भानगढ़ का किला 2024 | Bhangarh Fort Travel Guide in Hindi 2024 | Bhangarh Fort Story in Hindi | Best Time to Visit Bhangarh Fort in Hindi | Things to do in Bhangarh Fort in Hindi | Bhangarh Ka Kila | History | Entry fee | Timing
भानगढ़ किले का इतिहास – History of Bhangarh Fort In Hindi
राजस्थान के अलवर जिले मे स्थित भानगढ़ किले का निर्माण 17वीं शताब्दी में जयपुर शासक मानसिंह प्रथम ने अपने छोटे भाई माधोसिंह प्रथम के लिए करवाया था। माधोसिंह प्रथम के पिता भानसिंह के नाम पर इस किले का नाम भानगढ़ किला रखा गया था। भानगढ़ किले के पास एक छोटा सा गांव है जिसकी जनसंख्या मात्रा 1300 है और इस गाँव में लगभग 200 घर बने हुए है।
किले की सुरक्षा और रख-रखाव भारत सरकार के पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के द्वारा की जाती है। किले के निर्माण के समय माधोसिंह प्रथम के पास अकबर की सेना में सेनापति का पद का दायित्व था। उस समय माधोसिंह की सेना के सहित इस किले में उस समय लगभग 10,000 लोग रहा करते थे। भानगढ़ किला अरावली पर्वतमाला की तलहटी में बना हुआ एक विशाल किला है। किले के भीतर भगवान शिव और हनुमानजी को समर्पित प्राचीन मंदिर बने हुए है।
बाहरी आक्रमणकारियों से सुरक्षा की दृष्टि से किले के चारों तरफ एक बहुत ऊंची दीवार बनाई गई है, और इसके अलावा किले के निर्माण में विशाल सैंड स्टोन का उपयोग किया गया है। किले में प्रवेश करने के लिए पाँच प्रवेश द्वार बनाये गए है। अधिकांश किला अब खंडहर में तब्दील हो गया है। लेकिन जब हम किले के मुख्य द्वार से किले में प्रवेश करते है तो हमें किले के अंदर बने हुए महल, मंदिर और हवेलियां दिखाई देती है।
मुख्य द्वार के अलावा किले में प्रवेश के लिए चार और प्रवेश द्वार बने हुए है जिन्हें अजमेरी गेट, दिल्ली गेट, लाहौरी गेट और फूलबाड़ी गेट के नाम से जाना जाता है। भानगढ़ किले के अंदर कई हिन्दू देवी-देवताओं को समर्पित मंदिर बने हुए है जैसे सोमेश्वर मंदिर, मंगलादेवी मंदिर, हनुमान मंदिर, गोपीनाथ मंदिर, गणेश मंदिर और नवीन मंदिर।
किले में 14 फ़ीट ऊंचे चबूतरे पर पीले पत्थरों पर खूबसूरत नक्काशी का उपयोग करके गोपीनाथ मंदिर का निर्माण करवाया गया है। किले के अंदर कुछ हवेलियां और महल भी बने हुए है जिनमें “नर्तकी का महल”, “जौहरी बाजार” और “रॉयल पैलेस” प्रमुख है।
भानगढ़ किला क्यों प्रसिद्ध है – Why Bhangarh Fort is Famous in Hindi
राजस्थान के अलवर जिले में स्थित भानगढ़ किला अपनी वास्तुकला या फिर अपने इतिहास की वजह से ज्यादा प्रसिद्ध नहीं है। ऐसा माना जाता है की इस किले के निर्माण के बाद से ही यहाँ पर कुछ ऐसी घटनायें घटित हुई जिसकी वजह से आज यह किला भारत के सबसे अधिक शापित जगहों में से एक माना जाता है। अब यहाँ घटित हुई घटनाओं में कितनी सच्चाई है इसके बारे में कहना मुश्किल है।
लेकिन एक बात जरूर सत्य है की इस किले के प्रवेश द्वार पर भारत सरकार के पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने किले के सूचना बोर्ड पर यह लिख रखा है की इस किले में सुबह के 06:00 बजे से लेकर शाम को 06:00 बजे तक ही प्रवेश किया जा सकता है। भानगढ़ किले में स्थित अधिकांश महल और हवेलियाँ अब खंडहर में बदल चुके है। यही खंडहर इस किले को एक भूतिया महल बनाने में सहायता करते है और इस किले से जुड़ी हुई भूतिया कहानियों को आधार भी प्रदान करते है।
अलवर जिले में स्थित सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान के नजदीक स्थित भानगढ़ किले को भारत के सबसे डरावने किलों में से एक माना जाता है। स्थानीय निवासियों में यह विश्वास बहुत प्रबल है की अगर कोई भी व्यक्ति रात के समय इस किले में रुक जाता है तो सुबह के समय उस व्यक्ति का शरीर भी नहीं मिलता है। इस वजह से आज भी शाम ढलने से पहले-पहले सभी पर्यटक इस किले से बाहर निकल आते है।
भानगढ़ किले में सूरज उगने से पहले और सूरज डूबने के बाद इस किले में प्रवेश पूर्णतया वर्जित है। वैसे तो भानगढ़ किले से बहुत सारी भूतिया कहानियां जुड़ी हुई है। लेकिन इस किले निर्माण और राजपरिवार से जुड़ी हुई भूतिया कहानियाँ यहाँ के स्थानीय निवासियों से सबसे ज्यादा सुनी जा सकती है।
भानगढ़ किले की भूतिया कहानी – Bhangarh Fort Ghost Story in Hindi
भानगढ़ किले की भूतिया कहानी – Bhangarh Fort Ghost Story in Hindi – 01
वैसे तो भानगढ़ किले को लेकर बहुत सारी कहानियाँ यहाँ पर सुनने के लिए मिलती है। लेकिन किले के निर्माण से जुडी हुई कहानी यहाँ पर सबसे ज्यादा प्रचलित है। कहा जाता है की जब राजा माधो सिंह इस किले का निर्माण शुरू करवा रहे थे तो उन्होंने इस स्थान पर तपस्या करने वाले एक तपस्वी बालानाथ से यहाँ पर निर्माण करवाने के लिए अनुमति मांगी।
राजा के निवेदन करने पर तपस्वी बालानाथ ने उन्हें एक शर्त पर इस स्थान पर किले का निर्माण शुरू करने की अनुमति दी। उनकी शर्त यह थी की इस किले की इस किले की छाया उनके निवास स्थान पर कभी भी नहीं पड़नी नहीं चाहिए अगर राजा इस शर्त को पूरा करता है तो वह इस किले का निर्माण शुरू करवा सकता है। राजा ने तपस्वी की शर्त को स्वीकार करके किले का निर्माण शुरू करवा दिया लेकिन राजा के महत्वाकांक्षी अधिकारीयों ने किले को जरुरत से ज्यादा ऊँचा बना दिया।
जरुरत से ज्यादा ऊंचाई की वजह से किले की छाया तपस्वी बालानाथ के निवास स्थान तक पहुंच गई। अपने निवास स्थान पर किले की छाया को पड़ते देखा तपस्वी बालनाथ बहुत नाराज हो गए और उन्होंने भानगढ़ किले को श्राप दे दिया। तपस्वी के श्राप के वजह से भानगढ़ किला धीरे-धीरे एक खंडहर में बदल गया और इस किले में भुत प्रेत निवास करने लग गए।
भानगढ़ किले की भूतिया कहानी – Bhangarh Fort Ghost Story in Hindi – 02
भानगढ़ किले से जुड़ी हुई एक और कहानी यहाँ के स्थानीय निवासियों द्वारा सुनी जा सकती है। किले से जुड़ी हुई यह कहानी किसी फ़िल्म या फिर पश्चिमी देशों में सुनाई जानी वाली भूतिया कहानी से कम नहीं लगती है। यहाँ के स्थानीय निवासियों के अनुसार भानगढ़ किले में एक बहुत ही सुंदर राजकुमारी रहती थी। उस सुंदर राजकुमारी का नाम था रत्नावती।
एक बार एक तांत्रिक ने राजकुमारी रत्नावती को देख लिया और राजकुमारी की खूबसूरती की देखते ही उसे राजकुमारी से प्यार हो गया। तांत्रिक को यह पता था की राजकुमारी उसके प्यार को स्वीकार नहीं करेगी। इसलिये तांत्रिक ने राजकुमारी को तंत्र विद्या से अपने वश में करने के लिए उसने राजकुमारी को एक जादुई काढ़ा पिलाने का प्रयास किया।
लेकिन संयोगवश राजकुमारी रत्नावती को तांत्रिक इस चालाकी का पता चल गया। राजकुमारी ने उसी समय तांत्रिक को गिरफ्तार करवा कर उसे मृत्युदंड दे दिया। लेकिन उस तांत्रिक ने अपनी मृत्यु से पहले भानगढ़ किले को श्राप दे दिया की अबसे इस किले में कोई नहीं रह पायेगा। ऐसा माना जाता है की उस तांत्रिक की आत्मा आज भी भानगढ़ किले में घूमती रहती है।
रात के समय भानगढ़ किला – Bhangarh Fort At Night in Hindi
भारत के पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने रात के समय भानगढ़ किले में पूर्णतया प्रतिबंध लगा रखा है बावजूद इसके बहुत सारे लोगों ने भानगढ़ किले में एक रात व्यतीत की है। जिन-जिन लोगों ने भानगढ़ किले में रात बितायी है उनमें से कुछ लोगों ने यहाँ पर नकारात्मक ऊर्जा को महसूस किया है और कुछ लोगों को यहाँ पर कुछ भी महसूस नहीं हुआ है। लेकिन अभी तक यहाँ पर किसी भी व्यक्ति ने प्रत्यक्ष रूप से भूत को नहीं देखा है।
लेकिन स्थानीय निवासियों को इस किले के भूतिया होने पर इतना गहरा विश्वास है की यहाँ आने वाले अनेक पर्यटक उनकी बातों पर विश्वास कर लेते हौ। स्थानीय निवासियों के अनुसार इस किले में रात के समय भूत घुमा करते है और रात के समय अगर कोई भी इंसान इस किले में जाएगा तो वह वापस लौट कर नहीं आएगा।
इस किले को लेकर मेरा यह मानना है की भारत के पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने रात के समय किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना से बचने के लिए इस किले में प्रवेश पर पाबंदी लगाई है। बाकी यह आप पर निर्भर करता है की आप भानगढ़ किले से जुड़ी हुई भूतिया कहानियों पर कितना विश्वास करते है।
भानगढ़ का किला देखने का सबसे अच्छा समय – Best time to visit Bhangarh Fort in Hindi
वैसे तो आप पूरे वर्ष भानगढ़ किला देखने जा सकते है लेकिन राजस्थान में अप्रैल महिने से लेकर जुलाई महीने तक बहुत तेज गर्मी पड़ती है इसलिए इस समय यह किला देखने जाना सही समय नहीं होता है।
बारिश के मौसम के बाद अरावली किले की तलहटी पर स्थित भानगढ़ किला और भी ज्यादा सुंदर हो जाता है। इसलिए आप बारिश के बाद से आप कभी भी भानगढ़ किला देखने जा सकते है। आसान शब्दों में कहूँ तो आप सितंबर से लेकर मार्च तक कभी भी भानगढ़ जा सकते है।
भानगढ़ किला देखने का समय – Bhangarh Fort Timings in Hindi
पर्यटक सुबह 06:00 बजे से लेकर शाम को 06:00 बजे तक भानगढ़ किला देखने जा सकते है। शाम को 06:00 बजे से पहले पर्यटकों को किले से बाहर आना होता है। और शाम को 06:00 बजे के बाद भानगढ़ किले में किसी भी व्यक्ति का प्रवेश पूरी तरह से वर्जित है।
भानगढ़ किले का प्रवेश शुल्क – Bhangarh Fort Entry Fee in Hindi
भानगढ़ किले में भारतीय पर्यटकों से प्रवेश शुल्क 25/- रुपये लिया जाता है। विदेशी पर्यटकों के लिए भानगढ़ किले में प्रवेश शुल्क 200/- रुपये निर्धारित किया गया है। अगर आप के पास कैमरा है तो आप को उसके लिए 200/- रुपये अतिरिक्त देने पड़ेंगे।
भानगढ़ किला कैसे पहुँचे – How to reach Bhangarh Fort in Hindi
हवाई मार्ग भानगढ़ किला कैसे पहुँचे – How to reach Bhangarh Fort by Flight in Hindi
जयपुर का हवाई अड्डा भानगढ़ किले के सबसे नजदीकी हवाई अड्डा है। जयपुर के हवाई अड्डे से भानगढ़ किले की दूरी मात्र 89 किलोमीटर है। जयपुर से आप बस, टैक्सी और कैब के द्वारा बड़ी आसानी से भानगढ़ किले तक पहुँच सकते हो।
जयपुर हवाई अड्डे के अलावा दिल्ली का इंदिरा गांधी अंतराष्ट्रीय हवाई अड्डे की भानगढ़ किले दूरी मात्र 289 किलोमीटर है। दिल्ली से भी आप बड़ी आसानी से भानगढ़ किले तक पहुँच सकते है।
रेल मार्ग द्वारा भानगढ़ किला कैसे पहुँचे – How to reach Bhangarh Fort by Train in Hindi
दौसा रेलवे स्टेशन से भानगढ़ की दूरी मात्रा 22 किलोमीटर है। दौसा से आप टैक्सी और कैब के द्वारा बहुत आसानी से भानगढ़ किले तक पहुँच सकते है। दौसा के अलावा जयपुर रेलवे स्टेशन भी भानगढ़ के नजदीकी रेलवे स्टेशन में से एक माना जाता है।
जयपुर रेलवे स्टेशन से भानगढ़ की दूरी मात्र 85 किलोमीटर है। जयपुर रेलवे स्टेशन भारत के लगभग सभी प्रमुख रेलवे स्टेशन से बहुत अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।
सड़क मार्ग भानगढ़ किला कैसे पहुँचे – How to reach Bhangarh Fort by Road in Hindi
भानगढ़ किला सड़क मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। आप राजस्थान के अलवर, दौसा और जयपुर शहर से बड़ी आसानी से भानगढ़ किले तक पहुँच सकते है। इन तीनों शहरों से आप को भानगढ़ के लिए बस, टैक्सी और कैब की सुविधा मिल जाएगी।
अगर आप दिल्ली से भानगढ़ आना चाहते है तो आप सड़क मार्ग से यहाँ पर आसानी से पहुँच सकते है। में नीचे इन चारों शहरों की भानगढ़ से दूरी डाल दूंगा ताकि आपको भानगढ़ पहुँचने में किसी भी तरह की कोई परेशानी ना हो।
01 दिल्ली से भानगढ़ किले की दूरी 282 किलोमीटर है।
02 जयपुर से भानगढ़ किले की दूरी 84 किलोमीटर है।
03 अलवर से भानगढ़ किले की दूरी 90 किलोमीटर है।
04 दौसा से भानगढ़ किले की दूरी 30 किलोमीटर है।
भानगढ़ किले के आसपास घूमने की जगह – Places to visit near Bhangarh Fort in Hindi
रणथम्भौर दुर्ग, रणथम्भौर नेशनल पार्क, रणथम्भौर नेशनल पार्क टाइगर सफारी, जयपुर भाग-01, जयपुर भाग-02, जयपुर भाग-03, झालाना लेपर्ड सफारी, हाथी गांव, गोविंददेवजी मंदिर, आमेर किला, कोटा, केवलादेव घना पक्षी विहार, सरिस्का टाइगर रिज़र्व, इसके अलावा उत्तर प्रदेश भी एक नजदीकी राज्य है यहां पर मथुरा, वृन्दावन और आगरा भी घूमने जा सकते है |
(अगर आप मेरे इस आर्टिकल में यहाँ तक पहुंच गए है तो आप से एक छोटा से निवदेन है की नीचे कमेंट बॉक्स में इस लेख से संबंधित आपके सुझाव जरूर साझा करें, और अगर आप को कोई कमी दिखे या कोई गलत जानकारी लगे तो भी जरूर बताए। में यात्रा से संबंधित जानकारी मेरी इस वेबसाइट पर पोस्ट करता रहता हूँ, अगर मेरे द्वारा दी गई जानकारी आप को पसंद आ रही है तो आप अपने ईमेल से मेरी वेबसाइट को सब्सक्राइब जरूर करे, धन्यवाद )