40 उदयपुर के पर्यटक स्थल 2024 | उदयपुर राजस्थान | 40 Things to do in Udaipur In Hindi 2024 | Places to Visit in Udaipur 2024 | Udaipur Tourist Places in Hindi | 40 Things to do in Udaipur in Hindi 2024 | Part- 02
उदयपुर का इतिहास | History of Udaipur in Hindi
राजस्थान में रियासत काल में मेवाड़ की राजधानी रहे उदयपुर के निर्माण के पीछे सबसे बड़ा कारण इस जगह का सामरिक रूप से और बाहरी आक्रमणों से सुरक्षित होना था। अरावली पर्वतमाला और घने जंगलों से घिरा हुआ यह क्षेत्र बाहरी आक्रमणकारियों से एकदम सुरक्षित था इस वजह से महाराणा उदयसिंह ने इस क्षेत्र को मेवाड़ की नई राजधानी बनाने का निश्चय किया।
महाराणा उदयसिंह के बाद उनके पुत्र महाराणा प्रताप के हाथ में मेवाड़ की सत्ता आई। उदयपुर के निर्माण के बाद से ही यह क्षेत्र एक लम्बे समय तक मुगलों के आक्रमणों को झेलता रहा महाराणा प्रताप और उनके सहयोगियों द्वारा किये गए एक लम्बे संघर्ष के बाद मेवाड़ को पूरी तरह से मुगल साम्राज्य से मुक्त करवा लिया था (भील, मीणा और पटेल जैसे जनजातीय लोग महाराणा प्रताप की सेना का मुख्य हिस्सा थे)।
वर्तमान के उदयपुर शहर को बसने में कुल 400 साल का समय लग गया उदयपुर के राजाओं द्वारा बनाई गई कुछ इमारतें तो सौ साल से भी कम पुरानी है। इस शहर के बसने में इतना सारा समय लगने के पीछे का सबसे बड़ा कारण है मेवाड़ पर राज करने वाले राजपरिवार का एक बहुत ही लम्बे समय तक मेवाड़ की रक्षा हेतु युद्ध करने में लगने वाला समय था।
आज भी उदयपुर और इसके आसपास के क्षेत्रों में मेवाड़ रियासत और मुगलों के बीच हुए युद्ध के प्रमाण उपलब्ध है। उदयपुर को बसाने में सिसोदिया वंश की 22 पीढ़ियों का योगदान रहा है इसलिये उदयपुर के महलों और स्मारकों के वास्तु में भी अलग-अलग समय का प्रभाव देखने को मिलता है। उदयपुर की बसावट और महलों के वास्तु की विभिन्नता और यहाँ के प्राकृतिक सुंदरता की वजह से ही उदयपुर आज राजस्थान के सबसे प्रसिद्ध पर्यटक स्थलों में से एक है।
पूरे वर्ष में लाखों की संख्या में पर्यटक उदयपुर आते है और उनको जो चीज़ यहाँ पर सबसे ज्यादा आकर्षित करती है उसमें मेवाड़ का गौरवशाली इतिहास, महलों की वास्तुकला और यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता पर्यटकों को बार-बार उदयपुर आने के लिए उकसाती है।
मानसून पैलेस / सज्जनगढ़ फोर्ट उदयपुर:- Masoon Palace / Sajjangarh Fort Udaipur in Hindi
मानसून पैलेस या फिर सज्जनगढ़ फोर्ट का निर्माण महाराणा सज्जन सिंह ने शुरू करवाया था। और इस महल का निर्माण कार्य महाराणा फतेह सिंह ने पूरा करवाया था। मेवाड़ के सिसोदिया राजपूत वंश में महाराणा सज्जन सिंह का शासनकाल सबसे कम समय का था (1874-1884)। महाराणा सज्जन सिंह की मृत्यु मात्र 26 वर्ष की अल्पायु में ही हो गई थी।
बाद में महाराणा सज्जन सिंह के उत्तराधिकारी महाराणा फतेह सिंह ने उनके अधूरे निर्माण कार्य पूरे करवाये। सड़कें, बांध, आम लोगों तक जलापूर्ति पहुँचाना और 19वीं शताब्दी में भारत की दूसरी नगरपालिका की स्थापना करवाना जैसे बड़े और आम नागरिक के जीवन से जुड़े काम महाराणा सज्जन सिंह ने अपने दस वर्ष के शासनकाल में पूरे करवाये थे।
ब्रिटेन की महारानी विक्टोरिया की जब नवंबर 1881 में भारत की महारानी के तौर पर ताजपोशी की जा रही थी। उसी समय लार्ड रिपन द्वारा महाराणा सज्जन सिंह को उनके द्वारा करवाये गए सामाजिक और विकास कार्यों की वजह से “ग्रांड कमांडर ऑफ द स्टार ऑफ इंडिया” की उपाधि प्रदान की गई।
सज्जनगढ़ फोर्ट अरावली पर्वतमाला के बंसदरा पर्वत चोटी पर स्थित है पिछोला झील से सज्जनगढ़ फोर्ट की ऊंचाई 340 मीटर है और समुद्रतल से ऊंचाई 944 मीटर है। महाराणा सज्जन सिंह एक ऐसे नौ मंजिला महल का निर्माण करना चाहते थे, जिससे वह खगोलीय गणना और मानसून के समय बादलों पर नजर रख सके लेकिन उनकी अकस्मात मृत्यु के कारण इस महल का बाकि काम महाराणा फ़तेह सिंह ने पूरा करवाया।
मानसून पैलेस के निर्माण के बाद राजपरिवार के सदस्य इस महल का उपयोग अपने आरामगाह और शिकारगाह के रूप में किया करते था। सज्जनगढ़ फोर्ट संगमरमर पत्थर से बना एक बहुत ही सुन्दर महल है जिसमें संगमरमर के पत्थरों से बने हुए स्तम्भों पर बहुत महीन कारीगरी की गई है।
ढेर सारे कमरों के अलावा महल के केंद्रीय भाग में एक न्यायालय भी बना हुआ है। इसके अलावा महल की निगरानी और सुरक्षा के लिए ऊँचे टावर बने हुए है। महल में बने हुए गुम्बद, झरोखे और फव्वारे इसकी खूबसूरती को और बढ़ा देते है।
मानसून पैलेस उदयपुर देखने का समय :- Mansoon Palace Udaipur Timings in Hindi
मानसून पैलेस पर्यटकों के लिए सुबह 8:00 बजे से लेकर शाम को 6:00 बजे तक खुला रहता है।
मानसून पैलेस उदयपुर में प्रवेश शुल्क :- Mansoon Palace Udaipur Entry Fee in Hindi
भारतीय पर्यटकों के लिए प्रवेश शुल्क 10 रुपये निर्धारित किया गया है और विदेशी पर्यटकों से प्रवेश शुल्क 80 रुपये लिया जाता है। कैमरे के लिए 20 रुपये शुल्क लिया जाता है।
सहेलियों की बाड़ी उदयपुर – Saheliyon Ki Bari Udaipur in Hindi
फतेह सागर झील के नजदीक स्थित सहेलियों की बाड़ी का निर्माण 1710 से 1714 के बीच में महाराणा संग्राम सिंह ने करवाया था। इस उद्यान के निर्माण से जुड़ी कथा के अनुसार महाराणा संग्राम सिंह ने अपनी पत्नी और उनके साथ दहेज में आई उनकी 48 सहेलियों के लिए सहेलियों की बाड़ी उद्यान का निर्माण करवाया था।
ऐसा माना जाता है की सहेलियों की बाड़ी उद्यान की पूरी डिज़ाइन महाराणा संग्राम सिंह ने अपनी देख-रेख में बनाई है। सहेलियों की बाड़ी उद्यान यहाँ लगे फव्वारों और अपनी बनावट के लिए प्रसिद्ध है। उद्यान में पांच फव्वारे लगे हुए है जिन्हें बिन बादल बरसात, रासलीला, सावन भादो, कमल तलाई और वेलकम फाउंटेन के नाम से जाना जाता है।
इन सभी फव्वारों में अलग-अलग तरह के फव्वारे लगे हुए जैसे पक्षियों के फव्वारे, हाथियों के फव्वारे आदि। उद्यान में लगे हुए सभी फव्वारे संगमरमर के पत्थरों से बने हुए है। इसके अलावा झरोखे और छतरियाँ भी उद्यान की शोभा बढ़ाते है। कमल तलाई फव्वारे में कमल के पौधे भी लगे हुए।
उद्यान में हरियाली के लिए अलग-अलग तरह पेड़ और पौधे भी लगे हुए है।
सहेलियों की बाड़ी उदयपुर देखने का समय – Saheliyon Ki Bari Udaipur Timings in Hindi
सहेलियों की बाड़ी उद्यान पूरे सप्ताह सुबह 9:00 बजे से लेकर शाम को 7:00 बजे तक खुला रहता है।
सहेलियों की बाड़ी उदयपुर में प्रवेश शुल्क – Saheliyon Ki Bari Udaipur Entry Fee in Hindi
उद्यान में भारतीय पर्यटकों से प्रवेश शुल्क 10/- रुपये लिया जाता है और विदेशी पर्यटकों के लिए प्रवेश शुल्क 50/- रुपये निर्धारित किया गया है।
जगदीश मंदिर उदयपुर – Jagdish Mandir Udaipur in Hindi
उदयपुर में स्थित प्रसिद्ध जगदीश मंदिर का निर्माण महाराणा जगत सिंह(1628-1653) ने 1651 में करवाया था। भगवान विष्णु को समर्पित जगदीश मंदिर का निर्माण उस समय प्रचलित मारू-गुजरु वास्तुशैली में किया गया है। महाराणा जगत सिंह ने मंदिर निर्माण के लिए उस समय लगभग 15 लाख रुपये खर्च किये थे।
विश्व प्रसिद्ध जगदीश मंदिर मुगलों के आक्रमणों से भी अछूता नहीं रहा मेवाड़ में मिली हार का गुस्सा निकालने के लिए मुगल आक्रमणकारियों ने जगदीश मंदिर को बहुत नुकसान पहुँचाया। बाद में जगदीश मंदिर को पुराना स्वरूप प्रदान करने के लिए पुनर्निर्माण कार्य करवाया गया।
कुछ पुरानी कथाओं और स्थानीय लोगों के अनुसार यह माना जाता है की मंदिर प्रांगण में लगे हुए संगमरमर के पत्थर पर शरीर के जिस अंग में दर्द हो रहा है उसे पत्थर पर रगड़ने पर शरीर के उस अंग का दर्द कम हो जाता है। जगदीश मंदिर एक प्राचीन तीन मंजिला मंदिर है जो की हिन्दू वास्तुकला का अप्रतिम उदाहरण प्रस्तुत करता है।
मुख्य मंदिर जमीन से लगभग 80 फ़ीट ऊंचा बना हुआ है। मंदिर परिसर में विशाल खम्भों पर कारीगरों द्वारा बहुत शानदार नक्काशी का काम किया गया है। मंदिर के अंदर विशाल हवादार आँगन बना हुआ और मंदिर की दीवारों पर बहुत ही सुंदर चित्र बनाये हुए है।
जगदीश मंदिर के प्रवेश द्वार पर स्थित स्वागत मूर्तियां पर्यटकों का ध्यान आकर्षित करती है और इसके अलावा मंदिर के प्रवेश द्वार पर महाराणा जगत सिंह द्वारा मंदिर निर्माण में दिए गए योगदान का उल्लेख करता हुआ शिलालेख भी स्थित है।
मंदिर के शिखर भाग पर हाथी, संगीतकार, नर्तकियों और घुड़सवारों आदि की मूर्तियां स्थापित की गई है इन मूर्तियों के निर्माण में कारीगर ने बेहद महीन कारीगरी की है। मंदिर के गृभगृह के प्रवेश द्वार पर भगवान विष्णु के वाहन गरुड़ की जीवंत प्रतिमा लगी हुई है।
जगदीश मंदिर में स्थापित भगवान विष्णु के विग्रह का निर्माण काले पत्थर पर किया गया है। मंदिर में स्थापित भगवान विष्णु का विग्रह उनके चार भुजाओं वाले स्वरूप को प्रदर्शित करता है। विष्णु भगवान के अलावा जगदीश मंदिर में भगवान शिव, भगवान गणेश, सूर्य भगवान और कई अन्य देवी-देवताओं की आकर्षक मूर्तियां भी स्थापित की गई है।
जगदीश मंदिर उदयपुर में दर्शन का समय – Jagdish Mandir Udaipur Timings in Hindi
श्रद्धालुओं और पर्यटकों के दर्शन के लिए मंदिर सुबह 4:15 बजे से लेकर दोपहर के 1:00 बजे तक दर्शनों के लिये खुला रहता है और शाम को 5:15 बजे से लेकर रात की 8:00 बजे तक दर्शनों के लिए खुला रहता है।
जगदीश मंदिर उदयपुर में प्रवेश शुल्क – Jagdish Mandir Udaipur Entry Fee in Hindi
प्रवेश निःशुल्क।
गुलाब बाग़ उदयपुर:- Gulab Bagh Udaipur
उदयपुर में स्थित गुलाब बाग़ रियासत काल में निर्मित राजस्थान के सबसे बड़े उद्यानों में से एक है। गुलाब बाग़ उद्यान कुल 100 एकड़ के क्षेत्रफल में फैला हुआ है। गुलाब बाग़ उद्यान को सज्जन निवास के नाम से भी जाना जाता है। इस विशाल उद्यान का निर्माण महाराणा सज्जन ने 1881 में करवाया था।
1884 में महाराणा सज्जन सिंह की मृत्यु के बाद 1887 में महाराणा फतेह सिंह ने उद्यान के बचे हुए निर्माण कार्य को पूरा करवाया। गुलाब बाग़ के अंदर स्थित चिड़ियाघर घर सेमी-कॉन्टिनेंट में चौथा सबसे पुराना चिड़ियाघर है। वर्तमान में गुलाब बाग़ में स्थित चिड़ियाघर को सज्जनगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में ट्रांसफर कर दिया गया है।
गुलाब बाग़ उद्यान में बहुत सारे औषधीय गुण वाले पेड़ और पौधे भी लगे हुए है। 1920 में मद्रास से टी.एच.स्टोरी नाम के बागवानी विशेषज्ञ को औषधीय गुण वाले पौधों को लगाने के लिए यहाँ बुलाया गया था। गुलाब बाग़ में आने वाले पर्यटकों की सुविधा के लिए उद्यान के सभी पौधों के ऊपर हिंदी और अंग्रेजी भाषा में नाम भी लिखवाये गए है।
गुलाब बाग़ उद्यान में विभिन्न प्रकार के पेड़-पौधों की प्रजातियाँ देखने को मिलती है जिनमें गुलाब, करौंदा, एनोला, ग्राउंड फ्लोरा, इमली, अंगूर, अमरूद, रेयान, अनार, रामफल, लीची, आम, नींबू, केले, शहतूत, साइट्रॉन, गैमन, कटहल, मीठा नीम और जैस्मीन जैसे पेड़-पौधे की प्रजातियाँ मुख्य रूप से पायी जाती है।
गुलाब बाग़ में बच्चों के मनोरंजन के लिए एक टॉय- ट्रैन भी चलाई जाती है जिसमे बच्चें और बड़े दोनो सवारी का आनंद ले सकते है। गुलाब बाग़ में स्थित टॉय-ट्रैन के स्टेशन और प्लेटफार्म का नाम लव-कुश रेल्वे स्टेशन है।
गुलाब बाग़ उदयपुर में प्रवेश का समय – Gulab Bagh Udaipur Timings in Hindi
दिन के किसी भी समय।
गुलाब बाग़ उदयपुर में प्रवेश शुल्क – Gulab Bagh Udaipur Entry Fee in Hindi
उद्यान में प्रवेश शुल्क 25/- रुपये निर्धारित किया गया है । चिड़ियाघर और टॉय ट्रैन सुबह 8:00 बजे से लेकर शाम को 6:00 बजे तक पर्यटकों के लिए खुले रहते है। उद्यान में स्थित ज़ू के लिए प्रवेश शुल्क 5/- रुपये निर्धारित किया गया है और ज़ू में फोटोग्राफी करने के लिए 15/- रुपये शुल्क लिया जाता है।
गुलाब बाग़ में स्थित टॉय-ट्रैन के लिए भारतीय पर्यटकों से प्रवेश शुल्क 20/- रुपये लिया जाता है और बच्चों के लिए टॉय-ट्रैन का शुल्क 10/- रुपये निर्धारित किया गया है। विदेशी पर्यटकों से टॉय-ट्रैन का शुल्क 40/- रुपये लिया जाता है और बच्चों से टॉय ट्रैन का शुल्क 20/- रुपये लिया जाता है।
सरस्वती पुस्तकालय उदयपुर – Sarswati Library Udaipur in Hindi
उदयपुर के गुलाब बाग़ में स्थित सरस्वती पुस्तकालय राजस्थान में निर्मित सबसे पुराना संग्रहालय है। 1887 में महाराणा फतेह सिंह ने जब इस संग्रहालय का निर्माण करवाया था तब इसे विक्टोरिया हॉल संग्रहालय के नाम से जाना जाता था। निर्माण के बाद 1 नवंबर 1890 को संग्रहालय को आम जनता के लिए खोल दिया गया था।
1968 में इस संग्रहालय में रखी हुई अधिकतम वस्तुओं को सिटी पैलेस के संग्रहालय में स्थानांतरित कर दिया गया। उसके बाद विक्टोरिया हॉल संग्रहालय को एक सार्वजनिक पुस्तकालय में बदल दिया गया। वर्तमान में सरस्वती पुस्तकालय में 32000 के आसपास ऐतिहासिक, पुरातात्विक और प्राचीन भारत के इतिहास से जुड़ी हुई पुस्तकों का संग्रह किया गया है।
पुस्तकालय के RRLF विभाग में 26215 पुस्तकें है और बच्चों के पढ़ने के लिए 3800 पुस्तकें उपलब्ध है। पुस्तकालय में अभी भी राजपरिवार से जुड़ी हुई वस्तुओं और ऐतिहासिक वस्तुओं का संग्रह किया हुआ है। एक आम नागरिक पुस्तकालय में पंजीकरण करवाने के बाद चौदह दिनों के लिए पुस्तक पढ़ने के लिए अपने घर ले जा सकता है।
सरस्वती पुस्तकालय उदयपुर में प्रवेश का समय – Sarswati Library Udaipur Timings in Hindi
सरस्वती पुस्तकालय आगंतुकों के लिए सुबह 11:00 बजे से शाम को 7:00 बजे तक खुला रहता है। पुस्तकालय सप्ताह में मंगलवार और शनिवार के दिन बंद रहता है।
सरस्वती पुस्तकालय उदयपुर में प्रवेश शुल्क – Sarswati Library Udaipur Entry Fee in Hindi
01 पुस्तकालय में पंजीकरण शुल्क 500/- रुपये है और अगर आप किसी सरकारी कर्मचारी की गारंटी दे सकते है तो पंजीकरण शुल्क मात्र 21/- रुपये लगता है।
02 प्रवेश निःशुल्क।
नवलखा महल उदयपुर – Navlakha Mahal Udaipur in Hindi
19वीं शताब्दी में निर्मित नवलखा महल गुलाब बाग़ के मध्य भाग में स्थित है। नवलखा महल का निर्माण महाराणा सज्जन सिंह ने करवाया था। वर्तमान में नवलखा महल को सत्यार्थ प्रकाश भवन के नाम से भी जाना जाता है। आर्य समाज से जुड़े हुए लोगों के लिए नवलखा महल किसी मंदिर से कम नहीं है।
महान समाज सुधारक और विचारक महर्षि दयानन्द सरस्वती ने महाराणा सज्जन सिंह के निमंत्रण पर अपने जीवन के महत्वपूर्ण 6 माह इसी नवलखा महल में बिताये है। अपने 6 माह के प्रवास के समय उन्होंने अपने जीवन की सर्वश्रेष्ठ पुस्तक सत्यार्थ प्रकाश को पूरा किया था। इसी पुस्तक के नाम पर आगे चल कर इस महल का नाम सत्यार्थ प्रकाश भवन रखा गया।
नवलखा महल में महर्षि दयानन्द सरस्वती के अलावा भारत के बहुत प्रसिद्ध और महान व्यक्तियों के चित्र लगे हुए है।
नवलखा महल उदयपुर में प्रवेश का समय – Navlakha Mahal Udaipur Timings in Hindi
नवलखा महल पर्यटकों और आगंतुकों के लिये सुबह 10:00 बजे से लेकर शाम को 6:00 बजे तक खुला रहता है।
नवलखा महल उदयपुर में प्रवेश शुल्क – Navlakha Mahal Udaipur Entry Fee in Hindi
प्रवेश निःशुल्क।
सुखाड़िया सर्किल उदयपुर – Sukhadia Circle Udaipur in Hindi
उदयपुर के केन्द्र भाग में स्थित सुखाड़िया सर्किल का निर्माण 1968 में किया गया था। 1970 में सुखाड़िया सर्किल को स्थानीय लोगों और पर्यटकों के लिए खोल दिया गया। राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय श्री मोहन लाल सुखाड़िया की स्मृति में इस सर्किल का नामकरण किया गया।
पर्यटकों और स्थानीय लोगों के मनोरंजन के लिए सर्किल के मध्य भाग में एक 21 फुट ऊँचा फव्वारा भी बनाया गया है और फव्वारे के आसपास एक छोटासा कृत्रिम तालाब बनाया गया है। इस छोटे से तालाब में पर्यटक और स्थानीय लोग अपने परिवार या फिर मित्रों के साथ बोटिंग का आंनद भी ले सकते है।
फव्वारे और बोटिंग के अलावा सुखाड़िया सर्किल के पास खाने-पीने के लिए बहुत सारे रेस्टोरेंट भी बने हुए है। शाम के वक़्त सुखाड़िया सर्किल के पास स्थित रेस्टोरेंट पर स्थानीय लोगों और पर्यटकों को जमावड़ा लगा हुआ रहता है। बच्चों के मनोरंजन के लिए यहाँ पर ऊंट और घोड़े की सवारी का आनंद भी लिया जा सकता है।
सुखाड़िया सर्किल उदयपुर में प्रवेश का समय – Sukhadia Circle Udaipur Timings in Hindi
सुखाड़िया सर्किल पर्यटकों और स्थानीय लोगों के लिए पूरे सप्ताह सुबह 6:00 बजे से लेकर रात को 9:30 बजे तक खुला रहता है।
सुखाड़िया सर्किल उदयपुर में प्रवेश शुल्क – Sukhadia Circle Udaipur Entry Fee in Hindi
सुखाड़िया सर्किल पर पेडल बोट के लिए प्रति व्यक्ति 40/- रुपये का टिकट लगता है। 4 सीट वाली बोट के लिए प्रति व्यक्ति 100/- रुपये का टिकट लिया जाता है और 2 सीट वाली बोट के लिए प्रति व्यक्ति 200/- रुपये का टिकट निर्धारित किया गया है।
हाथीपोल बाजार उदयपुर – Hathipol Bazar Udaipur in Hindi
उदयपुर में स्थित हाथीपोल बाजार राजस्थानी हस्तशिल्प कला से बनी हुई वस्तुओं के सबसे बड़े बाज़ार में से एक है। देश-विदेश से उदयपुर घूमने आने वाले पर्यटक एक बार हाथीपोल बाजार जरूर घूमने जाते है। हाथीपोल बाज़ार में राजस्थानी हस्तशिल्प से निर्मित घर की सजावट की वस्तुओं के अलावा दैनिक दिनचर्या से जुड़ी हुई वस्तुएँ भी उपलब्ध है।
हाथीपोल बाजार में राजस्थान में पारम्परिक हस्तशिल्प से निर्मित वस्तुएँ जैसे रजाई, चमड़े के जूते, मोचड़ी, हैंड ब्लॉक प्रिंट से बने हुए कपड़े, पारम्परिक राजस्थानी परिधान, चेमड़े के बेल्ट, हाथों से बने हुए चेमड़े के बैग, पारम्परिक चांदी के बर्तन, गहने और घर की सजावट का सामान खरीदा जा सकता है।
अगर आप एक कला प्रेमी है तो आप हाथीपोल बाजार से राजस्थानी की संस्कृति से जुड़ी हुई पैंटिंग भी खरीद कर ले जा सकते है। हाथीपोल बाजार से लघु चित्रकारी, फड़ पैंटिंग, पिचाई पेंटिंग और अपने प्रियजन के लिए उपहार स्वरूप स्मृति चिन्ह भी लेकर जा सकते है। घर की सजावट के लिए लकड़ी से बने बहुत सुंदर हाथी,ऊंट और घोड़े जैसी हाथों से बनी हुई वस्तुओं को हाथीपोल बाजार से खरीद सकते है।
ऊंट के चमड़े से बनी हुई प्रसिद्ध नागरा चप्पल भी हाथीपोल बाजार में मिलती है। राजस्थानी हस्तशिल्प को एकदम नजदीक से समझने के लिए उदयपुर का हाथीपोल बाजार सबसे उपयुक्त जगहों में से एक है। हाथीपोल बाजार वैसे तो पूरा सप्ताह खुला रहता है लेकिन रविवार के दिन दोपहर के 2:00 बजे तक ही खुला रहता है।
बड़ा बाजार उदयपुर – Bada Bazar Udipur in Hindi
उदयपुर के क्लॉक टावर के पास स्थित बड़ा बाजार उदयपुर का सबसे बड़ा रिटेल और व्होलेसेल बाजार है। हाथीपोल बाजार से बड़ा बाजार की दूरी मात्र 800 मीटर है। जहाँ हाथीपोल बाजार राजस्थान की पारम्परिक चित्रकारी की पेंटिंग्स के लिए प्रसिद्ध है वहीं पर बड़ा बाजार राजस्थानी गहनों और पारम्परिक राजस्थानी परिधानों की विविधता के लिए प्रसिद्ध है।
बड़ा बाजार में छोटी और बड़ी सभी तरह की दुकानें और शो-रूम बने हुए है जिनमें आप राजस्थानी की प्रसिद्ध बन्धनी प्रिंट की साड़ियां खरीद सकते है। इसके अलावा यहाँ पर आभूषणों के भी बहुत सारे शो-रूम बने हुए है सोने और चांदी के अलावा इन शो-रूम से आप को ऊंट की हड्डियों से बने हुए गहने भी खरीद सकते है।
चमड़े से संबंधित बहुत सारी छोटी और बड़ी दुकानें बड़ा बाजार में स्थित है इन दुकानों से आप ऊंट के चमड़े से बने हुए बैग, पर्स, मोचड़ी, जूती और बेल्ट खरीद सकते है। रविवार को छोड़ कर बड़ा बाजार पूरे सप्ताह सुबह 9:30 बजे से लेकर शाम को 8:00 बजे तक खुला रहता है।
वैसे तो बड़ा बाजार में मिलने वाली सभी वस्तुएँ उचित दरों पर मिलती है लेकिन फिर भी आप एक अच्छे खरीदार होने का कर्तव्य निभाते हुए बड़ा बाजार और हाथीपोल बाजार की दुकानों पर मोलभाव करना ना भूले।
फिश एक्वेरियम उदयपुर – Fish Aquarium Udaipur in Hindi
उदयपुर में फतेह सागर झील के पास स्थित “UNDER THE SUN” फिश एक्वेरियम भारत का सबसे बड़ा निजी फिश एक्वेरियम है। 21 अक्टूबर 2017 को इस 125 मीटर लम्बे फिश एक्वेरियम का उदघाटन तत्कालीन गृह मंत्री द्वारा किया गया। इस फिश एक्वेरियम में लगभग 180 मीठे और खारे पानी की मछलियों की प्रजातियों का संग्रह देखने को मिलता है।
इस फिश एक्वेरियम में बहुत सारी दुर्लभ प्रजाति की मछिलयों का संग्रह भी किया गया है। मछलियों के इस संग्रहालय में खारे और मीठे पानी की मछलियों के अलावा कुछ समुद्र जीवों का संग्रह भी देखने को मिलता है इनमें एलीगेटर गार्स, आर्चर फिश, पफर फिश, मरीन वॉटर स्टिंगरे, मोरमिरस रूम, ब्लू-आइड येलो टैंग, सी एनामोन्स, हर्मिट क्रैब्स, स्टारफिश, ट्रिगर फ़िश, सी उरकिंस, सी नीमोन, फायर बेली न्यूट्स, हरमिट केकड़े आदि समुद्री जीव और मछलियां प्रदर्शित की गई है।
फिश एक्वेरियम में यह मछलियां और समुद्री जीव अमेरिका, जापान, कांगो, चीन, अफ्रीका, इंडोनेशिया और ब्राजील जैसे दुनिया के अलग-अलग देशों से लाई गई है। पर्यटक इस फिश एक्वेरियम में बिना किसी प्रकार का शुल्क दिए फोटोग्राफी कर सकते है। अगर आप उदयपुर घूमने आ रहे है और आपको समुद्री जीवन पसंद है तो उदयपुर में फतेह सागर झील के समीप स्थित इस ” UNDER THE SUN” फिश एक्वेरियम देखने जरूर जाना चाहिए।
फिश एक्वेरियम उदयपुर में प्रवेश का समय – Fish Aquarium Udaipur Timings in Hindi
फिश एक्वेरियम पूरे सप्ताह सुबह 8:00 बजे से लेकर रात को 11:00 बजे तक खुला रहता है।
फिश एक्वेरियम उदयपुर में प्रवेश शुल्क – Fish Aquarium Udaipur Entry Fee in Hindi
एक्वेरियम में भारतीय पर्यटकों के लिए प्रवेश शुल्क 118/- रुपये लिया जाता है और 15 साल से कम उम्र के बच्चों से प्रवेश शुल्क 47/- रुपये लिया जाता है। विदेशी पर्यटकों से प्रवेश शुल्क 236/- रुपये लिया जाता है। वर्चुअल रियल्टी का अनुभव प्राप्त करने के लिये 118/- रुपये का टिकट लेना पड़ेगा। ट्रिक आर्ट म्यूजियम के 100/- रुपये निर्धारित किये गए है। एक्वेरियम से जुड़े प्रवेश शुल्क और टिकट पर पूर्णतया प्रबंधन का अधिकार है।
उदयपुर के नजदीकी पर्यटक स्थल – Places to Visit near Udaipur
उदयपुर के आसपास बहुत सारे खूबसूरत पर्यटक स्थल है जैसे उदयपुर Part-01, उदयपुर Part-03, उदयपुर Part -04, सिटी पैलेस , कुम्भलगढ़ , कुम्भलगढ़ राष्ट्रीय उद्यान, जोधपुर , रणकपुर , सादड़ी में परशुराम महादेव मंदिर , चित्तौड़गढ़ , नाथद्वारा , माउंट आबू और गुजरात में स्थित अम्बा जी मंदिर भी आप समय निकाल कर जा सकते है।
(अगर आप मेरे इस आर्टिकल में यहाँ तक पहुंच गए है तो आप से एक छोटा से निवदेन है की नीचे कमेंट बॉक्स में इस लेख से संबंधित आपके सुझाव जरूर साझा करें, और अगर आप को कोई कमी दिखे या कोई गलत जानकारी लगे तो भी जरूर बताए। में यात्रा से संबंधित जानकारी मेरी इस वेबसाइट पर पोस्ट करता रहता हूँ, अगर मेरे द्वारा दी गई जानकारी आप को पसंद आ रही है तो आप अपने ईमेल से मेरी वेबसाइट को सब्सक्राइब जरूर करे, धन्यवाद )