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खीरगंगा – kheerganga In Hindi

समुद्रतल से 2950 मीटर (9678 फ़ीट) की ऊंचाई पर स्थित खीरगंगा ट्रेक हिमाचल प्रदेश के सबसे प्रसिद्ध ट्रैक्स में से एक है। पार्वती वैली में स्थित खीरगंगा ट्रेक एक शुरुआती श्रेणी का ट्रैक माना जाता है। खीरगंगा पीक सुंदर और प्राकृतिक दृश्यों के अलावा कई पौराणिक घटनाओं से जुड़ा हुआ भी है।

इसी वजह से यह ट्रेक पर्यटकों को पूरे साल आकर्षित करता है। इसके अलावा खीरगंगा के शिखर पर स्थित भगवान शिव का प्राचीन मंदिर और मंदिर के पास में स्थित पार्वती कुंड इस ट्रैक का सबसे बड़ा आकर्षण का केंद्र है। खीरगंगा पीक पर स्थित पार्वती कुंड वास्तव में एक प्राकृतिक गर्म पानी का कुंड है (यहाँ बहने वाला प्राकृतिक गर्म पानी सल्फर युक्त है जिसमें औषधीय गुण होते है।)।

पार्वती कुंड से जुड़ी हुई प्राचीन मान्यता के अनुसार सतयुग में यहाँ पर पहाड़ो खीर बहा करती थी और इस कुंड में आकर गिरती थी। आज भी इस कुंड के गर्म पानी का मुख्य स्रोत पहाड़ो से बहने वाला प्राकृतिक गर्म पानी ही है। मूलरूप से बरशेणी गांव से शुरू होने वाला खीरगंगा ट्रेक बहुत ही ज्यादा खूबसूरत ट्रेक है।

खीरगंगा ट्रेक के दौरान आप पार्वती घाटी के में स्थित खूबसूरत गांव होते हुए और विशाल पेड़ो के घने जंगलों, घास के बड़े-बड़े मैदानों, ऊँचाई से गिरने वाले बेहद खूबसूरत झरनों और यहाँ बहने वाली पार्वती नदी को पार करते हुए खीरगंगा के शिखर पर पहुंचते है। जैसे खीरगंगा के शिखर से दिखाई देने वाले अविस्मरणीय होते है उसी तरह खीरगंगा ट्रेक के दौरान दिखाई देने वाले दृश्य भी आप के लिये अविस्मरणीय होंगे।

अगर आप एक शुरुआती ट्रैकर है तो खीरगंगा ट्रेक से ट्रेकिंग जैसा कठिन काम शुरु करना आपके लिये बेहद फायदेमंद होगा, क्योंकि की पूरे ट्रेक के दौरान आपको जगह-जगह पर आराम करने के लिए और खाने के लिये छोटे-छोटे रेस्टोरेंट बने हुए है। यहाँ पर स्थानीय निवासियों द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं की वजह से खीरगंगा ट्रेक वर्तमान समय मे बेहद आसान होगया है।

लेकिन इतना सुविधाजनक होने के बावजूद भी कई लोगो के मन मे खीरगंगा ट्रेक से जुड़े हुए बहुत सारे सवाल होते है जिनका जवाब में आओ सभी को इस पोस्ट में देने का प्रयास करूँगा…

01 खीरगंगा ट्रेक कहाँ से शुरू होता है ?

02 खीरगंगा ट्रेक में कितना टाइम लगता है ?

03 खीरगंगा ट्रेक के दौरान क्या- क्या सुविधा मिलती है ?

04 क्या खीरगंगा ट्रेक सुरक्षित है ?

05 खीरगंगा ट्रेक में कितना खर्च आता है ?

06 खीरगंगा ट्रेक करने का सबसे अच्छा टाइम क्या है ?

07 खीरगंगा का इतिहास क्या है ?

08 खीरगंगा ट्रेक कितना मुश्किल है ?

खीरगंगा का इतिहास – kheerganga History In Hindi

Lord Shiva

खीरगंगा शिखर से जुडी हुई कुल दो पौराणिक कथाएं यहाँ के स्थानीय निवासियों के द्वारा सबसे ज्यादा सुनी जाती है। पहली पौराणिक कथा भगवान शिव के परिवार से जुडी हुई है और दूसरी कथा भगवान परशुराम से जुडी हुई है। हालाँकि यहाँ सुनी जाने वाली दोनों कथाएँ आपस में जुडी हुई है लेकिन दोनों कथाओं के घटनाक्रम अलग-अलग है। तो चलिए में आपको दोनों पौराणिक कथाओं के बारे में बताता हूँ।

पौराणिक कथा – 01

खीरगंगा से जुडी हुई सबसे पहली पौराणिक कथा के बारे में आपने अपने बचपन में बहुत बार सुना होगा की कैसे भगवान गणेश ने माता पार्वती और भगवान शिव की परिक्रमा करके पुरे संसार की परिक्रमा कर ली थी। अब यह पौराणिक घटना कुछ इस प्रकार है की एक बार भगवान गणेश और भगवान कार्तिकेय के बीच में यह विवाद छिड़ जाता है की माता पार्वती और भगवान शिव को सबसे प्रिय कौन है।

गणेश जी कार्तिकेय को कहते है माता पार्वती और भगवान शिव सबसे ज्यादा उन्हें प्रेम करते है, और इधर कार्तिकेय गणेश जी को कहते है की माता पार्वती और भगवान शिव सबसे ज्यादा उन्हें प्रेम करते है। बहुत देर वाद-विवाद करने के बाद गणेश जी और कार्तिकेय इस निष्कर्ष पर पहुँचते ही की माता पार्वती और भगवान शिव ही बता पाएंगे की उन्हें सबसे ज्यादा प्रिय कौन है।

इसलिए गणेश जी और कार्तिकेय अपनी जिज्ञासा समाप्त करने के लिए माता पार्वती और भगवान शिव के पास जाते है और उन दोनों से यह पूछते है की उन्हें सबसे प्रिय कौन है। गणेश जी और कार्तिकेय की बात सुन कर माता पार्वती और भगवान शिव दुविधा में पड़ जाते है। बहुत  देर विचार-विमर्श करने के बाद माता पार्वती और भगवान शिव एक निष्कर्ष निकालते है की गणेश जी और कार्तिकेय के बीच में एक प्रतिस्पर्धा रखनी चाहिए और उस प्रतिस्पर्धा में जो भी विजेता होगा वही माता पार्वती और भगवान शिव को सबसे प्रिय होगा।

यह निश्चय करने के बाद माता पार्वती और भगवान शिव गणेश जी और कार्तिकेय को अपने पास बुलाते है और प्रतिस्पर्धा के बारे में बताते है। माता पार्वती और भगवान शिव गणेश जी और कार्तिकेय को बताते है की उन दोनों में से जो भी सबसे पहले पृथ्वी की तीन परिक्रमा कर लेगा वह विजेता होंगे और वही माता पार्वती और भगवान शिव को सबसे ज्यादा प्रिय होंगे।

प्रतिस्पर्धा के बारे में सुन कर भगवान कार्तिकेय तुरंत अपने वाहन मोर पर सवार हो कर पृथ्वी की परिक्रमा करने निकल जाते है और वहीँ भगवान गणेश खड़े-खड़े यह सोचते है की वो जल्द से जल्द पुरी पृथ्वी की परिक्रमा कैसे करें। क्यों की उनका वाहन तो मूषक है और मूषक पृथ्वी की परिक्रमा इतनी जल्दी करने में सक्षम नहीं था।

बहुत देर सोचने के बाद भगवान गणेश माता पार्वती और भगवान शिव की तीन परिक्रमा करते है और उनके चरणों में बैठ जाते है। भगवान गणेश के परिक्रमा करने के कुछ देर बाद कार्तिकेय भी पृथ्वी की तीन परिक्रमा करके वापस आ गए और अपने आप को विजेता महसूस करने लगे क्योंकि भगवान गणेश तो वहीँ पर बैठे थे जहाँ कार्तिकेय उनको छोड़ कर गए थे।

लेकिन भगवान गणेश द्वारा की गई परिक्रमा से माता पार्वती और भगवान शिव बड़े अचम्भित थे। इसलिए उन्होंने भगवान गणेश से पूछा की वो क्यों पृथ्वी की परिक्रमा करने नहीं गए। इस पर भगवान गणेश माता पार्वती और भगवान शिव को बड़ा सुन्दर जवाब देते है की “मेरे लिए तो पूरा संसार आप ही है इसलिए चाहे में पुरे संसार की परिक्रमा करूँ या आप दोनों की मेरे लिए तो बात एक ही है“।

इतना सुन कर माता पार्वती और भगवान शिव गणेश जी को गले लगा लेते है। इधर कार्तिकेय बड़े निराश हो जाते है क्योंकि गणेश जी बिना किसी प्रयास अपनी बुद्धि के बल पर प्रतिस्पर्धा में विजयी हो जाते है। इसी निराशा की वजह से कार्तिकेय उस स्थान से निकलकर पार्वती घाटी चले जाते है और वहां पर ध्यान मग्न हो जाते है।

कार्तिकेय के द्वारा पार्वती घाटी में ध्यान मग्न होने की सुचना पाकर माता पार्वती बड़ी चिंतित होती है। कार्तिकेय के ध्यान मग्न होने के समय उन्हें किसी प्रकार की असुविधा ना हो इसलिए जिस स्थान पर कार्तिकेय ध्यान कर रहे थे उस स्थान पर माता पार्वती दूध की नदी बहा देती है। ऐसा माना जाता है की  जिस स्थान पर भगवान कार्तिकेय ध्यान मग्न थे उसी स्थान पर माता पार्वती ने दूध की नदी बहा दी थी।

जिसे उस समय दूधगंगा के नाम से जाना जाता था। अब दूधगंगा को खीरगंगा कैसे कहा जाने लगा उससे जुडी हुई एक अलग पौराणिक कथा है।

पौराणिक कथा – 02

खीरगंगा से जुडी हुई पहली पौराणिक कथा में हमें यह पता चलता है की किस प्रकार कार्तिकेय पार्वती घाटी में आते है और ध्यानमग्न हो जाते है, और कैसे माता पार्वती भगवान कार्तिकेय को ध्यान करते समय किसी प्रकर की असुविधा ना हो इसलिए पार्वती घाटी में दूध कि नदी बहा देती है और इस वजह से इस स्थान को दूधगंगा के नाम से जाना जाने लगता है।

अब दूसरी पौराणिक घटना में हम यह जानेंगे की ऐसा क्या हुआ था की दूधगंगा को खीरगंगा के नाम से जाना जाने लगा। दूसरी पौराणिक घटना के अनुसार कुछ समय के बाद कार्तिकेय जब अपना ध्यान पूरा करके यह स्थान छोड़कर जाने वाले होते है। इसका पता जब भगवान शिव को चलता है तो वह एक बात से बड़े चिंतित हो जाते है, की जिस स्थान पर कार्तिकेय ध्यान कर रहे थे उनके जाने के बाद पार्वती घाटी में  स्थान पर बहने वाली दूधगंगा का दुरूपयोग होगा।

इस समस्या का हल निकालने के लिए भगवान शिव ऋषि परशुराम को अपने पास बुलाते है और कोई उपाय करने के लिए बोलते है जिससे कार्तिकेय के ध्यान करने वाले स्थान पर बहने वाली दूधगंगा नदी का दुरुपयोग ना हो। बहुत विचार करने के बाद ऋषि परशुराम इस स्थान पर खीर का प्रसाद बनाने का विचार करते है।

दूधगंगा में बहने वाले दूध का उपयोग करके बनी खीर को जब ऋषि परशुराम खाने वाले होते है तो उस समय अचानक उनके हाथ से कीर का प्याला एक झटके से दूर जाकर गिर जाता है। इस घटना से ऋषि परशुराम बड़े गुस्सा होते है और अपना फरसा निकाल लेते है। ऋषि परशुराम के अचानक इतने क्रोधित होने पर सभी देवतागण उनके पास आते है उनके क्रोधित होने का कारण पूछते है।

इस पर ऋषि परशुराम बताते है की जिस किसी ने भी उनका और उनके भोजन का अपमान किया है वो उस दण्डित जरूर करेंगे। अब स्थिति को सुधारने के लिए भगवान शिव ऋषि परशुराम के पास आते है और उन्हें सुझाव देते है की वह गंभीरता से स्थिति को समझने का प्रयास करे।  भगवान शिव के दिए गए सुझाव के अनुसार ऋषि परशुराम ध्यान की स्थिति में आ जाते है।

ध्यान करते समय उन्हें पता चलता है की यहाँ बहने वाली दूधगंगा ने एक छोटी बच्ची के रूप में हल्का फुल्का मजाक किया था।  लेकिन यह हल्का फुल्का मजाक ऋषि परशुरराम को पसंद नहीं और यह जानने के बाद उनका और उनके भोजन का अपमान खुद दूधगंगा नदी किया है, तो दूधगंगा नदी को श्राप देते है की आज से यहाँ बहने वाली दूधगंगा नदी में बहने वाला दूध पानी में बदल जाएगा और इस खीरगंगा के नाम से जाना जाएगा।

कहा जाता है की उस समय के बाद से ही इस स्थान को खीरगंगा के नाम से जाना जाने लगा। आज भी आप खीरगंगा पीक पर स्थित पार्वती कुंड में सफ़ेद दाने दिखाई देते है।

खीरगंगा ट्रेक – kheerganga Trek In Hindi

Trek in Kheerganga | Ref img

हिमाचल के सबसे प्रसिद्ध ट्रैक्स में से एक खीरगंगा ट्रेक पर्यटकों के लिए पूरे साल खुला रहता है। पार्वती घाटी में स्थित खीरगंगा ट्रेक को प्रकृति का स्वर्ग भी कहा जाता है। हालांकि यहाँ पर जब भी बहुत ज्यादा बर्फबारी होती है तो उस समय सर्दियों के मौसम में कुछ समय के लिए यह ट्रेक बंद कर दिया जाता है।

इसके अलावा मॉनसून के मौसम में भी यह ट्रेक बहुत खूबसूरत हो जाता है लेकिन अधिक बारिश की वजह से पूरे ट्रेक पर फिसलन बहुत बढ़ जाती है। इस वजह से हो सके तो मॉनसून के मौसम में बहुत ही जरूरी हो तभी यह ट्रेक करें। खीरगंगा ट्रेक की कुल दूरी 14 किलोमीटर है जो कि बरशेणी गांव से शुरू होता है।

खीरगंगा ट्रेक पूरा करने में आपको कुल दो दिन का समय लगता है। इसके अलावा आप खीरगंगा ट्रेक से कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित बुनी-बुनी पास का ट्रैक भी कर सकते हो । बुनी-बुनी पास का ट्रैक करने के लिए आपको एक दिन अतिरिक्त अपने पास रखना होगा। क्योंकि खीरगंगा से बुनी-बुनी पास का ट्रैक पूरा करने में आपको एक दिन का समय लग जायेगा।

वैसे अगर आप चाहे तो एक दिन में भी खीरगंगा का ट्रैक पूरा किया जा सकता है लेकिन यह आपके लिए बहुत ज्यादा थकाने वाला कार्यक्रम हो जाता है। और आप इस वजह से इस ट्रैक का पूरी तरह से आनंद भी नही ले पाते है। पूरे ट्रेक के दौरान आप पार्वती घाटी के घने जंगलों, नदियों और पूरे साल बहने वाले झरनों को पार करते हुए खीरगंगा के शिखर तक पहुँचते है।

हाल के कुछ वर्षों में इस ट्रैक पर पर्यटकों की आवाजाही बहुत ज्यादा हो गई है इसी वजह से स्थानीय निवासियों को यहाँ पर रोजगार के भी बहुत अच्छे अवसर भी प्राप्त होने लगे है। खीरगंगा ट्रेक के दौरान आपको खाने-पीने और ठहरने जैसी सभी तरह की सुविधाएं बहुत आसानी से उपलब्ध हो जाती है।

पूरे ट्रेक के दौरान आपको थोड़ी-थोड़ी दूरी पर छोटे-बड़े रेस्टोरेंट और कैफ़े मिल जाएंगे और इसके अलावा नाईट स्टे के लिए आपको कैंपिंग की सुविधा भी मिल जाएगी । खीरगंगा शिखर पर बने हुए टेंट का शुल्क 1000/- रुपये से शुरू होता है जिसमें डिनर और ब्रेकफास्ट शामिल होता है।

अगर आप अपने साथ कैंपिंग का सामान लेकर आये है तो आप डिनर और ब्रेकफास्ट का शुल्क देकर भी यहाँ रुक सकते है। अगर आप एक अनुभवी ट्रैकर है तो खीरगंगा ट्रेक आप बड़े आराम से अकेले ही पूरा कर सकते है लेकिन अगर आपका यह पहला ट्रेक है तो मेरे सुझाव आपके लिए यही होगा कि आप किसी ट्रैकिंग एजेंसी या फिर स्थानीय गाइड के साथ यह ट्रेक करें।

हालांकि खीरगंगा ट्रेक बहुत आसान ट्रेक माना जाता है और इस ट्रैक के लिए कहा भी यही जाता है कि शुरुआती ट्रैकर के लिए खीरगंगा ट्रेक सबसे अच्छा है। लेकिन पहाड़ो में परिस्थितियां कब बदल जाती है इसका पता नही चलता है इसी वजह से किसी अनुभवी व्यक्ति के साथ ट्रेक करना हमेशा एक अच्छा विकल्प माना जाता है।

वैसे तो खीरगंगा ट्रेक पूरा करने में आपको दो दिन का समय लगता है लेकिन उसके अलावा आपको बरशेणी गांव तक पहुँचने और वापस घर लौटने का समय अतिरिक्त रखना होगा।

Kheerganga Trek Trekking | Ref img

खीरगंगा ट्रेक पहला दिन – Kheerganga Trek Day one

हम यह मान कर चलते है की आप खीरगंगा ट्रेक के लिए आप अपनी यात्रा दिल्ली से शुरू करेंगे। अब आपको यह बात ध्यान में रखनी है की खीरगंगा या उसके किसी भी नजदीकी गांव के लिए आपको सीधी बस सेवा उपलब्ध नहीं होगी। खीरगंगा पहुँचने के लिए आपको सबसे पहले दिल्ली से मनाली के लिए चलने वाली सरकारी और निजी बस के सहायता से भुंतर पहुँचना होगा।

दिल्ली से भुंतर की दुरी 505 किलोमीटर है। भुंतर पहुँचने के बाद आप स्थानीय बस सर्विस और टैक्सी की सहायता से कसोल पहुँच जाए। कसोल पहुँचाने के बाद आप  कसोल या इसके आसपास स्थित गांव में अपने लिए होटल या टेंट बुक करवा सकते है।

इसके अलावा अगर आपके पास कुछ अतिरिक्त समय बचता है तो आप कसोल से मात्र 5.5 किलोमीटर की दुरी पर स्थित मणिकरण गुरुद्वारा जा कर आ सकते है। अब यदि आप किसी ट्रैकिंग एजेंसी के साथ यह ट्रेक कर रहे है तो वो लोग आप को सारी जानकारी पहले से ही दे देंगे।

नोट:- भुंतर में  एयरपोर्ट भी बना हुआ है जिसे कुल्लू-मनाली एयरपोर्ट के नाम से जाना जाता है। 

खीरगंगा ट्रेक दूसरा दिन – Kheerganga Trek Day Two

कसोल से अगले दिन सुबह खीरगंगा ट्रेक करने के लिए बरशेणी गांव  की और निकलना होगा क्योंकि, खीरगंगा ट्रेक का शुरुआती बिंदु बरशेणी गांव है। आप कसोल से शेयरिंग टैक्सी कैब की सहायता से बरशेणी गांव बड़ी आसानी से पहुँच सकते है।

बरशेणी से खीरगंगा ट्रेक की कुल दुरी 14 किलोमीटर है। खीरगंगा तक पहुँचने के लिए तीन ट्रेक रूट बने हुए है, जिनमें से दो रूट तो बरशेणी से शुरू होते है और एक रूट तोश से शुरू होता है। तीनों ट्रेक रूट इस प्रकार है।

खीरगंगा ट्रेक रूट – Kheerganga Trek Route in Hindi

रूट 01 – भुंतर – कसोल – बरशेणी – कालगा रूट – खीरगंगा टॉप

रूट 02 – भुंतर – कसोल – बरशेणी – नकथन – रुद्रनाग – खीरगंगा टॉप

रूट 03 – भुंतर – कसोल – बरशेणी (तोश के लिए आपको बरशेणी टैक्सी करनी होगी)- तोश – खीरगंगा टॉप

इन तीनो ट्रेक रूट में अधिकांश पर्यटक बरशेणी से कालगा वाले रूट से ज्यादा जाना पसंद करते है। बाकी ये आप पर निर्भर करता है कि इन तीनों रूट में से आप कौनसे रूट खीरगंगा टॉप तक जाना चाहोगे। ये तो हो गई रूट के बात अब आप जिस किसी भी लोकेशन से यह ट्रेक शुरू करोगे तो आप कोकम से कम 6-7 घंटे खीरगंगा टॉप पर पहुँचने में लग जाएँगे।

खीरगंगा टॉप पर पहुँचने के बाद आप अपने लिए वहाँ पर नाईट स्टे के लिए टेंट बुक करवा सकते है। टेंट बुकिंग के साथ आपको ब्रेकफास्ट और डिनर की सुविधा भी उपलब्ध करवाई जाती है। पूरे ट्रेक के दौरान आपके खाने-पीने ले लिए छोटे-बड़े रेस्टोरेंट और कैफ़े बने हुए है इसलिए आप अगर अपने साथ कुछ खाने-पीने के लिए ना भी लेकर जाएं तो भी आपको किसी प्रकार की परेशानी नहीं होने वाली।

हाँ यदि आप अपने साथ कैंपिंग का सामान लेकर चल रहे तो आपको खीरगंगा टॉप पर सिर्फ ब्रेकफास्ट और डिनर का शुल्क ही देना होगा।

खीरगंगा ट्रेक तीसरा दिन – Kheerganga Trek Day Three

वैसे तो यह खीरगंगा ट्रेक का आखिरी दिन है, आज के दिन आप सुबह जल्दी उठ कर खीरगंगा टॉप पर बने हुए भगवान शिव के प्राचीन मंदिर में दर्शन कर सकते है और इसके अलावा खीरगंगा का प्रमुख आकर्षण माना जाने वाले पार्वती कुंड में स्नान का आनंद भी ले सकते है। पार्वती कुंड वास्तव प्राकृतिक रूप से गर्म पानी का कुंड है।

जिसके लिए कहा जाता है कि इसमें स्नान करने से कई बीमारियां दूर हो जाती है, इसके अलावा पार्वती कुंड का धार्मिक महत्त्व भी है।  अगर आपके पास अतिरिक्त एक और है खीरगंगा से मात्र 05 किलोमीटर की दूरी पर स्थित बुनी-बुनी पास का ट्रैक भी कर सकते है। नहीं तो आप पार्वती कुंड में स्नान करने के बाद और ब्रेकफास्ट करने के बाद बरशेणी के लिए वापस रवाना हो सकते है।

अगर आप कालगा रूट से खीरगंगा आये है तो आप बरशेणी वापस जाते समय रुद्रनाग और नकथन वाले रूट से दोबारा लौटे। खीरगंगा से बरशेणी के लिए वापसी रूट के लिए रुद्रनाग और नकथन वाला रूट सबसे अच्छा माना जाता है। बरशेणी पहुँचने के बाद आप कसोल के लिए टैक्सी ले सकते है। इसके बाद आप कसोल से अपने घर के लिए लौट सकते है।

नोट :- अगर आपके पास अतिरिक्त समय है और यदि आप बुनी-बुनी पास वाला ट्रेक करते है तो आपको  खीरगंगा ट्रेक पूरा करने  में एक दिन अतिरिक्त और लगेगा ।

खीरगंगा ट्रेक के लिए सबसे अच्छा समय – Best Time for Kheerganga Trek in Hindi

Parvati River Kheerganga | Ref img

वैसे तो आप पुरे साल में कभी भी खीरगंगा ट्रेक करने जा सकते है। अब यह आप पर निर्भर करता ही आप कब यहाँ ट्रेक करना जाना चाहते है। वैसे यह माना जाता है की मार्च से लेकर जून महीने तक का समय खीरगंगा ट्रेक करने के सबसे अच्छा समय माना जाता है। इसके अलावा अगर आप खीरगंगा का विंटर ट्रेक करना चाहते है जनवरी से मार्च तक समय आप के लिए सबसे अच्छा रहेगा।

हालाँकि विंटर में यहाँ पर बहुत ज्यादा बर्फ़बारी होती है और यहाँ पर मिलने वाली सुविधाएँ भी बहुत सीमित हो जाती है। इसके अलावा आपको विंटर ट्रेक करते समय ट्रैकिंग से जुडी हुई सारी सुरक्षा सामग्री साथ में लानी होगी। अगर आपको  फोटोग्राफी पसंद है तो मानसून के बाद सितम्बर और अक्टूबर महीना सबसे अच्छा माना जाता है।

यहाँ पर मानसून ट्रैकिंग भी की जा सकती है लेकिन इसके लिए भी आपको अतिरिक्त सावधानी रखनी होगी, क्योंकि मानसून के समय पुरे ट्रेक में बहुत फिसलन हो जाती है और भूस्खलन का खतरा भी बना रहता है।

खीरगंगा का तापमान – Temperature of Kheerganga in Hindi

Kheerganga Weather | Ref img

01 गर्मियों में खीरगंगा का तापमान – Kheerganga Temperature in Summer

अप्रैल से जून महीने तक – अधिकतम: लगभग 37℃ / न्यूनतम: लगभग 13℃

02 मानसून में खीरगंगा का तापमान – Kheerganga temperature in monsoon

अप्रैल से जून महीने तक – अधिकतम: लगभग 37℃ / न्यूनतम: लगभग 13℃

03 सर्दियों में खीरगंगा का तापमान – Kheerganga Temperature in Winter

अक्टूबर से फरवरी महीने तक – अधिकतम: लगभग 0℃ / न्यूनतम: लगभग -4℃ और कम

खीरगंगा ट्रेक कॉस्ट – Kheerganga Trek Cost in Hindi

Camping in Kheerganga | Reg img

भारत में बहुत सारी ऐसी ट्रैकिंग एजेंसीज है जो की पुरे साल खीरगंगा ट्रेक का समिट करवाती है। इन सभी ट्रैकिंग एजेंसीज के पास अनुभवी ट्रेक गाइड है जो को आप को सुरक्षित तरीके से ट्रेक पूरा करवाते है। खीरगंगा ट्रेक पूरा करने में आपको 02 दिन का समय लगता है, इसमें आप चाहे तो 01 दिन और जोड़ कर बुनी-बुनी पास का ट्रेक भी पूरा कर सकते है।

लगभग सभी ट्रैकिंग एजेंसीज 5000/- से 7000/- रूपए में ट्रेक करवाते है और अगर आप खीरगंगा ट्रेक में बुनी-बुनी पास वाला ट्रेक जोड़ते है तो आपको 1000/- से 2000/- रूपए तक अतिरिक्त देने होंगे। कुल मिला कर आपकी खीरगंगा ट्रेक की कॉस्ट 10000/- रूपए तक जा सकती है। खीरगंगा ट्रेक कॉस्ट इस बात पर भी निर्भर करती की आपको ट्रेक के दौरान एजेंसीज क्या -क्या सुविधा उपलब्ध करवाती है।

इसलिए आप जब भी किसी ट्रेकिंग एजेंसीज के साथ यह ट्रेक करें तब आप उन लोगों से यात्रा कार्यक्रम के बारे में पूरी जानकारी जरूर ले लेवें। इसके अलावा अगर यह ट्रेक आप अपने आप करना चाहते है तो आप यह मान कर चले की पुरे ट्रेक के दौरान आपको ट्रेवल कॉस्ट आने और जाने का 4000/- रूपये के आसपास होगी अगर आप वॉल्वो बस से ट्रेवल करते है।

अगर आप साधारण बस और सरकारी बस से खीरगंगा आना जाना करते है तो यह कॉस्ट 2500/- से लेकर 3000/- रूपए तक जा सकती है। इसके अलावा खीरगंगा और कसोल में आपके ठहरने और खाने की की लागत 2000/- से 2500/- के आसपास रहनी चाहिए।

नोट :- 01 खीरगंगा ट्रेक की लागत लगभग सभी ट्रैकिंग एजेंसीज की अलग होती है। 

02 ऊपर बताई गई सभी तरह की लागत अनुमानित है इस पर हमारी की किसी भी प्रकार की जवाबदेही नहीं है। 

खीरगंगा ट्रेक के लिए टिप्स – Tips For Kheerganga Trek in Hindi

Kheerganga Trek Tips | Ref img

01 पहचान पत्र

02 मफलर

03 पानी की बोतल ( 3-5 से लीटर )

04 ड्राई फ्रूट्स और पैकेट फ़ूड

05 गरम कपड़े ( स्वेटर / जैकेट / पुल ओवर )

06 पोंचो / रेन कोट ( बारिश के मौसम के लिए )

07 धुप का चश्मा

08 टोर्च / पॉवर बैंक / कैमरा के लिए एक्स्ट्रा बैटरी

09 कैंपिंग का सामान अगर संभव हो। ( चटाई / स्लीपिंग बैग )

10 इलेक्ट्रॉनिक सामान को बारिश से बचाने के वाटरप्रूफ बैग।

11 नींबू और नमक या इलेक्ट्रोलाइट पाउडर/पेय (इलेक्ट्रल/गेटोरेड/ग्लूकॉन डी)

12 ट्रैकिंग शूज / ट्रैकिंग पेंट / क्विक ड्राई टीशर्ट /केप

13 सीटी (आपात स्थित के लिए )

14 प्राथमिक चिकित्सा किट :-  कैंची, सनस्क्रीन (एसपीएफ़ 50+), बैंड एड्स (वाटर प्रूफ), एनाल्जेसिक स्प्रे (रिलीस्प्रे, वोलिनी), एंटीसेप्टिक लिक्विड (सेवलॉन, डेटॉल), एंटीसेप्टिक पाउडर (पोविडोन-आयोडीन आधारित पाउडर जैसे सिप्लाडाइन, सेवलॉन), पट्टी, रुई, क्रेप पट्टी आदि।

15 दवाइयां :- बुखार, सिरदर्द, मोशन सिकनेस, लूज़ मोशन, उल्टी और एसिडिटी आदि ।

16 खीरगंगा ट्रेक शुरू करने से पहले मौसम के बारे में जरूर पता करें।

17 अगर आप को पहाड़ों में ट्रैकिंग का अनुभव नहीं है तो अपने साथ स्थानीय गाइड कर सकते है।

18 ट्रेक शुरू करने से पहले आप जिस ट्रैकिंग एजेंसी के साथ यह ट्रेक कर रहे है तो आप सबसे पहले यात्रा कार्यक्रम की जानकारी जरूर लेना ना भूले

19 ट्रेक शुरू करने से पहले खीरगंगा ट्रेक से जुड़े हुए नियमों के बारे में जानकारी जरूर ले लेवें।

20 अगर आप किसी ट्रैकिंग एजेंसी के साथ यह ट्रेक नहीं कर रहे है तो आप अपने साथ स्थानीय ट्रेक गाइड जरूर कर लेवें।

21 अगर आप एक अनुभवी ट्रेकर नहीं है तो भूल कर भी यह ट्रेक अकेले  ना करें।

22 ट्रेक के दौरान आपको किसी भी तरह के मोबाइल नेटवर्क नहीं मिलते है।  साथ में ही आपको आपके इलेक्ट्रॉनिक उपकरण चार्ज करने की सुविधा भी उपलब्ध नहीं होगी इसलिए आप ट्रेक के दौरान अतिरिक्त बैटरी और पॉवरबैंक जरूर साथ रखें।

23 मानसून के मौसम में ट्रेक फिसलन भरा हो जाता है इसलिए इस समय थोड़ी अतिरिक्त सावधानी रखें।

24 ट्रेक पर जाने से पहले एक बार मौसम जरूर चेक कर ले और उसी के अनुरूप भी कपडे और सामान साथ में रखें।

( नोट :- किसी भी तरह के दवाई लेने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लेवें। )

खीरगंगा में कहाँ रुके – Hotels in Kheerganga in Hindi

Camping in Kheerganga | Ref img

हाल के वर्षो में खीरगंगा ट्रेक पर्यटकों में खासा प्रसिद्ध हुआ है जिस वजह से यहाँ पर पुरे साल पर्यटकों की भीड़ देखी जा सकती है। इसी वजह से यहाँ पर हाल के वर्षो खीरगंगा, कसोल और आसपास के गांव में छोटे- बड़े होटल, हाउस स्टे और कैंपिंग साइट बन गए है।

इसके अलावा बहुत साड़ी ऑनलाइन होटल बुकिंग वाली वेबसाइट भी कसोल के लिए रूम बुकिंग की सर्विस उपलब्ध करवाती है। अगर आप किसी ट्रैकिंग एजेंसी के साथ यह ट्रेक कर रहे है तो वो लोग खीरगंगा और कसोल में ठहरने की व्यवस्था पहले से कर के रखते है।

खीरगंगा कैसे पहुँचे – How To Reach Kheerganga in Hindi

How to reach Kheerganga | Ref img

हवाई मार्ग से खीरगंगा कैसे पहुँचे – How To Reach Kheerganga By Air in Hindi

खीरगंगा के सबसे नजदीकी हवाई अड्डा भुंतर का कुल्लू-मनाली हवाई अड्डा है। भुंतर से आप टैक्सी की सहायता से कसोल होते हुए बरशेणी पहुँच सकते है। बरशेणी पहुंचने के बाद आप ट्रेक करके खीरगंगा पहुँच सकते है।

इसके अलावा चंडीगढ़ हवाई अड्डा भी सबसे नजदीकी हवाई अड्डा है। चंडीगढ़ हवाई अड्डे से खीरगंगा की दुरी मात्र 308 किलोमीटर है। चंडीगढ़ से आप बस और टैक्सी की सहायता से आसानी से खीरगंगा (कसोल)पहुँच सकते है।

भुंतर के लिए आपको भारत के प्रमुख शहरों से सिमित उड़ान मिल जायेगी जबकि चंडीगढ़ एयरपोर्ट देश और दुनिया के कई देशो से नियमित हवाई सेवा से जुड़ा हुआ है।

रेल मार्ग से खीरगंगा कैसे पहुँचे – How To Reach Kheerganga By Train in Hindi

पठानकोट रेलवे स्टेशन खीरगंगा के सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन है। पठानकोट से खीरगंगा (कसोल) की दुरी लगभग 270 किलोमीटर है। पठानकोट से आप खीरगंगा (कसोल) बस, टैक्सी और कैब की सहायता से बड़ी आसानी से पहुँच सकते है।

इसके अलावा चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन भी खीरगंगा (कसोल) के सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन है। पठानकोट और चंडीगढ़ यह दोनों रेलवे स्टेशन भारत के लगभग सभी प्रमुख रेलवे स्टेशन से बहुत अच्छी तरह से जुड़े हुए है।

सड़क मार्ग से खीरगंगा कैसे पहुँचे – How To Reach Kheerganga By Road in Hindi

खीरगंगा के सबसे नजदीकी शहर भुंतर सड़क मार्ग से बहुत अच्छी तरह से जुड़ा है। दिल्ली से मनाली जाने वाली सभी बस भुंतर होकर ही जाती है। इसलिए आप जब भी खीरगंगा ट्रेक करने का कार्यक्रम बना रहे है तो आप को सबसे पहले भुंतर आना होगा। उसके बाद भुंतर पहुँचने के बाद आपको सबसे पहले कसोल आना होता है।

कसोल से आपको  बरशेणी टैक्सी और बस सेवा मिल जायेगी। दिल्ली, चंडीगढ़ और भारत के कई अन्य शहरों से भुंतर के लिए नियमित बस सेवा उपलब्ध रहती है। अगर आप अपने निजी वाहन से खीरगंगा आना चाहते है तो में नीचे रोड मैप लगा दूंगा उसको देख कर आप खीरगंगा आसानी से पहुँच सकते है।

खीरगंगा रोड मैप

दिल्ली –  करनाल – अम्बाला – बिलासपुर – भुंतर – कसोल  – बरशेणी – खीरगंगा (12 Km ट्रेक )

Chandigarh to Kheerganga Distance – 308 KM

Kasol to Kheerganga Distance – 22 KM

Manali to Kheerganga Distance – 97 KM

Delhi to Kheerganga Distance – 540 KM

Bhuntar to Kheerganga Distance – 71 KM 

Pathakot to Kheerganga Distance – 270 KM

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