केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान 2024 | Keoladeo National Park 2024 in Hindi | Keoladeo National Park Complete Travel Guide in Hindi 2024 | Best Time To Visit | Things to do in Keoladeo National Park in Hindi 2024 | Ticket | Jungle Safari | Timing | History
राजस्थान भारत का एक ऐसा राज्य है जिसकी भौगोलिक विशेषताओं के बारे में आप जितना जानने की कौशिश करते है, यह जगह आप को उससे कहीं ज्यादा आश्चर्यचकित करती है। यह राज्य भौगोलिक रूप से इतना ज्यादा समृद्ध है की इस राज्य में सिर्फ बर्फ और समुंदर ही नहीं है ।
राजस्थान आने वाले हर एक पर्यटक के लिए यहाँ पर रेगिस्तान, ऊंचे ऊंचे पहाड़ (माउंट आबू), 12 महीने बहने वाली नदियाँ, घने जंगल, वन्यजीव अभ्यारण्य (कुम्भलगढ़ वन्यजीव अभ्यारण्य) , पुराने महल और किले (कुम्भलगढ़ / रणथम्भौर) और राजस्थान का गौरवशाली इतिहास इन सब बातों के अलावा यहाँ पर एक ऐसी जगह और भी है, जिसके कारण राजस्थान घूमने आने वाले पर्यटकों की इस राज्य के बारे में सोच बदल जाती है।
राजस्थान के भरतपुर जिले में स्थित इस राष्ट्रीय उद्यान को केवला देव राष्ट्रीय उद्यान या केवला देव घाना पक्षी विहार के नाम से जाना जाता है, यह राष्ट्रीय उद्यान भारत के सबसे प्रसिद्ध पक्षी अभ्यारण्य में से एक है, सर्दियों के मौसम में इस अभ्यारण्य में हजारों के संख्या में प्रवासी पक्षी प्रवास करने के लिए आते है, यह राष्ट्रीय उद्यान लगभग 370 पक्षियों की प्रजातिया का घर है, सर्दियों के मौसम में इस उद्यान में प्रवासी पक्षियों का जमावड़ा रहता है।
और इसी कारण यह राष्ट्रीय उद्यान पक्षीविदों, वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर और पर्यटकों की पसन्दीदा जगहों में से एक है।
केवला देव राष्ट्रीय उद्यान का इतिहास | Keoladeo National Park History in Hindi
केवला देव राष्ट्रीय उद्यान एक मानव निर्मित उद्यान है, भरतपुर के महाराजा सूरजमल ने 250 वर्ष पूर्व इस पक्षीविहार का निर्माण करवाया था | इस उद्यान के मध्य में भगवान शिव का मंदिर है जिन्हें यहाँ केवलादेव के नाम से जाना जाता है, इसलिए इस उद्यान का नाम केवलादेव रखा गया।
इस स्थान पर एक प्राकृतिक ढ़लान बनी हुई है इस वजह से उस समय बारिश के मौसम में इस स्थान पर बाढ़ की स्थिति बन जाती थी , जिससे बचने के लिए महाराजा सूरजमल ने यहाँ 1726-1763 के मध्यकाल में यहाँ पर अजान बांध “Ajan Bund” का निर्माण करवाया| इस बांध का निर्माण यहाँ बहने वाली दो नदियां गंभीरी और बाणगंगा के संगम स्थल “Gambhiri and Banganga Sangam” पर किया गया है ।
1850 के बाद से भरतपुर के राजाओ ने इस स्थान को शिकारगाह के रूप इस्तेमाल करना शुरू कर दिया। इसके साथ ही राजा ने ब्रिटिश वाइसराय को खुश रखने के लिए इस पक्षीविहार में सालाना पक्षियों के शिकार के आयोजन शुरू कर दिए। 1938 में तत्कालीन भारत के ब्रिटिश वाइसराय लार्ड लिनलिथगो ने अपने सहयोगी विक्टर होप के साथ एक दिन में करीब 4,273 से अधिक पक्षियों का शिकार किया था, जिसमे सबसे अधिक संख्या में मॉलर्ड्स और टील्स “Mallards and Teals” जैसे पक्षियों का शिकार उस एक दिन में किया गया।
राजस्थान वन अधिनियम 1953 के तहत इस पक्षी विहार को एक आरक्षित वन की श्रेणी में शामिल किया गया, इस पक्षीविहार में आखरी शिकार का आयोजन 1964 में आयोजित किया गया था, भरतपुर के पूर्व महाराजा के पास 1972 तक यहाँ पर शिकार करने के अधिकार सुरक्षित थे । 13 मार्च 1976 को इस क्षेत्र को पक्षी अभ्यारण का दर्जा दे दिया गया, तथा वर्ष 1981 के अक्टूबर महीने में वेटलैंड कन्वेंशन के अंतर्गत इस जगह को रामसर साइट का दर्जा दिया गया।
इस पक्षीविहार Bird Sanctuary को 10 मार्च 1982 में राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा मिल गया उसके बाद से इस पक्षीविहार का नाम केवलादेव घाना पक्षीविहार हो गया। 1985 में आयोजित वर्ल्ड हेरिटेज कन्वेशन में इस राष्ट्रीय उद्यान को यूनेस्को वर्ल्ड हेरीटेज UNESCO World Heritage Site साइट घोषित कर दिया गया।
एक राष्ट्रीय उद्यान घोषित हो जाने के बाद सरकार ने 1982 में सरंक्षित वन के अंदर खेती करना और पालतू जानवर को चारा चराने और चारा ले जाने पर प्रतिबंध लगा दिया जिसके बाद से इस क्षेत्र को लेकर स्थानीय निवासियों और सरकार में कई हिंसक झड़प हुई, अंततः 2004 में सरकार को किसानों की मांगों को मानना पड़ा, इसके बाद इस पक्षीविहार में भेजे जाने वाले पानी में सरकार ने भारी कटौती कर दी।
इस उद्यान में पहले दी जाने वाली जल आपूर्ति 15,000,000 घनफुट से कम हो कर मात्र 510,000 घनफुट रह गई। सरकार के इस निर्णय के बाद से इस उद्यान के प्राकर्तिक वातावरण में भारी बदलाव देखेने को मिले जो की बहुत ही भयानक थे, पानी में कटौती के बाद यहाँ की अधिकतम दलदली जमीन सुख कर बेकार हो गई है, जिसके परिणामस्वरूप यहां प्रजनन के लिए आने वाले अधिकांश प्रवासी पक्षी अब उड़ कर इस स्थान से 90 किलोमीटर दूर गंगा नदी के पास स्थित उत्तप्रदेश के गढ़मुक्तेश्वरी तक चले जाते है।
केवला देव राष्ट्रीय उद्यान की भौगोलिक स्थिति | Geopraphy of Keoladeo National Park in Hindi
राजस्थान के भरतपुर जिले में स्थित केवला देव राष्ट्रीय उद्यान भारत का एक प्रसिद्ध पक्षी अभ्यारण्य होने के साथ-साथ वन्यजीवन पसन्द करने वालों के लिए प्रसिद्ध पर्यटक स्थल है, इस पक्षी विहार में पूरे वर्ष हजारों की संख्या में प्रवासी पक्षी प्रजनन के लिए आते है। सर्दियों के मौसम में यहाँ आने वाले प्रवासी पक्षियों की संख्या लगभग दुगनी हो जाती है।
केवला देव राष्ट्रीय उद्यान एक मानव निर्मित पक्षीविहार है यह राष्ट्रीय उद्यान लगभग 29 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है, भारत के दूसरे राष्ट्रीय उद्यानों के विपरीत इस पक्षी विहार का कोई बफर जोन नहीं है। इसका मुख्य कारण इस पक्षीविहार के आसपास मानव आबादी का घनत्व बहुत ज्यादा है, मुख्य शहर भरतपुर से इस राष्ट्रीय उद्यान की दूरी मात्र 2 किलोमीटर है, और लगभग आसपास के 15 गाँव के सीमायें इस राष्ट्रीय उद्यान के लगती है जिसके कारण इस राष्ट्रीय उद्यान का विस्तार करना सरकार के लिए असंभव है।
इस पक्षीविहार का एक तिहाई हिस्सा जलमग्न है, इस पक्षीविहार में जलमग्न पोधों के साथ उगे हुये पेड़,टीले,डाइक और दलदल आदि पाये जाते है जो की यहाँ आने वाले प्रवासी पक्षियों के प्रजनन के लिए अनुकूल वातावरण बनाते है।
केवला देव राष्ट्रीय उद्यान की वनस्पति | Vegetation of Keoladeo National Park in Hindi
केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान को केवलादेव घाना पक्षीविहार के नाम से भी जाना जाता है| यह राष्ट्रीय उद्यान राजस्थान का अर्ध-शुष्क और घनी वनस्पति वाला एक मानव निर्मित वन क्षेत्र है, एक मानव निर्मित उद्यान होने के बावजूद भी इस पक्षीविहार की वनस्पति बहुत ज्यादा समृद्ध है, इस वजह से भी इस उद्यान को घाना पक्षीविहार नाम से बुलाया जाता है, “घाना का मतलब होता है मोटा या घना”।
यह क्षेत्र एक उष्णकटिबंधीय शुष्क पर्णपाती वन है, पानी की कमी के कारण इस जंगल का अधिकांश क्षेत्र सुख चुका है इस वजह से अब यहाँ कुछ जगह सूखे घास के मैदान दिखाई देते है। बचे हुए दलदली क्षेत्र को यहां कृत्रिम रूप से पानी देकर प्रबंधित किया जाता है। इस पक्षीविहार के अधिकांश क्षेत्र में आप को मध्यम आकर के पेड़ और झाड़िया देखने को मिलती है, जंगल के उत्तर और पूर्व भाग में कदम,जामुन,बबूल जैसे वृक्षों की संख्या ज्यादा देखने को मिलती है।
खुले दलदली इलाकों में कंडी, बेर, केर जैसी वनस्पति पर स्क्रबलैंड का प्रभुत्व देखने को मिलता है। नमकीन मिट्टी में पाये जाने वाला लकड़ी का पौधा पिलु भी इस पार्क में अंदर पाया जाता है, इस पक्षी विहार की जलीय वनस्पति भी बहुत समृद्ध है जिसका फायदा यहाँ प्रवास करने वाले जलपक्षी को मिलता है।
केवलादेव घाना पक्षीविहार के वन्यजीव | Wildlife of Keoladeo Ghana Birds Sanctury in Hindi
एक प्रसिद्ध पक्षीविहार विहार होने के साथ साथ इस राष्ट्रीय उद्यान का वन्यजीवन बहुत ही समृद्ध है हालांकि इस उद्यान में कोई बड़ा शिकारी जानवर देखने को नहीं मिलता है। यह राष्ट्रीय उद्यान वुडलैंड्स, वुडलैंड दलदलों , आद्रभूमि और सूखे घास के मैदान जैसी विविध वनस्पति से भरा हुआ है ।
और ऐसी ही विवधता आप को यहाँ के वन्यजीवन में देखने को मिलती है इस राष्ट्रीय उद्यान में 370 पक्षी प्रजातियां, 379 फूलों की प्रजातियां, मछलियों की 50 प्रजातियां, साँपो की 13 प्रजातियां, छिपकलियों की 5 प्रजातियां, 7 उभयचर प्रजातियां| भारत में पाये जाने वाली 10 कछुओं की प्रजातियों में से 7 प्रजातियां इस राष्ट्रीय उद्यान में पायी जाती है।
केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के पक्षी | Birds in Keoladeo National Park in Hindi
केवलादेव घाना पक्षीविहार विश्व में सबसे ज्यादा प्रवासी पक्षियों वाले वन क्षेत्र में से एक है यह पक्षीविहार बगुलों, सारस, और जलकाग जैसे पक्षियों को प्रजनन के अनुकूल वातावरण प्रदान करता है, और यहाँ बड़ी संख्या में आने वाली बत्तखों का पसंदीदा शीतकालीन प्रवास स्थल है।
इस उद्यान में सामान्यतः जलपक्षीयों में आपको गैडवाल, फावड़ा, सामान्य चैती, कपास की चैती, गुच्छेदार बत्तख, घुंडी-बंधे बत्तख, छोटे जलकाग, महान जलकाग , भारतीय शग, रफ, चित्रित सारस, सफेद चम्मच, एशियन ओपन-बिल्ड स्टॉर्क, ओरिएंटल इबिस, डार्टर , आम सैंडपाइपर, लकड़ी सैंडपाइपर और ग्रीन सैंडपाइपर देखने को मिल जाते है ।
अगर आप की किस्मत अच्छी है तो सारस क्रेन अपने जोड़े के साथ डांस करता हुआ दिखाई दे सकता है। कुछ ऐसे प्रवासी पक्षी भी जो आपको पुरे साल देखने को मिल सकते है जैसे वॉर्ब्लर, बेबीब्लर, मधुमक्खी खाने वाले, बुलबुल, बंटिंग, चाट, पेंटेड फ्रेंकोलिन और बटेर, भारतीय ग्रे हॉर्नबिल और मार्शल का आयरा शामिल हैं।
रैपर्स में ओस्प्रे, पेरग्रीन फाल्कन, पलास का समुद्री ईगल, शॉर्ट-टो ईगल, टैवी ईगल, शाही ईगल, चित्तीदार ईगल और क्रेस्टेड सर्प ईगल शामिल हैं। चित्तीदार बाज ने अभी कुछ समय पहले ही यहां प्रजनन करना शुरू किया है प्रवासी पक्षियों द्वारा भारत में प्रजनन का यह एक नया रिकॉर्ड है।
इस राष्ट्रीय उद्यान में एक समय में सर्दियों के मौसम साइबेरियन क्रेन बहुत ज्यादा मात्रा में प्रवास किया करते थे और इस उद्यान में आकर्षण का सबसे बड़ा केंद्र थे लेकिन कुछ समय से इस पक्षीविहार में यह प्रजाति नहीं दिखाई दे रही है| ऐसा अनुमान है की साइबेरियन क्रेन की प्रवास यात्रा लगभग 5000 मील की होती है।
केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के स्तनधारी जीव | Animals in Keoladeo National Park in Hindi
केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में स्तनधारी जीवों की 27 प्रजातियां पाई जाती है। इस उद्यान में आमतौर पर आपको नीलगाय, चीतल हिरण बड़ी आसानी से देखने को मिल सकते है यहाँ पर सांभर बहुत कम संख्या में पाये जाते है। जंगली सुअर और भारतीय दलिया अकसर इस उद्यान की सीमाओं के बाहर किसानों के खेतों में देखे जाते है। इस उद्यान में मंगूस (नेवला) की दो प्रजातियां पाई जाती है स्माल इंडियन मंगूस और कॉमन ग्रे मंगूस।
और बिल्ली की प्रजातियों में जंगली बिल्ली और मछली पकड़ने वाली बिल्ली दिखाई दे जाती है। एशियन पाम सिवेट और छोटे भारतीय सिवेट भी इस पक्षीविहार में है लेकिन शायद की कभी किसी पर्यटक ने इन्हें देखा होगा। इस उद्यान के छोटे मांसाहारियों में आप को स्मूथ कोटेड औटर, गोल्डन जैकल्स, धारीदार लकड़बग्घा, बंगाल लोमड़ी और पार्क में चूहों, गेरबिल और चमगादड़ों की कई प्रजातियाँ भी पाई जाती हैं।
प्राइमेट्स में रीसस मकाक और हनुमान लंगूर शामिल हैं। इस उद्यान में बड़े शिकारी जानवर देखने को नहीं मिलते है |
केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान की सम्पूर्ण ट्रेवल गाइड | Complete travel guide of Keoladeo National Park in Hindi
इस राष्ट्रीय उद्यान में जंगल सफारी के लिए तीन प्रकार की सफारी की व्यवस्था की गई है- जीप सफारी, साइकिल रिक्शा और साइकिल । अगर आप यहाँ के प्राकृतिक वातावरण और प्रवासी पक्षियों को नजदीक से देखना और महसूस करना चाहते है तो आप इस राष्ट्रीय उद्यान मैं पैदल भी घूम सकते है जो की मेरे नजरिए में इस पक्षीविहार को देखने का सबसे अच्छा और सस्ता विकल्प है।
उद्यान में आने वाले अधिकतम पर्यटक सबसे ज्यादा साइकिल रिक्शा से इस पक्षीविहार को देखना पसंद करते है। अगर आप जंगल में गहराई तक जाना चाहते है तो जीप सफारी भी एक विकल्प है लेकिन पक्षी जीप की आवाज़ से दूर चले जाते है, इस वजह से आप का सफारी का मजा किरकिरा हो जाएगा।
नोट:- केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में वन विभाग ने पर्यटकों के लिए बोटिंग करने की भी व्यवस्था कर रखी है, लेकिन अगर उद्यान में पानी का स्तर कम हो जाता है तो वन विभाग बोटिंग पर अस्थायी समय के लिए रोक लगा देता है।
केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान देखने का समय | Keoladeo National Park Timings in Hindi
सर्दियों के मौसम में इस पार्क में प्रवेश का समय सुबह 6:30 है, और शाम को 5:00 बजे तक यह यह पार्क खुला रहता है। गर्मियों के मौसम में इस पार्क में प्रवेश का समय सुबह 6:00 बजे है, और शाम को 6:00 तक यह पार्क खुला रहता है।
केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान प्रवेश का समय | Keoladeo National Park Entry Fee in Hindi
भारतीय पर्यटक:- 50 रुपए प्रति व्यक्ति
विदेशी पर्यटक:- 200 रुपए प्रति व्यक्ति
मोबाइल कैमरा शुल्क:- Nill
वीडियो कैमरा शुल्क:- 200 रुपए
गाइड शुल्क:- 200 रुपए
केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में सफारी शुल्क | Safari Fee in Keoladeo National Park in Hindi
पैदल सफारी:- 50 रुपये प्रति व्यक्ति (सिर्फ प्रवेश शुल्क ही लागू)
सायकिल रिक्शा:- 50 रुपए प्रति घंटा
जीप सफारी :- (fees Depend on jeep safari operator) उद्यान में वाहन का प्रवेश शुल्क 50 रुपए है।(नॉट रेकमेंडेड)
सायकिल:- 50 रुपए ( पर्यटक को सायकिल सफारी करने के लिए टिकट काउंटर पर अपना ID proof जमा करवाना जरूरी है)
नोट:-
- अगर आप निजी वाहन से इस पक्षीविहार में घूमने आये है तो आप उद्यान के मुख्य द्वार से2 किलोमीटर दूर शांतिवन कुटीर तक वाहन लेकर जा सकते है, गाड़ी का प्रवेश शुल्क 50 रुपये है।
- छात्रों के लिए पार्क में प्रवेश शुल्क पर छूट रहती है।
- पक्षियों को नजदीक से देखने के लिए पर्यटक साथ में दूरबीन जरूर लेकर आये।
केवलादेव देव राष्ट्रीय उद्यान में घूमने का सबसे अच्छा समय | Best time to visit Keoladeo National Park in Hindi
केवलादेव घाना पक्षीविहार राजस्थान के भरतपुर जिले में स्थित है। राजस्थान की जलवायु काफी गर्म है, मार्च के महीने से लेकर जुलाई में मानसून आने तक इस राज्य में गर्मी का तापमान आसानी से 50 डिग्री तक पहुँच जाता है। इसका सीधा असर इस पक्षीविहार के प्रवासी पक्षियों पर पड़ता है जिसके कारण प्रवासी पक्षी गर्मी के मौसम में इस स्थान से दूर चले जाते है और उसके बाद इस उद्यान में सिर्फ कुछ स्थानीय पक्षियों के प्रजातियां ही देखने को मिलती है।
मानसून के मौसम में भी राजस्थान में बारिश बहुत कम होती है, बारिश के मौसम में इस उद्यान की दलदली जमीन में पानी भर जाने के बाद यहाँ छोटे छोटे टापू बन जाते है जो की प्रवासी पक्षियों के प्रजनन के लिये अनुकूल वातावरण बना ते है। यहाँ की जमीन दलदली होने के कारण मानसून के मौसम में इस उद्यान की मिट्टी बहुत ज्यादा फिसलन भरी हो जाती है जो की पर्यटन के हिसाब से सही नही है।
सिंतबर महिने के बाद मानसून विदा हो जाता है और अक्टूबर आते आते यहां पर ठंड भी बढ़ने लग जाती है। ठंड का मौसम प्रवासी पक्षियों के प्रजनन के लिए यहाँ सबसे अच्छा समय होता है, और लगभग ठण्ड के मौसम में हजारों की संख्या में प्रवासी पक्षी इस पक्षीविहार में प्रवास करने के लिए आते है। अगर आप भी इस पक्षी विहार को देखने का मन बना रहे है तो सर्दियों का मौसम आप के लिए सबसे उपयुक्त होगा।
केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में कहाँ ठहरे | Hotels in Keoladeo National Park in Hindi
एशिया का सबसे प्रसिद्ध पक्षीविहार विहार होने के कारण, केवलादेव में हर वर्ष लगभग 1,00,000 से भी ज्यादा पर्यटक घूमने आते है जिसमें से आधे से भी ज्यादा विदेशी पर्यटक होते है।भरतपुर से इस उद्यान की दूरी मात्र 2 किलोमीटर है| एक प्रसिद्ध वन्यजीव अभ्यारण होने की वजह से से इस उद्यान के बाहरी क्षेत्र में खाने पीने और रुकने के लिए कई छोटे बड़े रेस्टोरेंट और होटल बने हुए है।
इसके अलावा उद्यान में ITDC द्वारा संचालित भरतपुर फारेस्ट लॉज और शांतिवन कुटीर बने हुए है जो की अच्छे और कम खर्चीले है। बाकी इस उद्यान के आसपास काफी होटल और रिसोर्ट बने हुए जिनकी आप ऑनलाइन होटल बुकिंग वेबसाइट पर आप आसानी से होटल बुक कर सकते है।
केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान कैसे पहुंचे | How to reach Keoladeo National Park in Hindi
हवाई मार्ग से केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान कैसे पहुंचे | How to reach Keoladeo National Park By Flight in Hindi
केवलादेव घाना पक्षीविहार से आगरा हवाई अड्डे से दूरी मात्र 57 किलोमीटर है, जयपुर हवाई अड्डे से इस उद्यान की दूरी 185 किलोमीटर है और दिल्ली हवाई अड्डे से इस राष्ट्रीय उद्यान की दूरी 213 किलोमीटर है। इन तीनो जगहों से आप को केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के लिए टैक्सी या बस आराम से मिल जाएगी |
रेल मार्ग से केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान कैसे पहुंचे | How to reach Keoladeo National Park By Train in Hindi
भरतपुर के रेलवे स्टेशन से यह उद्यान मात्र 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। भरतपुर का रेलवे स्टेशन जयपुर,आगरा और दिल्ली जैसे बड़े शहरों से बहुत अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।
सड़क मार्ग से केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान कैसे पहुंचे | How to reach Keoladeo National Park By Road in Hindi
केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान आने के लिए आप को सबसे पहले भरतपुर आन होगा, मुख्य शहर से इस उद्यान की दूरी सिर्फ 2 किलोमीटर ही है। यह उद्यान राष्ट्रीय राजमार्ग 21 पर बना हुआ इस वजह से यह सड़क मार्ग से यह उद्यान बहुत अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है आगरा से इस उद्यान की दूरी मात्र 55 किलोमीटर है, और जयपुर से इस उद्यान की दूरी 180 किलोमीटर है। यहाँ आने के लिए आप केब या बस या अपने निजी वाहन से बड़ी आसानी से आ सकते है।
केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के आसपास घूमने की जगह | Nearby Places to visit Keoladeo National Park in Hindi
रणथम्भौर दुर्ग, रणथम्भौर नेशनल पार्क टाइगर सफारी, रणथम्भौर नेशनल पार्क, पुष्कर, जयपुर भाग-01, जयपुर भाग-02, जयपुर भाग-03, हाथी गांव, गोविंददेवजी मंदिर, आमेर किला, कोटा, सरिस्का टाइगर रिज़र्व, झालाना लेपर्ड रिज़र्व इसके अलावा उत्तर प्रदेश भी एक नजदीकी राज्य है यहां पर मथुरा, वृन्दावन और आगरा भी घूमने जा सकते है |
(अगर आप मेरे इस आर्टिकल में यहाँ तक पहुंच गए है तो आप से एक छोटा से निवदेन है की नीचे कमेंट बॉक्स में इस लेख से संबंधित आपके सुझाव जरूर साझा करें, और अगर आप को कोई कमी दिखे या कोई गलत जानकारी लगे तो भी जरूर बताए। में यात्रा से संबंधित जानकारी मेरी इस वेबसाइट पर पोस्ट करता रहता हूँ, अगर मेरे द्वारा दी गई जानकारी आप को पसंद आ रही है तो आप अपने ईमेल से मेरी वेबसाइट को सब्सक्राइब जरूर करे, धन्यवाद )