धनोल्टी के प्रसिद्ध पर्यटक स्थल 2024 | Dhanaulti in Hindi 2024 | Best Places To Visit In Dhanaulti In Hindi 2024 | Dhanaulti Hill Station Travel Guide | Things to do in Dhanaulti | Dhanaulti Toutist Places in Hindi | Uttrakhand Tourism

धनोल्टी का इतिहास – History of Dhanaulti in Hindi

A View From Dhanaulti

एक छोटी सी सड़क और उसके दोनों तरफ छोटे-छोटे घर और कुछ होटल जिसमे कुछ सरकारी है और कुछ निजी होटल है कोई बाज़ार नहीं छोटी-छोटी दुकानें जहाँ पर आपकी जरूरत का सामान मिल जाता है बस इतना सा ही है धनोल्टीजब में धनोल्टी पहली बार गया उसके पहले मैंने ये नाम कभी नहीं सुना था ।

अब कहानी कुछ ऐसे है की यहाँ के राजा थे सुदर्शन शाह इन्होंने अपने राजवंश की यहां पर स्थापना की और टिहरी को अपनी राजधानी बनाया और इस क्षेत्र में वर्ष 1815 से 1949 तक उनके वंश के अन्य राजाओं ने शासन किया । भारत की स्वंतंत्रता से पहले धनोल्टी टिहरी गढ़वाल क्षेत्र का ही हिस्सा था । भारत की स्वतंत्रता में इस क्षेत्र के स्थानीय लोगो ने बड़े ही सक्रिय रूप से भाग लिया था साथ ही भारत छोड़ो आंदोलन में भी यहाँ के स्थानीय निवासियों की सक्रिय भूमिका रही है ।

स्वतंत्रता के बाद यहां के निवासियों ने महाराजा के विरुद्ध भी आंदोलन कर दिया और स्वतंत्र रूप से टिहरी का विलय उत्तरप्रदेश राज्य में हो गया । वर्ष 2000 तक उत्तरप्रदेश भारत का सबसे बड़ा राज्य थालेकिन इसी समय उत्तरप्रदेश का विभाजन किया गया और निर्माण हुआ उत्तराखंड राज्य का और इस विभाजन के बाद टिहरी गढ़वाल का विलय भी उत्तराखंड में हो गया और साथ में धनोल्टी भी उत्तराखंड में शामिल हो गया ।

धनोल्टी की ऊंचाई – Height of Dhanaulti in Hindi

Eco-park In Dhanaulti

आप जब गूगल पर धनोल्टी की समुद्रतल से ऊँचाई देखोगे तो आप को पता चलेगा की इसकी ऊँचाई मनाली से भी ज्यादा है । मज़ेदार बात तो ये है की यहां घरों या होटल के कमरे में पंखा नहीं लगाते है क्यूँ की यहाँ पूरे साल गर्मी नहीं पड़ती । वर्ष 2000 में उत्तरप्रदेश से अलग होकर एक राज्य बना उत्तराखंड और उसके के गढ़वाल जिले में स्थित समुद्र तल से 2286 मीटर (7,500 फीट) की उंचाई पर धनौल्टी नाम का एक बेहद सुन्दर हिल स्टेशन है।

अपने शांतसुकून और घने देवदार के वृक्ष और ऊंचे ऊंचे पहाड़ ये सब देखने के लिए यहाँ लोग आना पसंद करते है । पहाड़ो की रानी मसूरी से इसकी दूरी 24 किमी (15 मील) की दूरी पर और खूबसूरत चंबा से 29 किमी (18 मील) की दूरी पर स्थित है। इस क्षेत्र की वनस्पतियों में मुख्यतया देवदारओकशंकुधारी और रोडोडेंड्रॉन जैसे पेड़ होते हैं।

साथ ही हिमालय के प्रमुख नंदा देवी की पर्वत चोटियाँबन्दरपूँछगंगोत्रीयमुनोत्री और स्वर्गारोहिणी जैसे पर्वत धनोल्टी से दिखाई देते हैं। धनोल्टी कोई बहुत बड़ा शहर नहीं है वास्तव में ये सिर्फ एक छोटा गांव है जो 6.5 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। यहाँ से आप को दून वैली के सुन्दर और मन लुभावने दृश्य देखने को मिलते है।

धनोल्टी के प्रसिद्ध पर्यटक स्थल – Places to Visit in Dhanaulti in Hindi

में धनोल्टी के लिए कहूँगा की ये एक छुपा हुआ ख़जाना हैजब से हमारे देश में इंटरनेट का चलन बढ़ा है उसके बाद से धनोल्टी जैसे बहुत सारे छोटे छोटे पर्यटन स्थलों को पहचान मिलने लगी है उसके साथ ही राज्य सरकार का भी इसमें महत्वपुर्ण योगदान है ।

इको-पार्क धनौल्टी – Eco-Park Places to visit in Dhanaulti in Hindi


Eco-park In Dhanaulti | Click on Image For Credits

धनोल्टी में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए वन विभाग द्वारा दो  इको पार्क का निर्माण किया गया है “एम्बर” और “धरा” जिनकी एक दूसरे से दूरी लगभग 200 मीटर है। इस पार्क में देवदार और पाइंस वृक्षो के जंगल है साथ ही समृद्ध विविधता वाले पशु और पक्षी प्रजातियां पाई जाती हैं।

साफ साफ कहूँ तो धनोल्टी प्रकृति प्रेमियों को स्वर्ग में होने का एहसास करवाती है और इको पार्क से सूर्यास्त और सूर्योदय के समय शानदार नजारे देखने को मिलते हैं जो आपकी यात्रा को बेहद यादगार बना देंगे। देवदार और ओक के पेड़ों के साथ 13 हेक्टेयर के क्षेत्र में फैला इको पार्क धनोल्टी के सबसे अधिक देखी जाने वाली जगहों में से एक है।

इन इको पार्क के निर्माण के पीछे एक मुख्य कारण स्थानीय लोगो को रोजगार के अवसर प्रदान करना है,  बता दें कि इस पार्क का निर्माण डीएफओ और धनोल्टी के नागरिकों द्वारा गरीबी को कम करने और रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए विकसित किया गया है। यह खूबसूरत पार्क समुद्र तल से 7800 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है जहां पूरे साल सुखद मौसम रहता है।

इको पार्क में व्यवस्था काफी अच्छी है और यहां पर बच्चों के खेलने के लिए एक अलग मैदान भी हैं। इस पार्क में स्मृति पौधा रोपण के रूप में जानी जाने वाली परंपरा का पालन किया जाता है। जिसके अंतर्गत लोग अपने प्रियजनों की याद में पौधा लगाते हैं।

 

इको-पार्क धनौल्टी में प्रवेश का समय – Eco-Park Dhanaulti Timings in Hindi

दिन के किसी भी समय।

इको-पार्क धनौल्टी में प्रवेश शुल्क – Eco-Park Dhanaulti Entry Fee in Hindi

वयस्क के लिए प्रवेश शुल्क – 15/-

बच्चों  के लिए प्रवेश शुल्क  – 10/-

इको हट्स धनौल्टी – Eco-Huts Dhanaulti in Hindi

पर्यटन को बढ़ावा 02 देने के लिये यहाँ पर मसूरी वन विभाग द्वारा बनाये गए इको हट्स भी हैं जहाँ पर्यटक रुक सकते हैं साथ में ही यहाँ पर आप रात में कैम्प फायर का आनंद ले सकते है ।

आलू के खेत धनौल्टी – Dhanaulti Potato farm Dhanaulti in Hindi

Potato Farm in Dhanaulti

धनौल्टी में पर्यटक यहाँ पर बने आलू के खेत के देखने आते हैउत्तराखंड सरकार इन आलू के खेतो में भारी मात्रा में आलू का उत्पादन करती हैजिनको भारत के अन्य राज्यों में निर्यात किया  जाता है।इन आलू के खेतो में देवदार वृक्षों वाले छोटे छोटे जंगल बने हुए है ।

यह खेत उत्तराखंड सरकार की हैधनौल्टी के मुख्य मार्केट के पास ही आलू के खेत हैं। सनराइज पॉइंट के नाम से मशहूर यह जगह दून वैली का अति सुन्दर नज़ारा पेश करती है। यहाँ पर पर्यटक भाड़े का घोड़ा लेकर घूम सकते हैं।

सुरकंडा देवी मन्दिर धनौल्टी – Surkanda Devi Temple Places to visit in Dhanaulti


Surkanda Devi temple in Dhanaulti | Click on Image For Source

धनोल्टी से 8 किमी (5.0 मील)चंबा की ओर जाने वाली सड़क पर सुरकंडा देवी मंदिर हैजो शरद ऋतु में गंगा दशहरा मेले के लिए प्रसिद्ध हैएक पौराणिक कथा के अनुसार एक बार देवी सती के पिता राजा दक्ष ने भव्य यज्ञ का आयोजन कियाजिसमे उन्होंने भगवान शंकर को छोड सभी देवी देवताओं को आमंत्रित किया था देवी सती की मां के अलावा किसी ने भी वहां सती का स्वागत नहीं किया । यज्ञ मंडप में भगवान शंकर को छोड़कर सभी देवताओं का स्थान था ।

देवी सती ने अपने पिता जी राजा दक्ष से भगवान शंकर का स्थान न होने का कारण पूछा तो राजा दक्ष ने उनके बारे में अपमानजनक शब्द सुना डाले । जिस पर गुस्से में देवी सती यज्ञ कुंड में कूद गईं । सती के भस्म होने का समाचार पाकर भगवान शिव वहां आए और राजा दक्ष का सिर काट दिया। भगवान शिव शोक करते हुए सती का जला शरीर कंधे पर रख कर तांडव करने लगे । उस समय प्रलय जैसी स्थिति आ गई । सभी देवता शिव को शांत करने के लिए भगवान विष्णु से आग्रह करने लगे ।

इसी दौरान भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर को 51 भागों में विभाजित कर दिया था इसलिए जहां-जहां सती के अंग गिरे वे स्थान शक्तिपीठ कहलाए और इस स्थान पर देवी सती का सिर गिरा इसलिए यह स्‍थान ” सुरकंडा” कहलाया और पौराणिक समय में इस स्थान पर मंदिर का निर्माण होने के कारण इस मंदिर का नाम सुरकंडा देवी मंदिर” रखा गया । पौराणिक मान्यता है कि देवताओं को हराकर राक्षसों ने स्वर्ग पर कब्जा कर लिया था ।

ऐसे में देवताओं ने माता सुरकंडा देवी के मंदिर में जाकर प्रार्थना की कि उन्हें उनका राज्य मिल जाए । उनकी मनोकामना पूरी हुई और देवताओं ने राक्षसों को युद्घ में हराकर स्वर्ग पर अपना आधिपत्य स्‍थापित किया।यह मंदिर देवी दुर्गा को समर्पित है जो कि नौ देवी के रूपों में से एक है । सुरकंडा देवी मंदिर 51 शक्ति पीठ में से है । सुरकंडा देवी मंदिर में देवी काली की प्रतिमा स्थापित है । सुरकंडा देवी के मंदिर का उल्लेख केदारखंड और स्कन्दपुराण में भी मिलता है 

सुरकंडा देवी मंदिर ठीक पहाड़ की चोटी पर है सुरकंडा देवी मंदिर घने जंगलों से घिरा हुआ है और इस स्थान से उत्तर दिशा में हिमालय का सुन्दर दृश्यदिखाई देता है। मंदिर परिसर से सामने बद्रीनाथकेदारनाथगंगोत्री और यमनोत्री अर्थात चारों धामों की पहाड़ियां नजर आती हैं । यह एक ऐसा नजारा है जो कि दुर्लभ है मां सुरकंडा देवी को समर्पित मंदिर के अतिरिक्त भगवान शिव एवं हनुमान को समर्पित मंदिर की स्थापना भी इसी मंदिर परिसर में हुई है ।

चंबा प्रखंड का जड़धारगांव सुरकंडा देवी का मायका माना जाता है । यहां के लोग विभिन्न अवसरों पर देवी की आराधना करते हैं। मंदिर की समस्त व्यवस्थावही करते हैं। सभी सिध्पीठो में से देवी सुरकंडा का महातम्य सबसे अलग है । देवी सुरकंडा सभी कष्टों व दुखों को हरने वाली हैं । नवरात्रि व गंगा दशहरे के अवसर पर देवी के दर्शन से मनोकामना पूर्ण होती है । यही कारण है कि सुरकंडा मंदिर में प्रतिवर्ष गंगा दशहरे के मौके पर विशाल मेला लगता है ।

सुरकंडा देवी मंदिर की एक खास विशेषता यह बताई जाती है कि भक्तो को प्रसाद के रूप में दी जाने वाली रौंसली(वानस्पतिक नाम टेक्सस बकाटा) की पत्तियां औषधीय गुणों भी भरपूर होती हैं । धार्मिक मान्यता के अनुसार इन पत्तियों से घर में सुख समृधि आती है । क्षेत्र में इसे देववृक्ष का दर्जा हासिल है । इसीलिए इस पेड़ की लकड़ी को इमारती या दूसरे व्यावसायिक उपयोग में नहीं लायाजाता।

चंबा- मसूरी रोड पर कद्दूखाल कस्बे से डेढ़ किमी पैदल चढ़ाई चढ़ कर सुरकंडा माता मंदिर पहुंचा जाता है । सुरकंडा देवी मंदिर समुद्रतल से करीब तीन हजार मीटर की ऊंचाई पर बना है ।

सुरकंडा देवी मन्दिर धनौल्टी में दर्शन का समय – Surkanda Devi Temple Dhanulti Timings in Hindi

सुबह 09:00 बजे से लेकर शाम को 05:00 बजे तक।

सुरकंडा देवी मन्दिर धनौल्टी में प्रवेश शुल्क – Surkanda Devi Temple Dhanaulti Entry Fee in Hindi

प्रवेश निःशुल्क।

एडवेंचर स्पोर्ट्स और ट्रैकिंग धनौल्टी – Adventure sports and trekking – Dhanaulti in Hindi

A view from Dhanaulti

आप जब भी धनोल्टी घूमने के लिए आये और आप को रोमांच पसंद है तो आप को धनोल्टी एडवेंचर पार्क जाना चाहिए ये एक ऐसा स्थान है जहाँ आपको वैली क्रॉसिंगजिप स्विंगस्काई वॉकस्काई ब्रिजजिप लाइनट्रेकिंगपैराग्लाइडिंगगुफा एक्सप्लोरेशन रॉक क्लाइम्बिंग और रैपलिंग जैसे रोमांचक खेलों अनुभव होता है। पहाड़ी के बीच स्थित यह पार्क बर्फ से ढके पहाड़ों और शानदार दृश्य के साथ आपकी यात्रा को रोमांच से भर देगा।

धनोल्टी से लगभग 14 किमी दूर एक गांव थांगधर हैवैसे वो कैम्प थांगधर के नाम से ज्यादा मशहूर है इस जगह को एडवेंचर हॉलिडे के लिए विकसित किया गया है ये कैम्प इस जगह में अब तक का सबसे अच्छा एडवेंचर कैम्प है ऐसा कहा जाता है। कैम्प थांगधर की समुद्रतल से ऊँचाई करीब 8300 फीट की है। कैम्प थांगधर देवदारओकशंकुधारी और रोडोडेंड्रॉन जैसे पेड़ों से घिरा हुआ है।

इस कैम्प में आप रॉक क्लाइम्बिंगस्नो कैंपिंगट्रेकिंग या माउंटेन बाइकिंग जैसी गतिविधियों का मजा ले सकते हैं। धनोल्टी की रोमांचक सड़कों पर आप माउंटेन बाइकिंग जैसी एडवेंचर एक्टिविटी लिए एक बेहतरीन जगह हैं। धनोल्टी के शानदार पहाड़ों में ट्रैकिंग करना एक अलग ही रोमांच प्रदान करते हैयहाँ ट्रैकिंग के लिए सुरकंडा देवीकुंजापुरी और चंद्रबदनी मंदिरों के ट्रेक सबसे लोकप्रिय मार्ग हैं।

अन्य ट्रेक में धनोल्टी- नागटिब्बा ट्रेक, केम्प्टी फॉल्स, बद्रीनाथ और केदारनाथ के मंदिर, गंगोत्री और यमुनोत्री हिमनद शामिल हैं। एडवेंचर पार्क, कैम्प थांगधर, ट्रैकिंग और बाइकिंग या किसी और एडवेंचर एक्टिविटी से पहले आप गूगल करके या सर्विस प्रोवाइडर से इन एक्टिविटी के चार्जेज पता कर ले ।

धनोल्टी की भाषा – Language of Dhanaulti in Hindi

उत्तराखंड राज्य की आधिकारिक भाषा हिंदी हैलेकिन यहाँ के स्थानीय निवासी गढ़वाली भाषा का प्रयोग करते है और गढ़वाली धनोल्टी में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। अगर आप को हिंदी आती है तो भाषा संबंधित आप को कोई परेशानी नहीं आएगी। लेकिन स्थानीय लोगो को अंग्रेजी भाषा का ज्यादा अभ्यास नहीं है लेकिन काम चल जाएगा ।

धनोल्टी के लोग – People of Dhanaulti in Hindi

जैसा कि धनोल्टी उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल क्षेत्र में स्थित हैयह ज्यादातर गढ़वाली लोगों का निवास है। जैसा की मैंने पहले ही बताया था की धनोल्टी एक छोटासा गांव है जिसकी कुल आबादी सिर्फ 346 व्यक्तियों की है। ये लोग एक बहुत ही सरल जीवन शैली का पालन करते हैं साथ ये सब अपनी जमीन से जुड़े हुए हैं अपनी प्रकृति को कैसे संभाल कर रखना है इन लोगो को बहुत अच्छे से पता है।

यह शहर बहुत आधुनिक या व्यावसायिक नहीं है और यहाँ के स्थानीय निवासी पर्यटकों का दिल से स्वागत करते हैं और बहुत ही दोस्ताना रवैया रखते हैं। इनकी आय ज्यादातर कृषि और पर्यटन उद्योग पर ही निर्भर करती हैं। स्थानीय लोग प्रकृति को संरक्षित करने में विशेष रूप से सक्षम हैं और उन्होंने उत्तराखंड के वन विभाग को इको पार्क स्थापित करने में स्थानीय निवासियों का बड़ा योगदान है।

धनोल्टी कैसे पहुंचे – How to reach Dhanaulti in Hindi

Cedar tree Forest in Dhanaulti

सड़क मार्ग से धनौल्टी कैसे पहुंचे – How to reach Dhanaulti by Road in Hindi

उत्तराखंड के अन्य शहरों जैसे देहरादूनऋषिकेशमसूरी और नैनीताल से सरकारी और निजी बसों के माध्यम से धनोल्टी पहुंचा जा सकता है। धनोल्टी पड़ोसी राज्यों के शहरों से भी अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।दिल्ली में इंटर स्टेट बस टर्मिनस (ISBT) और कश्मीरी गेट से उत्तराखंड के लिए नियमित बसें हैं।

उत्तराखंड परिवहन निगम (UTC) और कुछ निजी बस ऑपरेटर के द्वारा  A/C और NON A/C दोनों तरह की बस सर्विस उपलब्ध करवाई जाती है। Mussoorie to Dhanaulti की दुरी मात्र 42  किलोमीटर है। Delhi to Dhanualti distance is about 289 km.

रेल से धनौल्टी कैसे पहुंचे – How to reach Dhanaulti by Trian in Hindi

धनोल्टी का निकटतम रेलवे स्टेशन Dehradun to Dhanaulti की दुरी  60 किलोमीटर दूर है। यह उत्तर रेलवे लाइन पर स्थित है। यह भारत भर के शहरों और कस्बों के लिए लगातार ट्रेनें हैं।

स्टेशन से संचालित होने वाली कुछ ट्रेनें देहरादून जन शताब्दी एक्सप्रेसइलाहाबाद लिंक एक्सप्रेसनंदा देवी एक्सप्रेसदेहरादून अमृतसर एक्सप्रेसआदि हैं। देहरादून रेलवे स्टेशन और धनोल्टी के बीच बहुत सारी बसें और टैक्सियाँ हैं।

हवाईजहाज से धनौल्टी कैसे पहुंचे – How to reach Dhanaulti by Flight in Hindi

धनोल्टी का निकटतम हवाई अड्डा जॉली ग्रांट हवाई अड्डा देहरादून है इसकी धनोल्टी से दूरी लगभग 82 किमी (51 मील)  है इस हवाई अड्डे से दिल्लीबैंगलोरमुंबईहैदराबादचेन्नईत्रिवेंद्रम और लखनऊ के लिए नियमित उड़ानें हैं।

विदेशों से और भारत के अन्य हिस्सों से पर्यटक भारत के प्रमुख शहरों के लिए उड़ान से जुड़कर हवाई अड्डे तक पहुँच सकते हैं। दिल्ली में इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा एक विश्व स्तरीय अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा हैजो धनोल्टी से 325 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

टैक्सी से धनौल्टी कैसे पहुंचे – How to reach Dhanaulti by Taxi in Hindi

कुछ सर्विस प्रोवाइडर धनोल्टी में टैक्सी सर्विस भी उपलब्ध करवाते है। इन टैक्सियों में SUV, सेडान और लग्जरी कारें शामिल हैं। धनोल्टी में और उसके आसपास की निजी कंपनियां आपको किराए पर कार लेने का विकल्प प्रति दिन और प्रति घंटे के आधार पर प्रदान करती हैं। कुछ लोकप्रिय कार रेंटल कंपनियां हैं जो रेंटल कार प्रदान करती हैं। कृपया कार रेंटल सर्विस लेने से पहले किराया जरूर पता करले।

धनोल्टी घूमने के लिए सबसे अच्छा समय – Best time to visit Dhanaulti in Hindi


Snow Covered Road in Dhanaulti | Click on Image For Credits

धनोल्टी की यात्रा के लिए सितंबर से जून सबसे अच्छे महीने हैं धनोल्टी में सर्दियां बहुत ठंडी होती हैंन्यूनतम तापमान 1 ° C के आसपास रहता है। यह उन पर्यटकों के लिए धनोल्टी की यात्रा करने का एक और शानदार समय है जो बर्फबारी की बर्फीली सुंदरता का गवाह बनना चाहते हैं।

सफ़ेद बर्फ की परतें शहर को और भी खूबसूरत बनाती हैं। कम तापमान के कारणमोटे जैकेट और ऊनी स्वेटर जैसे गर्म कपड़े ले जाने की सलाह दी जाती है। धनौल्टी अप्रैल से जून के महीनों के दौरान ग्रीष्मकाल में एक हल्के और सुखद जलवायु का अनुभव करता है। तापमान कभी भी 31 ° C से आगे नहीं गया हैऔर न्यूनतम तापमान लगभग 7 ° C है। इस दौरान हल्के कपड़े पसंद किए जाते हैं।

धनोल्टी की संस्कृति –  Culture of Dhanaulti in Hindi

Cedar tree Forest in Dhanaulti

चूंकि धनोल्टी में अन्य शहरों और राज्यों की तुलना में कम रोजगार के अवसर मिलते है इस काऱण स्थानीय निवासी रोजगार के लिए दूसरे शहरो में चले जाते है इस कारण धनोल्टी की बहुत कम आबादी हैकलासंगीत और हस्तशिल्प को अतीत में बहुत अधिक फलने-फूलने का अवसर नहीं मिला।

हालांकिउत्तराखंड सरकार की मदद से स्थानीय लोग और पर्यटन उद्योगहस्तशिल्पकला और लोक संगीत धीरे-धीरे लोकप्रियता हासिल कर रहे हैं। क्षेत्र में जैविक खाद्य पदार्थ और हाथ से बुने ऊनी वस्त्र लोकप्रिय हैं। जावरा में फुसफुसा पाइंस जैसे रिट्रीटनियमित रूप से लोक संगीत के विभिन्न लाइव प्रदर्शन करते हैं और हस्तशिल्प के उत्पादन में स्थानीय युवाओं को प्रशिक्षित करते हैं।

अधिकांश निवासी हिन्दू धर्म का अनुसरण करते हैंअधिकांश लोकप्रिय हिंदू त्योहार धनोल्टी में मनाए जाते हैं। शहरवासी और पर्यटक इन पारंपरिक त्योहारों का आनंद और उत्साह के साथ लेते हैं।

धनोल्टी के नजदीकी पर्यटन स्थल – Nearby Places to Visit Dhanaulti

मसूरी, नई टिहरी, टिहरी झील,देहरादूननरेंद्र नगरनागटिब्बा, राजाजी राष्ट्रीय उद्यान, मालसी डियर पार्क, ऋषिकेशहरिद्वारचम्बा, दशावतार मंदिरजोरांडा फाल्सबरेहिपानी और न्यू टेहरी टाउनशिपमाताटीला डैम और देओगढ़ किला बहुत बड़ी लिस्ट है ।

पर्यटक यहाँ पर कई एडवेंचर स्पोर्ट जैसे रिवर क्रासिंग रॉक क्लाइम्बिंगहाईकिंग और कैंप थांगधर में ट्रैकिंग का आनंद भी ले सकते हैं। यह कैंप पर्यटकों को रुकने के साथ साथ अन्य सुविधाएं भी उपलब्ध करते है।

(अगर आप मेरे इस आर्टिकल में यहाँ तक पहुंच गए है तो आप से एक छोटा से निवदेन है की नीचे कमेंट बॉक्स में इस लेख से संबंधित आपके सुझाव जरूर साझा करेंऔर अगर आप को कोई कमी दिखे या कोई गलत जानकारी लगे तो भी जरूर बताए।  में यात्रा से संबंधित जानकारी मेरी इस वेबसाइट पर पोस्ट करता रहता हूँअगर मेरे द्वारा दी गई जानकारी आप को पसंद आ रही है तो आप अपने ईमेल से मेरी वेबसाइट को सब्सक्राइब जरूर करेधन्यवाद )

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