वांसदा राष्ट्रीय उद्यान 2024 | Vansda National Park Travel Guide in Hindi 2024 | Vansda National Park in Hindi 2024 | National Park in India | Timings | Entry Fee | Safari Booking
वांसदा राष्ट्रीय उद्यान का इतिहास – History of Vansda National Park in Hindi
गुजरात के नवसारी जिले में स्थिति वांसदा राष्ट्रीय उद्यान मात्र 24 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ एक बेहद घना और गहरा वन्यजीव अभ्यारण है। वांसदा राष्ट्रीय उद्यान की सीमाएँ अपने दक्षिण भाग में स्थित डांग वनवासी क्षेत्र के जंगलों तक पहुँच जाती है, और इस वजह से इस राष्ट्रीय उद्यान का संरक्षण डांग वन विभाग द्वारा किया जाता है।
यह वन क्षेत्र राष्ट्रीय उद्यान बनने से पहले वांसदा के तत्कालीन राजा की निजी सम्पति था। वैसे तो वांसदा राज परिवार के द्वारा वांसदा के जंगलों में 1952 के बाद से ही पेड़ो की कटाई पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया था। बाद में जब वांसदा के राजा ने यह वन क्षेत्र गुजरात सरकार को सौंप दिया तो सरकार ने 1979 में वांसदा वन क्षेत्र को सरंक्षित वन क्षेत्र घोषित कर दिया।
उस के बाद से यह स्थान वांसदा राष्ट्रीय उद्यान के नाम से जाना जाता है। सह्याद्रि पर्वतमाला की तलहटी में स्थित इस राष्ट्रीय उद्यान का अधिकतर भू-भाग समतल है और बेहद घना है। मानसून के समय वांसदा राष्ट्रीय उद्यान में औसतन 2000 मिली मीटर से भी ज्यादा बारिश होती है, और उद्यान के समीप बहती हुई अंबिका नदी की वजह से भी इस राष्ट्रीय उद्यान की वनस्पति बेहद गहरी और घनी रहती है।
उद्यान के कुछ हिस्सों में वनस्पति इतनी ज्यादा गहरी है की दिन के समय में भी सूर्य की रोशनी जमीन तक नहीं पहुंच पाती है। वांसदा राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्रफल की दृष्टि से बहुत छोटा वन्यजीव अभ्यारण हो सकता है, लेकिन वांसदा राष्ट्रीय उद्यान की वनस्पति और वन्यजीवन इस जंगल के क्षेत्रफल के एकदम उलट है, यहाँ की वनस्पति जितनी ज्यादा घनी और गहरी है उससे कहीँ ज्यादा विभिन्नता यहाँ का वन्यजीवन अपने आप में समेटे हुए है।
कुनबी, गामित, कुकना, भोई, वारली और भील जैसे आदिवासी समुदाय के लोग आज भी वांसदा राष्ट्रीय उद्यान के जंगलों में अपने स्थायी निवास बना कर रहते है, और अधिकांश आदिवासी परिवार अपने जीवनयापन के लिए उद्यान में उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों पर ही निर्भर है।
वांसदा राष्ट्रीय उद्यान का वन्यजीवन – Vansda National Park Wildlife in Hindi
एक वन्यजीव अभ्यारण में पर्यटक सबसे ज्यादा क्या देखना पसंद करते है। यह एक बहुत ही सामान्य सवाल है और इसका उत्तर भी उतना ही सामान्य है। एक वन्यजीव अभ्यारण में पर्यटक बड़े वन्यजीवों को उनके प्राकृतिक आवास में देखने के लिए आते है। लेकिन वांसदा राष्ट्रीय उद्यान के वन्यजीवों के आकर्षण का मुख्य केंद्र यहाँ पाये जाने वाले छोटे-छोटे वन्यजीव है।
भारत के किसी भी राष्ट्रीय उद्यान से ज्यादा संख्या में मकड़ियों की प्रजातियाँ वांसदा राष्ट्रीय उद्यान में पायी जाती है। यहाँ लगभग 121 से भी ज्यादा मकड़ियों की प्रजातियाँ है। इनमें सब में भी इस राष्ट्रीय उद्यान में पायी जाने वाली सबसे बड़ी मकड़ी वुड स्पाइडर है जिसे इस उद्यान में बड़ी आसानी से देखा जा सकता है।
अभी कुछ समय पहले वांसदा राष्ट्रीय उद्यान में 8 नई मकड़ियों की प्रजाति और पाई गई है। कोबरा, रसेल क्रेट वाईपर और क्रिट्स जैसे दुनिया के सबसे जहरीले साँप और अजगर को मिला कर इस राष्ट्रीय उद्यान में लगभग 30 से ज्यादा साँपों की प्रजातियाँ भी चिन्हित की गई है, इसके साथ ही साँपों के सबसे प्रिय भोजन मेंढक की भी 11 प्रजाति वांसदा राष्ट्रीय उद्यान में मिलती है।
एक वन्यजीव अभ्यारण में पर्यटक सबसे ज्यादा क्या देखना पसंद करते है, यह एक बहुत ही सामान्य सवाल है और इसका उत्तर भी उतना ही सामान्य है। एक वन्यजीव अभ्यारण में पर्यटक बड़े वन्यजीवों को उनके प्राकृतिक आवास में देखने के लिए आते है। लेकिन वांसदा राष्ट्रीय उद्यान के वन्यजीवों के आकर्षण का मुख्य केंद्र यहाँ पाये जाने वाले छोटे-छोटे वन्यजीव है।
भारत के किसी भी राष्ट्रीय उद्यान से ज्यादा संख्या में मकड़ियों की प्रजातियाँ वांसदा राष्ट्रीय उद्यान में पायी जाती है। यहाँ लगभग 121 से भी ज्यादा मकड़ियों की प्रजातियाँ है। इनमें सब में भी इस राष्ट्रीय उद्यान में पायी जाने वाली सबसे बड़ी मकड़ी वुड स्पाइडर है जिसे इस उद्यान में बड़ी आसानी से देखा जा सकता है।
अभी कुछ समय पहले वांसदा राष्ट्रीय उद्यान में 8 नई मकड़ियों की प्रजाति और पाई गई है। कोबरा, रसेल क्रेट वाईपर और क्रिट्स जैसे दुनिया के सबसे जहरीले साँप और अजगर को मिला कर इस राष्ट्रीय उद्यान में लगभग 30 से ज्यादा साँपों की प्रजातियाँ भी चिन्हित की गई है, इसके साथ ही साँपों के सबसे प्रिय भोजन मेंढक की भी 11 प्रजाति वांसदा राष्ट्रीय उद्यान में मिलती है।
इस उद्यान में अलग-अलग किस्म के कीड़े और घोंघे के अलावा 60 से ज्यादा किस्म की तितलियाँ भी दिखाई दे सकती है। जंगल में कुछ बड़े शिकारी जानवर भी है जिसमें तेंदुआ यहाँ का मुख्य शिकारी जानवर है और उसके अलावा यहाँ पर जंगली बिल्ली, धारीदार लकड़बग्गा, जंगली सुअर, कॉमन पाम सिवेट और स्माल इंडियन सिवेट जैसे वन्यजीव शामिल है।
चीतल, बार्किंग हिरण, साही, रीसस मैकाक, लंगूर, चौसिंगा, गिलहरी, पैंगोलिन और लोमड़ी जैसे वन्यजीव भी इस राष्ट्रीय उद्यान में बहुत अधिक संख्या में देखे जा सकते है।
वांसदा राष्ट्रीय उद्यान के पक्षी – Vansda National Park Birds in Hindi
वांसदा राष्ट्रीय उद्यान में मकड़ियों, साँपों और अन्य वन्यजीवों के अलावा स्थानीय और प्रवासी पक्षियों की 155 के आसपास प्रजातियां पाई जाती है। इस वजह से पक्षी प्रेमियों के लिए वांसदा राष्ट्रीय उद्यान सबसे उपयुक्त वन्यजीव अभ्यारणों में से एक है।
वांसदा राष्ट्रीय उद्यान के पश्चिमी घाट पक्षी विहार के लिए सबसे उपयुक्त स्थान माने जाते है। उद्यान में लीफ बर्ड्स, ग्रे हॉर्नबिल, रैकेट-टेल्ड ड्रोंगो, पोम्पोडोर पीजोन, बैक सनबर्ड, भारतीय महान काले कठफोड़वा, मालाबार तून, पैराडाईज फ्लाइकैचर, मोर, थ्रश, जंगल बब्बलर, शमा, पन्ना कबूतर और पीला जैसे पक्षियों देखे जा सकते है।
इसके के अलावा लुप्तप्राय स्पॉटेड उल्लू को वांसदा राष्ट्रीय उद्यान में देखा जा सकता है।
किलाड़ कैम्प साइट, राष्ट्रीय उद्यान – Kilad Camp Site Vansda National Park
वांसदा राष्ट्रीय उद्यान के प्राकृतिक वातावरण में रहने के लिए वांसदा से पास स्थित किलाड़ गाँव में गुजरात वन विभाग द्वारा निर्मित किलाड़ कैम्प साइट सबसे उपयुक्त स्थानों में से एक है। किलाड़ गांव में स्थित इस कैम्प साइट के निर्माण का मुख्य उद्देश्य यहाँ आने वाले पर्यटकों में इको टूरिज्म को बढ़ावा देना और छात्रों में यहाँ के वन्यजीवन और प्राकृतिक सम्पदा के प्रति जागरूकता पैदा करना है।
किलाड़ कैम्प साइट यहाँ बहने वाली अम्बिका नदी के तट के एकदम समीप बना हुआ है इस वजह से यह कैम्प साइट बहुत मनोरम द्रश्य प्रस्तुत करती है। किलाड़ कैम्प साइट का प्रबंधन और रख रखाव इको टूरिज्म डेवलपमेंट कमेटी द्वारा किया जाता है। कैम्प साइट पर घूमने के लिए किसी भी समय जाया जा सकता है लेकिन अगर आप को किलाड़ कैम्प साइट पर रुकना है तो फिर आप यहाँ आने से पहले संबंधित व्यक्ति को कॉल करके यहाँ रुकने के लिए बुकिंग करवानी पड़ेगी।
सापुतारा घूमने जाने वाले और वांसदा राष्ट्रीय उद्यान आने वाले पर्यटक किलाड़ कैम्प साइट में रुकना ज्यादा पसंद करते है। किलाड़ कैम्प साइट पर पर्यटकों के लिए कैम्प फायर की भी सुविधा उपलब्ध है। किलाड़ कैम्प साइट से गीरा वॉटरफॉल तक ट्रेक करना आप के लिए यादगार साबित हो सकता है।
कैम्प साइट से आपको प्रति व्यक्ति 50 रुपये की फीस पर एक गाइड उपलब्ध हो जाएगा जो की आप कैम्प साइट से गीरा वॉटरफॉल तक ले जाएगा और वांसदा राष्ट्रीय उद्यान के बारे में भी जानकारी उपलब्ध देगा। किलाड़ कैम्प साइट घूमने आने वाले पर्यटकों के लिए यहाँ पर रुकने के लिए एक ओरिएंटेशन सेंटर, 4 कॉटेज, 10 टेंट शौचालय और स्नानघर के साथ और 3 झोपड़े बने हुए है।
यहाँ पर भोजन की सुविधा उपलब्ध नहीं है पर कैम्प के पास स्थित वघई शहर में अच्छे भोजनालय और रेस्टोरेंट बने हुए है जो की यहाँ पर आर्डर करने पर खाना उपलब्ध करवा देते है। किलाड़ कैम्प साइट में वन्यजीवन और प्राकृतिक दृश्यों को देखने के लिए मचान और ट्री हाउस भी बने हुए है यहाँ आप काफी देर तक बैठ कर वांसदा राष्ट्रीय उद्यान की सुंदरता का आनंद ले सकते है।
किलाड़ कैम्प साइट पर किसी भी प्रकार का प्रवेश शुल्क नहीं लिया जाता है बस आप को इस बात का ध्यान रखना है अगर आप यहाँ पर आ रहे है तो कैम्प साइट पर संबंधित व्यक्ति से बात करके यहाँ की बुकिंग करवा ले। किलाड़ कैम्प साइट के रेंज वन कार्यालय वांसदा: 02630 230057 के फ़ोन नंबर जिन पर आप संपर्क करके कैम्प साइट पर रुकने के लिए बुकिंग करवा सकते है।
वांसदा राष्ट्रीय उद्यान की वनस्पति – Vansda National Park Flora in Hindi
वांसदा राष्ट्रीय उद्यान के जंगल बेहद घने और गहरे है, उद्यान के कुछ हिस्से तो इतने घने है की वहाँ पर दिन के समय भी सूरज की रोशनी जमीन तक नहीं पहुंच पाती है। उद्यान की वनस्पति के इतना घना और गहरा होने का सबसे बड़ा कारण 1952 के बाद से इस उद्यान में अवैध रूप से पेड़-पौधों की कटाई पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया गया था।
वांसदा राष्ट्रीय उद्यान में लगभग 450 के आसपास पेड़-पौधों की प्रजातीय पाई जाती है, जिनमें सागवान और बाँस के ऊंचे-ऊंचे पेड़ो के अलावा 443 फूलों की प्रजातियाँ इस राष्ट्रीय उद्यान में पाई जाती है। जंगल के कई हिस्सो में कटास बाँस और सागवान के पेड़ की ऊंचाई 120 फुट तक चली जाती है।
कटास बाँस के अलावा मावेल बाँस भी इस राष्ट्रीय उद्यान में देखा जा सकता है। वांसदा राष्ट्रीय उद्यान के मध्य भाग में घास के मैदान बने हुए है, यहाँ पायी जाने वाली घास को भारदी घास के नाम से जाना जाता है।
वांसदा राष्ट्रीय उद्यान में पाये जाने वाली फूलों की प्रजातियों में ऑर्किड, गूंगा, शालू, सीसम, कलम, सागौन, कुसुम, शिमलो, चोपड़ी बंधरो, तनाच, अंबला, महुडो, खखारो, सागड़, तमरु, दुधकोड़, आसन, ऊमरो, कदड़ और बेहड़ा जैसे पेड़ और फूलों की किस्में प्रमुख रूप से पाई जाती है।
वांसदा राष्ट्रीय उद्यान में घूमने का सबसे अच्छा समय – Best Time To Visit Vansda National Park in Hindi
वांसदा राष्ट्रीय उद्यान मानसून की वजह से जून से लेकर अक्टूबर महिने तक पर्यटकों के लिए पूरी तरह से बंद रहता है। नवंबर के पहले सप्ताह से लेकर फरवरी के अंतिम सप्ताह तक वांसदा राष्ट्रीय उद्यान में घूमने का सबसे अच्छा समय रहता है।
वांसदा राष्ट्रीय उद्यान में प्रवेश शुल्क – Vansda National Park Entry Fees in Hindi
S.NO. | INDIAN TOURIST | FOREIGNER TOURIST |
01 | Entry Fees – 20/- INR (Per Person) | Entry Fees – 5$ US Dollar (Per Person) |
02 | Vehicle Up to 6 Person – 200/- INR | Vehicle Up to 6 Person – 20$ US Dollar |
03 | Vehicle Up to 15 Person – 500/- INR | Vehicle Up to 15 Person – 50$ US Dollar |
04 | Vehicle Up to 60 Person – 1750/- INR | Vehicle Up to 60 Person – 175$ US Dollar |
05 | Still Camera – 100/- INR | Still Camera – 10$ US Dollar |
06 | Guide (For Four Hours) – 50/- INR | Guide (For Four Hours) – 50/- INR |
(For an extra time, Tourist have to pay 20/- rupees per hour) | (For an extra time, Tourist have to pay 5$ US Dollar per hour) |
वांसदा राष्ट्रीय उद्यान में प्रवेश समय – Vansda National Park Timig in Hindi
वांसदा राष्ट्रीय उद्यान पर्यटकों के लिए पूरे सप्ताह सुबह 8:00 बजे से लेकर शाम को 6:00 बजे तक खुला रहता है। मानसून के समय उद्यान में बहुत ज्यादा बारिश होती है इसलिये वर्ष में जून महीने से लेकर अक्टूबर महीने तक वांसदा राष्ट्रीय उद्यान पर्यटकों के प्रवेश के लिए बंद रहता है। उद्यान में प्रवेश के समय में वन विभाग द्वारा मौसम के हिसाब से बदलाव किया जा सकता है।
वांसदा राष्ट्रीय उद्यान कैसे पहुँचे – How to Reach Vansda National Park in Hindi
हवाईजहाज से वांसदा राष्ट्रीय उद्यान कैसे पहुँचे – How to Reach Vansda National Park By Flight in Hindi
वांसदा राष्ट्रीय उद्यान से सूरत के डुमस एयरपोर्ट की दूरी मात्रा 120 किलोमीटर है देश के कई प्रमुख शहरों से सूरत के लिए नियमित हवाई सेवा उपलब्ध है। सूरत कर अलावा नासिक के ओझर एयरपोर्ट से भी वांसदा राष्ट्रीय उद्यान की दूरी भी मात्रा 120 किलोमीटर है।
इन दोनों एयरपोर्ट से आप बस और टैक्सी के द्वारा वांसदा राष्ट्रीय उद्यान बहुत आसानी से पहुंच सकते है। अगर आप किसी दूसरे देश से वांसदा राष्ट्रीय उद्यान आने का कार्यक्रम बना रहे है तो मुंबई के छत्रपति शिवाजी एयरपोर्ट से वांसदा राष्ट्रीय उद्यान की दूरी मात्र 260 किलोमीटर है, विश्व के लगभग सभी प्रमुख हवाई अड्डों से मुम्बई एयरपोर्ट के लिए नियमित उड़ाने उपलब्ध है।
रेल से वांसदा राष्ट्रीय उद्यान कैसे पहुँचे – How to Reach Vansda National Park By Train in Hindi
वंसदा राष्ट्रीय उद्यान से वघई रेलवे स्टेशन की दूरी मात्र 5 किलोमीटर है। वघई रेलवे स्टेशन से देश के कई प्रमुख शहरों से नियमित रेल सेवा उपलब्ध है। वघई रेल्वे स्टेशन से कैब या ऑटो के द्वारा वंसदा राष्ट्रीय उद्यान बहुत आसानी से पहुंचा जा सकता है।
सड़क मार्ग से वांसदा राष्ट्रीय उद्यान कैसे पहुँचे – How to Reach Vansda National Park By Road in Hindi
सड़क मार्ग से भी वांसदा राष्ट्रीय उद्यान बहुत अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। गुजरात और महाराष्ट्र की राज्य सीमा के पास में स्थित होने के वजह से दोनों राज्य से वांसदा राष्ट्रीय उद्यान के लिए नियमित रूप से सरकारी और निजी बस सेवा उपलब्ध है। बस के अलावा पर्यटक कैब और टैक्सी के अलावा अपने निजी वाहन से भी बहुत आसानी से वांसदा राष्ट्रीय उद्यान पहुँच सकते है।
(अगर आप मेरे इस आर्टिकल में यहाँ तक पहुंच गए है तो आप से एक छोटा से निवदेन है की नीचे कमेंट बॉक्स में इस लेख से संबंधित आपके सुझाव जरूर साझा करें, और अगर आप को कोई कमी दिखे या कोई गलत जानकारी लगे तो भी जरूर बताए। में यात्रा से संबंधित जानकारी मेरी इस वेबसाइट पर पोस्ट करता रहता हूँ, अगर मेरे द्वारा दी गई जानकारी आप को पसंद आ रही है तो आप अपने ईमेल से मेरी वेबसाइट को सब्सक्राइब जरूर करे, धन्यवाद )