मैक्लोडगंज के 20 पर्यटक स्थल 2024 | 20 Things To Do in McLeoadganj in Hindi in 2024 | 20 Places to visit in McLeoadganj in Hindi | McLeodganj in Hindi | McLeodganj Tourism | McLeodganj Tourist Places | Best Time To Visit McLeodganj | Part-02

मैक्लोडगंज का इतिहास – History of McLeodGanj in Hindi

19वीं शताब्दी में बसा हुआ मैक्लोडगंज शहर वर्तमान में हिमाचल  प्रदेश के प्रमुख पर्यटक स्थलों में से एक माना जाता है। वैसे तो मैक्लोडगंज, धर्मशाला का एक उपनगर है। लेकिन एक पर्यटक स्थल के रूप में यह खूबसूरत शहर अपनी एक अलग पहचान रखता है।  हिमालय की धौलाधार पर्वतश्रृंखला में स्थित मैक्लोडगंज सभी तरह के पर्यटकों के लिए एक आदर्श पर्यटक स्थल माना जाता है।

अगर आप अपनी दैनिक दिनचर्या से हटकर कर कुछ रोमांचक करना चाहते है तो मैक्लोडगंज के आसपास कुछ ऐसी जगह है जहाँ पर आप अपने रोमांच की भूख को शांत कर सकते है। इसके अलावा अगर आप अपनी भागदौड़ वाली जीवन शैली से दूर कुछ सुकून भरे पल बिताना चाहते है तो यहाँ पर बने हुए बौद्ध मठ आपको आंतरिक शांति प्रदान कर सकते है।

एक प्रसिद्ध पर्यटक स्थल होने के साथ-साथ मैक्लोडगंज हिमाचल के गद्दी समुदाय और बौद्ध धर्म अनुयायियों के लिए एक धार्मिक तीर्थ स्थल भी है। पूरे साल बौद्ध धर्म मे विश्वास रखने वाले लोग मैक्लोडगंज में बने हुए बौद्ध मठों की यात्रा करते रहते है। इसके अलावा मैक्लोडगंज में  तिब्बत से आये हुए 14वें दलाई लामा का निवास स्थान बना हुआ है इस वजह से भी बौद्ध धर्म अनुयायी इस शहर की यात्रा करना पसंद करते है।

मैक्लोडगंज के स्थानीय निवासियों में आपको हिमाचल के गद्दी समुदाय और तिब्बत से आये हुए शरणार्थियों की संख्या ज्यादा देखने को मिल सकती है। स्थानीय निवासियों के अलावा मैक्लोडगंज में आपको कुछ ऐसे विदेशी नागरिक भी दिखाई दे सकते है जो कि आये तो यहाँ पर घूमने के लिए थे लेकिन इस जगह की खूबसूरती ने उन लोगों को वापस अपने देश लौटने नहीं दिया।

वर्तमान में जितने भी विदेशी नागरिक मैक्लोडगंज में रहते है उन सभी लोगों ने यहाँ पर अपना जीवनयापन करने के लिए रेस्टोरेंट या फिर शॉप्स खोल ली है। कुल मिला कर धर्मशाला का इस उपनगर मैक्लोडगंज ने अपने अस्तित्व में आने के बाद से ही सभी तरह के लोगों का दिल खोल कर स्वागत किया है। मैक्लोडगंज जितना प्राकृतिक रूप से विविध है उससे कहीं ज्यादा विविधता आपको यहाँ के स्थानीय निवासियों में देखने को मिलती है।

यही सामाजिक विविधिता मैक्लोडगंज का एक खूबसूरत पर्यटक स्थल बनाती है, जहाँ पर आपको सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के कई दूसरे देशों की संस्कृति को महसूस करने का मौका मिलता है। बस आपको इस बात का ख्याल रखना है कि जब आप मैक्लोडगंज घूमने जाएं आप एक ट्रेवलर बन कर जाएं ना कि एक टूरिस्ट…

अघंजर महादेव मैक्लोडगंज – Aghanjar Mahadev Temple McLeodganj In Hindi


Aghanjar Mahadev Temple McLeodganj | Click on Image For Credits

मैक्लोडगंज से 12 किलोमीटर पहले एक गांव आता है खनियारा । खनियारा गांव में एक प्राचीन शिव मंदिर बना हुआ है जिसके लिए कहा जाता है की इस प्राचीन मंदिर का निर्माण महाभारत काल में पांडवों ने करवाया था। यह प्राचीन शिव मंदिर यहाँ पर अघंजर महादेव के नाम से जाना जाता है। मंदिर निर्माण से जुडी हुई पौराणिक कथा के अनुसार बराह पर्व के समय जब पांडवों का अज्ञातवास मिला हुआ था तब अर्जुन ने भगवान शिव से पशुपति अस्त्र प्राप्त करने के लिए यहाँ पर एक गुफा में गुप्तेश्वर महादेव की स्थापना की थी।

उसके बाद जब महाभारत का युद्ध समाप्त हो गया था तब सभी पांडव अपने द्वारा किये गए पापों  से मुक्त होने के लिए हिमालय पर्वत की यात्रा पर निकल गये उस समय रास्ते में अर्जुन ने दोबारा गुप्तेश्वर महादेव के दर्शन किये और अपने भाइयों के साथ मिल कर  इस स्थान पर अघंजर महादेव मंदिर का निर्माण करवाया। इस मंदिर के निर्माण का पीछे  मुख्य कारण  यह माना जाता है की महाभारत के युद्ध के समय पांडवों ने अपने भाइयों, गुरुओं और पूर्वजों का वध किया था।

इस कारण सभी भाई अपने आप को पाप का भागी मानते थे, और अपने इन्ही पापों से मुक्ति पाने के लिए पांडवों ने इस स्थान पर अघंजर महादेव मंदिर का निर्माण करवाया। अघंजर महादेव मंदिर में महाराजा रणजीत सिंह से जुड़े हुए इतिहास का उल्लेख भी मंदिर परिसर में बने हुए शिलालेख पर किया गया है। मंदिर परिसर में एक तीन सौ साल पुराने शिलालेख पर महाराजा रणजीत सिंह की इस मंदिर से जुडी हुई यात्रा का वर्णन किया गया है, शिलालेख के अनुसार महाराजा रणजीत सिंह एक बार शिकार करते हुए भटक गए और गलती से इस प्राचीन अघंजर महादेव मंदिर के पास पहुँच गए।

अघंजर महादेव मंदिर के पुजारी से महाराजा रणजीत सिंह इतने ज्यादा प्रभावित हुए की उसके बाद उन्होंने कई बार इस प्राचीन शिव मंदिर की यात्रा की थी। अघंजर महादेव मंदिर में एक अखंड धुना है जो की लगातार जलता रहता है। अघंजर महादेव मंदिर की यात्रा के समय श्रद्धालु गुफा में बने हुए गुप्तेश्वर महादेव मंदिर के दर्शन जरूर करते है। इस प्राचीन मंदिर की प्रसिद्धि का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है की बहुत सारे विदेशी यात्री भी अघंजर महादेव मंदिर की नियमित रूप से यात्रा करते है

अघंजर महादेव मंदिर दर्शन का समय – Aghanjar Mahadev Temple Timings in Hindi

सुबह 05:00 से लेकर रात को 09:00

अघंजर महादेव मंदिर में प्रवेश शुल्क – Aghanjar Mahadev Temple Entry Fee in Hindi

प्रवेश निःशुल्क

कालचक्र मंदिर मैक्लोडगंज – Kalachakra Temple McLeodganj in Hindi


Kalachakra Temple McLeodganj | Click on imge for Credits

मैक्लोडगंज के मुख्य शहर से मात्र 2.5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कालचक्र मंदिर का निर्माण 1992 में करवाया गया था। बौद्ध धर्म और तिब्बती समुदाय से जुड़ा हुआ कालचक्र मंदिर श्रद्धालुओं और पर्यटकों में बेहद प्रसिद्ध है। यह मंदिर समय की अवधारणा पर आधारित है इसलिए इसे कालचक्र मंदिर कहा जाता है।

मंदिर के भीतरी भाग में बने हुए 722 भित्ति चित्र बौद्ध धर्म से जुड़े हुए देवताओं और केंद्रीय कालचक्र छवि को दर्शाते हैं। कालचक्र मंदिर की दीवारों और स्तम्भों पर तिब्बत की प्राचीन थंगका शैली से चित्रों को उकेरा गया है। भित्ति चित्रों के अलावा मंदिर में शाक्यमुनि बुद्ध की प्रतिमा भी स्थापित की गई है। कालचक्र मंदिर परिसर में पर्यटकों और श्रद्धालुओं के लिए एक पुस्तकालय और एक कैफ़े भी बना हुआ है।

तिब्बती कैलेंडर के तीसरे महीने के 15वें दिन इस मंदिर में वार्षिकोत्सव का आयोजन किया जाता है जिसमे भाग लेने के लिए बड़ी संख्या में बौद्ध और तिब्बती समुदाय से जुड़े हुए लोग कालचक्र मंदिर आते है। प्राचीन तिब्बत शैली से तैयार किये गए कालचक्र मंदिर के आंतरिक सजावट किसी भी व्यक्ति को मंत्रमुग्ध करने में सक्षम है।

कालचक्र मंदिर मैक्लोडगंज में स्थित थेक्चेन चोलिंग मंदिर परिसर के भीतरी भाग में बना हुआ है। पर्यटकों में कालचक्र मंदिर आश्चर्यजनक भित्ति चित्रों के लिए प्रसिद्ध है।

कालचक्र मंदिर देखने का समय – Kalchakra Temple Timing in Hindi

सुबह के 05:00 बजे से लेकर रात को 09:00 बजे तक

कालचक्र मंदिर प्रवेश शुल्क – Kalchakra Temple Entry Fee in Hindi

प्रवेश निःशुल्क

नेचुंग मठ मैक्लोडगंज – Nechung Monastery McLeodganj in Hindi


Nechung Monastery McLeodganj | Click on Image for Credits

मैक्लोडगंज में स्थित नेचुंग मठ बौद्ध और तिब्बती लोगों के लिए धार्मिक आस्था का बड़ा केंद्र माना जाता है। मुख्य शहर से मात्र 3.4 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह नेचुंग मठ बौद्ध और तिब्बती समुदाय के लोगों के लिए ऐतिहासिक महत्व भी रखता है। नेचुंग मठ अन्य बौद्ध मठों से एकदम अलग है, इस मठ में पूर्व-बौद्ध संस्कार, नेचुंग कब्जे और भूत भगाने वाली क्रियाएँ ज्यादा की जाती है।

इस वजह से इस मठ का माहौल थोड़ा डरावना भी लगता है। इन सभी क्रियाओँ के अलावा मठ के आंतरिक भाग में जितनी भी कलाकृतियां और भित्ति चित्र बनाई गए है वह भी अन्य बौद्ध मठों से बिल्कुल अलग बनाये गए है। मठ में भीतरी भाग में चमकदार अजीब आकृतियाँ बनाई गई है। चमकीली आकृतियों के अलावा मठ में नागों और मानवों की पेंटिंग, सिर और पैर की पेंटिंग और पतले कपड़ों की माला के साथ क्रोधी देवताओं की कलाकृतियां भी बनाई गई है।

मठ के मुख्य हॉल के स्तम्भों पर बौद्ध धर्म के पौराणिक जानवरों की आकृतियाँ भी उकेरी गई है जैसे कुंडली लगाए हुए साँप और ड्रैगन। नेचुंग मठ 1959 तक तिब्बत की ओरेकल सीट थी, इसके अलावा यह भी माना जाता है कि नेचुंग परम पावन दलाई लामा और तिब्बत के रक्षक देवता है। इस वजह से बौद्ध और तिब्बत के इतिहास में नेचुंग को बहुत ज्यादा महत्व दिया गया है।

18वीं शताब्दी में नेचुंग ने तिब्बती सरकार के लिए आध्यात्मिक मार्गदर्शक के तौर पर काम किया था। बौद्ध और तिब्बती सम्प्रदाय के लोग नेचुंग को कुटेन भी कहते है। ऐसा माना जाता है की जब कोई माध्यम ट्रान्स जैसी स्थिति में पहुँच जाता है तो रक्षक देवता माध्यम के शरीर पर कब्जा कर लेते है और वर्तमान दलाई लामा और तिब्बती नेताओं को सलाह और भविष्यवाणी करके बताते है।

1959 से पहले तिब्बत के ल्हासा के मूल नेचुंग मठ में 115 भिक्षु रहा करते थे लेकिन 1959 की क्रांति के बाद सिर्फ 06 बौद्ध भिक्षु तिब्बत से भारत भाग कर आने में सफल हुए। उसके बाद तत्कालीन भारत सरकार ने उन भिक्षुओं को यहाँ पर नेचुंग मठ बनाने के लिए अनुमति प्रदान की। उसके बाद 1977 में नए नेचुंग मठ का निर्माण शुरू किया गया और 1984 में यह मठ बन कर पूरी तरह से तैयार हो गया।

नेचुंग मठ से जुड़े हुए धार्मिक महत्व के कारण आसपास के सभी बौद्ध सम्प्रदाय के लोग इस मठ की यात्रा करते रहते है।

नेचुंग मठ प्रवेश का समय – Nechung Monastery Timings

दिन के किसी भी समय

नेचुंग मठ प्रवेश शुल्क – Nechung Monastery Entry Fee

प्रवेश निःशुल्क

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नड्डी गाँव मैक्लोडगंज – Naddi Village McLeodganj in Hindi

Naddi Village McLeodganj | Ref Imgae

मैक्लोडगंज से मात्र 04 किलोमीटर की दूरी पर स्थित नड्डी गांव हिमालय की धौलाधार पर्वत श्रृंखला में स्थित एक बेहद खूबसूरत गाँव है। समुद्रतल से 2180 मीटर (7154 फ़ीट) की ऊंचाई पर स्थित नड्डी गाँव अपने यहाँ से दिखाई देने वाले खूबसूरत प्राकृतिक  दृश्यों की वजह से पर्यटकों में बेहद प्रसिद्ध है।

अधिकांश पर्यटक ट्रैकिंग करके इस गाँव की यात्रा करना बहुत पसंद करते है। दलाई लामा की वजह से भी नड्डी गाँव को एक अलग पहचान मिली है। स्वयं दलाई लामा भी इस गाँव बेहद पसंद करते है और वर्ष में कई बार वह नड्डी गाँव में समय बिताने के लिए जाते है। अगर आप की किस्मत अच्छी रही तो आप यहाँ पर दलाई लामा से भी मिल सकते है।

अगर आप को ट्रैकिंग पसंद है तो आप को मैक्लोडगंज से नड्डी गाँव की पैदल यात्रा जरूर करना चाहिए। वर्ष के अप्रैल महीने से लेकर अक्टूबर महीने को नड्डी गाँव की यात्रा का सबसे अच्छा समय माना जाता है। बाकी आप पूरे साल कभी भी नड्डी गांव घूमने जा सकते है। बस आपको मानसून के मौसम में विशेष सावधानी बरतनी होगी

नड्डी गाँव देखने का सबसे अच्छा समय – Best Time To visit Nadi Village in Hindi

अप्रैल से लेकर अक्टूबर…

नड्डी गाँव देखने का समय – Naddi Village Timings

दिन के किसी भी समय

नड्डी गाँव प्रवेश शुल्क – Naddi Village Entry Fee

प्रवेश निःशुल्क

लाहेश गुफा – Lahesh Caves In Hindi

Lahesh Caves | Ref Image

त्रिउंड से लगभग 3.4 किलोमीटर की दूरी पर स्थित लाहेश गुफा रोमांचक और साहसिक गतिविधि पसंद करने वाले यात्रियों की पसंदीदा जगहों में से एक है। लाहेश गुफाएँ मूल रूप से एक कैंपिंग ग्राउंड है। समुद्रतल से 3500 मीटर (11482 फ़ीट) की ऊंचाई पर स्थित लाहेश गुफा मैक्लोडगंज के पास स्थित सबसे लोकप्रिय और साहसिक स्थलों में से एक है।

लाहेश गुफाओं के बारे में बहुत ही कम यात्रियों को पता होता है। इसलिए अधिकांश यात्री मैक्लोडगंज या फिर धर्मकोट से त्रिउंड तक ही यात्रा करते है। असली रोमांचक और साहसिक गतिविधि पसंद करने वाले यात्री अपनी त्रिउंड यात्रा के साथ-साथ लाहेश गुफा की यात्रा भी जरूर करते है। लाहेश गुफा हिमालय की धौलाधार पर्वतश्रृंखला के ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों से चारों तरफ से घिरी हुई है।

इसके अलावा इस जगह के आसपास के क्षेत्र में हरे-भरे शंकुधारी वन भी है जो इस जगह को और भी रोमांचक बना देते है। लाहेश गुफा तक पहुंचने के दो मुख्य रास्ते है पहला रास्ता मैक्लोडगंज से होकर जाता है और दूसरा रास्ता धर्मकोट से गालु देवी मंदिर होते हुए जाता है। धर्मकोट से लाहेश गुफा के रास्ता मैक्लोडगंज से 02 किलोमीटर छोटा है।

अगर आप लाहेश गुफा तक पहुँच कर कैंपिंग करना चाहते है तो आप धर्मशाला और मैक्लोडगंज की किसी भी स्थानीय साहसिक गतिविधि आयोजित करने वाली संस्था से सम्पर्क कर सकते है। लाहेश गुफा तक ट्रैकिंग और कैंपिंग करने का शुल्क 2500/- रुपये से शुरू होता है।

लाहेश गुफा तक जाने का सबसे अच्छा समय – Best time to visit Lahesh Caves in Hindi

मार्च से लेकर मई तक और सितंबर से लेकर दिसंबर तक

लाहेश गुफा प्रवेश शुल्क – Lahesh Caves Entry Fee in Hindi

2500/- से शुरू…

लाहेश गुफा देखने का समय – Lahesh Caves Timings in Hindi

सोमवार से शनिवार सूबह 08:00 बजे से लेकर शाम को 05:00 बजे तक

तिब्बत संग्रहालय मैक्लोडगंज – Tibet Museum McLeodganj in Hindi

Tibet Museum McLeodganj | Ref Image

मैक्लोडगंज के मुख्य शहर से मात्र 2.4 किलोमीटर की दूरी पर स्थित तिब्बत संग्रहालय केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के सूचना और अंतरराष्ट्रीय संबंधों के विभाग का आधिकारिक संग्रहालय है। यह संग्रहालय मैक्लोडगंज में स्थित त्सुगलाक्खांग (Tsuglagkhang) के मुख्य मंदिर के पास में ही बना हुआ है।

तिब्बत संग्रहालय में चीन द्वारा तिब्बत पर कब्जे और चीन द्वारा किये जा रहे मानव अधिकारों के हनन के प्रति लोगों में जागरूकता लाना है। इसके अलावा इस संग्रहालय में तिब्बत की संस्कृति और इतिहास के बारे में भी बताया जाता है। तिब्बत संग्रहालय में अब तक 30000 चित्रों का संग्रह किया जा चुका है और इसके अलावा संग्रहालय में एक यात्रा प्रदर्शनी और तिब्बत निर्वासित होने के बाद के दस्तावेजों के संग्रह किया गया है।

तिब्बत संग्रहालय की स्थापना का मुख्य उद्देश्य लोगों को तिब्बत के इतिहास और संस्कृति से अच्छी तरह से अवगत करवाना है। 30 अप्रैल 2000 को 14वें दलाई लामा ने एक सार्वजनिक कार्यक्रम में तिब्बत संग्रहालय का उदघाटन किया। उदघाटन कार्यक्रम में उस समय लगभग 300 गणमान्य व्यक्तियों और स्वयंसेवकों ने भाग लिया था।

इस संग्रहालय में तिब्बत के इतिहास और धार्मिक ग्रंथों को तश्वीरों और वीडियो के माध्यम से प्रस्तुत किया जाता है।

तिब्बत संग्रहालय देखने का समय – Tibet Museum Timing in Hindi

गर्मियों में सुबह 09:00 बजे से शाम 06:00 बजे तक

सर्दियों में (अक्टूबर से मार्च) सुबह 09:00 बजे से शाम 05:00 बजे तक

नोट:-

01 सोमवार और शनिवार के दिन अवकाश रहता है।

(सप्ताह के बाकी दिन संग्रहालय खुला रहता है)

02 भारत के राष्ट्रीय अवकाश और तिब्बती छुट्टियों के समय संग्रहालय बंद रहता है।

तिब्बत संग्रहालय प्रवेश शुल्क – Tibet Museum Entry Fee in Hindi

प्रवेश निःशुल्क

करेरी झील मैक्लोडगंज – Kareri River McLeodganj in Hindi

Kareri Lake McLeodganj | Ref Image

हिमालय की धौलाधार पर्वतश्रृंखला में स्थित मनकियानी चोटी से पिघली हुई बर्फ के पानी से निर्मित करेरी झील मैक्लोडगंज पास स्थित सबसे खूबसूरत स्थानों में से एक है। करेरी झील के पास में गद्दी जाती के लोगों एक गाँव है जिसका नाम करीरी है, इस गाँव के नाम पर ही इस झील का नाम करेरी झील रखा गया है।

करीरी गाँव की इस झील से दूरी लगभग 09 किलोमीटर है। कांगड़ा जिले में स्थित ये झील धौलाधार पर्वतश्रृंखला की ताजा और मीठे पानी की झील है। ताजा पानी की झील होने की वजह से इस झील का पानी बिलकुल साफ और पारदर्शी है। इस झील का पानी इतना साफ है कि आप अपनी नंगी आँखों से इस झील का तल देख सकते है। करेरी झील की समुद्रतल से ऊँचाई 2934 मीटर (9625 फ़ीट) है।

धौलाधार पर्वतश्रृंखला में स्थित करेरी झील मैक्लोडगंज के पास स्थित सबसे शानदार ट्रैकिंग डेस्टिनेशन में से एक मानी जाती है। अत्यधिक ठंड की वजह से यह झील दिसंबर से लेकर अप्रैल महीने तक पूरी तरह से जमी हुई रहती है। झील के पास में स्थित एक पहाड़ को चोटी पर भगवान शिव को समर्पित एक प्राचीन मंदिर भी बना हुआ है। झील से कुछ किलोमीटर की दूरी गद्दी जाती के लोगों के पुराने घर भी बने हुए है।

यहाँ रहने वाले गद्दी समुदाय के लोगों झील के पास में स्थित घास के मैदानों को अपने पालतू जानवरों के चारागाह के तौर पर उपयोग करते है। अगर आप के पास समय है तो आप करेरी झील से आगे स्थितमिंकियानी दर्रा (4250 मीटर) और बलेनी दर्रा (3710 मीटर) तक भी जा सकते है। आप जब करेरी झील ट्रेक करते है तो आप ट्रेक के दौरान कई शिविर मिलते है।

इन शिविर में  आप को खाने के कई प्रकार के विकल्प मिल जाते है जो आप की यात्रा को सुविधाजनक बना देते है। करेरी झील का ट्रैक मध्यम कठिनाई स्तर का ट्रैक है जिसे आप 02 दिन में पूरा कर सकते है। करेरी झील ट्रेक की पूरी जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें

कांगड़ा घाटी ट्रेक मैक्लोडगंज -Kangra Valley Trek McLeodganj in Hindi

Kangra Velly Trek McLeodganj | Ref Image

अगर आपको धौलाधार पर्वतश्रृंखला की खूबसूरती को नज़दीक से देखना है तो आपको मैक्लोडगंज से शुरू होने वाले कांगड़ा घाटी ट्रेक पर जरूर जाना चाहिए। कांगड़ा घाटी ट्रेक के दौरान आप धौलाधार पर्वतश्रृंखला के बर्फ़ीले पहाड़ो के अलावा सुंदर झीलों, प्राचीन मंदिरों और कई पुराने हिन्दू गाँव को नज़दीक से देखने का मौका मिलता है।

कांगड़ा घाटी का ट्रैक मैक्लोडगंज से शुरू होकर करेरी झील और करीरी गांव से होकर गुजरता है। कांगड़ा घाटी ट्रेक भी एक मध्यम कठिनाई वाला ट्रेक है, ट्रेक के दौरान आप विशाल पेड़ों के जंगलों और खड़ी ढलानों से होकर गुजरना पड़ता है। मैक्लोडगंज से शुरू होने वाला कांगड़ा घाटी ट्रेक मैक्लोडगंज में करने वाली सबसे अच्छी चीज़ों में से एक माना जाता है।

कांगड़ा घाटी ट्रेक करने का सबसे अच्छा समय मार्च से लेकर अक्टूबर तक माना जाता है। कांगड़ा घाटी ट्रेक की पूरी जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें

लाका ग्लेशियर ट्रेक मैक्लोडगंज – Laka Glacier Trek McLeodganj in Hindi

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मैक्लोडगंज के पास में स्थित लाका ग्लेशियर ने वर्तमान में पर्यटन के क्षेत्र में बहुत लोकप्रियता प्राप्त की है। समुद्रतल से 3200 मीटर (10498 फ़ीट) की ऊँचाई पर स्थित लाका ग्लेशियर से घाटी के बेहद आश्चर्यजनक और शानदार दृश्य दिखाई देते है। आप त्रिउंड ट्रेक करते समय लाका ग्लेशियर के ट्रेक को भी अपनी बकेट लिस्ट में शामिल कर सकते है।

लाका ग्लेशियर के सबसे खास बात यह है कि यह ग्लेशियर धौलाधार पर्वतश्रृंखला की स्नो लाइन के एकदम पास में स्थित है। अगर आप लंबे समय के लिए मैक्लोडगंज आये है तो आपको त्रिउंड ट्रेक करते समय लाका ग्लेशियर ट्रेक भी पूरा करना चाहिये। यह एक ऐसा ट्रेक है जो कि आपको अपने जीवन के सबसे शानदार दृश्य दिखा सकता है।

लाका ग्लेशियर जुलाई के बाद पिघलना शुरू हो जाता है और मानसून पूरा होते-होते इस ग्लेशियर की सारी बर्फ़ पिघल जाती है। अगर आप को इस ग्लेशियर पर बर्फ़ के समय ट्रेक करना है तो मार्च से लेकर जून का समय सबसे अच्छा माना जाता है।मैक्लोडगंज में भागसूनाग मंदिर और त्रिउंड होते हुए आप लाका ग्लेशियर तक पहुँच सकते है।

इस ग्लेशियर तक ट्रेक करते समय आप ओक, रोडोडेंड्रोन और देवदार के विशाल पेड़ों से होते हुए त्रिउंड के घास के मैदानों तक पहुँचते है। त्रिउंड ट्रेक पूरा करने के बाद लाका ग्लेशियर का ट्रैक शुरू कर सकते है। लाका ग्लेशियर की पूरी जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें

तिब्बती इंस्टीट्यूट ऑफ परफॉर्मिंग आर्ट्स (टीआईपीए) मैक्लोडगंज – Tibetan Institute of Performing Arts (TIPA) McLeodganj in Hindi

Tibetan Institute of Performing Arts (TIPA) McLeodganj | Ref Image

मैक्लोडगंज में स्थित तिब्बती इंस्टीट्यूट ऑफ परफॉर्मिंग आर्ट्स (टीआईपीए) की स्थापना स्वयं दलाई लामा ने तिब्बत के पारम्परिक तिब्बती नृत्य, संगीत, संस्कृति और कला को जीवित रखने के लिए की थी। आप अपनी मैक्लोडगंज यात्रा के समय तिब्बती इंस्टीट्यूट ऑफ परफॉर्मिंग आर्ट्स (टीआईपीए) में आयोजित किये जाने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों को जरूर देखें।

इन सांस्कृतिक कार्यक्रमों के कारण आप तिब्बत की संस्कृति और कला को नज़दीक से जानने का मौका भी मिलेगा और आपको एक अलग तरह का अनुभव भी प्राप्त होगा। इस इंस्टिट्यूट में प्रति वर्ष 10 दिवसीय वार्षिक उत्सव का आयोजन किया जाता है।

यहाँ आयोजित किये जाने वाले कार्यक्रमों में कलाकारों द्वारा पारम्परिक वेशभूषा पहन कर नृत्य और गायन की प्रस्तुतियां दी जाती है। इन सब के अलावा तिब्बती लोक गीत, मूर्खों, चुड़ैलों और योगियों की दिलचस्प कहानियाँ सुनाई जाती है।

तिब्बती इंस्टीट्यूट ऑफ परफॉर्मिंग आर्ट्स (टीआईपीए) देखने का समय – Tibetan Institute of Performing Arts (TIPA) Timings in Hindi

इंस्टीट्यूट की समयसारणी वार्षिकोत्सव के समय दी जाने वाली प्रस्तुति पर निर्भर करती है।

तिब्बती इंस्टीट्यूट ऑफ परफॉर्मिंग आर्ट्स (टीआईपीए) प्रवेश शुल्क – Tibetan Institute of Performing Arts (TIPA) Entry Fee in Hindi

01 वयस्क: INR 50

02 कैमरा शुल्क: INR 100

03 वीडियो कैमरा शुल्क: INR 500

कोरा सर्किट मैक्लोडगंज – Kora Circuit McLeodganj in Hindi

Kora Circuit McLeodganj | Ref Image

मैक्लोडगंज में त्सुगलाक्खांग (Tsuglagkhang) पास में स्थित कोरा सर्किट एक प्रसिद्ध गतिविधि है। कोरा सर्किट वास्तव में 1.5   किलोमीटर का पैदल मार्ग है जिसे पूरा करने में आप कुछ ही मिनट लगते है। 1.5 किलोमीटर का यह पैदल मार्ग में तिब्बती झंडों से लिपटा हुआ है, जिसमें तिब्बती झंडों के अलावा चोर्टेंस और तिब्बती प्रार्थना पहिये भी लगे हुए है।

इस मार्ग तिब्बत के उन  130 लोगों की तश्वीरें भी लगी हुई है जिन्होंने चीनी नियमों के विरोध में आत्मदाह किया था। मैक्लोडगंज में त्सुगलाक्खांग (Tsuglagkhang) पास में स्थित कोरा सर्किट मात्र कुछ मिनट की गतिविधि है। लेकिन यह गतिविधि आपको आत्मिक और सांसारिक चिंताओं से मुक्ति दिलाने में सहायता करती है।

मैक्लोडगंज में योग सत्र और स्पा थेरेपी – Yoga sessions and Spa Therapies in McLeodganj in Hindi

Yoga sessions and Spa Therapies in McLeodganj j | Ref Image

मैक्लोडगंज आने वाले कई पर्यटक यहाँ में सिर्फ बौद्ध मठ, पहाड़ो में ट्रैकिंग या फिर आसपास में स्थित पर्यटक स्थलों को देखने के लिए नहीं आते है। बल्कि कई पर्यटक तो यहाँ पर आध्यात्मिक शांति और भौतिक चिंताओं से मुक्ति प्राप्त करने के लिए भी आते है। मैक्लोडगंज में ऋषिकेश की तरह ही कई योग साधना केंद्र बने हुए है।

यहाँ सिर्फ नहीं ऐसे कई योग साधना केंद्र जिनसे आप योग सत्र और स्पा थेरेपी के अलावा विभिन्न तरह के उपचार भी ले सकते है जो कि आपके शरीर और दिमाग को फिर से सक्रिय करने में सहायता प्रदान करते है। आपको समय निकाल कर  मैक्लोडगंजके स्थित योग साधना केंद्र और आयुर्वेदिक कायाकल्प केंद्र का दौरा जरूर करना चाहिये।

मैक्लोडगंज के पास घूमने के जगह – Places to Visit near McLeoadganj in Hindi

धर्मशाला Part-01 ,धर्मशाला Part-02, खज्जियार , डलहौज़ी  Part-01, डलहौज़ी  Part-02, चम्बा , मणिमहेश , मैक्लोडगंज Part-01

(अगर आप मेरे इस आर्टिकल में यहाँ तक पहुंच गए है तो आप से एक छोटा से निवदेन है की नीचे कमेंट बॉक्स में इस लेख से संबंधित आपके सुझाव जरूर साझा करें, और अगर आप को कोई कमी दिखे या कोई गलत जानकारी लगे तो भी जरूर बताए।  में यात्रा से संबंधित जानकारी मेरी इस वेबसाइट पर पोस्ट करता रहता हूँ, अगर मेरे द्वारा दी गई जानकारी आप को पसंद आ रही है तो आप अपने ईमेल से मेरी वेबसाइट को सब्सक्राइब जरूर करे, धन्यवाद )

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