उदयपुर के 40 दर्शनीय स्थल 2024 | 40 Best Tourist Places in Udaipur In Hindi in 2024 | Places to Visit in Udaipur in Hindi | Udaipur Tourist Places in Hindi | Udaipur in Hindi | Udaipur Tourism in Hindi | Things to do in Udaipur in Hindi | Part- 04

उदयपुर का इतिहास | History of Udaipur in Hindi

City Palace Udaipur

अरावली पर्वतमाला की गोद में बसा हुआ उदयपुर शहर राजस्थान के सबसे प्रसिद्ध पर्यटक स्थलों में से एक है। प्राकृतिक रूप से समृद्ध होने के अलावा उदयपुर शहर के एक प्रसिद्ध पर्यटक स्थल होने के पीछे और भी कई महत्वपूर्ण कारण है। उदयपुर के राजपरिवार की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और इसके अलावा उदयपुर में बने हुए विशाल महल, स्मारक और मानव निर्मित झीलों  को देखने और जानने के लिए पूरे वर्ष देशी और विदेशी पर्यटक इस खूबसूरत शहर की यात्रा करना पसंद करते है।

उदयपुर शहर प्राकृतिक रूप से इतना ज्यादा समृद्ध है की इसके आसपास के 100 वर्ग किलोमीटर से भी ज्यादा बड़े क्षेत्र में अनेक दर्शनीय पर्यटक स्थल उपस्थित है। इन दर्शनीय पर्यटक स्थलों में से कुछ अपनी प्राकृतिक विशेषता की वजह से प्रसिद्ध है और कुछ अपने इतिहास और वास्तुकला की वजह से ज्यादा प्रसिद्ध है।

अरावली पर्वतमाला से चारों तरफ घिरे होने की वजह से उदयपुर के आसपास के क्षेत्र में बहुत सारी छोटी-बड़ी नदियाँ पूरे वर्ष इस क्षेत्र को प्राकृतिक रूप से समृद्ध बनाने में अपना सहयोग प्रदान करती रहती है। इन्हीं नदियों की वजह से उदयपुर के आसपास के क्षेत्रों में बहुत सारी मानव निर्मित झीलों का निर्माण समय-समय पर होता रहा है।

अगर आप उदयपुर घूमने आने का कार्यक्रम बना रहे है तो आप को उदयपुर की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के बारे में जरूर पता कर लेना चाहिए ताकि आप की उदयपुर की यात्रा और भी ज्यादा यादगार और रोमांचक हो जाये। राजस्थान के मेवाड़ क्षेत्र की राजधानी रहा उदयपुर शहर एक बहुत लम्बे संघर्षकाल का गवाह है।

उदयपुर के निर्माण के बाद से ही इस शहर पर शासन करने वाले राजाओं को मेवाड़ की स्वंतंत्रता के लिए बहुत लम्बे समय तक संघर्ष करना पड़ा। मेवाड़ की स्वंतंत्रता के लिए किये गए संघर्ष में महाराणा प्रताप का नाम सबसे ज्यादा लिया जाता है। उदयपुर में जितने भी स्मारकों का निर्माण किया गया है उनमें से अधिकांश स्मारक का निर्माण महाराणा प्रताप और उनके द्वारा मेवाड़ की स्वंतंत्रता के लिए किये गए संघर्ष को ध्यान में रख कर ही किया गया है।

हल्दीघाटी उदयपुर – Haldighati Udaipur in Hindi

Haldighati Udaipur

अरावली पर्वतमाला के घने जंगलों में स्थित हल्दीघाटी एक बेहद संकरा पहाड़ी दर्रा है। हल्दीघाटी में पाई जाने वाली मिटटी का रंग हल्दी (पीला) के जैसा होने की वजह से इस पहाड़ी दर्रे को हल्दीघाटी के नाम से जाना जाता है। हल्दीघाटी मूलरूप से खमनोर और बलीचा गांव  के बीच में स्थित एक घना वन क्षेत्र है।

उदयपुर से हल्दीघाटी की दुरी मात्र 40 किलोमीटर है। हल्दीघाटी के एक प्रसिद्ध दर्शनीय स्थल होने के पीछे महाराणा प्रताप और उस समय मुगलों के सेनापति रहे आमेर के महाराजा सवाई मानसिंह प्रथम के बीच 1576 में हुआ भीषण युद्ध सबसे बड़ा कारण है। हल्दीघाटी में हुए युद्ध के समय महाराणा प्रताप की सेना ने अपने से पाँच गुना बड़ी मुगलों की सेना का सामना किया था।

मुगलों की सेना को हल्दीघाटी के युद्ध में बहुत भारी संख्या में नुकसान उठाना पड़ा जिस वजह से उन्हें युद्ध के मैदान से पीछे हटना पड़ा। हल्दीघाटी के युद्ध के दौरान महाराणा प्रताप के प्रिय घोड़े चेतक ने महाराणा प्रताप की रक्षा करते हुए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए थे। बाद में हल्दीघाटी के पास महाराणा प्रताप के स्वामिभक्त घोड़े चेतक के सम्मान में छतरी (समाधी) का निर्माण करवाया गया।

हल्दीघाटी का युद्ध मात्रा चार घंटे तक ही चला था लेकिन इतने कम समय में भी हल्दीघाटी के पास स्थित खमनोर गाँव की जमीन पूरे खून से लाल हो चुकी थी। खमनोर गांव में जिस जगह पर युद्ध हुआ था उसे वर्तमान में रक्ततलाई के नाम से जाना जाता है। हल्दीघाटी के पास में स्थित बलीचा गांव गुलाब के फूलों से निर्मित गुलकन्द के लिए बहुत प्रसिद्ध है। बलीचा गांव गुलकंद के अलावा मिट्टी से बनी हुई वस्तुओं के लिए भी बहुत प्रसिद्ध है।

महाराणा प्रताप संग्रहालय हल्दीघाटी उदयपुर – Maharana Pratap Museum Haldighati Udaipur in Hindi

Maharana Pratap Museum, Udaipur

हल्दीघाटी के समीप स्थित महाराणा प्रताप संग्रहालय का निर्माण 2003 में हल्दीघाटी के पास में स्थित बलीचा गांव के स्थानीय निवासी मोहन श्रीमाली ने करवाया था। महाराणा प्रताप संग्रहालय अपने निर्माण के बाद से ही पर्यटकों का द्वारा बहुत पसंद किया जाने लगा। प्रतिवर्ष लाखों के संख्या में देशी और विदेशी सैलानी महाराणा प्रताप संग्रहालय घुमने के लिए हल्दीघाटी आते है।

इस संग्रहालय के निर्माण के पीछे मुख्य कारण हल्दीघाटी घूमने आने वाले पर्यटकों को महाराणा प्रताप द्वारा मेवाड़ की स्वंतंत्रता के लिए संघर्ष से अवगत करवाना था। महाराणा प्रताप संग्रहालय में हल्दीघाटी के युद्ध और महाराणा प्रताप के जीवन से जुड़ी हुए महत्वपूर्ण घटनाओं को 3D एनीमेशन फ़िल्म और लाइट एंड साउंड इफ़ेक्ट का उपयोग करके बहुत प्रभावी तरीके दिखाया जाता है।

इसके अलावा संग्रहालय में उस समय के लोगों के रहन-सहन और दैनिक दिनचर्या को विस्तार पूर्वक बताया गया है।

महाराणा प्रताप संग्रहालय हल्दीघाटी उदयपुर देखने का समय – Maharana Pratap Museum Haldighati Udaipur Timings in Hindi

महाराणा प्रताप संग्रहालय पूरे सप्ताह सुबह 08:00 बजे से लेकर शाम को 06:00 बजे तक खुला रहता है।

महाराणा प्रताप संग्रहालय हल्दीघाटी उदयपुर में प्रवेश शुल्क – Maharana Pratap Museum Haldighati Udaipur Entry Fee in Hindi

भारतीय पर्यटकों से संग्रहालय में प्रवेश शुल्क 100/- रुपये लिया जाता है और बच्चों के लिए प्रवेश शुल्क 50/- रुपये है। विदेशी पर्यटकों से प्रवेश शुल्क 200/- रुपये लिया जाता है।

सज्जनगढ़ बायोलॉजिकल पार्क उदयपुर – Sajjangarh Biological Park Udaipur in Hindi

Sajjangarh Biological Park, Udaipur | Ref Img

मानसून पैलेस के पास स्थित सज्जनगढ़ बायोलॉजिकल पार्क का उद्धघाटन 12 अप्रैल 2015 को किया गया था। सज्जनगढ बायोलॉजिकल पार्क के निर्माण का मुख्य कारण शहर के मध्य भाग में स्थित गुलाब बाग़ चिड़ियाघर में रहने वाले वन्यजीवों को प्राकृतिक आवास प्रदान करना। यह बायोलॉजिकल उद्यान लगभग 36 एकड़ के क्षेत्र में फैला हुआ है।

अरावली पर्वतमाला में स्थित होने की वजह से सज्जनगढ़ बायोलॉजिकल पार्क की वनस्पति बेहद घनी है। सज्जनगढ बायोलॉजिकल पार्क में जंगली बिल्ली, बाघ, तेंदुआ, सांभर, धारीदार लकड़बग्घा, लोमड़ी, हिमालयन काले भालू, शेर, चीतल, जैकाल, सफ़ेद बाघ, स्टार कछुआ, मगरमच्छ और घड़ियाल जैसे वन्यजीव देखेने को मिलते है।

बायोलॉजिकल पार्क के एक बड़े क्षेत्र में फैले हुए होने की वजह से पार्क में पर्यटकों के लिए गोल्फ कार्ट और साईकल की सुविधा भी उपलब्ध है। खाने-पीने के लिए उद्यान में कैंटीन बना हुआ है। सज्जनगढ बायोलॉजिकल पार्क  मंगलवार के दिन पर्यटकों के लिये बंद रहता है।

सज्जनगढ़ बायोलॉजिकल पार्क उदयपुर प्रवेश का समय – Sajjangarh Biological Park Udaipur Timings in Hindi

मंगलवार के अलावा सप्ताह के बाकी दिनों में सज्जनगढ बायोलॉजिकल पार्क सूबह 10:00 बजे से लेकर शाम को 06:00 बजे तक पर्यटकों के लिए खुला रहता है।

सज्जनगढ़ बायोलॉजिकल पार्क उदयपुर प्रवेश शुल्क – Sajjangarh Biological Park Udaipur Entry Fee in Hindi

भारतीय पर्यटकों के लिए पार्क में प्रवेश शुल्क 30/- रुपये लिया जाता है और विद्यार्थियों से प्रवेश शुल्क 15/- रुपये लिया जाता है। विदेशी पर्यटकों के लिए प्रवेश शुल्क 300/- रुपये निर्धारित किया गया है। प्रवेश शुल्क के अलावा सज्जनगढ बायोलॉजिकल पार्क में मिलने वाली सुविधाओं के शुल्क निम्न प्रकार है-

01 गोल्फ कार्ट – 50/- INR

02 इलेक्ट्रिक कार – 50/- INR

03 कैमरा – 80/- INR

04 वीडियो कैमरा – 200/- INR

मोम संग्रहालय उदयपुर – Wax Museum Udaipur in Hindi

Sachin Tendulkar Wax Statue | Ref Img

उदयपुर में स्थित मोम संग्रहालय का उद्धघाटन उदयपुर के युवराज लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने 2016 में किया था। उदयपुर में स्थित मोम संग्रहालय भारत में अपनी तरह का पाँचवा मोम का संग्रहालय है। उदयपुर का मोम संग्रहालय  इंग्लैंड के प्रसिद्ध मोम संग्रहालय मैडम तुसाद की हूबहू नक़ल माना  जाता है।  विश्व में मोम  के संग्रहालय के  बढ़ते हुए चलन और उदयपुर में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए इस  मोम  संग्रहालय का  निर्माण किया गया था।

उदयपुर में स्थित मोम  संग्रहालय को देखने के लिए  स्थानीय निवासियों के अलावा देशी और विदेशी पर्यटक पुरे वर्ष आते रहते है।  उदयपुर मोम संग्रहालय में देश और विदेश की 15 महान और चर्चित व्यक्तियों की मोम से बनी हुई मूर्तियों का संग्रह किया गया है।

संग्रहालय में भारत के प्रमुख व्यक्तियों में से देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा सचिन तेंदुलकर, लक्ष्य राज सिंह मेवाड़, कल्पना चावला, एपीजे अब्दुल कलाम, पन्ना धाय, महाराणा प्रताप और मीरा बाई की मोम से बनी  प्रतिमा स्थापित की गई है। संग्रहालय बराक ओबामा, हैरी पॉटर , जैकी चैन, ब्रूस ली,  ब्रूस विलिस और अर्नोल्ड जैसी विश्व की कुछ चर्चित हस्तियों की मोम से बनी हुई मूर्तियां भी लगाई गई है।

संग्रहालय में स्थित सभी मूर्तियां लन्दन से मंगवाई गई है और  रख-रखाव पर प्रबंधन द्वारा बहुत भारी  रकम चुकाई जाती है। उदयपुर के मोम संग्रहालय में पर्यटक अपने मनोरंजन  के लिए मोम की मूर्तियों के अलावा हॉरर शो, दर्पण भूलभुलैया  और  9D सिनेमा का भी आनंद ले सकते है।

मोम संग्रहालय उदयपुर देखने का समय – Wax Museum Udaipur Timings in Hindi

सुबह 09:00 बजे से लेकर रात को 09:00 बजे तक।

मोम संग्रहालय उदयपुर में प्रवेश शुल्क – Wax Museum Udaipur Entry Fee in Hindi

पर्यटकों के लिए मोम  संग्रहालय में प्रवेश शुल्क 150/- INR निर्धारित किया गया है। संग्रहालय में दूसरी गतिविधियों के लिए शुल्क निम्न प्रकार है –

01 9D  सिनेमा  – 150/- INR

02 हॉरर शो – 100/- INR

03 दर्पण भूलभुलैया  – 80/- INR

सहस्त्र बाहु मंदिर उदयपुर – Sahstrabahu Temple Udaipur in Hindi


Sahstra Bahu Temple , Nagda , Udaipur | Click on Image For Credits

उदयपुर से 22 किलोमीटर दूर स्थित नागदा गांव में दसवीं शताब्दी के आसपास निर्मित भगवान विष्णु का एक प्राचीन मंदिर है। भगवान विष्णु को समर्पित यह मंदिर सहस्त्र बाहु मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है, इसके अलावा इस मंदिर को सास बहु मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। सहस्त्र बाहु मंदिर में भगवान विष्णु के मंदिर के अलावा कुल 18 प्राचीन मंदिर और बने हुए है।

इन 18 मंदिरों में  भगवान शिव, भगवान ब्रम्हा और माता सरस्वती के मंदिर के अलावा हिन्दू धर्म के कई प्रमुख देवी देवताओं के मंदिर भी बने हुए है। इस मंदिर को सहस्त्र बाहु मंदिर कहने के पीछे का मुख्य कारण मुख्य मंदिर में स्थापित भगवान विष्णु की प्रतिमा अनेक भुजाओ वाली है इसलिए इस मंदिर को सहस्त्र बाहु मंदिर कहा जाता है। दसवीं शताब्दी में निर्मित सहस्त्र बाहु मंदिर स्थानीय लोगो में सास बाहु मंदिर के नाम से ज्यादा प्रसिद्ध है।

मंदिर निर्माण के बाद जैसे-जैसे समय बीतता गया वैसे-वैसे स्थानीय लोगो में सहस्त्र बाहु मंदिर का नाम छोटा होता गया, और इस मंदिर का नाम स्थानीय लोगो में सास बहु मंदिर पड़ गया। सहस्त्र बाहु मंदिर का आकार 32 मीटर लम्बा और  22 मीटर चौड़ा है। सहस्त्र बाहु मंदिर में तीन प्रवेश द्वार बने हुए है जिनमे से प्रत्येक द्वारा पर क्रमशः भगवान विष्णु, भगवान ब्रम्हा और माता सरस्वती की मूर्तियां स्थापित की गई है।

मंदिर के निर्माण में कारीगरों द्वारा मंदिर को दीवारों और खम्भों पर बेहद महीन नक्काशी बनाई गई है। मंदिर की दीवारों पर हिन्दू धर्म के प्रमुख देवी-देवताओं की मूर्तियां उक्केरी गई है, इस वजह से मंदिर और ज्यादा भव्य दिखाई देता है। सहस्त्र बाहु मंदिर का निर्माण नागदा में कछवाहा वंश के शासक महाराजा महिपाल ने अपनी रानी की लिए करवाया था।

महाराजा महिपाल की रानी भगवान विष्णु की परम भक्त थी, अपनी रानी की भगवान विष्णु के प्रति इतनी गहरी आस्था के कारण राजा ने नागदा में सहस्त्र बाहु मंदिर का निर्माण करवाया। कुछ इतिहासकारों का मानना है की बप्पा रावल ने सहस्त्र बाहु मंदिर का निर्माण करवाया था। 16वीं शताब्दी के आसपास सहस्त्र बाहु मंदिर पर मुग़ल आक्रांतों ने आक्रमण करके मंदिर परिसर में बने हुए अधिकांश मंदिर को तोड़ दिया था।

आक्रमणकारियों ने मंदिर की दीवारों और खम्भों पर बनी हुई देवी-देवताओं की सभी मूर्तियों को खंडित कर दिया था। वर्तमान में सहस्त्र बाहु मंदिर प्रांगण में स्थित सभी मंदिर खंडित अवस्था में खड़े हुए है।

सहस्त्र बाहु मंदिर उदयपुर में दर्शन का समय – Sahstrabahu Temple Udaipur Timings in Hindi

सहस्त्र बाहु मंदिर में पर्यटक सुबह 05:00 बजे से लेकर दोपहर के 12:00 बजे तक दर्शन कर सकते है, और शाम को 04:00 बजे से लेकर रात को 09:00 बजे तक दर्शन कर सकते है।

सहस्त्र बाहु मंदिर उदयपुर में प्रवेश शुल्क – Sahstrabahu Temple Udaipur Entry Fee in Hindi

प्रवेश निःशुल्क।

आहड़ पुरातत्व संग्रहालय उदयपुर – Ahar Archaeological Museum Udaipur in Hindi


Ahar Cenotaphs, Udipur | Click on Image for Credits

उदयपुर शहर से लगभग तीन किलोमीटर दूर स्थित आहड़ नामक स्थान पर मेवाड़ के सिसोदिया राजपूत परिवार के लगभग 19 राजाओं का अंतिम संस्कार किया गया। इस स्थान पर जितने भी शासकों का अन्तिम संस्कार गया उन सभी राजाओं के सम्मान में इस स्थान पर छतरियों का निर्माण करवाया गया।

आहड़ में सिसोदिया राजपूत परिवार के राजाओं के सम्मान में निर्मित सभी  छतरियों के निर्माण में संगमरमर पत्थर का उपयोग किया गया है। छतरियों को सुंदरता प्रदान करने के लिए स्तम्भों और छत्तों पर कारीगरों द्वारा विशेष प्रकार की नक्काशी की गई है। आहड़ में महाराणा अमर सिंह, महाराणा स्वरूप सिंह, महाराणा शंभु सिंह, महाराणा फतेह सिंह, महाराणा भूपाल सिंह, महाराणा सज्जन सिंह जैसे राजाओं के सम्मान में छतरियों का निर्माण समय-समय पर करवाया गया।

सबसे अंतिम छतरी का निर्माण 2004 में महाराणा भगवत सिंह के अंतिम संस्कार के बाद करवाया गया था। राजाओं की छतरियों के पास में भारत के पुरातत्व विभाग ने 1961-1962 में आहड़ संग्रहालय की स्थापना की। राजकीय आहड़ संग्रहालय में 1700 ईसा पूर्व और 10वीं शताब्दी से पहले उपयोग में ली जाने वाली घरेलू सामग्रियों का प्रदर्शन किया गया है  जिनमें मुख्य रूप से लाल रंग के पात्र, टोंटीदार लोटे, धूपदान, दीपक और अलग-अलग जानवरों के सींग प्रदर्शित किये गए है।

संग्रहालय में 4000 वर्ष पूर्व की आयड़ सभ्यता से जुड़े हुए पुरावशेषों का प्रदर्शन किया गया है। संग्रहालय में भगवान शिव, वैष्णव सम्प्रदाय और जैन सम्प्रदाय से जुड़ी कई प्राचीन मूर्तियों का संग्रह भी देखने को मिलता है। संग्रहालय में स्थित सभी मूर्तियों में 8वीं शताब्दी में निर्मित जैन तीर्थंकर की अष्टधातु से निर्मित मूर्ती और पाषाणकाल की प्रतिमाओं में कच्छप और मत्स्यावतार की मूर्तियाँ पर्यटकों के आकर्षण का मुख्य केन्द्र है।

संग्रहालय में स्थित सभी प्राचीन वस्तुएँ उदयपुर के आसपास के क्षेत्र से खुदाई के दौरान प्राप्त की गई है। आहड़ को धूलकोट धोरा के नाम से भी जाना जाता है, प्राचीन समय में आहड़ को आघाटपुर के नाम पुकारा जाता था।

आहड़ पुरातत्व संग्रहालय उदयपुर में प्रवेश का समय – Ahar Archaeological Museum Udaipur Timings in Hindi

राष्ट्रीय अवकाश और शुक्रवार को छोड़ कर आहड़ संग्रहालय सप्ताह के बाकी दिनों में पर्यटकों के लिए खुला रहता है। संग्रहालय सुबह 10:00 बजे से लेकर शाम को 04:30 बजे तक पर्यटकों के लिए खुला रहता है।

आहड़ पुरातत्व संग्रहालय उदयपुर में प्रवेश शुल्क – Ahar Archaeological Museum Udaipur Entry Fee in Hindi

आहड़ में स्थित छतरियों में प्रवेश के लिए पर्यटकों से किसी प्रकार का प्रवेश शुल्क नहीं लिया जाता है।

राजकीय आहड़ संग्रहालय में पर्यटकों के लिए 30/- INR प्रति व्यक्ति प्रवेश शुल्क लिया जाता है।

मेनार झील उदयपुर – Menar Lake Udaipur in Hindi

Menar Lake Udaipur | Ref Image

उदयपुर से 52 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक छोटा सा गाँव है मेनार। इस गाँव में स्थित मेनार झील की वजह से सर्दियों के मौसम में इस गाँव में प्रवासी पक्षियों का जमावड़ा लगा रहता है।  सर्दियों के मौसम में आने वाले प्रवासी पक्षियों की वजह से उदयपुर के पास स्थित मेनार गाँव पक्षीविदों, पक्षी प्रेमियों और वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर्स की पहली पसंद माना जाता है।

पर्यटन के क्षेत्र में मेनार गाँव को बर्ड विलेज के नाम से भी जाना जाता है। मेनार झील में प्रवास के लिए आने वाले पक्षियों में रेड-वॉटल्ड लैपविंग, उत्तरी पिंटेल, बार हेडेड गूज, लिटिल रिंग्ड प्लोवर, ग्रीन सैंडपाइपर, ग्रेटर फ्लेमिंगो, ब्लैक काइट, कॉमन क्रेन, नॉर्दर्न फावड़ा, व्हाइट-टेल्ड लैपविंग, वुड सैंडपाइपर, मार्श हैरियर और पेलिकन जैसे प्रवासी पक्षी देखे जा सकते है।

मेनार गाँव में ठाकुर जी के मंदिर में भगवान शिव को समर्पित 52 फ़ीट ऊँची प्रतिमा भी मेनार घूमने आने वाले पर्यटकों के लिए आकर्षण का प्रमुख केंद्र है। मेनार गाँव के ग्रामीण भी यहाँ आने वाले प्रवासी पक्षियों के लिये पूरी तरह से जागरूक है।

झील में पानी की कमी ना हो इसलिये गाँव के लोगों द्वारा झील के पानी का उपयोग किसी भी प्रकार नहीं किया जाता है, झील में रहने वाली मछलियों के शिकार पर भी पूरी तरह से पाबंदी लगी हुई। ग्रामीणों द्वारा मेनार झील की सफाई पर भी पूरी तरह से ध्यान दिया जाता है।

मेवाड़ उत्सव उदयपुर – Mewar Festival Udaipur in Hindi

Mewad Festival Udaipur | Ref Image

बसंत ऋतु का स्वागत वैसे तो भारत के हर राज्य में अलग-अलग तरीके से किया जाता है। उदयपुर के राजपरिवार द्वारा वसंत ऋतु के समय मनाया जाने वाला मेवाड़ उत्सव उदयपुर की स्थानीय जनता और उदयपुर आने वाले पर्यटकों के लिए विशेष महत्व रखता है। उदयपुर में प्रति वर्ष आयोजित किया जाने वाला मेवाड़ उत्सव राजस्थान के प्रसिद्ध परंपरागत त्यौहार गणगौर के साथ मनाया जाता है।

इस समय उदयपुर के सभी बाजारों को बेहद सुंदर तरीके से सजाया जाता है। उदयपुर में मनाया जाने वाला मेवाड़ उत्सव महिलाओं को समर्पित है इसलिए स्थानीय महिलाएं मेवाड़ उत्सव को बड़े उत्साह के साथ मनाती है। गणगौर के समय मनाये जाने वाले मेवाड़ उत्सव में महिलायें राजस्थान के लोक देवता ईसर(भगवान शिव) और गणगौर(माता पार्वती) की मूर्तियों को सजा कर उनकी झांकी पूरे शहर में निकालती है।

ईसर और गणगौर की झांकी को पिछोला झील में विसर्जित करने के लिए उदयपुर के स्थानीय लोग एक बहुत बड़ा पारंपरिक जुलूस निकालते है। इस जुलूस में ईसर और गणगौर की मूर्तियों को बहुत सुंदर तरीके से पारम्परिक वेशभूषा से सजा कर स्थानीय लोग नाचते-गाते हुए पिछोला झील के किनारे तक जाते है। उसके बाद नाव की सहायता से ईसर और गणगौर की मूर्तियों पिछोला झील के मध्य भाग में ले जा कर पानी में सम्मान पूर्वक विसर्जित कर दिया जाता है।

ईसर और गणगौर की मूर्तियों के विसर्जन के उपरांत मेवाड़ उत्सव के रात्रिकालीन सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। रात्रिकालीन सांस्कृतिक कार्यक्रमों में देशी-विदेशी कलाकारों द्वारा गीत और नृत्य की शानदार प्रस्तुति दी जाती है। मेवाड़ उत्सव के समापन कार्यक्रम में शानदार आतिशबाजी की जाती है। देशी और विदेशी सैलानी हर वर्ष उदयपुर में आयोजित किया जाने वाले मेवाड़ उत्सव को देखना बहुत पसंद करते है।

मेवाड़ उत्सव उदयपुर देखने का समय – Mewar Festival Udaipur Timing in Hindi

उदयपुर में आयोजित किया जाने वाला तीन दिवसीय मेवाड़ उत्सव साल के मार्च महीने में आयोजित किया जाता है।

मेवाड़ उत्सव उदयपुर में टिकट प्राइस – Mewar Festival Udaipur Ticket Price in Hindi

आयोजकों द्वारा निर्धारित शुल्क देय है।

कुंभलगढ़ वार्षिक उत्सव, उदयपुर – Kumbhalgarh Annual Festival Udaipur in Hindi

Kumbhalgarh Festival | Ref Image

उदयपुर शहर से लगभग 85 किलोमीटर दूर और अरावली पर्वतमाला की घनी पहाड़ियों के बीच में स्थित है विश्व प्रसिद्ध कुंभलगढ़ किला। इस किले में प्रति वर्ष नवंबर माह के अंतिम सप्ताह में या फिर दिसम्बर माह के पहले सप्ताह में कुंभलगढ़ वार्षिक उत्सव का आयोजन किया जाता है। महाराणा कुम्भा ने कुंभलगढ़ किले का निर्माण करवाया था, किले के निर्माण के बाद उन्होंने किले के आसपास के क्षेत्र में बहुत सारे मंदिर और स्मारकों का निर्माण भी करवाया था।

महाराणा कुम्भा संगीत और कला के भी बहुत अच्छे जानकर थे उनके शासनकाल में कला और संस्कृति को खूब बढ़ावा भी मिला था। राजस्थान पर्यटन विभाग महाराणा कुम्भा द्वारा कला और संस्कृति में दिए गए योगदान की वजह से उनके सम्मान में कुंभलगढ़ वार्षिक उत्सव का आयोजन प्रति वर्ष कुंभलगढ़ किले में करता है। कुंभलगढ़ किले में आयोजित होने वाले वार्षिक उत्सव की अवधि तीन दिन की रहती है।

उत्सव में तीन दिवसीय कार्यक्रम के दौरान देशी और विदेशी कलाकारों के द्वारा लोक संगीत, लोक नृत्य और शास्त्रीय संगीत से जुड़े हुए अलग-अलग कार्यक्रम प्रस्तुत किये जाते है। किले में लोक संगीत के कार्यक्रम इतने शानदार होते है की कार्यक्रम देखने वाले दर्शक भी नृत्य करने को मजबूर हो जाते है। तीन दिनों तक चलने वाले कार्यक्रम के समय कुंभलगढ़ किले को बहुत सुंदर तरीके से सजाया जाता है।

और रात के समय किले को रंग-बिरंगी रोशनी में नहाए हुए देखना अपने-आप में एक अलग अनुभव प्रदान करता है। कुंभलगढ़ वार्षिक उत्सव के दौरान दिन के समय किले के परिसर में हस्तशिल्प, पारंपरिक वेशभूषा, पारम्परिक गहने और स्मृति चिन्हों    को दुकाने लगी हुई रहती है। रात के समय किले में आने वाले दर्शकों और पर्यटकों के लिए लाइट एंड साउंड शो, लोक नृत्य और लोक संगीत के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।

उत्सव में स्थानीय निवासियों और विदेशी मेहमानों के बीच में कई तरह की रोचक प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है जैसे – म्यूजिकल चेयर, पगड़ी बांधने की प्रतियोगिता और रस्साकशी जैसे मनोरंजनक प्रतियोगिता आया आयोजन भी करवाया जाता है। अगर आप कुंभलगढ़ वार्षिक उत्सव के दौर  कुंभलगढ़ घूमने  रहे है तो यहां आयोजित किए जाने वाले सभी कार्यक्रमो के अलावा कठपुतली का शो जरूर देखे।

उदयपुर के नजदीकी पर्यटक स्थल – Places to Visit near Udaipur in Hindi

उदयपुर के आसपास बहुत सारे खूबसूरत पर्यटक स्थल है जैसे उदयपुर Part-01, उदयपुर Part-02, उदयपुर Part-03, सिटी पैलेस, कुम्भलगढ़, कुम्भलगढ़ राष्ट्रीय उद्यान, जोधपुर, रणकपुर, सादड़ी में परशुराम महादेव मंदिर, चित्तौड़गढ़, नाथद्वारा, माउंट आबू और गुजरात में स्थित अम्बा जी मंदिर भी आप समय निकाल कर जा सकते है।

(अगर आप मेरे इस आर्टिकल में यहाँ तक पहुंच गए है तो आप से एक छोटा से निवदेन है की नीचे कमेंट बॉक्स में इस लेख से संबंधित आपके सुझाव जरूर साझा करें, और अगर आप को कोई कमी दिखे या कोई गलत जानकारी लगे तो भी जरूर बताए।  में यात्रा से संबंधित जानकारी मेरी इस वेबसाइट पर पोस्ट करता रहता हूँ, अगर मेरे द्वारा दी गई जानकारी आप को पसंद आ रही है तो आप अपने ईमेल से मेरी वेबसाइट को सब्सक्राइब जरूर करे, धन्यवाद )

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