जयपुर में 50 घूमने की जगह | 50 Places to visit in Jaipur in Hindi 2024 | Jaipur Tourist Places in Hindi 2024 | Best 50 Places to visit in Jaipur in Hindi 2024 | Jaipur Travel Guide in Hindi 2024 | Part- 02

भारत के सबसे बड़े राज्य राजस्थान की राजधानी जयपुर, यह एक ऐसा खूबसूरत शहर है जिसमे एक तरफ आपको पुराना शहर दिखाई देता है जो की चारदीवारी से घिरा हुआ है। पुराने शहर की इस चारदीवारी में आपको इस देश के ग्रामीण परिवेश की झलक देखने को मिलती है जिसे देख कर यहाँ आने वाले हर पर्यटक को यह महसूस होता है की वह इस देश के किसी बहुत बड़े गाँव में घूमने आ गया है।

और दूसरी तरफ चारदीवारी के बाहर आधुनिकता की रंगीन रोशनी में नहाया हुआ एक खूबसूरत और व्यस्थित शहर जिसमे बड़ी-बड़ी इमारतें है, शॉपिंग मॉल, मेट्रो और भी बहुत कुछ है जिसको देखकर यह लगता है की इस शहर में रहने वाला हर आदमी समय के साथ दौड़ लगाने को आतुर है। जयपुर शहर में आने वाले हर व्यक्ति को यहाँ पर ग्रामीण और शहरी परिवेश का अनूठा संगम देखने को मिलता है।

हालांकि राजस्थान की राजधानी और इस राज्य का सबसे बड़ा शहर होने के कारण पुराने शहर में काफी भीड़-भाड़ रहती है। लेकिन दूसरे महानगरों से अलग जयपुर की नाईट लाइफ काफी हद तक एकदम शांत रहती है। एक महानगर होने के कारण और इस राज्य का सबसे बड़ा पर्यटन केंद्र होने की वजह से रात के समय रेस्टोरेंट और क्लब खुले मिलते है लेकिन इनमें जाने वाले या तो मेट्रो कल्चर का पालन करने वाले लोग है या फिर विदेशी पर्यटक इन जगहों पर जाना ज्यादा पसंद करते है।

इस शहर की आबादी का सबसे बड़ा हिस्सा मध्यम परिवार के लोग है जो की पूरा दिन काम करने के बाद अपने परिवार के साथ समय बीतना ज्यादा पसंद करते है। आज भी चारदीवारी के अंदर बने हुए बाज़ार शहर के व्यापार का मुख्य केंद्र है। स्थानीय प्रशासन और पर्यटन विभाग इस शहर के विरासत को संजो कर रखने के लिए दिन-रात मेहनत करते है तथा स्थानीय निवासी भी अपने शहर की सांस्कृतिक विरासत का पूरा सम्मान करते है।

खोले के हनुमान जी मंदिर जयपुर – Khole ke Hanuman Ji Jaipur in Hindi

Khole ke Hanumanji Ref Image Jaipur

जयपुर-दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-8 से लगभग 2 किलोमीटर दूर अरावली पर्वतमाला की गोद में निर्मित खोले के हनुमानजी का मंदिर एक बहुत ही रमणीय पर्यटक स्थल और आस्था का केंद्र है। मंदिर ने बहुत ही कम समय में श्रद्धालुओं और जयपुर घूमने आने वाले देशी और विदेशी पर्यटकों में बहुत गहरी आस्था और एक अलग पहचान बना ली है।

इस मंदिर का मुख्य प्रवेश द्वार राष्ट्रीय राजमार्ग पर बना हुआ तथा नए बने हुये मंदिर की इमारत प्राचीन राजपूत वास्तुशिल्प शैली में बनी हुई है। हनुमानजी को समर्पित इस मंदिर की मुख्य इमारत को तीन मंजिला बना गया है। मंदिर के सामने एक बड़े चौक का निर्माण किया गया है। खोले के हनुमानजी मंदिर में हर समय श्रद्धालुओं और पर्यटकों की भीड़ मिलती है। हिन्दू मान्यता के अनुसार मंगलवार और शनिवार का दिन हनुमानजी को समर्पित किया गया है इसलिये सप्ताह के इन दोनों दिनों में यहाँ श्रद्धालुओं की बहुत ज्यादा संख्या रहती है।

मंदिर में हर वर्ष अन्नकूट के समय लक्खी मेले का आयोजन किया जाता है जिसमे लाखों की संख्या में श्रद्धालु हनुमानजी के दर्शन के लिए खोले के हनुमानजी मंदिर में आते है। खोले के हनुमानजी का मंदिर ज्यादा पुराना नहीं है 1960 में इस मंदिर में स्थापित हनुमानजी की मूर्ति को पंडित राधेलाल चौबे ने अरावली की दुर्गम पहाड़ियों में खोजा था।

उसके बाद पंडित राधेलाल चौबे ने हनुमानजी की मूर्ति को इस स्थान पर स्थापित करके पूजा-पाठ करना शुरू कर दिया और अपनी मृत्यु तक इसी स्थान पर रहे।खोले के हनुमानजी मंदिर के विकास के लिए पंडित राधेलाल चौबे ने 1961 में नरवर आश्रम सेवा समिति नाम से संस्था बनाई। मूर्ति मिलने से पहले यह स्थान काफी दुर्गम और निर्जन था और बारिश के समय यहां बहने वाला पानी खोले रूप में बहता था इसलिए इस जगह का नाम खोले के हनुमानजी जी पड़ गया।

मंदिर के मुख्य प्रांगण में दायीं तरफ पंडित राधेलाल चौबे के सम्मान में संगमरमर के पत्थर से निर्मित समाधि बनाई गई है। खोले के हनुमानजी के मंदिर में अन्य हिंदू देवी देवताओं की सुंदर मंदिर बनाये गए है जैसे- ठाकुरजी, गणेशजी, ऋषि वाल्मीकि, गायत्री मां और श्रीराम दरबार में भगवान राम सहित उनके छोटे भाई लक्ष्मण,भरत और शत्रुघ्न की मूर्तियां बनाई गई है।

मंदिर तक जाने के लिए श्रद्धालु अपने वाहन से भी जा सकते है। अगर आपको ट्रैकिंग पसंद है तो मंदिर के पीछे एक छोटा से ट्रेक बना हुआ है।

खोले के हनुमान जी मंदिर जयपुर में दर्शन का समय – Khole ke Hanuman ji Temple Jaipur Timings in Hindi

सुबह के 05:00 बजे से लेकर रात को 09:00 बजे तक।

खोले के हनुमान जी मंदिर जयपुर में आरती का समय – Khole ke Hanuman ji Temple Jaipur Aarti Timings in Hindi

सुबह की आरती  सुबह 05:30 होती है, और शयन आरती रात को  08:00 बजे होती है ।

खोले के हनुमान जी मंदिर जयपुर में प्रवेश शुल्क – khole ke Hanuman Ji Temple Jaipur Entry Fee in Hindi

प्रवेश निःशुल्क।

गलताजी जयपुर – Galta Ji Jaipur in Hindi

Galtaji Temple Jaipur

जयपुर बस स्टैंड से मात्र 10 किलोमीटर दूर गलताजी अरावली पर्वतमाला में स्थित एक बेहद सुंदर तीर्थ स्थल है। इस पवित्र तीर्थ स्थल पर संत गालव ने 100 वर्ष तक तपस्या की थी। संत गालव के तपस्या से भगवान ने प्रसन्न हो कर उनको आशीर्वाद दिया की इस स्थान की हमेशा पूजा की जाएगी और इस जगह बहने वाले जल को पवित्र माना जाएगा।

संत गालव के सम्मान में इस स्थान पर उनके नाम से मंदिर भी बनाया गया है और संत गालव के नाम पर इस पवित्र स्थान का नाम गलताजी रखा गया। कई लोग इस स्थान को मंकी टेम्पल के नाम से भी जानते है इसकी मुख्य वजह इस स्थान पर बहुत सारे बंदर पाये जाते है। गलताजी मंदिर का निर्माण 18वीं शताब्दी में सवाई जयसिंह द्वितीय के दीवान राव कृपाराम ने करवाया उन्होंने इस पवित्र स्थान में गलताजी के अलावा और भी कई सारे मंदिरों का निर्माण करवाया था।

दीवान राव कृपाराम ने इस स्थान पर 7 कुंड का निर्माण करवाया इन सातों कुंड में गलताजी कुंड सबसे बड़ा है और इसकी मान्यता सबसे ज्यादा है। गलताजी कुंड और बाकी कुंड के पानी का स्त्रोत इस जगह स्थित एक प्राकर्तिक झरना है जो की सिर्फ बारिश के मौसम में ही बहता है। इस झरने के पानी को बहुत पवित्र माना जाता है सावन के महीने में कावंड़िये गलताजी कुंड से इस पवित्र जल को भर कर ले जाते है।

गलताजी कुंड में एक गोमुख भी बना हुआ जो की कुछ साल पहले तक लगातार बहता रहता था लेकिन क्लाइमेट चेंज के कारण अब सिर्फ बरसात के मौसम में बहता है। इस पवित्र तीर्थ स्थल में हनुमानजी और सूर्य भगवान का मंदिर बहुत प्रसिद्ध है। सूर्य मंदिर पर्वत की सबसे ऊपर की चोटी पर स्थित है और इस मन्दिर से जयपुर शहर के बेहद मनमोहक दृश्य दिखाई देता है। मकर संक्राति का पर्व पूरे जयपुर में बहुत हर्षोल्लास से मनाया जाता है इस समय हजारों की संख्या में श्रद्धालू गलताजी कुंड में नहाने के लिए आते है।

गलताजी तक पहुंचने के दो मार्ग है पहला रास्ता पहाड़ों के बीच से आता इस रास्ते से आप अपनी गाड़ी या टैक्सी के द्वारा बड़े आराम से यहाँ तक पहुँच सकते है। दूसरा रास्ता जयपुर-दिल्ली हाइवे की तरफ से आता है इस रास्ते से आपको पहाड़ पर चढ़ाई करनी पड़ेगी, दूसरे रास्ते की तरफ से आने पर सूर्य मन्दिर पहले आता है।

गलता जी जयपुर में प्रवेश का समय – Galta Ji Jaipur Timings in Hindi

सुबह 05:00 बजे से लेकर रात को 09:00 बजे तक।

गलता जी जयपुर में प्रवेश शुल्क – Galta Ji Jaipur Entry Fee in Hindi

प्रवेश निःशुल्क।

विधाधर बाग जयपुर – Vidhadhar Bagh Jaipur in Hindi


Vidhyadhar Garden Jaipur | Click on Image For Credits

महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय ने जब इस शानदार और व्यस्थित शहर जयपुर की परिकल्पना की तो उस समय महाराजा के इस सपने को मूर्त रूप देने में उनके क्लर्क विद्याधर भट्टाचार्य का सबसे ज्यादा योगदान रहा। विद्याधर भट्टाचार्य मूलतः एक बंगाली ब्राह्मण थे और क्लर्क होने के अलावा वे अन्य विषयों के भी अच्छे जानकर थे।

विधाधर भट्टाचार्य की सबसे ज्यादा रुचि वास्तुशिल्प और वास्तुशास्त्र में थी। विद्याधर भट्टाचार्य के वास्तुशिल्प के ज्ञान और रुचि के बारे में महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय को पहले से पता था इसलिए उन्होंने जयपुर शहर को बनाने की जिम्मेदारी विधाधर भट्टाचार्य को सौपीं।

विधाधर भट्टाचार्य की स्मृति में निर्मित विधाधर का बाग जयपुर के पश्चिमी भाग में स्थित अरावली पर्वतमाला की पहाड़ियों की तलहटी में बना हुआ है। इस वजह से यह स्थान जयपुर के सबसे खूबसूरत उद्यानों में से एक बन जाता है। विधाधर बाग जयपुर शहर के सबसे सुंदर और पुराने उद्यानों में से एक है।

इस बाग का निर्माण शहर के वास्तुशिल्प को ध्यान में रख कर किया गया है इसलिये बाग के निर्माण के समय मुगल और हिन्दू वास्तु शैली का विशेष ध्यान दिया गया है। बाग की खूबसूरती बढ़ाने के लिए इस उद्यान में जगह-जगह पर गुंबद, छतरिया, फव्वारे और छोटे जलाशयों का निर्माण किया गया।

अरावली पर्वतमाला की तलहटी में निर्मित होने की वजह से इस उद्यान की सुंदरता और भी बढ़ जाती है। प्रकर्ति के समीप निर्मित इस उद्यान में आप को कई प्रकार के सुंदर पक्षियों की प्रजातियां भी देखने को मिलती है जैसे- मोर, तोता, कोयल और सोनचिरैया जैसे खूबसूरत पक्षी हर वक़्त इसी उद्यान में दिखाई दे जाते है।

बाग के अंदर बने हुए आहतों, छतरियों में भगवान कृष्ण और अन्य हिन्दू देवी-देवताओं के भित्तिचित्र बनाये गए है और बाग की दीवारों में हाथ से बनी हुई जाली और शानदार नक्काशी उकेरी गई है। विद्याधर बाग को 1988 में पर्यटन विभाग ने पुनर्निर्मित किया और इसको दुबारा मूलस्वरूप दिया गया।

विधाधर बाग के अलावा जयपुर शहर के वास्तुकार विद्याधर भट्टाचार्य के सम्मान में विधाधर नगर के नाम से एक कॉलोनी बसाई गई है जिसकी सभी इमारतों को भी गुलाबी रंग में रंगा गया है। विधाधर नगर वर्तमान में जयपुर का सबसे व्यस्थित इलाका है। विधाधरर बाग पर्यटकों के लिए पूरे सप्ताह खुला रहता है।

पर्यटक सुबह 8:00 बजे से लेकर शाम को 5:30 बजे तक विधाधर बाग को देख सकते है। सुबह के समय विद्याधर बाग में प्रवेश निशुल्क है। अभी कुछ ही समय पहले विधाधर बाग में लाइट शो शुरू किया गया है जिसका समय शाम को 7:00 बजे से लेकर रात को 9:00 बजे तक रखा गया है। लाइट शो का प्रवेश शुल्क 100/- INR निर्धारित किया गया है।

विधाधर बाग जयपुर में प्रवेश का समय – Vidhadhar ka Bagh Jaiupr Timings in Hindi

सुबह 08:00 बजे से लेकर शाम को 05:00 बजे तक।

लाइट एंड साउंड शो का समय – शाम को 07:00 बजे से लेकर रात को 09:00 बजे तक।

विधाधर बाग जयपुर में प्रवेश शुल्क – Vidhadhar Bagh Jaipur Entry Fee in Hindi

प्रवेश निःशुल्क ।

सिसोदिया रानी बाग जयपुर – Sisodia Rani Bagh Jaipur in Hindi


Sisodia Rani Bagh Jaipur | Click on Image For Credits

18वीं शताब्दी में जयपुर के संस्थापक महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय ने अपनी दूसरी रानी सिसोदिया रानी के लिए इस उद्यान का निर्माण करवाया था। रानी सिसोदिया उदयपुर की राजकुमारी थी और महाराजा उनसे बहुत ज्यादा प्रेम किया करते थे। इसलिए महाराजा ने रानी के प्रति अपना प्रेम प्रकट करने के लिए बाग के अंदर जगह-जगह पर राधा-कृष्ण के भित्तिचित्र बनवाये।

सिसोदिया रानी इस उद्यान में आराम करने के लिए आया करती थी। रानी के आराम के समय किसी प्रकार की परेशानी ना हो इसलिए इस उद्यान को मुख्य शहर से थोड़ी दूरी पर बनाया गया ताकि जब रानी आराम करे उस से जयपुर शहर की भीड़ और शोरगुल से किसी प्रकार परेशान ना हो। सिसोदिया रानी बाग का स्थापत्य भारतीय और मुगल शैली का एक बेहद खूबसूरत मिश्रण है।

बाग के अंदर बनी दीवारों और छतरियों में हिन्दू देवी- देवताओं के सुंदर चित्र उकेरे गए है। उद्यान में निर्मित मंडप और स्पियर्स को बनाने में भारतीय वास्तुकला का उपयोग किया गया है। उद्यान के अंदर की गई चित्रकारी में भारतीय वास्तुकला स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। फव्वारे और फूलों की क्यारियाँ में मुगल वास्तुशैली की झलक दिखाई देती है।

सिसोदिया रानी बाग के पास  छोटा मंदिर बना हुआ है जिसमे भगवान विष्णु, भगवान शिव और हनुमानजी की मूर्तियां स्थापित की गई है। मानसून के समय इस उद्यान की ख़ूबसूरती और भी ज्यादा बढ़ जाती है।

सिसोदिया रानी बाग जयपुर में प्रवेश का समय – Sisodiya Rani Bagh Jaipur Timings in Hindi

सिसोदिया रानी बाग सुबह 8:00 बजे से लेकर शाम को 5:00 बजे तक पर्यटकों के लिए खुला रहता है।

सिसोदिया रानी बाग जयपुर में प्रवेश शुल्क – Sisodiya Rani Bagh Jaipur Entry Fee in Hindi

भारतीय पर्यटक –   50/- INR प्रति व्यक्ति ।

विदेशी पर्यटक –  200/- INR प्रति व्यक्ति ।

चूलगिरी मन्दिर (दिगम्बर जैन मन्दिर), जयपुर – Chulgiri Temple ( Digember Jain Temple) Jaipur in Hindi


A view from Chulgiri Jain Temple Jaipur | Click on Image For Credits

चूलगिरी मन्दिर जयपुर में घाट की घुणी के पास स्थित अरावली पर्वतमाला की चूलगिरी पहाड़ियों के शीर्ष भाग पर बना हुआ एक विश्व प्रसिद्ध दिगम्बर जैन मन्दिर है। चूलगिरी पहाड़ियों में स्थित होने की वजह से यह दिगम्बर जैन मन्दिर पर्यटकों और स्थानीय निवासियों में चूलगिरी जैन मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।

1953 में जब जैन हिरोपंथ के संत श्री देश भूषण महाराज जब इस स्थान पर आये थे तब उनको अरावली पर्वतमाला के चुना पत्थर से घिरा हुआ यह पहाड़ी स्थान उन्हें बहुत पसंद आया। इस स्थान के छोटी-छोटी पहाड़ियों में चुना पत्थर की मात्रा अधिक होने के कारण संत श्री देश भूषण महाराज ने इस स्थान को चूलगिरी का नाम से संबोधित किया।

उस समय के बाद से अरावली पर्वतमाला की इन छोटी-छोटी पहाड़ियों को चूलगिरी के नाम से जाना जाने लगा। जयपुर शहर की भाग-दौड़ से दूर यह स्थान बारिश के मौसम में खूब हरा भरा हो जाता है। अरावली पर्वतमाला में स्थित होने की वजह से इस स्थान के आस-पास बहुत सारे वन्यजीव भी विचरण करते हुए दिखाई दे जाते है।

मंदिर के अंदर भगवान पार्श्वनाथ, भगवान महावीर और भगवान नेमीनाथ की मूर्तियां स्थापित की गई है और इनके अलावा 24 अन्य जैन तीर्थंकर की छोटी मूर्तियाँ भी स्थापित की गई है। भगवान महावीर की 21 फुट ऊंची प्रतिमा इस मंदिर का एक विशेष आकर्षण केंद्र है। श्रद्धालुओं और पर्यटकों को  इस मंदिर तक पैदल आने के लिए लगभग 1000 सीढियां की चढ़ाई करनी पड़ती है।

इस मंदिर से जयपुर-आगरा हाइवे को जोड़ने वाले घाट की घुणी का टनल एक दम साफ-साफ दिखाई देता है। प्रकृति प्रेमी और फोटोग्राफर के लिए यह स्थान बारिश के मौसम में बहुत अच्छी जगह है। एक प्रसिद्ध दिगम्बर जैन तीर्थ स्थल होने के साथ-साथ यह स्थान जयपुर का एक बहुत प्रसिद्ध पर्यटक स्थल भी है।

पूरे वर्ष स्थानीय और विदेशी पर्यटक इस पवित्र तीर्थ स्थल के दर्शन करने लिए आते है।

चूलगिरी मन्दिर (दिगम्बर जैन मन्दिर) जयपुर में दर्शन का समय – Chulgiri Temple Jaipur Timings in Hindi

श्रद्धालु और पर्यटक इस मंदिर में  सुबह 6:00 बजे से लेकर रात को 8:00 बजे दर्शन कर सकते है।

चूलगिरि मंदिर (दिगम्बर जैन मंदिर ) जयपुर में प्रवेश शुल्क – Chulgiri Temple Jaipur Entry Fee in Hindi

प्रवेश निःशुल्क।

बापू बाजार, जयपुर – Bapu Bazar Jaipur in Hindi

Bapu Bazaar Jaipur

महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय का मुख्य उद्देश्य एक ऐसा व्यस्थित शहर बसाने का था जिसमें आम जनता के लिए भी सभी तरह की सुविधाएं हो एक ऐसा शहर जिसमे आम जनता को व्यापार और अपनी आजीविका चलाने के लिये समान अवसर प्राप्त हो। महाराजा की इसी सोच के कारण जयपुर शहर उस समय का दुनिया का सबसे व्यस्थित शहर बना।

जयपुर में छोटे और बड़े व्यापार के हिसाब से दुकानों को निर्माण किया गया। इसलिए आज भी चांदपोल से लेकर रामगंज तक और मिर्ज़ा इस्माइल रोड से लेकर घाट गेट तक जयपुर में अलग-अलग व्यापारिक संस्थान और दुकाने बनी हुई है। न्यू गेट और सांगानेरी गेट के बीच में स्थित बापू बाजार में आज भी स्थानीय निवासी या फिर कोई पर्यटक को अगर कुछ खरीदारी करनी होती है तो सभी लोग बापू बाजार से खरीदारी करना पसंद करते है।

बापू बाजार को जयपुर के खुदरा व्यापार का केंद्र कहना गलत नहीं होगा। बापू बाजार में राजस्थानी संस्कृति से जुड़े हुए बहुत सारे उत्पाद हर समय उपलब्ध रहते है। यही वजह है की यहाँ आने वाला हर एक पर्यटक एक बार खरीदारी के लिए बापू बाजार जरूर आएगा। बापू बाजार की दुकानों से मुख्यतया कपड़ा, इत्र, लकड़ी से बने हुई  हैंडीक्राफ्ट, पारम्परिक राजस्थानी मोजड़ी और संगमरमर पत्थर से बनी हुई छोटी-छोटी मूर्तियाँ भी खरीदी जा सकती है।

बापू बाजार से आप जब खरीदारी करे तो दुकानदारों से मोलभाव जरूर करें। एक प्रसिद्ध व्यापारिक पर्यटक स्थल होने के कारण यहाँ पर दुकानदार सभी उत्पाद को महंगा बेचते है। लेकिन अगर आप मोल भाव करना जानते है तो आप उचित मूल्य पर अपनी मनपसंद वस्तु खरीद सकते है। अगर आप जयपुर घूमने आये है तो एक बार बापू बाजार जरूर घूमने जाए चाहे आप को कुछ भी नहीं खरीदना हो।

रामनिवास बाग जयपुर – Ramniwas Bagh Jaipur in Hindi

Ramniwas Garden Jaipur

1868 में महाराजा सवाई रामसिंह ने जब रामनिवास बाग का निर्माण करवाया था उस समय यह बाग जयपुर का सबसे बड़ा उद्यान था। जयपुर शहर की चारदीवारी के दक्षिण भाग में स्थित इस विशाल उद्यान में उस समय राजपरिवार के सदस्य गर्मियों के मौसम में शाम के समय भ्रमण किया करते थे।

राजपरिवार के सदस्यों के अलावा इस को कुछ समय के लिए जयपुर के नागरिकों के लिये भी खोला जाता था। ऐसा अनुमान है की अकाल राहत कार्य के लिये निर्मित रामनिवास बाग के निर्माण की लागत उस समय लगभग 4 लाख रुपये आयी थी। जयपुर शहर के एकदम बीच में बना हुआ रामनिवास बाग आज भी अपनी निर्माण शैली और खूबसूरती से सबको प्रभावित करता है।

उद्यान की खूबसूरती बढ़ाने के और गर्मी से बचने के लिए इसमें छोटे-छोटे वर्गाकार बगीचे बनाये गये और बड़े-बड़े छायादार पेड़ लगाए गए ताकि यहां आने वाले नागरिकों को आराम करने के ठंडी और छायादार जगह मिल पाये। समय के साथ-साथ रामनिवास बाग में तत्कालीन राजाओं और अंग्रेजों ने इस उद्यान में अल्बर्ट हॉल संग्रहालय, चिड़ियाघर, छवि निवास, मुकुट महल, अजायबघर, जन्तुशाला और रवींद्र रंग मंच का निर्माण करवाया।

हालांकि की चिड़ियाघर के अधिकतम जानवरों को नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में स्थान्तरित कर दिया गया है। रामनिवास बाग में सबसे ज्यादा पर्यटक अल्बर्ट हॉल को देखने आते है। आज भी स्थानीय निवासी इस उद्यान का उपयोग सुबह और शाम के समय टहलने के लिए करते है।

रामनिवास बाग में प्रवेश करने के लिए चार दरवाजे बनाये गये थे आज इन्हीं दरवाजों से सुबह 5:00 से लेकर रात को 11:00 बजे तक पूरे जयपुर शहर का यातायात और वाहन गुजरते है। रामनिवास बाग में एक फुटबॉल का मैदान बना हुआ है, फुटबॉल मैदान में सुबह और शाम के समय बच्चे फुटबॉल खेलते हुए दिख जाते है। शहर में वाहनों की पार्किंग से जुड़ी हुई समस्या को दूर करने के लिए इस उद्यान में दो मंजिला भूमिगत पार्किंग का निर्माण किया गया है।

रामनिवास बाग जयपुर में प्रवेश का समय – Ramniwas Bagh Jaipur Timmings in Hindi

सुबह 05:00 बजे से लेकर रात को 08:00 बजे तक।

रामनिवास बाग जयपुर में प्रवेश शुल्क – Ramniwas Bagh Jaipur Entry Fee in Hindi

प्रवेश निःशुल्क।

अल्बर्ट हाल संग्रहालय जयपुर – Albert Hall Jaipur in Hindi

Albert Hall Museum Jaipur

रामनिवास बाग के एकदम बीचों-बीच बना हुआ अल्बर्ट हॉल संग्रहालय लगभग 150 साल पुरानी एक शानदार इमारत है। इंग्लैंड के महाराजा एडवर्ड सप्‍तम प्रिन्स ऑफ़ वैल्‍स जब 6 फरवरी 1876 को जब जयपुर आये थे तो उनके सम्मान में महाराजा रामसिंह ने अल्बर्ट हॉल का निर्माण शुरू करवाया।

अल्बर्ट हॉल की डिज़ाइन बनाते समय सर सैमुअल स्विंटन जैकब ने इस इमारत को भव्य बनाने के लिए कई देशों की वास्तुशैली का उपयोग किया। इस संग्रहालय में भारतीय,मुगल,ब्रिटेन और फ़ारसी स्थापत्य का मिश्रण स्पष्ट दिखाई देता है। यह भारत की एकलौती ऐसी इमारत है जिसमे दूसरे देशों की स्थापत्य कला का एकसाथ उपयोग किया गया है।

अल्बर्ट हॉल को बनाने में 10 साल लगा 1887 में इस संग्रहालय को आम जनता के लिए खोल दिया गया था। वर्तमान में यह संग्रहालय राजस्थान का सबसे पुराना और सबसे बड़ा संग्रहालय है। अल्बर्ट हॉल संग्रहालय में प्रवेश करने पर एक हॉल आता है जिसमे जयपुर राजपरिवार के सभी राजो के भित्तिचित्र और राजचिन्ह प्रदर्शित किये गए है।

राजपरिवार के भित्तिचित्रों के अलावा पूरी दुनिया की प्रसिद्ध कलाकृतियों के रेप्लिकाओं का प्रदर्शन भी इस संग्रहालय में किया गया है। चित्र और कलाकृतियों के अलावा इस संग्रहालय में हाथी दांत, कीमती पत्थर, ऐतिहासिक और पुरातत्व महत्व की वस्तुओं को संग्रहित किया गया है।

अल्बर्ट हॉल संग्रहालय में सबसे बड़ा आकर्षण का केंद्र लगभग 2350 वर्ष पुरानी मिस्र से लाई गई एक महिला की ममी है जिसका नाम ‘तूतू’ है।अल्बर्ट हॉल संग्रहालय के तहखाने में मिस्र के राजाओ की रेप्लिका भी रखी गई है।

अल्बर्ट हॉल संग्रहालय जयपुर देखने का समय – Albert Hall Museum Jaipur Timings in Hindi

अल्बर्ट हॉल संग्रहालय पर्यटकों के लिए पूरे सप्ताह सुबह 9:00 बजे से लेकर शाम को 5:00 बजे तक खुला रहता है।

अल्बर्ट हॉल संग्रहालय जयपुर में प्रवेश शुल्क – Albert Hall Museum Jaipur Entry Fee in Hindi

01 भारतीय पर्यटक – 40/- INR प्रति व्यक्ति

02 भारतीय छात्र –  20/- INR प्रति छात्र

03  विदेशी पर्यटक – 300/- INR प्रति व्यक्ति

04  विदेशी छात्र – 150/-  INR प्रति छात्र

गुड़िया घर संग्रहालय जयपुर – Dolls Museum Jaipur In Hindi

Dolls Museum Jaipur

गुड़िया घर राजस्थान का एकलौता एक ऐसा संग्रहालय है जिसमें लगभग 600 से ज्यादा देश-विदेश से आयी हुई गुड़िया का संग्रह किया गया है। इस संग्रहालय में लगभग 40 देशों की गुड़िया का संग्रह किया गया है जिसमें से हर एक गुड़िया अपने देश की संस्कृति का प्रतिनिधित्व करती हुई प्रतीत होती है।

जयपुर में यह संग्रहालय जवाहरलाल नेहरू मार्ग पर स्थित सेठ आनंदी लाल पोद्दार मूक बधिर स्कूल के परिसर स्थित है। इस गुड़िया घर की स्थापना 1974 में भगवानी बाई सेखसरिया परिवार ने एक ट्रस्ट बना कर की। इस ट्रस्ट का मुख्य उद्देश्य यह था की इस संग्रहालय से जो भी धन राशि प्राप्त होगी उसका उपयोग सिर्फ मूक बधिर बच्चों की शिक्षा में किया जाएगा।

अपने निर्माण से लेकर 1980 तक यह इस संग्रहालय में बहुत सारी संख्या में पर्यटक आया करते थे उस बाद इस संग्रहालय पर्यटकों की संख्या में  कमी आने लगी फिर कुछ समय बाद इस बंद कर दिया गया। अभी कुछ वर्ष पहले ही इस संग्रहालय नवीनीकरण करके दो भागों में बांटा गया है।

संग्रहालय में नवनिर्मित भाग का नाम सविता रणजीतसिंह भंडारी के नाम पर रखा गया है। गुड़िया घर संग्रहालय में आने वाले पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए जापान की प्रसिद्ध गुड़िया हिना मास्तुराई को प्रदर्शित किया गया है और इसके अलावा बच्चों के चहते सुपरहीरो और कार्टून कैरेक्टर जैसे- आयरन मैन, सुपर मैन, स्पाइडर मैन, हल्क और बेटमैन जैसे सुपरहीरो की गुड़िया को इस संग्रहालय में शामिल किया गया है।

गुड़िया घर में भारतीय संस्कृति की विभिन्नता को दर्शाती हुई गुड़िया और इसके के अलावा स्वीडन, अफगानिस्तान, ईरान, जापान, अरब देश और स्विट्जरलैंड जैसे देशों की गुड़िया का संग्रह भी किया गया है।

गुड़िया घर संग्रहालय जयपुर देखें का समय – Dolls Museum Jaipur Timings in Hindi

यह संग्रहालय सप्ताह में 6 दिन सुबह 9:00 बजे से लेकर शाम को 6:00 बजे तक खुला रहता है और मंगलवार के दिन बंद रहता है।

गुड़िया घर संग्रहालय जयपुर में प्रवेश शुल्क – Dolls Museum Jaipur Entry Fee in Hindi

01 भारतीय पर्यटक – 10/- INR प्रति व्यक्ति

02 भारतीय छात्र –  5/- INR प्रति छात्र

03 विदेशी पर्यटक –  50/- INR प्रति व्यक्ति

रवीन्द्र मंच जयपुर – Ravindra Manch Jaipur in Hindi

Ravindra Manch Ref Image Jaipur

अपनी स्थापना के बाद से ही जयपुर शहर में हमेशा कला और संस्कृति का प्रोत्साहन मिला है। समय-समय पर जयपुर के सभी शासकों ने कला और संस्कृति के क्षेत्र में अपना योगदान दिया है।उसी कड़ी में जयपुर शहर की कला और सांस्कृतिक धरोहर में चार चांद लगाने के लिये रवीन्द्र मंच की स्थापना 1961 में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने की।

रवीन्द्र मंच जयपुर का सबसे पुराना मंच है। वर्तमान में जयपुर में कई रंगमंच बन चुके है। लेकिन रवीन्द्र मंच आज भी रंगमंच के क्षेत्र में एक अलग पहचान रखता है। रवीन्द्र नाथ टैगोर को समर्पित यह रंगमंच जयपुर का ऐसा पहला मंच था जिससे जयपुर के कला क्षेत्र से जुड़े हुए सभी लोग अपनी कला का प्रदर्शन कर सकते थे।

रवीन्द्र मंच पर से देश विदेश की कई मशहूर हस्तियों ने अपनी अभिनय कला को प्रस्तुत किया है। बहुत सारे युवा कलाकारों ने इस रंगमंच से इस देश में अभिनय के क्षेत्र में अपनी एक अलग पहचान बनाई है जैसे इरफान खान, असरानी, रवि झाकल जैसे कलाकार आज पूरी दुनिया में अपनी एक अलग पहचान रखते है।

मंच के निर्माण के बाद से ही इस जगह पर रंगमंच प्रेमियों के लिये यहाँ पर नाटक का आयोजन किया जाने लगा। फिर कुछ समय के बाद यहां पर सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन भी किया जाने लगा। आज भी रवीन्द्र मंच में वे सभी तरह की सुविधायें मौजूद है जिसके कारण यह मंच आज भी रंगमंच प्रेमियों की पहली पसंद बना हुआ है। रवीन्द्र मंच मिनी थिएटर, ओपन थिएटर, आर्ट गैलेरी जैसी सुविधाओं से सुसज्जित है।

रवीन्द्र मंच 59 सालों आज भी जयपुर शहर की कला और संस्कृति में योगदान दे रहा है।

रविंद्र मंच जयपुर में प्रवेश का समय – Ravindra manch Jaipur Timings in Hindi

सुबह 9:00 बजे से लेकर रात को 10:00 बजे तक ।

रविंद्र मंच जयपुर में प्रवेश शुल्क – Ravindra Manch Jaipur Entry Fee in Hindi

प्रवेश निःशुल्क ।

नोट :-  अगर रविंद्र मंच पर किसी नाटक का आयोजन हो रहा है, तो आयोजक द्वारा निर्धारित शुल्क देय है।

मोती डूंगरी मंदिर जयपुर – Moti Dungri Mandir Jaipur in Hindi

Moti Doongri Ganesh Mandir Jaipur | Image Source – Wikipedia

वैसे तो जयपुर पूरे विश्व में गुलाबी नगरी के नाम से प्रसिद्ध है लेकिन बहुत कम लोगों को पता होगा की जयपुर को छोटा काशी भी कहा जाता है। ऐसा इसलिये कहा जाता है क्यूँ की पुराने जयपुर शहर में जगह-जगह पर छोटे बड़े बहुत सारे मंदिर बने हुए है, पुराने शहर में मंदिरों की संख्या का अंदाज आप इसी बात से लगा सकते है की शहर के मुख्य मार्गों के बीच में भी मंदिर बने हुए मिल जाएंगे है।

जयपुर में स्थित मोती डूंगरी गणेश मन्दिर की स्थापना 1761 सेठ जय राम पल्लीवाल के देख रेख में हुई। मंदिर में स्थापित भगवान गणेश की प्रतिमा को उदयपुर के पास स्थित एक छोटे से कस्बे मावली से लाया गया था। मावली जयपुर के महाराजा सवाई माधो सिंह प्रथम की पटरानी का पीहर था। ऐसा माना जाता है की मावली में इस प्रतिमा को जब गुजरात से लाया गया था तो उस समय यह प्रतिमा 500 वर्ष पुरानी थी।

मंदिर के पास स्थित एक छोटी पहाड़ी है जिसे मोती डूंगरी कहा जाता है इस पहाड़ी की तलहटी में स्थित होने की वजह से इस गणेश मंदिर का नाम मोती डूंगरी गणेश मंदिर रखा गया। मंदिर का स्थापत्य बहुत ही सामान्य है मंदिर में प्रवेश के लिए तीन दरवाजे बनाये गए है और मंदिर के मध्य भाग में भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित की गई है, भगवान गणेश की प्रतिमा सिंदूर के रंग की है।

मोती डूंगरी गणेश मंदिर की प्रसिद्धि का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है की मंदिर में भगवान गणेश के दर्शन के लिए हर वर्ष लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते है। हिन्दू धर्म में बुधवार का दिन भगवान गणेश को समर्पित किया गया है इसलिए बुधवार के दिन यहाँ पर श्रद्धालुओं की संख्या ज्यादा रहती है।

जयपुर के स्थानीय निवासी जब भी कोई नई गाड़ी खरीदते है वो सबसे पहले इसी मंदिर में अपनी गाड़ी की पूजा करवाने के लिए आते है। ऐसी मान्यता है की अगर गाड़ी को सबसे पहले गणेश मन्दिर में ले जाकर पूजा करवाते है तो गाड़ी के साथ कुछ अशुभ घटित नहीं होता।

बिड़ला मन्दिर जयपुर – Birla Mandir Jaipur In Hindi

Birla Mandir Jaipur

मोती डूंगरी गणेश मन्दिर से कुछ ही कदम की दूरी पर स्थित है लक्ष्मी नारायण मंदिर जिसे अधिकांश लोग बिड़ला मंदिर के नाम से जानते है। सफेद संगमरमर पत्थर से बने हुए बिड़ला मंदिर में दक्षिण भारतीय वास्तुकला और आधुनिक वास्तुकला का अद्धभुत मेल दिखाई देता है। 1988 में बिड़ला मंदिर के निर्माण के लिए जयपुर के महाराजा ने बिड़ला फाउंडेशन को एक रुपये में जमीन भेंट कर दी थी।

हिंदू धर्म के सबसे बड़े आराध्य भगवान विष्णु और उनकी धर्म पत्नी लक्ष्मी जी को समर्पित इस मंदिर ने बहुत ही कम समय में जयपुर के पर्यटन क्षेत्र में अपनी एक अलग पहचान बना ली। मंदिर के भीतर संगमरमर के पत्थरों पर हिन्दू धर्म ग्रंथों से जुड़े हुए श्लोकों को बहुत खूबसूरती के साथ उकेरा गया है इसके अलावा बहुत सारे प्राचीन शिलालेख और हिन्दू धर्म से जुड़े हुए भित्तिचित्र भी देखने को मिलते है। बिड़ला मंदिर के गुम्बद को तीन भागों में बनाया गया है यह तीनों भाग धर्म के तीन रूपों को दर्शाते है।

मंदिर के अंदर स्थापित लक्ष्मी-नारायण की मूर्ति का निर्माण सिर्फ एक ही पत्थर से किया गया। इसके अलावा मंदिर में भगवान गणेश की मूर्ति भी आकर्षण का केंद्र है। बिड़ला मन्दिर के बाहरी भाग में विशाल उद्यान बनाया हुआ है जिससे इस मंदिर का वातावरण और भी ज्यादा शांत और सुकून भरा एहसास करवाता है। मंदिर प्रांगण में हिन्दु धर्म और हैंडीक्राफ्ट से जुड़ी हुई वस्तुओं को खरीदने के लिये दुकानें बनाई गई। सू

र्यास्त के समय मंदिर को देखना सबसे अच्छा समय होता है शाम के समय पड़ने वाली सूर्य की रोशनी में यह मंदिर बेहद खूबसूरत दिखाई देता है। मंदिर परिसर में बिड़ला फाउंडेशन से जुड़ा हुआ एक म्यूजियम भी जिसे समय निकाल कर देखा जा सकता है।

बिड़ला मंदिर जयपुर में दर्शन करने का समय – Birla Mandir Jaipur Timings in Hindi

बिड़ला मंदिर में दर्शन करने के लिए सुबह 8:00 बजे से लेकर दोपहर 12:00 बजे तक जा सकते है और शाम को 4:00 बजे से लेकर रात को 8:00 बजे तक मंदिर दर्शन के लिये खुला रहता है।

स्टेच्यू सर्किल जयपुर – Statue Circle Jaipur in Hindi

Statue Circle jaipur

जयपुर शहर के संस्थापक महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय के सम्मान में इस स्मारक का निर्माण किया गया है, इस स्मारक में महाराजा सवाई जयसिंह की एक प्रतिमा भी स्थापित की है और में उनके हाथ में खगोल शास्त्र से जुड़ी हुई एक पुस्तक भी है। यह पुस्तक महाराजा सवाई जयसिंह के खगोल विज्ञान से जुड़े हुए ज्ञान को दर्शाती है।

जयपुर शहर के केंद्र में बने हुए इस स्मारक से पूरे दिनभर जयपुर शहर का आम यातायात गुजरता रहता है। लेकिन जैसे-जैसे शाम होने लगती है तो इस जगह पर स्थानीय निवासी और पर्यटक खाने पीने के लिए और स्मारक में बने हुए उद्यान में आराम करने और हैंगआउट करने की लिए जमा होने लग जाते है।

वैसे तो इस जगह का नाम सवाई जयसिंह स्मारक है लेकिन महाराजा की विशाल प्रतिमा के कारण इस जगह को स्टेचू सर्किल कहा जाने लगा। शाम होते-होते यह स्मारक रंग-बिरंगी रोशनी से रोशन हो जाता है और इस स्थान पर जयपुर के स्थानीय निवासियों की हलचल तेज होने लगती है।

शुक्रवार और शनिवार की शाम को स्टेचू सर्किल पर घूमने जाना का समय सबसे अच्छा है क्यूँ की सप्ताहांत के इन दिनों में इस जगह का माहौल एकदम से किसी मेले के जैसा हो जाता है।

जयपुर के स्थानीय निवासियों को नजदीक से जानने और समझने के लिए स्टेचू सर्किल से अच्छी जगह नहीं हो सकती। आप स्टेचू सर्किल पर तो वैसे पूरे दिन के समय कभी भी जा सकते है लेकिन शाम का समय सबसे अच्छा रहेगा।

सेंट्रल पार्क जयपुर – Central Park Jaipur in Hindi

Central Park Jaipur

स्टेचू सर्किल के पास स्थित सेंट्रल पार्क का निर्माण जयपुर विकास प्राधिकरण ने 2006 में करवाया था। सेंट्रल पार्क जयपुर का सबसे आधुनिक और सबसे बड़ा हरा-भरा उद्यान है। सेंट्रल पार्क के आकार का अंदाज़ सिर्फ इस बात से लगाया जा सकता है की इस उद्यान में 5 किलोमीटर लंबा रनिंग और जॉगिंग ट्रेक बनाया हुआ है।

सेंट्रल पार्क के अधिकांश हिस्से में बड़े छायादार वृक्ष लगाए गए है और उद्यान को सुंदरता प्रदान करने के लिए लैंडस्केपिंग भी करवाई गई है। पार्क में घूमने आने वालों के आराम करने के लिए बेंच भी लगाई गई है। इसके अलावा सेंट्रल पार्क में रामबाग पोलो ग्राउंड और रामबाग गोल्फ क्लब भी बने हुए है।

रामबाग पोलो ग्राउंड में पोलो खेल से जुड़ी हुई अनेक विश्वस्तरीय प्रतियोगिता का आयोजन होता रहता है। सेंट्रल पार्क के अंदर लहराता हुआ तिरंगा झंडा किसी भी सार्वजनिक स्थल पर लगाया गया अब तक सबसे ऊंचा तिरंगा झंडा है इस तिरंगे झंडे के पोल की ऊंचाई 206 फीट है और झंडे की चौड़ाई 28 फ़ीट और लंबाई 72 फ़ीट है।

तिरंगे झंडे के अलावा सेंट्रल पार्क में एक और आकर्षण का केंद्र है जिसे स्टोन आर्ट वर्क कहते है। स्टोन आर्ट वर्क में कुछ वर्टीकल खड़े किये गए पत्थरों को काट कर गोलाकार आकृति में खड़ा किया हुआ जिन्हें दूर से देखने पर ऐसा प्रतीत होता है जैसे कई व्यक्तियों का समूह एक जगह खड़ा है। सेंट्रल पार्क में पूरे दिन जयपुरवासी और पर्यटकों की आवाजाही रहती है स्थानीय निवासी सुबह के समय ज्यादा आते है।

सेंट्रल पार्क में समय-समय पर अंतराष्ट्रीय स्तर के सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित होते रहते है इन कार्यक्रमों में दुनियाभर के मशहूर कलाकार प्रस्तुति देने के लिए आते रहते है।

सेंट्रल पार्क जयपुर खुलने का समय – Central Park Jaipur Opening Time in Hindi

सेंट्रल पार्क पूरे सप्ताह सुबह 6:00 बजे से लेकर रात को 9:00 बजे तक खुला रहता है।

बिड़ला सभागार जयपुर – Birla Auditorium Jaipur in Hindi

Birla Auditorium jaipur

सेंट्रल पार्क और स्टेचू सर्किल के मध्य में स्थित 10 एकड़ में फैला हुआ बिड़ला सभागार आधुनिक वास्तुकला का बेजोड़ उदाहरण प्रस्तुत करता है। देश के प्रसिद्ध वास्तुकार बिड़ला सभागार के भवन की तुलना आधुनिक ताजमहल से करते है। इस सभागार की मुख्य इमारत को ताजमहल के जैसा बनाया गया है और इसके निर्माण में लाल पत्थर का उपयोग किया गया है।

लाल पत्थर पर पत्थर के कारीगरों द्वारा बहुत ही बारीक नक्काशी उकेरी गई है। वर्तमान समय में भी बिड़ला सभागार की यह इमारत किसी भी नव निर्मित सभागार से प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम है। 10 एकड़ में फैले हुए बिड़ला सभागार के परिसर में बीएम बिड़ला तारामंडल, विज्ञान संग्रहालय, कंप्यूटर सेंटर, पुस्तकालय और सूचना संसाधन के भवन बने हुए है।

बिड़ला सभागार भारत के सबसे बड़े सभागार में से एक है इसमें एक समय में 1350 लोगों के बैठने की क्षमता है। इस सभागार में पूरे वर्ष में कई अंतराष्ट्रीय सम्मेलन जैसे स्टोन मार्ट, टूरिज्म, बिज़नेस, चिकित्सा, विज्ञान और शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े हुए कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। कई अंतराष्ट्रीय स्तर के नाटक का प्रदर्शन भी इस सभागार में किया जा चुका है।

बिड़ला सभागार का एक मुख्य आकर्षण इसके परिसर में बना हुआ बीएम बिड़ला तारामंडल भी है। 29 सितंबर 1962 में शुरू किये गए इस तारामंडल के लिए कहा जाता है यह तारामंडल कलकत्ता और लंदन में बने हुए तारामंडल के जितना बड़ा और शानदार तारामंडल है। अपने निर्माण के समय यह तारामंडल भारत का पहला और एशिया में सबसे बड़ा तारामंडल था।

बीएम बिड़ला तारामंडल में एक साथ 350 लोगों के बैठने की क्षमता है इस तारामंडल में ब्रह्मांड और खगोल विज्ञान से जुड़ी हुई बातों को रोबोट के द्वारा एकं गोलाकार पर्दे पर कहानी के माध्यम से बताया जाता है।

बिरला सभागार जयपुर खुलने का समय – Birla Auditorium Jaipur Timings in Hindi

बिड़ला तारामंडल में सुबह 11:00 बजे से लेकर शाम को 6:00 बजे तक शो दिखाया जाता है। तारामंडल के शो की अवधि 45 मिनट है।

बिरला सभागार जयपुर प्रवेश शुल्क – Birla Auditorium Jaipur Entry Fee in Hindi

तारामंडल में बच्चों की टिकट 40/- रुपये है और वयस्क की टिकट 60/- रुपये है। सोमवार को तारामंडल बंद रहता है।

जयपुर के आसपास घूमने की सबसे अच्छी जगह – Places to visit near Jaipur in Hindi

जयपुर पार्ट – 01, जयपुर पार्ट – 03, गोविन्द देव जी मंदिर, आमेर किला, हाथी गांव, झालाना लेपर्ड रिज़र्व, रणथम्भौर किला, रणथम्भौर नेशनल पार्क , कोटा, केवलादेव घना पक्षी विहार, सरिस्का टाइगर रिज़र्व, भानगढ़ किला, सालासर बालाजी मंदिर  इसके अलावा उत्तर प्रदेश भी एक नजदीकी राज्य है यहां पर मथुरा, वृन्दावन और आगरा भी घूमने जा सकते है |

(अगर आप मेरे इस आर्टिकल में यहाँ तक पहुंच गए है तो आप से एक छोटा से निवदेन है की नीचे कमेंट बॉक्स में इस लेख से संबंधित आपके सुझाव जरूर साझा करें, और अगर आप को कोई कमी दिखे या कोई गलत जानकारी लगे तो भी जरूर बताए। में यात्रा से संबंधित जानकारी मेरी इस वेबसाइट पर पोस्ट करता रहता हूँ, अगर मेरे द्वारा दी गई जानकारी आप को पसंद आ रही है तो आप अपने ईमेल से मेरी वेबसाइट को सब्सक्राइब जरूर करे, धन्यवाद)

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