पूर्णा वन्यजीव अभ्यारण गुजरात 2024 | Purna Wildlife Sanctuary in Hindi 2024 | Purna Wildlife Sanctuary Travel Guide in Hindi 2024 | Entry Fees | Timing | Safari Cost | Things to do
पूर्णा वन्यजीव अभ्यारण्य का इतिहास – History of Purna Wildlife Sanctuary in Hindi
एक समय था। जब पूर्णा वन्यजीव अभ्यारण में हाथी, गैंडा और स्लोथ बेयर जैसे विशालकाय वन्यजीव विचरण किया करते थे। लेकिन मुगल साम्राज्य के समय पूर्णा वन्यजीव अभ्यारण में इन सभी जानवरों का बहुत ज्यादा संख्या में शिकार किया गया। अत्यधिक शिकार की वजह से आज इस वन्यजीव अभ्यारण से हाथी, गैंडा और स्लोथ बेयर जैसे सभी वन्यजीव विलुप्त हो चुके है।
वैसे तो वंसदा राष्ट्रीय उद्यान और पूर्णा राष्ट्रीय उद्यान के वन क्षेत्रों की सीमाएँ बहुत पास-पास है लेकिन इन दोनों राष्ट्रीय उद्यानों के प्रवेश द्वारों में कुल 58 किलोमीटर की दूरी है। लगभग 161 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ पूर्णा वन्यजीव अभ्यारण भारत के गुजरात और महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्यों की सीमाओं को साझा करता है।
पूर्णा राष्ट्रीय उद्यान की सीमाएँ गुजरात के डांग, तापी, व्यारा और आहवा जिलों तक जाती है, और महाराष्ट्र के नंदुरबार जिले में भी इस वन्यजीव अभ्यारण की सीमाएँ लगती है। पूर्णा राष्ट्रीय उद्यान के प्रबंधन की जिम्मेदारी गुजरात के डांग फॉरेस्ट विभाग के पास है। इस राष्ट्रीय उद्यान में बहती हुई पूर्णा नदी के नाम पर जुलाई 1990 में इस वन क्षेत्र को वन्यजीव अभ्यारण घोसित किया गया।
यहाँ रहने वाले वन्यजीवों के साथ-साथ कोल्चा, कोंकण, भील, डबडास और वारली जैसे आदिवासी समुदाय के लोग सदियों से इसी राष्ट्रीय उद्यान में रहते है। यहाँ रहने वाले आदिवासियों ने पूर्णा राष्ट्रीय उद्यान में अपने-अपने समुदाय के हिसाब से छोटे- छोटे गांव बना रखे है।
यहाँ रहने वाले आदिवासी परिवार आज भी अपनी संस्कृति से पूरी तरह से जुड़े हुए है। इन आदिवासी परिवारों ने अपने कपड़े, गहने और इन सब के अलावा पारंपरिक लोकसंगीत, वाद्ययंत्र और लोकनृत्य जैसी सांस्कृतिक धरोहर को आज भी संजोए हुए है। अपने जीवन यापन के लिए अधिकांश आदिवासी परिवार आज भी खेती, मछलीपालन और जंगलों पर निर्भर है।
पूर्णा राष्ट्रीय उद्यान की वनस्पति – Flora of Purna Wildlife Sanctuary in Hindi
पूर्णा वन्यजीव अभ्यारण में लगभग 700 से भी ज्यादा पेड़-पौधों की प्रजातियाँ पाई जाती है। इसका सबसे बड़ा मुख्य कारण यहाँ बहने वाली पूर्णा नदी है और साथ में यह वन क्षेत्र गुजरात के सबसे ज्यादा वर्षा वाले स्थानों में से एक है। पूर्णा राष्ट्रीय उद्यान में पूरे साल में 2500 मिली मीटर तक बारिश दर्ज की जाती है।
पूर्णा नदी और बारिश के अलावा इस राष्ट्रीय उद्यान में बहने कुछ छोटी नदियाँ भी इस वन क्षेत्र की वनस्पति को समृद्ध बनाने में अपना योगदान देती है। देश के पश्चिमी घाट में स्थित इस उद्यान के अधिकतम हिस्से पहाड़ी और पठारी क्षेत्रों में स्थित है। वंसदा राष्ट्रीय उद्यान की तरह पूर्णा राष्ट्रीय उद्यान के जंगल भी बहुत गहरे और घने है।
ऊँचे-ऊँचे बाँस और सागवान के पेड़ पूर्णा राष्ट्रीय उद्यान में आकर्षण का मुख्य केन्द्र है। उद्यान में सागवान और बाँस के पेड़ो की ऊँचाई 100 फुट से भी ज्यादा जाती है जिस वजह से उद्यान के कई स्थानों में सूरज की रोशनी भी बहुत मुश्किल से जमीन तक पहुँच पाती है। खैर, हल्दू, सलाई, किलई, बाँस, सागवान, कदया, शीशम, सदद, कलाम, सेवन, तनाछ और तमरु जैसे पेड़-पौधे इस राष्ट्रीय उद्यान की वनस्पति को समृद्ध करने में अपना योगदान देते है।
पूर्णा राष्ट्रीय उद्यान का वन्यजीवन – Wildlife of Purna Wildlife Sanctuary in Hindi
एक समय पूर्णा राष्ट्रीय उद्यान के घने जंगलों में हाथी, गेंडा और भालू जैसे शानदार वन्यजीव विचरण किया करते थे। लेकिन मुगल शासकों ने अपने शासनकाल में इस वन क्षेत्र में बहुत ज्यादा संख्या में वन्यजीवों का शिकार किया जिस वजह से आज इस राष्ट्रीय उद्यान से हाथी, गेंडा और भालू जैसे शानदार वन्यजीव विलुप्त हो चुके है।
पूर्णा राष्ट्रीय उद्यान में बाघों के अस्तित्व को लेकर वन्यजीवों से जुड़े विशेषज्ञों का मानना है की इस उद्यान की सीमाएँ गुजरात के पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश तक जाती है। गुजरात के इन दोनों पड़ोसी राज्यों के राष्ट्रीय उद्यानों में बंगाल टाइगर पाये जाते है।
इसलिए इसकी प्रबल संभावना है की गुजरात के डांग जिले के जंगल बाघों के प्राकृतिक निवास स्थान के लिए उपयुक्त स्थान सिद्ध हो सकते है। वंसदा राष्ट्रीय उद्यान की वनस्पति और पूर्णा राष्ट्रीय उद्यान की वनस्पति में बहुत ज्यादा समानता होने की वजह से इस राष्ट्रीय उद्यान में भी लगभग 116 के आसपास मकड़ियों की प्रजातियाँ पाई जाती है।
मकड़ियों के साथ-साथ यह राष्ट्रीय उद्यान साँप और अजगर जैसे रेंगने वाले जीवों के लिये भी उपयुक्त प्राकृतिक वातावरण उपलब्ध करवाता है। पूर्णा राष्ट्रीय उद्यान में तेंदुआ सबसे बड़ा मुख्य शिकारी जानवर है। तेंदुए के साथ सांभर, चौसिंगा, आम मोंगोज़, भौंकने वाले हिरण, लकड़बग्घा, भारतीय सिवेट बिल्ली, चीतल, रीसस मकाक और जंगल बिल्ली जैसे वन्यजीव पूर्णा राष्ट्रीय उद्यान के जंगलों को साझा करते है।
पूर्णा राष्ट्रीय उद्यान के पक्षी – Birds of Purna Wildlife Sancutary in Hindi
वन्यजीवों के साथ-साथ पूर्णा वन्यजीव अभ्यारण पक्षी प्रेमियों के लिए भी सबसे उपयुक्त राष्ट्रीय उद्यानों में से एक है। वर्ष 1999 से लेकर वर्ष 2003 में की कई पक्षियों की गणना के समय पूर्णा राष्ट्रीय उद्यान में 139 स्थानीय और प्रवासी पक्षियों की प्रजातियों को चिन्हित किया गया था।
हालांकि प्रवासी पक्षी पूर्णा राष्ट्रीय उद्यान में अपने प्रवासकाल के अनुसार आते जाते रहते है। पूर्णा राष्ट्रीय उद्यान की वनस्पति, वन्यजीवन और पक्षियों की विभिन्नता ही इस उद्यान को वन्यजीवन प्रेमियों, वनस्पति प्रेमियों और पक्षी प्रेमियों के लिये देश सबसे उपयुक्त राष्ट्रीय उद्यान बनाती है।
ग्रे जंगल फॉवेल, उल्लू, बी ईटर, फ्लाईकैचर, किंगफिशर, कठफोड़वा, ग्रे हॉर्नबिल्स, लीफबर्ड, बार्बेट्स, इंडियन पेफॉल, ओरिएंटल टर्टल डोवेल, अल्पाइन स्विफ्ट, इंडियन पोंड हेरॉन, लिटिल इग्रेट और इंडियन ब्लैक इबिस जैसे कुछ पक्षियों की प्रजातियाँ पूर्णा राष्ट्रीय उद्यान के वन्यजीवन को समृद्ध करने में अपना योगदान दे रही है।
महल इको कैम्पसाइट, पूर्णा वन्यजीव अभ्यारण – Mahal Echo Site Purna Wildlife Sanctuary in Hindi
गुजरात पर्यटन विभाग ने अपने राज्य के प्राकृतिक पर्यटक स्थलों में इकोटूरिस्म को बढ़ावा देने के लिए लगभग सभी राष्ट्रीय उद्यानों में इको कैम्पसाइट का निर्माण करवाया है। इन इको कैम्पसाइट के निर्माण के पीछे गुजरात पर्यटन विभाग की मनसा यह है की इन राष्ट्रीय उद्यानों में घूमने आने वाले पर्यटक इन वन्यजीव अभ्यारण की वनस्पति और वन्यजीवन को आसानी से समझ पाये।
पूर्णा राष्ट्रीय उद्यान में पूर्णा नदी के किनारे पर बनाया गया महल इको कैम्पसाइट इस राष्ट्रीय उद्यान में घूमने आने वाले पर्यटकों के ठहरने के लिए सबसे पसन्दीदा स्थानों में से एक है। महल इको कैम्पसाइट इस उद्यान में स्थित सबसे बड़े गांव के नजदीक बना हुआ है।
इको कैम्पसाइट से पर्यटकों के लिए पूर्णा राष्ट्रीय उद्यान में ट्रैकिंग करने के लिए गाइड की सुविधा भी उपलब्ध है, पर्यटक गाइड के साथ रात के समय भी ट्रैकिंग करने जा सकते है। महल इको कैम्पसाइट में पर्यटकों के रुकने के लिए 4 वातानुकूलित कॉटेज, टेंट और रसोई बने हुए है। इको कैम्पसाइट पर रात के समय कैम्प फायर भी किया जा सकता है।
राष्ट्रीय उद्यान के प्राकृतिक दृश्य देखने के लिए कैम्पसाइट पर दो बड़े-बड़े मचान बने हुए है। इन मचानों से पूर्णा राष्ट्रीय उद्यान के वन्यजीवन के दृश्य बहुत खूबसूरत दिखाई देते है। महल इको कैम्पसाइट की ज्यादा जानकारी के लिए दिए गए फ़ोन नंबर (02631-220203) पर कॉल करके इको कैम्पसाइट पर की जाने वाली गतिविधियों और वहाँ पर ठहरने के शुल्क के बारे में जानकारी ली जा सकती है।
पूर्णा राष्ट्रीय उद्यान में घूमने का सबसे अच्छा समय – Best time to Visit in Purna Wildlife Sanctuary in Hindi
पूर्णा राष्ट्रीय उद्यान में जून महीने से लेकर सिंतबर महीने तक बहुत भारी बरसात होती है। मानसून की वजह से जून से लेकर सिंतबर महिने तक राष्ट्रीय उद्यान में जाने से पहले संबंधित फ़ोन नंबर पर उद्यान के खुले होने की जानकारी ले लेनी चाहिये। अक्टूबर के पहले सप्ताह से लेकर मार्च के अंतिम सप्ताह तक पूर्णा राष्ट्रीय उद्यान का मौसम पर्यटकों के घूमने के लिये सबसे अच्छा समय रहता है।
पूर्णा राष्ट्रीय उद्यान में प्रवेश शुल्क – Purna Wildlife Sanctuary Entry Fees
S.NO. | INDIAN TOURIST | FOREIGNER TOURIST |
01 | Entry Fees – 20/- INR (Per Person) | |
02 | Vehicle Up to 6 Person – 200/- INR | |
03 | Vehicle Up to 15 Person – 500/- INR | |
04 | Vehicle Up to 60 Person – 1750/- INR | |
05 | Still Camera – 500/- INR | |
06 | Guide – 300/- INR | |
(For an extra time, Tourist have to pay 20/- rupees per hour) |
नोट:- दि गई शुक्ल राशि पूर्णा राष्ट्रीय उद्यान में स्थित महल इको कैम्पसाइट के लिए ली जाती है। पूर्णा राष्ट्रीय उद्यान में प्रवेश के लिए पर्यटकों से किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जाता है। और अधिक जानकारी के लिए पूर्णा राष्ट्रीय उद्यान और महल इको कैम्पसाइट के रजिस्टर्ड फ़ोन नंबर पर कॉल करके जानकारी प्राप्त की जा सकती है। (02631-220203)
पूर्णा राष्ट्रीय उद्यान में प्रवेश समय – Purna wildlife Sanctuary Timing in Hindi
पूर्णा राष्ट्रीय उद्यान पर्यटकों के लिए पूरे सप्ताह सुबह 8:00 बजे से लेकर शाम को 6:00 बजे तक खुला रहता है। मानसून के समय उद्यान में बहुत ज्यादा बारिश होती है इसलिये वर्ष में जून महीने से लेकर सिंतबर महीने तक पूर्णा राष्ट्रीय उद्यान में जाने से पहले संबंधित फ़ोन नम्बर पर कॉल करके उद्यान के खुले होने की जानकारी प्राप्त करना उचित रहेगा। उद्यान में प्रवेश के समय में वन विभाग द्वारा मौसम के हिसाब से बदलाव किया जा सकता है।
पूर्णा राष्ट्रीय उद्यान कैसे पहुँचे – How to reach Purna Wildlife Sanctuary in Hindi
हवाईजहाज से पूर्णा राष्ट्रीय उद्यान कैसे पहुँचे – How to reach Purna Wildlife Sanctuary By Flight in Hindi
पूर्णा राष्ट्रीय उद्यान से सूरत के डुमस एयरपोर्ट की दूरी मात्रा 136 किलोमीटर है देश के कई प्रमुख शहरों से सूरत के लिए नियमित हवाई सेवा उपलब्ध है। सूरत कर अलावा नासिक के ओझर एयरपोर्ट से भी पूर्णा राष्ट्रीय उद्यान की दूरी भी मात्रा 142 किलोमीटर है।
इन दोनों एयरपोर्ट से आप बस और टैक्सी के द्वारा पूर्णा राष्ट्रीय उद्यान बहुत आसानी से पहुंच सकते है। अगर आप किसी दूसरे देश से पूर्णा राष्ट्रीय उद्यान आने का कार्यक्रम बना रहे है तो मुंबई के छत्रपति शिवाजी एयरपोर्ट से पूर्णा राष्ट्रीय उद्यान की दूरी मात्र 318 किलोमीटर है, विश्व के लगभग सभी प्रमुख हवाई अड्डों से मुम्बई एयरपोर्ट के लिए नियमित उड़ाने उपलब्ध है।
रेल से पूर्णा राष्ट्रीय उद्यान कैसे पहुँचे – How to reach Purna Wildlife Sanctuary By Train in Hindi
पूर्णा राष्ट्रीय उद्यान से वघई रेलवे स्टेशन की दूरी मात्र 57 किलोमीटर है। वघई रेलवे स्टेशन से देश के कई प्रमुख शहरों से नियमित रेल सेवा उपलब्ध है। वघई रेल्वे स्टेशन से कैब या ऑटो के द्वारा पूर्णा राष्ट्रीय उद्यान बहुत आसानी से पहुंचा जा सकता है।
सड़क मार्ग से पूर्णा राष्ट्रीय उद्यान कैसे पहुँचे – How to reach Purna Wildlife Sanctuary By Road in Hindi
सड़क मार्ग से भी पूर्ण राष्ट्रीय उद्यान बहुत अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। गुजरात और महाराष्ट्र की राज्य सीमा के पास में स्थित होने के वजह से दोनों राज्य से पूर्णा राष्ट्रीय उद्यान के लिए नियमित रूप से सरकारी और निजी बस सेवा उपलब्ध है। बस के अलावा पर्यटक कैब और टैक्सी के अलावा अपने निजी वाहन से भी बहुत आसानी से पूर्णा राष्ट्रीय उद्यान पहुँच सकते है।
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