मुनस्यारी के 20 पर्यटक स्थल | मुनस्यारी उत्तराखंड | Places to Visit in Munsiyari in Hindi 2024 | Munsiyari Tourist Places in Hindi | Munsiyari Tourism | Munsiyari in Hindi | Things to do in Munsiyari in Hindi | Munsiyari Travel Guide in Hindi
मुनस्यारी का इतिहास | Munsiyari History in Hindi
उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले का छोटा सा गांव मुनस्यारी एक बेहद ही खूबसूरत पर्वतीय स्थल है। इसके साथ नेपाल और तिब्बत की सीमाओं के पास में स्थित होने की वजह से हमें यहाँ पर सांस्कृतिक विविधता भी देखने को मिलती है। अब जो बात मुनस्यारी को एक आदर्श पर्यटक स्थल बनाती है, वो है मुनस्यारी से दिखाई दिए जाने वाले हिमालय के विशाल पर्वत जैसे पंचाचूली पर्वत (स्थानीय लोककथाओं के अनुसार पंचाचूली पर्वत को पांडवों के स्वर्गारोहण का प्रतीक माना जाता है। )।
पंचाचूली के अलावा मुनस्यारी से आपको नंदा देवी, त्रिशूल पर्वत भी एकदम पास से देखने को मिलता है। अब अगर हम मुनस्यारी के इतिहास के बात करें तो ऐसा माना है की इस जगह का इतिहास महाभारत काल के समय से जुड़ा हुआ है। स्थानीय मान्यता के अनुसार पांडव मुनस्यारी से ही स्वर्ग की अपनी अंतिम यात्रा के लिए निकले थे। इसके अलावा मुनस्यारी तिब्बत से आने वाले प्राचीन नमक मार्ग से भी जुड़ा हुआ है।
माना जाता है की यहाँ के स्थानीय निवासी अर्ध खानाबदोश जीवन जिया करते थे, साथ में ही हिमालय के कठिन दर्रों को पार करते हुए तिब्बत में व्यापार करने के लिए आना-जाना किया करते थे। उस समय उन लोगो को तिब्बत से मुनस्यारी लौट कर आने में 20-25 दिन का समय लगता था। तिब्बत से लौटते वक़्त वो लोग अपने साथ नमक लेकर आया करते थे। ऐसा माना जाता है की उस समय पुरे हिमालय क्षेत्र खपत होने वाला नमक शुरुआती दिनों में तिब्बत से ही आया करता था।
यहाँ के मूल निवासियों को शौका लोग है। मुनस्यारी के स्थानीय लोग माँ नंदा देवी की पूजा किया करते है। 1962 में भारत के चीन के साथ सम्बन्ध खराब होने के बाद तिब्बत की सीमा को सील कर दिया गया था जिसकी वजह से मुनस्यारी के स्थानीय लोग के व्यापार पूरी तरह से बंद हो गए। जिसकी वजह से यहाँ के लोगो के आजीविका कामना बहुत ज्यादा मुश्किल हो गया था। मुनस्यारी की जलवायु प्रतिकूल होने के कारण स्थानीय लोग यहाँ पर कृषि पर अपनी निर्भरता नहीं बढ़ा पाए थे।
इसीलिए समय के साथ यहाँ पर लोग पलायन करने को मजबूर हो गए, आज भी मुनस्यारी के पास गांव मिलम और बुर्फु जैसे गांव आज भी काफी हद तक खाली पड़े है। लेकिन हाल ही के वर्षों में मुनस्यारी एक पर्यटकों के बीच में बहुत प्रसिद्ध हो रहा है जिसकी वजह से यहाँ के स्थानीय निवासियों के लिए आजीविका कमाने के अवसर बढ़ रहे है।
मुनस्यारी का भूगोल | Geography of Munsiyari in Hindi
उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में स्थित मुनस्यारी समुद्रतल से लगभग 2200 मीटर ( 7217 फ़ीट ) की ऊंचाई पर स्थित एक बेहद ही सुन्दर पर्यटक स्थल है।
इसके अलावा इस जगह की सबसे अलग बात यह है की जोहर घाटी के मुख पर स्थित होने की वजह से मुनस्यारी हिमालय के कई प्रसिद्ध ट्रेक के बेस कैंप के रूप में भी काम करता है, इसके अलावा मुनस्यारी से पंचाचूली, नंदा देवी और त्रिशूल जैसे हिमालय के विशाल पर्वतों का स्पष्ट रूप से दिखाई देना भी इस जगह का मुख्य आकर्षण है।
वहीँ अगर हम इसके आसपास देखे तो आपको यह पता चलेगा की गौरी गंगा मुनस्यारी से ही होकर बहती है जिसकी वजह से आपको गौरी घाटी में स्थित जंगलो में कई प्रकार की वनस्पति और और वन्यजीव भी देखने को मिलते है।
मुनस्यारी के 20 पर्यटक स्थल 2024 | 20 Places to Visit in Munsiyari in Hindi 2024
बिर्थी झरना | Birthi falls in Hindi
मुनस्यारी से लगभग 33 किलोमीटर की दूरी पर स्थित बिर्थी झरना 126 मीटर की ऊंचाई से गिरने वाला एक बेहद विशालकाय और आकर्षक झरना है। इस झरने की सबसे खास बात यह है की इतनी ज्यादा ऊंचाई पर स्थित होने की वजह से यह झरना काफी दूर से ही दिखाई दे जाता है।
थल मुनस्यारी पर स्थित तेजम से इस झरने की दूरी मात्र 14 किलोमीटर है। बिर्थी झरने का ताजा वातावरण, ठंडी हवा, प्राकृतिक सुंदरता मुनस्यारी आने वाले सभी पर्यटकों को आकर्षित करता है। बिर्थी झरना चारों तरफ से घने जंगल से घिरा हुआ है जिसकी वजह से इस झरने की सुंदरता और भी बढ़ जाती है। बिर्थी झरने के लिए ट्रेक सड़क के पास से ही शुरू हो जाता है, जिसे पूरा करने में आपको 20-25 मिनट लग सकते है।
माहेश्वरी कुंड | Maheshwari Kund in Hindi
मुनस्यारी से कुछ ही किलोमीटर की पैदल दूरी पर स्थित माहेश्वरी कुंड एक बेहद सुंदर और रमणीय स्थल है। स्थानीय लोक कथा के अनुसार यहाँ पर एक छोटी सी झील में रहने वाली यक्षी द्वारा श्राप दिए जाने के बाद यहाँ के स्थानीय निवासियों को कई सालों तक सूखे का सामना करना पड़ा था।
जब गाँव वालों ने यक्षी को गाँव सरपंच की बेटी शादी ना करने देने और बदला लेने के लिये झील को खाली कर देने के लिए माफी मांगी तब कहीं जा कर यहाँ पर सूखे की समस्या खत्म हुई। आज भी यहाँ के स्थानीय निवासी यक्षी से जुड़ा अनुष्ठान हर साल करते है। आज के समय आपको उस प्राचीन झील की जगह पर एक कच्चा तालाब दिखाई देगा जहाँ से आपको पंचाचूली चोटी के अविस्मरणीय दृश्य दिखाई देते है।
पंचाचूली चोटी | Panchachuli Peak in Hindi
उत्तराखंड के कुमाऊँ क्षेत्र में स्थित पंचाचूली शिखर एक पाँच पर्वतों की हिमशिखर श्रृंखला है। वास्तव में पंचाचूली शिखर हिमालय की पाँच चोटियों का समूह है जिनकी समुद्रतल से ऊँचाई 6312 मीटर (20708 फ़ीट) से लेकर 6904 मीटर (22650 फ़ीट) तक है। इन पांचों शिखरों को पंचाचूली – 01, पंचाचूली – 02, पंचाचूली – 03, पंचाचूली – 04 और पंचाचूली – 05 के नाम से जाना जाता है।
पंचाचूली शिखर के पूर्व दिशा में सोना हिमनद और ओला हिमनद स्थित है तथा पश्चिम दिशा में उत्तरी बालटी हिमनद और उसका पठार है। जिन पर्वतारोहियों को पंचाचूली की चढ़ाई करनी होती है उनको सबसे पहले पिथौरागढ़ आना होता है। फिर वहाँ से वो सब मुनस्यारी और धारचूला होकर सोबला नाम की स्थान पर पहुंचते है।
पंचाचूली शिखर पिथौरागढ़ में कुमाऊँ क्षेत्र के मुनस्यारी और चौकोड़ी से बहुत स्पष्ट दिखाई देता है। इन दोनों ही जगहों से पंचाचूली शिखर की कतार को बहुत आसानी से पहचाना जा सकता है।
थामरी कुंड | Thamari Kund
मुनस्यारी से 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित थामरी कुंड घने जंगलों के बीच मे स्थित एक बहुत ही सुंदर ताजा पानी का तालाब है। थामरी कुंड से जुड़ी हुई स्थाई मान्यता के अनुसार जब यहाँ पर बहूत कम बरसात होती है तब बारिश के लिये आशीर्वाद प्राप्त करने के लिये स्थानीय निवासी पूजा करने के लिये आते है।
समुद्रतल से लगभग 7500 फ़ीट की ऊँचाई पर स्थित थामरी कुंड को मुनस्यारी के छिपे हुये रत्नों में से एक माना जाता है। घने जंगलों और चीड़ के पेड़ों से घिरे होने की वजह से थामरी कुंड बहुत ही सुंदर दृश्य प्रस्तुत करती है। इसके अलावा मुनस्यारी के पास में स्थित थामरी कुंड उन गिनी चुनी जगहों में से एक है जहां से आपको पंचाचूली चोटी बहुत आसानी से दिखाई देती है।
कालामुनि शीर्ष | Kalamuni Top
मुनस्यारी और बिर्थी के रास्ते पर लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कालामुनि मंदिर, देवी काली को समर्पित एक एक प्राचीन और पवित्र पूजा स्थल है। 9500 फ़ीट की ऊंचाई पर स्थित कालामुनि मंदिर की बाहरी दीवारों पर काली माता के बेहद सुंदर भित्ति चित्र उकेरे हुए है। इसके अलावा कालामुनि मंदिर मुनस्यारी के पास स्थित एक ऐसी जगह है जहाँ से आपको पंचाचूली शिखर के अलावा आसपास के बहुत ही सुंदर दिखाई देते है।
खलिया टॉप | Khaliya Top
समुद्रतल से 3500 मीटर की ऊँचाई पर स्थित खलिया टॉप मुनस्यारी का सबसे उच्चतम बिंदु माना जाता है। मुनस्यारी से खलिया टॉप तक पहुंचने के लिए आपको लगभग 7-8 किलोमीटर का ट्रैक करना पड़ता है। हालाँकि की खलिया टॉप के ट्रेक की कुल दूरी 7-8 किलोमीटर है बावजूद इसके यह एक आसान श्रेणी का ट्रैक माना जाता है।
आप जब खलिया टॉप के समिट तक पहुंच जाते है तो आपको यहाँ से पंचाचुली, राजरंभा, हरदेओल, नंदा कोट और नंदा देवी सहित बर्फ से ढकी हिमालय के उच्चतम शिखरों के बहुत ही अविस्मरणीय दृश्य दिखाई देते है। इसके अलावा अगर आप गर्मी के समय भी खलिया टॉप ट्रेक करते है तो साल के इस समय भी आपको बर्फ से ढकी हुई चोटियां देखने को मिल जाती है।
वहीं अगर आप एक वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर है तो फिर यह ट्रेक आपके लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं है। खलिया टॉप ट्रेक के दौरान आपको मोनाल, घुरार, काकर, पीले फ्रंटेड मार्टन और बराल (पहाड़ी बकरी) जैसी विभिन्न पक्षियों और वन्यजीव बड़ी आसानी से देखने को मिलते है। वनस्पति के हिसाब से भी खलिया टॉप एक बेहद समृद्ध जगह है। पूरे ट्रेक के दौरान आपको चीड़, ओक, सरू और स्प्रूस जैसे वृक्ष देखने को मिलते है।
मुनस्यारी में खरीदारी | Shopping in Munsiyari
अगर आपको हाथों से बने हुए ऊनी सामान पसंद है तो मुनस्यारी और इसके आसपास के गाँवों में चलने वाले हस्तशिल्प और बुनाई केन्द्र आपकी खरीदारी के लिये एक आदर्श जगह हो सकती है। दरअसल मुनस्यारी और इसके आसपास के गाँव मे रहने वाले लोग अपनी आजीविका चलाने के लिये काफी हद तक पर्यटन पर निर्भर करते है।
इसी वजह से आपको मुनस्यारी में हाथों से बने हुए ऊनी सामान जैसे पश्मीना शॉल, टोपी, कालीन और अंगोला फर आदि बहुत ही अच्छी कीमत पर मिल सकते है। ऊनी कपड़ों के अलावा यहाँ पर जैविक खेती भी होती है जिसमें यहाँ के स्थानीय निवासी ज्यादातर आलू और राजमा उगाते है। और अगर आपको अपने घर मे बागवानी का शौक है तो आप यहाँ की नर्सरी से कई किस्म के पौधे भी खरीद सकते है।
गोरी गंगा नदी में रिवर राफ्टिंग | River rafting in Gori Ganga River
अगर आपको एडवेंचर एक्टिविटी पसंद है तो फिर मुनस्यारी के पास में बहने वाली गौरी गंगा नदी में आपको रिवर राफ्टिंग जरूर करनी चाहिये । हिमालय के घने जंगलों से घिरी गौरी गंगा नदी में रिवर राफ्टिंग करना अपने आप मे ही एक अलग रोमांच की अनुभूति का अनुभव करवाता है।
हालाँकि की गौरी गंगा नदी रिवर राफ्टिंग से जुड़े हुए शुल्क और अवधि अलग-अलग है उसके बारे में राफ्टिंग करने से पहले जरूर पता कर ले। एक बार रिवर राफ्टिंग में जाने से पहले सुरक्षा से संबंधित आपको पूरी जानकारी ले लेनी चाहिये। गौरी गंगा नदी में एक बार मे अधिकतम 08 लोगों को राफ्टिंग की अनुमति है।
बेटुलीधार | Betulidhar
मुनस्यारी के पास में स्थित बेटुलीधार समुद्रतल से 2748 मीटर ( 9015 फ़ीट ) की ऊँचाई पर स्थित एक विशाल उद्यान है जो कि लाल रंग के रोडोडेंड्रोन से खिला हुआ है। सर्दियों के मौसम में बेटुलीधार घूमने का समय सबसे अच्छा माना जाता है क्योंकि यही वो समय है जब आप यहाँ पर स्कीइंग जैसे खेल का आनंद ले सकते है।
बेटुलीधार में स्कीइंग का सीजन दिसम्बर महीने से लेकर फरवरी तक माना जाता है। स्कीइंग के अलावा आपको यहाँ से हिमालय के बर्फ से ढके हुए शिखर भी बहुत नजदीक से दिखाई दे जाते है। बाकी आप जब भी बेटुलीधार घूमने जाए तो आप यहाँ से बलाती और रालम ग्लेशियर के आकर्षक दृश्य देखना ना भूले। इसके अलावा इस जगह से सूर्योदय और सूर्यास्त को देखा जाना बहुत ही जरूरी माना जाता है।
नंदा देवी मंदिर | Nanda Devi Temple
मुनस्यारी शहर से मात्र 03 किलोमीटर दुरी पर स्थित नंदा देवी मंदिर उत्तराखंड में स्थित सबसे पुराने मंदिरों में से एक है। एक पवित्र हिन्दू मंदिर होने के साथ-साथ नंदा देवी मंदिर स्थानीय लोगों की धार्मिक आस्था का प्रतीक भी है। समुद्रतल से मात्र 2286 मीटर (7500 फ़ीट ) की ऊंचाई पर स्थित नंदा देवी मंदिर की मुख्य सड़क से पैदल दुरी मात्र 200 मीटर ही है।
वास्तव में नंदा देवी मंदिर एक बहुत ही छोटे आकार का प्राचीन मंदिर है जिसका अग्रभाग शंकाकार आकार का है। मंदिर की बाहरी दीवारों पर भगवान गणेश की आकृति ऊकेरी हुई है। वहीँ मंदिर के गर्भगृह में नंदा देवी के पूजा की जाती है। एक पवित्र धार्मिक स्थल होने के साथ-साथ नंदा देवी से पंचाचूली पर्वत के बेहद मनमोहक दृश्य दिखाई देते है।
मुनस्यारी में स्कीइंग | Skiing in Munsiyari
एक प्रसिद्ध पर्यटक स्थल होने के साथ-साथ मुनस्यारी हाल ही के वर्षों में एक साहसिक गतिविधि वाले पर्यटन स्थल के रूप में अपनी एक अलग ही पहचान बना रहा है। इसकी इकलौती वजह यही पहाड़ों में घूमने आने वाले पर्यटकों का यहाँ पर एक से ज्यादा पर्यटन के आकर्षण देखने मिलना है साथ में ही अनेक प्रकार की साहसिक गतिविधि करने का मौका भी मिलता है।
ऐसी ही एक साहसिक गतिविधि है स्कीइंग जो की हाल की वर्षों में साहसिक गतिविधि को पसंद करने वाले पर्यटकों के लिए मुनस्यारी में की जाने वाली प्रमुख गतिविधि के तौर पर उभरी है। यही वजह है सर्दियों के मौसम में आपको स्कीइंग पसंद करने वाले पर्यटक आपको मुनस्यारी के पास में स्कीइंग करते हुए बड़ी आसानी से दिखाई दे जाते है।
मुनस्यारी में स्कीइंग के लिए दो सबसे प्रसिद्ध ढलान यही खलिया टॉप और बेटुलीधार जहाँ से आप सर्दियों के मौसम स्कीइंग का आनंद ले सकते है।
मुनस्यारी में कैम्पिंग | Munsiyari in Camping
उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में स्थित मुनस्यारी एक बेहद खूबसूरत पर्यटक स्थल है। एक खूबसूरत पर्यटक स्थल होने के साथ-साथ मुनस्यारी में बहुत सारे ऐसी जगह भी है जहाँ पर कैंपिंग का आनंद ले सकते है। हालाँकि पर सोलो कैंपिंग की अनुमति है (मुनस्यारी में कैंपिंग करने से पहले आप स्थानीय लोगो और अधिकारियों से अनुमति जरूर ले लेवे ) लेकिन बावजूद इसके यहाँ पर बहुत सारी ऐसी एजेंसीज भी है जो आपको कैंपिंग की सुविधा उपलब्ध करवाती है।
फिर भी अगर आप खुद से यहाँ पर कैंपिंग करना चाहते है तो आपको सबसे पहले यहाँ पर सम्बंधित अधिकारी से अनुमति ले लेनी चाहिए। इसके अलावा कोशिस यह करें की आपकी कैंपिंग साइट मुख्य शहर या फिर आबादी से दूर ना हो, साथ में ही आपके पास कैंपिंग से जुड़े हुए सभी प्रकार के सामान हो तो और भी अच्छा है।
और सबसे मुख्य बात आप जब भी मुनस्यारी और इसके आस पास जगहों पर कैंपिंग करने के लिए जाए तब आपको इस बात का विशेष तौर पर ध्यान रखना है की आप अपने आसपास के पर्यावरण को किसी भी प्रकार का नुकसान तो नहीं पहुँचा रहे है। इसके अलावा इस बात का भी ध्यान रखें की आपकी गतिविधि की वजह से स्थानीय लोगों की निजता, संस्कृति और परंपरा का पूरी तरह से सम्मान करे। और सबसे से अंत में आपको को लीव नो ट्रेस बिहाइंड के सिद्धांत का पूरी तरह से पालन करना है।
नंदा देवी ट्रेक | Nanda Devi Trek
नंदा देवी ट्रेक मुनस्यारी के पास में स्थित उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र के सबसे प्रमुख आकर्षणों में से एक है। मुनस्यारी से शुरू होने वाला नंदा देवी ट्रेक एक ट्रांस हिमालयी ट्रेक है। पुरे ट्रेक के दौरान आप मार्तोली और रिलकोट जैसी स्थानीय बस्तियों से हो गुजरते है जिसकी वजह से आपको यहाँ के ग्रामीण जीवनशैली को पास से देखने का मौका मिलता है।
नंदा देवी ट्रेक दौरान आने वाली यह बस्तियां कम से 100-150 वर्ष पुरानी है जिनका इतिहास रेशम मार्ग के माध्यम से भारत-तिब्बत व्यापार से जुड़ा हुआ हैं। नंदा देवी ट्रेक ट्रेकर्स के साथ-साथ फोटोग्राफरों, प्रकृति प्रेमियों और कवियों के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं है।
मुनस्यारी में ट्रैकिंग | Trekking in Munsiyari
मुनस्यारी एक प्रसिद्ध पर्यटक स्थल होने के साथ-साथ अनेक प्रकार साहसिक गतिविधियों के लिए भी जाना जाता है जैसे बर्ड वॉचिंग, कैम्पिंग, रिवर राफ्टिंग और ट्रैकिंग। मुनस्यारी को ट्रेकर्स का स्वर्ग भी कहा जाता है। मुनस्यारी कई प्रकार के मध्यम और अधिकतम ऊँचाई वाले ट्रेक का आधार स्थल भी माना जाता है।
01 खलिया टॉप ट्रेक
02 थामरी कुंड ट्रेक
03 माहेश्वरी कुंड ट्रेक
04 मदकोट गर्म पानी का झरना
05 कालिका पास ट्रेक
06 छिपलाकोट बुग्याल के अल्पाइन घास के मैदानों तक ट्रेक
07 मिलम ग्लेशियर
08 रालम ग्लेशियर
09 नंदा देवी पूर्व बेस कैंप
10 नामिक ग्लेशियर ट्रेक
मुनस्यारी में बर्ड वॉचिंग | Bird Watching in Munsiyari
जिस तरह मुनस्यारी ट्रैकिंग और साहसिक गतिविधि करने वाले पर्यटकों के लिये किसी स्वर्ग से कम नहीं है, उसी तरह यह जगह पक्षी प्रेमियों की सबसे ज्यादा पसंद की जाने वाली जगह भी मानी जाती है। दरअसल मुनस्यारी और इसके आसपास जगहों में पाई जाने वाली वानस्पतिक विविधता की वजह से आप यहां पर कई देशी और विदेशी पक्षियों को बड़े आराम से देख सकते है।
यहाँ पर आपको ब्लैक रेड स्टार्ट, वेर्डिटर फ्लाईकैचर, हिमालयन वुडपेकर, स्ट्रीक्ड लाफिंग थ्रश, लिटिल पाइड फ्लाईकैचर, स्केली बिल्ड वुडपेकर, ग्रे विंग्ड ब्लैक बर्ड और ब्लैक-लॉर्ड टिटारे जैसे पक्षी बड़ी आसानी से दिखाई दे जाते है।
दरकोट | Darkot
उत्तराखंड के मुनस्यारी से मात्र 06 किलोमीटर की दूरी पर स्थित दरकोट अपनी प्राकृतिक सुंदरता और हिमालय के विशाल पहाड़ो समीप स्थित होने की वजह से पर्यटकों द्वारा खूब पसंद किया जाता है। वास्तव के उत्तराखंड के कुमाऊँ क्षेत्र में स्थित दरकोट हिमालय में एक दूरस्थ और सुरम्य गंतव्य स्थल है जो कि मुख्य तौर पर अपनी संस्कृति और प्राकृतिक सुंदरता के लिये जाना जाता है।
एक प्राकृतिक और सुंदर पर्यटक स्थल होने के साथ-साथ दरकोट अपनी स्थानीय हस्तशिल्प के लिये भी जाना जाता है। इसलिए अनेक पर्यटक तो यहाँ पर सिर्फ पश्मीना शॉल और भेड़ की ऊन से बने हुए कंबल खरीदने के लिये ही आते है। इसके अलावा कुमाऊँ क्षेत्र में स्थित यह गांव अपने कलात्मक घरों, लोक संस्कृति और शिल्प कौशल की वजह से पर्यटकों में बहुत प्रसिद्ध है।
बलंती आलू फार्म | Balanti Potato Farm
समुद्रतल से 9000 फ़ीट की ऊंचाई पर स्थित बलंती आलू फार्म मुनस्यारी के पास के स्थित एक अदभुत जगह है। मुनस्यारी के पास में स्थित बलंती आलू फार्म उन गिनी चुनी जगहों में एक है जहाँ से आपको एक तरफ हरे भरे विशाल वृक्ष दिखाई देते है वहीं दूसरी तरफ आपको हिमालय के विशाल पंचाचूली शिखर के अविस्मरणीय दृश्य भी दिखाई देते है।
आप घने जंगलों के बीच मे लगभग 02 किलोमीटर का एक छोटासा ट्रेक करने के बाद बलंती आलू फार्म बड़ी आसानी से पहुँच सकते है। हिमालय के अदभुत दृश्यों के साथ आपको यहाँ पर आलू और सेब की खेती भी देखने को मिलती है। इसके अलावा इस फार्म के पास में ओक और रोडोडेंड्रोन के पेड़ भी है।
मदकोट गांव | Madkot Village
मुनस्यारी से लगभग 22 किलोमीटर की दुरी पर स्थित मदकोट एक बहुत सुन्दर और वानस्पतिक रूप से समृद्ध गांव है। मुनस्यारी से कुछ किलोमीटर की दुरी पर स्थित मदकोट गांव सिर्फ अपनी प्राकृतिक सुंदरता ही नहीं बल्कि गांव के पास में स्थित गर्म पानी के झरने की वजह से भी ज्यादा प्रसिद्ध है।
ऐसा माना जाता है की इस गांव में स्थित इस गर्म पानी का पानी औषधीय गुणों वाला है। कहा जाता है की इस झरने के पानी का उपयोग जोड़ो और मांसपेशियों का दर्द दूर कर सकता है, इसके अलावा गठिया और चमड़ी से जुडी हुई कई प्रकार की बिमारियों को भी इस झरने के पानी द्वारा ठीक किया जाता है।
गर्म पानी के झरने के अलावा इस गांव की प्राकृतिक सुंदरता, वनस्पति, हिमपात और स्थानीय भोटिया जनजाति की सांस्कृतिक समृद्धता भी देखने के लायक है।
धारचूला | Dharchula
पिथौरागढ़ जिले के केंद्र में स्थित धारचूला अपनी समृद्ध संस्कृति और परम्पराओं के लिए जाना जाने वाला पहाड़ी क्षेत्र है। वैसे तो धारचूला कैलाश मानसरोवर और छोटा कैलाश के मार्ग में स्थित है यही वजह है की हिन्दू धर्म की इन दोनों धार्मिक यात्राओं के लिए धारचूला को एक महत्वपूर्ण शिविर के रूप में देखा जाता है।
मुख्य रूप से धारचूला अपनी सांस्कृतिक समृद्धता और परम्पराओं के लिए जाना जाता है। उत्तराखंड के प्रमुख जातीय समूह शौना समुदाय (भोटिया जनजाति ) के लोग आज भी हजारों साल पुरानी परम्पराओं को जिन्दा रखे हुए है। यही वजह है की धारचूला की सांस्कृतिक समृद्धता को नजदीक से देखने के लिए हजारों पर्यटक हाल साल यहाँ पर आते है।
सांस्कृतिक समृद्धता के अलावा धारचूला के आसपास का वन्यजीवन भी बहुत समृद्ध है। यहाँ पर आपको हिरण, भालू, लोमड़ी और तेंदुए जैसे जंगली जानवर बड़ी आसानी से देखने को मिलते है। इसके अलावा आप अपनी धारचूला की यात्रा के दौरान स्थानीय हस्तशिल्प वस्तुओं और क्षेत्रीय व्यंजनों को खरीदना न भूलें जो पर्यटकों के बीच काफी प्रसिद्ध हैं।
नारायण आश्रम | Narayan Ashram
पिथौरागढ़ जिले में 2734 मीटर (8969 फ़ीट) की ऊंचाई पर स्थित नारायण आश्रम एक आध्यात्मिक सह सामाजिक-शैक्षणिक केंद्र है। पिथौरागढ से लगभग 136 किलोमीटर उत्तर में और तवाघाट से 14 किलोमीटर की दुरी पर स्थित इस आश्रम की स्थापना वर्ष 1936 में नारायण स्वामी ने की थी।
इस आश्रम में स्थानीय बच्चों के लिए एक स्कूल और स्थानीय युवाओं को प्रवेश देने लिए एक आध्यात्मिक सह सामाजिक शैक्षणिक केंद्र भी बनाया गया है। यहाँ पर आपको ध्यान कक्ष, पुस्तकालय और समाधी स्थल भी बना हुआ है।
मुनस्यारी घूमने का सबसे अच्छा समय | Best Time to Visit Munsiyari in Hindi
वैसे तो आप साल में कभी भी मुनस्यारी घूमने के लिए जा सकते है लेकिन मार्च से जून के समय मुनस्यारी घूमने के लिये सबसे अच्छा समय माना जाता है। इसके अलावा सितंबर और अक्टूबर के महीने में भी आप मुनस्यारी घूमने के लिये जा सकते है। बाकी मानसून के सीजन में आप मुनस्यारी ना घूमने जाए तो ही अच्छा है क्योंकि की साल के इस समय यहाँ पर भूस्खलन और फिसलन का खर्चा बढ़ जाता है।
इसके अलावा अगर आप अत्यधिक ठंड कर सकते है तो ही आप नवंबर से लेकर फरवरी के महीने में मुनस्यारी घूमने के लिये जाएं हालाँकि साल के इस समय यहाँ पर आपको होटल्स और होम स्टे बहुत सस्ते मिल सकते है। मुनस्यारी में नवंबर महीने में जौलाजीबी मेला आयोजित किया जाता है जिसमें भाग लेने के लिये दुनिया भर के व्यापारी आते है। इसके अलावा मकर संक्रांति का त्योंहार भी यहाँ पर बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।
मुनस्यारी का स्थानीय भोजन | Munsiyari Local Food in Hindi
एक प्रसिद्ध पर्यटक स्थल होने की वजह से आपको मुनस्यारी में उतर भारतीय भोजन बड़ी आसानी से मिल जाएगा इसके अलावा नूडल्स और मोमोज भी आपको यहाँ पर बड़ी आसानी से मिल सकते है। और अगर बात करें यहाँ के स्थानीयभोजन की तो आप मुनस्यारी में स्थानीय कुमाऊंनी भोजन का आनंद ले सकते है।
मुनस्यारी में कहाँ ठहरें | Hotels in Munsiyari in Hindi
हालाँकि मुनस्यारी उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले का एक छोटासा गांव है। लेकिन एक प्रसिद्ध ट्रैकिंग डेस्टिनेशन और पर्यटक स्थल होने की आपको यहाँ पर रुकने के लिए कई स्थानीय विकल्प मिल जायेंगे।
मुनस्यारी और इसके आसपास को जगहों पर रुकने के लिए आप ऑनलाइन होटल बुकिंग वेबसाइट से अपने लिए होटल में रूम बुक कर सकते है इसके अलावा मुनस्यारी में बने हुए कई होम स्टे भी रुक सकते है। अगर आप को कैंपिंग पसंद है तो मुनस्यारी के आसपास बहुत सारे ऐसे स्पॉट है जहाँ पर आप कैंपिंग का आनंद ले सकते है।
मुनस्यारी कैसे पहुँचे | How to Reach Munsiyari in Hindi
हवाई मार्ग से मुनस्यारी कैसे पहुँचे | How to Reach Munsiyari By Air in Hindi
पंतनगर हवाई अड्डा मुनस्यारी के सबसे नजदीकी हवाई अड्डा है। पंतनगर हवाई अड्डे से मुनस्यारी की दूरी 370 किलोमीटर है। पंतनगर से आप टैक्सी और बस सर्विस के द्वारा हल्द्वानी होते हुए मुनस्यारी बड़ी आसानी से पहुंच सकते है। पंतनगर हवाई अड्डे के लिये आपको दिल्ली और देश के कुछ अन्य शहरों से साप्ताहिक और नियमित उड़ाने मिल जाएगी।
रेल मार्ग से मुनस्यारी कैसे पहुँचे | How to Reach Munsiyari By Train in Hindi
टनकपुर और काठगोदाम ये दोनों ही रेल्वे स्टेशन मुनस्यारी के सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन है। काठगोदाम से मुनस्यारी की दूरी 280 किलोमीटर है और टनकपुर से मुनस्यारी की दूरी 278 किलोमीटर है। इन दोनों ही रेलवे स्टेशन से आप बड़ी आसानी से टैक्सी और बस सेवा ले द्वारा मुनस्यारी बड़ी आसानी से पहुँच सकते है।
सड़क मार्ग से मुनस्यारी कैसे पहुँचे | How to Reach Munsiyari By Road in Hindi
मुनस्यारी उत्तराखंड के लगभग सभी प्रमुख शहरों से सड़क मार्ग द्वारा बहुत अच्छी तरीके से जुड़ा है। उत्तराखंड परिवहन की बसों के द्वारा आप मुनस्यारी बड़ी आसानी से पहुंच सकते है। बाकी अगर आप देश के किसी दूसरे शहर से मुनस्यारी घूमने के लिये आ रहे आप सबसे पहले हल्द्वानी या फिर नैनीताल आ जाएं।
उसके बाद आप इन दोनों ही शहरों से बस या फिर टैक्सी के द्वारा मुनस्यारी बड़ी आसानी से पहुँच सकते है। बाकी आप अपने निजी वाहन से भी सड़क मार्ग द्वारा मुनस्यारी बहुत आसानी से पहुँच सकते है।
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