कुम्भलगढ़ किला 2024 | कुंभलगढ़ किले में घूमने के लिए सबसे अच्छी जगहें | Kumbhalgarh Fort 2024 in Hindi | Things To Do In Kumbhalgarh Fort | Places to Visit in Kumbhalgarh Fort 2024 | History of Kumbhalgarh Fort | Fort in Rajasthan | Kumbhalgarh Fort Travel Guide 2024
कुम्भलगढ़ किले का इतिहास – Kumbhalgarh Fort History in Hindi
कुम्भलगढ़ एक ऐसा किला है जो अपनी ऐतिहासिक धरोहर के साथ-साथ दुनिया में चीन के दीवार के बाद दूसरी सबसे लंबी दीवार के कारण भी प्रसिद्ध है तो क्या एक ब्लॉग के अंदर कुम्भलगढ़ का इतिहास आप को बताया जा सकता है , क्या एक ब्लॉग के द्वारा इस अजेय किले के संस्थापक राणा कुम्भा का गौरवशाली इतिहास आपको बता सकता हूँ , क्या में पूरे भारत के वीर सपूत और प्रथम स्वतंत्रता सेनानी महाराणा प्रताप का इस अभेद्य किले में बिताये गए समय के बारे में बता सकता हूँ नहीं में ऐसा नही कर पाऊंगा।
क्यूँ की कुम्भलगढ़ किले का इतिहास एक राजवंश के उत्थान और पतन के जितना सरल नहीं है कुम्भलगढ़ का इतिहास 6 वीं शताब्दी से और में आप को किले की छोटी सी जानकारी ही दे पाऊंगा , में कोई इतिहासकार तो हूँ नहीं – कुछ इतिहासकारों का कहना है इस किले को सबसे पहले मच्छिन्द्रपुर के नाम से जाना जाता था, जबकि एक इतिहासकार साहिब हकीम ने इसका नाम महोरे रखा था।
मूल किले का निर्माण 6 वीं शताब्दी के दौरान सामरिक महत्व के कारण मौर्य युग के राजा संप्रति द्वारा किया गया था। वर्तमान समय में हम लोग जो किला देखते है उसका निर्माण राणा कुंभा द्वारा किया गया था जो सिसोदिया राजपूत वंश से मेवाड़ के राणा थे। राणा कुंभा ने उस समय के प्रसिद्ध वास्तुकार, “मदन” को इस किले के निर्माण की जिम्मेदारी दी थी ।
राणा कुम्भा के मेवाड़ राज्य का विस्तार रणथंभौर से ग्वालियर तक था और इसमें मध्यप्रदेश के साथ-साथ पूरा राजस्थान के शामिल था । राणा के उनके प्रभुत्व में 84 किले थे जिसमें से राणा कुंभा ने उनमें से 32 का निर्माण किया था, जिनमें से कुंभलगढ़ सबसे बड़ा और सबसे विशाल है। लोकप्रिय लोककथाओं के अनुसार, महाराणा कुंभा घाटी में रातों के दौरान काम करने वाले किसानों के लिए प्रकाश प्रदान करने के लिए पचास किलोग्राम घी और सौ किलोग्राम कपास की खपत करते थे।
कुम्भलगढ़ किले को खतरे के समय मेवाड़ के शासकों की शरण स्थली के रूप में इस्तेमाल किया गया। महाराणा प्रताप की जन्मस्थली भी यही कुम्भलगढ़ किला है, इस किले के निर्माण के साथ ही इस किले पर वर्षों तक बाहरी आक्रमणकारियों ने हमला किया लेकिन किसी को भी सफलता प्राप्त नही हुई, इतिहास सिर्फ एक बार इस किले पर दुश्मनो के द्वारा विजय प्राप्त की गई है अकबर के सेनापति, शब्बाज़ खान ने 1576 में किले पर अधिकार कर लिया था।
लेकिन इसे 1585 में गुरिल्ला युद्ध के माध्यम से महाराणा प्रताप ने वापस ले लिया था। जून 2013 में कम्बोडिया के नोम पेन्ह शहर में विश्व धरोहर समिति की 37 वीं बैठक के दौरान राजस्थान के छह किलों, अर्थात्, अंबर किला, चित्तौड़ किला, गागरोन किला, जैसलमेर किला, कुंभलगढ़ और रणथंभौर किला को यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल सूची में शामिल किया गया ।
कुम्भलगढ़ किले की भौगोलिक स्थिति – Geography Kumbhalgarh Fort in Hindi
घने पहाड़ो के बीच स्थिति कुम्भलगढ़ किला पश्चिमी भारत में राजस्थान राज्य के उदयपुर के पास राजसमंद जिले में अरावली पहाड़ियों की विस्तृत श्रृंखला के बीच में स्थित है। राजस्थान का ये ऐतिहासिक का विश्व धरोहर स्थल में शामिल है। 15 वीं शताब्दी के दौरान राणा कुंभा द्वारा इस किले का निर्माण किया गया था । सड़क मार्ग से कुम्भलगढ़ और उदयपुर की दूरी मात्र 82 किमी है।
चित्तौड़गढ़ किले के बाद कुम्भलगढ़ किला यह मेवाड़ राज्य का उस समय का सबसे महत्वपूर्ण किला है। अरावली पर्वतमाला पर समुद्र तल से 1,100 मीटर (3,600 फीट) की ऊँचाई पर निर्मित, विश्व में कुंभलगढ़ के किले पहचान इस किले के चारों तरफ़ बनी हुई दीवार हैं जो 36 किमी (22 मील) लंबी और 15 फीट चौड़ी है, जो इसे दुनिया की सबसे लंबी दीवारों में से एक बनाती है।
कुंभलगढ़ में सात किलेबंद द्वार हैं। पर्यटक अरेट पोल, हनुमान पोल और राम पोल के माध्यम से किले में प्रवेश कर सकते हैं। अरेट पोल दक्षिण में स्थित है जबकि राम पोल उत्तर में है। हनुमान पोल में हनुमान की छवि है जिसे राणा कुम्भा मंडावपुर से लेकर आये थे। किले के परिसर में भैरों पोल, निम्बू पोल और पगारा पोल के माध्यम से पहुँचा जा सकता है।
पूर्व की ओर स्थित किले में एक और द्वार दानिबट्ट है। किले के भीतर 360 से अधिक मंदिर हैं, 300 प्राचीन जैन और 60 हिंदू मंदिर हैं। महल के शीर्ष भाग से, अरावली पर्वतमाला रेंज में कई किलोमीटर तक देखा जा सकता है किले की दीवारों से थार रेगिस्तान के रेत के टीलों को देखा जा सकता है।
कुम्भलगढ़ किले की दिवार – Kumbhalgarh Fort wall in Hindi
कुंभलगढ़ के प्राचीन किले को चारों तरफ से घेरे हुए यह दीवार भारत के सबसे छुपे हुए रहस्यों से भरी हुई है इस दीवार को लेकर स्थानीय लोगो में बहुत सारी कहानियां भी सुनने को मिलती है । प्रमुख रूप से इस दीवार के निर्माण का कारण एक विशाल किले की बाहरी आक्रमण से रक्षा करना था इस दीवार का निर्माण राणा कुम्भा ने कुंभलगढ़ किले निर्माण के साथ किया था।
किले के चारों और इस स्थिति इस दीवार की लम्बाई 36 किलोमीटर है और चौड़ाई 15 मीटर है कहा जाता है की इस दीवार पर एक साथ 10 घोड़े दौड़ सकते है । अपनी इसी लम्बाई के कारण ग्रेट वॉल ऑफ चाइना great wall of china के बाद विश्व की दूसरी सबसे बड़ी दीवार है । इस दीवार को ग्रेट वॉल ऑफ इंडिया भी कहते है ।
कुंभलगढ़ किले के दर्शनीय पर्यटक स्थल – Places to visit in Kumbhalgarh Fort
किले में देखने के लिए बादल महल, महाराणा प्रताप की जन्मस्थली और हिन्दू और जैन मंदिरों जैसे विभिन्न महत्वपूर्ण इमारतें शामिल हैं। मुख्य किला और उसकी प्राचीर को मजबूत पत्थर से बनाया गया है जिसके कारण मुख्य किला आज भी समय के साथ मजबूती से खड़ा है ।
बादल महल कुम्भलगढ़ – Badal Mahal Kumbhalgarh Fort in Hindi
कुम्भलगढ़ किले में सबसे ऊपर बादल स्थिति है। बादल महल एक दो मंजिला महल है। बदल महल के पूरे भवन को दो अलग-अलग भागों में विभाजित किया है, जिन्हें मर्दाना महल और जनाना महल कहा जाता है। बादल महल की बनावट 19वीं शताब्दी जैसी है महल के अंदर सुंदर रंगीन कमरे हैं,महल को पस्टेल रंग के भित्ति चित्र बनाये गए हैं। महल के कमरे को फ़िरोज़ा, हरे और सफेद रंग से रंगवाया गया हैं।
किले में सबसे ज्यादा ऊंचाई पर स्थित होने के काऱण इस महल को पैलेस ऑफ़ क्लाउड्स भी कहते है। किले के अंदर ये एक मुख्य आकर्षण है जानना महल, महल के इस भाग में पत्थर के जाली का उपयोग किया गया हैं, इन जालियों का उपयोग रानी अदालत की कार्यवाही और अन्य मुख्य घटनाओं को देखने के लिए इस्तेमाल किया जाता था । महल के कमरो वातानुकूलन प्रणाली बड़ी रचनात्मक है, जिससे ठंडी हवा को सुंदर कमरों में प्रवेश करती रहती है।
कुंभलगढ़ किले के अंदर ऐतिहासिक दृष्टि से दो अन्य महत्वपूर्ण स्थान और हैं महाराणा प्रताप का जन्म स्थान जिसे पगडा पोल के पास झलिया का मालिया कहा जाता है और आखिरी किलेदार गेट, निम्बू पोल के पास स्थित है। यह वह जगह है जो वफादार नौकर पन्नाधाय के सर्वोच्च बलिदान की गवाही देती है, जिन्होंने अपने पुत्र चंदन का बलिदान कुंवर उदयसिंह के प्राण बचाने के लिए कर दिया था और उनको सुरक्षित स्थान पर भेजकर युवा-महाराजा उदय सिंह को बचाया था।
कुम्भलगढ़ दुर्ग में हिन्दू और जैन मंदिर – Kumbhalgarh Jain Mandir in Hindi
राणा कुम्भा एक महान योद्धा होने के साथ उनकी भगवान शिव में बहुत गहरी आस्था रखते थे उन्होंने ने अपने शासनकाल में अनेक मंदिरों का निर्माण करवाया था। पूरे किले में लगभग 360 मंदिर है जिनमें से 300 जैन मंदिर और 60 हिन्दू मंदिर है जिनमे में विस्तृत रूप से और नाजुक नक्काशीदार संरचनाएं उपस्थित हैं।
नीलकंठ महादेव मंदिर कुम्भलगढ़ – Neelkanth Mahadev Temple Kumbhalgarh Fort in Hindi
किले में सबसे महत्वपूर्ण और पूजनीय मंदिर नीलकंठ महादेव का मंदिर है, जो भगवान शिव को समर्पित है। इसके विशाल गोल गुंबद, जटिल नक्काशीदार छत पर 24 खंभे, चौड़े आंगन और 5 फीट ऊंचे लिंगम के साथ, मंदिर एक बेजोड़ स्थापत्य कला का नमूना पेश करता है। मान्यता है की महाराणा कुंभा भगवान शिव में गहरी आस्था थी इसलिए वे अपने दिन की शुरुआत भगवान शिव की प्रार्थना के बिना नहीं करते थे ।
एक दिलचस्प कहानी वहाँ पर ये भी सुनने को मिलती है की राणा कुम्भा की लंबाई इतनी थी के जब वह प्रार्थना करने बैठते थे तब उनकी आँखें मंदिर में स्थापित भगवान मूर्ति के आंखों के बराबर ही होती थी । महल के शिलालेख से पता चलता है कि मंदिर का नवीनीकरण राणा सांगा द्वारा किया गया था।
गणेश मंदिर कुम्भलगढ़ – Ganesh Temple Kumbhalgarh in Hindi
किले में ही एक 12 फीट (3.7 मीटर) प्लेटफ़ॉर्म पर बना एक गणेश मंदिर है और किले के अंदर बने सभी मंदिरों में सबसे प्राचीन माना जाता है। अन्य उल्लेखनीय मंदिर पार्श्वनाथ जैन मंदिर (1513 के दौरान निर्मित), बावन देवी मंदिर, वेदी मंदिर और गोलारे जैन मंदिर किले के प्रमुख जैन मंदिर हैं।
माताजी मंदिर, जिसे खेड़ा देवी मंदिर भी कहा जाता है किले के अंदर मामदेव मंदिर, पितल शाह जैन मंदिर और सूर्य मंदिर प्रमुख मंदिर हैं।
वेदी मंदिर कुम्भलगढ़ – Vedi Temple Kumbhalgarh Fort in Hindi
वेदी मंदिर एक जैन मंदिर है जिसमें तीन मंजिला हैं और अष्टकोणीय आकार में बनाया गया था। मंदिर राणा कुंभा द्वारा बनाया गया था और यह हनुमान पोल के पास स्थित है। इस मंदिर का निर्माण मुख्यतया यज्ञ और हवन करने के लिए गया था वर्तमान में अपनी तरह का ये एकलौता मंदिर है ।
मंदिर में जाने के लिए लोगों को सीढ़ियों के माध्यम से मंदिर जाना पड़ता है । मंदिर की छत 36 खंबो पर टिकी हुई है और इसके सबसे ऊपर वाले भाग पर एक गुंबद है। राणा फतेह ने अपने शासनकाल के दौरान इस मंदिर का जीर्णोद्धार कराया।
पार्श्वनाथ जैन मंदिर कुम्भलगढ़ – Parshwanath Jain Temple Kumbhalgarh
पार्श्वनाथ एक जैन तीर्थंकर थे और उनकी पूजा करने के लिए, नर सिंह पोखड़ ने एक मंदिर बनवाया था। पार्श्वनाथ की प्रतिमा यहां स्थापित की गई है, जिसकी ऊंचाई तीन फीट है।
बावन देवी मंदिर कुम्भलगढ़ – Bavan Devi Temple Kumbhalgarh Fort in Hindi
एक ही परिसर में 52 मंदिर हैं होने के कारण इसे बावन देवी मंदिर नाम दिया गया है। मंदिर में प्रवेश के लिए केवल एक ही द्वार है जिसके माध्यम से भक्त प्रवेश कर सकते हैं। 52 मूर्तियों में से दो बड़ी हैं और बाकी छोटी हैं और उन्हें दीवार के चारों ओर रखा गया है। एक जैन तीर्थंकर की एक मूर्ति भी गेट के ललाटबिंब पर स्थिति है।
गोलारे जैन मंदिर कुम्भलगढ़ – Golare Jain Temple Kumbhalgarh Fort in Hindi
गोलारो समूह का मंदिर बावन देवी मंदिर के पास स्थित है, जिसकी दीवारों पर देवी-देवताओं के चित्र उकेरे गए हैं।
मामदेव मंदिर कुम्भलगढ़ – Mamdeo Temple Kumbhalgarh Fort in Hindi
मामदेओ मंदिर को कुंभ श्याम मंदिर के रूप में भी जाना जाता है। यह वही जगह है जहां राणा कुंभा की हत्या उनके बेटे ने की थी जब वह घुटने टेक कर प्रार्थना कर रहे थे। मंदिर में चारों तरफ स्तंभो से बना हुआ मण्डप है और एक सपाट छत का गर्भगृह है। इसके साथ ही दीवारों में देवी-देवताओं की मूर्तियां उकेरी गई हैं। यहां पर एक शिलालेख भी जिसमें है जिसमें राणा कुंभा ने कुंभलगढ़ के इतिहास का विवरण दिया है।
पितल शाह जैन मंदिर कुम्भलगढ़ – Pital Shah Jain Temple Kumbhalgarh Fort in Hindi
पितलिया देव मंदिर, पितलिया जैन सेठ द्वारा निर्मित एक जैन मंदिर है। यहाँ पर भी स्तम्भों पर आधारित मण्डप और एक गर्भगृह है और लोग चारों दिशाओं से यहाँ प्रवेश कर सकते हैं। मंदिर में देवी-देवताओं, अप्सराओं और नर्तकियों की प्रतिमाएं भी बनाई गई हैं।
कुम्भलगढ़ वन्यजीव अभयारण्य – Kumbhalgarh wildlife sanctuary in Hindi
कुम्भलगढ़ वन्यजीव अभयारण्य राजस्थान राज्य का एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल और अभयारण्य है, जो राजसमंद जिले में 578 वर्ग किमी के कुल सतह क्षेत्र को कवर करता है। यह वन्यजीव अभयारण्य अरावली पर्वतमाला के पार उदयपुर, राजसमंद और पाली के कुछ हिस्सों को घेरता है। इस अभयारण्य में कुंभलगढ़ किला भी शामिल है और इसी किले के नाम पर इस क्षेत्र का नाम कुम्भलगढ़ वन्यजीव अभयारण्य पड़ा है।
कुम्भलगढ़ का यह पहाड़ी और घना जंगल राजस्थान के रेगिस्तानी क्षेत्र से बिलकुल अलग है, इस पार्क का हरा भरा हिस्सा राजस्थान दो हिस्सों मेवाड़ और मारवाड़ के बीच एक विभाजन रेखा का काम करता है। आपको बता दें कि आज जिस जगह पर यह अभयारण्य स्थित है वो जगह कभी शाही शिकार का मैदान था और 1971 में इसे एक अभयारण्य के रूप में बदल दिया गया था।
यहां बहने वाली बनास नदी अभयारण्य की शोभा बढ़ाती है और इसके लिए पानी का एक प्राथमिक स्त्रोत भी है। कुम्भलगढ़ वन्यजीव अभयारण्य एक बहुत ही विशाल वन क्षेत्र है यहाँ अनेक वन्यजीव जंतु पाए जाते है और यहां की घनी वनस्पतियों से भरपूर जंगल देखने के लिए पूरे साल पर्यटक आते रहते है । इसलिए मेरे अगले ब्लॉग में इस अभ्यारण्य पर आप को पूरी जानकारी उपलब्ध करवा दूंगा । अभी आप लोग कुम्भलगढ़ किले को देखने का आंनद ली जिये ।
कुम्भलगढ़ किले की संस्कृति – Culture of Kumbhalgarh fort
दिसंबर महीने में राजस्थान पर्यटन विभाग कला और वास्तुकला के प्रति महाराणा कुंभा के द्वारा दिए गए योगदान की याद में किले में तीन दिवसीय वार्षिक उत्सव का आयोजन करता है। उस समय किले में रात के समय लाइट और साउंड शो का आयोजन करता है।
समारोह को मनाने के लिए विभिन्न संगीत कार्यक्रम और नृत्य कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं। इस त्योहार के दौरान पर्यटकों का उत्साह बढ़ाने के लिए विभिन्न कार्यक्रम जैसे हेरिटेज फोर्ट वॉक, पगड़ी बांधना, रस्साकशी और अन्य लोगों के बीच मेहंदी मंडाना जैसे खेल और कार्यक्रम का आयोजन करता हैं।
कुंभलगढ़ किले मैं क्या करना चाहिए – Things to do in Kumbhalgarh Fort in Hindi
किले को देखने का एकलौता और सबसे अच्छा रास्ता है आप पूरे किले को पैदल घुमे , आप को किले के अंदर वाहन ले कर जाने की परमिशन नही मिलेगी ।मुख्यद्वार हनुमान पोल के आसपास ही सारे मुख्य आकर्षण स्थित है ।
प्रसिद्ध ग्रेट वाल ऑफ इंडिया मतलब कुम्भलगढ़ की दीवार पर आप ज्यादा दूर तक नहीं जा सकते है सुरक्षा कारणों से इस कुछ दूर जाने के बाद बंद कर दिया गया आप को भी इस बात का ध्यान रखना है की दीवार पर ज्यादा दूर तक जाना खतरनाक हो सकता है । किले के मुख्य द्वार के करीब मुख्य महल और मंदिर स्थित हैं जिनको 1-2 घंटे में आराम से देख सकते है।
लेकिन अगर आप पूरे परिसर को देखना चाहते हैं, तो 6-7 घंटे तक का समय लग सकता है या पूरा दिन इस परिसर का विचरण करना उपयुक्त रहेगा । पर्यटकों के मनोरंजन के लिये हर शाम 6:45 बजे एक लाइट एंड साउंड शो light and sound show शुरू होता है। यहाँ संगीत और रोशनी के माध्यम से इस किले के गौरवशाली इतिहास और राजपूतों की समृद्ध संस्कृति को दिखाया जाता है।
पूरे किले को लगभग एक घंटे के लिए रोशन किया जाता है और उस वक़्त जो दृश्य बनता है वो आप का मनमोह लेता हैं। पूरा किले को एक दिन में देखना लगभग असम्भव है आप को किले के अंदर उपस्थित जितने भी दर्शनीय स्थल है वो सब पैदल ही देखने पड़ेंगे में इसके लिए एक दिन की यात्रा अपर्याप्त है।
कुम्भलगढ़ किले की यात्रा का सबसे अच्छा समय – Best Time To Visit Kumbhalgarh Fort in Hindi
कुंभलगढ़ किले का यात्रा करने का सबसे अच्छा समय जुलाई से फरवरी के महीनों के बीच मानसून या सर्दियां है। इस समय यहाँ की जलवायु बहुत ठंडी रहती है इसलिए शैलानियों के लिए यह समय इस किले को देखने का सबसे अच्छा समय है ।
कुम्भलगढ़ किले के स्थानीय निवासी – Local Resident of Kumbhalgarh Fort in hindi
किले के स्थानीय निवासी मुख्यतया मुस्लिम परिवार है लेकिन बप्पा रावल और उनके वंशज और कुम्भलगढ़ किले के निर्माता महाराणा कुम्भा इन लोग के लिए पूजनीय है ये लोग आज भी उनके वंश की धरोहर को संजो कर रखे हुए है , कुछ हिन्दू परिवार भी किला परिसर में रहते है ।
यहाँ के स्थानीय निवासियों के निवास स्थान किला परिसर के पास ही बने हुए है ये लोग किले में ही रहते है और किले के अंदर खेती बाड़ी करते है । इन लोगों की आय का मुख्य साधन खेती और यहाँ आने वाले पर्यटक है । स्थानीय निवासी किले की सांस्कृतिक विरासत को लेकर बहुत जागरूक है अगर आप किले को नुकसान पहुंचाते है तो ये लोग इसका विरोध करते है ।
कुम्भलगढ़ किले का बाज़ार और भाषा – Kumbhalgarh Fort Market and Local Language
किले के अंदर आप को खाने के लिए रेस्टोरेंट मिल जायेंगे , खरीदारी के लिए हैंडीक्राफ्ट की दुकाने मिल जाएगी । खाने पीने का समान और हैंडीक्राफ्ट का सामान थोड़ा महंगा मिल सकता है । स्थानीय निवासी मुख्यरूप से मेवाड़ी और हिंदी भाषा का उपयोग करते है ।
कुंभलगढ़ किले में ठहरने और भोजन की व्यवस्था – Hotels in Kumbhalgarh Fort in Hindi
एक प्रसिद्ध पर्यटक स्थल होने के कारण किले के आसपास खूब होटल ओर रिसोर्ट बने हुए जिनकी आप गूगल या फिर अन्य ट्रेवेल वेबसाइट के द्वारा बुकिंग करवा सकते है । कुछ स्थानीय होटल भी है जिनको भी आप एक बार देख सकते है, यहां पर जितने भी होटल या रिसोर्ट है वो थोड़े महँगे है । आसपास खाने के लिए भोजनालय ओर ढ़ाबे भी बने हुए है ।किले के अंदर भी खाने के लिए रेस्टोरेंट बने हुए है ।
कुंभलगढ़ किले का प्रवेश शुल्क – Kumbhalgarh Fort Entry Fee in Hindi
भारतीय आगंतुक के लिए प्रवेश शुल्क INR 15 है जबकि विदेशी यात्री के लिए INR 100 है। कैमरे के लिए कोई अलग शुल्क नहीं है।
कुम्भलगढ़ किले में प्रवेश का समय – Kumbhalgarh Fort Timings in Hindi
किला साल भर में सुबह 08:00 बजे से शाम 06:00 बजे तक खुला रहता है।
कुम्भलगढ़ किला कैसे पहुंचे – How To Reach Kumbhalgarh Fort in Hindi
सड़क मार्ग से कुम्भलगढ़ किला कैसे पहुंचे – How To Reach Kumbhalgarh Fort by Road in Hindi
राजस्थान में udaipur to kumbhalgarh distance (दूरी 84 km), नाथद्वारा (दूरी 50 km) और उसके आसपास के सभी प्रमुख शहरों और कस्बों से कुम्भलगढ़ के लिए अक्सर बस सेवाएं हैं। मेरे हिसाब से आपको यहां पर कैब या कार सेवा किराए पर लेकर आना चाहिए है।
रेल से कुम्भलगढ़ किला कैसे पहुंचे – How To Reach Kumbhalgarh Fort by Train in Hindi
कुम्भलगढ़ के लिए कोई सीधी ट्रैन नहीं चलती है लेकिन आप कुम्भलगढ़ के नजदीकी रेल्वे स्टेशन रानी और फालना से आप को नियमित ट्रैन मिल जाएगी । रानी और फालना से कुम्भलगढ़ की दूरी लगभग 35 किलोमीटर है ।
हवाईजहाज से कुम्भलगढ़ किला कैसे पहुंचे – How To Reach Kumbhalgarh Fort by Flight in Hindi
कुंभलगढ़ का निकटतम हवाई अड्डा उदयपुर हवाई अड्डा है(दूरी 100 km)। वहां से आप कुंभलगढ़ के लिए बस, टैक्सी या कार ले सकते हैं।
कुम्भलगढ़ के नजदीकी पर्यटक स्थल – Nearby places to visit kumbhalgarh in Hindi
अगर आप एक लंबी छुट्टियों पर आये हुए या आप को घूमना बहुत पसंद है तो कुम्भलगढ़ के आसपास बहुत सारे पर्यटक स्थल है जैसे उदयपुर Part-01 , उदयपुर Part-02, उदयपुर Part-03, उदयपुर Part-04, सिटी पैलेस, जोधपुर , रणकपुर , सादड़ी में परशुराम महादेव मंदिर , चित्तौड़गढ़ , नाथद्वारा , कुंभलगढ़ वन्यजीव अभ्यारण, माउंट आबू और गुजरात में अम्बा जी ।
(अगर आप मेरे इस आर्टिकल में यहाँ तक पहुंच गए है तो आप से एक छोटा से निवदेन है की नीचे कमेंट बॉक्स में इस लेख से संबंधित आपके सुझाव जरूर साझा करें, और अगर आप को कोई कमी दिखे या कोई गलत जानकारी लगे तो भी जरूर बताए। में यात्रा से संबंधित जानकारी मेरी इस वेबसाइट पर पोस्ट करता रहता हूँ, अगर मेरे द्वारा दी गई जानकारी आप को पसंद आ रही है तो आप अपने ईमेल से मेरी वेबसाइट को सब्सक्राइब जरूर करे, धन्यवाद )