वैष्णो देवी दर्शन 2024 | वैष्णो देवी यात्रा 2024 | Vaishno Devi Yatra Travel Guide in Hindi 2024 | Vaishno Devi in Hindi | Vaishno Devi Yatra in Hindi | Best Time To Visit Vaishno Devi | Things To Do in Vaishno Devi | History | Timings | Entry Fee
माता वैष्णो देवी मंदिर कटरा – Mata Vaishno Devi Temple Katra in Hindi
भारत के जम्मू कश्मीर राज्य में स्थित माता वैष्णो देवी मंदिर हिन्दू धर्म के सबसे बड़े पवित्र तीर्थ स्थल में से एक है। जम्मू जिले से 46 किलोमीटर की दुरी पर स्थित कटरा नाम के कस्बे के पास स्थित त्रिकुटा पर्वत पर 12 किलोमीटर की पैदल यात्रा के बाद तीर्थ यात्री माता वैष्णो देवी के दर्शन करने के लिए मंदिर तक पहुँचते है।
त्रिकुट पर्वत पर स्थित माता वैष्णो देवी के मंदिर की समुद्र तल से ऊँचाई मात्र 1585 मीटर (5200 फ़ीट ) है। माता वैष्णो देवी का मंदिर एक प्राचीन पवित्र गुफा में बना हुआ है, इस गुफा में माता वैष्णो देवी तीन पिण्डियों के रूप में विराजमान है। इन तीनो पिण्डियों को क्रमशः माता सरस्वती, माता लक्ष्मी और माता चामुण्डा के नाम से पुकारा जाता है। गुफा में स्थापित इन्ही तीनो पिण्डियों को माता वैष्णो देवी कहा जाता है।
पौराणिक कथाओ के अनुसार माता वैष्णो देवी को माता सरस्वती, माता लक्ष्मी और माता चामुंडा का स्वरुप माना जाता है। माता वैष्णो देवी के दर्शन करने के लिए पुरे भारत और विश्व के अनेक देशों से लाखों की संख्या में श्रद्धालु और तीर्थ यात्री दर्शन करने के लिए यहां आते है।
ऐसा माना जाता है की दक्षिण भारत में स्थित तिरूमला वेंकटेश्वर मंदिर के बाद माता वैष्णो देवी के मंदिर में सबसे ज्यादा श्रद्धालु और तीर्थ यात्री दर्शन करने के लिए आते है। माता वैष्णो देवी के मंदिर की देख-रेख की जिम्मेदारी वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड के द्वारा की जाती है ।
वैष्णो देवी मंदिर का इतिहास – History of Vaishno Devi Temple In Hindi
माता वैष्णो देवी की पौराणिक कथा – Mythology of Mata Vaishno Devi in Hindi
माता वैष्णो देवी से जुडी हुई पौराणिक कथाओं के अनुसार यह माना जाता है की एक बार माता सरस्वती, माता लक्ष्मी और माता चामुंडा एक जगह पर इकट्ठा हुए और उन्होंने अपनी दिव्य शक्तियों को एकत्रित करके एक बहुत ही सुन्दर कन्या को प्रकट किया। तीनों देवियों की शक्ति से प्रकट होने वाली कन्या उन देवियों से अपने प्राकट्य का कारन पूछती है तो तीनो देवियां उस अलौकिक कन्या का उतर देती है की उन्होंने उस कन्या को मृत्युलोक (पृथ्वी) पर रह सद्गुण, सदाचार और प्राणी मात्र की रक्षा करने के लिए बनाया है।
उसके बाद तीनो देवियां उस कन्या को कहती है वह पृथ्वी पर रहने वाले हमारे परम भक्त रत्नाकर के घर पर जन्म ले। और पृथ्वी पर रहते हुए सत्य और धर्म की स्थापना करे और आध्यात्मिक साधना करते हुए चेतना के सबसे उच्च स्तर को प्राप्त करे। और एक बार जब तुम आध्यात्मिक चेतना के सबसे उच्च स्तर को प्राप्त कर लोगी तब तुम भगवान विष्णु में मिलकर उनमें लीन हो जाओगी। ऐसा कह कर तीनों देवियां उस अलौकिक कन्या को कई वरदान देती है।
अब कुछ समय के उपरान्त वह अलौकिक कन्या एक बालिका के रूप में रत्नाकर और उसकी पत्नी के घर में जन्म लेती है। रत्नाकर और उनकी पत्नी उस सुन्दर बालिका का नाम वैष्णवी रखते है। वैष्णवी को अपने बचपन से आध्यात्मिक ज्ञान अर्जित करने को तीव्र जिज्ञासा होती है। वैष्णवी की आध्यात्मिक ज्ञान अर्जित करने की जिज्ञासा इतनी तीव्र होती है की किसी भी प्रकार की शिक्षा और दीक्षा से उसे संतुष्टि प्राप्त नहीं होती है।
कुछ समय के बाद वैष्णवी आध्यात्मिक ज्ञान अर्जित करने के लिए गहन ध्यान में लीन रहने लगी और कुछ ही समय के बाद वैष्णवी ध्यान लगाने की कला में निपुण हो गई। ध्यान लगाने की कला सीखने के बाद वैष्णवी को यह समझ आ गया था की गहन ध्यान और तपस्या करने के बाद ही आध्यात्मिक चेतना के उच्चतम स्तर को प्राप्त कर सकती है। कुछ दिनों के बाद वैष्णवी अपने पिता रत्नाकर के घर को छोड़ कर घने जंगलो में तपस्या करने के लिए चली जाती है।
उन घने जंगलो में वैष्णवी की भेंट भगवान राम से होती है जो को उस समय अपने 14 वर्ष का वनवास काट रहे होते है। भगवान राम से मिलते ही वैष्णवी उन्हें पहचान जाती है की वो कोई साधारण मनुष्य नहीं है बल्कि स्वयं भगवान विष्णु है। उस समय वैष्णवी भगवान राम से निवेदन करती है वह उसे अपने आप में मिला ले ताकि वह परम सर्जनकर्ता से मिलकर उनमें समाहित हो जाए।
उस समय भगवान राम वैष्णवी को यह कह कर रोक देते है की अभी उचित समय नहीं है, और यह कहते है की जब वह अपने 14 साल के वनवास को पूरा करने के बाद जब दुबारा उससे मिलेंगे तब यदि वह उन्हें पहचान जाएगी तब वह उसकी इच्छा को जरूर पूरा करेंगे। अपने 14 वर्ष का वनवास पूरा करने के बाद भगवान राम एक वृद्ध आदमी का रूप धारण करके वैष्णवी से मिलते है लेकिन दुर्भाग्य से वह उन्हें पहचान नहीं पाती और गुस्सा हो कर वह उन्हें बुरा भला कहते हुए दुखी हो जाती है।
वैष्णवी के दुखी हो जाने पर भगवान राम उसे समझाते है की अभी तुम्हारा मुझसे मिलकर मुझमें समाहित होने का सही समय नहीं आया है। आगे भगवान राम वैष्णवी को यह कहते है की कलियुग में जब कल्कि के रूप में अवतरित होऊंगा तब वह समय तुम्हारे लिए मुझ में मिलकर समाहित हो जाने का सही समय होगा।
उसके बाद भगवान राम वैष्णवी को त्रिकुटा पर्वत की तलहटी में आश्रम स्थापित करने का निर्देश देते है और यह कहते है की वहां रहते हुए तपस्या के द्वारा अपने आध्यात्मिक स्तर उच्च करने का निर्देश भी देते है। इसके अलावा भगवान राम वैष्णवी को आश्रम में रहते हुए मानव मात्र को आशीर्वाद और निर्धन और दुखी लोगो के संकट दूर करने की प्रेरणा भी देते है।
भगवान राम के दिए गए निर्देश के अनुसार वैष्णवी अनेक कठिनाइयों का सामना करते हुए त्रिकुटा पर्वत की तलहटी तक पहुँच जाती है। त्रिकुटा पर्वत के पास पहुँच कर वैष्णवी वहां अपने लिए एक आश्रम की स्थापना करती है और आध्यात्मिक चिंतन और तपस्या में लीन रहने लग जाती है। त्रिकुटा पर्वत के पास आश्रम बना कर रहने के कुछ समय के बाद ही वैष्णवी की महिमा दूर दूर तक फैल जाती है।
सैंकड़ो की संख्या में श्रद्धालु वैष्णवी का आशीर्वाद लेने के लिए उसके आश्रम में प्रतिदिन आने लगते है। कुछ समय के बाद महायोगी गुरु गोरखनाथ जिन्होंने भगवान राम और वैष्णवी के बीच हुए संवाद सुना और देखा था। उनके में मन में यह जाने की प्रबल जिज्ञासा उत्पन होती है की क्या वैष्णवी अपने आध्यात्मिक चेतना के उच्चतम स्तर को प्राप्त करने में सफल हुई है या नहीं। यह सब जानने के लिए वह अपने शिष्य भैरवनाथ को वैष्णवी के आश्रम भेजते है।
आश्रम को ढूंढ कर भैरवनाथ छिप कर वैष्णवी की निगरानी करना शुरू कर देता है, निगरानी करते हुए कुछ समय के बाद भैरवनाथ को यह पता चलता है की वैष्णवी वैसे तो एक साध्वी है लेकिन वह हर समय अपने पास धनुष बाण भी रखती है। इसके अलावा वैष्णवी हमेशा वन्यजीवों से घिरी हुई रहती है जैसे शेर और लंगूर आदि।
कुछ समय के बाद भैरवनाथ वैष्णवी की अलौकिक सुंदरता पर आसक्त हो जाता है और अपनी सारी सद्धबुद्धि भूल कर वैष्णवी पर विवाह के लिए जोर देने लगता है। इसी समय वैष्णवी के परम भक्त श्रीधर अपने घर पर एक सामूहिक भोज का आयोजन करता है जिसमे वह अपने पुरे गांव और गुरु गोरखनाथ के शिष्यों को भी आमंत्रित करता है। सामूहिक भोज में गुरु गोरखनाथ का शिष्य भैरवनाथ भी आता है।
सामूहिक भोज के दौरान भैरवनाथ वैष्णवी का अपहरण करने का प्रयास करता है लेकिन वैष्णवी भैरवनाथ को धकेल कर वहां से निकल जाती है। अपनी तपस्या में किसी भी प्रकार की बाधा दोबारा ना आये इसलिए वैष्णवी त्रिकुटा पर्वत में जाकर तपस्या करने के निर्णय लेती है। लेकिन भैरवनाथ फिर भी वैष्णवी का पीछा करना नहीं छोड़ता है। भैरवनाथ से पीछा छुड़ाते हुए वैष्णवी त्रिकुट पर्वत पर कई स्थानों पर पड़ाव डालते हुए अंत में पवित्र गुफा तक पहुँच जाती है (वर्तमान में इन सभी पड़ावों को बाणगंगा, चरणपादुका और अर्धकुवारी के नाम से जाना जाता है)।
लेकिन भैरवनाथ वैष्णवी का पीछा करते हुए पवित्र गुफा तक भी पहुँच जाता है। भैरवनाथ से किसी भी प्रकार के संघर्ष से बचने के सभी तरह से प्रयास करने के बाद वैष्णवी अंत में भैरवनाथ का वध करने के लिए विवश हो जाती है। उसके के बाद वैष्णवी माता चामुंडा का रूप धर करके पवित्र गुफा के मुहाने पर भैरवनाथ का सिर धड़ से अलग कर देती है। भैरवनाथ का सिर धड़ से अलग होकर दूर एक पहाड़ी की छोटी पर जा गिरता है।
अपनी मृत्यु को समीप जान कर भैरवनाथ माता वैष्णो देवी से क्षमा याचना करता है। भैरवनाथ के क्षमा मांगने पर माता वैष्णो देवी को इस पर दया आ जाती है और वह उसे क्षमा कर देती है, साथ में भैरवनाथ को यह वरदान भी देती है की प्रत्येक श्रद्धालु जो भी देवी के दर्शन करने के लिए इस पवित्र गुफा में आएगा। वह माता वैष्णो देवी के दर्शन करने के बाद अगर भैरवनाथ के दर्शन नहीं करेगा तो उस श्रद्धालु की यात्रा पूर्ण नहीं मानी जाएगी।
यह वरदान देने के बाद माता वैष्णो देवी अपना भौतिक रूप त्याग देने का निर्णय लेती है और उस पवित्र गुफा में तीन पिण्डियों वाली एक शिला के रूप में परिवर्तित होकर हमेशा के लिए तपस्या में लीन हो जाती है । वर्तमान में त्रिकुट पर्वत में स्थित पवित्र गुफा के अंदर विराजमान उन तीन पिण्डियों को ही माता वैष्णो देवी कहा जाता है।
वैष्णों देवी यात्रा की शुरुआत – Beginning of vaishno devi journey in Hindi
माता वैष्णो देवी के मंदिर की पैदल यात्रा त्रिकुटा पर्वत की तलहटी में स्थित कटरा नाम के कस्बे से शुरू होती है। माता वैष्णो देवी के दर्शन के लिए रातभर तीर्थ यात्रियों का मंदिर तक पैदल यात्रा का सिलसिला जारी रहता है। माता वैष्णो देवी के दर्शन के लिये सभी तीर्थ यात्री और श्रद्धालुओं के पास “यात्रा पर्ची” का होना बहुत आवश्यक है। बिना यात्रा पर्ची के कोई भी व्यक्ति माता वैष्णो देवी के दर्शन नहीं कर सकता है।
कटरा से यात्रा पर्ची लेने के बाद ही तीर्थ यात्री कटरा से माता वैष्णो देवी के दरबार तक कि चढ़ाई शुरू कर सकते है। यात्रा पर्ची लेने के बाद तीर्थ यात्री “बाणगंगा” चेकपोइंट पर अपनी यात्रा पर्ची चेक करवाके माता वैष्णो देवी के दर्शन करने की अपनी पैदल यात्रा शुरू कर सकता है। अगर कोई भी श्रद्धालु यात्रा पर्ची लेने के 06 घंटे के तक चेकपोइंट पर अपनी एंट्री नहीं करवाता है तो उस व्यक्ति की यात्रा पर्ची रद्द मानी जाती है।
इसलिए आपको इस बात का विशेष ध्यान रखना है कि यात्रा पर्ची कटवाने के 06 घंटे के भीतर चेकपोइंट पर अपनी एंट्री करवाके के अपनी पैदल यात्रा शुरू करे। वर्तमान में सभी श्रद्धालुओं के लिए माता वैष्णो देवी के दर्शन के लिए यात्रा पर्ची कटवाने की सुविधा अब ऑनलाइन भी उपलब्ध है। माता वैष्णो देवी करने की सुविधा अब इंटरनेट पर भी उपलब्ध, कोई भी श्रद्धालु और तीर्थ-यात्री माता वैष्णो देवी की आधिकारिक वेबसाइट ( www.maavaishnodevi.org ) पर अपने लिए यात्रा पर्ची कटवा सकता है।
माता वैष्णो देवी की चढ़ाई करते समय मे श्रद्धालुओं के लिये रास्ते मे जलपान और भोजन करने की बहुत शानदार व्यवस्था की गई है। कटरा से लेकर भवन तक कि चढ़ाई के दौरान कई जगहों पर क्लॉक रूम की सुविधा भी उपलब्ध करवाई गई है। इन क्लॉक रूम के लिये आप पूर्व निर्धारित शुल्क देकर अपने लिए क्लॉक रूम कि की सुविधा उपलब्ध करवा सकते है। क्लॉक रूम में आप अपना भारी सामान रखकर आप माता वैष्णो देवी के दरबार की चढ़ाई शुरू कर सकते है।
नोट :- वर्तमान में माता वैष्णो देवी के दर्शन करने के लिए आने वाले सभी यात्री ऑनलाइन यात्रा पर्ची लेकर ही माता वैष्णो देवी के दर्शन कर सकते है। यात्रियों द्वारा ली जाने वाले यात्रा पर्ची जम्मू और पंजाब बॉर्डर पर स्थित लक्खनपुर पर यात्रा पर्ची चेक की जाती है । यह जगह लक्खनपुर बॉर्डर के नाम से भी प्रसिद्ध है । इसके अलावा सभी यात्रियों को अपने साथ covid –19 की नेगेटिव रिपोर्ट होना भी जरुरी है ।
दर्शनी दरवाजा कटरा – Darshni Darwaja Katra in Hindi
कटरा से माता वैष्णो देवी की पैदल यात्रा का रास्ता कटरा के बस स्टैंड से लगभग 01 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है। बस स्टैंड से 01 किलोमीटर की दुरी पर स्थित माता वैष्णो देवी पैदल यात्रा के प्रवेश द्वार को दर्शनी दरवाजा के नाम से भी जाना जाता है। दर्शनी दरवाजा से जुडी हुई पौराणिक कथाओं के अनुसार इस स्थान पर माता वैष्णो देवी ने पंडित श्रीधर को एक कन्या के रूप में सबसे पहली बार दर्शन दिए थे।
इस स्थान से त्रिकुटा पर्वत पूरा दिखाई देता है इस वजह से भी इस जगह को दर्शनी दरवाजा कहा जाता है। दर्शनी दरवाजा के पास में दो दरवाजे बने हुए है, पुराना दरवाजा यानि के पहला दरवाजे से तीर्थ यात्री सीढ़ियों के द्वारा माता वैष्णो देवी के दरबार तक पहुँच सकते है। दूसरा दरवाजे के निर्माण वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड ने अभी कुछ वर्ष पहले ही करवाया है। नए दरवाजे के लिए बहुत ही सुन्दर पोर्च का निर्माण करवाया गया है।
और इस नए रास्ते पर श्राइन बोर्ड के द्वारा माता वैष्णो देवी के दरबार तक बहुत ही शानदार रैम्प का निर्माण करवाया गया है। नया रास्ता पूरी तरह से लोहे के शेड से ढका हुआ है और सुरक्षा की दृष्टि से रैंप की साइड्स में लोहे की जालियां भी बनाई गई है। नए दर्शनी दरवाज़े के पास में आपके निजी वहां खड़े करने के लिए पर्याप्त जगह है, यहाँ पर आप निर्धारित पार्किंग शुल्क देकर अपनी गाड़ी को पार्क कर सकते है।
अगर आप बस के द्वारा या फिर ट्रैन के द्वारा कटरा आये है तो आप को ऑटो वाले भी दर्शनी दरवाजे तक बड़े आराम से छोड़ देंगे। अगर आप बिना पार्किंग के अपनी गाड़ी को छोड़ कर माता वैष्णो देवी के दर्शन करने जाते है तो आप अपनी गाड़ी को अच्छी तरह से लॉक करके ही माता वैष्णो देवी के दर्शन करने के लिए जाए।
वैष्णो देवी मंदिर का मुख्य मार्ग -Vaishno Devi Temple Main Road in Hindi
माता वैष्णो देवी मंदिर के प्रबंधन की जिम्मेदारी वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड को 30 अगस्त 1986 मिली थी। वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड के पास मंदिर के प्रबंधन की जिम्मेदारी आने के बाद उन्होंने मंदिर तक जाने वाले टूटे -फूटे रास्ते को सही करवाने का काम सबसे पहले शुरू किया था। वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड ने टूटे-फूटे हुए रास्ते को समतल करवाया और पहले से ज्यादा चौड़ा भी करवा दिया और पुरे रास्ते में कंक्रीट से बनी हुई टाइल लगवा दी गई ।
इसके अलावा मार्ग में अनगिनत पैरापिटस बनवा दिए गए है और सुरक्षा की दृष्टि से रैलिंग भी बनाई गई है। तेज बारिश और भूस्खलन से तीर्थ यात्रियों को बचाने के लिए मजबूत शेल्टर का निर्माण भी करवाया गया है। अधिकांश यात्री माता वैष्णो देवी के दर्शन करने के लिए राते के समय अपनी पैदल यात्रा शुरू करते है इसलिए वर्तमान में 1200 से भी ज्यादा संख्या में हाई प्रेशर सोडियम वेपर लैंप लगाए गए है।
मार्ग में तीर्थ यात्रियों के लिए पीने के पानी की उचित व्यवस्था की गई है, मार्ग में जगह-जगह पर गर्म और ठन्डे पानी के 120 जल-स्थल बने हुए है और लगभग 20 वाटर कूलर भी लगाए गए है। इन सब सुविधाओं के अलावा मार्ग में तीर्थ यात्रियों के शौचालय आदि की सुविधा के लिए 600 के आसपास आधुनिक शौचालय सीटें भी उपलब्ध करवाई गई है।
वैष्णो देवी मंदिर वैकल्पिक मार्ग – Vaishno Devi Temple Alternative Route in Hindi
माता वैष्णो देवी के दर्शन के लिए तीर्थ यात्रियों की बढ़ती हुई भारी भीड़ की वजह से वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड ने 1990 में माता वैष्णो देवी के मंदिर के लिए एक वैकल्पिक मार्ग का निर्माण शुरू किया। माता वैष्णो देवी मंदिर तक जाने वाले इस नए रास्ते को ही वैकल्पिक मार्ग के नाम से जाना जाता है। वैकल्पिक मार्ग का निर्माण 1990 में शुरू किया गया था और 1999 में इस नए मार्ग को तीर्थ यात्रियों के लिए खोल दिया गया।
यह नया रास्ता पुराने मार्ग से छोटा है और आसान भी है। इसके अलावा इस रास्ते पर किसी खच्चर को जाने की अनुमति नहीं है। वैकल्पिक मार्ग अर्धकुवारी से थोड़ा पहले इंद्रप्रस्थ नाम के साइट व्यू पॉइंट से शुरू होता है और माता वैष्णो देवी मंदिर के मुख्य परिसर के पास पहुँच कर खत्म होता है। नया वैकल्पिक मार्ग पुराने मार्ग से लगभग 500 मीटर छोटा और कम चढ़ाई वाला मार्ग है। इस नए मार्ग को पुराने मार्ग की तुलना में समतल और ज्यादा चौड़ा बनाया गया है।
इस मार्ग में तीर्थ यात्रियों के लिए दो व्यू पॉइंट और तीन बिक्री केंद्र बनाए गए है जिनसे आप भोजन और अल्पाहार इत्यादि खरीद सकते है। इसके अलावा इस मार्ग पर गर्म और ठंडे पानी के वाटरकूलर और शौचालय भी बनाये गए है। पूरे रास्ते में सुरक्षा की दृष्टि से शैल्टर शेड भी बनाये गए है। नए वैकल्पिक मार्ग पर बिजली से चलने वाली टैक्सी सर्विस सेवा भी शुरू की गई है।
दिव्यांग, बीमार, वृद्ध और कमजोर तीर्थ यात्रियों के लिए इंद्रप्रस्थ और मनोकामना भवन से बिजली से चलने वाले वाहनों की सुविधा उपलब्ध है। तीर्थ यात्रियों को यह सुविधा बुकिंग की उपलब्धता के आधार पर मिल सकती है।
वैष्णो देवी पैदल यात्रा के दौरान पड़ाव – Stop during Vaishno Devi Yatra in Hindi
बाणगंगा -Banganga in Hindi
माता वैष्णो देवी यात्रा के समय दर्शनी दरवाजा पर बनी हुई पुलिस चेक पोस्ट परतीर्थ यात्री अपनी यात्रा पर्ची चेक करवाने के बाद एक छोटे से पुल के पास पहुंचता है। इस छोटे से पुल के नीचे बहने वाली छोटी सी नदी ही बाणगंगा कहलाती है। बाणगंगा नदी माता वैष्णो देवी की पैदल यात्रा का पहला पड़ाव है।
नदी से जुड़ी हुई पौराणिक कथा के अनुसार माता वैष्णो देवी जब त्रिकुटा पर्वत में स्थित पवित्र गुफा की तरफ जा रही थी तब उन्होंने इस स्थान पर बाण चला कर एक झरने को उत्पन्न किया था। इस वजह से इस नदी को बाणगंगा कहा जाता है। इसके अलावा यह भी माना जाता है कि माता वैष्णो देवी ने इस पवित्र नदी में डुबकी लगाई थी और यहां पर अपने बाल भी धोये थे।
अपने धार्मिक महत्व के कारण यहाँ आने वाले तीर्थ यात्री इस पवित्र नदी में स्नान करना बहुत पसंद करते है। तीर्थ यात्रियों के लिए बाणगंगा नदी पर घाट भी बनाये गए है।
चरण पादुका – Charan Paduka In Hindi
बाणगंगा के बाद वैष्णो देवी यात्रा के दूसरे पड़ाव को चरण पादुका कहा जाता है। बाणगंगा से चरण पादुका की दूरी लगभग 1.5 किलोमीटर है और चरण पादुका की समुद्र तल से ऊँचाई लगभग 1080 मीटर (3380 फ़ीट) है। वर्तमान में इस स्थान पर एक मंदिर बना हुआ जिसमें माता वैष्णो देवी के पैरों के निशान एक पत्थर की चट्टान पर बने हुए है।
चरण पादुका से जुड़ी हुई पौराणिक कथा के अनुसार जब माता वैष्णो देवी एक कन्या के रूप में भैरों से दूर जा रही थी तब कुछ क्षण के लिए उन्होंने इस स्थान पर रुक कर यह देखा था कि भैरों उनसे कितना दूर। माता वैष्णो देवी के इस स्थान पर कुछ क्षण रुकने के कारण इस स्थान पर उनके पैरों के निशान बन गए इस।
इस स्थान पर माता वैष्णो देवी के पैरों के निशान की वजह से इस जगह को चरण पादुका कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि मंदिर में स्थित माता वैष्णो देवी के चरणों के दर्शन करने पर माता वैष्णो देवी की पैदल यात्रा सफल होती है। चरण पादुका के पास में वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड ने तीर्थ यात्रियों के लिए एक चिकित्सा इकाई बना रखी है ताकि किसी भी मेडिकल इमेरजेंसी के समय मेडिकल सुविधा उपलब्ध करवाई जा सके।
अर्धकुवारी – Ardhkuwari in Hindi
चरण पादुका के बाद माता वैष्णो देवी पैदल यात्रा का जो अगला पड़ाव आता है उसे अर्धकुवारी और गर्भजून कहा जाता है। अर्धकुवारी की समुद्रतल से ऊँचाई मात्र 1463 मीटर (4800 फ़ीट) है और कटरा से इसकी दूरी 06 किलोमीटर है। अर्धकुवारी से माता वैष्णो देवी के भवन की दूरी भी मात्र 06 किलोमीटर ही बचती है।
इस तरह से तीर्थ यात्री अर्धकुवारी पहुँच माता वैष्णो देवी दर्शन पैदल यात्रा का आधा भाग पूरा कर लेते है। माता वैष्णो देवी की यात्रा के समय अर्धकुवारी के दर्शन करना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस स्थान से जुड़ी हुई पौराणिक कथा के अनुसार माता वैष्णो देवी एक छोटी कन्या के रूप में अपने परम भक्त श्रीधर के भण्डारे से निकल कर जब त्रिकुटा पर्वत की और रवाना होती है तो वह बाण गंगा और चरण पादुका रुकते हुए अर्द्धकुवारी पहुँचती है।
यहाँ पर माता वैष्णो देवी एक कोख के आकार की गुफा में 09 महीने तक ध्यान लगा कर तपस्या में लीन हो जाती है। माना जाता है कि गुफा के दाईं ओर कोख के आकार का स्थान बना हुआ है और इसी जगह पर माता वैष्णो देवी ने 09 महीने तक ध्यान लगा कर तपस्या की थी। माता वैष्णो देवी ने इस गुफा में 09 महीने तक तपस्या की थी इस वजह से इस जगह को गर्भजून भी कहा जाता है।
माता वैष्णो देवी अर्द्धकुवारी पर स्थित गुफा में 09 महीने तक तपस्या तपस्या करते हुए हुए वह हुए समय बिताती है इस वजह से इस गुफा को गर्भजून भी कहा जाता है। माता वैष्णो देवी को जब पता चलता है कि उनकी तलाश करते हुए भैरों गुफा तक पहुंच गया है तो उन्होंने अपने त्रिशूल से गुफा ले दूसरी तरफ बाहर निकलने का रास्ता बना लिया।
यह गुफा इतनी तंग है कि इसमें एक बार मे सिर्फ एक ही आदमी बाहर निकल सकता है और वो भी लेट कर। गर्भजून एक बेहद पवित्र जगह है तीर्थ यात्री इस जगह की यात्रा करके अपने अंदर एक नई ऊर्जा का संचार महसूस करते है।
हिमकोटी -Himkoti in Hindi
अर्द्धकुवारी से लगभग 2.75 किलोमीटर पैदल चलने के बाद अगले पड़ाव हिमकोटी आता है। हिमकोटी माता वैष्णो देवी के भवन तक जाने वाले नए मार्ग पर बना हुआ है। यहाँ से त्रिकुटा पर्वत और घाटी के बेहद सुंदर दृश्य दिखाई देते है।
वैसे तो हिमकोटी का कोई धार्मिक या पारम्परिक महत्व नहीं है लेकिन यहां दिखाई दिए जाने वाले दृश्यों की वजह से यह पड़ाव तीर्थ यात्रियों में बहुत पसंद किया जाता है। वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड ने हिमकोटी पर तीर्थ यात्रियों के लिए एक व्यू पॉइंट, भोजनालय और मेडिकल सुविधा उपलब्ध करवा रखी है।
इन सब के अलावा अगर किसी तीर्थ यात्री को ज्यादा ऊँचाई की वजह से साँस लेने में तकलीफ होती है तो यहाँ पर ऑक्सिजन सिलेंडर को सुविधा भी उपलब्ध है। वर्तमान में वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड ने हिमकोटी पर तीर्थ यात्रियों के आराम करने और व्यू पॉइंट के अलावा इस स्थान पर एक कृत्रिम तालाब, बगीचा और एक ध्यान केंद्र बनाने का निर्णय भी लिया है।
सांझी छत – Sanjhi chhat in Hindi
सांझीछत माता वैष्णो देवी यात्रा का सबसे अंतिम पड़ाव है। सांझी छत के बाद माता वैष्णो देवी मंदिर चढ़ाई खत्म हो जाती है और हल्की ढलान शुरू हो जाती है। सांझी छत से माता वैष्णो देवी के मंदिर की दूर मात्र 2.5 किलोमीटर ही रह जाती है। वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड के पास माता वैष्णो देवी मंदिर का प्रबंधन आने से पहले सांझी छत की स्थित बहुत ही बुरी थी।
1986 से पहले सांझी छत और इसके आसपास बनी हुई इमारतों की स्थित बेहद खराब थी और इस जगह बनी हुई दुकानें भी बहुत अव्यस्थित थी। किसी प्रकार की समुचित व्यवस्था नहीं होने की वजह से यहाँ पर बहुत ज्यादा गंदगी भी रहती थी। तीर्थ यात्रियों के लिए रुकने कोई विशेष सुविधा भी उपलब्ध नहीं थी यहाँ पर सिर्फ एक धर्माथ ट्रस्ट द्वारा बनाई गई एक धर्मशाला थी जिसमे भी रुकने उचित व्यवस्था नहीं थी।
भोजन, पीने का पानी और शौचालय की सुविधा यहाँ पर ना के बराबर थी। श्राइन बोर्ड के पास मंदिर के प्रबंधन की जिम्मेदारी आने के उन्होंने सर्वप्रथम सांझी छत का उचित विकास करना शुरु कर दिया था। सबसे पहले श्राइन बोर्ड ने यहाँ पर बनी हुई पुरानी इमारतों हटाना शुरू किया और सांझी छत की सफाई का काम शुरू किया। जगह-जगह पर मजबूत फर्श बनवाया गया, रात के समय फ्लड लाइट लगवाई गई और इस जगह को सुंदरता प्रदान करने के लिए फव्वारे लगवाए गए।
तीर्थ यात्रियों के लिए भोजनालय, वाटर कूलर, शॉपिंग प्लाजा और शौचालय बनवाए गए। किसी भी प्रकार की मेडिकल इमेरजेंसी से बचने के लिये तीर्थ यात्रियों के लिए एक 24 बेड वाला अस्पताल भी बनवाया गया। माता वैष्णो देवी के दर्शन करने आने वाले कई तीर्थ यात्रियों के पास समय का अभाव होता है या फिर वह लोग 12-13 किलोमीटर की पैदल चढ़ाई नहीं कर सकते ऐसे यात्रियों के लिए सांझी छत पर हेलीपैड का निर्माण करवाया गया है ताकि तीर्थ यात्री बहुत कम समय मे और बड़े आराम से माता वैष्णो देवी के दर्शन कर सके।
माता वैष्णो देवी मंदिर – Mata Vaishno Devi Temple in Hindi
सांझी छत से पैदल चलते हुए तीर्थ यात्री अपनी यात्रा के अंतिम पड़ाव यानी माता माता वैष्णो देवी के मंदिर तक पहुँच जाते है। सांझी छत से कुछ दूर चलने के बाद ही मुख्य भवन तीर्थ यात्रियों को दिखाई दे जाता है। माता वैष्णो देवी के मंदिर को भवन भी कहा जाता है। मंदिर एक प्राचीन पवित्र गुफा है जिसमे प्रवेश के लिए एक नए मार्ग का निर्माण अभी कुछ समय पहले ही करवाया गया है।
पवित्र गुफा में प्रवेश के लिए उपयोग में लिए जाने वाले पुराने मार्ग में अब प्रवेश पूरी तरह से बंद कर दिया गया है। पुराने मार्ग से जाने वाले तीर्थ यात्री गुफा में प्रवेश करने के बाद रेंग कर माता वैष्णो देवी के दर्शन कर पाते थे। अभी कुछ समय पहले तैयार नए मार्ग से तीर्थ यात्री बड़े आराम से माता वैष्णो देवी के दर्शन कर सकते है।
पवित्र गुफा में माता वैष्णो देवी तीन पिण्डियों के रूप में विराजमान है जिन्हें माता लक्ष्मी, माता काली और माता सरस्वती के रूप में जाना जाता है। माता वैष्णो देवी के दर्शन करने पर आप को यह एहसास होता है कि आप दुनिया के किसी सबसे बड़े न्यूक्लियर पॉवर रिएक्टर के पास खड़े हो। माता वैष्णो देवी के दर्शन करने के बाद आप मे एक नई ऊर्जा का संचार हो जाता है।
भैरों मंदिर, वैष्णो देवी मंदिर, कटरा – Bhairon Temple, Vaishno Devi Temple, Katra in Hindi
माता वैष्णो देवी के दर्शन करने के बाद भैरों के दर्शन करना अनिवार्य माना जाता है, अगर तीर्थ यात्री माता वैष्णो देवी के दर्शन करने के बाद भैरों के दर्शन नहीं करते तो माता वैष्णो देवी की यात्रा पूर्ण नहीं मानी जाती है। 1986 से पहले माता वैष्णो देवी के मंदिर से भैरों के मंदिर तक जाने का रास्ता कच्चा और उबड़-खाबड़ था।
उस समय तीर्थ यात्रियों के लिए भैरों के दर्शन करना बहुत ही मुश्किल होता था। लेकिन जब से श्राइन बोर्ड के पास माता वैष्णो देवी मंदिर का प्रबंधन आया है उसके बाद मुख्य मंदिर और भैरों मंदिर के विकास कार्य बहुत तेजी से करवाया गया। माता वैष्णो देवी मंदिर से भैरों मंदिर तक जाने वाले रास्ते को चौड़ा करवाने के अलावा मंदिर तक जाने वाली सीढ़ियों का पुनर्निर्माण करवाया गया।
तीर्थ यात्रियों की सुरक्षा के लिए मंदिर तक जाने वाले रास्ते मे शेल्टर और शेड लगवाए गए। रात के समय पैदल यात्रा करने वाले तीर्थ यात्रियों के लिए रास्ते मे सोडियम वैपर लैम्प लगवाए गए है। तीर्थ यात्रियों की सुविधा के लिए फ़ूड स्टाल, वॉटर कूलर और शौचालय का निर्माण भी करवाया गया है।
कटरा से माता वैष्णो देवी के मंदिर तक कैसे पहुँचे – How to reach the Mata Vaishno Devi Temple from Katra in Hindi
पैदल मार्ग – walkway in Hindi
अधिकांश तीर्थ यात्री माता वैष्णो देवी के दर्शन करने के लिए पैदल यात्रा करना पसंद करते है। श्राइन बोर्ड ने तीर्थ यात्रियों के लिए बाण गंगा से लेकर माता वैष्णो देवी के मंदिर तक बहुत शानदार पैदल मार्ग बना रखा है।
पैदल मार्ग के अलावा तीर्थ यात्री सीढ़ियों के प्रयोग करके भी माता वैष्णो देवी के मंदिर तक पहुँच सकते है। सीढ़ियों से माता वैष्णो देवी के मंदिर तक यात्रा करना तीर्थ यात्रियों के लिए थोड़ा कठिन हो सकता है। नए पैदल मार्ग से मंदिर की यात्रा करना बहुत आसान होता है।
हेलीकॉप्टर – Vaishno Devi Helicopter Service in Hindi
अभी कुछ वर्ष पहले ही श्राइन बोर्ड ने माता वैष्णो देवी के दर्शन करने के लिए हेलीकॉप्टर सेवा शुरू की है। हेलीकॉप्टर से माता वैष्णो देवी के दर्शन करना सबसे आसान रास्ता माना जाता है। हेलीकॉप्टर तीर्थ यात्रियों को कटरा से लेकर सांझी छत तक लेकर जाता है। सांझी छत से तीर्थ यात्रियों को मुख्य मंदिर तक पैदल जाना पड़ता है।
सामान्य दिनों में माता वैष्णो देवी के दर्शन करने के लिए हेलीकॉप्टर की बुकिंग 02 महीने पहले करवानी पड़ती है। हेलीकॉप्टर की एक तरफा यात्रा की टिकट 1005 रुपये है। हेलीकॉप्टर एक बार मे 5-6 तीर्थ यात्रियों को सांझी छत तक लेकर जाता है।
खच्चर से यात्रा करना – Travel by horse or mule in Hindi
माता वैष्णो देवी के मंदिर तक घोड़े या खच्चर से यात्रा करना सबसे पुराने साधनों में से माना जाता है। खच्चर से आप माता वैष्णो देवी के मंदिर तक आधी यात्रा या पूरी यात्रा कर सकते है। तीर्थ यात्री अगर कटरा से अर्द्धकुवारी तक यात्रा करते है तो उन्हें 400 रुपये देने होते है। और कटरा से भवन तक खच्चर पर यात्रा करने पर 700 रुपये का भुगतान करना होता है।
प्रैम के द्वारा – By Pram in Hindi
माता वैष्णो देवी की पैदल यात्रा के समय अगर आप के साथ छोटे बच्चे यात्रा कर रहे है तो आप यहाँ पर प्रैम भी किराये पर ले सकते है। यहाँ पर कुछ प्रैम तो इतनी बड़ी होती है कि उस पर एक साथ 02 छोटे बच्चे आ सकते है।
कटरा से अर्द्धकुवारी तक प्रैम का किराया लगभग 350 रुपये है और कटरा से भवन तक प्रैम का किराया 700 से 800 रुपये तक हो सकता है। अगर आप हेलीकॉप्टर से वैष्णो देवी की यात्रा कर रहे है तो आप वर्तमान में हेलीपैड से भी प्रैम की सुविधा उपलब्ध करवाई जा रही है।
रोपवे – Ropeway Service Vaishno Devi Temple in Hindi
माता वैष्णो देवी के दर्शन करने के बाद अधिकांश तीर्थ यात्री भैरों के मंदिर की यात्रा जरूर करते है ताकि उन माता वैष्णो देवी की यात्रा पूरी मानी जाए। तीर्थ यात्रियों की सुविधा के लिए अभी कुछ समय पहले ही वैष्णो देवी के मंदिर से भैरों के मंदिर तक रोप वे की शुरुआत की गई है।
वैष्णो देवी के मंदिर से भैरों के मंदिर तक आने और जाने के लिए तीर्थ यात्रियों को 100 रुपये शुल्क देना पड़ता है। यहाँ पर बने हुए रोप वे में एक बार 40-50 तीर्थ यात्री यात्रा कर सकते है।
पालकी से – By Sedan in Hindi
बहुत सारे बुजुर्ग भी माता वैष्णो देवी की यात्रा करने के लिए कटरा आते है। अधिकांश बुजुर्ग हेलीकॉप्टर या फिर खच्चर से माता वैष्णो देवी की यात्रा नहीं कर पाते है इसलिए यहाँ पर बैच्चों और बुजुर्गों के लिए पालकी की सुविधा भी उपलब्ध है।
अगर तीर्थ यात्री का वजन 100 किलो से कम होता है तो उसे कटरा से भवन 4000 रुपये का भुगतान करना पड़ता है। और अगर तीर्थ यात्री का वजन 100 किलो से ज्यादा होता है तो उसे 4500 रुपये का भुगतान करना होता है।
बैटरी कार – Battery Car Service Vaishno Devi in Hindi
अभी कुछ समय पहले अर्द्धकुवारी से लेकर माता वैष्णो देवी के भवन तक श्राइन बोर्ड ने बैटरी कार की सेवा शुरू की है। बैटरी कार सेवा का एक तरफा किराया 350 रुपये के आसपास है। वर्तमान में श्राइन बोर्ड 25 से ज्यादा बैटरी कार का संचालन अर्द्धकुवारी से लेकर भवन तक कर रहा है।
कटरा का स्थानीय बाजार – Market in Katra in Hindi
भारत के सबसे प्रसिद्ध धार्मिक तीर्थ माता वैष्णो देवी की पैदल यात्रा से पहले सभी यात्रियों को कटरा पहुँचना होता है। उसके बाद ही सभी तीर्थ यात्री कटरा से माता वैष्णो देवी के मंदिर तक अपनी पेडल यात्रा शुरू करते है। माता वैष्णो देवी के मंदिर के आसपास सिर्फ श्राइन बोर्ड से अनुबंधित प्रसाद की दुकाने ही बनी हुई है।
अगर आप को माता वैष्णो देवी की यात्रा के दौरान या फिर माता वैष्णो देवी के दर्शन करने के बाद किसी भी तरह की खरीदारी करनी है तो आप को कटरा के स्थानीय बाजार से ही खरीदारी करनी होगी ।
कटरा के स्थानीय बाजार से आप घर की साज सजावट, माता वैष्णो देवी की तश्वीर , प्रसाद, गर्म कपडे, काजू, बादाम जैसे ड्राई फ्रूट और इन सब के अलावा स्थानीय हस्तशिल्प से बनी हुई वस्तुएं आदि खरीद सकते है। बस आपको इस बात का ध्यान रखना है की कटरा में कुछ भी खरीदते समय दुकानदार अच्छे से मोलभाव जरुर करें।
कटरा में होटल – Hotels in Katra in Hindi
माता वैष्णो देवी के दर्शन करने आने वाले कई यात्री जम्मू रुकते है और कई यात्री कटरा रुकना पसंद करते है। कटरा और जम्मू दोनों ही शहरों में बहुत सारे होटल और धर्मशालाएं बनी हुई। यहाँ पर बनी होटल्स को आप ऑनलाइन हॉटेल बुकिंग वेबसाइट पर अपने लिए हॉटेल में रूम बुक करवा सकते है।
कटरा और जम्मू में वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड के द्वारा धर्मशालाओं का निर्माण करवाया गया है आप इन धर्मशालाओं में माता वैष्णो देवी की ऑफिशियल वेबसाइट पर जाकर अपने लिए रूम बुक करवा सकते है। वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड में आप अपने लिए सिंगल बेड भी बुक कर सकते है जिसका शुल्क मात्र 120 रुपये है।
माता वैष्णो देवी के भवन के पास भी तीर्थ यात्रियों के ठहरने के लिए धर्मशाला का निर्माण करवाया गया है वहाँ पर भी सिंगल बेड किराये पर लेने की सुविधा उपलब्ध है जिसका किराया भी मात्र 120 रुपये है।
भवन के पास बनी हुई धर्मशाला में लॉकर रूम भी बना हुआ है जिसमे आप अपना कीमती सामान रख सकते है (लॉकर लेने के लिए आप के पास आपका खुद का ताला और चाबी होना जरूरी है।) लॉकर रूम पर किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जाता है।
नोट :- माता वैष्णो देवी के दर्शन करते समय आप के पास किसी भी तरह का सामान अपने साथ नहीं ले कर जा सकते है। मुख्य मंदिर से पहले लॉकर की सुविधा उपलब्ध है वहाँ पर आप अपना सारा सामान जमा करवा सकते है। मंदिर में किसी भी प्रकार के चमड़े की सामग्री ले जाना बिल्कुल मना है।
कटरा कैसे पहुंचे – वैष्णो देवी कैसे पहुंचे | How to reach Katra in Hindi – How to reach Vaishno Devi in Hindi
हवाई मार्ग से वैष्णो देवी कैसे पहुंचे – How to reach Vaishno Devi by Air in Hindi
हवाई मार्ग से वैष्णो देवी कैसे पहुंचे – How to reach Vaishno Devi by Air in Hindi
जम्मू एयरपोर्ट ( सतवारी हवाई अड्डा ) कटरा के सबसे नजदीकी हवाई अड्डा है। जम्मू एयरपोर्ट से कटरा की दुरी मात्र 49 किलोमीटर (Jammu airport to katra distance) है। देश के लगभग सभी प्रमुख शहरों से जम्मू हवाई अड्डे के लिए नियमित हवाई सेवा उपलब्ध रहती है। जम्मू से कटरा के लिए नियमित रूप से बस और टैक्सी सेवा उपलब्ध रहती है।
सड़क मार्ग से कटरा कैसे पहुंचे – How to reach Katra by Road in Hindi
सड़क मार्ग से वैष्णो देवी कैसे पहुंचे – How to reach Vaishno Devi by Road in Hindi
आप सड़क मार्ग के द्वारा कटरा बहुत आसानी से पहुँच सकते है। कटरा देश के प्रमुख राज्य और राष्ट्रीय राजमार्गों से बहुत अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। जम्मू के अलावा कटरा भारत के कई अन्य राज्यों जैसे पंजाब, हिमाचल, उत्तराखंड और दिल्ली से बहुत अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। दिल्ली, देहरादून, धर्मशाला, अमृतसर, पठानकोट और चंडीगढ़ से कटरा के लिए नियमित रूप से बस सेवा उपलब्ध रहती है।
रेल मार्ग से कटरा कैसे पहुँचे – How to reach Katra by Rail in Hindi
रेल मार्ग से वैष्णो देवी कैसे पहुंचे – How to reach Vaishno Devi by Rail in Hindi
माता वैष्णो देवी के दर्शन करने आने वाले तीर्थ यात्रियों को कुछ वर्ष पहले तक जम्मू के रेलवे स्टेशन जम्मू तवी तक ही रेल गाड़ी की सुविधा उपलब्ध थी। पहले तीर्थ यात्रियों को जम्मू रेलवे स्टेशन तक आना होता था और उसके बाद वो बस या टैक्सी के द्वारा कटरा पहुँचते थे।
लेकिन अभी कुछ वर्ष पहले भारत सरकार ने कटरा में भी रेल सेवा शुरू कर दी है। वर्तमान में तीर्थ यात्री सीधा रेल के द्वारा कटरा पहुँच सकता है । भारत के कई प्रमुख शहरों और खासकर दिल्ली से कटरा के लिए नियमित रेल सेवा उपलब्ध रहती है।
(अगर आप मेरे इस आर्टिकल में यहाँ तक पहुंच गए है तो आप से एक छोटा से निवदेन है की नीचे कमेंट बॉक्स में इस लेख से संबंधित आपके सुझाव जरूर साझा करें, और अगर आप को कोई कमी दिखे या कोई गलत जानकारी लगे तो भी जरूर बताए। में यात्रा से संबंधित जानकारी मेरी इस वेबसाइट पर पोस्ट करता रहता हूँ, अगर मेरे द्वारा दी गई जानकारी आप को पसंद आ रही है तो आप अपने ईमेल से मेरी वेबसाइट को सब्सक्राइब जरूर करे, धन्यवाद)