गुलमर्ग में घूमने की 20 सबसे अच्छी जगह 2024 | गुलमर्ग 2024 | Gulmarg in Hindi 2024 |
Gulmarg Tourism 2024 | 20 Tourist Places to visit in Gulmarg in 2024 in Hindi | Best time to visit in Gulmarg in Hindi | Things to do in Gulmarg in Hindi | Skiing in Gulmarg in Hindi | Gulmarg History in Gulmarg in Hindi
गुलमर्ग – Gulmarg in Hindi
पश्चिमी हिमालय की पीर पंजाल रेंज में स्थित गुलमर्ग भारत का सबसे प्रसिद्ध स्कीइंग डेस्टिनेशन है। प्रसिद्ध न्यूज़ चैनल सीएनएन ने अपने एक सर्वे में गुलमर्ग को भारत मे होने वाले शीतकालीन खेलों के लिए सबसे सबसे उपयुक्त जगह माना है और इसके अलावा इस जगह को एशिया के सातवें सर्वश्रेष्ठ स्कीइंग डेस्टिनेशन के रूप में भी दर्ज किया है।
प्रतिवर्ष हजारों-लाखों की संख्या में पर्यटक स्कीइंग, स्नोबोर्डिंग, टोबोगनिंग और हेली-स्कीइंग जैसी गतिविधियों का आनंद लेने के लिए गुलमर्ग पहुंचते है। जम्मू-कश्मीर के बारामुला जिले में स्थित गुलमर्ग शहर की समुद्र तल से ऊंचाई मात्र 2650 मीटर (8694 फ़ीट) है। गुलमर्ग में स्कीइंग के लिए सबसे ऊंचा पॉइंट अपहरवत पीक है जिसकी समुद्रतल से ऊंचाई 4390 मीटर (14403 फ़ीट) है।
एक प्रसिद्ध स्कीइंग डेस्टिनेशन होने के अलावा गुलमर्ग को वन्यजीव अभ्यारण का दर्जा भी दिया गया है जिसे गुलमर्ग वन्यजीव अभ्यारण्य के नाम से जाना जाता है। और अपनी प्राकृतिक समृद्धता की वजह से गुलमर्ग को “फूलों की घास के मैदान” के रूप में भी जाना जाता है। और इसकी मुख्य वजह है गुलमर्ग में पाए जाने वाले प्राकृतिक घास के मैदान जो कि सर्दियों के मौसम में कई फ़ीट बर्फ से ढके हुए रहते है।
बसंत ऋतु और गर्मियों के मौसम में यहाँ पर जंगली फूलों की अनेक प्रजातियां देखने को मिलती है जैसे बटरकप, डेज़ी और फॉरगेट-मी-नॉट्स जैसे फूल प्रमुखता से देखे जा सकते है। यहाँ पाए जाने वाले घास के मैदान छोटी-छोटी झीलों और हरेभरे चीड़ और देवदार के घने जंगलों से घिरे हुए है।
वैसे गुलमर्ग को 15वीं शताब्दी से पहले गौरी मार्ग के नाम से जाना जाता था जिसका सामान्य भाषा मे मतलब होता है देवी गौरी का मार्ग। 15वीं शताब्दी में चक वंश के यूसफ़ शाह ने इस जगह का नाम बदलकर गुलमर्ग कर दिया। स्थानीय निवासी या फिर कश्मीरी भाषा मे इस जगह को गुलमराग के नाम से बुलाना ज्यादा पसंद करते है।
गुलमर्ग का इतिहास – Gulmarg History in Hindi
मुस्लिम शासक यूसुफ शाह चक (1579 से 1586 तक) ने कश्मीर पर अपने शासनकाल के समय अपनी पत्नी रानी हब्बा खातून के साथ इस जगह की कई बार यात्रा की। और अपनी इन्हीं यात्राओं के दौरान उन्होंने इस जगह का नाम बदलकर गुलमर्ग (फूलों का मैदान) कर दिया। इसके अलावा मुगल शासक जहाँगीर ने गुलमर्ग में पाए जाने वाले अनेक किस्म के फूलों के पौधों को अपने बगीचे में लगवाया था।
19वीं शताब्दी में औपनिवेशिक काल के समय अनेक ब्रिटिश अधिकारी गर्मियों के मौसम में आराम करने के लिए गुलमर्ग आते थे और यहाँ पर शिकार और गोल्फ जैसे खेलों का आंनद लिया करते थे। गोल्फ अंग्रेजों का पसंदीदा खेल हुआ करता था इसलिये उन्होंने यहाँ पर तीन गोल्फ कोर्स स्थापित किये थे जिनमें से एक गोल्फ कोर्स महिलाओं के लिये था। वर्तमान में उन तीनों गोल्फ कोर्स में से सिर्फ एक ही बचा है।
गुलमर्ग में स्थित गोल्फ कोर्स दुनिया का सबसे ऊंचा गोल्फ कोर्स है जिसकी समुद्रतल से ऊंचाई 2650 मीटर (8699 फ़ीट) है। गोल्फ के अलावा अंग्रेज अधिकारी सर्दियों के मौसम गुलमर्ग में स्की करने के लिए भी आते थे इसलिए उन्होंने 1927 में यहाँ पर एक स्की क्लब की स्थापना की और क्रिसमस और ईस्टर जैसे त्योहारों के समय सालाना स्की से जुड़े हुए खेलों का आयोजन करने लगे।
भारत के स्वतंत्र होने के बाद गुलमर्ग उस समय जम्मू कश्मीर की स्वतंत्र रियासत का हिस्सा बन गया। भारत के स्वतंत्र होने के बाद पाकिस्तान ने भारत के अनेक हिस्सों पर कब्जा करने की योजना बनाई जिसमें से एक जम्मू कश्मीर भी था। और इसी योजना के अंतर्गत पाकिस्तानी नियमित सेना गुलमर्ग और हाजी पीर दर्र पर आक्रमण कर देती है और इस आक्रमण को ऑपरेशन गुलमर्ग नाम देती है।
पाकिस्तान की सेना अपने इस आक्रमण के समय पठान आदिवासी हमलावरों के साथ मिलकर गुलमर्ग और इसके आसपास के क्षेत्र पर अवैध कब्जा कर लिया था। इसके बाद जम्मू और कश्मीर के राजा हरी सिंह ने 26 अक्टूबर 1947 को जम्मू और कश्मीर रियासत का विलय भारत में करने की सहमति दे दी।
जम्मू और कश्मीर का विलय भारत में होने के साथ ही भारतीय सेना की 1 सिख रेजिमेंट ने पाकिस्तानी सेना पर आक्रमण किया और उसे पीछे धकेल दिया और जम्मू कश्मीर के गुलमर्ग सहित कई शहरों पर दोबारा से कब्ज़ा कर लिया। वर्ष 1948 में भारतीय सेना गुलमर्ग में एक हाई एल्टीट्यूड वारफेयर स्कूल की स्थापना करती है जो कि बाद में बर्फ-शिल्प और शीतकालीन युद्ध विशेषज्ञता वाला स्कूल बन जाता है।
1 जनवरी 1949 में सयुंक्त राष्ट्र के हस्तक्षेप के बाद युद्ध समाप्त हो जाता है और एक युद्धविराम रेखा (CFL) खींच दी जाती है। बाद में 1972 हुए शिमला समझौते के अनुसार युद्धविराम रेखा (CFL) को नियंत्रण रेखा (LOC) के नाम दे दिया जाता है। वर्तमान में यह नियंत्रण रेखा (LOC) गुलमर्ग के बहुत नजदीक स्थित है।
भारत के स्वतंत्र होने के बाद भारतीय योजनाकारों को देश में शीतकालीन खेलों को विकसित करने के लिए उचित जगह की जरुरत महसूस होती है। योजनाकारों के सुझाव पर भारत सरकार के पर्यटन विभाग ने शीतकालीन खेलों के लिए उचित स्थान का चयन करने के लिए 1960 रूडोल्फ मैट को बुलाती है। कुछ समय तक रूडोल्फ मैट ने भारत के अलग-अलग स्थानों का अध्ययन करने के बाद गुलमर्ग का भारत में शीतकालीन खेलों के लिए सबसे उपयुक्त स्थान के रूप में चयन किया।
इसके बाद 1968 में स्की और बर्फ से जुड़े हुए खेलों में प्रशिक्षकों को प्रशिक्षित करने के लिए गुलमर्ग में स्कीइंग और पर्वतारोहण संस्थान की स्थापना की जाती है। अगले 10 सालों में गुलमर्ग को विश्व स्तरीय स्की डेस्टिनेशन के रूप में स्थापित करने के लिए लगभग 30 मिलियन रुपये निवेश किये जाते है। इस निवेश और स्थानीय प्रशासन द्वारा किये गए प्रयासों के कारण गुलमर्ग जल्द ही एशियाई देशों में स्कीयरों के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र बन जाता है।
1980 से लेकर 1990 के बीच के सालों में गुलमर्ग में हेली-स्कीइंग की शुरुआत की जाती है जिसके लिए फ्रांस के हिमालय हेली-स्की क्लब के स्विस स्कीयर सिल्वेन सौदान का सहयोग लिया जाता है। लेकिन 1990 में जम्मू और कश्मीर में आतंकवादी घटनाएँ बहुत ज्यादा बढ़ जाती है जिस वजह से गुलमर्ग में पर्यटन पूरी तरह से प्रभावित हो जाता है।
गुलमर्ग में पर्यटन को बहाल करने में भारत सरकार को लगभग 10 साल का समय लग जाता है। वर्ष 1988 में गुलमर्ग और अपहरवत पीक के बीच केबल कार परियोजना पर काम शुरू किया जाता है। लेकिन 1990 में यहाँ पर बढ़ी आतंकवादी घटनाओं की वजह से यह महत्वकांक्षी परियोजना बीच में ही रुक जाती है। इसके बाद 1998 में इस परियोजना के पहले चरण को दोबारा से शुरू किया जाता है।
केबल कार परियोजना के पहले चरण में गुलमर्ग से लेकर कोंगडोरी तक केबल कार का परिचालन शुरू किया जाता है। वर्ष 2005 में केबल कार परियोजना के दूसरे चरण को पूरा कर लिया जाता है। और इसके बाद गुलमर्ग में स्थित यह रोप वे एशिया का सबसे ज्यादा ऊंचाई पर स्थित और सबसे लम्बा रोप वे बन जाता है। 2011 केबल कार परियोजना के तीसरे चरण पूरा होता है जिसमे में गुलमर्ग चेयरलिफ्ट का संचालन भी शुरू हो जाता है।
गुलमर्ग में वर्ष 1998, 2004 और 2008 में राष्ट्रीय शीतकालीन खेलों का आयोजन किया जाता है। वर्ष 2014 में जम्मू और कश्मीर सरकार ने गुलमर्ग में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए मास्टर प्लान 2032 की रुपरेखा तैयार की थी। इस मास्टर प्लान के अंतर्गत गुलमर्ग की करीब 20 एकड़ भूमि पर सॉलिड वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट विकसित किया जाएगा।
अलपाथर झील गुलमर्ग – Alpather Lake Gulmarg in Hindi
गुलमर्ग के पास में स्थित अपहरवत पर्वत की तलहटी में में स्थित अलपाथर झील गुलमर्ग के सबसे प्रसिद्ध पर्यटक स्थल में से एक है। गुलमर्ग से लगभग 13 किलोमीटर की दूरी पर स्थित अलपाथर झील की समुद्रतल से ऊंचाई मात्र 4511 मीटर (14800 फ़ीट) है। अधिकतम ऊँचाई पर स्थित होने की वजह से अलपाथर झील में नवंबर महीने से लेकर जून महीने तक बर्फ जमी रहती है।
जून महीने के बाद इस झील में जमी हुई बर्फ पिघलने लगती है जिसे देखना काफी सुखद अनुभव प्रदान करता है। अपहरवत पर्वत के दो जुड़वाँ पहाड़ नून और कुन की तलहटी में स्थित होने की वजह से अलपाथर झील को त्रिकोणीय आकार मिलता है जो कि इस झील को और भी खूबसूरत बनाने में सहयोग प्रदान करता है। आप गुलमर्ग से खिलनमर्ग होते हुए इस झील तक पहुँच सकते है जो कि लगभग 13 किलोमीटर का ट्रैक हो जाता है।
अगर आप इतना लंबा ट्रेक नहीं कर सकते है तो फिर आप गुलमर्ग से अपहरवत पर्वत के लिए चलने वाले गोंडोला फेज II तक पहुंचे और फिर यहाँ आप से 1.5 किलोमीटर पैदल यात्रा करके भी अलपाथर झील तक पहुँच सकते है। इसके अलावा अगर आप 1.5 किलोमीटर भी पैदल नहीं चल सकते तो आप गोंडोला फेज II से टट्टू किराए पर करके भी इस झील तक पहुँच सकते है।
खिलनमर्ग गुलमर्ग – Khilanmarg Gulmarg in Hindi
गुलमर्ग से 06 किलोमीटर की पैदल दुरी पर स्थित खिलनमर्ग एक बेहद ही सुन्दर छोटी सी घाटी है जो की बसंत ऋतू के समय विभिन्न प्रकार के फूलों की प्रजातियों और विशाल घास के मैदानों के लिए प्रसिद्ध है। और सर्दियों के मौसम में स्की जैसे रोमांचक खेल के लिए पुरे विश्व में अपनी एक अलग पहचान रखती है।
खासकर सर्दियों के मौसम जब यहाँ पर स्की करने के लिए पर्याप्त बर्फबारी हो जाती है उस समय आपको खिलनमर्ग में स्की का आनंद लेते हुए भारी संख्या में पर्यटक दिखाई दे सकते है। गुलमर्ग के बस स्टेशन या फिर कार पार्किंग से आप सिर्फ 06 किलोमीटर का ट्रेक करके बड़ी आसानी से खिलनमर्ग पहुँच सकते है। गुलमर्ग से खिलनमर्ग के ट्रेक दौरान आपको लगभग 600 मीटर (1969 फ़ीट) की खड़ी चढ़ाई चढ़नी पड़ती है जो की आपके लिए थोड़ा थकाने वाला टास्क हो सकता है।
लेकिन यहाँ पहुंचने के बाद आप अपनी सारी थकन भूल जाते है क्योंकि आपको यहाँ से अपहरवत पर्वत की दो प्रमुख चोटियां नून और कुन जिनकी समुद्रतल से ऊंचाई लगभग 7135 मीटर (23409 फ़ीट) है के बहुत ही खूबसूरत दृश्य दिखाई देते है। इसके अलावा आपको हिमालय के नंगा पर्वत जिसकी समुद्रतल से ऊंचाई 8126 मीटर (26660 फ़ीट) के अविस्मरणीय दृश्य भी दिखाई देते है। इन्ही सभी कारणों की वजह से आप जब भी गुलमर्ग यात्रा करने का प्लान बनाते है तो आपको खिलनमर्ग घाटी का ट्रेक जरूर करना चाहिए।
स्कीइंग गुलमर्ग – Skiing in Gulamrg in Hindi
भारत के जम्मू कश्मीर राज्य का एक छोटा सा शहर गुलमर्ग पूरे विश्व मे स्कीइंग जैसे रोमांचक खेल के लिए अपनी एक अलग पहचान रखता है। और यही वजह है कि गुलमर्ग में सर्दियों के मौसम सबसे ज्यादा पर्यटक देखे जाते है। गुलमर्ग में सिर्फ भारतीय पर्यटक ही नहीं बल्कि विश्व के अलग-अलग देशों से पर्यटक स्कीइंग करने के लिए आते है।
प्रसिद्ध समाचार एजेंसी सीएनएन ने एक सर्वे में गुलमर्ग को शीतकालीन खेलों के लिए सबसे उपयुक्त जगह के रूप में दर्ज किया है इसके अलावा यह खूबसूरत जगह एशिया के सातवें सर्वश्रेष्ठ स्कीइंग डेस्टिनेशन के रूप में भी प्रसिद्ध है।
गुलमर्ग में आने वाले देशी और विदेशी पर्यटक सिर्फ स्कीइंग का ही आनंद नहीं लेते बल्कि इसके अलावा यहाँ उनको स्नोबोर्डिंग, टोबोगनिंग और हेली-स्कीइंग जैसी गतिविधियों का आनंद लेने का मौका भी मिलता है।
कोंगडोरी गोंडाला – Kongdori Gondala Gulmarg in Hindi
गुलमर्ग में कोंगडोरी स्कीयर और स्नोबोर्डर्स के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं है। मूलरूप से कोंगडोरी गुलमर्ग और अपहरवत पर्वत के मध्य भाग में स्थित एक कटोरे के आकार का क्षेत्र है। कोंगडोरी स्कीइंग के अलावा दुनिया की दूसरी सबसे ऊँची केबल कार और एशिया की सबसे ऊँची केबल कार परियोजना है जिसे यहाँ पर गोंडाला भी कहा जाता है।
सीधे शब्दों में बताना चाहूँ तो गोंडाला केबल कार की सवारी का एक स्टॉप या आप कह सकते है की एक स्टेशन है। गुलमर्ग में गोंडाला केबल के प्रथम चरण की शुरुआत 1 मई 1998 में की कई थी इसके कुछ वर्ष बाद 2005 के मई महीने में केबल कार के दूसरे चरण को शुरू किया गया था। कोंगडोरी गोंडाला केबल कार के पहले स्टेशन की समुद्रतल से ऊंचाई 2600 मीटर (8530 फ़ीट) है। और इस केबल कार के दूसरे स्टेशन की समुद्रतल से ऊंचाई 4115 मीटर (13500 फ़ीट) है।
गोंडाला केबल कार के दूसरे स्टेशन पर पहुंचे के बाद आप स्कीइंग या फिर किसी और शीतकालीन खेल के लिए अपहरवत पर्वत के पीक पर बड़ी आसानी से पहुंच सकते है। अपहरवत पीक से आपको हिमालय की पीर पंजाल रेंज और नंदा देवी पीक के शानदार दृश्य दिखाई देते है। गोंडाला केबल कार से आपको पहले स्टेशन तक पहुंचने के लिए 10-11 मिनट का समय लग सकता है और दूसरे स्टेशन तक पहुँचने के लिए आपको 12-15 मिनट का समय लग सकता है।
टंगमर्ग गुलमर्ग – Tangmarg Gulmarg in Hindi
मुग़लकाल के समय टंगमर्ग को गुलमर्ग के प्रवेश द्वार के रूप में जाना जाता थे। वास्तव में इस जगह पर विशाल घास के मैदान बने हुए है और नाशपाती के पेड़ भी बहुत ज्यादा संख्या में पाए जाते है। स्थानीय भाषा में मार्ग को घास का मैदान कहा जाता है और नाशपाती को तांग कहा जाता है। इसी वजह से यहाँ पर पाए जाने वाले विशाल घास के मैदान और नाशपाती के पेड़ो की वजह से ही इस जगह को टंगमर्ग कहा जाने लगा है।
गुलमर्ग से मात्र 13 किलोमीटर की दुरी पर स्थित टंगमर्ग हिमालय को पीर पंजाल रेंज की ढ़लान पर स्थित बेहद खूबसूरत जगह है। गुलमर्ग से टंगमर्ग पहुँचने के लिए एक 5 किलोमीटर का ट्रेक भी बना हुआ है। इस छोटे से ट्रेक के दौरान आप बर्फ से ढ़के पहाड़,घने जंगल लुढ़कती पहाड़ियों और सुन्दर झरनों से गुजरते है।
सर्दियों के मौसम में आपको यहाँ पर बहुत ज्यादा बर्फ देखने को मिलती है इसलिए साल के इस समय आप जब भी यहाँ पर आये तो बर्फ और सर्दी से बचाव के लिए उपयुक्त सामान जरूर साथ में लाएं। द्रुंग, निंगले नाला, बदरकूट, झंडपाल, बाबरशी और गोगलदरा टंगमर्ग के पास में स्थित यह कुछ ऐसे दर्शनीय स्थल और जिनके लिए आप अपनी गुलमर्ग यात्रा के दौरान समय निकाल सकते है।
इसके अलावा यह जगह हस्तशिल्प कलाकृतियों के लिए भी बेहद प्रसिद्ध है इसलिए गुलमर्ग से जुडी हुई याद के तौर पर आप यहाँ से कुछ खरीदकर ले जा सकते है।
सेंट मैरी चर्च गुलमर्ग – St. Mary’s Church Gulmarg in Hindi
गुलमर्ग के पास के स्थित लगभग 100 साल पूराना सेंट मैरी चर्च विक्टोरियन वास्तुशिल्प का बहुत ही सुंदर उदाहरण माना जाता है। सेंट मैरी चर्च गुलमर्ग में स्थित गोल्फ कोर्स के मैदान के ठीक बीचों बीच स्थित है इसी वजह से आप इस चर्च तक सिर्फ एक छोटा सा ट्रेक करके ही पहुँच सकते है।
सर्दियों के मौसम में यह चर्च चारों तरफ से कई फ़ीट बर्फ से घिरा हुआ रहता है और गर्मियों के मौसम में आपको यहाँ पर हरे-भरे घास के मैदान दिखाई देते है। इन दोनों ही मौसम में इस चर्च को देखना एक अलग तरह की अनुभूति प्रदान करता है। हरे-भरे घास के मैदान के अलावा आपको इस चर्च के एक तरफ विशाल अल्पाइन पेड़ और हिमालय की पीर पंजाल रेंज के ऊँचे-ऊँचे पहाड़ दिखाई देते है।
चर्च के आसपास आपको कुछ होटल और होम स्टे मिल जाएंगे जहाँ पर आप बड़ी आसानी से ठहर सकते है। वहीँ जब इस मंदिर के निर्माण से जुड़े हुए इतिहास के बारे में बात करते है तो हमें यह पता चलता है की ब्रिटिश शासनकाल के समय वर्ष 1902 में सेंट मैरी चर्च का निर्माण करवाया गया था। इसके बाद वर्ष 2003 में सेंट मैरी चर्च के पुनर्निर्माण का कार्य करवाया जाता है।
वर्तमान में यह चर्च पर्यटकों के लिए सुबह 07:00 बजे से लेकर शाम को 05:00 बजे तक खुला रहता है। सेंट मैरी चर्च मैरी चर्च में पर्यटकों के प्रवेश के लिए किसी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जाता है।
निंगले नल्ला गुलमर्ग – Ningle Nallah Gulmarg in Hindi
गुलमर्ग से 10 किलोमीटर की दुरी पर स्थित निंगले नल्ला वास्तव में एक बहुत ही खूबसूरत पहाड़ी धारा है जिसका निर्माण अलपाथर झीले और अपहरवत पर्वत की बर्फ पिघलने से होता है। निंगले नल्ला नाम को यह छोटा से पहाड़ी धारा घुमावदार घाटियों, जंगलों और पहाड़ो से होते हुए झेलम नदी में मिल जाती है।
रोमांच पसंद करने वाले और अपने परिवार के साथ आये हुए पर्यटकों के लिए पानी की यह धारा समान से प्रसिद्ध है। स्थानीय निवासी और कुछ पारिवारिक पर्यटक इस जगह पर पिकनिक करना और समय बिताना बेहद पसंद करते है। अगर आप एक अनुभवशाली पर्यटक है तो आप यहाँ पर कैंपिंग का भी आनद ले सकते है।
स्थानीय लोग निंगले नल्ला के बहते हुए पानी का उपयोग घर के कामों और पीने के पानी के लिए किया करते है। इसलिए आप जब भी इस खूबूसरत पहाड़ी धारा के पास जाए तो इसे गन्दा नहीं करें।
महारानी मंदिर गुलमर्ग – Maharani Temple Gulmarg in Hindi
महारानी मंदिर गुलमर्ग के प्रमुख पर्यटन स्थल में से एक है। गुलमर्ग के घास के मैदान के मध्य भाग में स्थित महारानी मंदिर एक छोटी सी पहाड़ी पर बना हुआ है। और ऐसा माना जाता है की महारानी मंदिर को गुलमर्ग के किसी भी कोने से बड़ी आसानी से देखा जा सकता है। महारानी मंदिर का निर्माण वर्ष 1915 में जम्मू कश्मीर के तत्कालीन शासक महाराजा हरी सिंह की पत्नी मोहिनी बाई ने करवाया था।
धरमपुर के महाराजा मोहनदेव की बेटी मोहिनी बाई सिसोदिया द्वारा निर्मित महारानी मंदिर को मोहिनेश्वर शिवालय के नाम से भी जाना जाता है। वास्तव में महारानी मंदिर भगवान शिव को समर्पित है लेकिन जम्मू कश्मीर की महारानी के द्वारा निर्मित होने की वजह से इस स्थानीय निवासी और पर्यटक “रानी मंदिर” और “महारानी मंदिर” के नाम से पुकारना ज्यादा पसंद करते है।
कहा जाता है की जब महाराजा हरिसिंह डोगरा निवास में आराम किया करते थे तब महारानी मोहिनी बाई इस मंदिर में भगवान शिव की पूजा करने में ज्यादा समय बिताया करती थी। मंदिर के गर्भगृह में शिवलिंग और माता पार्वती के विग्रह की स्थापना की गई है। 90 के दशक में कश्मीरी पंडित जब अपनी और अपने परिवार की रक्षा के लिए घाटी छोड़कर चले जाते है तो उस समय के बाद से महारानी मंदिर की देखभाल करने के लिए कोई पुजारी नहीं रहता है।
वर्तमान में एक कश्मीरी मुसलमान मोहम्मद शेख, महारानी मंदिर की देखभाल और नियमित पूजा पाठ किया करते है। वर्ष 1998 में महारानी मंदिर के जीर्णोद्वार का कार्य करवाया जाता है। वर्तमान में महारानी मंदिर के प्रबंधन का कार्य महाराजा हरी सिंह के पुत्र डॉ कर्ण सिंह की अध्यक्षता वाले जम्मू और कश्मीर धर्मार्थ ट्रस्ट द्वारा किया जाता है। श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए महारानी मंदिर सुबह 06: 00 बजे से लेकर रात को 09:00 बजे तक खुला रहता है।
स्नो फेस्टिवल गुलमर्ग – Snow Festival Gulmarg in Hindi
गुलमर्ग के विश्व प्रसिद्ध दो दिवसीय स्नो फेस्टिवल का आयोजन सबसे पहली बार वर्ष 2003 में करवाया गया था। पर्यटन मंत्रालय द्वारा गुलमर्ग में स्नो फेस्टिवल के आयोजन के पीछे का मुख्य कारण भारत में शीतकालीन खेलों और पर्यटन को बढ़ावा देना था। वर्तमान में गुलमर्ग में प्रति वर्ष आयोजित होने वाले स्नो फेस्टिवल में भाग लेने के लिए दुनियाभर के पर्यटक और खिलाड़ी गुलमर्ग आते है।
गुलमर्ग स्नो फेस्टिवल में स्कीइंग, स्नोबोर्डिंग, स्नो-स्लेजिंग और आइस स्केटिंग जैसी स्नो स्पोर्टिंग गतिविधियों का आयोजन जाता है जिसमें भाग लेने के लिए देश विदेश से सैंकड़ो की संख्या में खिलाड़ी यहाँ पर आते है।
इस दो दिवसीय फेस्टिवल के दौरान यहाँ पर स्थानीय कश्मीरी लोक कलाकारों द्वारा सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी जाती है और इसके अलावा कश्मीर की संस्कृति और परम्पराओं को दिखाने के लिए प्रदर्शनी भी लगाई जाती है। इस फेस्टिवल के दौरान आपको कश्मीर के स्थानीय भोजन को चखने का मौका भी मिल सकता है।
कंचनजंगा संग्रहालय गुलमर्ग – Kanchenjunga Museum Gulmarg in Hindi
वर्ष 1997 में गुलमर्ग में भारतीय सेना के सबसे पहले शिखर सम्मेलन का आयोजन किया जाता है और उस समय अस्तित्व में आता है कंचनजंगा संग्रहालय। एक संग्रहालय बनने से पहले यह स्थान एक प्रतिष्ठित युद्ध स्कूल के रूप में विकसित हो चुका था। वर्तमान में इस संग्रहालय में भारतीय सेना द्वारा उपयोग में लाये जाने वाले अत्याधुनिक अस्त्रों-शस्त्रों का प्रदर्शन किया गया है और इसके अलावा पर्वतारोहण के काम मे आने वाले उपकरणों और साजो से सामान का प्रदर्शन भी इस संग्रहालय में किया गया है।
भारतीय सेना द्वारा एवेरेस्ट पर्वत पर चढ़ाई के सबसे पहले सफल अभियान जैसे कई अन्य अभियानों को भी इस संग्रहालय में प्रमुखता से प्रदर्शित किया गया है। गुलमर्ग में स्थित कंचनजंगा संग्रहालय को भारतीय सेना के प्रति सम्मान के प्रतीक के रूप में जाना जाता है। इस संग्रहालय में जाने पर हमें भारतीय सेना के जवान के कठोर जीवन के बारे में नजदीक से जानने का मौका मिलता है।
फ़िरोज़पुर नाला गुलमर्ग – Ferozepur Nallah Gulmarg in Hindi
गुलमर्ग से 05 किलोमीटर की दूरी पर स्थित फिरोजपुर नाला एक बेहद खूबसूरत पहाड़ी झरना है जिसका उद्गम स्थल फिरोजपुर शिखर माना जाता है। एक खूबसूरत पर्यटक स्थल होने के साथ-साथ यह स्थान स्थानीय निवासियों के पेयजल का मुख्य स्रोत भी माना जाता है। हिमालय की पीर पंजाल रेंज के खूबसूरत बर्फीले पहाड़ो और देवदार के विशाल पेड़ो से घिरा हुआ यह झरना गुलमर्ग में बढ़िया समय बिताने के लिए सबसे अच्छी और सुंदर जगहों में से एक माना जाता है।
स्थानीय निवासियों के लिए यह झरना बहुत पवित्र भी है ऐसा मानना है कि इस झरने को पहाड़ो की आत्माओं का आशीर्वाद प्राप्त है। आगे चलकर यह झरना गुलमर्ग में बहने वाली बाहन नदी में जा कर मिल जाता है। इन सब के अलावा फिरोजपुर नाला जम्मू कश्मीर की सबसे खूबसूरत टोस मैदान ट्रेक शुरुआती पॉइंट भी माना जाता है। टोस मैदान ट्रेक कुल 50 किलोमीटर लंबा ट्रेक है क़जिसे पूरा करने के लगभग 03 दिन का समय लगता है।
इमामबाड़ा गूम अनंतनाग गुलमर्ग – Imambara Goom Anantnag Gulmarg In Hindi
जम्मू कश्मीर राज्य के बारामुला जिले के अनंतनाग शहर के अहमदपोरा के पास में स्थिति इमामबाड़ा गूम यहाँ के मुस्लिम समुदाय के लोग के लिये पवित्र और विशेष धार्मिक आस्था का केंद्र है। इमामबाड़ा गूम जाने के लिये आपको गुलमर्ग से अनंतनाग की 106 किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ेगी।
गोल्फ कोर्स गुलमर्ग – Golf Course Gulmarg In Hindi
शीतकालीन खेलों के अलावा गुलमर्ग विश्व के सबसे ज्यादा सुंदर और ऊंचाई पर स्थित गोल्फ कोर्स की वजह से भी बहुत ज्यादा प्रसिद्ध है। गुलमर्ग में स्थित विश्व के सबसे ऊंचे और भारत के सबसे लंबे गोल्फ कोर्स का निर्माण वर्ष 1911 में अंग्रेजों के द्वारा अपने मनोरंजन के लिए करवाया जाता है।
गुलमर्ग में स्थित 18 होल वाले गोल्फ कोर्स की समुद्रतल से ऊंचाई 2650 मीटर (8699 फ़ीट) है। शुरूआत में गुलमर्ग में तीन गोल्फ कोर्स का बनाये थे जिसमें से एक गोल्फ कोर्स महिलाओं के लिये भी बनाया गया था। लेकिन समय के साथ गुलमर्ग में सिर्फ एक ही गोल्फ कोर्स बचा है।
बायोस्फीयर रिजर्व गुलमर्ग – Biosphere Reserves Gulmarg In Hindi
गुलमर्ग का बायोस्फीयर रिजर्व खासतौर पर कस्तूरी मृग और हिम तेंदुए के लिए ज्यादा प्रसिद्ध है। श्रीनगर से लगभग 48 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गुलमर्ग बायोस्फीयर रिजर्व वन्यजीव प्रेमीयों और वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं है। रिज़र्व में वन्यजीवों की कई दुर्लभ प्रजातियों के अलावा पक्षियों और दुर्लभ प्रजाति की वनस्पति को नजदीक से देखने का मौका भी मिलता है।
गुलमर्ग का बायोस्फीयर रिजर्व लगभग 180 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ बहुत ही खूबसूरत और घना वन क्षेत्र है। समुद्रतल से 2400 मीटर से लेकर 4300 मीटर की ऊँचाई पर स्थित गुलमर्ग बायोस्फीयर रिजर्व मुख्य रूप से कस्तूरी मृग, हंगुल, भूरा भालू, हिम तेंदुआ, तेंदुआ, काला भालू, सीरो और लाल लोमड़ी जैसे वन्यजीवों के लिए प्रसिद्ध है।
इस रिज़र्व में आपको गिद्ध, स्नो कोक, मोनाल, ग्रिफॉन कश्मीर रोलर, ब्लू रॉक कबूतर, यूरोपीय घेरा और जंगल कौआ जैसे पक्षियों की प्रजातियां भी देखने को मिलती है। रिज़र्व पर्यटकों के लिए प्रतिदिन सुबह 10:00 बजे से लेकर शाम को 04:00 बजे तक खुला रहता है। रिज़र्व के पास में ही रुकने के लिए कैंप भी बने हुए है जहाँ पर आप रात के समय अच्छा समय बिता सकते है।
अगर आप उद्यान में स्तनधारी वन्यजीवों को देखना चाहते है तो आप के लिए सितंबर से लेकर मार्च तक समय बायोस्फीयर रिजर्व घूमने के लिये सबसे अच्छा समय रहेगा। इसके अलावा अगर आप पक्षी प्रेमी है तो मार्च से लेकर मई का महीना गुलमर्ग बायोस्फीयर रिजर्व घूमने के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है। और साल के इस समय आपको रिज़र्व में विभिन्न रंगों के फूल भी देखने को मिल सकते है जो की आप की गुलमर्ग यात्रा को अविस्मरणीय बना देगा।
अपहरवत पीक गुलमर्ग – Apharwat Peak Gulmarg in Hindi
गुलमर्ग से मात्र 13 किलोमीटर की दूरी पर स्थित अपहरवत पीक विश्व में सबसे ज्यादा ऊंचाई पर स्थित स्कीइंग पॉइंट में से एक है। अपहरवत पीक की समुद्रतल से ऊंचाई 4390 मीटर (14403 फ़ीट) है। ऐसा माना जाता है कि अपहरवत पीक पर जो बर्फ गिरती है वह एकदम क्रिस्टल की तरह साफ़ और मुलायम होती है।
यहाँ पर प्रतिवर्ष कई फ़ीट बर्फ़बारी होती है जिस वजह से यह जगह विश्व में स्कीइंग के लिए सबसे आदर्श जगह मानी जाती है। और प्रतिवर्ष होने वाली भारी बर्फ़बारी की वजह से आपको यहाँ पर पुरे साल बर्फ देखने को मिलती है। अपहरवत पीक तक पहुँचने के लिए आपको केबल कार की सवारी लेनी होगी। केबल कार को यहाँ पर गोंडाला कहा जाता है।
गुलमर्ग से अपहरवत पीक तक चलने वाली केबल कार सर्विस की सहायता से आप दो चरणों में अपहरवत पर्वत के पीक तक पहुँच सकते है। केबल कार के पहले चरण में आप गुलमर्ग से कोंगडोरी तक पहुँचते है और दूसरे चरण में आप कोंगडोरी से अपहरवत पीक तक पहुंच जाते है।
गुलमर्ग से अपहरवत पीक तक चलने वाली केबल कार सर्विस के लिए आप ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह से टिकट बुक करवा सकते है। सर्दियों के मौसम में यहाँ पर कई बार बहुत तेज बर्फीले तूफान आते रहते है इसलिए साल के इस समय आपको थोड़ी सावधानी रखनी चाहिए।
स्ट्रॉबेरी घाटी गुलमर्ग – Strawberry Valley Gulmarg In Hindi
गुलमर्ग में स्थित स्ट्रॉबेरी घाटी पर्यटन के हिसाब से बहुत ही खूबसूरत जगह मानी जाती है। लेकिन गुलमर्ग घूमने आने वाले अधिकांश पर्यटकों को इस जगह के बारे में बहुत ही कम जानकारी होती है। लेकिन इंटरनेट की वजह से यह खूबसूरत जगह गुलमर्ग में पर्यटन के लिए धीरे-धीरे अपनी एक अलग जगह बना रही है।
वैसे गर्मियों के मौसम में आपको स्ट्रॉबेरी घाटी की यात्रा करनी चाहिए क्यों की साल के इस समय यहाँ पर स्ट्रॉबेरी पूरी तरह से पक जाती है जिस वजह से इस जगह की ख़ूबसूरती चार गुना बढ़ जाती है। इस घाटी में बड़े-बड़े घास के मैदान भी बने हुए है जो की इस जगह को अलग ही खूबसूरती प्रदान करते है।
स्ट्रॉबेरी घाटी में आप अपने लिए ताज़ा स्ट्रॉबेरी भी खरीद सकते है और इसके अलावा ऐसा माना जाता है की इस जगह पर कई बॉलीवुड की फिल्मों की शूटिंग भी हुई है।