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    Home»Language»Hindi»जगन्नाथ मंदिर पूरी 2024 | Jagannath Puri Temple History in Hindi 2024
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    जगन्नाथ मंदिर पूरी 2024 | Jagannath Puri Temple History in Hindi 2024

    13 Mins Read

    जगन्नाथ मंदिर पूरी 2024 | Jagannath Puri Temple in Hindi 2024 | Things to do in Jagannath Puri Temple in Hindi | Jagannath Temple Puri Travel Guide in Hindi | Timing | Entry Fees | History | Aarti | Darshan

    जगन्नाथ मंदिर का इतिहास | Jagannath Temple History in Hindi


    Deity Of Shri Jagannath / Balbhadra & Subhadra | Click On Image For Credits

    पूरी, भारत के पूर्वी भू-भाग में स्थित ओड़िसा राज्य का तटवर्ती शहर है। यह शहर भारत और विश्व में रहने वाले सभी हिन्दू धर्म से जुड़े हुए लोगों की आस्था का सबसे बड़ा केंद्र है। भगवान श्रीकृष्ण, भगवान विष्णु के आठवें अवतार है। हिन्दू धर्म में भगवान विष्णु को पूरे ब्रम्हांड का स्वामी माना जाता है और श्री जगन्नाथ मंदिर में भगवान विष्णु के आठवें अवतार भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति स्थापित की गई है।

    भगवान विष्णु के आठवें अवतार होने की वजह से मंदिर में स्थापित भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति को जगन्नाथ कहा जाता है। सामान्य भाषा में जगन्नाथ का मतलब होता है पूरे विश्व के स्वामी। श्री जगन्नाथ मंदिर के गृभगृह में भगवान श्री जगन्नाथ के साथ उनके बड़े भाई बलभद्र और बहन शुभद्रा के विग्रह भी स्थापित किये गए है।

    पूरी में स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित एक प्राचीन मंदिर है।पुरी में जगन्नाथ मंदिर का निर्माण गंगवंश के शासक और कलिंग के महाराजा अनन्तवर्मन चोडगंग देव ने शुरू करवाया था। मंदिर परिसर में स्थित जगमोहन और विमानभाग का निर्माण राजा अनन्तवर्मन के शासनकाल में 1078 -1148 के दौरान किया गया था।

    राजा अनन्तवर्मन के बाद 1197 के आसपास ओड़िसा के शासक अनंग भीम देव ने श्री जगन्नाथ मंदिर के निर्माण कार्य को पूरा करवाया। श्री जगन्नाथ मंदिर में 1558 तक पूजा की जाती थी उसके बाद अफगानिस्तान से आये विदेशी आक्रमणकारी  जनरल काला पहाड़ ने ओड़िसा में स्थित मंदिरों को तोड़ना और खंडित करना शुरू कर दिया।

    श्री जगन्नाथ मंदिर के पुजारियों ने भगवान के विग्रहों को बचाने के लिए पूरी के पास स्थित चिलिका झील में एक द्वीप पर छुपा दिया गया था। अफगान आक्रमण के कुछ समय बाद राजा रामचन्द्र देब ने पुनः इस क्षेत्र में अपना स्वंतंत्र शासन स्थापित किया। राजा रामचंद्र देब के शासनकाल में ही श्री जगन्नाथ मंदिर की पुनर्स्थापना की गई और मंदिर में श्री जगन्नाथ जी की पूजा को दोबारा शुरू करवाया गया।

    केदारनाथ,बद्रीनाथ, रामेश्वरम और श्री जगन्नाथपुरी मंदिर इन चारों धार्मिक स्थलों की यात्रा को हिंदू धर्म में चारधाम यात्रा कहा जाता हैं। ऐसा माना जाता है की इन चारों तीर्थ स्थलों की यात्रा करने पर मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

    श्री जगन्नाथ मंदिर से जुड़ी हुई कथाएँ –  Story of Jagannath Temple in Hindi


    Mahaprabhu Jagannath Deity | Click On Image For Credits

    श्री जगन्नाथ जी के मंदिर में भगवान जगन्नाथ के विग्रह से जुड़ी हुई अनेक कथाएँ प्रचलित है। कुछ कथाएँ आमजन में ज्यादा प्रचलित है और इसके अलावा कुछ पुरातत्वेत्ता भी भगवान श्री जगन्नाथ जी के विग्रह को लेकर अपना-अपना मत रखते रहते है।

    ऐसा माना जाता है की मंदिर में स्थित भगवान जगन्नाथ जी के विग्रह में भगवान श्रीकृष्ण के हृदय को रखा गया है, जो की किसी बहुत बड़े ऊर्जा स्त्रोत की तरह काम करता है। कुछ लोगों का यह विश्वास है की भगवान श्री जगन्नाथ जी के विग्रह को एक विशेष प्रकार की लकड़ी से इस वजह से बनाया जाता है।

    ताकि लकड़ी की सहायता से भगवान श्रीकृष्ण के हृदय की ऊर्जा को नियंत्रित किया जा सके। श्री जगन्नाथ मंदिर में भगवान जगन्नाथ के विग्रह को लेकर वैसे तो बहुत सारी अलग-अलग रोचक कथाएँ पूरी के स्थानीय निवासियों द्वारा सुनी जा सकती है।

    01. श्री जगन्नाथ मंदिर से जुड़ी हुई कहानियाँ –  Story of Jagannath in Hindi

    स्थानीय निवासियों के अनुसार भगवान जगन्नाथ का मूल विग्रह एक नीलमणि से बना हुआ था। इस नीलमणि का प्रकाश इतना तेज था की इस मूर्ति को धर्म ने पृथ्वी के गृभ में छिपा दिया था। कुछ समय के बाद मालवा के शासक इंद्रद्युम्न को अपने सपने भगवान जगन्नाथ के नीलमणि से बने हुए विग्रह के दर्शन हुए। राजा इंद्रद्युम्न ने इस सपने के बाद भगवान विष्णु की तपस्या की।

    तपस्या से प्रसन्न हो कर भगवान विष्णु ने राजा इंद्रद्युम्न को बताया की पूरी के पास स्थित समुद्र के किनारे पर उन्हें एक लकड़ी का बड़ा लट्ठा मिलेगा। उस लकड़ी के लट्ठे से वह मूर्ति का निर्माण करवाये। उसके बाद राजा इंद्रद्युम्न पूरी के समुद्र तट की तरफ रवाना हो गए। पूरी पहुँचने पर उन्हें समुद्र के किनारे पर लकड़ी का लट्ठा मिल जाता है।

    राजा इंद्रद्युम्न जब लकड़ी का लट्ठा लेकर आते है तो भगवान विष्णु और विश्वकर्मा जी बढ़ई और मूर्तिकार का वेश धरकर राजा के पास उपस्थित हो जाते है। भगवान विष्णु और विश्वकर्मा जी राजा को बताते है की उन्हें जगन्नाथ जी की मूर्ति बनाने में 1 माह का समय लग जाएगा और जब तक वह मूर्ति बनाते है तब तक उनके कक्ष में कोई प्रवेश नहीं करेगा।

    जैसे-जैसे समय बीतता है वैसे-वैसे राजा की उत्सुकता बढ़ जाती है। इसी उत्सुकता की वजह से राजा माह के अंतिम दिनों में जिस कक्ष में भगवान विष्णु और विश्वकर्मा जी बढ़ई और मूर्तिकार बनकर मूर्ति निर्माण कर रहे होते है। उस कमरे में राजा झाँक कर देख लेता है। जैसे ही राजा कमरे में झाँकते है उसी समय बढ़ई और मूर्तिकार बने भगवान विष्णु और विश्वकर्मा जी राजा को बताते है की अभी मूर्तियों के हाथ बनने बाकी है।

    लेकिन अब जब राजा ने कक्ष में झाँक कर देख लिया है तो अब बिना हाथ की मूर्तियों को ही स्थापित किया जाएगा। अपनी इस भूल पर राजा बहुत दुखी होते है तो भगवान विष्णु राजा को कहते है की नियति को कोई नहीं बदल सकता। उस समय के बाद पूरी में भगवान जगन्नाथ और उनके बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की मूर्तियों की स्थापना की गई।

    02. श्री जगन्नाथ मंदिर से जुड़ी हुई कहानियाँ –  Story of Jagannath in Hindi


    Rare Painting Lord Shri Jagannath , Balaram and Subhdra | Click On Image For Credits

    पूरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर में स्थापित भगवान श्री जगन्नाथ उनके बड़े भाई बलभद्र और छोटी बहन सुभद्रा के विग्रह से जुडी हुई एक और पौराणिक कथा  चारण परम्परा में बहुत ज्यादा प्रचलित है। चारण परम्परा के अनुसार जब भगवान श्री कृष्ण उनके बड़े भाई बलराम और छोटी बहन सुभद्रा ने  प्राची के समुद्र तट  पर अपनी सांसारिक देह का त्याग किया था।

    जब भगवान  श्रीकृष्ण और उनके भाई-बहन का अंतिम संस्कार किया जा रहा था तब समुद्र की एक बड़ी लहर इन तीनो के शरीर को अपने साथ बहा कर ले गई। उसके कुछ समय बाद भगवान श्रीकृष्ण, बलराम और सुभद्रा के मृत शरीर पूरी के समुद्र तट  के किनारे पर मिले। उस समय पूरी के तत्कालीन राजा ने तीनो शवों को ससम्मान अलग-अलग रथों में स्थानीय जनता द्वारा खिंचावाया था।

    उसके बाद जिन लकड़ी के लट्ठों पर तीनो के शव समुद्र में बह कर आये थे उन्ही लकड़ी के लट्ठों पर तीनो शवों का अंतिम संस्कार किया गया था। ऐसा कहा जाता है की इसी परंपरा को निभाते हुए पूरी प्रति वर्ष होने वाली रथ यात्रा के समय लाखों श्रद्धालु भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के रथों को खींचते है। इस पौराणिक तथ्य  की जानकारी बहुत कम लोगों को है अधिकांश लोगों का यही मानना है की भगवान् श्रीकृष्ण, बलभद्र और सुभद्रा जीवित पूरी शहर में आये  थे।

    नोट:- भगवान जगन्नाथ के मंदिर से जुडी हुई पौराणिक कथाओं में अगर  कोई त्रुटि पाई जाती है तो उसके लिए में पहले से ही क्षमा प्रार्थी हूँ।

    03. श्री जगन्नाथ मंदिर से जुड़ी हुई कहानियाँ –  Story of Jagannath in Hindi

    Gautam Budh Statue

    श्री जगन्नाथ मंदिर पर शोध करने वाले कुछ इतिहासकारों का यह मानना है की जिस स्थान पर आज श्री जगन्नाथ मंदिर बना हुआ है उस स्थान पर पहले एक बौद्ध स्तूप हुआ करता था। इस बौद्ध स्तूप में भगवान गौतम बुद्ध का एक दांत सुरक्षित रखा हुआ था। कुछ समय के बाद इस स्थान से भगवान गौतम बुद्ध के दांत को श्रीलंका में स्थित कैंडी शहर में स्थानांतरित कर दिया गया था।

    कुछ समय के बाद इस स्थान में बौद्ध धर्म के अलावा वैष्णव सम्प्रदाय में विश्वास रखने वाले लोगों की संख्या में बहुत तेजी आई इस वजह से भगवान श्री जगन्नाथ के मंदिर की प्रतिष्ठा में बहुत तेजी आई।

    04. श्री जगन्नाथ मंदिर से जुड़ी हुई कहानियाँ –  Story of Jagannath in Hindi


    Maharaja Ranjit Singh Statue | Click On Image For Credits

    मध्यकालीन भारत के ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार पंजाब के महाराजा रणजीत सिंह की भगवान जगन्नाथ में बहुत गहरी आस्था थी। कहा जाता है अपनी इसी गहरी आस्था की वजह से महाराजा रणजीत सिंह ने अपने शासनकाल के समय श्री जगन्नाथ मंदिर में बहुत भारी मात्रा में सोने का दान किया था।

    ऐसा विश्वास है की श्री जगन्नाथ जी मंदिर में दान दिये गए सोने का वजन अमृतसर के स्वर्णमंदिर को दिये गए सोने से कहीं ज्यादा था।महाराजा रणजीत सिंह ने अपनी वसीयत में लिखा था की उनके पास सुरक्षित रखा हुए कोहिनूर हीरे को श्री जगन्नाथ मंदिर को दान कर दिया जाये।

    लेकिन कुछ समय के बाद ही अंग्रेजों ने पंजाब पर अपना आधिपत्य जमा लिया था। और महाराजा रणजीत सिंह की सारी सम्पति और कोहिनूर हीरे पर कब्जा कर लिया था। अगर अंग्रेज महाराजा रणजीत सिंह के सम्पति और कोहिनूर हीरे पर कब्ज़ा नहीं करते तो आज कोहिनूर हीरा श्री जगन्नाथ मंदिर की शोभा बढ़ा रहा होता।

    श्री जगन्नाथ मंदिर का वास्तु  – Architecture of Jagannath Temple in Hindi

    श्री जगन्नाथ मंदिर के गृभगृह में भगवान श्री जगन्नाथ उनके बड़े भाई बलभद्र और छोटी बहन सुभद्रा की एक विशेष प्रकार लकड़ी से निर्मित मूर्तियाँ पत्थर के चबूतरे पर स्थापित की गई है। ऐसा माना जाता है इन तीनों मूर्तियों की पूजा मंदिर के निर्माण से बहुत पहले स्थानीय जनजाति के लोगों द्वारा की जाती रही है। श्री जगन्नाथ मंदिर का निर्माण उस समय प्रचलित कलिंग वास्तुकला के अनुसार किया गया था।

    मंदिर परिसर कुल 4,00,000 वर्गफुट में फैला हुआ है और मंदिर की सुरक्षा की दृष्टि से मंदिर परिसर के चारों तरफ ऊंची चारदीवारी का निर्माण किया गया है। भगवान श्री जगन्नाथ के मुख्य मंदिर की स्थापत्यकला और निर्माण के समय बहुत अद्भुत प्रयोग किये गए थे। इसी वजह से आज भी पुरातत्वेत्ता आज भी मंदिर के स्थापत्य पर गहन अध्यन करते रहते है। भगवान श्री जगन्नाथ के मंदिर की मुख्य इमारत वक्राकार रूप में बनी हुई है।

    मुख्य मंदिर की इमारत के सामने बने हुए अन्य मंदिर पिरामिडाकार रूप में बने हुए है और मुख्य मंदिर से इनकी ऊंचाई बहुत कम है। मुख्य मंदिर के शीर्ष भाग पर भगवान विष्णु का अष्टधातु से निर्मित सुदर्शन चक्र स्थापित किया गया है। मुख्य मंदिर की जमीन से ऊंचाई 214 फ़ीट है। मुख्य मंदिर के गृभगृह में भगवान श्री जगन्नाथ उनके बड़े भाई बलभद्र और छोटी बहन सुभद्रा के विग्रह स्थापित किये गए है।

    मंदिर परिसर के चारों तरफ एक बहुत ऊँची दीवार बनी हुई है तथा मंदिर परिसर में प्रवेश करने के बाद मुख्य मंदिर की इमारत को घेरते हुए एक 20 फ़ीट ऊंची दीवार का निर्माण भी करवाया गया है।

    श्री जगन्नाथ रथ यात्रा – Jagannath Rath Yatra in Hindi – Jagannath Puri

    Rath Yatra At Shri Jagannath Puri

    श्री जगन्नाथ मंदिर का सबसे बड़ा और मुख्य त्यौहार जून और जुलाई माह में आने वाली आषाढ़ शुल्क पक्ष की द्वितीया को आयोजित की जाने वाली रथ यात्रा है। इस रथ यात्रा में भगवान श्री जगन्नाथ अपने भाई और बहने के साथ अपने ननिहाल जाते है और नोंवे दिन वापस मंदिर में लौट कर आते है।

    रथ यात्रा के समय लाखों की संख्या में श्रद्धालु रथ यात्रा में भाग लेने के लिए जगन्नाथपूरी आते है। रथ यात्रा में भगवान श्री जगन्नाथ उनके बड़े भाई बलभद्र औ छोटी बहन सुभद्रा के लकड़ी के बने हुए विशाल रथों को श्रद्धालुओं द्वारा ही खिंचा जाता है। रथ यात्रा के अलावा हिन्दू धर्म में मनाये जाने वाले सभी प्रमुख त्यौहारों को बहुत धूमधाम से मनाया जाता है।

    वर्तमान श्री जगन्नाथ मंदिर – Jagannath Temple in Hindi – Puri Jagannath


    Shri Jagannath Temple At Jagannathpuri | Click On Image For Credits

    वर्तमान समय में श्री जगन्नाथ मंदिर में पूरे वर्ष लाखों की संख्या में श्रद्धालु और पर्यटक भगवान श्री जगन्नाथ के दर्शन करने के लिए आते रहते है। मंदिर प्रशासन श्री जगन्नाथ मंदिर में आने वाली भेंट का कुछ हिस्सा सामाजिक कार्यों में भी खर्च करता है। भगवान श्री जगन्नाथ के मंदिर में बनी हुई रसोई भारत की सबसे बड़ी रसोइ में से एक है।

    कहते है की भगवान श्री जगन्नाथ के लिए बनने वाले महाप्रसाद को बनाने के लिए रसोईघर में कुल 800 कारीगर काम करते है। इन 800 कारीगरों में 500 रसोईए और 300 सहयोगी होते है यह सभी मिल कर भगवान श्री जगन्नाथ के लिए महाप्रसाद तैयार करते है। भगवान श्री जगन्नाथ के मंदिर पर समय-समय पर विदेशी आक्रांताओं ने आक्रमण करके मंदिर में खूब लूटपाट मचाई है।

    और साथ में ही मंदिर को भी नुकसान पहुँचाने के प्रयास किये है। इस वजह से मंदिर में गैर हिन्दू धर्म के लोगों का पूरी तरह  प्रवेश वर्जित है। हिन्दू धर्म से जुड़े हुए सम्प्रदाय या फिर अन्य धर्म जैसे जैन, बौद्ध और सिख धर्म के लोग मंदिर में प्रवेश कर सकते है। मंदिर में कुछ भाग ऐसे भी जिनमें सभी धर्म के श्रद्धालुओं का प्रवेश पूर्णतया वर्जित है।

    वर्तमान में भगवान श्री जगन्नाथ के प्रति दुनिया के दूसरे देशों में भी खूब आस्था बढ़ी है इस वजह स दुनिया में दूसरे धर्म के लोगों ने भगवान श्री जगन्नाथ के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करने के लिए हिन्दू धर्म अपना लिया है।

    श्री जगन्नाथ मंदिर में आरती का समय – Jagannath Temple Aarti Timings in Hindi

    Aarti & Visiting Hours At Shri Jagannath Temple Puri
    S.No AARTI NAME AARTI TIMING
    01 Mangal Aarti 05:00 AM
    02 Beshalagi 08:00 AM
    03 Sakala Dhupa 10:00 AM
    04 Mailam & Bhoga Mandap After Sakala Dhupa Aarti
    05 Madhyanha Dhupa 11:00 AM To 01:00 PM
    06 Sandhaya Dhupa 07:00 PM TO 08:00 PM
    07 Mailam & Chandana Lagi After Sandhya Dhupa Aarti
    08 Badashringara Bhoga After  Mailam & Chandana Lagi

    नोट:- श्री जगन्नाथ मंदिर में मौसम के हिसाब से आरती और दर्शन का समय बदल सकता है।

    श्री जगन्नाथ मंदिर में प्रवेश शुल्क – Jagannath Temple Entry Fee in Hindi

    प्रवेश निःशुल्क।

    श्री जगन्नाथ मंदिर में प्रवेश का समय – Jagannath Temple Timings in Hindi

    दिन के किसी भी समय।

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