50 के जयपुर दर्शनीय स्थल 2024 | Jaipur 50 Tourist Places to visit in Hindi 2024 | 50 Places to Visit in Jaipur in Hindi 2024 | Jaipur Tourist Places in Hindi 2024 | Jaipur Travel Guide In Hindi 2024 | Things to do in Jaipur in Hindi | Part- 03
राजस्थान के सबसे ज्यादा खूबसूरत शहर जयपुर में पूरे साल लाखों की संख्या में पर्यटक घूमने आते है। कभी आमेर की रियासत रहा जयपुर शहर आज राजस्थान का सबसे आधुनिक और विकसित शहर है। एक समय ऐसा था जब जयपुर शहर आमेर के राजाओं की रियासत का एक हिस्सा हुआ करता था।
लेकिन आज वही आमेर जयपुर शहर का सबसे ज्यादा देखा जाने वाला पर्यटक स्थल है। सवाई महाराजा जयसिंह द्वितीय ने जब जयपुर के निर्माण की परियोजना शुरू की थी, उस समय उनके मन में इस शहर के निर्माण को लेकर सिर्फ एक ही लक्ष्य था की दुनिया का सबसे व्यस्थित और विकसित शहर का निर्माण करना।
एक ऐसा शहर जिसमे उच्च तबक़े से लेकर निम्न तबक़े वाले प्रत्येक व्यक्ति के लिये सुविधाएं उपलब्ध हो। अपनी सांस्कृतिक विरासत और प्राचीन हिन्दू वास्तुशिल्प के लिए प्रसिद्घ यह शहर वर्तमान में भी पूरी तरह से विकसित और व्यस्थित ढंग से बना हुआ है। आज भी पर्यटक इस शहर की चारदीवारी के अंदर बने हुए पुराने जयपुर को देखने के लिए आते है लेकिन समय के साथ-साथ कुछ नई इमारतें इतनी खूबसूरत बनी हुई है।
पुराने शहर की चारदीवारी के बाहर बसे हुए जयपुर में चौड़ी सड़के, शॉपिंग मॉल, मल्टीप्लेक्स, बहुमंजिला इमारतें और खूबसूरत बड़े-बड़े उद्यान बने हुए है। जयपुर घूमने आने वाले हर पर्यटक को इस शहर और इसके आसपास के क्षेत्रों में प्राचीन इमारतें, खूबसूरत प्राकर्तिक स्थलों के साथ-साथ कुछ आधुनिक इमारतें देखने के लिये मिलती है।
जयपुर और इस शहर के आसपास बहुत सारे शानदार और खूबसूरत पर्यटक स्थल है जिन्हें देखने के लिए यहाँ आने वाले पर्यटक को कम से कम एक सप्ताह का समय चाहिए।
मिर्जा इस्माइल रोड – एम.आई.रोड, जयपुर – MI Road Jaipur in Hindi
जयपुर शहर का सबसे व्यस्त बाजार और सबसे व्यस्त रोड एम.आई.रोड का पूरा नाम मिर्जा इस्माइल रोड है। जयपुर शहर की इस सबसे व्यस्त रोड पर लगभग सभी बड़े ब्रांड के शो रूम बने हुए है। एम.आई.रोड की वास्तुकला इतनी सुंदर है की इसके एक छोर से दूसरे छोर तक आप कब पहुँच जाते है ये आप को पता ही नहीं चलता।
24 अक्टूबर 1883 को जन्मे मिर्जा इस्माइल इस खूबसूरत बाजार का निर्माण मैसूर शहर की तर्ज पर करवाया था। 1942 में महाराजा सवाई मानसिंह ने मैसूर के दीवान मिर्जा इस्माइल को जयपुर के दक्षिणी भाग को विकसित करने की जिम्मेदारी सौंपी और जयपुर शहर का दीवान भी घोषित किया।
सवाई महाराजा मानसिंह ने मिर्जा इस्माइल को सिर्फ एक वर्ष के लिए ही जयपुर का दीवान घोषित किया था लेकिन मिर्जा इस्माइल जिस प्रकार जयपुर के दक्षिणी भाग को विकसित कर रहे थे उससे प्रसन्न हो कर महाराजा सवाई मानसिंह ने मिर्जा इस्माइल के कार्यकाल को दो वर्ष तक बढ़ा दिया। मिर्जा इस्माइल इस बाजार का नाम सवाई मानसिंह रोड रखना चाहते थे लेकिन महाराजा सवाई मानसिंह ने मिर्जा इस्माइल का सम्मान में इस रोड का नाम मिर्जा इस्माइल रखा।
राजमंदिर सिनेमाहॉल जयपुर – Rajmandir Jaipur in Hindi
मल्टीप्लेक्स सिनेमा हॉल के समय में एक सिंगल स्क्रीन सिनेमाहॉल के बारे में सोचना भी बड़ा अजीब लगता है। जयपुर में 1 जून 1976 को निर्मित राजमंदिर सिनेमाहॉल आज भी ऐसी सभी बातों का मजाक उड़ता हुआ प्रतीत होता है। एमआई रोड़ के पास स्थित राजमंदिर सिनेमाहॉल में आज भी किसी मल्टीप्लेक्स सिनेमाहॉल से ज्यादा दर्शक फ़िल्म देखने आते है।
शायद दर्शकों से ज्यादा पर्यटक राजमंदिर सिनेमा हॉल देखने आते है। एक सिनेमाहॉल का एक प्रसिद्ध पर्यटक स्थल के रूप पहचान रखना थोड़ा अजीब लगता है। राजमंदिर सिनेमा हॉल के एक पर्यटक स्थल के रूप में प्रसिद्ध होने के पीछे सबसे बड़ा कारण है इस सिनेमा हॉल की वास्तु शैली और दूसरा मुख्य कारण है इस सिनेमा हॉल में दर्शकों के बैठने की क्षमता।
गुलाबी रंग से रंगी हुई राजमंदिर सिनेमाहॉल की वास्तु कला अंदर और बाहर से इतनी खूबसूरत है की इस सिनेमा हॉल को “प्राइड ऑफ एशिया” की उपाधि भी प्रदान की गई है। अंदर से देखने पर यह सिनेमा हॉल किसी महल से कम नहीं लगता है।
राजमंदिर सिनेमाहॉल के अंदर लगे हुए बड़े-बड़े झूमर और स्क्रीन के पास लगा मखमल का पर्दा इसकी ख़ूबसूरती को और बढ़ा देते है। ऐसा माना जाता है की राजमंदिर सिनेमाहॉल एशिया का सबसे बड़ा सिनेमाहॉल है एक बार में इस सिनेमाहॉल में 1300 दर्शक फ़िल्म देख सकते है।
1966 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मोहनलाल सुखाड़िया द्वारा राजमंदिर सिनेमाहॉल के निर्माण की नीवं रखी गई और लगभग एक दशक के बाद 1 जून 1976 तत्कालीन मुख्यमंत्री हरिदेव जोशी ने इस भव्य सिनेमाहॉल का उद्धघाटन किया। राजमंदिर सिनेमाहॉल की डिज़ाइन उस समय के प्रसिद्ध वास्तुकार श्री डब्ल्यू एम नामजोशी द्वारा बनाई गई है।
अक्षरधाम मंदिर जयपुर – Akshardham Temple Jaipur in Hindi
जयपुर के सबसे समृद्ध क्षेत्र वैशाली नगर में निर्मित अक्षरधाम मंदिर का निर्माण “बोचासनवासी श्री अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण सम्प्रदाय” द्वारा करवाया गया है। स्वामीनारायण सम्प्रदाय द्वारा भारत में अभी तक कुल दस मंदिरों का निर्माण करवाया गया है। भारत के अलावा पूरे विश्व में भी स्वामीनारायण सम्प्रदाय ने बहुत सारे मंदिरों का निर्माण करवाया है।
स्वामीनारायण सम्प्रदाय के दो भाग है जिन्हें नर नारायण देव गाडी और लक्ष्मी नारायण देव गाडी के नाम से जाना जाता है। जयपुर स्थित अक्षरधाम मंदिर नर नारायण देव गाडी के अंतर्गत आता है। जयपुर स्थित अक्षरधाम मंदिर के निर्माण में लाल पत्थर का उपयोग किया गया है तथा मंदिर का वास्तु प्राचीन जैन मंदिर वास्तु शैली और हिंदू वास्तु शैली से प्रभावित है।
20वीं शताब्दी में निर्मित अक्षरधाम मंदिर का महत्व किसी भी पौराणिक मंदिर से कम नहीं लगता। मंदिर निर्माण में बहुत सूक्ष्म तरीके से देवी-देवताओं की मूर्तियों का निर्माण किया गया है और मंदिर की दीवारों को भी शानदार नक्काशी द्वारा सुसज्जित किया गया है। अक्षरधाम मंदिर परिसर में तीन मंडप है जिन्हें क्रमशः हरि मंडपम, विभूति मंडपम और प्रसादी मंडपम नाम से संबोधित किया जाता है।
मंदिर में स्वामीनारायण भगवान की सात फुट ऊंची प्रतिमा को स्थापित किया गया है। मंदिर परिसर में बच्चों के खेलने के लिए उद्यान भी बना हुआ है। शाम के समय मंदिर परिसर में किसी मेले के जैसा माहौल रहता है।
खाने पीने के लिए मंदिर परिसर और मंदिर के बाहर पर्याप्त मात्रा में दुकानें और कैफेटेरिया निर्मित किये गए है। श्रद्धालु और पर्यटक सुबह 7:30 बजे से लेकर दोपहर के 12:00 बजे तक दर्शन कर सकते है, और शाम को 4:00 बजे से लेकर रात को 8:30 बजे तक श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए खुला रहता है।
अक्षरधाम मंदिर में प्रमुख आरतियों की समय सारणी – Akshardham Temple Jaipur Timings in Hindi
मंगला आरती – प्रातः 06:00 बजे
शांगर आरती – प्रातः 07:30 बजे
राजभोग आरती -11:15 बजे
संध्या आरती- शाम 07:00 बजे
शयन आरती – शाम 08:00 बजे
अक्षर मंदिर में प्रवेश शुल्क – Akshardham Temple Jaipur Entry Fee in Hindi
प्रवेश निःशुल्क।
अमर जवान ज्योति वॉर मेमोरियल जयपुर – Amar Jawan Jyoti War Memorial Jaipur in Hindi
16 अगस्त 2005 को तत्कालीन राजस्थान के मुख्यमंत्री ने कारगिल युद्ध और इसके अलावा भारत- पाकिस्तान और भारत-चीन युद्ध के समय वीरगति को प्राप्त हुए राजस्थान के बहादुर सैनिकों के सम्मान में जयपुर में सवाई मानसिंह स्टेडियम के सामने अमर जवान ज्योति वॉर मेमोरियल का उद्धघाटन किया।
इस वॉर मेमोरियल के निर्माण में कुल 165 दिन का समय लगा अपने निर्माण के बाद से ही यह वॉर मेमोरियल स्थानीय लोगों और पर्यटकों के लिए समय व्यतीत करने का सबसे पसंदीदा स्थान बन गया। अमर जवान ज्योति पर राजस्थान के गौरवशाली इतिहास और भारत-पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध के समय राजस्थान के वीर सैनिकों द्वारा दिखाए गए अदम्य साहस और शौर्य को झांकियों के द्वारा प्रदर्शित किया गया है।
अमर जवान ज्योति में इन झांकियों के अलावा रात राजस्थान के इतिहास और वीर सैनिकों की शौर्य गाथाओं को लाइट एंड साउंड शो के द्वारा बताया जाता है जिसे स्थानीय निवासियों और पर्यटकों द्वारा सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है।आधे घंटे चलने वाले इस लाइट एंड साउंड शो को सुनने वाला जब इसे अनुभव करता है तो उसके रौंगटे खड़े हो जाते है।
अमर जवान ज्योति को देखने के लिए दिन के समय कभी भी जाया जा सकता है लेकीन शाम के समय इस वॉर मेमोरियल पर युवाओं की भीड़ दिखाई देती है।
अमर जवान ज्योति वॉर मेमोरियल जयपुर देखने का समय – Amar Jawan Jyoti Timings in Hindi
अमर जवान ज्योति पर लाइट एंड साउंड शो का आयोजन प्रतिदिन शाम को 7:00 बजे से लेकर रात्रि 9:00 बजे तक किया जाता है। लाइट एंड साउंड शो की अवधि आधे घंटे की होती है।
अमर जवान ज्योति वॉर मेमोरियल जयपुर प्रवेश शुल्क – Amar Jawan Jyoti Entry Fee in Hindi
प्रवेश निःशुल्क।
जवाहर कला केंद्र जयपुर – Jawahar Kala Kendra Jaipur in Hindi
अपनी सांस्कृतिक विरासत, कला और शिल्प को संजो कर रखने के लिये जयपुर पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। 8 अप्रैल 1993 में रविन्द्र रंगमंच जैसे थिएटर के अलावा एक और कला और संस्कृति को समर्पित थिएटर जवाहर कला केंद्र का उद्धघाटन राजस्थान सरकार करती है। जवाहर कला केंद्र की इमारत का डिज़ाइन 1986 में वास्तुकार चार्ल्स कोरिया ने तैयार किया, और 1991 में जवाहर कला केंद्र की इमारत बन कर तैयार हो जाती है।
राजस्थान सरकार ने जवाहर कला केंद्र का निर्माण कला और शिल्प को सरंक्षण देने के लिए करवाया था। जवाहर कला केंद्र के डिज़ाइन बनाते समय वास्तुकार चार्ल्स कोरिया ने जयपुर की स्थानीय नगर शैली, और जयपुर में निर्मित भवनों की शैली को ध्यान में रखकर इसका डिज़ाइन तैयार किया। जवाहर कला केंद्र की इमारत को कई ब्लॉक में विभाजित किया गया है।
जवाहर कला केंद्र की इमारत में आवास, संग्रहालय, रंगमंच, कॉन्फ्रेंस हॉल, आर्टगैलेरी ,उद्यान, लाइब्रेरी, शिल्पग्राम, कैफेटेरिया और ओपन थिएटर बने हुए है। इस जगह पूरे वर्ष अनेक राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय स्तर के सांस्कृतिक, कला और शिल्प को समर्पित कार्यक्रमों को आयोजन किया जाता है।
समय-समय रंगमंच के बड़े कलाकारों द्वारा जवाहर कला केंद्र में नाटकों का आयोजन भी किया जाता है यहाँ होने वाले सभी कार्यक्रमों में स्थानीय और विदेशी कलाकार हिस्सा लेते रहते है। जवाहर कला केंद्र के कैफेटेरिया में हर समय देशी और विदेशी कलाकारों का जमावड़ा रहता है।
जवाहर कला केंद्र जयपुर देखने का समय – Jawahar Kala Kendra Jaipur Timings in Hindi
सुबह 10:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक।
जवाहर कला केंद्र जयपुर प्रवेश शुल्क – Jawahar Kala Kendra Jaipur Entry Fee in Hindi
प्रवेश निःशुल्क।
स्मृति वन जयपुर – Smriti van Jaipur in Hindi
जयपुर में जेएलन मार्ग के समीप स्थित स्मृति वन जयपुर का सबसे अधिक जैव विविधता वाला वन क्षेत्र है। 1981 में आई बाढ़ के समय इस स्थान पर एक गहरा गड्ढा बन गया। उसके कुछ समय बाद स्थानीय निवासी इस स्थान पर अपने प्रियजनों की स्मृति में वृक्षारोपण करने लग गए और इस वजह से इस स्थान की जैविक विविधता बढ़ गई और इस वन क्षेत्र का नाम भी स्मृति वन पड़ गया।
कुछ समय के उपरांत राजस्थान सरकार ने इस वन क्षेत्र को ग्रीन राजस्थान योजना के अन्तर्गत वृक्षारोपण द्वारा विकसित करना शुरू किया और इस स्थान का नाम स्मृति वन रखा। स्मृति वन का निर्माण कार्य 8 अक्टूबर 2005 को राजस्थान द्वारा शुरू किया गया और 8 दिसंबर 2007 को स्थानीय जनता और पर्यटकों के लिए खोल दिया गया। स्मृति वन में सुबह के समय स्थानीय लोग मॉर्निंग वॉक के लिए आते है।
स्मृति वन में पर्यटकों और स्थानीय निवासियों के घूमने के लिए ट्रेक बनाये गए है। स्मृति वन कुल 40 एकड़ में फैला हुआ है। पूरे स्मृति वन को 11 खंडों में बांटा गया है और इन सभी खंडों का पेड़-पौधों के विशेषता के अनुरूप नामकरण किया गया है।
स्मृति वन के 11 खंडों के नाम इस प्रकार है- वसुंधरा वन, चम्पा वन, अरावली वन, धन्वंतरि वन, जावा कुसुम वन, मरु वन, राष्ट्रीय वन, नर्सरी, सरोवर, संग्रहालय और वृंदावन वन इन सभी खंडों में अलग-अलग विविधता वाले वृक्ष, औषधीय गुण वाले पौधे और खुश्बूदार पौधे उगाए गए है जैसे- मोगरा, कोरल, चंपा, अल्मोड़ा, बोगनविलिया, खेजड़ी, गूगल, सलार, जेरोफाइट्स और यूफोरबिया जैसे पेड़ पौधे उगे हुए है।
स्मृति वन जयपुर देखने का समय – Smriti van Jaipur Timings in Hindi
सुबह 6:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक।
स्मृति वन जयपुर देखने का समय – Smriti van Jaipur Entry Fee in Hindi
प्रवेश निःशुल्क।
वर्ल्ड ट्रेड पार्क, जयपुर – World Trade Park Jaipur in Hindi
राजस्थान की राजधानी होने के अलावा जयपुर राजस्थान का एकलौता महानगर भी है। जहाँ चारदिवारी के अंदर जयपुर में ग्रामीण परिवेष की झलक मिलती है। दूसरी तरफ चारदीवारी के बाहर एक आधुनिक शहर की भागदौड़ दिखाई देती है चौड़ी सड़के और उन सडकों पर तेज गति से भागती हुई गाड़िया दिखाई देती है।
एक महानगर की सबसे बड़ी पहचान होती है बड़ी-बड़ी इमारतें, महंगे ऑफिस, मल्टीप्लेक्स और बड़े-बड़े ब्रांड स्टोर। जयपुर में भी बहुत बड़ी-बड़ी इमारतें और ऑफिस काम्प्लेक्स और शॉपिंग मॉल बने हुए है। जयपुर के सबसे बड़े और सबसे ज्यादा पसंद किये जाने वाले शॉपिंग मॉल का नाम वर्ल्ड ट्रेड पार्क है यह शॉपिंग मॉल जयपुर में अभी तक का सबसे बड़ा शॉपिंग मॉल है। वर्ल्ड ट्रेड पार्क का निर्माण 2012 में पूरा हुआ और थोड़े ही समय में इस शॉपिंग मॉल ने पूरे राजस्थान में एक विशेष जगह बना ली।
आधुनिक समय के हिसाब से और युवाओं और बच्चों को आकर्षित करने के लिए वर्ल्ड ट्रेड पार्क में सभी तरह के मनोरंजन और खरीदारी के उपक्रम उपलब्ध है जैसे – बड़े ब्रांड स्टोर, बड़े मोबाइल कंपनी स्टोर, प्लेइंग एरिया, क्लब, रेस्टोरेंट, महंगे होटल और मल्टीप्लेक्स बने हुए है इन सब के अलावा देश-विदेश की महत्वपूर्ण कंपनियों के ऑफिस भी इस शॉपिंग मॉल बने हुए है। जयपुर और राजस्थान के युवाओं के समय व्यतीत करने और मनोरंजन करने के लिए वर्ल्ड ट्रेड पार्क सबसे पहली पसंद है।
विदेशों से आने वाले पर्यटक भी अपना क्वालिटी टाइम बिताने और अपना पसन्दीदा खाना-खाने के वर्ल्ड ट्रेड पार्क आना पसंद करते है।
वर्ल्ड ट्रेड पार्क जयपुर में प्रवेश का समय – World Trade Park Jaipur Timings in Hindi
सुबह 11:00 बजे से लेकर रात 10:00 बजे तक।
वर्ल्ड ट्रेड पार्क जयपुर में प्रवेश शुल्क – World Trade Park Jaipur Entry Fee in Hindi
प्रवेश निःशुल्क।
झालाना लेपर्ड रिज़र्व जयपुर – Jhalana Leopard Reserve Jaipur in Hindi
समय के साथ जैसे-जैसे जयपुर की आबादी बढ़ती गई और इस शहर की सीमा का विस्तार होने लगा तो जयपुर के आसपास के जंगल की सीमाएं घटती गई। जंगल की सीमाएं घटने से इंसान और जानवरों के बीच टकराव बढ़ने लगा जो की उस समय की राजस्थान सरकार के लिए चिंता का बड़ा विषय बन गया।
जयपुर के आसपास के वन क्षेत्र तेंदुए जैसे वन्यजीव की संख्या हमेशा से ही अन्य वन्यजीवों से अधिक रही है। लेकिन इंसानो और तेंदुओं के बीच बढ़ते टकराव के कारण इस प्राणी की संख्या बहुत तेजी से गिरने लग गई। 1973 में राजस्थान सरकार ने इंसानो और वंयजीवों के बीच टकराव कम करने के लिए और तेंदुए जैसे शानदार प्राणी को सरंक्षण देने के लिए “प्रोजेक्ट लेपर्ड” की स्थापना।
राजस्थान सरकार ने सबसे पहले प्रोजेक्ट लेपर्ड के अंतर्गत जयपुर के झालाना क्षेत्र को तेंदुओं और अन्य वन्यजीवों के लिए 22 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र को सरंक्षित क्षेत्र घोषित किया। झालाना लेपर्ड रिज़र्व के अलावा राजस्थान सरकार ने इस वन्यजीव को सरंक्षण देने सात अन्य स्थानों को भी चिन्हित किया है- माउंट आबू, कुंभलगढ़, शेरगढ़, खेतड़ी, जवाईबांध, जयसमंद और बस्सी। झालाना लेपर्ड रिज़र्व की सम्पूर्ण जानकारी के लिए यहां क्लिक करें।
अक्षय पात्र, जयपुर – Akshay Patra Jaipur in Hindi
अक्षय पात्र फाउंडेशन एक ऐसी संस्था है जिसमें देश भर के 12 राज्यों के 14702 विद्यालयों के लगभग 17 लाख छात्रों को निःशुल्क भोजन उपलब्ध करवाया जाता है। इतनी बड़ी संख्या में छात्रों को निःशुल्क भोजन करवाने के लिए दिसंबर 2009 में अक्षय पात्र फाउंडेशन का नाम “लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड्स” में लिखा गया।
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन भी इस फाउंडेशन से इतने ज्यादा प्रभावित हुए के अपने भारत दौरे के समय जयपुर स्थित अक्षय पात्र को देखने के लिए गए थे। सामाजिक क्षेत्र में अपने निस्वार्थ योगदान के लिए CNBC द्वारा भी अक्षय पात्र फाउंडेशन को सम्मानित किया जा चुका है। जयपुर में जगतपुरा के पास स्थित अक्षय पात्र पारिवारिक भृमण और सामाजिक कार्यों के लिये उपयुक्त स्थान है।
जयपुर में स्थित अक्षय पात्र की रसोई में प्रतिदिन लाखों बच्चों के लिए निःशुल्क भोजन बनाया जाता है। अक्षय पात्र की रसोई का आकार बहुत विशाल है और भोजन बनाने के लिए रसोई का निर्माण भी वैज्ञानिक तरीके से किया गया है। अक्षय पात्र में भोजन बनाने की प्रक्रिया को देखना आप लोगों के लिए एक जीवनपर्यंत याद रहने वाला अनुभव रहेगा।
अक्षय पात्र में ही भगवान श्रीकृष्ण और उनके बड़े भाई बलराम को समर्पित कृष्ण-बलराम मंदिर बना हुआ है। मंदिर में संध्या आरती के समय भजन कीर्तन का आयोजन होता है। अपनी आत्मिक शांति के लिए संध्या आरती में उपस्थित रहना एक अच्छा विकल्प हो सकता है।
अक्षय पात्र जयपुर में प्रवेश का समय – Akshay Patra Jaipur Timings in Hindi
सुबह 09:00 बजे से शाम 05:30 बजे तक।
अक्षय पात्र जयपुर में प्रवेश शुल्क – Akshay Patra Jaipur Entry Fee in Hindi
प्रवेश निःशुल्क।
पिंक पर्ल वाटर पार्क जयपुर – Pink Pearl Water Park Jaipur in Hindi
जयपुर में अजमेर रोड पर स्थित पिंक पर्ल वाटर एंड एम्यूजमेंट पार्क राजस्थान का सबसे बड़ा वाटर एंड एम्यूजमेंट पार्क है। सप्ताहांत के समय बड़ी संख्या में स्थानीय जयपुर निवासी और आसपास के क्षेत्र के लोग अपने मित्रों और परिवार के साथ जयपुर में स्थित पिंक पर्ल वाटर एंड एम्यूजमेंट पार्क में समय बिताते हुए मिल जाएंगे।
इस वाटर एंड एम्यूजमेंट पार्क में स्विमिंग पूल, वाटर राइड्स, वाटर स्लाइड्स, रेस्टोरेंट और रेन डांस के अलावा बहुत सारी एडवेंचर एक्टिविटी भी कर सकते है। पिंक पर्ल वाटर एंड एम्यूजमेंट पार्क पूरे सप्ताह खुला रहता है सप्ताहांत के दिनों में इस वाटर एंड एम्यूजमेंट पार्क में बहुत ज्यादा भीड़ रहती है।
पिंक पर्ल वाटर पार्क जयपुर देखने का समय – Pink Pearl Water Park Jaipur Timings in Hindi
पिंक पर्ल वाटर एंड एम्यूजमेंट पार्क पूरे सप्ताह सुबह 10:00 बजे से लेकर शाम को 7:30 बजे तक खुला रहता है।
पिंक पर्ल वाटर पार्क जयपुर प्रवेश शुल्क – Pink Pearl Water Park Jaipur Entry Fee in Hindi
इस वाटर पार्क में 3.5 फ़ीट से लेकर 4.5 फ़ीट लंबे व्यक्ति के लिए प्रवेश शुल्क 300 रुपये लिया जाता है और 4.5 फ़ीट से लंबे व्यक्ति के लिये 400 रुपये प्रवेश शुल्क निर्धारित किया गया।
पिंक पर्ल वाटर एंड एम्यूजमेंट पार्क में होने वाली एक्टिविटी के अलग से शुल्क लिया जाता है। प्रवेश शुल्क में बदलाव संभव है।
अप्पू घर जयपुर – Appu Ghar Jaipur in Hindi
सप्ताहांत में अगर आप कोई रोमांचक गतिविधि करना चाहते है तो जयपुर में दिल्ली हाइवे पर स्थित अप्पू घर आपके लिए सबसे अच्छा विकल्प हो सकता है। अरावली पर्वतमाला की तलहटी में स्थित होने की वजह से अप्पू घर में रोमांच का स्तर चार गुना हो जाता है।
अपने परिवार, मित्रों और बच्चों के साथ आप अप्पू घर में बहुत सारे खेल और रोमांचक गतिविधियों में शामिल हो सकते है जैसे- गोल्फ कोर्स, वाटर पार्क, टॉय ट्रैन, बंजी ट्रेंपोलिने, क्रिकेट, ज़ोरबिंग, 7D सिनेमा, ATV राइड, पेंट बॉल, रोप कोर्स, तीरंदाजी, मेकिनिकल बुल राइड, बॉडी ज़ोरबिंग, मेकिनिकल नॉकआउट, इलेक्ट्रॉनिक रिक्शा और एक्वा ज़ोरबिंग जैसी रोमांचक गतिविधि का आनदं ले सकते है।
अगर आप गोल्फ प्रेमी है तो यह जगह आप के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं है यहाँ का हरा भरा 9 होल गोल्फ कोर्स आपको एक दम अलग अनुभव प्रदान करेगा।
अप्पू घर जयपुर में प्रवेश का समय – Appu Ghar Jaipur Timings in Hindi
अप्पू घर सप्ताह के सातों दिन खुला रहता है और सुबह के 10:00 बजे से लेकर शाम को 7:00 बजे तक खुला रहता है।
अप्पू घर जयपुर में प्रवेश शुल्क – Appu Ghar Jaipur Entry Fee in Hindi
अप्पू घर में 4.6 फ़ीट से कम लंबाई वाले व्यक्ति का प्रवेश शुल्क 50 रुपए लिया जाता है और 4.6 फ़ीट से ज्यादा लंबाई वाले व्यक्ति के लिए प्रवेश शुल्क 100 रुपये निर्धारित किया गया है। अप्पू घर में होने वाली सभी गतिविधियों के लिए अलग से शुल्क देय है। प्रवेश शुल्क में बदलाव संभव है।
सुजान राजमहल पैलेस जयपुर – Sujan Rajmahal Palace Jaipur in Hindi
सुजान राजमहल पैलेस जयपुर राजघराने का लगभग 250 वर्ष पुरानी ऐतिहासिक विरासत है। एक ऐतिहासिक विरासत होने के साथ-2 यह पैलेस दुनिया के सबसे महँगे होटल में भी शामिल है।इस बात अंदाजा सिर्फ इस बात से लगाया जा सकता है की इस राजशाही होटल में रुकने के लिए लोग एक रात ले लाखों रुपये खर्च कर देते है।
दुनिया भर के अमीर लोग इस होटल में अपनी शादी करवाने के लिए करोडों रुपए खर्च कर देते है। इन सब बातों के अलावा सुजान राजमहल पैलेस होटल जयपुर राजघराने की एक अमूल्य विरासत भी है। लगभग 250 साल पुराने राजमहल पैलेस में जयपुर राजघराने के सदस्य अपने आराम के क्षण व्यतीत करना पसंद करते थे।
भारत में जब अंग्रेजों ने राज करना शुरू किया तो उस समय सुजान राजमहल पैलेस का उपयोग बड़े अंग्रेज अधिकारी अपने निजी आवास के लिए करने लगे। 1947 में भारत की स्वंतंत्रता के उपरान्त ये शानदार पैलेस वापस जयपुर राजघराने के पास आ गया और कुछ वर्षों के उपरान्त सुजान राजमहल पैलेस को 5 स्टार होटल में बदल दिया गया।
हरिमहल पैलेस जयपुर – Harimahal Palace Jaipur in Hindi
जयपुर के सभी राजाओं ने समय-समय पर जयपुर के आसपास के क्षेत्रों में अपने आराम करने और निजी समय व्यतीत करने के लिए बहुत सारी इमारतों का निर्माण करवाया। भारत की स्वंतंत्रता के बाद इन इमारतों का उपयोग बहुत कम हो गया इसलिए समय के साथ-साथ इन सभी ऐतिहासिक भवनों को हेरीटेज होटल में बदल दिया गया।
जयपुर के सिविल लाइन क्षेत्र में एक ऐसी ही हेरिटेज होटल है जिसका नाम है हरिमहल पैलेस। इस शानदार ऐतिहासिक भवन का निर्माण 1930 में जयपुर के महाराजा पृथ्वी सिंह ने अपने आरामगाह तौर पर करवाया था। आज यह ऐतिहासिक भवन एक हेरीटेज होटल के रूप में बहुत प्रसिद्ध है और एक निजी फर्म पचार ग्रुप द्वारा इस हेरिटेज होटल का संचालन किया जाता है।
सामोद हवेली, जयपुर – Samod Haveli Jaipur in Hindi
जयपुर से लगभग 40 किलोमीटर दूर सामोद एक समय आमेर रियासत का हिस्सा हुआ करता था। 16वीं शताब्दी में सामोद के जमींदारों ने इस जगह एक राजपुर किले का निर्माण करवाया था। 19वीं शताब्दी में इस किले को एक महल के रूप में परिवर्तित कर दिया गया। इस किले के नवीनीकरण के समय इसकी स्थापत्य शैली राजपूत और मुगल स्थापत्य शैली का उपयोग किया गया।
175 वर्ष पुराने इस शानदार महल को 1987 में एक हेरीटेज होटल में बदल दिया गया। राजपुत स्थापत्य शैली और मुगल स्थापत्य शैली से निर्मित सामोद हवेली एक होटल होने के साथ साथ राजस्थान की एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक धरोहर भी है। इस शानदार महल में बने हुए भित्ति चित्रों का आज भी संजो कर रखा गया है।
डिग्गी पैलेस जयपुर – Diggi Palace Jaipur in Hindi
जयपुर से 40 किलोमीटर दूरी पर स्थित डिग्गी पैलेस का निर्माण खंगारोत राजपूत शासक श्री ठाकुर साहब प्रताप सिंह जी डिग्गी ने 1860 में करवाया। 1980 तक प्रताप सिंह जी वंशजों ने डिग्गी पैलेस के भवन निर्माण में अपना-अपना योगदान दिया।
1991 में डिग्गी पैलेस के एक हिस्से को ठाकुर राम प्रताप सिंह डिग्गी और उनकी पत्नी ज्योतिका कुमारी डिग्गी ने हेरीटेज होटल में बदल दिया और एक हिस्से का उपयोग अपने निजी निवासी स्थान के रूप में करने लगे।
डिग्गी पैलेस हेरिटेज होटल का संचालन आज भी डिग्गी राजपरिवार द्वारा ही किया जाता है। एक हेरिटेज होटल के रूप में डिग्गी पैलेस पूरी दुनिया में अपनी एक अलग पहचान रखता है।
जयपुर के आसपास घूमने की जगह – Tourist Place Near Jaipur
रणथम्भौर दुर्ग, रणथम्भौर नेशनल पार्क , रणथम्भौर नेशनल पार्क टाइगर सफारी, पुष्कर, जयपुर भाग-01, जयपुर भाग-02, हाथी गांव, गोविंददेवजी मंदिर, आमेर किला, भानगढ़ का किला, कोटा