रणथंभौर नेशनल पार्क 2024 | Ranthambore National Park 2024 in Hindi | Ranthambore Tiger Reserve 2024 in Hindi | Ranthambore National Park Complete Travel Guide in Hindi 2024 | Things to do in Ranthambore Tiger Reserve in Hindi 2024 | Timings | Entry Fee | Safari Booking

रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान – Ranthambore National Park in Hindi

Deer in Ranthambore National Park

रणथंभौर दुर्ग का इतिहास हज़ारो साल पुराना है , अपने निर्माण के  बाद से ही रणथंभौर दुर्ग Ranthambore fort इतिहासिक उथल पुथल का हिंस्सा रहा है, इस दुर्ग को महत्वपूर्ण बनता है इसके चारों तरफ फैला हुआ घना जंगल जिसने हमेशा इस किले की बाहर के हमलों से रक्षा की है |आज भी रणथंभौर दुर्ग के चारों तरफ फैला हुआ जंगल अपनी विस्तृत वनस्पति और विशाल वन्यजीवों के आबादी के लिए प्रसिद्ध है |

रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान को अस्तित्व में आये हुए ज्यादा समय नहीं हुआ है| रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान Ranthambore National Park की प्रसिद्धि का अंदाज हम इसी बात से लगा सकते है की आज जिस दुर्ग के ऊपर इस राष्ट्रीय उद्यान का नाम रखा गया है, उसकी बजाय आज इस टाइगर रिज़र्व को देखने ज्यादा पर्यटक आते है |  कभी राजाओ का पसंदीदा शिकारगाह रहा यह राष्ट्रीय उद्यान आज पुरे विश्व के वन्यजीव प्रेमियों के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं है |

विलुप्त होते जा रहे बाघों की जनसँख्या बढ़ाने  लिए यह जगह आज के समय में सबसे सुरक्षित मानी जाती है , नेशनल जियोग्राफी और डिस्कवरी National Geography and Discovery Channel जैसे बड़े बड़े चैनलों ने यहाँ के वन्य जीवन पर सालों तक डॉक्युमंट्री बनाई है | तो चलिए देखते है की ऐसा क्या है इस राष्ट्रीय उद्यान में जो इस इतना प्रसिद्ध और महत्पूर्ण  बनाता है|

रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान का इतिहास – Ranthambore History in Hindi

Leopard in Ranthambore National Park | Ref Img

रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान 282 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है, इसके बफर जोन को मिलाने के बाद यह पार्क 392 वर्ग किलोमीटर तक बड़ा हो जाता है |  एक पहाड़ी क्षेत्र होने की वजह से यह राष्ट्रीय उद्यान समुद्रतल से 200 से 500 मीटर तक ऊँचा है | 1947 में भारत आजाद हुआ और सवाईमाधोपुर का विलय भी भारत में हो गया, 1955 में भारत सरकार द्वारा  इस जगह को सवाईमाधोपुर खेल अभ्यारण Sawaimadhopur game sanctuary बना दिया गया, लेकिन इस समय बाघों का शिकार पुरे देश में  रहा था |

और यह जगह भी बाघों के शिकार से अछूती नहीं थी | लगातार बाघों के बढ़ते शिकार के कारण इस शानदार जानवर के अस्तित्व पर भयंकर संकट आ  गया था|  एक समय तो ऐसा आया जब पुरे देश में बाघों की आबादी 1970 में घट कर सिर्फ 1000 बाघ के आस पास ही रह गई  थी ,  अप्रैल 1973 में बाघों के बचाने के लिए भारत सरकार ने प्रोजेक्ट टाइगर Project Tiger की घोषणा की|

सवाईमाधोपुर में रणथंभौर को  प्रोजेक्ट टाइगर का हिस्सा बना दिया गया , भारत में कुल 50 टाइगर रिज़र्व 50 tiger reserves है | 1973 में रणथंभौर टाइगर रिज़र्व में कुल 37 बाघ बचे थे, लेकिन इतने सालों के अथक प्रयासों के बाद आज इस रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान में कुल 70 बाघ है |  1 नवंबर 1980 को इस टाइगर रिज़र्व को एक राष्ट्रीय उद्यान में बदल गया गया |

रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान का दो भागों में विस्तार किया गया जिसमे 1984 में सवाई मान सिंह अभ्यारण नाम से विस्तार किया गया और दूसरा विस्तार 1991 में केलादेवी अभ्यारण नाम से किया गया|

रणथंभौर नेशनल पार्क का वन्यजीवन – Ranthambore National Park Animals

Monkey in Ranthambore National Park

बंगाल टाइगर Bengal tiger के लिए प्रसिद् यह वन्यजीव अभ्यारण सिर्फ बाघों के लिए ही नही जाना जाता है। इस जंगल में जीव जन्तुओ की एक विस्तृत श्रृंखला देखने को मिलती है, एक वन्यजीव अभ्यारण्य होने के कारण इस क्षेत्र में शिकार पूरी तरह से निषेध है। इसका फायदा यहाँ रहने वाले जीव जन्तुओं को मिला और आज इस वजह से हमें यहाँ बाघ के अलावा और भी कई शानदार जंगली जानवर देखने को मिलते है।

यहाँ पाये जाने वाले अन्य जीव जन्तुओं में मुख्यतया सुस्त भालू, भारतीय तेंदुआ, सांभर, रीसस मकाक, नीलगाय,दक्षिणी मैदानी धूसर लंगूर, जंगली सूअर, धारीदार लकड़बग्घा, मगरमच्छ, चीतल इनके अलावा सरीसृप और कई प्रवासी पक्षियों की प्रजातियां भी पाई जाती है।

रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान में वनस्पतियां – Flora of Ranthambore National Park in Hindi

Ranthambore National Park View From Ranthambore Fort

राजस्थान का अधिंकांश भूभाग या तो रेगिस्तानी है या फिर मैदानी है, बाकी के क्षेत्र में अरावली पर्वतमाला होने के कारण  कुछ क्षेत्र पर्वतीय भी है | राजस्थान में स्थित रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान  मुख्यत पहाड़ी इलाका है लेकिन फिर भी इस क्षेत्र  थार मरुस्थल के  नजदीक होने के कारण सिर्फ मानसून की बारिश पर निर्भर रहना पड़ता  है| पुरे साल यहाँ सिर्फ मानसून की बारिश होती है इसलिए यहाँ पायी जाने वाली अधिकतर वनस्पति शुष्क पर्णपाती  होती है |

इतनी सारी भौगौलिक विषमता होने के बावजूद भी यह राष्ट्रीय उद्यान वनस्पतियो के हिसाब से बहुत समृद्ध है , जिसकी वजह से यहाँ रहने वाले जीव जंतुओं के लिए यहाँ का वातावरण उनके अनुकूल बनता है |  इस पुरे वन क्षेत्र में वन्यजीवों के पानी के लिए जगह जगह प्राकर्तिक रूप से झील,तालाब, झरने, खड़ी पहाड़िया, पठार, संकरी घाटियां  बनी हुई है, इस वजह से यहाँ पुरे साल पानी की कमी नहीं रहती | एक अनुमान के अनुसार इस राष्ट्रीय उद्यान में वनस्पतियों की 300 से भी अधिक प्रजातियां पाई जाती है |

जिसमे  ढोक’ (एनोगाइसस पेंडुला)  नाम का पौधा इस वन क्षेत्र  सबसे अधिक पाया जाता है, इसके अलावा इस वन क्षेत्र में  बरगद,  पीपल,  नीम,  मैंगो,  जामुन,  बेर,  इमली,  बबुल, गुरजन,गम,कदम और कीकर जैसे कई पेड़ पौधों की प्रजातियां पाई जाती है | इन वनस्पतियों में से कई औषधियों गुण से भरपूर है और कई वन्यजीवों के खानपान में काम आती है | जोगी महल के पास स्थित बरगद का पेड़ भारत का दूसरा  बरगद का पेड़ है | रणथंभौर टाइगर रिज़र्व  में तालाब और झीलों में उगने वाले कमल और लिली के  सुन्दर पौधे भी बहुत अधिक मात्रा में पाए जाते है |

रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान के वन्यजीव  – Wildlife of Ranthambore National Park in Hindi


Tiger Hunting Chital In Ranthambore National Park | Click on Image For Credits

रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान को रणथंभौर टाइगर रिज़र्व Ranthambore Tiger Reserve भी कहते है | आज इस राष्ट्रीय उद्यान में बाघों की आबादी 70 के आसपास हो गई है और ये लगातार बढ़ रही है | 1955 में इस जगह को जब एक खेल अभ्यारण घोसित किया गया|

उसके बाद से इस जगह पर्यटक आने बढ़ गए और पार्क के आसपास के गांव की आबादी भी बढ़ने लगी  और इसका विपरीत प्रभाव यहाँ रहने वाले बाघों पर पड़ने लगा | इस जंगल में बाघों का शिकार बढ़ने लगा जिससे यहाँ रहने वाले बाघों की आबादी में बहुत ज्यादा कमी आ गई |

1973 में बाघों को बचाएं के लिए भारत सरकार ने प्रोजेक्ट टाइगर Project Tiger को शुरू किया और शुरुआत में पार्क के लिए 60 मील के 2 क्षेत्र बनाये गए उसके बाद  1980 रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान घोसित कर दिया गया साथ में ही पार्क के क्षेत्र का विस्तार  किया गया |

2005 में की गई गणना के अनुसार बाघों संख्या सिर्फ 26 रह गई थी जो की 1982 में की गई बाघों के गणना के अनुपात में बहुत कम थी उस समय बाघों की आबादी 44 थी | एक अनुमान के अनुसार इस 2008 में इस पार्क में बाघों के संख्या 34 थी जिनमे 14 से ज्यादा बाघ के शावक थे |

पार्क में अवैध शिकार रोकने के लिए वन विभाग के कर्मचारियों और अधिकारीयों द्वारा  बहुत मेहनत की जा रही थी | इनके द्वारा नेशनल पार्क में रहने वाले ग्रामीण क्षेत्रो के निवासिओं से दूसरी जगह जा कर रहने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा था साथ में ही वन क्षेत्र में निगरानी के कैमरे भी लगाए गए जिससे शिकारियों पर नज़र राखी जा सके |

कुछ समय के बाद वन विभाग द्वारा किये जा रहे प्रयासों के असर दिखाई देने लग गए  बाघों के संख्या में बढ़ोतरी होने लगी थी |  प्रोजेक्ट  टाइगर के लिए भारत सरकार ने कुल US $ 153 मिलियन की धन राशि का बजट बनाया | रणथंभौर वन विभाग को एक बड़ी सफलता उस समय मिली जब उन्हें सरिस्का टाइगर रिज़र्व प्रोग्राम Sariska Tiger Reserve Program के लिए चुना गया |

विंग कमांडर विमल राज ने 28 जून 2008 को Mi-17 हेलीकाप्टर की मदद से पहला बाघ( दारा ) रणथंभौर से सरिस्का एयरलिफ्ट किया था | लेकिन दुर्घटनावश 15 नवंबर 2010 में ज़हर खाने से इस नर बाघ की मृत्यु हो गई|

रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान प्रसिद्ध होने के पीछे यहाँ के बाघों का बड़ा योगदान है| चलिए आप को इस राष्ट्रीय उद्यान की सबसे की प्रसिद्ध बाघिन मछली(टी-16) Machli(T-16) के बारे में थोड़ी सी जानकारी देता हूँ | मछली (टी-16 ) का जन्म 1997 में मानसून के महीने में हुआ, इस बाघिन के बाएं कान पर मछली के आकर का निशान बना हुआ था जिसके कारण इसका नाम मछली रखा गया।

मछली ने 2 वर्ष की उम्र में शिकार करना शुरू कर दिया था, और जल्द ही उसने अपनी माँ के अधिकार क्षेत्र पर कब्जा कर लिया। कुछ समय के बाद ही मछली ने रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान के अधिकांश क्षेत्र पर अधिकार कर लिया था। उसके अधिकार क्षेत्र में रणथंभौर महल, झीलें, तालाब और लगभग पूरा जंगल उसके अधिकार क्षेत्र में आता था। कहा जाता है की 350 वर्ग मील का जंगल मछली के कब्जे में था।

मछली के नाम कुछ विश्व रिकॉर्ड भी है जैसे एक बाघ औसतन 7-8 साल तक ही किसी क्षेत्र पर कब्जा रख पाता है लेकिन मछली दुनिया की एकलौती ऐसी बाघिन थी जिसने 10-15 साल तक रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान के जंगलो पर राज किया। एक बाघ की औसत आयु 16-17 साल होती है लेकिन 18 अगस्त 2016 को मछली की जब मृत्यु हुई तब वह 20 साल की सबसे वृद्ध बाघिन थी।

मछली के बहुत सारे उपनाम भी रखे गए जैसे “द लेडी ऑफ द लेक” “The Lady of the Lake” और “क्रोकोडाइल किलर” “Crocodile Killer” । बड़े बड़े वाइल्ड लाइफ चैनल ने इस बाघिन पर डॉक्यूमेंट्री बनाई है, मछली दुनिया की सबसे ज्यादा फोटोग्राफ खिंचवाने वाली बाघिन के रूप में भी मशहूर है। 1998 से 2009 के बीच में भारत सरकार ने मछली के मदद से US $100 मिलयन रुपए कमाए थे , भारत सरकार ने मछली को पर्यटन और जंगल के संरक्षण में दिए गए योगदान के लिए “लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड” “Lifetime Achievement Award” से भी सम्मानित किया, और साथ में ही इस बाघिन के सम्मान में भारत सरकार ने एक स्मारक डाक कवर और डाक टिकट भी जारी की थी।

मछली(टी-16) के अलावा के और भी शानदार बाघों ने इस राष्ट्रीय उद्यान में अपनी पहचान बनाई है –  उस्ताद(टी-24), सुंदरी(टी-17), डॉलर(टी-25), झुमरू(टी-20), सितारा(टी-28), माला(टी-39), जगली(टी-41), बीना वन और बीना टू ।

रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान घूमने की जगह – Places to visit in Ranthambore National Park in Hindi

रणथंभौर नेशनल पार्क सफारी – Ranthambore National Park Safari in Hindi


Ranthambore Safari | Click on Image For Credits

यहाँ आने वाले पर्यटकों के लिए सबसे महत्वपूर्ण होता है की उन्हें इस पार्क में होने वाली जंगल सफारी कौन से जोन में की जाये| जिससे की बाघ दिखने की संभावना बढ़ जाये, रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान दो भागो में बंटा हुआ है कोर एरिया और बफर एरिया | इन दोनों एरिया को भी 10 जोन में बांटा गया है|

जिसमे से जोन 1 से 5 कोर एरिया में आते है और जोन 6 से 10 बफर एरिया में आते है| कोर एरिया के चारों तरफ फैलै हुआ बफर एरिया में बाघ दिखने की संभावना काफी काम रहती है लेकिन जोन 6 में प्राकर्तिक सुंदरता देखने को मिल सकती है |

हालाँकि इन वर्षो में बाघ के संख्या में बढ़ोतरी हुई है जिसके वजह से थोड़े समय के बाद यहाँ बाघ आराम से देखने को मिल सकते है | रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान में जंगल सफारी से सम्बंधित सारी जानकारी में आप को एक अलग ब्लॉग में दे दूंगा |

काचिदा घाटी रणथंभौर नेशनल पार्क – Kachida Valley Ranthambore National Park In Hindi


Kachida Vally in Ranthambore National Park | Click on Image For Credits

छोटी छोटी पहाड़ियों के बीच में स्थिति काचिदा घाटी इस पार्क के बाहरी इलाके में स्थित है, यहाँ तक पहुंचने के लिए आप को जीप सफारी की मदद से आना पड़ेगा । रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान का यह क्षेत्र चारों तरफ हरियाली से भरा हुआ है, इस क्षेत्र में आप को बाघ के अलावा पैंथर और भालू भी देखने को मिलते है ।

इस जंगल के बड़े जानवरों के लिए यह घाटी शिकार की पसन्दीदा जगहों में से एक है। अगर आप की किस्मत अच्छी तो यहाँ पर आप को बाघ और पैंथर के बीच में टकराव भी देखने को मिल सकता है। हालांकि इस क्षेत्र में पैंथर की आबादी ज्यादा है फिर भी इस इलाके पर कब्जा बाघ का ही रहता है।

हॉट एयर बैलूनिंग रणथंभौर नेशनल पार्क –  Hot Air Ballooning Ranthambore National Park

Hot air balloon in Ranthambore National Park

यह रोमांचक गतिविधि पूरी तरह से निजी संस्थान द्वारा चली जाती है , पर्यटकों के लिए रणथंभौर टाइगर रिज़र्व को देखने के लिए यह एक अच्छा विकल्प हो सकता है। यह एक घंटे की हॉट एयर बैलून की यात्रा आप के लिए यादगार हो सकती है|

आसमान से इस राष्ट्रीय  उद्यान की सुंदरता और वन्य जीवन को देखना एक अलग ही अनुभव हो सकता है|

आप आसमान में ऊपर उड़ रहे है और नीचे हिरण या चीतल का झुंड अगर आप को दौड़ लगाते हुए दिखे तो यह पल आप अपने कैमरे में जरूर क़ैद करना चाहेंगे । वन्यजीवन की गतिविधियों को देखने के लिए दूरबीन जरूर साथ में लेकर जाएं ।

लकरदा और अनंतपुरा रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान – Lakarda and Anantpura Ranthambore National Park in Hindi


Lakarda and Anantpura in Ranthambore National Park | Click on Image For Credits

लकरदा और अनंतपुरा इस उद्यान के  उत्तर पश्चिमी भाग में स्थित है | इस जगह पर चींटी के टीले पाए जाते है, और चींटी भालू का पसंदीदा भोजन होता है इस वजह से यहाँ पर सुस्ती भालू दिखने के संभावना काफी ज्यादा रहती है | इस जगह पर आप को धारीदार भारतीय लकड़बग्घा के पैर के निशान दिख सकते है|

साथ ही अगर आप की किस्मत अच्छी हुई तो आप को  यह शानदार निशाचर जीव दिखने की भी संभावना है | हालाँकि की इस जंगल में धारीदार लकड़बग्गा की संख्या बहुत कम है, लकड़बग्गा एक निशाचर जीव होता है, एक यह वजह भी इसके यहाँ पर कम दिखाई देने के लेकिन इस जीव के पैरों के चिन्ह आप को इस पुरे क्षेत्र में देखने को मिलेंगे |

इस क्षेत्र में कई दुर्लभ प्रजातियों के साथ आप को साही और बन्दर देखने को मिल सकते है |

रणथंभौर स्कूल ऑफ आर्ट – Ranthambore School of Art in Hindi

एक कला प्रेमी को इस जगह पर जरूर जाना चाहिए। रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान के पास स्थित रणथंभौर स्कूल ऑफ आर्ट में,  छात्र यहां आकर पेंटिंग बनाया करते है। रणथंभौर स्कूल ऑफ आर्ट के निर्माण के पीछे मुख्य वजह स्थानीय निवासियों और यहाँ आने वाले पर्यटकों को वन्यजीवन और लुप्त होते वन्यजीवों के प्रति जागरूक करना है।

रणथंभौर स्कूल ऑफ आर्ट के छात्र मुख्यतया टाइगर की पेंटिंग बनाते है ताकि लोगो को इस शानदार जीव के लिए जागरूक किया जा सके, यहाँ पेंटिंग बनाने वाले छात्र स्थानीय छात्रों को भी पेंटिंग सिखाते है। यहाँ आने वाले कला प्रेमी और पर्यटक वन्यजीव संरक्षण के लिए छात्रों द्वारा बनाई गई पेंटिंग खरीद कर सहयोग कर सकते है।

वन्यजीव सरंक्षण के लिए यहाँ आने वाले हर एक पर्यटक या फिर कला प्रेमी को एक बार इस जगह पर जरूर जाना चाहिये और वन्यजीवों के संरक्षण के लिए योगदान करना चाहिए ऐसा करके आप लोग इन शानदार वन्यजीवों को एक नया जीवन देने में सहायता करते है।

मलिक तलाव रणथंभौर नेशनल पार्क – Malik Talao Ranthambore National Park in Hindi

Bird near Malik Talao in Ranthambore National Park

रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान में स्थित यह झील यहाँ स्थित सभी झीलों में सबसे छोटी है, लेकिन सबसे खूबसूरत झील भी यही मालिक झील है। स्थानीय लोग इसे मलिक  तलाव के नाम से भी जानते है। रणथंभौर में पक्षियों की सबसे पसन्दीदा जगहों में से एक इस झील को मार्श मगरमच्छों का निवास स्थान भी कहा जाता है।

पूरे साल यहाँ पर प्रवासी पक्षियों का आना जाना लगा रहता है। साथ में यहां पर आप किंग फिशर पक्षी को छोटी मछलियों का शिकार करते हुए देख सकते है। बर्ड वॉचर्स के लिए यह जगह किसी स्वर्ग से कम नही है।

राजीव गांधी क्षेत्रीय संग्रहालय रणथंभौर नेशनल पार्क- Rajiv Gandhi Regional Museum Of Natural History Ranthambore Tiger Reserve in Hindi


Rajiv Gandhi Regional Museum Of Natural History Sawai Madhopur | Click on Image For Credits

यहाँ आने वाले हर पर्यटक को इस जगह जाने के लिए थोड़ा समय जरूर निकलना चाहिये। इस संग्रहालय में आप को इस देश के विस्तृत प्राकर्तिक जीवन की जानकरी मिलती है, ऐसे सिर्फ चार संग्रहालय ही भारत में है । इस संग्रहालय में आप को  पश्चिमी भारत के वन्यजीवन, वनस्पति और इस क्षेत्र में उपलब्ध प्राकर्तिक संसाधन और यहां के भूविज्ञान के बारे में विस्तृत रूप से बताया गया है|

इस संग्रहालय में आप एक पुस्तकालय भी मिलता है जिसमें राजस्थान और देश के अन्य भागों की प्राकर्तिक, जैविक और भौगोलिक स्थिति से संबंधित पुस्तकें मिल जाएगी। यह संग्रहालय है रणथंभौर के पास रामपुरा गांव में स्थित है। इसकी उद्यान से दूरी मात्र 3.5 किलोमीटर है। यह संग्रहालय सुबह 10 बजे खुलता है और शाम को 5 बजे बंद  होता है, और सोमवार को बंद रहता है।

राजबाग तलाव रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान – Rajabagh Talao Ranthambore Tiger Reserve in Hindi


Rajbag Talao in Ranthambore National Park | Click on Image For Credits

मैंने मेरे पिछले ब्लॉग में आप को राजबाग खंडहर के बारे में बताया था यह तलाव इन्ही खण्डहरों के पास स्थित है । इस तलाव के आसपास हमेशा जानवर और पक्षी झुंड में पानी पीने आते है, साथ में ही आप को यहाँ प्रवासी पक्षियों और सांभर हिरण जैसे वन्यजीवों को देखने का मौका मिल सकता है।

सांभर हिरण और पक्षियों के कुछ दृश्य तो ऐसे होते होते है जिसमें पक्षी, सांभर हिरण की सवारी करता रहता है। इस तलाव के आसपास वन्यजीवों की ज्यादा संख्या होने के कारण इस जगह टाइगर दिखने की संभावना बहुत ज्यादा बढ़ जाती है अक्सर राजबाग के खण्डहरों में टाइगर को बैठे हुए देखना यहाँ आम बात है।

बकुला रणथंभौर नेशनल पार्क – Bakula Ranthambore National Park in Hindi

Deer Drinking Water in Bakula Area

बकुला रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान में स्थित सबसे घने जंगल वाला स्थान है, बकुला के घने जंगल में स्थित हरे भरे पेड़ और वनस्पति एक अलग ही जगह पर आने का एहसास करवाती है। घने जंगल वाला स्थान होने की वजह से यहाँ पर पानी के प्राकृतिक रूप से छोटे छोटे वाटर होल बने हुए है इसलिए यहाँ पूरे साल पानी की कमी नही रहती है ।

गर्मी के मौसम में गर्मी से बचने के लिए इस जगह पर अधिकतम वन्यजीव जंगल के इस भाग की तरफ आ जाते है। बाघ के प्रजनन के लिए भी यह स्थान इस पूरे जंगल में सबसे उपयुक्त है, अगर आप की किस्मत अच्छी है तो आप इस घने जंगल में बाघ को शावकों के साथ खेलता हुए देख सकते है।

सूरवाल झील रणथंभौर नेशनल पार्क – Surwal Lake Ranthambore Tiger Reserve in Hindi


The Aravali Range during Mansoon Season in Ranthambore National Park | Click on Image For Credits

रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान की सबसे सुंदर जगहों में से एक सूरवाल झील एक मौसमी झील है, उथले पानी की यह झील गर्मियों में सुख जाती है। रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान से इस झील की दूरी 25 किलोमीटर है। आप को बारिश के मौसम के बाद इस झील को देखने जाना चाहिए, मानसून की बारिश के बाद यहाँ इस झील के आसपास प्रवासी पक्षियों की संख्या बढ़ जाती है।

सर्दियों के मौसम में यहाँ प्रवासी पक्षियों के लिए यह झील किसी घर से कम नही है। नवंबर के महीने में यहाँ का सूर्योदय एक अलग ही एहसास देता है। बारिश के बाद यहाँ पर आने वाले पर्यटकों को कान्य क्रेन, पेलिकन, कलहंस, राजहंस, ग्रय्लग जैसे खूबसूरत प्रवासी पक्षी की प्रजाति देखने को मिलती है।

रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान में होटल – Hotel in Ranthambore National Park in Hindi

Hotel in Ranthambore National Park | Ref img

सवाई माधोपुर से रणथंभौर की दुरी मात्र 11 किलोमीटर है, एक बड़ा शहर होने के कारण यहाँ पर आप के रुकने और ठहरने के लिए बहुत सारे विकल्प उपलब्ध रहते है | बहुत सारी होटल बुकिंग वेबसाइट hotel booking websites इंटरनेट पर मिल जाएगी जिन पर आप यहाँ के लिए आसानी से होटल बुक करवा सकते है |

अगर आप के समय रहता है तो आप सवाई माधोपुर पहुँच कर खुद भी होटल या धर्मशाला में रुकने की व्यस्था कर सकते है | अगर आप सप्ताहन्त पर आना पसंद करते है तो रणथंभौर के आसपास के गांव में काफी अच्छे रिसोर्ट बने हुए है, हालाँकि ये थोड़े महंगे हो सकते है लेकिन अपने परिवार, प्रियजन या फिर दोस्तों के साथ अच्छा समय बिताने के लिए आप के लिए एक बहुत अच्छा विक्लप हो सकता है |

रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान घूमने का सबसे अच्छा समय – Best time to visit Ranthambore National Park in Hindi

Chital drinking water in Ranthambore National Park

रणथंभौर दुर्ग वैसे तो पुरे साल खुला रहता है लेकिन अगर आप सिर्फ किला देखने के लिए आ रहे है तो गर्मियों के मौसम के अलावा आप कभी भी यहाँ पर आ सकते है।

लेकिन अगर आप रणथंभौर टाइगर रिज़र्व Ranthambore Tiger Reserve भी देखें आ रहे है तो आप को यह ध्यान रखना पड़ेगा की मानसून के मौसम रणथंभौर वन्यजीव Ranthambore Wildlife Sanctuary अभ्यारण बंद रहता है उसके बाद अक्टूबर से लेकर जून तक खुला रहता ही। सर्दियों के मौसम में जंगली जानवर या बाघ देखने की संभावना काम हो जाती है।

इसलिए अगर आप मार्च के बाद रणथंभौर टाइगर रिज़र्व Ranthambore Tiger Reserve आते है तो यहाँ बाघ दिखने की संभावना काफी बढ़ जाती है।

रणथंभौर दुर्ग कैसे पहुंचे | How to Reach Ranthambore in Hindi

हवाई मार्ग से रणथंभौर दुर्ग कैसे पहुंचे | How to Reach Ranthambore By Air in Hindi

रणथंभौर दुर्ग के सबसे नजदीकी हवाई अड्डा जयपुर हवाई अड्डा है , जयपुर से रणथंभौर की दुरी मात्र 180 किलोमीटर है , जयपुर से आप को रणथंभौर के टैक्सी या बस आराम से मिल जाएगी।

रेल मार्ग से रणथंभौर दुर्ग कैसे पहुंचे | How to Reach Ranthambore By Rail

रणथंभौर दुर्ग के सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन सवाईमाधोपुर है जिसकी दुरी रणथंभौर से मात्र 11 किलोमीटर है। सवाई माधोपुर रेलवे स्टेशन पुरे भारत से बहुत अच्छी तरह जुड़ा हुआ है | सवाई माधोपुर से रणथंभौर के लिए आप को टैक्सी सर्विस भी मिल जाएगी।

सड़क मार्ग से रणथंभौर दुर्ग कैसे पहुंचे | How to Reach Ranthambore By Road

रणथंभौर दुर्ग आने के लिए आपको पहले सवाई माधोपुर आना पड़ेगा , और सवाई माधोपुर के एक जिला मुख्यालय होने की वजह से यह शहर देश के प्रमुख राजमार्गों से जुड़ा हुआ है।

जयपुर और कोटा से आप को सवाईमाधोपुर के लिए हर समय बस और टैक्सी के विकल्प मिल जायेंगे। सवाई माधोपुर पहुंचने के बाद आप टैक्सी या स्थानीय बस सर्विस से रणथंभौर दुर्ग पहुँच सकते है।

रणथम्भौर दुर्ग के आसपास घूमने की जगह | Places to visit Near Ranthambore fort

रणथम्भौर नेशनल पार्क , जयपुर, कोटा, केवलादेव घना पक्षी विहार, सरिस्का टाइगर रिज़र्व, इसके अलावा उत्तर प्रदेश भी एक नजदीकी राज्य है यहां पर मथुरा, वृन्दावन और आगरा भी घूमने जा सकते है |

(अगर आप मेरे इस आर्टिकल में यहाँ तक पहुंच गए है तो आप से एक छोटा से निवदेन है की नीचे कमेंट बॉक्स में इस लेख से संबंधित आपके सुझाव जरूर साझा करें, और अगर आप को कोई कमी दिखे या कोई गलत जानकारी लगे तो भी जरूर बताए। में यात्रा से संबंधित जानकारी मेरी इस वेबसाइट पर पोस्ट करता रहता हूँ, अगर मेरे द्वारा दी गई जानकारी आप को पसंद आ रही है तो आप अपने ईमेल से मेरी वेबसाइट को सब्सक्राइब जरूर करे, धन्यवाद )

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