श्री हेमकुंड साहिब 2024 | Sri Hemkund Sahib 2024 in Hindi | श्री हेमकुंड साहिब का इतिहास | Sri Hemkund Sahib History in Hindi | Sri Hemkund Sahib Trek in Hindi | Sri Hemkund Sahib Trek Guide 2024 in Hindi |  Aarti Timings | History | Entry Fees | Trek Cost 

श्री हेमकुंड साहिब | Sri Hemukund Sahib in Hindi 

उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित 10वें सिख धर्म गुरु, श्री गुरु गोबिंद सिंह (1666-1708) को समर्पित श्री हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा सात पर्वत चोटियों से घिरा हुआ सिख धर्म अनुयायियों के लिये एक महत्वपूर्ण ओर पवित्र धार्मिक तीर्थ स्थल है। एक धार्मिक तीर्थस्थल होने की वजह से प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में श्रद्धालु गुरुद्वारा में मत्था टेकने ओर पवित्र झील में नहाने के लिये हेमकुंड साहिब की यात्रा करते है।

समुद्रतल से 15197 फ़ीट (4632 मीटर) की ऊँचाई पर स्थित श्री हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा के पास में स्थित झील को हेमकुंड कहा जाता है और इसी झील की वजह से गुरुद्वारे का नाम गुरुद्वारा श्री हेमकुंड साहिब रखा गया है। वास्तव में हेमकुंड एक संस्कृत नाम है जिसमें हेम का अर्थ है बर्फ ओर कुंड का अर्थ है कटोरा।

ऐसा विश्वास है कि 10वें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह ने अपना शरीर त्याग ने से पहले इस स्थान पर ध्यान ओर तपस्या की थी। श्री गुरु गोबिंद सिंह की हेमकुंड यात्रा का वर्णन हमें सिख धर्म के दशम ग्रंथ में भी देखने की मिलता है। दशम ग्रंथ के अनुसार यह वह स्थान है जहाँ पर पांडु राजा ने योग अभ्यास किया था।

स्थानीय निवासी ओर सिख धर्म अनुयायी हेमकुंड को “हेमकुंट” ओर “गोबिंद धाम” के नाम से भी संबोधित करते है। अत्यधिक ऊँचाई पर स्थित होने की वजह से गुरुद्वारा श्री हेमकुंड साहिब साल में सिर्फ मई माह से लेकर अक्टूबर माह तक ही दर्शनों के लिये खुला रहता है। बाकी सर्दियों के मौसम में होने वाली अत्यधिक बर्फबारी की वजह से ये गुरुद्वारा साल के बाकी महीनों में दर्शनों के लिये बंद रहता है।

हालांकि दुनिया मे सबसे ज्यादा ऊंचाई पर स्थित गुरुद्वारा होने के बावजूद लाखों श्रद्धालु गुरुद्वारा श्री हेमकुंड साहिब में दर्शन करने के लिये आते है। अब ऐसा भी नहीं है कि इस गुरुद्वारा में सिर्फ सिख धर्म के अनुयायी ही दर्शन करने के लिये आते है बल्कि हिन्दू धर्म का पालन करने वालों के लिये भी श्री हेमकुंड साहिब एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है।

क्योंकि कई हिन्दू धार्मिक ग्रंथों के अनुसार यह स्थान भगवान राम, भगवान विष्णु और भगवान शिव से सीधे तौर पर जुड़ा हुआ है। गोविंदघाट से लगभग 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गुरुद्वारा श्री हेमकुंड साहिब किसी भी तरह से एक आसान यात्रा नहीं है। वैसे तो हर उम्र का श्रद्धालु आपको हेमकुंड साहिब की यात्रा के दौरान आपको मिल जाएगा लेकिन फिर यह पैदल यात्रा करते समय आपका शारीरिक रूप से स्वस्थ होना बहुत ज्यादा जरूरी है ।

इसके अलावा एक धार्मिक तीर्थ स्थल होने की वजह से आप जब भी इस पवित्र स्थान की यात्रा करें तो इस स्थान से जुड़ी हुई सभी तरह की धार्मिक मान्यताओं का पूरा ध्यान रखें। बाकी हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा से जुड़े हुए आपके सवालों का जवाब जानने के लिये आज का ब्लॉग जरूर पढ़ें:-

01 श्री हेमकुंड साहिब का इतिहास क्या है? – What is the history of Hemkund Sahib?

02 कहाँ से श्री हेमकुंड साहिब दर्शन करने के लिए पंजीकरण करवाना है? – From where to register for Sri Hemkund Sahib Darshan?

03 श्री  हेमकुंड साहिब यात्रा कहाँ से शुरु होती है ? – Where does the Sri  Hemkund Sahib Yatra start?

04 श्री हेमकुंड साहिब यात्रा कब शुरू होती है? –  When does Sri  Hemkund Sahib Yatra start?

05 पैदल यात्रा के दौरान क्या-क्या साथ मे रखना है? – What to carry with you while hiking?

 06 श्री हेमकुंड साहिब के दौरान क्या-क्या सुविधाएं मिलती है? –  What are the facilities available during Sri Hemkund Sahib

श्री हेमकुंड साहिब का इतिहास | Sri Hemukund Sahib History in Hindi 

Sri Hemkund Sahib Gurudwara History | Image Credits – Wikipedia

10वें सिख धर्म गुरु, श्री गुरु गोबिंद सिंह की तपस्थली होने की वजह से श्री हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा सिख समुदाय के लिये एक प्रमुख धार्मिक तीर्थ स्थल है। श्री गुरु गोबिंद सिंह ने अपनी आत्मकथा बचित्र नाटक ( जो कि गुरु के दशम ग्रंथ का एक भाग है।) में हेमकुंड साहिब का उल्लेख करते हुए लिखा है कि जहाँ हेमकुंड पर्वत है और सात शिखर शोभित है, सप्तश्रृंग नाम है और जहाँ पाण्डवराज ने योग साधना की थी, वहाँ पर मैंने घोर तप किया। महाकाल ओर काली की आराधना की। इस विधि से तपस्या करते हुये दो से एक रूप हो गया।

दशम ग्रंथ में ही श्री गुरु गोबिंद सिंह के पूर्व जन्म का उल्लेख भी मिलता है जिसमें उन्होंने अनेक वर्षों तक भगवान में विलीन होने के लिये हेमकुंड में गहन तपस्या की थी। श्री गुरु गोबिंद सिंह की तपोस्थली होने के साथ-साथ इस स्थान से अनेक पौराणिक कथाएँ भी जुड़ी हुई है। ऐसी ही एक पौराणिक कथा के अनुसार हेमकुंड झील ओर इसके आसपास के शिखर को एक ऐसे तीर्थ स्थल के रूप में पूजा जाता था जिसे स्थानीय निवासी लोकपाल के नाम से जानते थे।

स्थानीय निवासियों के अनुसार रामायण में जब लक्ष्मण घायल हो जाते है तो हनुमानजी इसी स्थान के पास में संजीवनी को खोजने के लिये आते है। और संजीवनी से जब लक्ष्मण ठीक है हो जाते है तो स्वर्ग से इस स्थान पर पुष्प वर्षा की जाती है जिसकी वजह से हेमकुंड साहिब के पास फूलों की घाटी का निर्माण होता है। रामायण से जुड़ी हुई एक और कथा यहाँ पर बहुत ज्यादा प्रचलित है जिसके अनुसार रामायण का युद्ध समाप्त होने के बाद लक्ष्मण इस स्थान पर तपस्या करने के लिये आते है।

हेमकुंड में जिस स्थान पर लक्ष्मण ने तपस्या की थी वहाँ पर आज लोकपाल लक्ष्मण मंदिर बना हुआ है। एक और स्थानीय मान्यता के अनुसार शेषनाग ने भी लोकपाल झील में लंबे समय तक तपस्या की थी, और जब तक शेषनाग यहाँ पर तपस्या करते रहे तब भगवान विष्णु ने इस स्थान पर शेषनाग की शैया पर आराम किया था। ऐसा भी माना जाता है कि लोकपाल का सम्बंध भगवान विष्णु से है जो कि पृथ्वी के पालन कर्ता है। इसके अलावा कई लोगों  का मानना है कि लोकपाल भगवान शिव और माता पार्वती मूल स्थान भी है।

महाभारत से जुडी हुई कथा के अनुसार पांडवों के पिता राजा पाण्डु ने इसी स्थान पर आकर योग साधना की थी।  इन्हीं सभी पौराणिक कथाओं ओर 10वें सिख गुरु, श्री गुरु गोबिंद सिंह की तपस्थली होने की वजह से श्री हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा सिख धर्म अनुयायियों ओर हिन्दू धर्म अनुयायियों के लिये एक प्रमुख धार्मिक तीर्थ स्थल के रूप में पूजा जाता है।

श्री हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा का निर्माण | Construction of Sri Hemkund Sahib Gurdwara in Hindi

construction of sri hemkund sahib gurudwara | Image Credit – Wikipedia

19वीं शताब्दी के अंत तक सिख समुदाय के लोग दशम ग्रंथ में उल्लेखित 10वें सिख धर्म गुरु ,श्री गुरु गोबिंद सिंह की तपस्थली की खोज शुरू कर चुके थे। साल 1884 में पंडित तारा सिंह नरोत्तम पहले ऐसे सिख थे जिन्होंने हेमकुंड साहिब की भौगोलिक स्थिति का पता लगाया। आगे चलकर उनकी इस खोज के बारे में प्रसिद्ध सिख इतिहासकार ओर विद्वान भाई वीर सिंह ने अपनी पुस्तक “श्री कलगीधर चमत्कार” (1929) में लिखा।

इसी पुस्तक के आधार पर संत सोहन सिंह जो कि भारतीय सेना से सेवानिवृत्त सिपाही ओर एक ग्रंथी थे। उन्होंने 1933 में हेमकुंड साहिब के भौतिक स्थान की खोज शुरू की हालाँकि शुरुआत में उन्हें किसी तरह की कोई सफलता नहीं मिली लेकिन कुछ समय तक पूछताछ करने पर उन्हें एक ऐसे स्थान के बारे में पता चला जिसे स्थानीय निवासी लोकपाल कहकर बुलाते थे। उसके बाद जब वह उस स्थान पर पहुंचे तो उन्हें पता चला कि यह स्थान बिल्कुल  वैसा दिखता है जैसा कि गुरु के दसम ग्रंथ में “सपत श्रृंग” को उल्लेखित किया गया है।

इसके बाद संत सोहन सिंह को विश्वास हो गया कि यह वही स्थान हेमकुंड है जहाँ पर श्री गुरु गोबिंद सिंह ने तप किया था। शुरुआत में संत सोहन सिंह की इस खोज पर काफी संदेह किया गया, जिसके बाद संत सोहन सिंह भाई वीर सिंह को लेकर इस स्थान पर दोबारा आते है। यहाँ आने के बाद भाई वीर सिंह को भी विश्वास हो जाता है के ये वही स्थान है जहाँ पर गुरु ने तप किया था। उसके बाद 1935 में भाई वीर सिंह ओर संत सोहन सिंह मिलकर इस स्थान पर गुरुद्वारे का निर्माण कार्य शुरू करते है, जिसमें आगे चलकर उनके साथ हवलदार मोदन सिंह भी जुड़ जाते है।

उसके बाद स्थानीय लोगो की अनुमति के साथ इस स्थान पर 10 फुट x 10 फुट के गुरुद्वारे का निर्माण कार्य 1936 मे पूरा कर लिया जाता है। गुरुद्वारे के साथ-साथ झील के पास में स्थित एक प्राचीन हिन्दू मंदिर का विस्तार कार्य भी पूरा किया जाता है। गुरुद्वारे का निर्माण कार्य पूरा होने के बाद ओर संत सोहन सिंह के मृत्यु के बाद हवलदार मोदन सिंह ने अपना पूरा जीवन श्री हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा को समर्पित कर दिया।

1960 में हवलदार मोदन सिंह के मृत्यु के बाद माता राम कौर नाम की एक गृहिणी महिला को श्री गुरु गोबिंद सिंह सपने में हेमकुंड में एक बड़ा गुरुद्वारा बनाने का निर्देश देते है। इसके बाद 1964 में नए गुरुद्वारे के निर्माण की योजना बनाई जाती है, जिसका निर्माण कार्य 1968 तक चलता रहता है । अंत में वर्ष 1993 में गुरुद्वारे की ऊपरी मंजिल का निर्माण कार्य पूरा होता है उसके बाद वर्ष 1994 में गुरु ग्रंथ साहिब को गुरुद्वारा में स्थापित किया जाता है।

श्री हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा की वास्तुकला – Architecture of Sri Hemkund Sahib Gurdwara in Hindi

Architecture of Gurudwara Hemkund Sahib | Image Credit – Wikipedia

समुद्रतल से 4632 मीटर की ऊंचाई पर स्थित श्री हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा सफेद संगमरमर से निर्मित एक बेहद ही सुंदर और भव्य गुरुद्वारा है। पूरे विश्व मे सबसे अधिक ऊँचाई पर स्थित होने के वजह से इस गुरद्वारे की बनावट विश्व मे किसी भी अन्य गुरुद्वारे से एकदम अलग है। और इसका कारण है यहाँ पर होने वाली अत्यधिक बर्फबारी।

इसलिए इतनी ज्यादा ऊँचाई पर इस गुरुद्वारे का निर्माण करने से पहले दिल्ली में स्टील का एक प्रोटोटाइप तैयार किया गया ताकि यह पता किया जा सके कि गुरुद्वारे की छत इतनी ऊंचाई पर पड़ने वाली बर्फ को संभालने में सक्षम है या नहीं। इसलिए आज गुरुद्वारा के मुख्य भवन की सरंचना आकाश में चमकते हुए एक सितारे के समान दिखाई देती है।

गुरुद्वारा के पास में स्थित पवित्र झील में जहाँ पुरूष खुली झील में स्नान कर सकते है वहीं महिलाओं के स्नान करने के लिये भूतल का निर्माण किया गया है। गुरुद्वारा के मुख्य भवन में प्रवेश करने के बाद भवन की अंदर की दीवारों पर सिख धर्म के सभी गुरुओं के चित्र बनाये हुए है।

इसके अलावा गुरुद्वारा में प्रवेश करने के लिये चार दरवाजे भी बनाये गए है। गुरुद्वारा के पास में ही लंगर हॉल की व्यवस्था भी की गई है ताकि दर्शन करने आने वाले श्रद्धालु के लिये प्रसाद और भोजन की उत्तम व्यवस्था की जा सके।

श्री हेमकुंड साहिब ट्रेक – Sri Hemkund Sahib Trek  in Hindi

Sri hemkund sahib trek | Image Credit – Wikipedia

श्री हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा एक प्रमुख धार्मिक तीर्थ स्थल होने के साथ-साथ एक विश्व प्रसिद्ध ट्रेक के रूप में भी जाना जाता है। इसलिए इस धार्मिक स्थल पर दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं के साथ बहुत सारे ट्रेकर्स भी देखे जा सकते है। अब यहाँ पर एक बात ध्यान देने लायक है कि जो ट्रेकर्स फूलों की घाटी ट्रेक करने के लिए आते है उनमें से भी कुछ ट्रेकर्स श्री हेमकुंड साहिब ट्रेक करना भी पसंद करते है।

ओर इसकी वजह है दोनों ही जगह एक-दूसरे में बिल्कुल पास में स्थित है। फूलों की घाटी ओर श्री हेमकुंड साहिब यह दोनों ही ट्रेक गोविंदघाट से शुरू होते है, और घाघरिया तक इन दोनों ट्रेक्स रूट एक ही है। घाघरिया पहुंचने के बाद एक रास्ता फुलों की घाटी की तरफ जाता है और दूसरा श्री हेमकुंड साहिब की तरफ जाता है।

साल के जिस समय श्री हेमकुंड साहिब ट्रेक को श्रद्धालुओं ओर ट्रेकर्स (मई से अक्टूबर महीने तक) के लिये खोला जाता है इस समय के आसपास यहाँ पर मॉनसून भी आता है जिस वजह से पूरे ट्रेक में फिसलन बहुत ज्यादा बढ़ जाती है साथ मे ही इस जगह भूस्खलन का खतरा भी बढ़ जाता है। इसलिए आप जब यह ट्रेक करने जाए तो अतिरिक्त सावधानी जरूर बरतें। श्री हेमकुंड साहिब ट्रेक की कुल दूरी 30 से 35 किलोमीटर है जिसे पूरा करने में आपको 02 दिन का समय लग जाता है।

और श्री हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा की यात्रा पूरी करने में आपको लगभग 05 से 07 दिन का समय लग सकता है ओर यह निर्भर करता है कि आप कौनसी जगह से अपनी यात्रा शुरू कर रहे है। हालाँकि श्री हेमकुंड साहिब एक धार्मिक तीर्थ स्थल है और इसी वजह से प्रति वर्ष यहां पर लाखों की संख्या में श्रद्धालु पवित्र झील में स्नान करने और गुरुद्वारा में दर्शन करने के लिये आते है। इसीलिए आप जब भी मध्यम से कठिन श्रेणी का माने जाने वाले इस ट्रैक को करने का कार्यक्रम बनाये उससे कुछ महीने पहले ही प्रति दिन 05 से 06 किलोमीटर पैदल घूमना शुरू कर दे।

ताकि यह ट्रेक पूरा करने में आपको किसी भी प्रकार की असुविधा का सामना ना करना पड़े। वैसे अगर आप मुझ से पूछे तो मेरे हिसाब से आपको श्री हेमकुंड साहिब ट्रेक खुद से  करना चाहिये, क्योंकि एक तो यह एक ऐसा धार्मिक तीर्थ स्थल है जो कि सिख धर्म अनुयायियों के अलावा हिन्दू धर्म अनुयायियों के लिए भी काफी महत्वपूर्ण है।

और यही वजह है कि पूरे साल में सिर्फ 06 महीने के लिए ही इस तीर्थ स्थल में दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या लाखों में पहुँच जाती है। इसके अलावा पुरे ट्रेक के दौरान आपको आराम करने के लिए और खाने पीने के लिए सभी तरह की सुविधाएं उपलब्ध रहती है। सबसे बड़ी बात पवित्र गुरुद्वारा तक पहुँचने के लिए एक व्यवस्थित रास्ता भी बना हुआ जिसकी वजह आपको पूरी यात्रा के दौरान रास्ते को लेकर किसी भी तरह की असमंजस की स्थिति नहीं बनती है।

ये बात जरूर है की अत्यधिक ऊंचाई पर स्थित होने की वजह से आपको यह ट्रेक पूरा करने में कुछ शारीरिक परेशानी का सामना भी करना पड़ सकता है। बाकि आप चाहें तो आप यह ट्रेक किसी अच्छी ट्रैकिंग एजेंसी के साथ भी यह ट्रेक पूरा कर सकते है, यह पूरी तरह से आप के ऊपर निर्भर करता है।

श्री हेमकुंड साहिब ट्रेक गाइड – Sri Hemkund Sahib Trek Guide in Hindi

Sri hemkund sahib trek guide

श्री हेमकुंड साहिब ट्रेक का पहला दिन – Day One of Sri Hemkund Sahib Trek in Hindi

श्री हेमकुंड साहिब ट्रैक शुरू करने के लिये आपको सबसे पहले दिन गोविंदघाट पहुँचना होगा। ऋषिकेश से गोविंदघाट लगभग 270 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। और अगर आप अपने निजी वाहन से गोविंदघाट जा रहे है तो आप ऋषिकेश से देवप्रयाग-श्रीनगर-रुद्रप्रयाग-कर्णप्रयाग-गोपेश्वर और जोशीमठ होते हुए गोविंदघाट पहुंच सकते है।

इसके अलावा अगर आप यह ट्रेक किसी ट्रेकिंग एजेंसी के साथ यह ट्रेक कर रहे है तो वो लोग आपके  गोविंदघाट तक पहुँचने की व्यवस्था पहले से कर के रखते है आपको तो सिर्फ उनके द्वारा निर्धारित स्थान पर तय समय पर पहुंचना होता है। इसके अलावा अगर आप बस द्वारा गोविंदघाट पहुँचना चाहते है तो आपको हरिद्वार, ऋषिकेश, देहरादून और दिल्ली के ISBT बस स्टेशन से गोविंदघाट के लिये बस सेवा उपलब्ध मिल जाएगी।

ऋषिकेश से आपको गोविंदघाट के लिये शेयर्ड टैक्सी की सुविधा भी मिल जाएगी । ऋषिकेश से गोविंदघाट जाने वाली टैक्सी 8000 रुपये से लेकर 12000 रुपये तक भाड़ा लेती है जो कि सभी सह यात्रियों में बराबर बंट जाता है।

श्री हेमकुंड साहिब ट्रेक का दूसरा दिन – Day Two of Sri Hemkund Sahib Trek in Hindi

ऋषिकेश से गोविंदघाट पहुंचने के बाद पहले दिन आप यहाँ पर रात्रि विश्राम कर सकते है। अगर आप किसी ट्रैकिंग एजेंसी के साथ यह ट्रेक करने आये है तो वो आपके लिए गोविंदघाट में रुकने के व्यवस्था पहले से करके रखते है और अगर आप अकेले या फिर अपने दोस्तों के साथ यह ट्रेक करने आये है तो आपको यहाँ पर आप के लिये पहले से होटल या धर्मशाला में रूम बुकिंग कर लेनी चाहिये।

गोविंदघाट में एक रात आराम करने के बाद श्री हेमकुंड साहिब  ट्रेक के दूसरे दिन आपको घाघरिया पहुँचना होगा। इसके लिये आपको गोविंदघाट से सुबह जल्दी पुलना के लिये निकलना होगा जो कि गोविंदघाट से 04 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। गोविंदघाट से पुलना तक जाने के लिये आप स्थानीय टैक्सी ही लेकर जा सकते है।

अपने निजी वाहन को लेकर पुलना जाने की अनुमति नहीं है इसके अलावा आप पैदल भी गोविंदघाट से पुलना तक पहुँच सकते है। पुलना पहुंचने के बाद आपको घाघरिया के लिये पैदल ट्रेक शुरू करना होता है। पुलना से घाघरिया का ट्रैक डिस्टेंस कुल 09 किलोमीटर है। यह ट्रेक पूरा करने में आपको लगभग 5-6 घंटे लग सकते है।

श्री हेमकुंड साहिब ट्रेक का तीसरा दिन – Day Three of Sri Hemkund Sahib Trek in Hindi

श्री हेमकुंड साहिब ट्रेक के दूसरे दिन आप गोविंदघाट से पुलना होते हुए घाघरिया पहुंचते है। दूसरे दिन का ट्रैक पूरा करने के बाद आपको रात्रि विश्राम घाघरिया में करना होता है। श्री हेमकुंड साहिब ट्रेक के दौरान घाघरिया एक ऐसी जगह जहाँ से श्री हेमकुंड साहिब ओर फूलों की घाटी दोनों ही जगह के लिये रास्ते अलग हो जाते है। श्री हेमकुंड साहिब ट्रेक के तीसरे दिन आप सुबह जल्दी उठकर घाघरिया से श्री हेमकुंड साहिब ट्रेक शुरू कर सकते है।

घाघरिया से श्री हेमकुंड साहिब की दूरी लगभग 06 किलोमीटर के आसपास है। श्री हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा पहुंचने के बाद आप वहाँ पवित्र झील में स्नान करने के बाद गुरुद्वारा में दर्शन करने जाएं। इसके बाद कुछ समय आराम करने के बाद आप शाम होने तक वापस घाघरिया लौट कर आ सकते है।

इस प्रकार श्री हेमकुंड साहिब ट्रेक के तीसरे दिन आपको कुल 12 किलोमीटर का ट्रैक करना पड़ेगा। पहले 06 किलोमीटर घाघरिया से श्री हेमकुंड साहिब पहुंचने के ओर दूसरे 06 किलोमीटर श्री हेमकुंड साहिब से घाघरिया लौट कर आने के। इसके बाद आप रात्रि विश्राम घाघरिया में कर सकते है।

श्री हेमकुंड साहिब ट्रेक का चौथा दिन – Day Four of Sri Hemkund Sahib Trek in Hindi

श्री हेमकुंड साहिब ट्रेक के चौथे दिन अगर आपके पास अगर अतिरिक्त समय है तो आप घाघरिया से फूलों की घाटी ट्रेक करने जा सकते है। घाघरिया से फूलों की घाटी की दूरी मात्र 04 किलोमीटर है। अगर आप ट्रेक के चौथे दिन फूलों की घाटी ट्रेक करते है तो आपके के ट्रेक कार्यक्रम की अवधि एक दिन से बढ़ जाएगी। और आप चाहे तो श्री हेमकुंड साहिब ट्रेक के चौथे दिन आप  घाघरिया से पुलना तक का 09 किलोमीटर पैदल ट्रेक करते हुए वापस गोविंदघाट भी लौट सकते है।

श्री हेमकुंड साहिब ट्रेक का पांचवां दिन – Day Five of Sri Hemkund Sahib Trek  in Hindi

ट्रेक के चौथे दिन आप गोविंदघाट में रात्रि विश्राम करने के बाद आप अगले दिन सुबह गोविंदघाट से ऋषिकेश के लिये रवाना हो सकते है। अगर आप किसी ट्रैकिंग एजेंसी के साथ यह ट्रेक कर रहे तो वो लोग आपके वापस ऋषिकेश लौटने की व्यवस्था पहले से करके रखते है। इसके अलावा आप बस या अपने निजी वाहन से भी ऋषिकेश लौट सकते है।

नोट:- 01- श्री हेमकुंड साहिब ट्रेक के दौरान आप अपने घर से ऋषिकेश तक पहुंचने में ओर वापस लौट कर आने में लगने वाले समय को अलग से जोड़ ले। इस प्रकार आपको श्री हेमकुंड साहिब ट्रेक को पूरा करने में कुल 7-8 दिन लग जाएंगे।

02- अगर आप शारीरिक रूप से स्वस्थ नहीं है तो श्री हेमकुंड साहिब ट्रेक पूरा करने में आपको समस्या का सामना करना पड़ सकता है। क्यों कि अत्यधिक ऊंचाई पर स्थित होने की वजह से पूरे ट्रेक के दौरान कई जगहों पर बिल्कुल खड़ी चढ़ाई है। इसलिए आप यह ट्रेक करने से कुछ महीने पहले 5-6 किलोमीटर पैदल शुरू कर दें।

03 आप चाहे तो आप यह ट्रेक किसी भी अच्छी ट्रैकिंग एजेंसी के साथ यह ट्रेक कर सकते है। बाकी आप अपने आप से भी यह ट्रेक कर सकते है।

श्री हेमकुंड साहिब ट्रेक रूट – Sri Hemkund Sahib Trek Route in Hindi

Sri hemkund sahib trek route

श्री हेमकुंड साहिब ट्रेक की शुरूआत वैसे तो गोविंदघाट से ही हो जाती है। आप जब गोविंदघाट से ट्रेक शुरू करते है तो आपको सबसे पहले टैक्सी से पुलना पहुँचना होता है। गोविंदघाट से पुलना की दूरी मात्र 04 किलोमीटर ही है। पुलना से आपका श्री हेमकुंड साहिब के लिये पैदल ट्रेक शुरू हो जाता है। पुलना से आप लगभग 09 किलोमीटर पैदल ट्रेक करते हुए घाघरिया पहुचंते है।

उसके बाद घाघरिया से श्री हेमकुंड साहिब पहुंचने के लिये आपको 06 किलोमीटर और पैदल ट्रेक करना होगा जिसके बाद आप पवित्र श्री हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा पहुंच जाएंगे। कुल मिलाकर श्री हेमकुंड साहिब का ट्रैक लगभग 35-40 किलोमीटर लंबा है जिसे पूरा करने में आपमो 4-5 दिन लग सकते है।

श्री हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा खुलने और बंद होने का समय – Sri Hemkund Sahib Gurudwara Opening Time In Hindi

Sri hemkund sahib gurudwara opening time | Image Credits – Pxfuel

समुद्रतल से अत्यधिक ऊंचाई ओर अत्यधिक बर्फबारी की वजह से हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा साल में मई महीने से लेकर अक्टूबर महीने तक ही श्रद्धालुओं के दर्शन के लिये खुला रहता है। बाकी नवंबर से लेकर अप्रैल महीने तक बहुत ज्यादा होने वाली बर्फबारी की वजह से पवित्र गुरुद्वारा दर्शनों के लिये बंद रहता है। साल 2023 में पवित्र गुरुद्वारा श्रद्धालुओं के दर्शन के लिये 20 मई 2023 से लेकर 10 अक्टूबर 2023 तक खुला रहेगा।

श्री हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा में दर्शन का समय – Darshan Timings at Sri Hemkund Sahib Gurdwara In Hindi 

श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए श्री हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा पुरे सप्ताह सुबह 08:00 बजे से लेकर रात को 01:00 बजे तक खुला रहता है।

श्री हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा में  प्रवेश शुल्क – Sri Hemkund Sahib Gurdwara Entry Fee in Hindi 

श्री हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा में श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए किसी भी प्रकार का प्रवेश शुल्क नहीं लिया जाता है।

श्री हेमकुंड साहिब यात्रा दौरान मिलने वाला स्थानीय भोजन – Local food available during Sri Hemkund Sahib Yatra in Hindi 

sri hemkund sahib local food

वैसे तो आपको श्री हेमकुंड साहिब यात्रा के दौरान हर प्रकार का खाना मिल जाएगा लेकिन अगर आप को यात्रा करते समय स्थानीय भोजन करना पसंद है तो आपको उत्तराखंड के स्थानीय भोजन को जरूर चखना चाहिए। श्री हेमकुंड साहिब के पास मिलने वाले उत्तराखंड के स्थानीय भोजन में गढ़वाल का फन्नाह, अर्सा, कंदली का साग, भांग की चटनी, झंगोरा की खीर, सिंगोरी, गुलगुला, फानू, आलू का झोल, कुमौनी रायता और चैन्सू को श्रद्धालुओं और पर्यटकों द्वारा बहुत पसंद किया जाता है।

श्री हेमकुंड साहिब में कहाँ रुके – Hotels in Sri Hemkund Sahib in Hindi

Hotels in Sri hemkund sahib gurudwara | Image Credit – Wikipedia

एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थल होने के वजह से श्री हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा के पास कई होटल्स और धर्मशाला और होमस्टे बने हुए। श्री हेमकुंड साहिब यात्रा के दौरान आप अपने लिए गोविन्दघाट में होटल, धर्मशाला ओर होमस्टे में अपने लिये रूम बुक कर सकते है। इसके अलावा आप ट्रेक करके जब घाघरिया पहुंचते है तो वहाँ पर आपको रुकने के लिये सभी तरह की सुविधाएं मिल जाएगी।

वैसे भी घाघरिया को श्री हेमकुंड साहिब ओर फूलों की घाटी के बेस कैम्प ले तौर पर देखा जाता है इसलिए ज्यादातर यात्री ओर श्रद्धालु घाघरिया में ही रुकना पसंद करते है। इन दोनों ही जगहों पर रूम बुकिंग के लिए आप किसी अच्छी ट्रेवल वेबसाइट के द्वारा अपने लिए रूम बुक करवा सकते है।

इसके अलावा अगर पीक सीजन नहीं है तो आप अपने लिये गोविंदघाट ओर घाघरिया में पहुंच कर भी किसी अच्छी जगह रूम बूक कर सकते है। लेकिन ज्यादा अच्छा यही रहेगा की आप श्री हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा की यात्रा से पहले आप के लिये रूम बूक करवा लें ताकि आपको किसी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़े।

श्री हेमकुंड साहिब के लिए सबसे अच्छा समय – Sri Hemkund Sahib Best Time To Visit In Hindi

Best time for hemkund sahib trek | Image Credit – Wikipedia

श्री हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा तीर्थयात्रियों के दर्शन के लिए साल में सिर्फ 06 महीने ही खुला रहता है। और आप इन 06 महीनों में आप गुरुद्वारा में दर्शन करने के लिये कभी भी आ सकते है। मई महीने में जब यह गुरुद्वारा दर्शनों के लिये खुलता है तो उस समय आपको यहाँ पर बहुत ज्यादा मात्रा में बर्फ देखने को मिल जाएगी तो अगर आपको बर्फ देखना पसंद है तो आप गुरुद्वारा खुलने के बाद यहाँ पर आ सकते है।

लेकिन साल के इस समय यहाँ पर बहुत ज्यादा ठंड भी पड़ती है इसलिए आप ठंड से जुड़े हुए कपड़े और अन्य सामान जरूर साथ मे लेकर आये। इसके बाद मॉनसून के सीजन में भी हेमकुंड साहिब की यात्रा की स्वर्ग की यात्रा से कम नहीं बस आपको इस समय होने वाली बारिश में बहुत ज्यादा सावधानी रखनी पड़ेगी।

और हाल की सालों में उत्तराखंड में भूस्खलन की समस्या बहुत बढ़ गई है इसलिए आप अगर मॉनसून के सीजन में श्री हेमकुंड की यात्रा कर रहे है तो आपको इस समय अतिरिक्त सावधानी की आवश्यकता है।

मॉनसून के बाद सितंबर से लेकर अक्टूबर तक का समय श्री हेमकुंड साहिब के यात्रा का समय सबसे अच्छा माना जाता है क्योंकि मॉनसून के चले जाने के बाद चारों तरफ बहुत ही सुंदर दृश्य दिखाई देते है इसके अलावा अगर आप अक्टूबर महीने में यात्रा कर रहे है तो बहुत ज्यादा संभावना है की आपको बर्फ ओर हरियाली साथ मे देखने को मिल जाये।

श्री हेमकुंड साहिब ट्रेक कॉस्ट – Sri Hemkund Sahib Trek Cost in Hindi 

Sri hemkund sahib trek cost

उत्तराखंड, दिल्ली और चंडीगढ़ जैसे शहरों में बहुत सारी ट्रैकिंग एजेंसीज है जो की श्री हेमकुंड साहिब ट्रेक करवाती है। लगभग सभी ट्रैकिंग एजेंसीज के पास अनुभवी ट्रेक गाइड होते है। श्री हेमकुंड साहिब ट्रेक को पूरा करने में 4-5 दिन का समय लगता है, कुछ एजेंसी श्री हेमकुंड साहिब के साथ फूलों की घाटी ट्रेक भी करवाती है इसलिए आपके ट्रेक की अवधि 01-02 दिन से बढ़ भी सकती है।

लगभग सभी ट्रैकिंग एजेंसी पिकअप पॉइंट से लेकर से श्री हेमकुंड साहिब ट्रेक तक का कॉस्ट चार्ज करते है। लगभग सभी ट्रैकिंग एजेंसीज आपको यात्रा कार्यक्रम के पिकअप एंड ड्राप पॉइंट के बारे में पहले से बता देती है। श्री हेमकुंड साहिब ट्रेक की अनुमानित लागत 6000 रूपए से लेकर 8000 रुपये तक जाती है।

अब यह कॉस्ट इस बात पर निर्भर करती है की आपको ट्रेक के दौरान एजेंसीज क्या-क्या सुविधा उपलब्ध करवाती है। इसलिए आप जब भी किसी ट्रेकिंग एजेंसीज के साथ यह ट्रेक करें तब आप उन लोगों से यात्रा कार्यक्रम के बारे में पूरी जानकारी जरूर ले लेवें। बाकी यह ट्रेक आप खुद से भी कर सकते है।

श्री हेमकुंड साहिब ट्रेक के लिए टिप्स – Sri Hemkund Sahib Of Flowers Trek in Hindi

Sri hemkund sahib trek tips

01 पहचान पत्र

02 मफलर

03 पानी की बोतल ( 3-5 से लीटर )

04 ड्राई फ्रूट्स और पैकेट फ़ूड

05 गरम कपड़े ( स्वेटर / जैकेट / पुल ओवर )

06 पोंचो / रेन कोट ( बारिश के मौसम के लिए )

07 धुप का चश्मा

08 टोर्च / पॉवर बैंक / कैमरा के लिए एक्स्ट्रा बैटरी

09 कैंपिंग का सामान अगर संभव हो। ( चटाई / स्लीपिंग बैग )

10 इलेक्ट्रॉनिक सामान को बारिश से बचाने के वाटरप्रूफ बैग।

11 नींबू और नमक या इलेक्ट्रोलाइट पाउडर/पेय (इलेक्ट्रल/गेटोरेड/ग्लूकॉन डी)

12 ट्रैकिंग शूज / ट्रैकिंग पेंट / क्विक ड्राई टीशर्ट /केप

13 सीटी (आपात स्थित के लिए )

14 प्राथमिक चिकित्सा किट :-  कैंची, सनस्क्रीन (एसपीएफ़ 50+), बैंड एड्स (वाटर प्रूफ), एनाल्जेसिक स्प्रे (रिलीस्प्रे, वोलिनी), एंटीसेप्टिक लिक्विड (सेवलॉन, डेटॉल), एंटीसेप्टिक पाउडर (पोविडोन-आयोडीन आधारित पाउडर जैसे सिप्लाडाइन, सेवलॉन), पट्टी, रुई, क्रेप पट्टी आदि।

15 दवाइयां :- बुखार , सिरदर्द , मोशन सिकनेस , लूज़ मोशन , उल्टी  और एसिडिटी आदि ।

16 श्री हेमकुंड साहिब ट्रेक शुरू करने से पहले मौसम के बारे में जरूर पता करें।

17 अगर आप को पहाड़ों में ट्रैकिंग का अनुभव नहीं है तो अपने साथ स्थानीय गाइड कर सकते है।

18 ट्रेक शुरू करने से पहले आप जिस ट्रैकिंग एजेंसी के साथ यह ट्रेक कर रहे है तो आप सबसे पहले यात्रा कार्यक्रम की जानकारी जरूर लेना ना भूले

19 ट्रेक शुरू करने से पहले श्री हेमकुंड साहिब ट्रेक से जुड़े हुए नियमों के बारे में जानकारी जरूर ले लेवें।

20 मानसून के मौसम में ट्रेक फिसलन भरा हो जाता है इसलिए इस समय थोड़ी अतिरिक्त सावधानी रखें।

( नोट :- किसी भी तरह के दवाई लेने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लेवें। ) 

 

श्री हेमकुंड साहिब कैसे पहुँचे – How To Reach Sri Hemkund Sahib in Hindi

How to reach sri hemkund sahib

हवाई मार्ग से श्री हेमकुंड साहिब कैसे पहुँचे – How To Reach Sri Hemkund Sahib By Air in Hindi

अधिकतम ऊँचाई पर स्थित होने की वजह से श्री हेमकुंड साहिब के लिए कोई सीधी हवाई सेवा उपलब्ध नहीं है। देहरादून का जॉली ग्रांट हवाई अड्डा श्री हेमकुंड साहिब के सबसे नजदीकी हवाई अड्डा है। जॉली ग्रांट हवाई अड्डे से श्री हेमकुंड साहिब के सबसे नजदीकी शहर गोविंदघाट से दूरी मात्र 303 किलोमीटर है। देहरादून से आप बस, कैब, टैक्सी और शेयर्ड टैक्सी की सहायता से गोविंदघाट बड़ी आसानी से पहुंच सकते है।

इसके अलावा दिल्ली के इंदिरा गांधी एयरपोर्ट से भी गोविंदघाट टैक्सी और कैब की सहायता से पहुँच सकते है। दिल्ली के इंदिरा गांधी एयरपोर्ट से गोविंदघाट की दूरी मात्र 528 किलोमीटर है। इसके अलावा गोविंदघाट से घाघरिया के लिए हेलीकॉप्टर सुविधा भी उपलब्ध है। देहरादून का जॉली ग्रांट एयरपोर्ट और दिल्ली का इंदिरा गांधी एयरपोर्ट देश के सभी प्रमुख शहरों द्वारा बहुत अच्छे से जुड़े हुए है।

रेल मार्ग से श्री हेमकुंड साहिब कैसे पहुँचे – How To Reach Sri Hemkund Sahib  By Train in Hindi

ऋषिकेश और हरिद्वार के रेलवे स्टेशन गोविंदघाट के सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन है। ऋषिकेश और हरिद्वार से आप बस, टैक्सी, कैब और शेयर्ड टैक्सी के द्वारा गोविंदघाट बहुत आराम से पहुंच सकते है। ऋषिकेश से गोविंदघाट की दूरी मात्र 266 किलोमीटर है। और वहीं हरिद्वार से गोविंदघाट की दूरी मात्र 288 किलोमीटर है। ऋषिकेश और हरिद्वार रेलवे स्टेशन देश के लगभग सभी प्रमुख रेलवे स्टेशन से बहुत अच्छी तरह से जुड़े हुए है।

सड़क मार्ग से श्री हेमकुंड साहिब कैसे पहुँचे – How To Reach Sri Hemkund Sahib By Road in Hindi

श्री हेमकुंड साहिब के सबसे नजदीकी शहर गोविंदघाट सड़क मार्ग द्वारा उत्तराखंड के कई प्रमुख शहर हरिद्वार, ऋषिकेश, देहरादून और श्रीनगर से बहुत अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। उत्तराखंड की सरकारी बस सेवा और निजी बस सेवा द्वारा आप गोविंदघाट बड़ी आसानी से पहुंच सकते है। इसके अलावा राष्ट्रीय राजमार्ग 58 से आप टैक्सी और कैब के द्वारा बड़ी आसानी से गोविंदघाट पहुँच सकते है। इसके अलावा आप अपने निजी वाहन से भी गोविंदघाट पहुंच सकते है।

(अगर आप मेरे इस आर्टिकल में यहाँ तक पहुंच गए है तो आप से एक छोटा से निवदेन है की नीचे कमेंट बॉक्स में इस लेख से संबंधित आपके सुझाव जरूर साझा करें, और अगर आप को कोई कमी दिखे या कोई गलत जानकारी लगे तो भी जरूर बताए।  में यात्रा से संबंधित जानकारी मेरी इस वेबसाइट पर पोस्ट करता रहता हूँ, अगर मेरे द्वारा दी गई जानकारी आप को पसंद आ रही है तो आप अपने ईमेल से मेरी वेबसाइट को सब्सक्राइब जरूर करे, धन्यवाद )

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