डलहौजी के 20 प्रमुख दर्शनीय स्थल 2024 | 20 Tourist Places To Visit in Dalhousie in Hindi 2024 | Best Time To Visit Dalhousie In Hindi | Dalhousie Tourism 2024 | Things to do in Dalhousie in Hindi | Himachal Tourism | Part-01
डलहौजी का इतिहास – History of Dalhousie in Hindi
भारत के औपनिवेशिक काल के समय या फिर आप ऐसा कह सकते है की 18वीं (1849) शताब्दी के समय अंग्रेजी हुकूमत और सिख समुदाय के बीच में हुए निर्णायक युद्ध के बाद पंजाब प्रान्त पर पूरी तरह से अंग्रेजों ने अधिकार कर लिया था। 1850 में पंजाब के चीफ इंजीनियर लेफ्टिनेंट कर्नल नेपियर ने सबसे पहले चंबा घाटी में एक बहुत ही सुंदर जगह को देखा। वर्तमान में हम सब उस खूबसूरत जगह को डलहौजी के नाम से जानते है।
अंग्रेज भी काफी समय तक इस खूबसूरत जगह को कोई नाम नहीं दे पाये थे। फिर 1854 में अंग्रेजी हुकूमत के एक बड़े अधिकारी सर डोनाल्ड मैकलोड ने अपने उच्च अधिकारियों का एक सुझाव दिया की वह इस जगह का नाम भारत के तत्कालीन वाइसराय लार्ड डलहौजी के नाम पर रखे। इस प्रकार हिमाचल प्रदेश के इस खूबसूरत पर्यटक स्थल का नाम डलहौजी रखा गया। इस जगह का नाम डलहौजी रखने के बाद 1861 में इस पंजाब प्रान्त के गुरदासपुर जिले में शामिल किया गया।
गुरदासपुर में शामिल होने के कुछ समय के बाद धीरे-धीरे अंग्रेज अधिकारियों में एक आरामगाह के तौर पर मशहूर होने लगा। चंबा के पास स्थित डलहौजी हिमालय की पांच पहाड़ियों का एक समूह है। डलहौजी के अस्तित्व में आने से पहले ये पाँचों पहाड़ियां पोटरिन, बकरोटा, कथलगढ़, भंगोरा और तेराह के नाम से जानी जाती थी। ऐसा माना जाता है की इन डलहौजी के अस्तित्व में आने से पहले यह पांचों पहाड़ियां चंबा के शासकों के अधीन आया करती थी।
भारत की स्वंतंत्रता के बाद और एक लंबे समय के बाद 1966 में डलहौजी को भारत के हिमाचल प्रदेश में शामिल किया गया। वर्तमान में डलहौजी हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले का एक प्रमुख पर्यटक स्थल माना जाता है।
खजियार – Khajjiar
खजियार को भारत का मिनी स्विटरजरलैंड भी कहा जाता है। डलहौजी से 22 किलोमीटर की दूरी पर स्थित खजियार डलहौजी के पास स्थित सबसे प्रमुख पर्यटक स्थलों में एक माना जाता है। खजियार की समुद्र तल से ऊंचाई 1900 मीटर है (6299 फ़ीट)| हिमालय के पहाड़ो में स्थित होने के बावजूद भी खजियार की मैदानी पृष्ठभूमि काफी हद तक स्विस मैदानी इलाकों की झलक प्रदान करती है।
इसी मैदानी पृष्ठभूमि की वजह से खजियार को भारत का मिनी स्विट्जरलैंड कहा जाता है। खजियार के मैदानी इलाकों में स्थित खजियार झील भी पर्यटकों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र मानी जाती है। झील के आसपास स्थित विशाल और घने देवदार के पेड़ इस जगह को और भी खूबसूरत बनाते है।
डलहौजी के पास स्थित खजियार परिवार और दोस्तों के साथ पिकनिक मनाने और आराम के लिए सबसे उपयुक्त जगहों में से एक माना जाता हौ। इसके अलावा यहाँ पर आप घुड़सवारी, ट्रैकिंग और कुछ रोमांचक गतिविधियों का आनंद भी ले सकते है।
डैनकुंड पीक डलहौजी – Dainkund Peak Dalhousie in Hindi
डलहौजी से 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित डैनकुंड पीक डलहौजी के पास स्थित सबसे ऊंचे स्थानों में से एक है इसके अलावा यह जगह सिंगिंग हिल के नाम से भी प्रसिद्ध है। समुद्र तल से डैनकुंड पीक की ऊंचाई 2755 मीटर है (9000 फ़ीट)।
डैनकुंड पीक से हिमालय के बर्फ से ढके हुए पहाड़ो के बहुत ही शानदार और सुंदर दृश्य दिखाई देते है इस वजह से यह जगह डलहौजी के सबसे प्रमुख पर्यटक स्थलों में से एक मानी जाती है। बर्फीले पहाड़ों के अलावा डैनकुंड पीक से डलहौजी के नजदीक बहने वाली ब्यास, रावी और चेनाब नदी के बेहद सुंदर दृश्य दिखाई देते है।
डलहौजी के पास स्थित डैनकुंड पीक पिकनिक और ट्रैकिंग के लिये सबसे उपयुक्त जगहों में से एक मानी जाती है।
डैनकुंड पीक देखने का समय – Dainkund Peak Timings in Hindi
सुबह के 10:00 बजे से शाम 04:00 तक।
डैनकुंड पीक में प्रवेश शुल्क – Dainkund Peak Entry Fee in Hindi
प्रवेश निःशुल्क।
कालाटोप वन्यजीव अभ्यारण डलहौजी – Kalatop Wildlife Sanctuary Dalhousie in Hindi
डलहौजी से लगभग 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कालाटोप वन्यजीव अभ्यारण्य की समुद्र तल से ऊंचाई लगभग 2500मीटर है (8000 फ़ीट)। एक वन्यजीव अभ्यारण होने के साथ-साथ यह जगह डलहौजी के पास स्थित सबसे खूबसूरत प्राकृतिक परिदृश्य वाले स्थानों में से एक है। कालाटोप के शिखर से हिमालय के बर्फ से ढके हुए पहाड़ो के दृश्य बहुत खूबसूरत दिखाई देते है।
पर्यटक ट्रैकिंग करके कालाटोप के शिखर तक पहुँच सकते है। कालाटोप प्राकृतिक रूप से भी बेहद समृद्ध है। यह जगह विशाल और घने पेड़ो के जंगलों से घिरी हुई है यहाँ पर आप को ओक, देवदार जैसे वृक्ष देखने को मिलते है। वानस्पतिक समृद्धता के अलावा यहाँ का वन्यजीवन भी बेहद समृद्ध है। कालाटोप वन्यजीव अभ्यारण्य में मुख्य रूप से हिमालय के काले भालू, सियार, लंगूर, हिमालयन ब्लैक मार्टेन और तेंदुआ जैसे वन्यजीव देखने को मिलती है।
वन्यजीवों के अलावा अनेक प्रकार के स्थानीय और प्रवासी पक्षियों की प्रजातियाँ भी दिखाई देती है जिनमे तीतर, यूरेशियन जय, ब्लैक बर्ड और ब्लैक हेडेड जे प्रमुखता से देखे जा सकते है। रावी नदी के किनारे पर स्थित कालाटोप वन्यजीव अभ्यारण्य को खजियार वन्यजीव अभ्यारण्य के नाम से भी जाना जाता है। पर्यटकों के ठहरने के लिये कालाटोप में एक फारेस्ट गेस्ट हाउस भी बना हुआ है।
डलहौजी के पास स्थित लक्कड़मंडी से कालाटोप पर ट्रैकिंग करने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से लेकर मार्च महीने तक माना जाता है। ट्रेकिंग के अलावा यहाँ पर पर्यटक जंगल सफारी, बर्ड वॉचिंग, फोटोग्राफी और पिकनिक का आनंद भी ले सकते है।
कालाटोप वन्यजीव अभ्यारण में प्रवेश का समय – Kalatop Wildlife Sanctuary Timings in Hindi
सुबह के 07:00 बजे से शाम 06:00 तक।
कालाटोप वन्यजीव अभ्यारण में प्रवेश शुल्क – Kalatop Wildlife Sanctuary Entry Fee in Hindi
वाहन – 250/- प्रति वाहन
प्रवेश निःशुल्क।
सेंट फ्रांसिस कैथोलिक चर्च डलहौजी – St. Francis Catholic Church Dalhousie in Hindi
डलहौजी में सुभाष चौक से मात्र कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर स्थित सेंट फ्रांसिस कैथोलिक चर्च ब्रिटिश वास्तुकला का बेहद सुंदर उदाहरण प्रस्तुत करता है। सेंट फ्रांसिस कैथोलिक चर्च डलहौजी के प्रमुख पर्यटक स्थलों में एक माना जाता है। इस चर्च का निर्माण 1894 में कुछ ब्रिटिश अधिकारियों और स्थानीय नागरिकों के सहयोग से करवाया गया था।
चर्च के चारों तरफ स्थित देवदार के वृक्ष इस जगह को प्राकृतिक और शांत वातावरण प्रदान करते है। चर्च के अंदर काँच और पत्थरों पर बहुत महीन कारीगरी की गई है। चर्च की सभी दीवारों पर ब्रिटिश साम्राज्य के इतिहास के बारे विस्तार पूर्वक बताने का प्रयास किया गया हैं। सेंट फ्रांसिस कैथोलिक चर्च 100 साल से भी ज्यादा पुराना है लेकिन इसकी बनावट और रख-रखाव को देख कर ऐसा लगता है की इसका निर्माण अभी कुछ समय पहले ही करवाया गया है।
वर्तमान में इस चर्च की देख रेख की जिम्मेदारी जालंधर के कैथोलिक ईसाई समुदाय के द्वारा की जाती है। यह चर्च पूरे सप्ताह श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए खुला रहता है।
सेंट फ्रांसिस कैथोलिक चर्च डलहौजी देखने का समय – St. Francis Catholic Church Dalhousie Timings in Hindi
सुबह के 07:00 बजे से शाम 07:00 तक।
सेंट फ्रांसिस कैथोलिक चर्च डलहौजी में प्रवेश शुल्क – St. Francis Catholic Church Dalhousie Entry Fee in Hindi
प्रवेश निःशुल्क।
पंचपुला डलहौजी – Panchpula Dalhousie in Hindi
डलहौजी से मात्र 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित पंचपुला एक बेहद प्रसिद्ध पर्यटक स्थल है। यहाँ पर बहने वाले पांच छोटे-छोटे झरनों की वजह से इस जगह को पंचपुला कहा जाता है। घने देवदार के वृक्षों से घिरा हुआ पंचपुला परिवार और दोस्तों के साथ पिकनिक और ट्रैकिंग के लिए सबसे उपयुक्त जगह माना जाता है। ऐसा माना जाता है की पंचपुला में बहने वाले झरनों में औषधीय गुण पाये जाते है।
इस कारण यहाँ स्नान करने पर अनेक प्रकार के त्वचा रोगों से छुटकारा मिलता है। एक प्राकृतिक रमणीय स्थल होने के साथ-साथ इस जगह पर भारत के स्वंतंत्रता सेनानी वीर भगतसिंह के चाचा अजीत सिंह जी की समाधि भी बनी हुई है। पंचपुला डलहौजी और उसके आसपास के छोटे-बड़े गाँवो में पानी आपूर्ति का मुख्य स्त्रोत भी माना जाता है।
फोटोग्राफी, ट्रेकिंग और एडवेंचर पसन्द करने वाले पर्यटकों के लिए डलहौजी में पंचपुला सबसे उपयुक्त जगह माना जा सकता है। वैसे तो पर्यटक पूरे साल पंचपुला घूमने जा सकते है। लेकिन अगर आप को यहाँ बहने वाले झरनों का आनंद लेना है तो मानसून का समय सबसे अच्छा माना जाता है।
पंचपुला डलहौजी देखने का समय – Panchpula Dalhousie Timings in Hindi
दिन के किसी भी समय।
पंचपुला डलहौजी में प्रवेश शुल्क – Panchpula Dalhousie Entry Fee in Hindi
प्रवेश निःशुल्क।
सतधारा झरना डलहौजी – Satdhara Falls Dalhousie in Hindi
समुद्र तल से सतधारा झरने की ऊंचाई 2036 मीटर है और डलहौजी के मुख्य शहर से मात्र 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। सतधारा झरने से सात झरनों की धाराएं एक साथ नीचे गिरती है इसलिए इस झरने को सतधारा झरना कहा जाता है। सतधारा झरने तक पहुँचने के लिए पर्यटक पंचपुला के रास्ते एक छोटासा ट्रेक पूरा करके सतधारा झरने तक बड़ी आसानी से पहुँच सकते है।
ऐसा माना जाता है की सतधारा झरने का पानी औषधीय गुणों से भरपूर है। इस झरने के पानी से कई प्रकार के त्वचा रोग ठीक हो जाते है। अपने परिवार और दोस्तों के साथ शांत वातावरण में समय बिताने के लिए सतधारा एक बेहतरीन पर्यटक स्थल माना जाता है। सतधारा झरना हीलिंग डीप, ट्रैकिंग, पिकनिक और कायाकल्प जैसे गतिविधियों के लिए बहुत प्रसिद्ध स्थल है।
सतधारा झरना डलहौजी देखने का समय – Satdhara Falls Dalhousie Timings in Hindi
दिन के किसी भी समय।
सतधारा झरना डलहौजी में प्रवेश शुल्क – Satdhara Falls Dalhousie Entry Fee in Hindi
प्रवेश निःशुल्क।
गंजी पहाड़ी डलहौजी – Ganji Pahari Dalhousie in Hindi
गंजी पहाड़ी, डलहौजी के मुख्य शहर से मात्र 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। गंजी पहाड़ी की समुद्र तल से ऊंचाई लगभग 2085 मीटर है। गंजी पहाड़ी डलहौजी के पास स्थित बकरोटा हिल्स का ही हिस्सा माना जाता है। स्थानीय निवासी बकरोटा हिल्स को अपर बकरोटा के नाम से भी पुकारते है।
गंजी पहाड़ी डलहौजी के सबसे ऊँचे इलाकों में से एक है। गंजी पहाड़ी पर किसी भी प्रकार की वनस्पति नहीं पाई जाती है इसी वजह से इस पहाड़ को गंजी पहाड़ी के नाम से जाना जाता है। सर्दियों के मौसम में इस पहाड़ पर सबसे ज्यादा बर्फ देखी जा सकती है। इसी वजह से सर्दियों के मौसम में गंजी पहाड़ी पर्यटकों की पहली पसंद मानी जाती है।
डलहौजी से गंजी पहाड़ी तक पहुँचने के लिए आपको को लगभग एक घंटे का ट्रेक करना पड़ेगा। एक घंटा ट्रेक करने के बाद जब आप गंजी पहाड़ी की चोटी पर पहुंचते है तो यहाँ से आपको बर्फ से ढके हुए हिमालय के पहाड़ो के बहुत सुंदर दृश्य दिखाई देते है।
गंजी पहाड़ी डलहौजी देखने का समय – Ganji Pahari Dalhousie Timings in Hindi
दिन के किसी भी समय।
गंजी पहाड़ी डलहौजी में प्रवेश शुल्क – Ganji Pahari Dalhousie Entry Fee in Hindi
प्रवेश निःशुल्क।
सुभाष बावली डलहौजी – Subash Baoli Dalhousie in Hindi
डलहौजी में गाँधी चौक मात्र 1 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सुभाष बावली एक बहुत ही प्रसिद्ध पर्यटक स्थल है। भारत के वीर स्वंतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस के नाम पर इस जगह का नाम सुभाष बावली रखा गया है। डलहौजी में स्थित इस जगह पर 1937 में सुभाष चंद्र बोस स्वास्थ्य लाभ लेने के लिए आये थे। इस स्थान पर वह लगभग 7 महीने तक रुके हुए थे।
सुभाष चंद्र बोस के प्रवास स्थल के अलावा यह जगह अपने प्राकृतिक सौंदर्य की वजह से भी बहुत प्रसिद्ध है। सुभाष बावली के पास के एक खूबसूरत झरना भी बहता है। और इसके अलावा यहाँ से हिमालय पर्वत माला के बर्फ से ढके हुए पहाड़ो के भी बहुत सुंदर दृश्य दिखाई देते है।
अपने परिवार और दोस्तों के साथ कुछ सुकून भरे पल बिताने के लिए सुभाष बावली डलहौजी में एक आदर्श जगह मानी जात्ति है। खाने पीने के लिए सुभाष बावली के आसपास कई फ़ास्ट फ़ूड की दुकाने भी बनी हुई है।
सुभाष बावली डलहौजी देखने का समय – Subash Baoli Dalhousie Timings in Hindi
दिन के किसी भी समय।
सुभाष बावली डलहौजी में प्रवेश शुल्क – Subash Baoli Dalhousie Entry Fee in Hindi
प्रवेश निःशुल्क।
बकरोटा हिल्स डलहौजी – Bakrota Hills Dalhousie in Hindi
बकरोटा हिल्स डलहौजी और खजियार के बीच स्थित सबसे ऊँचे स्थानों में से एक है। डलहौजी से बकरोटा हिल्स की दूरी मात्र 6 किलोमीटर है और समुद्र तल से बकरोटा हिल्स की ऊँचाई लगभग 2085 मीटर है। बकरोटा हिल्स को अपर बकरोटा के नाम से भी जाना जाता है।
बकरोटा हिल्स से हिमालय पर्वतमाला के बर्फ से ढके हुए पहाड़ो के बहुत ही सुंदर और मनमोहने वाले दृश्य दिखाई देते है। अगर आपको ट्रैकिंग और फोटोग्राफी पसंद है तो डलहौज़ी में बकरोटा हिल्स सबसे उपयुक्त जगहों में से एक जगह है।
बकरोटा हिल्स डलहौजी देखने का समय – Bakrota Hills Dalhousie Timings in Hindi
दिन के किसी भी समय।
बकरोटा हिल्स डलहौजी में प्रवेश शुल्क – Bakrota Hills Dalhousie Entry Fee in Hindi
प्रवेश निःशुल्क।
रंग महल डलहौजी – Rang Mahal Dalhousie in Hindi
डलहौजी के सुरारा मोहल्ले में स्थित रंग महल को हिमाचल एम्पोरियम के नाम से भी जाना जाता है। 18वीं शताब्दी में निर्मित रंग महल का निर्माण उस समय डलहौजी के तत्कालीन राजा उम्मेद सिंह के द्वारा करवाया गया था। इस महल के निर्माण का मुख्य उद्देश्य राज परिवार की महिलाओं के निवास स्थान के रूप में करवाया गया था।
रंग महल के निर्माण में ब्रिटिश और मुगल कला का प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता हौ। महल की दीवारों पर पंजाब की पहाड़ी चित्र शैली में सुंदर चित्रकारी देखने को मिलती है। महल की दीवारों पर बने हुए चित्रों में मुख्य रूप भगवान श्रीकृष्ण के जीवन को प्रदर्शित करती पेंटिंग्स देखने को मिलती है। रंग महल को वर्तमान में एक स्मारक में बदल दिया गया है। डलहौजी में स्थित यह स्मारक अपने आसपास के क्षेत्र में सबसे बड़ा स्मारक मन जाता है।
रंग महल की अधिकांश एंटीक वस्तुएँ चंबा जिले के भूरीसिंह संग्रहालय में सुरक्षित रखी गई है। रंग महल में सजावट के लिए बड़ी संख्या में अनेक प्रकार के सुंदर चित्रों को महल की दीवारों पर लगाया गया था। वर्तमान में महल के अधिकांश चित्रों को दिल्ली में स्थित राष्ट्रीय संग्रहालय में प्रदर्शित किया जा रहा है। अगर आप को हस्तकला से निर्मित वस्तुएँ पसंद है तो रंग महल में स्थित हस्तकला की दुकान से आप हाथों से बनी हुई चप्पल, ऊनी शॉल, रुमाल, पेंटिंग्स, पुराने सिक्के, पुराने गहने और पांडुलिपियां खरीद सकते है।
हस्तशिल्प से निर्मित वस्तुओं के अलावा रंग महल से आप पारम्परिक वेशभूषा, हथियार, कवच और वाद्ययंत्र आदि खरीद सकते है। इसके अलावा आप घर की सजावट का सामान भी खरीद सकते है। रंग महल के कुछ कमरों को स्थानीय कारीगरों की कार्यशाला में परिवर्तित कर दिया गया है। इन कमरों में स्थानीय कारीगर हस्तकला से निर्मित वस्तुएँ बनाते रहते है जिन्हें यहाँ आने वाले पर्यटक उचित मूल्य पर खरीद सकते है।
रंग महल डलहौजी देखने का समय – Rang Mahal Dalhousie Timings in Hindi
पर्यटकों के लिए रंग महल सोमवार से लेकर शनिवार तक सुबह 10 बजे से लेकर दोपहर के 01 बजे तक खुलाता है और उसके बाद दोपहर के 02 बजे से लेकर शाम को 05 बजे तक खुला रहता है। रविवार के दिन रंग महल पर्यटकों के लिए बन्द रहता है।
रंग महल डलहौजी में प्रवेश शुल्क – Rang Mahal Dalhousie Entry Fee in Hindi
प्रवेश निःशुल्क।
डलहौजी में स्थानीय भोजन – Local Food in Dalhousie in Hindi
एक प्रसिद्ध पर्यटक स्थल होने के वजह से डलहौजी में अच्छा खाना खाने के लिए ढेरों विकल्प उपलब्ध है। उत्तर भारतीय भोजन और चाइनीज फ़ास्ट फ़ूड के लिए यहाँ पर बहुत सारे ढाबे, रेस्टोरेंट और फ़ास्ट फ़ूड कॉर्नर खुले हुए है।
अगर आप को हिमाचल का स्थानीय भोजन खाना पसंद है तो उसके लिए भी यहाँ पर कई भोजनालय खुले हुए है। हिमाचल का स्थानीय भोजन बेहद ही साधारण और स्वादिष्ट होता है यहाँ के स्थानीय भोजन में आप को दाल, चपाती, ग्रेवी और दही मिल जाएँगे।
डलहौजी में स्थानीय बाज़ार – Local Market in Dalhousie in Hindi
डलहौजी के मुख्य बाज़ार में गाँधीचौक का नाम सबसे ज्यादा और प्रमुखता से लिया जाता है। डलहौजी का गाँधीचौक में कई छोटे और बड़े स्थानीय बाजारों का समूह है। यहाँ के स्थानीय बाजारों से आप अपने ऊनी कपड़े, स्मृति चिन्ह और घरेलू उपयोग की वस्तुएँ खरीद सकते है।
तिब्बती हैंडीक्राफ्ट सेंटर, हिमाचल हैंडलूम एंड क्राफ्ट्स सेंटर, तिब्बती मार्केट और हिमाचल हैंडलूम इंडस्ट्री एम्पोरियम से आप हस्तशिल्प से निर्मित वस्तुएँ और गर्म कपड़ें खरीद सकते है। डलहौजी के स्थानीय बाजारों से आप कालीन, बैग, गुड़िया, पर्स और हस्तशिल्प की वस्तुएँ उचित मूल्य पर खरीद सकते है।
ठंडी सड़क पर स्थित हिमाचल हैंडलूम इंडस्ट्री एम्पोरियम पारम्परिक तरीके से बने हुए कश्मीरी शॉल के लिए बहुत प्रसिद्ध है। डलहौजी की स्थानीय महिलाओं ने 19वीं शताब्दी में भुट्टिको की स्थापना की यहाँ पर स्थानीय महिलाओं द्वारा बनाये गए गर्म कपड़े बहुत प्रसिद्ध है। इन महिलाओं द्वारा मेमने की ऊन से बनाये गए कुल्लू शॉल, पश्मीना शाल और अंगोरा पर्यटकों द्वारा बहुत पसंद किये जाते है।
अभी कुछ समय पहले ही इन महिलाओं के संगठन ने कढ़ाईदार शॉल भी बनाना शुरू किया है। इनके कढ़ाईदार शॉल ने बहुत कम समय में बहुत लोकप्रियता प्राप्त की है। कढ़ाईदार शॉल की कीमत 300/- रुपये प्रति शॉल से शुरू होती है।
डलहौजी घुमने का सबसे अच्छा समय – Best time to visit Dalhousie in Hindi
एक पर्वतीय पर्यटक स्थल होने की वजह से आप पूरे साल डलहौजी घूमने जा सकते है। लेकिन मार्च से लेकर मई तक का समय डलहौजी घूमने का सबसे अच्छा समय माना जाता है। इस समय यहाँ पर ना तो गर्मी पड़ती है और ना ही बहुत तेज ठंड होती है।
हाँ अगर आप को बारिश पसंद है तो आपको यहाँ पर मानसून के समय कई खूबसूरत झरने बहते हुए मिल जायेंगे। सर्दियों के मौसम में यहाँ पर आपको अच्छी बर्फ़बारी देखने को मिल सकती है अगर आप को बर्फ देखनी है तो आप सर्दियों के मौसम में भी यहाँ पर आ सकते है।
डलहौजी में होटल्स – Hotel in Dalhousie in Hindi
डलहौजी भारत के सबसे प्रसिद्ध पर्यटक स्थलों में एक माना जाता है। एक प्रसिद्ध पर्यटक स्थल होने की वजह से यहाँ पर आपके रुकने के लिए ढेरों विकल्प उपलब्ध है। डलहौजी में आपके रुकने के लिए हॉटेल, होस्टल और लॉज बने हुए है। आप सीधा डलहौजी पहुंच कर भी अपने हॉटेल या फिर यहाँ पर रुकने के लिए उपलब्ध अन्य विकल्प में अपने लिए कमरा बुक करवा सकते है।
पीक सीजन में यहाँ पर बिना बुकिंग के कमरा मिलने में परेशानी हो सकती है। इसलिए आप इंटरनेट पर ऑनलाइन हॉटेल बुकिंग वेबसाइट से आप अपने एडवांस में कमरा बुक करवा सकते है। होटल बुकिंग वेबसाइट पर आपको अनेक प्रकार के आफर भी मिल जाएँगे।
डलहौजी कैसे पहुँचे – How to reach Dalhousie in Hindi
हवाई जहाज से डलहौजी कैसे पहुँचे – How to reach Dalhousie by air in Hindi
एक पहाड़ी क्षेत्र होने की वजह से डलहौजी में कोई हवाई अड्डा नहीं बना हुआ है। लेकिन अगर आप आप हवाई जहाज से डलहौजी आना चाहते है तो पंजाब के पठानकोट हवाई अड्डे से डलहौजी से दूरी मात्र 87 किलोमीटर है। इसके अलावा हिमाचल प्रदेश के गग्गल हवाई अड्डे (कांगड़ा हवाईअड्डा) से दूरी मात्र 108 किलोमीटर है।
अगर आप विदेश से डलहौजी की यात्रा करना चाहते है तो पंजाब के चंडीगढ़ अंतराष्ट्रीय हवाईअड्डे से डलहौजी की दूरी मात्र 320 किलोमीटर है। इन तीनो जगहों से आप बस, टैक्सी और कैब द्वारा बहुत आसानी से डलहौजी पहुँच सकते है।
रेल से डलहौजी कैसे पहुँचे – How to reach Dalhousie by Train in Hindi
पंजाब के पठानकोट रेलवे स्टेशन से डलहौजी की दूरी मात्र 83 किलोमीटर है। पठानकोट भारत के लगभग सभी प्रमुख शहरों से ट्रैन द्वारा बहुत अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। लगभग सभी शहरों से पठानकोट के लिये नियमित रूप से रेल सेवा उपलब्ध रहती है। पठानकोट से आपको डलहौजी के लिए नियमित रूप से बस सेवा उपलब्ध मिल जाएगी इसके आप टैक्सी और कैब करके भी डलहौजी बहुत आसानी से पहुँच सकते है।
सड़क से डलहौजी कैसे पहुँचे – How to reach Dalhousie by Road in Hindi
डलहौजी अपने सभी नजदीकी शहरों से सड़क मार्ग द्वारा बहुत अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। चंडीगढ़, पठानकोट और गग्गल से डलहौजी के लिए नियमित रूप से बस सेवा उपलब्ध रहती है। इसके अलावा दिल्ली के ISBT से भी डलहौजी के लिए नियमित रूप से बस सेवा उपलब्ध रहती है। दिल्ली से डलहौजी की दूरी 567 किलोमीटर है।
अगर आप टैक्सी और कैब के द्वारा डलहौजी आना चाहते है तो आप बड़ी आसानी से डलहौजी पहुँच सकते है। और आप अपने निजी वाहन से डलहौजी आने चाहते तो भी आप बहुत आसानी से डलहौजी पहुँच सकते है।
(अगर आप मेरे इस आर्टिकल में यहाँ तक पहुंच गए है तो आप से एक छोटा से निवदेन है की नीचे कमेंट बॉक्स में इस लेख से संबंधित आपके सुझाव जरूर साझा करें, और अगर आप को कोई कमी दिखे या कोई गलत जानकारी लगे तो भी जरूर बताए। में यात्रा से संबंधित जानकारी मेरी इस वेबसाइट पर पोस्ट करता रहता हूँ, अगर मेरे द्वारा दी गई जानकारी आप को पसंद आ रही है तो आप अपने ईमेल से मेरी वेबसाइट को सब्सक्राइब जरूर करे, धन्यवाद )