जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क 2024 | कॉर्बेट नेशनल पार्क उत्तराखंड | Corbett National Park 2024 In Hindi | Jim Corbett National Park Travel Guide 2024 in Hindi | Corbett National Park History In Hindi | Things To Do in Jim Corbett National Park In Hindi | Best time to visit | Entry Fee | Timings
जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क – Jim Corbett National Park in Hindi
जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क भारत का सबसे पुराना और सबसे पहला राष्ट्रीय उद्यान है जिसकी की स्थापना वर्ष 1936 में की गई थी। भारत का सबसे पहला राष्ट्रीय उद्यान होने के साथ-साथ यह उद्यान भारत का सबसे पहला टाइगर रिज़र्व भी है। इस राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना के समय इसका नाम हैली नेशनल पार्क था जिसे बाद में वर्ष 1954-55 में बदलकर रामगंगा राष्ट्रीय उद्यान कर दिया गया था।
लेकिन मात्र एक वर्ष के अंतराल यानि के वर्ष 1955-56 में इस राष्ट्रीय उद्यान का दोबारा से नाम बदलकर उस समय के प्रसिद्ध प्रकृति प्रेमी और फोटोग्राफर जिम कॉर्बेट के नाम पर इस उद्यान का नाम जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान कर दिया गया। उत्तराखंड के नैनीताल जिले में स्थित जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान 520 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है।
इस राष्ट्रीय उद्यान के वन क्षेत्र में पहाड़, नदी, दलदल, विशाल घास के मैदान और एक बड़ी झील शामिल है। यहाँ पर स्थित पहाड़ो की ऊँचाई 400 मीटर से 1200 मीटर तक जाती है। इस राष्ट्रीय उद्यान में वन्यजीवों के अलावा वानस्पतिक विभिन्नता भी देखने को मिलती है। इस उद्यान में आपको मुख्य रूप से आम, हल्दू, साल, पीपल और रोहिणी जैसे पेड़ आसानी से दिखाई दे जाते है।
जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान का 73% हिस्सा घने जंगलों से घिरा हुआ है, और इसके 10% हिस्से में विशाल घास के मैदान बने हुए है, और बाकी के हिस्से में नदी और दलदल वाला क्षेत्र आता है। अनुमानित तौर पर इस राष्ट्रीय उद्यान में स्तनधारी जीवों की कुल 50 प्रजातियां, पेड़ो की 110 प्रजातियां, 25 सरीसृप की प्रजातियां और 580 पक्षियों की प्रजातियां पाई जाती है।
जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान के वन्यजीव और वानस्पतिक विविधता इसे भारत का सबसे प्रसिद्ध वन्यजीव अभ्यारण्य बनाती है। जिस वजह से प्रति वर्ष लाखों के संख्या में देशी और विदेशी सैलानी यह राष्ट्रीय उद्यान देखने यहाँ आते है।
लेकिन पर्यटन से जुड़ी हुई गतिविधियों के बढ़ने की वजह से इस उद्यान में रहने वाले वन्यजीवों में पारिस्थितिक संतुलन बनाये रखना वन विभाग से जुड़े कर्मचारियों और अधिकारियों में गंभीर चुनौती भी बना हुआ है।
जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क का इतिहास – History of Jim Corbett National Park In Hindi
एक उद्यान बनने से पहले जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क का कुछ हिस्सा उस समय की टिहरी गढ़वाल रियासत का हिस्सा हुआ करता था। उस समय इस क्षेत्र के जंगलों को रोहिल्ला राजपूत राजाओं के आक्रमण से बचाने के लिए साफ करवाया गया था। 19वीं शताब्दी में टिहरी के तत्कालीन राजा ने अपनी रियासत का कुछ हिस्सा जिसमे यह वन क्षेत्र भी आता था अंग्रेजों को सौंप दिया ताकि अंग्रेज गोरखाओं को इस क्षेत्र से बाहर निकालने में उनकी मदद कर सके।
उसी के समय के आसपास बक्शा जनजाति के लोगों ने इस वन क्षेत्र में फसल उगाना भी शुरू कर दिया था। लेकिन 1860 में जब टिहरी के राजा ने अंग्रेजों से संधि कर ली तो उन्होंने इस क्षेत्र से बक्शा जनजाति के लोगों का यहाँ से निकाल दिया। इस क्षेत्र के जंगलों को बचाने का कार्य 19वीं शताब्दी में एक ब्रिटिश अधिकारी मेजर रामसे के द्वारा शुरू किया गया था।
1868 में इस वन क्षेत्र को ब्रिटिश वन विभाग ने अपने नियंत्रण में ले लिया और यहाँ पर की जाने वाली खेती और पशु पालन पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया। 1879 में इस क्षेत्र को एक रिज़र्व फारेस्ट घोषित कर दिया गया और यहाँ पर की जाने वाली पेड़ो की कटाई पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया।
वर्ष 1900 की शुरुआत में अंग्रेज अधिकारी ई. आर. स्टीवंस और ई.ए. स्माइथिस सहित कुछ अन्य अंग्रेज अधिकारियों ने मिल कर इस जगह को एक राष्ट्रीय उद्यान बनाने का सुझाव प्रस्तुत किया। इसके अलावा 1907 में कुछ ब्रिटिश अधिकारियों ने इस स्थान पर एक गेम रिज़र्व बनाने का सुझाव भी दिया था।
1930 आते-आते इस वन क्षेत्र की सीमांकन का कार्य शुरू करवा दिया गया था। इसके बाद वर्ष 1936 में इस वन क्षेत्र के लगभग 324 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र का सीमांकन किया गया और इसे हैली नेशनल पार्क नाम दिया गया। इस राष्ट्रीय उद्यान का नाम उस समय इस क्षेत्र के सयुंक्त प्रान्त गवर्नर सर मैल्कम हैली के नाम पर रखा गया था।
इस प्रकार वर्ष 1936 में एशिया का पहला राष्ट्रीय उद्यान हैली नेशनल पार्क अस्तित्व में आया। एक राष्ट्रीय उद्यान घोषित किये जाने के बाद इस वन में व्यवसायिक रूप से लकड़ी की कटाई को प्रतिबंधित कर दिया गया था। उस समय सिर्फ अनुमति लेकर ही केवल घरेलू उपयोग के लिये ही लकड़ी काटी जा सकती थी।
इसके अलावा इस रिज़र्व में रहने वाले वन्यजीवों, सरीसृपों और पक्षियों को पकड़ने और मारने पर भी पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया था। एक राष्ट्रीय उद्यान घोषित किये जाने के बाद कई वर्षों तक यहाँ पर किसी भी प्रकार से पेड़ो की कटाई नहीं हुई लेकिन दूसरा विश्व युद्ध शुरू होने के बाद इस वन क्षेत्र में अत्यधिक रूप पेड़ो की अवैध रूप से कटाई की गई और वन्यजीवों का शिकार किया गया।
भारत के स्वंतंत्र होने के बाद वर्ष 1954-55 में इस राष्ट्रीय उद्यान का नाम बदलकर रामगंगा राष्ट्रीय उद्यान कर दिया गया लेकिन एक वर्ष के अंतराल के बाद वर्ष 1955-56 में इस राष्ट्रीय उद्यान का दोबारा से नाम बदलकर जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान कर दिया गया। जिम कॉर्बेट उस समय के प्रसिद्ध प्रकृति प्रेमी और फोटोग्राफर थे।
वर्ष 1974 में इस राष्ट्रीय उद्यान को प्रोजेक्ट टाइगर वन्यजीव सरंक्षण परियोजना शुरु करने वाले स्थान के तौर पर चुन लिया गया था। वर्ष 1991 में जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क के रिज़र्व एरिया को ओर बढ़ा दिया। वर्ष 1991 में लगभग 798 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र को कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व के बफर जोन के रूप में जोड़ा गया।
इसके अलावा वर्ष 1991 में कालागढ़ डिवीज़न के एक हिस्से के रूप में सीताबनी वन्यजीव अभ्यारण्य के 302 वर्ग किलोमीटर के वन क्षेत्र को भी जिम कॉर्बेट में शामिल कर लिया गया। कॉर्बेट नेशनल पार्क उन तेरह सरंक्षित वन क्षेत्रों में से एक है जो कि वर्ल्ड वाइड फण्ड फ़ॉर नेचर के तराई आर्क लैंडस्केप प्रोग्राम के अंतर्गत कवर किये गया है।
इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य नेपाल और भारत के 13 सरंक्षित वन क्षेत्रों को जोड़कर पांच प्रमुख वन्यजीवों में से तीन बाघ, एक सींग वाला गैंडा और एशियाई हाथी की रक्षा करना है।
जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क का भूगोल – Geography of Jim Corbett National Park In Hindi
जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क की समुद्रतल से ऊंचाई 360 मीटर (1181 फ़ीट) से लेकर 1040 मीटर ( 3412 फ़ीट) तक जाती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि की इस उद्यान में कुछ जगहों पर आपको ढलान के साथ कई घाटियां देखने को मिलती है और इस अलावा कई जगहों पर समतल मैदान बने हुए है। बाकी बचे हुए क्षेत्र में कई छोटे और बड़े पठार बने हुए है जिनकी ऊंचाई 1000 मीटर तक जाती है।
इस उद्यान में बहने वाली रामगंगा नदी की वजह से एक घाटी का भी निर्माण हुआ है जिसे पाटिल दून घाटी के नाम से जाना जाता है। जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क कुल 1318.54 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है, जिसमें से कुल 520 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र इस उद्यान का कोर जोन में आता है, और 797.72 वर्ग किलोमीटर का एरिया बफर जोन में आता है, जिसे सीताबनी वन्यजीव अभ्यारण्य के नाम से भी जाना जाता है ।
जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क का मौसम – Jim Corbett National Park Weather in Hindi
गर्मियों में जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क का मौसम – Jim Corbett National Park Weather in Summer
मार्च से जून महीने तक – अधिकतम: लगभग 40℃ / न्यूनतम: लगभग 30℃
मानसून में जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क का मौसम – Jim Corbett National Park Weather in Monsoon
जुलाई से सितंबर महीने तक – अधिकतम: लगभग 30℃ / न्यूनतम: लगभग 20℃
(मानसून के मौसम में जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क पर्यटकों के लिये बंद रहता है, लेकिन अगर आप मानसून के मौसम में यह उद्यान देखना चाहते है तो इस राष्ट्रीय उद्यान के झिरना और ढेला (जोन) गेट से आप यहाँ पर वाइल्ड लाइफ सफारी का आनंद ले सकते है।)
सर्दियों में जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क का मौसम – Jim Corbett National Park Weather in Winter
अक्टूबर से फरवरी महीने तक – अधिकतम: लगभग 25℃ / न्यूनतम: लगभग 5℃ और कम
जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क का फ्लोरा – Jim Corbett National Park Flora in Hindi
कुल 520 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ जिम कॉर्बेट नेशनल प्राकृतिक रूप से बेहद समृद्ध है। इस उद्यान में ताजा पानी उगने वाली वनस्पति और अल्पाइन वनस्पति दोनों प्रकार के पेड़ पौधे पाए जाते है। इस वन्यजीव अभ्यारण्य में पेड़ और फूलों की अनेक प्रकार की अलग-अलग प्रजातियां देखने को मिलती है।
कॉर्बेट नेशनल पार्क में आपको साल वृक्ष के जंगल, खैर – सिसो के जंगल, हिमालय की शिवालिक पर्वतमाला के पहाड़ और नदी देखने को मिलते है। और यही सब मिलकर इस राष्ट्रीय को वानस्पतिक रूप से घना और समृद्ध भी बनाते है। एक अनुमान के अनुसार जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में 600 से भी ज्यादा पेड़ और फूलों की प्रजातियां पाई जाती है।
इस वजह से वन्यजीव प्रेमियों के अलावा यह राष्ट्रीय उद्यान प्रकृति प्रेमियों को आकर्षित करता है। आपको यह जानकार आश्चर्य होगा की यह राष्ट्रीय उद्यान दुनिया के उन सरंक्षित जगहों में से एक है जहाँ पर साल वनों का एकाधिकार है। जिम कॉर्बेट नेशनल उद्यान के 75% हिस्से पर साल वन ही दिखाई देते है।
इस उद्यान में मुख्य रूप से साल, खैर, बाँस और सिस्सू के पेड़ सबसे ज्यादा देखे जा सकते है। इसके के अलावा चीर पाइन इस उद्यान में पाया जाने वाला इकलौता शंकुधारी वृक्ष है। फूलों की प्रजातियों में आप यहाँ मुख्य रूप से कचनार, सेमल, अमलतास, टेक्टोना ग्रैंडिस, सिल्वर रोबस्टा, यूकेलिप्टस, मिमोसेफोलिया और जैकरांडा बॉटलब्रश ओक आदि देखे जा सकते है।
कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान में आपको झाड़ियां भी देखने को मिलती है जिनमे बेर की कई प्रजातियां आपको यहाँ देखने के लिए मिल सकती है। इसके अलावा आपको यहाँ पर मरोर फली और झाऊ जैसी विभिन्न प्रकार की झाड़िया भी देखने को मिलती है।
जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क के वन्यजीव – Jim Corbett National Park Fauna in Hindi
जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क की स्थापना मुख्य रूप से वन्यजीवों के सरंक्षण के लिए की गई थी। फिर आगे चल कर इसे एक टाइगर रिज़र्व भी बना दिया गया। लेकिन वर्तमान में यह राष्ट्रीय उद्यान 586 से अधिक वन्यजीवों और पक्षियों की प्रजातियों का घर है। यहाँ पाए जाने वाले पक्षियों में क्रेस्टेड सर्प ईगल, रेड जंगलफॉवल और ब्लॉसम-हेडेड पैराकेट मुख्य है।
इसके अलावा सरीसृपों की 33 प्रजातियां, मछलियों की 07, उभयचरों की 07 और ड्रैगनफली की 36 प्रजातियां भी पाई जाती है। अब बात करते है यहाँ पर रहने वाले बंगाल टाइगर की, जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान में कुल 231 बाघ है जो की पुरे भारत में स्थित किसी भी टाइगर रिज़र्व सबसे ज्यादा माने जाते है।
इसका कारण है यहाँ के घने जंगल, प्रचुर मात्रा में शिकार की उपलब्धता और रामगंगा नदी। इसके अलावा उद्यान के प्रशासन को भी इसका श्रेय दिया जाना चाहिए।
बाघों के अलावा इस राष्ट्रीय उद्यान में आपको हाथी, तेंदुए, जंगली बिल्ली, मछली बिल्ली, तेंदुआ बिल्ली, छोटी बिल्ली, भौंकने वाले हिरण, हॉग हिरण, सुस्ती भालू, हिमालयी काले भालू, सांभर हिरण, भारतीय ग्रे नेवले, पीले गले वाले मार्टेंस, भारतीय पैंगोलिन, लंगूर, ऊदबिलाव, हिमालयन गोरल, रीसस मकाक आदि आसानी से देखे जा सकते है।
गर्मियों के मौसम में अगर आपकी किस्मत अच्छी है तो आप कई सौ हाथियों के झुण्ड को भी एकसाथ देख सकते है। इसके अलावा यहाँ पर भारतीय अजगर भी देखा जा सकता है। रामगंगा नदी के किनारों पर आप मगरमच्छ और घड़ियाल को आराम करता हुआ भी देख सकते है।
जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में पर्यावरण पर्यटन – Jim Corbett National Park Eco-Tourism In Hindi
वैसे तो जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क बाघों और हाथियों के झुण्ड के लिए ज्यादा प्रसिद्ध है। और सबसे ज्यादा पर्यटक यहाँ का वन्यजीवन देखने के लिए ही आते है। लेकिन हाल के वर्षों में जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में इको टूरिज्म को भी बढ़ावा मिला है। प्रकृति प्रेमियों के लिए जिम कॉर्बेट एक स्वर्ग के सामान जगह मानी जाती है।
अभी कुछ समय से कॉर्बेट नेशनल पार्क की सघन वनस्पति और विवधता ने प्रकृति प्रेमियों का ध्यान अपनी और आकर्षित किया है जिसकी वजह से इस पार्क में इको टूरिज्म बहुत तेजी से बढ़ा है। लेकिन पर्यटकों की बढ़ती संख्या और उनकी प्रकृति के प्रति सेवंदनहीनता इस राष्ट्रीय उद्यान के इको सिस्टम को बहुत ज्यादा नुकसान पहुँचा रही है।
पार्क के इको सिस्टम को सही बनाये रखने के लिए स्थानीय प्रशासन अपनी स्तर पर पूरा प्रयास कर रहे है। लेकिन एक पर्यटक होने के साथ हमारी यह जिम्मेदारी भी बनती है की जब हम यहाँ पर घूमने आये तो हम इस उद्यान में किसी भी प्रकार का कचरा ना फैलाये और सफाई का पूरा ध्यान रखें (खास तौर पर प्लास्टिक पैकजिंग वाला सामान इस उद्यान में ना ही लेकर जाए तो अच्छा है )।
जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क सफारी जोन – Jim Corbett National Park Safari Zones In Hindi
जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क कुल 520 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है जो की इस राष्ट्रीय उद्यान का कोर एरिया भी माना जाता है । और इसके अलावा लगभग 798 वर्ग किलोमीटर के एरिया में इस राष्ट्रीय उद्यान का बफर एरिया फैला हुआ है। अधिकांश पर्यटक इस राष्ट्रीय उद्यान के कोर एरिया में घूमने के लिए आते है।
जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान के कोर जोन को कुल 05 भागों में बांटा गया है और एक बफर जोन भी है। आप यूँ भी कह सकते है की इस राष्ट्रीय उद्यान में प्रवेश करने के लिए 05 प्रवेश द्वार बनाये गए है जिनमे आप अलग-अलग स्थानों से प्रवेश कर सकते है। जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में बने हुए पांचों जोन को ढिकाला जोन, बिजरानी जोन, झिरना जोन, ढेला जोन और दुर्गा देवी जोन के नाम से जाना जाता है।
यह सभी जोन इस राष्ट्रीय उद्यान के कोर जोन का हिस्सा माने जाते है। इसके अलावा सीताबनी वन क्षेत्र इस राष्ट्रीय उद्यान का बफर जोन माना जाता है।
ढिकाला जोन – Dhikala Zone
प्रवेश द्वार – धनगडी गेट
रामनगर से दूरी – 32 किमी
सफारी का समय – सुबह 07:00 बजे से 10:00 बजे तक और शाम को 02:00 से 05:30 बजे तक (समय मे बदलाव संभव है)
सफारी ओपन पीरियड – 15 नवंबर से 15 जून
सफारी का प्रकार – कैंटर सफारी (कोई जीप सफारी नहीं)
कैंटर सफारी – एक बार मे 2 कैंटर को प्रवेश की अनुमति (1 कैंटर में कुल 16 सीटों की क्षमता होती है)
वन विश्राम गृह – सरपदुली वन विश्राम गृह, गैराल वन विश्राम गृह, सुल्तान वन विश्राम गृह, 32 ढिकाला वन विश्राम गृह
जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान का ढिकाला जोन इस उद्यान के सबसे ज्यादा देखे जाने वाले क्षेत्र में से एक है। आप इस जोन में दिन के समय सफारी करने के अलावा यहाँ पर वन विभाग द्वारा बनाये गए वन विश्राम गृह में रात के समय रुक भी सकते है। पाटिल दून घाटी के पास स्थित यह जोन इस राष्ट्रीय उद्यान का सबसे बड़ा जोन भी है।
इसके अलावा वन्यजीवन और वानस्पतिक विविधता भी इस जोन में सबसे ज्यादा दिखाई देती है। ढिकाला जोन में चौर के नाम से जाना जाने वाला सबसे बड़े घास के मैदान के अलावा यहाँ पर साल पेड़ के घने जंगल और रामगंगा नदी के अनेक प्रकार के चैनल सम्मिलित है, जिस वजह से आपको यहाँ पर बेहद खूबसूरत प्राकृतिक दृश्य दिखाई देते है।
उद्यान के इस हिस्से में बाघ दिखाई देने की संभावना भी सबसे ज्यादा रहती है। बाघ के अलावा आपको इस जोन में जंगली हाथी, जंगली सुअर, चित्तीदार हिरण, हॉग हिरण, और भोंकने वाले हिरण प्रमुख रूप से दिखाई देते है। इस जोन में इस बात की संभावना बहुत अधिक है कि बाघ आपको यहाँ पर खुले घास के मैदान में घूमता हुआ दिख जाए।
वन्यजीवों के अलावा आपको यहाँ पर विभिन्न प्रजाति के पक्षी भी दिखाई देते है। जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क के ढिकाला जोन में सिर्फ कैंटर सफारी ही करवाई जाती है। कैंटर सफारी एक खुली बस होती है जिसमे एक बार मे 16 पर्यटक सफारी का आनंद ले सकते है। एक बार मे ऐसी दो कैंटर को ढिकाला जोन में प्रवेश करने की अनुमति दी जाती है।
अगर आपको यहाँ कैंटर सफारी करनी है तो आप ढिकाला जोन के प्रवेश द्वार पर अपने लिए सीट बुक करवा सकते है। प्रकृति प्रेमी और वन्यजीव प्रेमी उद्यान में बने हुए वन विश्राम गृह में रात के समय रूक सकते है।
बिजरानी जोन – Bijrani Zone
प्रवेश द्वार – अमदंडा गेट
रामनगर से दूरी – 2 किमी
सफारी का समय – सुबह 06:00 बजे से 09:30 बजे तक और शाम को 03:00 से 06:30 बजे तक (समय मे बदलाव संभव है)
सफारी ओपन पीरियड – 15 अक्टूबर से 30 जून
सफारी का प्रकार – जीप सफारी
जीप सफारी – एक बार में 30 जीप
वन विश्राम गृह – बिजरानी वन विश्राम गृह, मैलानी वन विश्राम गृह
ढिकाला जोन की ही तरह जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क का बिजरानी जोन भी पर्यटकों में बेहद प्रसिद्ध है। ढिकाला जोन के बाद सबसे ज्यादा पर्यटक इसी जोन में यह वन्यजीव अभ्यारण्य देखने के लिए आते है। इस जोन में प्राकृतिक दृश्यों के अलावा बंगाल टाइगर देखे जाने की संभावना बहुत ज्यादा रहती है।
आकर्षक प्राकृतिक दृश्यों के अलावा यह जोन अपने शांत वातावरण के लिए भी जाना जाता है। प्राकृतिक विविधता और वन्यजीवों की अनेक प्रजातियों की वजह से बिजरानी जोन अपनी एक अलग पहचान रखता है। घास के मैदान और साल वृक्षों के घने जंगल और नदियां इस जोन को ढिकाला जोन की ही तरह आकर्षक और सुंदर बना देते है।
अन्य वन्यजीवों के अलावा आपको बाघ दिखाई देने की संभावना बनी रहती है। इस वजह से बाघ दिखाई देने के मामले में यह इस उद्यान के सबसे अच्छे जोन में से एक माना जाता है। बिजरानी जोन में पर्यटकों के लिये जीप सफारी करने की सुविधा उपलब्ध है। चाहे तो आप ऑनलाइन भी बिजरानी जोन के लिये जीप सफारी बूक करवा सकते है।
बिजरानी जोन में पर्यटक हाथी की सफारी का भी आनन्द ले सकते है। हाथी की सफारी के लिये आपको निर्धारित शुल्क देना होगा। इस जोन में पर्यटक जीप सफारी का आनंद ले सकते है। एक बार मे सिर्फ 30 जीप सफारी को ही उद्यान में प्रवेश की अनुमति दी जाती है। एक जीप सफारी में गाइड ओर नेचुरिस्ट को छोड़ कर 06 वयस्क और 02 बच्चे सफारी कर सकते है। जीप सफारी के लिये पर्यटकों के साथ गाइड का होना अनिवार्य है नहीं तो उद्यान में सफारी की अनुमति नहीं मिलती है।
झिरना जोन – Jhirna Zone
प्रवेश द्वार – ढेला गेट
रामनगर से दूरी – 15 किमी
सफारी का समय – सुबह 06:00 बजे से 09:30 बजे तक और शाम को 03:00 से 06:30 बजे तक (समय मे बदलाव संभव है)
सफारी ओपन पीरियड – पूरे वर्ष (मौसम की स्थिति पर निर्भर)
सफारी का प्रकार – जीप सफारी
जीप सफारी – एक बार में 30 जीप
वन विश्राम गृह – झिरना वन विश्राम गृह, ढेला वन विश्राम गृह
झिरना जोन जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान के दक्षिणी भाग में स्थित है। झिरना जोन को वर्ष 1994 में टाइगर रिज़र्व के कोर एरिया में शामिल किया गया था। लेकिन कुछ ही वर्षों में उद्यान का यह हिस्सा पर्यटकों में बेहद प्रसिद्ध हो गया। इसका मुख्य कारण है पर्यटकों के लिये इस राष्ट्रीय उद्यान का यह हिस्सा पूरे साल खुला रहता है।
दूसरा इस जोन में भी कई बार पर्यटकों द्वारा बाघ देखे गए है। बाघ के अलावा इस जोन में आपनक जंगली भालू, जंगली हाथी, हिरण और सांभर दिखाई देने की बहुत प्रबल संभावना रहती है। वन्यजीवों के अलावा आपको यहाँ पर बड़ी संख्या में अनेक प्रकार के पक्षियों की प्रजातियां भी देखने को मिलती है। इस जोन में पर्यटक जीप सफारी का आनंद ले सकते है।
एक बार मे सिर्फ 30 जीप सफारी को ही उद्यान में प्रवेश की अनुमति दी जाती है। एक जीप सफारी में गाइड ओर नेचुरिस्ट को छोड़ कर 06 वयस्क और 02 बच्चे सफारी कर सकते है। जीप सफारी के लिये पर्यटकों के साथ गाइड का होना अनिवार्य है नहीं तो उद्यान में सफारी की अनुमति नहीं मिलती है। आप चाहे तो आप ऑनलाइन भी झिरना जोन के लिए जीप सफारी बूक करवा सकते है।
ढेला जोन – Dhela Zone
प्रवेश द्वार – ढेला गेट
रामनगर से दूरी – 15 किमी
सफारी का समय – सुबह 06:30 बजे से 10:30 बजे तक और शाम को 01:30 से 05:30 बजे तक (समय मे बदलाव संभव है)
सफारी ओपन टाइम – पूरे वर्ष (मौसम की स्थिति के अधीन)
सफारी का प्रकार- जीप सफारी
जीप सफारी – एक पाली में 15 जीप
वन विश्राम गृह – इस क्षेत्र में कोई वन विश्राम गृह नहीं
ढेला जोन को अभी कुछ वर्ष पहले ही जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क से जोड़ा गया है। वर्ष 2014 में ढेला जोन को जिम कॉर्बेट आम वाले पर्यटकों के लिये जोड़ा गया है। झिरना जोन के अलावा जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में ढेला जोन भी एक ऐसा क्षेत्र है जो कि पूरे साल आम पर्यटकों के लिए खुला रहता है।
जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क के इस हिस्से में आपको विभिन्न प्रकार की वनस्पति का मिश्रण देखने को मिलता है, जिनमें प्रमुख रूप से हल्दू, रोहिणी, साल, कुसुम और बहेरा जैसे पेड़ो के घने जंगल और विशाल घास के मैदान और कई जल निकाय आदि देखने को मिलते है। इस जोन बाघ, जंगली हाथी, तेंदुए, हिरण, भालू, नीलगाय और सरीसृपों की विभिन्न प्रजातियों के अलावा पक्षियों की भी अनेक प्रजाति देखने को मिलती है।
जिम कॉर्बेट का यह जोन विशेष तौर पर बर्ड वाचिंग के लिये सबसे बढ़िया क्षेत्र माना जाता है। ढेला जोन में भी सफारी की सुविधा उपलब्ध है। इस जोन में आपके पास सफारी परमिट के अलावा एक जीप और गाइड भी करना होगा। इन दोनों के बिना आपको इस उद्यान में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी।
दुर्गा देवी जोन – Durga Devi Zone
प्रवेश द्वार – दुर्गा देवी गेट
रामनगर से दूरी – 28 किमी
सफारी का समय – सुबह 06:00 बजे से 09:30 बजे तक और शाम को 03:00 से 06:30 बजे तक (समय मे बदलाव संभव है)
सफारी ओपन टाइम – 15 नवंबर से 15 जून
सफारी का प्रकार – जीप सफारी
जीप – एक पाली में 11 जीप
वन विश्राम गृह – लोहाचौर वन विश्राम गृह
हिमालय के पहाड़ी दृश्यों के अलावा जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क के इस जोन के प्राकृतिक दृश्य बहुत ही सुंदर है। इसी वजह से उद्यान का यह हिस्सा प्रकृति प्रेमियों को विशेष तौर पर पसंद आता है। दुर्गा देवी जोन इस उद्यान के उत्तरी भाग में स्थित है। प्राकृतिक परिदृश्यों के अलावा उद्यान का एक भाग वन्यजीवों और वानस्पतिक संपदा के हिसाब से भी बहुत ज्यादा समृद्ध है।
उद्यान के इस हिस्से में बहने वाली रामगंगा नदी और मंडल नदी इस जगह को और भी सुंदर बना देती है। बाघ, तेंदुए, जंगली हाथी के अलावा जंगल के हिस्से में आपको ऊदबिलाव भी दिखाई दे सकते है। आप इस जगह पर अधिक वन्यजीव डोमुंडा ब्रिज के आसपास देख सकते है। यहां बहने वाली रामगंगा और मंडल नदी में आपको महशीर मछली प्रमुखता से दिखाई देती है।
बर्ड वॉचर्स के लिये दुर्गा देवी जोन किसी स्वर्ग से कम नहीं है। यहाँ पर पाए जाने वाली पक्षियों की प्रमुख प्रजातियों में आपको स्लेटी ब्लू फ्लाईकैचर, मैरून ओरिले, ग्रे हेडेड फिशिंग ईगल, बार टेल्ड ट्री क्रीपर, लॉन्ग टेल्ड ब्रॉडबिल और ब्लैक चिन्ड युहिना आदि प्रमुख है, और इसके अलावा अन्य भी कई प्रकार के पक्षियों की प्रजातियां इस स्थान पर देखी जा सकती है।
उद्यान के इस हिस्से में भी जीप सफारी को जा सकती है, जिसके लिये आपको निर्धारित नियमों का पालन करना होगा।
सीताबनी वन क्षेत्र (बफर जोन) – Sitabani Forest Area (Buffer Zone)
प्रवेश द्वार – टेडा गांव के पास (निजी वाहन की अनुमति)
रामनगर से दूरी – 4 किमी
सफारी का समय – सुबह 06:00 बजे से 09:30 बजे तक और शाम को 03:00 से 06:30 बजे तक (समय मे बदलाव संभव है)
निकास द्वार – पॉलगढ़ गेट
सफारी ओपन टाइम – पूरे वर्ष
सफारी का प्रकार- दिन जीप सफारी, दिन हाथी सफारी
जीप सफारी – असीमित
वन विश्राम गृह – कुछ होटल और रिसॉर्ट निजी तौर पर चलते हैं
जिम कॉर्बेट के 05 कोर जोन के अलावा यहाँ पर एक बफर जोन भी है जो की पर्यटकों के लिए पुरे वर्ष खुला रहता है। इस राष्ट्रीय उद्यान के बफर जोन का नाम सीताबनी वन क्षेत्र है। उद्यान के बफर जोन में आपको घने जंगलो, प्राकृतिक दृश्यों, नदियों के अलावा कई प्राचीन मंदिर भी देखने को मिलते है।
उद्यान के इस हिस्से में आपको हिरण, सांभर, हाथी और नीलगाय जैसे जानवर बड़ी आसानी से दिखाई दे जाते है। एक बफर जोन होने की वजह से आपको यहाँ बाघ और तेंदुए का जैसा शिकारी जानवर दिखने की संभावना बहुत कम है। लेकिन कई मौको पर शिकार की तलाश में बाघ और तेंदुए उद्यान के इस हिस्से में भी देखे गए है।
हालाँकि बर्ड वॉचर्स को यह जगह बहुत ज्यादा पसंद आएगी क्यों की यहाँ पर पक्षियों की लगभग 600 प्रजातियां पाई जाती है, जिनमें से अधिकांश प्रवासी पक्षियों की प्रजातियां है। सीताबनी वन क्षेत्र में कुछ गांव भी है जिनको आप समय निकालकर देख सकते है। हालाँकि जिम कॉर्बेट आने वाले अधिकांश पर्यटक उद्यान के कोर एरिया को देखना ज्यादा पसंद करते है लेकिन समय निकालकर अगर आप इस जगह का दौरा करते है तो यह आपको किसी भी तरह से निराश नहीं करेगी। उद्यान के इस हिस्से में एक प्राचीन मंदिर भी जिसे सीताबनी मंदिर के नाम से जाना जाता है।
सीताबनी मंदिर के रखरखाव की जिम्मेदारी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के पास है। इसके अलावा इस जगह पर एक प्राचीन शिव मंदिर है जिसके दर्शन करने के लिए स्थानीय निवासी बहुत ज्यादा संख्या में आते है। सीताबनी वन क्षेत्र में नाईट सफारी का भी आयोजन किया जाता है जो की आपके लिए एक रोमांचक अनुभव हो सकते है।
पर्यटक उद्यान के इस जोन में जीप सफारी, हाथी सफारी के अलावा पैदल भी घूम सकते है। इसके अलावा आप इस क्षेत्र में अनपे निजी वाहन को भी लेकर जा सकते है। सीताबनी वन क्षेत्र में आप टेडा गांव के प्रवेश द्वार पर प्रवेश शुल्क जमा करवा के उद्यान में प्रवेश कर सकते है। एक बार जब आप इस उद्यान में प्रवेश कर लेते है तो आप प्रवेश द्वार से 60 किलोमीटर दूर पालगढ़ गेट से बाहर निकल सकते है।
नोट:- 01 उधान में प्रवेश से पहले उद्यान से जुड़े हुए नियमों के बारे में पूरी जानकारी जरूर ले लेवें।
02 जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान में यात्रा, सफारी और ऑनलाइन बुकिंग से जुडी हुई और अधिक जानकारी के लिए उधान की ऑफिसियल वेबसाइट पर विजिट करें ( https://www.corbettonline.uk.gov.in/)