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यमुनोत्री – Yamunotri in Hindi
यमुनोत्री उत्तराखंड की छोटा चारधाम यात्रा के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है। हिन्दू धर्म की सबसे पवित्र नदियों में से एक यमुना नदी का उद्गम स्थल यमुनोत्री उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित है। यमुनोत्री के अलावा गंगोत्री, बद्रीनाथ और केदारनाथ उत्तराखंड की छोटा चारधाम यात्रा के अन्य तीर्थ स्थल है।
यमुना हिन्दू धर्म के सबसे पवित्र और पूजनीय नदियों में से एक है, और पुराणों और हिन्दू धर्म ग्रंथों में यमुना को सूर्य भगवान की पुत्री बताया गया है। पुराणों के अनुसार भगवान सूर्य की छाया और संज्ञा नाम की दो पत्नियों से यमुना, यम, शनिदेव और वैवस्वत मनु नाम की संतान प्राप्ति होती है। ऐसा माना जाता है यमुना नदी पृथ्वी पर सबसे पहले कलिंद पर्वत अवतरित हुई थी इसी वजह से इस नदी को कालिंदी के नाम से भी पुकारा जाता है।
यमुनोत्री के पास स्थित सप्तऋषि कुंड और सप्त सरोवर कलिंद पर्वत पर ही स्थित है। हिन्दू धर्म के कई पुराणों में यह भी उल्लेख किया गया है कि भगवान श्रीकृष्ण की आठ पटरानियों में कालिंदी भी एक है। यम और शनिदेव को यमुना का भाई माना जाता है। यमुना के भाई शनिदेव का प्राचीन मंदिर यमुनोत्री के पास स्थित खरसाली में बना हुआ है।
यमुनोत्री का इतिहास – History of Yamunotri in Hindi
यमुनोत्री मंदिर का निर्माण 1919 में टिहरी गढ़वाल के महाराजा प्रतापशाह ने करवाया था। यमुनोत्री में स्थित यह मंदिर देवी यमुना का समर्पित है जो कि हिन्दू धर्म की सबसे पवित्र नदियों में से एक मानी जाती है। मंदिर निर्माण के कुछ समय के बाद ही एक भयंकर भूकंप के मुख्य मंदिर को बहुत ज्यादा नुकसान हुआ।
भूकम्प में क्षतिग्रस्त हुए मंदिर का पुनर्निर्माण का कार्य जयपुर की महारानी गुलेरिया ने करवाया था। यमुना नदी का उद्गम स्थल वास्तव में चंपासर ग्लेशियर है जो की समुद्रतल 4421 मीटर ( 14505 फ़ीट) की ऊँचाई पर कालिंद पर्वत पर स्थित है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यमुनोत्री असित मुनि का निवास स्थान भी माना जाता है।
यमुनोत्री का वर्णन हिन्दू धर्म से जुड़े हुए अनेक पौराणिक ग्रंथों और पुराणों में वर्णन किया गया है। केदारखंड में यमुना के अवतरण पर विशेष तौर पर उल्लेख देखने को मिलता है। कूर्मपुराण, ऋग्वेद और ब्रम्हांडपुराण में यमुनोत्री के महत्व का विशेष तौर पर उल्लेख किया गया है। कई पुराणों में यमुना नदी को यम सहोदरा और सूर्यपुत्री के नाम से भी बुलाया गया है।
इसके अलावा कई पुराणों में गंगा और यमुना को बहन बताकर भी संबोधित किया गया है। महाभारत के युद्ध के बाद पांडव जब हिमालय के पहाड़ों में तीर्थ यात्रा के लिए आये थे तब उन्होंने सबसे पहले यमुनोत्री के दर्शन किये थे। और उसके बाद उन्होंने गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ के दर्शन किये थे।
इसी वजह से यमुनोत्री को छोटा चारधाम यात्रा का प्रथम तीर्थ स्थल भी माना जाता है। हेमचन्द्र द्वारा लिखित “काव्यानुशान” में कालिंद पर्वत और कालिन्दी नदी का उल्लेख देखने को मिलता है। महामयूरी नाम के ग्रंथ के अनुसार यमुना नदी के आसपास के क्षेत्र में दुर्योधन का अधिकार था। यमुनोत्री के पास स्थित आसपास के क्षेत्र में आज भी दुर्योधन की पूजा की जाती है।
इसके अलावा यमुना नदी के तट के आसपास स्थित इलाकों में शक और यवनों की बस्तियों के होने के प्रमाण भी मिले है। एक तरह से आप यह कह सकते है कि यमुनोत्री और इसके आसपास के क्षेत्र का पौराणिक और ऐतिहासिक दोनों दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। यमुनोत्री के आसपास कई गर्म पानी के जलस्त्रोत भी बने हुए है जिनमे से तप्तकुंड सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है।
तप्तकुंड को वर्तमान में सूर्यकुंड के नाम से भी जाना जाता है। सूर्यकुंड मंदिर से मात्र कुछ ही दूरी पर स्थित है। यमुनोत्री और गढ़वाल क्षेत्र में जितने भी गर्म पानी के जलस्त्रोत है उनमें से सूर्यकुंड सबसे ज्यादा गर्म है। सूर्यकुंड का औसत तापमान 195 डिग्री Fahrenheit है। इसके अलावा एक और बात इस गर्म पानी के जलस्त्रोत निकलने वाली वाली ॐ ध्वनि इस कुंड को अन्य गर्म पानी के जलस्त्रोत से अलग बनाती है।
यहाँ आने वाले श्रद्धालु इस सूर्यकुंड में चावल और आलू को उबाल कर मंदिर में प्रसाद चढ़ाते है। सूर्यकुंड से थोड़ी दूरी पर गौरीकुंड बनाया गया है जो कि आकार में सूर्यकुंड से बहुत बड़ा है। गौरीकुंड में सूर्यकुंड का पानी छोड़ा जाता है ताकि यमुनोत्री आने वाले श्रद्धालु गौरीकुंड में स्नान कर सके।
सप्तऋषि कुंड की यमुनोत्री से दूरी 07 किलोमीटर है, ऐसा माना जाता है कि इस कुंड के पास में सप्तऋषियों ने तपस्या की थी इस वजह से इस कुंड को सप्तऋषि कुंड कहा जाता है। यमुनोत्री से सप्तऋषि कुंड का रास्ता बेहद दुर्गम माना जाता है।
यमुनोत्री की भौगोलिक स्थित – Geography of Yamunotri in Hindi
उत्तराखंड की छोटा चारधाम यात्रा का सबसे पहला तीर्थ स्थल यमुनोत्री की समुद्रतल से ऊंचाई मात्र 3293 मीटर (10803 फ़ीट) है। यमुनोत्री से हिमालय की कई प्रमुख चोटियाँ दिखाई देती है, इनमें से सबसे ज्यादा रोमांच बन्दरपूँछ पर्वत के पश्चिमी भाग के अंतिम छोर से दिखाई देने वाले यमुनोत्री ग्लेशियर पैदा करते है।
यमुनोत्री का मुख्य जलस्त्रोत कालिंदी पर्वत है जो कि समुद्रतल से 4421 मीटर ( 14504 फ़ीट) की ऊँचाई पर स्थित है। यमुनोत्री में आकर्षण का केंद्र देवी यमुना को समर्पित यमुना मंदिर है, और इस मंदिर के आसपास स्थित गर्म पानी के कुंड है। यहां सभी पानी के गरम कुंडों में सूर्यकुंड सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है।
यमुनोत्री मंदिर की वास्तुशैली- Architecture of Yamunotri Temple in Hindi
1885 में गढ़वाल के राजा सुदर्शन शाह ने इस स्थान पर देवी यमुना को समर्पित यमुनोत्री मंदिर का निर्माण करवाया था। राजा सुदर्शन शाह यमुनोत्री मंदिर के निर्माण में अधिकांश उपयोग लकड़ी का किया था। आज आप जो मंदिर का वर्तमान स्वरूप देख रहे है उसका निर्माण गढ़वाल के राजा प्रताप शाह के द्वारा करवाया गया है।
मंदिर के गृभगृह में देवी यमुना की काले संगमरमर के पत्थर से बने हुए विग्रह की स्थापना की गई है। मंदिर में देवी यमुना की पूरे विधि विधान के साथ पूजा की जाती है। इस मंदिर में स्थानीय निवासी अपने पितरों का पिंडदान किया करते है, ऐसा माना जाता है कि यहाँ पर पिंडदान करने पर मृत व्यक्ति की आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है। मंदिर परिसर में एक विशाल शिला स्तभ भी है जिसे दिव्यशिला के नाम से जाना जाता है।
2022 में यमुनोत्री मंदिर के खुलने का समय – Yamunotri Temple Opening Date 2022 In Hindi
यमुनोत्री मंदिर समुद्रतल से 3293 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, इस वजह से सर्दियों के मौसम में इस स्थान पर बहुत ज्यादा बर्फ़बारी होती है। अत्यधिक बर्फ़बारी की वजह से सर्दियों के मौसम में यमुनोत्री मंदिर तक पहुंचना दुर्गम हो जाता है। इस वजह से यमुनोत्री मंदिर श्रद्धालुओं के लिए वर्ष में सिर्फ 06 महीने ही खुला रहता है।
यमुनोत्री मंदिर अप्रैल महीने के अंतिम सप्ताह या फिर मई महीने के पहले सप्ताह से श्रद्धालुओं के लिए खुल जाता है। और उसके बाद अक्टूबर महीने के अंतिम सप्ताह से लेकर नवंबर महीने के पहले सप्ताह तक श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए खुला रहता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिये खोल दिये जाते है। इस वर्ष 03 मई 2022 के दिन यमुनोत्री मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के दर्शन के लिये खोल दिए जाएंगे।
2022 में यमुनोत्री मंदिर के कपाट बंद होने का समय – Yamunotri Temple Closing Date 2022 In Hindi
छोटा चारधाम यात्रा के अन्य मंदिरो की तरह यमुनोत्री मंदिर भी सर्दियों के मौसम में 06 महीने के लिए श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए बंद हो जाता है। और उसके बाद गर्मियों के मौसम में श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए दोबारा खुल जाता है। प्रति वर्ष अक्टूबर महीने के अंतिम सप्ताह या फिर नवंबर महीने के पहले सप्ताह में यमुनोत्री मंदिर के कपाट 06 महीने के लिए बंद कर दिए जाते है।
हिन्दू पंचांग के अनुसार दीपावली के बाद आने वाले भैया दूज के बाद यमुनोत्री मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते है। यमुनोत्री मंदिर के कपाट बंद होने के बाद देवी यमुना की डोली को पास के ही खरसाली गांव ले जाया जाता है, जहाँ पर अगले 06 महीने के लिए देवी यमुना की विधिवत तरीके से पूजा की जाती है। आप यह कह सकते है की खरसाली गांव देवी यमुना की शीतकालीन गद्दी है।
वर्ष 2022 में अभी तक यमुनोत्री मंदिर के कपाट बंद करने की अभी तक किसी भी प्रकार की घोषणा नहीं की गई है।
यमुनोत्री मंदिर में आरती का समय – Yamunotri Temple Aarti Timings in Hindi
यमुनोत्री मंदिर श्रद्धालुओं के लिए सुबह 06:00 बजे से लेकर दोपहर के 12:00 बजे तक खुला रहता है। और उसके बाद दोपहर के 02:00 बजे से लेकर रात को 08:00 बजे तक श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए खुला रहता है। यमुनोत्री मंदिर में देवी यमुना की मंगला आरती का समय 06:30 बजे है और शयन आरती का समय रात को 07:00 बजे का है।
यमुनोत्री में स्थानीय भोजन – Local Food in Yamunotri in Hindi
एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल होने के साथ-साथ यमुनोत्री उत्तराखंड की प्रसिद्ध छोटा चारधाम यात्रा का भी हिस्सा है। इस वजह से यमुनोत्री में आपको उत्तर भारतीय और दक्षिण भारतीय भोजन के रेस्टोरेंट और भोजनालय बड़ी आसानी से मिल जाएंगे। इसके अलावा आप यहाँ पर उत्तराखंड के स्थाई भोजन का भी आनंद भी ले सकते है।
यमुनोत्री में कहाँ रुके – Hotels in Yamunotri in Hindi
एक प्रसिद्ध धार्मिक पर्यटक स्थल होने की वजह से यमुनोत्री में श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए होटल, धर्मशाला, गेस्ट हाउस और रिसोर्ट की सुविधा बड़ी आसानी से उपलब्ध है। यमुनोत्री के आसपास के क्षेत्र में बहुत सारे धर्मशालाएं बनी हुई है इसके अलावा आपको मंदिर से कुछ किलोमीटर पहले होटल की सुविधा भी उपलब्ध मिल जायेगी।
आप चाहे तो ऑनलाइन होटल बुकिंग वेबसाइट या फिर एप्प की सहायता से अपने लिए होटल में रूम बुक करवा सकते है। इसके अलावा अगर आप किसी ग्रुप या ट्रेवल एजेंसीज के साथ छोटा चारधाम यात्रा कर रहे तो वह लोग आपके लिए पहले से होटल या धर्मशाला में रूम बुक करवा के रखते है।
यमुनोत्री के पास धार्मिक पर्यटक स्थल – Places To Visit Near Yamunotri in Hindi
सूर्यकुंड, जानकी चट्टी , हनुमान चट्टी , खरसाली , शनिदेव मंदिर और दिव्य शिला।
यमुनोत्री कैसे पहुंचे – How To Reach Yamunotri in Hindi
हवाई मार्ग से यमुनोत्री कैसे पहुंचे – How To Reach Yamunotri By Air in Hindi
यमुनोत्री के सबसे नजदीक हवाई अड्डा देहरादून का जॉली ग्रांट एयरपोर्ट है। जॉली ग्रांट एयरपोर्ट से यमुनोत्री की दूरी मात्र 210 किलोमीटर है। हिमालय के घने पहाड़ो के बीच मे स्थित होने की वजह से यमुनोत्री तक सीधी सड़क नही बनी हुई है। आप जॉली ग्रांट एयरपोर्ट से हनुमान चट्टी तक टैक्सी की सहायता से पहुँच सकते है आउट उसके बाद आप 14 किलोमीटर का ट्रैक करके यमुनोत्री पहुँच सकते है।
इसके अलावा आप देहरादून से हेलीकॉप्टर की सहायता से भी यमुनोत्री बड़ी आसानी से पहुंच सकते है। देहरादून का जॉली ग्रांट एयरपोर्ट देश के प्रमुख हवाई अड्डो से बहुत अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।
रेल मार्ग यमुनोत्री कैसे पहुंचे – How To Reach Yamunotri By Train in Hindi
यमुनोत्री के सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन हरिद्वार और ऋषिकेश रेल्वे स्टेशन है। ऋषिकेश रेलवे स्टेशन से यमुनोत्री की दूरी मात्र 216 किलोमीटर है और हरिद्वार रेलवे स्टेशन से यमुनोत्री की दूरी 226 किलोमीटर है।
आप हरिद्वार या ऋषिकेश से बस और टैक्सी की सहायता से हनुमान चट्टी तक पहुंच सकते है उसके बाद 14 किलोमीटर का ट्रैक करने के बाद आप यमुनोत्री पहुँच सकते है। हरिद्वार और ऋषिकेश रेलवे स्टेशन भारत के प्रमुख शहरों से रेल मार्ग द्वारा बहुत अच्छी तरह से जुड़े हुए है।
सड़क मार्ग यमुनोत्री कैसे पहुंचे – How To Reach Yamunotri By Road in Hindi
दुर्गम पहाड़ो के बीच मे स्थित होने की वजह से आप सड़क मार्ग द्वारा यमुनोत्री तक नहीं पहुंच सकते है। यमुनोत्री तक पहुंचने के लिए आपको सबसे पहले हनुमान चट्टी तक आना होता है और उसके बाद आप 14 किलोमीटर का पैदल ट्रेक करके यमुनोत्री तक पहुँच सकते है।
हनुमान चट्टी के लिए आपको ऋषिकेश, हरिद्वार, उत्तरकाशी, बरकोट और टेहरी से बस और टैक्सी सेवा नियमित तौर पर उपलब्ध मिल जाएगी। इसके अलावा आप अपने निजी वाहन की सहायता से भी हनुमान चट्टी तक पहुंच सकते है।
नोट :- वर्तमान में हनुमान चट्टी से जानकीचट्टी तक पक्की सड़क बन गई है। यहां पर आप छोटे वाहनों की सहायता से जानकी चट्टी तक पहुँच सकते है। जानकीचट्टी से यमुनोत्री की दूरी मात्र 05 किलोमीटर है।
Dehradun To Yamunotri Distance – 210 KM
Rishikesh To Yamunotri Distance – 216 KM
Haridwar To Yamunotri Distance – 226 KM
Uttarkashi To Yamunotri Distance – 126 KM
Delhi To Yamunotri Distance – 488 KM
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