक इस स्थान पर सफारी की सहायता से पहुँच सकते है। सुंदरबन में स्थित टिन कोना द्वीप पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी शहर से लगभग 30 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है। 

सुंदरबन राष्ट्रीय उद्यान में  प्रवेश शुल्क – Sundarban National Park Entry Fee In Hindi

Sundarban National Park Entry Fee | Ref image

सुंदरबन राष्ट्रीय उद्यान में भारतीय नागरिकों के लिए प्रवेश शुल्क 60/- निर्धारित किया गया है, वहीँ विदेशी नागरिकों के लिए उद्यान में प्रवेश शुल्क 200/- रुपये निर्धारित किया गया है। 05 वर्ष और उससे कम उम्र के बच्चों के लिए उद्यान में प्रवेश शुल्क से छूट दी गई है, इसके अलावा अगर आप विधार्थी है तो आईडी दिखाने पर उद्यान के प्रवेश शुल्क में 50% की छूट मिल सकती है। 

सुंदरबन राष्ट्रीय उद्यान के लिए प्रवेश शुल्क का भुगतान आप सजनेखाली, बागना, सोनाखाली के अलावा फील्ड निदेशक के कार्यालय में कर सकते है। 

सुंदरबन राष्ट्रीय उद्यान में बोट सफ़ारी का समय – Sundarban National Park Boat Safari Timing in Hindi

Sundarban National Park Boat Safari | Ref image

सुंदरबन राष्ट्रीय उद्यान में देश के अन्य राष्ट्रीय उद्यानों की तरह जीप सफारी नहीं करवाई जाती है बल्कि यहाँ पर बोट सफारी करवाई जाती  है। इस राष्ट्रीय उद्यान में बोट सफारी का समय सुबह 08:30 बजे से लेकर शाम को 04:00 बजे तक रहता है। इस उद्यान में शाम को 06:30 बजे के नावों का प्रवेश पूरी तरह से वर्जित है। 

सुंदरबन राष्ट्रीय उद्यान में बोट सफारी – Sunderban National Park Safari In Hindi 

बंगाल की खाड़ी में स्थित सुंदरबन राष्ट्रीय उद्यान गंगा, ब्रम्हपुत्र ओर मेघना नदी के संगम से बने डेल्टा में एक घना मैंग्रोव वन क्षेत्र है। एक मेंग्रोव वन क्षेत्र होने के अलावा इस राष्ट्रीय उद्यान के वनयजीव भी दुनियाभर के पर्यटकों को आकर्षित करते है। यही वजह है कि पूरे साल देश दुनिया से लाखों की संख्या में पर्यटक सुंदरबन देखने के लिये आते है। लेकिन देश के अन्य राष्ट्रीय पार्कों के जैसे यहाँ पर जीप सफारी नहीं करवाई जाती है, बल्कि यहाँ पर सफारी के लिए नाव का उपयोग किया जाता है। 

इस राष्ट्रीय उद्यान में करवाई जाने वाली नाव सफारी के लिए शुल्क इस बात पर निर्भर करता है की आप कौनसी नाव पर सफारी कर रहे है। जैसे अगर आप 06 सीटों वाली नाव की 04 घंटे की सफारी बुक करते है तो उस सफारी का शुल्क 2800-3000 रुपये के बीच में रहता है। वैसे ही दस सीटों वाली नाव की 04 घंटे की सफारी के लिए आपको 4500-5000 रुपये तक देने पड़ सकते है। 

अगर आप चाहे तो आप पुरे दिन की नाव सफारी भी बुक करवा सकते है लेकिन उसके लिए आपको 06 सीटों वाली नाव के लिए 8000-8500 रूपये देने होंगे, और वहीँ 10 सीटों वाली नाव सफारी के लिए आपको 12000-13000 रूपये सफारी शुल्क देना होगा इसके अलावा आपको इस बात का भी ध्यान रखना है की सुंदरबन में AC और NON-AC दोनों प्रकार की नाव सफारी उपलब्ध है और इन दोनों ही प्रकार के नाव सफारी के लिए अलग-2 सफारी शुल्क देना होगा  

सुंदरबन राष्ट्रीय उद्यान में गाइड शुल्क – Sundarban National Park Guide Fee in Hindi

Sundarban National Park Guide Fee | Ref image

आप जब भी सुंदरबन राष्ट्रीय उद्यान घूमने जाते है तो यह उद्यान अच्छी तरह से देखने और समझने के लिये आपको गाइड की आवश्यकता होगी। इसलिए इस आप जब भी यह राष्ट्रीय उद्यान देखने के लिये जाते है तो आपको यहाँ पर गाइड के लिये अलग से शुल्क देना होता है। इस उद्यान में आधे दिन की नाव सफारी के लिए आपको 400 रुपये और पूरे दिन की नाव सफारी के लिये आपको 700 रुपये गाइड शुल्क देना होगा। 

वहीं अगर आप अपने लिये विशेषज्ञ गाइड बुक करते है तो उसके लिये आपको आधे दिन की नाव सफारी के लिये 1500 रुपये गाइड शुल्क देना होगा और पूरे दिन की नाव सफारी के लिए आपकी 2500 रुपये गाइड शुल्क देना पड़ता है। 

सुंदरवन राष्ट्रीय उद्यान में कैमरा शुल्क– Sundarban National Park Camera fee in Hindi

Sundarban National Park Camera fee | Ref image

अगर आप सुंदरबन राष्ट्रीय उद्यान में अपने साथ कैमरा लेकर जा रहे है तो यहाँ के प्रशासन ने कुछ कैमरा शुल्क निर्धारित किया है जो कि इस प्रकार है। स्थिर कैमरा – 200/- रुपये प्रति दिन, वीडियो कैमरा – 500/- रुपये प्रति दिन, व्यावसायिक स्थिर कैमरा – 5000/- रुपये प्रति दिन और व्यावसायिक वीडियो कैमरा – 10000/- रुपये प्रति दिन का शुल्क निर्धारित किया गया है। 

सुंदरबन राष्ट्रीय उद्यान में अन्य शुल्क –  Sundarban National Park Other charges in Hindi 

नाव सफारी, गाइड शुल्क और कैमरा शुल्क के अलावा कुछ प्रकार के शुल्क भी सुंदरबन राष्ट्रीय उद्यान में आपको देने पड़ सकते है जैसेपार्किंग शुल्क – 50/- रुपये प्रति दिन कैंपिंग शुल्क 300/- रुपये प्रति दिन। 

सुंदरबन राष्ट्रीय उद्यान खुलने और बंद होने का समय – Sundarbans National Park Timings In Hindi 

सुंदरबन राष्ट्रीय उद्यान पर्यटकों के लिये पूरे साल खुला रहता है। यह राष्ट्रीय उद्यान सुबह 08:30 बजे से लेकर शाम को 04:00 बजे तक पर्यटकों के लिये खुला रहता है। इस उद्यान के शाम को 06:30 बजे के बाद नाव सफारी की अनुमति नहीं दी जाती है। 

सुंदरबन राष्ट्रीय उद्यान घूमने का सबसे अच्छा समय – Best Time to Visit in Sundarban National Park In Hindi

Best Time to Visit in Sundarban National Park | Ref image

 वैसे तो सुंदरबन राष्ट्रीय उद्यान पर्यटकों के लिये पूरे साल ही खुला रहता है, लेकिन यह राष्ट्रीय उद्यान देखने के लिये सबसे अच्छे समय की बात करें तो नवंबर महीने के अंतिम सप्ताह से लेकर मार्च महीने के पहले सप्ताह तक का समय यह राष्ट्रीय उद्यान देखने का सबसे अच्छा समय माना जाता है। 

सुंदरबन राष्ट्रीय उद्यान में खाने के लिए स्थानीय भोजन – Local Food Sundarban National Park In Hindi

Local Food Sundarban National Park | Ref image

 सुंदरबन राष्ट्रीय उद्यान में खाने के बहुत ही सीमित विकल्प उपलब्ध है। लेकिन आपको यहाँ पर शाकाहारी और मांसाहारी दोनों ही प्रकार के भोजन उपलब्ध हो जायेगें। 

सुंदरबन राष्ट्रीय उद्यान में कहां रुके – Hotels in Sundarban National Park In Hindi

Hotels in Sundarban National Park | Ref image

 सुंदरबन राष्ट्रीय उद्यान के आसपास और उद्यान के अंदर कई निजी होटल्स और सरकारी गेस्ट हाउस बने हुए है। आप चाहे तो ऑनलाइन किसी भी होटल बुकिंग की वेबसाइट या फिर उद्यान की ऑफिशियल वेबसाइट पर अपने लिये यहाँ पर आने से पहले होटल या गेस्ट हाउस में रूम बूक करवा सकते है। 

सुंदरबन राष्ट्रीय उद्यान कैसे पहुँचे – How To Reach Sundarban National Park In Hindi 

फ्लाइट से सुंदरबन राष्ट्रीय उद्यान कैसे पहुंचे – How To Reach Sundarban National Park By Flight In Hindi

How To Reach Sundarban National Park By Flight | Ref image

सुंदरबन राष्ट्रीय उद्यान के लिये सबसे नजदीकी हवाई अड्डा कोलकाता का नेताजी सुभाषचंद्र बोस हवाई अड्डा है। कोलकाता से सुंदरबन की दूरी मात्र 110 किलोमीटर है। कोलकाता से आप बस, टैक्सी और कैब के द्वारा बड़ी आसानी से सुंदरबन पहुँच सकते है। 

ट्रेन से सुंदरबन राष्ट्रीय उद्यान कैसे पहुँचे – How To Reach Sundarban National Park By Train In Hindi

How To Reach Sundarban National Park By Train | Ref image

 सुंदरबन राष्ट्रीय उद्यान के सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन कैनिंग है। सुंदरबन से लगभग 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कैनिंग रेलवे स्टेशन सियालदह रेलवे स्टेशन से बहुत अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। कैनिंग से आपको सुंदरबन के बस सेवा आसानी से मिल जाएगी। 

सड़क मार्ग से सुंदरबन राष्ट्रीय उद्यान कैसे पहुँचे – How To Reach Sundarban National Park By Road In Hindi

How To Reach Sundarban National Park By Road

 पश्चिम बंगाल के कोलकाता और कई अन्य शहरों से सुंदरबन बहुत अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। इसके अलावा आप अपने निजी वाहन से सड़क मार्ग द्वारा सुंदरबन बड़ी आसानी से पहुँच सकते है। सोनाखली, गोदखली, नामखाना, कैनिंग, रायडीह या नजत से आपको नियमित रूप से बस सेवा मिल सकती है। 

(अगर आप मेरे इस आर्टिकल में यहाँ तक पहुंच गए है तो आप से एक छोटा से निवदेन है की नीचे कमेंट बॉक्स में इस लेख से संबंधित आपके सुझाव जरूर साझा करें, और अगर आप को कोई कमी दिखे या कोई गलत जानकारी लगे तो भी जरूर बताए।  में यात्रा से संबंधित जानकारी मेरी इस वेबसाइट पर पोस्ट करता रहता हूँ, अगर मेरे द्वारा दी गई जानकारी आप को पसंद रही है तो आप अपने ईमेल से मेरी वेबसाइट को सब्सक्राइब जरूर करे, धन्यवाद )

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