महाकालेश्वर मंदिर उज्जैन | महाकाल मंदिर उज्जैन 2024  | महाकाल मंदिर उज्जैन का इतिहास | महाकाल ज्योतिर्लिंग | महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग | Mahakaleshwar Jyotirlinga 2024 in Hindi | Mahakaleshwar Mandir 2024 |  Mahakal Jyotirling | Mahakaleshwar Temple 2024 History in Hindi | History | Aarti Timings | Entry Timings | Mahakal Temple Ujjain In Hindi

 

महाकालेश्वर मंदिर उज्जैन – Mahakaleshwar Temple Ujjain In Hindi

 

भगवान शिव के कुल 12 ज्योतिर्लिंग है जिनमें से 02 ज्योतिर्लिंग भारत के मध्यप्रदेश राज्य में स्थित है। मध्यप्रदेश में स्थित भगवान शिव के इन दोनों ज्योतिर्लिंगों को क्रमशः ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग और महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के नाम से जाना जाता है। अब जहाँ नर्मदा नदी के किनारे पर ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्यप्रदेश के खंडवा जिले में स्थित हैवहीं महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्यप्रदेश के प्राचीन शहर उज्जैन में क्षिप्रा नदी के किनारे पर स्थित है।

 

इन दोनों ही ज्योतिर्लिंगों में से आज हम महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के बारे में बात करेंगे। महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग को आम बोलचाल भाषा या फिर स्थानीय श्रद्धालु महाकाल मंदिर के नाम से भी पुकारते है। भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से तीसरे ज्योतिर्लिंग के रूप में पूजनीय महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग एक अति प्राचीन शिव मंदिर है जिसका उल्लेख हमें हिन्दू धर्म ग्रंथों, महाभारत और महाकवि कालिदास जी की रचनाओं में देखने को मिलता है।
 

ऐसी भी मान्यता है कि मंदिर में स्थापित लिंगम के रूप में पीठासीन देवता स्वयंभू भगवान शिव ही है। भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से उज्जैन का महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग एकलौता ऐसा ज्योतिर्लिंग है जो कि दक्षिणमुखी है और तांत्रिक शिवनेत्र परम्परा द्वारा समर्थित है। सभी 12 ज्योतिर्लिंगों में से यह एकलौता ऐसा ज्योतिर्लिंग है जिसमें भगवान शिव की भस्म आरती की जाती है। भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों के अलावा महाकाल मंदिर भगवान शिव के 18 शक्ति पीठो में एक के रूप में भी पूजनीय है।
 

शक्तिपीठ से जुडी हुई एक कथा के अनुसार जब भगवान शिव देवी सती के मृत शरीर को लेकर जा रहे थे उस समय इस स्थान पर उनके ऊपरी होंठ यहीं पर गिर गए थे। भगवान शिव को समय का देवता भी माना गया है यही वजह है कि भगवान शिव अनंत काल से प्राचीन नगरी उज्जैन में शासन कर रहे है। यही वजह है कि उज्जैन में स्थित महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग आज के समय मे भी इस शहर के निवासियों के साथ और यहाँ दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं के साथ प्राचीन हिन्दू परम्पराओं के साथ अटूट संबंध बनाए हुए है।
 

प्रति वर्ष महाशिवरात्रि के समय मंदिर के पास एक विशाल मेला लगता है और पूरी रात भर जागरण चलता रहता है। इसके अलावा श्रावण या भाद्रपद के महीनों के दौरान और सावन के आखरी सोमवार को हजारों भक्तों की उपस्थिति में मुख्य मंदिर से लेकर क्षिप्रा नदी के तट तक भगवान महाकाल की पालकी निकलती है जिसे स्थानीय लोग और श्रद्धालु शाही सवारी भी कहते है

 

महाकालेश्वर मंदिर उज्जैन का इतिहास – Mahakaleshwar Temple Ujjain History in Hindi

Shri Mahakaleshwar Temple Ujjain | Image Credit:- Wikipedia

हिन्दू पुराणों और धर्म ग्रंथों के अनुसार महाकालेश्वर मंदिर का निर्माण स्वयं भगवान ब्रम्हा जी ने किया था। उज्जैन विश्व के सबसे प्राचीनतम शहरों में से एक है और यहाँ पर की गई खुदाई के समय प्राप्त हुए सिक्कों में भगवान शिव के चिन्ह भी मिले है। मंदिर निर्माण और उज्जैन में भगवान शिव के महाकाल के रूप में प्रकट होने से जुड़ी हुई एक पौराणिक कथा प्राचीन हिन्दू ग्रंथ स्थलपुराणम में कुछ इस तरह बताई गई है।

 

प्राचीन समय मे राजा चंद्रसेन भगवान शिव के बड़े भक्त थे। राजा की शिव भक्ति के बारे में जब श्रीखर नाम के युवक को पता चला तो उसकी राजा से मिलने की बड़ी इच्छा हुई। लेकिन स्थानीय निवासियों ने उसे ऐसा नहीं करने दिया और उसे शहर से बाहर निकाल दिया। शहर बाहर निकाले जाने के बाद श्रीखर को राजा चंद्रसेन के दुश्मन राजा रिपुधमन और सिंहादित्य द्वारा दूषण नाम के राक्षक की सहायता से शहर पर हमला करने की योजना के बारे में पता चलता है। जिसके बाद श्रीखर और वृद्धि नाम का एक पुजारी मिलकर भगवान शिव से अवंतिका शहर की रक्षा करने की प्रार्थना शुरू कर देते है।

 

इधर शत्रु सेना अवंतिका पहुंच कर वहाँ की निर्दोष जनता पर अत्याचार करना शुरू कर देती है और सभी प्रकार के धार्मिक अनुष्ठानों पर प्रतिबंध लगा दिए जाते है। इसके बाद श्रीखर और वृद्धि पुजारी के साथसाथ शहर की जनता भी भगवान शिव से रक्षा करने प्रार्थना करना शुरू कर देते है। पौराणिक कथा के अनुसार उस समय माता पार्वती की मूर्ति के पास की जमीन फट जाती है और उसमें से भगवान शिव महाकाल के रूप में प्रकट होते है। और एक ही पल में सभी राक्षसों को भस्म कर देते है।

 

जिसके बाद अवंतिका के लोग भगवान शिव प्रार्थना करते है वह सैदेव अवंतिका के मुख्य देवता के रूप यही पर निवास करें जिसे भगवान शिव स्वीकार कर लेते है। कई काव्य ग्रंथों और इतिहासकारों के अनुसार भगवान शिव के महाकालेश्वर मंदिर पर कई बार आक्रमण करके इसको नष्ट करने का प्रयास किया गया है।
 

सबसे पहली बार परमार काल के समय आक्रमणकारियों ने मुख्य मंदिर पर हमला करके इसको नष्ट कर दिया था जिसके बाद राजा उदयादित्य और नरवर्मन ने इस मंदिर का पुनर्निर्माण का कार्य करवाया था। मुगलकाल मे भी उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर पर मुगल आक्रांताओं ने आक्रमण किये है। 13वीं शताब्दी की शुरुआत में गुलाम वंश के तीसरे मुगल शासक इल्तुतमिश ने उज्जैन पर आक्रमण करके मंदिर को नष्ट कर दिया था। ऐसा माना जाता है कि उस आक्रमण के समय मुगल आक्रमणकारियों ने पवित्र ज्योतिर्लिंग को पूरी तरह से नष्ट करके एक नजदीकी तालाब में फेंक दिया था। (आज उस जगह को कोटि तीर्थ कुंड के नाम से भी जाना जाता है।)
 

उस समय मुगल आक्रमणकारी मंदिर से लगभग पूरा सोना चांदी और मूल्यवान मूर्तियों को लूट कर ले गए थे। जिसके बाद 18वीं शताब्दी के चौथे और पांचवे दशक के समय मराठा जनरल राणोजी शिंदे ने अपने शासनकाल मे महाकालेश्वर मंदिर के पुनरुद्धार का कार्य करवाया। राणोजी के दीवान ने उस समय मराठा वास्तुशैली में मंदिर का निर्माण करवाया जो कि आज मंदिर की वर्तमान सरंचना भी है। इसके बाद आगे के कुछ दशको तक मंदिर प्रबंधन का कार्य मराठा शासकों द्वारा ही किया जाता है।
 

जिसके बाद देव स्थान नाम के ट्रस्ट को मंदिर प्रबंधन की जिम्मेदारी सौंप दी जाती है। 1947 में भारत के स्वतंत्र होने के बाद उज्जैन के कलेक्टर ने देव स्थान ट्रस्ट को मंदिर प्रशासक की जिम्मेदारी सौंप दी।

 

महाकालेश्वर मंदिर की वास्तुकला – Mahakaleshwar Temple Architecture in Hindi

Shri_Mahakaleshwer_Temple_Architecture | Image Credit:- Wikipedia

मध्यप्रदेश के उज्जैन शहर में एक झील के पास में स्थित प्राचीन महाकालेश्वर मंदिर की वास्तुकला चालुक्य, भूमिजा और मराठा वास्तु शैली का एक अदभुत मिश्रण है। कुल पाँच मंजिला इमारत वाले महाकालेश्वर मंदिर के चारों तरफ विशाल दीवारें बनी हुई है, वहीं मंदिर प्रांगण की भीतर वाली दीवारों और स्तम्भों पर देवीदेवताओं की महीन नक्काशी वाली मूर्तियां उकेरी गई है इसके अलावा मंदिर में कई जटिल संरचनाएं भी बनी हुई है।
 

मंदिर में जटिल संरंचनाओं के अलावा भगवान शिव को समर्पित स्तुतियां, भजन और पवित्र मंत्र भी लिखे हुए है। इस पाँच मंजिला इमारत वाले महाकालेश्वर मंदिर का गृभगृह जमीन के अंदर बना हुआ है। और इसी गृभगृह में महाकालेश्वर की दक्षिणमुखी मूर्ति के दर्शन होते है। पूरे 12 ज्योतिर्लिंगों में सिर्फ उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर ने स्थापित मूर्ति ही दक्षिण मुखी है। महाकालेश्वर मंदिर के परिसर के मध्य और ऊपरी हिस्सों में ओंकारेश्वर और नागचंद्रेश्वर के लिंग भी स्थापित किये गए है।
 

लेकिन यहाँ पर यह बात ध्यान देने योग्य है कि नागचंद्रेश्वर के लिंग के दर्शन आप सिर्फ नाग पंचमी के दिन पर ही कर सकते है। सिर्फ नाग पंचमी के दिन नागचंद्रेश्वर भगवान के दर्शन आम श्रद्धालुओं के लिये खोले जाते है। मंदिर परिसर में ही एक बड़ा और प्राचीन तालाब बना हुआ है जिसे कोटि तीर्थ कुंड कहा जाता है। इसी कुंड के बाहर की और एक विशाल बरामदा बना हुआ है, इसी बरामदे के पास में मंदिर के गृभगृह का प्रवेश द्वार भी बना हुआ है।
 

मंदिर के गृभगृह में उत्तर, पश्चिम और पूर्व दिशाओं में देवी पार्वती, भगवान गणेश और भगवान कार्तिकेय की सुंदर नक्काशीदार मूर्तियाँ भी बनी हुई है। इसके अलावा गृभगृह की छत को ढकने के लिये चांदी का आवरण लगाया गया जो कि इसकी भव्यता को और भी बढ़ा देता है। मंदिर के बरामदे के उत्तरी भाग में एक कक्ष बना हुआ है जिसमें भगवान श्रीराम और देवी अवंतिका की मूर्तियों की पूजा की जाती है।

 

महाकालेश्वर मंदिर के त्योंहार –  Mahakaleshwar Temple Festival in Hindi

Mahakal bhasma aarti

भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से तीसरे ज्योतिर्लिंग के रूप में पूजे जाने वाले महाकालेश्वर मंदिर वैसे तो पुरे वर्ष के दौरान सभी हिन्दू धर्म से जुड़े हुए त्योंहार बड़ी धूमधाम से मनाये जाते है। लेकिन इस मंदिर से जुड़े कुछ ऐसे धार्मिक अनुष्ठान भी है जिनका पालन सिर्फ इसी मंदिर में किया जाता है।
 

महाकालेश्वर मंदिर में नित्य रूप से किये जाने वाला ऐसा ही एक अनुष्ठान है भस्म आरती है। वास्तव में महाकालेश्वर मंदिर में प्रतिदिन सूर्योदय से पहले की जाने वाली भस्म आरती है ऐसा अनुष्ठान है जिसमे उज्जैन में बहने वाली पवित्र क्षिप्रा नदी के घाटों के पास से राख को एकत्रित करके के ज्योतिर्लिंग पर लगाई जाती है। इस अनुष्ठान की सबसे महत्वपूर्ण बात यह है की भगवान शिव के सभी 12 ज्योतिर्लिंगों में से सिर्फ उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में ही भस्म आरती की जाती है।
 

और इस भस्म आरती में शामिल होने से मिलने वाले पुण्य को पाने के लिए प्रतिदिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु महाकालेश्वर मंदिर में सूर्योदय से पहले ही जाते है। इतनी ज्यादा संख्या में भस्म आरती में शामिल होने के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को भीड़ को नियंत्रित करने के लिए ही मंदिर प्रशासन ने भस्म आरती में शामिल होने के लिए टिकट की व्यवस्था शुरू की है। भस्म आरती में शामिल होने के लिए आप महाकालेश्वर मंदिर की आधिकारिक वेबसाइट ( www.shrimahakaleshwar.com ) से भस्म आरती में शामिल होने  के लिए निर्धारित शुल्क देकर अपने लिए भस्म आरती  की टिकट बुक करवा सकते है।
 

भस्म आरती की ही तरह कुछ और अनुष्ठान भी जिनका पालन सिर्फ महाकालेश्वर मंदिर में ही किया जाता है। ऐसी ही एक पूजा है नित्य यात्रा जिसमें शामिल होने के लिये सर्वप्रथम श्रद्धालु को शिप्रा नदी के स्नानः करना होता है। उसके बाद इस यात्रा में श्रद्धालु नागचंद्रेश्वर, महाकालेश्वर, कोटेश्वर मंदिर, देवी हरसिद्धि और देवी अवंतिका के दर्शन करता है ताकि वह अपने लिये महाकाल से दीर्घायु और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त कर सके।

 

महाकालेश्वर मंदिर में प्रवेश शुल्क –  Mahakaleshwar Temple Entry Fee in Hindi

Ujjain Mahakal Mandir Entry fees

महाकालेश्वर मंदिर में किसी भी प्रकार का प्रवेश शुल्क नहीं लिया जाता है। लेकिन अगर आप महाकालेश्वर मंदिर में होने वाली आरती को आसानी से देखना चाहते है या फिर दर्शन आराम से करना चाहते है तो आपको मंदिर प्रशासन के द्वारा निर्धारित शुल्क देना होगा। इसके अलावा अगर आप चाहे तो भगवान शिव से जुड़ी हुई कई पूजा पाठ भी करवा सकते है जिनके लिये भी मंदिर प्रशासन अलगअलग तरह के शुल्क निर्धारित कर रखें है।

 

दर्शन / पूजा 

टिकट प्राइस 

VIP दर्शन

250/-

भस्म आरती (ऑनलाइन)

200/-

भस्म आरती (काउंटर)

100/-

सामान्य पूजा

100/-

शिव महिम्न पथ

200/-

रूद्राभिषेक वैदिक पूजा

300/-

शिव महिम्न स्त्रोत

500/-

रूद्राभिषेक (11 अवतरण) रूद्र पाठ

1000/-

11 ब्राह्मणों द्वारा लघु रुद्राभिषेक (121 पाठ)

3000/-

महारुद्राभिषेक

15000/-

महामृत्युंजय जाप (1.25 लाख जाप)

15000/-

भांगा श्रृंगार

500/-

 

नोट :- 01 महाकाल मंदिर में भस्म आरती बुकिंग, शीघ्र दर्शन बुकिंग, गर्भ ग्रह बुकिंग और अन्य कई तरह की पूजाएं को आसानी से करने के लिए आप मंदिर की ऑफिशियल वेबसाइट ( www.shrimahakaleshwar.com ) ओर एंड्रॉयड एप्प से बड़ी आसानी से बुक करवा सकते है।

02 भस्म आरती प्रतिदिन सुबह 04:00 बजे लेकर 06:00 तक की जाती है। सुबह 05:00 के बाद भस्म आरती में प्रवेश की अनुमति नहीं मिलती है। 

03 अगर आपने मंदिर में दर्शन या फिर किसी भी प्रकार की पूजा के लिए ऑनलाइन बुकिंग ही है तो उस बुकिंग से जुडी हुई रसीद साथ में लेकर जाए। 

04 अपनी बुकिंग रसीद के साथ अपने किसी भी प्रकार के पहचान पत्र को साथ में लेकर जरूर जाएँ। 

05 मंदिर में प्रवेश, आरती  और दर्शन से जुड़े हुए सभी प्रकार के अधिकार मंदिर प्रशासन समिति के पास सुरक्षित है। 

 

महाकालेश्वर मंदिर में प्रवेश का समय – Mahakaleshwar Temple Timing in Hindi

उज्जैन में स्थित महाकालेश्वर मंदिर श्रद्धालुओं के दर्शन के लिये सुबह 04:00 बजे से लेकर रात को 08:00 बजे तक खुला रहता है।

 

महाकालेश्वर मंदिर में आरती का समय – Mahakaleshwar Temple Aarti Timing in Hindi

Mahakaleshwar Temple Aarti

आरती

समय

भस्म आरती

04:00 AM To 06:00 AM

सुबह की आरती

07:00 AM To 07:30 AM

सायं की आरती

05:00 PM To 05:30 PM

श्री महाकाल आरती

07:00 PM To 07:30 PM

दर्शन बंद

11:00 PM 

 

नोट :- 01 महाकालेश्वर मंदिर के अंदर मोबाइल फोन लेकर जाने की अनुमति नहीं है। 

02 मंदिर समिति ने श्रद्धालुओं के लिये फोन जमा करवाने के लिये सुविधा उपलब्ध करवाई हुई है।

03 वैसे तो मंदिर में दर्शन करने हेतु श्रद्धालुओं के लिये किसी भी प्रकार का ड्रेस मंदिर समिति द्वारा निर्धारित नहीं किया गया है।

04 लेकिन अगर श्रद्धालु किसी भी प्रकार के पूजा या अभिषेक लेते है तो पुरुषों को धोती कुर्ता और महिलाओं को साड़ी पहनना जरूरी है।

 

श्री महाकाल महालोक / श्री महाकाल कॉरिडोर –  Shri Mahakal Mahalok / Shri Mahakal Corridor in Hindi

Mahakal Mahalok Ujjain

भगवान शिव को समर्पित और उज्जैन में महाकालेश्वर मंदिर में दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं को एक भव्य और दिव्य आध्यात्मिक अनुभव करवाने के लिए मध्यप्रदेश सरकार ने 2022 में उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर के पास में श्री महाकाल महालोक नाम से एक भव्य मंदिर परिसर का निर्माण करवाया है जिसका उद्धघाटन 11 अक्टूबर 2022 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया गया था।

 

श्री महाकाल महालोक परिसर के वर्ष 2025 तक पूरी तरह से बन कर पूरा होने की संभावना है। शुरुआत में यह मंदिर परिसर सिर्फ 2.87 हेक्टेयर तक ही बना हुआ था जिसे अब 47 हेक्टेयर तक बढ़ाया जा चुका है। इस परिसर को बनाने की अनुमानित लागत लगभग 856 करोड़ रुपये है। श्रद्धालुओं के लिये श्री महाकाल महालोक परिसर में 108 दिव्य स्तंभों की एक विशाल श्रृंखला बनाई गई है। इसके अलावा परिसर में पर प्रवेश करने के लिये भव्य प्रवेश द्वार और मंदिर के चारो तरफ निःशुल्क घूमने के लिये स्थान बनाया गया है।

 

वहीं परिसर में शिव पुराण में वर्णित कहानियों को भित्तिचित्र के माध्यम बड़ी सुंदर तरीके से दिखाया गया है। श्री महाकाल महालोक परिसर के निर्माण का मुख्य उद्देश्य प्राचीन उज्जैन शहर को देश प्रमुख हिन्दू धर्म तीर्थ स्थल के रूप स्थापित करना तथा पर्यटन को बढ़ावा देना था। इस परिसर को देखने आने वाले श्रद्धालुओं के लिए कई बुनियादी ढांचे और सुविधाओं का निर्माण किया गया है।

 

महाकाल गलियारा – Mahakal Corridor 

लगभग 900 मीटर लम्बा महाकाल गलियारा श्री महाकाल महालोक को महाकालेश्वर मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार और गर्भगृह जोड़ता है। इसके अलावा यह गलियारे भगवान शिव के जीवन को दर्शाती कई सुन्दर मूर्तियों और भित्तिचित्रों से सजाया गया है। 

 

महाकाल पथ – Mahakal Path 

महाकालेश्वर मंदिर तक जाने वाले लगभग 500 मीटर  महाकाल पथ को पेड़ो और कई मूर्तियों से सजाया गया है। 

 

महाकाल संग्रहालय – Mahakal Museum 

यह संग्रहालय मुख्य रूप से महाकालेश्वर मंदिर के इतिहास और महत्व को समर्पित है। इस संग्रहालय में भगवान शिव और मंदिर से जुडी हुई कई कलाकृतियों, मूर्तियों और चित्रों का संग्रह किया गया है। 

 

महाकाल सभागार – Mahakal Auditorium 

इस सभागार में समयसमय पर पर सांस्कृतिक और धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। 

 

महाकाल दर्शन – Mahakal Darshan 

महाकाल दर्शन में भगवान शिव के जीवन को दर्शाने वाले मल्टीमीडिया शो चलाये  जाते है। 

 

महाकालेश्वर मंदिर घूमने का सबसे अच्छा समय – Best time to Visit Mahakaleshwar Temple in Hindi

Best Time To Visit Mahakaleshwar Temple Ujjain | Image Credit:- Wikipedia

महाकालेश्वर मंदिर वैसे तो पुरे साल श्रद्धालुओं के लिए खुला रहता है लेकिन अक्टूबर से लेकर मार्च का समय काशी विश्वनाथ मंदिर घूमने का सबसे अच्छा समय माना जाता है। 

 

महाकालेश्वर मंदिर के पास स्थित होटल – Hotels Near Mahakaleshwar Temple in Hindi

Hotel Near Mahakal Temple Ujjain | Ref image

उज्जैन में स्थित महाकालेश्वर मंदिर के पास ठहरने के लिए बहुत सारी धर्मशाला, गेस्ट हाउस और होटल्स बने हुए है। लगभग सभी धर्मशाला, गेस्ट हाउस और होटल्स आप ऑनलाइन या फिर टेलीफोन के माध्यम से बुक करवा सकते है। इसके अलावा बहुत सारी ऑनलाइन होटल बुकिंग वाली वेबसाइट के माध्यम के द्वारा भी आप महाकालेश्वर मंदिर के पास में आप अपने लिए होटल या धर्मशाला में अपने लिए रूम बुक करवा सकते है। 

 

महाकालेश्वर मंदिर कैसे पहुंचे – How to reach Mahakaleshwar Temple in Hindi

 

हवाई मार्ग से महाकालेश्वर मंदिर कैसे पहुँचे  – How to reach Mahakaleshwar Temple by Air in Hindi

How To Reach Mahakaleshwar Temple By Air

इंदौर का महारानी अहिल्याबाई होल्कर एयरपोर्ट उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर के सबसे नजदीकी हवाई अड्डा है। इस एयरपोर्ट से आप टैक्सी और कैब की सहायता से बड़ी आसानी से महाकालेश्वर मंदिर तक पहुंच सकते है। इंदौर से महाकालेश्वर मंदिर की दूरी मात्र 56 मिनट है। इंदौर का महारानी अहिल्याबाई होल्कर एयरपोर्ट देश के लगभग सभी बड़े शहर जैसे मुंबई, दिल्ली, जयपुर, चंडीगढ, मद्रास, कोलकाता ओर बैंगलोर से बड़ी अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। इन सभी एयरपोर्ट्स से इंदौर एयरपोर्ट के लिये नियमित रूप से फ्लाइट सेवा मिल जाएगी। 

 

रेल मार्ग से महाकालेश्वर मंदिर कैसे पहुँचे  – How to reach Mahakaleshwar Temple by Rail in Hindi

How To Reach Mahakaleshwar Temple By Train | Ref image

महाकालेश्वर मंदिर के सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन उज्जैन सिटी जंक्शन स्टेशन है। उज्जैन के रेलवे स्टेशन से महाकालेश्वर मंदिर की दूरी मात्र 02 किलोमीटर है। यहाँ से आप कैब और टैक्सी की सहायता से बड़ी आसानी से महाकालेश्वर मंदिर पहुँच सकते है। उज्जैन सिटी जंक्शन रेलवे स्टेशन देश के सभी प्रमुख रेलवे बहुत अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। और देश के लगभग सभी प्रमुख शहरों से उज्जैन रेलवे स्टेशन के लिये आपको नियमित रूप से ट्रैन मिल जाएगी।

 

सड़क मार्ग से महाकालेश्वर मंदिर कैसे पहुँचे  – How to reach Mahakaleshwar Temple by Road in Hindi

How To Reach Mahakaleshwar Temple By Road

मध्यप्रदेश का उज्जैन शहर देश के लगभग सभी शहरों से सड़क मार्ग द्वारा बहुत अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। इसके अलावा अगर आप बस से उज्जैन रहे है तो उज्जैन का मुख्य बस स्टेशन देवास गेट और नानाखेड़ा है। इसके अलावा आप अपने निजी वाहन से भी उज्जैन बड़ी आसानी से पहुंच सकते है। इसके अलावा आप कैब और टैक्सी की सहायता से उज्जैन बड़ी आसानी  पहुँच सकते है। 

 

(अगर आप मेरे इस आर्टिकल में यहाँ तक पहुंच गए है तो आप से एक छोटा से निवदेन है की नीचे कमेंट बॉक्स में इस लेख से संबंधित आपके सुझाव जरूर साझा करें, और अगर आप को कोई कमी दिखे या कोई गलत जानकारी लगे तो भी जरूर बताए।  में यात्रा से संबंधित जानकारी मेरी इस वेबसाइट पर पोस्ट करता रहता हूँ, अगर मेरे द्वारा दी गई जानकारी आप को पसंद रही है तो आप अपने ईमेल से मेरी वेबसाइट को सब्सक्राइब जरूर करे, धन्यवाद )

 

Share.
Leave A Reply

Exit mobile version