केदारताल उत्तरकाशी 2024 | केदारताल ट्रेक 2024 | Kedartal Trek 2024 in Hindi | Kedartal Trekking Route & Itinerary in Hindi | Kedartal Trek Complete Travel Guide in Hindi | Best time to Visit in Hindi | Kedartal Trek Route in Hindi | Trek Cost in Hindi | Kedartal Trek Guide in Hindi
केदारताल – Kedartal In Hindi
उत्तराखंड की प्रमुख छोटा चारधाम यात्रा के मुख्य तीर्थ स्थल गंगोत्री से मात्र 17 किलोमीटर की दुरी पर स्थित केदारताल ट्रेक उत्तराखंड के सबसे लोकप्रिय ट्रेक में से एक है। वास्तव में समुद्रतल से 4900 मीटर (16075 फुट) की ऊंचाई पर स्थित केदारताल एक हिमनद झील है जिसके पानी का मुख्य स्त्रोत झील के आसपास में स्थित माउंट थलयसागर ( 6904 मीटर ), माउंट भृगुपंथ (6,772 मीटर) और माउंट मेरु (6,672 मीटर) जैसे हिमालय के विशाल पर्वत है।
इसके अलावा केदारताल केदारगंगा जैसी पवित्र नदी का उद्गम स्थल भी माना जाता है। केदारगंगा आगे जाकर भागीरथी नदी में विलय हो जाती है जो की पवित्र गंगा नदी की 12 सहायक नदियों में से एक है। गंगोत्री से शुरू होने वाला केदारताल ट्रेक एक कठिन श्रेणी का ट्रेक माना जाता है, क्योंकि इस पुरे ट्रेक के दौरान आपको कई बार 45 डिग्री तक खड़ी चढ़ाई करनी पड़ती है और इसके अलावा इस जगह पर भुस्खलन की संभावना भी हर समय भी बनी रहती है इस वजह से इस पुरे ट्रेक को कठिन श्रेणी के ट्रेक में माना जाता है।
गंगोत्री से केदारताल ट्रेक पूरा करने की कुल अवधि 4-5 दिन मानी जाती है। और इस पुरे ट्रेक के दौरान आप गंगोत्री से भोजखरक और केदारखरक होते केदारताल पहुंच सकते है। पुरे ट्रेक के दौरान आप हिमालय के पहाड़ों में स्थित घने जंगलो और खड़ी चट्टानों को पार करते हुए केदारताल पहुचंते है जो की आपकी यात्रा को और भी रोमांचक और यादगार बना देता है।
एक प्रसिद्ध ट्रेक होने के साथ-साथ केदारताल माउंट थलयसागर, माउंट भृगुपंथ और माउंट जोगिन का बेस कैम्प भी है। केदारताल से शुरू होने वाले इन सभी ट्रेक को पूरा करने के लिए आपके पास अच्छे खासा ट्रैकिंग का अनुभव और अनुभवी ट्रेक गाइड होना बहुत ही जरुरी हो जाता है। बिना किसी अनुभवी ट्रेक गाइड या फिर कोई भी अच्छी ट्रेकिंग एजेंसी के बिना इनमें से कोई भी ट्रेक करना बहुत ही ज्यादा खतरनाक हो सकता है।
केदारताल हिमालय के उन गिने-चुने ट्रेक में से एक है जहाँ से आपको हिमालय के सबसे विशाल पर्वत एक साथ दिखाई देते है जैसे – मांडा पर्वत, माउंट गंगोत्री, माउंट थलयसागर, माउंट जोगिन और माउंट भृगुपंथ। उत्तराखंड में जितने भी ट्रेक है उन सभी ट्रेक में सबसे काम भीड़ आपको इस ट्रेक पर मिलती है क्योंकि सिर्फ अनुभवी ट्रेकर ही इस ट्रेक पर जाना पसंद करते है।
इसलिए अगर आपको केदारताल ट्रेक करना है तो आप जितना है सके उतना अपने आपको शारीरिक रूप से सक्षम बनाये और हो सके तो इस ट्रेक को करने से पहले 2-4 मध्यम श्रेणी के ट्रेक कर लें ताकि आप यह ट्रेक आसानी से पूरा कर पाएं। केदारताल ट्रेक एक कठिन श्रेणी का ट्रेक माना जाता है इसलिए आज की इस ब्लॉग पोस्ट में में आपको केदारताल ट्रेक से जुड़े हुए अधिक से अधिक सवालों एक जवाब देने का प्रयास करूँगा……
01 केदारताल ट्रेक कहाँ से शुरू होता है ?
02 केदारताल ट्रेक में कितना टाइम लगता है ?
03 केदारताल ट्रेक के दौरान क्या- क्या सुविधा मिलती है ?
04 क्या केदारताल ट्रेक सुरक्षित है ?
05 केदारताल ट्रेक में कितना खर्च आता है ?
06 केदारताल ट्रेक करने का सबसे अच्छा टाइम क्या है ?
07 केदारताल का इतिहास क्या है ?
08 केदारताल ट्रेक कितना मुश्किल है ?
केदारताल का इतिहास – Kedartal History in Hindi
उत्तराखंड का एक प्रसिद्ध ट्रेक होने के साथ-साथ केदारताल को हिन्दू धर्म में भगवान शिव की झील के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि पौराणिक कथा के अनुसार भगवान शिव ने स्वयं इस झील का जल पिया था । और इसी वजह से हिन्दू धर्म में केदारताल का धार्मिक महत्व भी बढ़ जाता है। केदारताल से जुडी हुई पौराणिक कथा देवता और दानवों के द्वारा अमृत के लिए समुद्र मंथन के समय से जुडी हुई है।
ऐसा माना जाता है की जब देवताओं और दानवों ने मिल कर समुद्र मंथन किया था, तब उस समय समुद्र मंथन से निकलने वालों 14 रत्नो में एक हलाहल विष (कालकूट विष ) भी सम्मिलित था। पौराणिक कथा के अनुसार हलाहल विष में इतनी ज्यादा गर्मी थी की समुद्र मंथन के समय उपस्थित सभी देवता और दानव जलने लग गए थे इसके अलावा यह भी माना जाता है की इस विष में पुरे ब्रम्हांड को समाप्त करने की क्षमता थी।
हलाहल विष के प्रभाव से बचने के लिए देवताओं और दानवों ने भगवान शिव से इस पीने की प्रार्थना की। देवताओं और दानवों की प्रार्थना को स्वीकार करने के बाद जब भगवान शिव ने हलाहल विष पिया तो इस वजह से उनके कंठ में बहुत तेज जलन होने लगी।
ऐसा माना जाता है की हलाहल विष से होने वाली जलन को शांत करने के लिए भगवान शिव गंगोत्री से कुछ दुरी पर स्थित एक ताल का पानी पिया था जिसे आज हम सभी केदारताल के नाम से जानते है। और ऐसा भी माना जाता है की उसी समय केदारताल से केदार गंगा नदी का निर्माण हुआ था।
केदारताल ट्रेक – Kedartal Trek in Hindi
केदारताल ट्रेक उत्तराखंड के सबसे प्रसिद्ध ट्रेक में गिना जाता है। उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित गंगोत्री (केदारताल ट्रेक का बेस कैंप गंगोत्री है) से शुरू होने वाला केदारताल ट्रेक उन ट्रेकर्स के लिये है जिन्होंने इस ट्रैक से पहले कई दूसरे ट्रेक भी किये हुए है। वास्तव केदारताल एक हिमनद झील है जो की हिमालय के कई प्रमुख पर्वत जैसे- माउंट भृगुपंथ, माउंट थलयसागर,माउंट जोगिन, मांडा पर्वत और माउंट गंगोत्री की तलहटी पर स्थित है।
और यही वजह है की केदारताल ट्रेक करने के लिए ट्रेकर्स बहुत ज्यादा उत्साहित रहते है क्योंकि इस जगह से आप हिमालय के कई विशाल पर्वतों को एक साथ देख सकते है। लगभग 3415 मीटर (11204 फ़ीट ) की ऊंचाई से शुरू होने वाला यह ट्रेक समुद्रतल 4900 मीटर (16075 फुट) तक जाता है जिसको पूरा करने में लगभग 4-5 दिन का समय लग जाता है ।
इसके अलावा गंगोत्री से शुरू होने वाले केदारताल ट्रेक की दुरी 17 किलोमीटर (कुल 34 किलोमीटर ) है। ट्रेक पूरा करने के लिए आपको कई दुर्गम रास्तों होकर गुजरना होता है और पुरे रास्ते में आपको किसी प्रकार की मानव आबादी नहीं मिलती है जो की इस ट्रेक को और भी कठिन बनाती है। केदारताल ट्रेक शुरू करने से पहले आपका शारीरिक और मानसिक रूप से सक्षम होने बहुत जरुरी होना चाहिए।
इसके लिए आपको कई महीनो पहले ही वाकिंग, रनिंग और कुछ अन्य कसरत शुरू कर देनी चाहिए ताकि आपको ट्रेक के दौरान किसी प्रकार की परेशानी नहीं हो। गंगोत्री से शुरू होने वाले इस ट्रेक के दौरन आप सुन्दर भोज वन और विशाल ऊंचाई वाले घास के मैदान से हो होते हुए आप केदारताल पहुंचते है।
एक और बात है जो की ध्यान देने योग्य है की आप जब भी यह ट्रेक करें तो उस समय या तो किसी अनुभवी ट्रेकर या फिर किसी अच्छी ट्रैकिंग एजेंसी के साथ ही इस ट्रेक को करें। अकेले इस ट्रेक को करना बहुत ज्यादा खतरनाक हो सकता है।
केदारताल ट्रेक – पहला दिन – देहरादून से गंगोत्री (दुरी 237 किलोमीटर)
वैसे तो केदारताल का बेस कैंप गंगोत्री है लेकिन इस ट्रेक की शुरुआत देहरादून से ही हो जाती है। लगभग सभी ट्रैकिंग एजेंसी के साथ आपको देहरादून से गंगोत्री जाना होता है। इसके अलावा अगर आप किसी अनुभवी ट्रेकर के साथ यह ट्रेक करते है तो आप देहरादून से गंगोत्री बस और कैब के सहायता से पहुँच सकते है।
गंगोत्री पहुँचने के बाद आप अपने साथ लाये बैकपैक्स और ट्रेक से जुडी हुई सभी वस्तुओं की अच्छे से जांच करले ताकि आप जब अगले दिन ट्रेक शुरू करें तो आपको किसी प्रकार की परेशानी ना हो।
केदारताल ट्रेक – दूसरा दिन- गंगोत्री से भोजखरक (8 किमी ट्रेक)
गंगोत्री से आप सुबह जल्दी केदारताल के लिए ट्रेक की शुरुआत कर सकते है। आपके पहले दिन के ट्रेक की कुल दुरी 08 किलोमीटर है। केदारताल के लिए ट्रेक का पहला दिन ही सबसे ज्यादा थकाने वाला होता है क्योंकि ट्रेक के पहले ही दिन आपको 08 किलोमीटर एक ट्रेक करके भोजखरक पहुँचना होता है।
ट्रेक के पहले ही दिन स्पाइडर वॉल को पार करना होता है। स्पाइडर वाल वास्तव में 45 डिग्री की सीधी खड़ी चढ़ाई है जिसे पार करने में आपको परेशानी हो सकती है। स्पाइडर वॉल को पार करने के बाद कैंप लगा कर आराम कर सकते है। अगर आप किसी ट्रैकिंग एजेंसी के साथ यह ट्रेक कर रहे है तो वो लोग आपके लिए कैंपिंग और खाने की व्यवस्था करके रखते है। और अगर आप किसी गाइड के साथ यह ट्रेक करते है तो फिर आपको यह सारे काम खुद से करने होंगे।
केदारताल ट्रेक – तीसरा दिन – भोजखरक से केदारखरक (4 किमी ट्रेक)
केदारताल ट्रेक के तीसरे दिन आप गंतव्य होता है केदारखरक इसे केदारताल ट्रेक का दूसरा बेस कैंप भी माना जाता है। अगले दिन सुबह आप को मात्र 04 किलोमीटर का ही ट्रेक करना होता है। भोजखरक से केदारखरक की दुरी मात्र 04 किलोमीटर है।
इस 04 किलोमीटर के ट्रेक के दौरान आप उबड़-खाबड़ रास्तों और खड़ी चट्टानों को पार करते हुए केदारखरक पहुचंते है। केदारखरक एक घास का मैदान है और आपको यहाँ से माउंट भृगुपंथ और माउंट थलयसागर जैसे विशाल पहाड़ दिखाई देने शुरू हो जाते है।
केदारताल ट्रेक – चौथा दिन – केदारखरक से केदारताल (5 किमी ट्रेक)
ट्रेक का चौथा दिन आपका समिट दिन माना जाता है। आज के दिन आप 05 किलोमीटर का ट्रेक करके केदारखरक से केदारताल पहुंच जाते है। केदारखरक से केदारताल की 05 किलोमीटर को दुरी को पूरा करने में आपको मात्र 2-3 घंटे का ही समय लगता है। इसलिए आप चाहे तो आज ही के दिन केदारताल समिट पूरा करके वापस केदारखरक आ सकते है।
और आप चाहे तो केदारताल में भी कैंपिंग कर सकते है। अगर आप आज ही के दिन केदारताल से वापस केदारखरक आते हो तो आपको अगले दिन सिर्फ 12 किलोमीटर का ही ट्रेक करना होता है। और अगर आप केदारताल में कैंपिंग करते है तो फिर आपको आगे दिन गंगोत्री के लिए पुरे 17 किलोमीटर का ट्रेक करना होगा।
केदारताल ट्रेक – पांचवा दिन – केदारताल – भोजखरक – केदारखरक – गंगोत्री (17 किमी वापसी)
केदारताल ट्रेक के पांचवें दिन को आप सुबह जल्दी नाश्ता करके वापस गंगोत्री के लिए ट्रेक शुरू कर सकते है। इस बार को केदारताल से गंगोत्री की यात्रा को एक ही दिन में पूरा करना होता है।
जिस वजह से आपको बहुत ज्यादा थकान हो सकती है। यहाँ पर यह बात ध्यान देने योग्य है की केदारताल आने और जाने का ट्रेक रूट एक ही है। इसलिए आप जिस रास्ते से केदारताल जाते है उसी रास्ते से आपको वापस गंगोत्री आना होगा।
केदारताल ट्रेक – छठा दिन – गंगोत्री-देहरादून (237 किलोमीटर)
गंगोत्री में रात्रि विश्राम करने के बाद आप अगले दिन बस और कैब के सहायता से वापस देहरादून पहुँच सकते है। इसके अलावा अगर आप किसी ट्रेकिंग एजेंसी के साथ यह ट्रेक कर रहे है तो आपको देहरादून तक छोड़ने की जिम्मेदारी उनकी होगी।
केदारताल ट्रेक के लिए सबसे अच्छा समय – Best Time for Kedartal Trek in Hindi
अधिकतम ऊंचाई और हिमालय के विशाल पहाड़ों की तलहटी में स्थित होने की वजह से केदारताल ट्रेक पुरे साल में सिर्फ कुछ महीनों के लिए ही खुला रहता है। अब जब हम केदारताल ट्रेक करने के सबसे उचित समय की बात कर रहे है, तो में आपको यह बताना चाहूंगा की पुरे साल में सिर्फ 04 महीने ही ऐसे होते है जब केदारताल ट्रेक करने का सबसे उचित समय माना जाता है।
सबसे पहले केदारताल ट्रेक मई महीने के मध्य भाग से लेकर जून महीने के अंत तक किया जा सकता है। मई महीने के मध्य भाग के आसपास या फिर थोड़ा पहले केदारताल ट्रेक करते समय आपको कई जगहों पर पिघलती हुई बर्फ भी मिल सकती है।
और इसके अलावा जुलाई महीने में यहाँ पर बारिश शुरू हो जाती है इस वजह से मानसून के सीजन में केदारताल ट्रेक ट्रेकर्स के लिए बंद कर दिया जाता है क्योंकि इस समय यहाँ पर भूस्खलन की संभावनाएं बहुत ज्यादा बढ़ जाती है और पूरे ट्रेक फिसलन भी हो जाती है जिस वजह से ट्रेक की कठिनाइयों का स्तर कई गुना बढ़ जाता है।
मॉनसून के बाद सितम्बर महीने के मध्य भाग से लेकर अक्टूबर महीने के अंत तक आप केदारताल ट्रेक कर सकते है। अगर आप अक्टूबर महीने के अंतिम सप्ताह के आसपास यह ट्रेक कर रहे है तो आपको यहाँ पर बर्फ़बारी का सामना करना पड़ सकता है या फिर आपको ट्रेक के दौरान बर्फ भी मिल सकती है।
नवंबर महीने में यहाँ पर बहुत तेज बर्फ़बारी होनी शुरू हो जाती जिस वजह से साल के इस समय दोबारा से यह ट्रेक ट्रेकर्स के लिए बंद हो जाता है।
नोट :- केदारताल के ट्रेक के समय आपको इस बात का ध्यान रखना है कि पूरे ट्रेक के दौरान किसी भी समय इस जगह मौसम में बदलाव आ सकता है। गर्मियों में जहां दिन का औसत तापमान 15° से लेकर 20° सेल्शियस तक रहता है वहीं रात का तापमान 0° तक गिर जाता है। इसके अलावा यहाँ पर किसी भी समय बर्फबारी हो सकती है।
केदारताल का तापमान – Temperature of Kedartal in Hindi
01 गर्मियों में केदारताल का तापमान – Kedartal Temperature in Summer in Hindi
मई से जून महीने तक – अधिकतम: लगभग 15℃ / न्यूनतम: लगभग 0℃
02 शरद ऋतू में केदारताल का तापमान – Kedartal temperature in Autumn in Hindi
सितंबर से अक्टूबर महीने तक – अधिकतम: लगभग 10℃ / न्यूनतम: लगभग -5 ℃
केदारताल ट्रेक कॉस्ट – Kedartal Trek Cost in Hindi
हमारे देश ऐसी बहुत सारी ट्रैकिंग एजेंसी है जो की केदारताल ट्रेक को सुरक्षित तरीके से पूरा करवाते है। लगभग सभी ट्रैकिंग एजेंसी 12000 – 15000 रुपये की लागत में आपको केदारताल ट्रेक पूरा करवा देती है अब यह आप पर निर्भर करता है की आप केदारताल ट्रेक के लिए कितने रुपये खर्च करना चाहते है ।
क्योंकि लगभग सभी ट्रैकिंग एजेंसी के पास अनुभवी ट्रेक गाइड होते है बस आपको ट्रेक के दौरान मिलने वाली सुविधाओं में थोड़ा बहुत अंतर हो सकता है। अब यहाँ पर में आपको ट्रेक के दौरान मिलने वाली सुविधाओं के बारे में बता देता जून जो की आपको पुरे केदारताल ट्रेक के दौरन मिलने वाली है। इसके अलावा में यहाँ पर यह कोशिश करूँगा को ट्रेक कोस्ट के अलावा आपको किनते रुपए और खर्च पड़ सकते है।
केदारताल ट्रेक शुल्क में शामिल – Kedartal trek included in the fee in Hindi
01 ट्रेक के पहले दिन से लेकर आखरी दिन तक रुकने की व्यस्था।
02 ट्रेक के पहले दिन से लेकर आखरी दिन तक खाने की व्यवस्था। (अधिकांश ट्रेकिंग एजेंसी सिर्फ शाखाहारी भोजन ही प्रदान करती है )
03 कैंपिंग शुल्क – सभी तरह के ट्रैकिंग परमिट और फारेस्ट कैंपिंग शुल्क ट्रेक पैकेज में सम्मिलित होते है।
04 ट्रैकिंग उपकरण – ट्रेक के दौरान आप लोगों के लिए उच्च गुणवत्ता वाले कैंपिंग टेंट और स्लीपिंग बैग ट्रैकिंग एजेंसी के द्वारा दिए जाते है। इसके अलावा जरुरत पड़ने पर आपको रस्सी, बर्फ की कुल्हाड़ी, गैटर और सूक्ष्म स्पाइक्स भी दिए जाते है।
05 सुरक्षा उपकरण – ट्रेक के दौरान किसी भी तरह की आपात स्थिति से निपटने के लिए ट्रैकिंग एजेंसी सभी शिविरों में चिकित्सा किट, स्ट्रेचर, प्राथमिक चिकित्सा और ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था पहले से करके रखती है।
केदारताल ट्रेक शुल्क में शामिल नहीं – Not included in Kedartal trek fee in Hindi
01 बेस कैंप से आने जाने के लिए परिवहन – हम यह मान कर चलते है की ट्रेकिंग एजेंसी आपको देहरादून से लेकर गंगोत्री लेकर जाने की व्यवस्था साझा टैक्सी के द्वारा करती है। अब देहरादून से गंगोत्री जाने के लिए टैक्सी का जितना भी खर्चा होता है वो सभी ट्रेकर्स को बराबर-बराबर भुगतना करना होता है।
02 ट्रैकिंग एजेंसी ट्रेक के दौरान ख़रीदे गए भोजन का शुल्क ट्रेक कॉस्ट में सम्मिलित नहीं करती है।
03 अगर आपके पास बैकपैक है तो आपको उसके लिए अतिरिक्त शुल्क देना होगा।
नोट :- 01 किसी भी तरह की ट्रैकिंग एजेंसी के साथ केदारताल ट्रेक करने से पहले सभी तरह की शर्तों के बारे में जान लें।
02 केदारताल ट्रेक के दौरान मिलने वाली सभी तरह की सुविधाओं के बारे में ट्रेक शुरू होने से पहले अच्छी तरह से जानकारी करलें।
03 केदारताल ट्रेक की लागत लगभग सभी ट्रैकिंग एजेंसीज की अलग होती है।
04 ऊपर बताई गई सभी तरह की लागत अनुमानित है इस पर हमारी की किसी भी प्रकार की जवाबदेही नहीं है।
05 सभी ट्रैकिंग एजेंसीज के नियम और शर्तें और ट्रेक के दौरान दी जाने वाली सुविधाएँ अलग-अलग हो सकती है।
केदारताल ट्रेक के लिए टिप्स – Tips For Kedartal Trek in Hindi
01 पहचान पत्र
02 मफलर
03 पानी की बोतल ( 3-5 से लीटर )
04 ड्राई फ्रूट्स और पैकेट फ़ूड
05 गरम कपड़े ( स्वेटर / जैकेट / पुल ओवर )
06 पोंचो / रेन कोट ( बारिश के मौसम के लिए )
07 धुप का चश्मा
08 टोर्च / पॉवर बैंक / कैमरा के लिए एक्स्ट्रा बैटरी
09 कैंपिंग का सामान अगर संभव हो। ( चटाई / स्लीपिंग बैग )
10 इलेक्ट्रॉनिक सामान को बारिश से बचाने के वाटरप्रूफ बैग।
11 नींबू और नमक या इलेक्ट्रोलाइट पाउडर/पेय (इलेक्ट्रल/गेटोरेड/ग्लूकॉन डी)
12 ट्रैकिंग शूज / ट्रैकिंग पेंट / क्विक ड्राई टीशर्ट /केप
13 सीटी (आपात स्थित के लिए )
14 प्राथमिक चिकित्सा किट :- कैंची, सनस्क्रीन (एसपीएफ़ 50+), बैंड एड्स (वाटर प्रूफ), एनाल्जेसिक स्प्रे (रिलीस्प्रे, वोलिनी), एंटीसेप्टिक लिक्विड (सेवलॉन, डेटॉल), एंटीसेप्टिक पाउडर (पोविडोन-आयोडीन आधारित पाउडर जैसे सिप्लाडाइन, सेवलॉन), पट्टी, रुई, क्रेप पट्टी आदि।
15 दवाइयां :- बुखार, सिरदर्द, मोशन सिकनेस, लूज़ मोशन, उल्टी और एसिडिटी आदि ।
16 केदारताल ट्रेक शुरू करने से पहले मौसम के बारे में जरूर पता करें।
17 अगर आप को पहाड़ों में ट्रैकिंग का अनुभव नहीं है तो अपने साथ स्थानीय गाइड कर सकते है।
18 ट्रेक शुरू करने से पहले आप जिस ट्रैकिंग एजेंसी के साथ यह ट्रेक कर रहे है तो आप सबसे पहले यात्रा कार्यक्रम की जानकारी जरूर लेना ना भूले
19 ट्रेक शुरू करने से पहले केदारताल ट्रेक से जुड़े हुए नियमों के बारे में जानकारी जरूर ले लेवें।
20 अगर आप किसी ट्रैकिंग एजेंसी के साथ यह ट्रेक नहीं कर रहे है तो आप अपने साथ स्थानीय ट्रेक गाइड जरूर कर लेवें। (जहाँ तक हो सके किसी अच्छी ट्रैकिंग एजेंसी के साथ ही यह ट्रेक करें )
21 केदारताल ट्रेक के दौरान आपको ट्रेक के दौरान आपको अपने साथ क्या-क्या सामान साथ में रखना है इसके बारे में आप ट्रैकिंग एजेंसी वालों से भी पूछ ले तो ज्यादा अच्छा रहेगा।
22 अगर आप एक अनुभवी ट्रेकर नहीं है तो भूल कर भी यह ट्रेक अकेले ना करें।
23 ट्रेक के दौरान आपको किसी भी तरह के मोबाइल नेटवर्क नहीं मिलते है। साथ में ही आपको आपके इलेक्ट्रॉनिक उपकरण चार्ज करने की सुविधा भी उपलब्ध नहीं होगी इसलिए आप ट्रेक के दौरान अतिरिक्त बैटरी और पॉवरबैंक जरूर साथ रखें।
24 मानसून के मौसम में ट्रेक फिसलन भरा हो जाता है इसलिए इस समय थोड़ी अतिरिक्त सावधानी रखें।
25 ट्रेक पर जाने से पहले एक बार मौसम जरूर चेक कर ले और उसी के अनुरूप भी कपडे और सामान साथ में रखें।
( नोट :- किसी भी तरह के दवाई लेने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लेवें। )
केदारताल में कहाँ रुके – Hotels in Kedartal in Hindi
केदारताल का बेस कैंप गंगोत्री को माना जाता है। और गंगोत्री उत्तराखंड की चारधाम यात्रा का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है इसी वजह से आप जब भी केदारताल ट्रेक करने के लिए जाते है तो गंगोत्री में अपने लिए होटल और धर्मशाला में रूम बुक करवा सकते है। वैसे अगर आप किसी ट्रैकिंग एजेंसी के साथ यह ट्रेक कर रहे है तो वो लोग आपके लिए पहले से ही किसी होटल में रूम बुक करके रखते है।
केदारताल कैसे पहुँचे – How to Reach Kedartal in Hindi
हवाई मार्ग से केदारताल कैसे पहुँचे – How to Reach Kedartal By Air in Hindi
केदारताल सीधी तरह से हवाई मार्ग से नहीं जुड़ा हुआ है। केदारताल के सबसे नजदीक हवाई अड्डा देहरादून का जॉली ग्रांट हवाई अड्डा है। देहरादून से आपको सड़क मार्ग के द्वारा सबसे पहले गंगोत्री आना होगा। और गंगोत्री से से आप ट्रेक करके केदारताल पहुँच सकते है। देहरादून के जॉली ग्रांट एयरपोर्ट से गंगोत्री की दूरी मात्र 265 किलोमीटर है।
यह एयरपोर्ट देश के प्रमुख हवाई अड्डों से बहुत अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। देहरादून से आप टैक्सी और कैब सर्विस के द्वारा बड़ी आसानी गंगोत्री पहुँच सकते है। इसके अलावा देहरादून से गंगोत्री के लिए हेलीकॉप्टर सेवा भी उपलब्ध है।
रैल मार्ग से केदारताल कैसे पहुँचे – How to Reach Kedartal By Train in Hindi
हरिद्वार और ऋषिकेश रेलवे स्टेशन केदारताल के सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन है। हरिद्वार और ऋषिकेश से आप बड़ी आसानी से गंगोत्री पहुँच सकते है और उसके बाद आप यहाँ से केदारताल ट्रेक शुरू कर सकते है।
ऋषिकेश से गंगोत्री की दूरी मात्र 267 किलोमीटर है। हरिद्वार रेलवे स्टेशन भारत के प्रमुख शहरों से रेल मार्ग द्वारा बहुत अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। ऋषिकेश और हरिद्वार इन दोनों शहरों से आपको गंगोत्री के लिए नियमित रूप बस, टैक्सी और कैब सेवा उपलब्ध मिल जाएगी।
सड़क मार्ग से केदारताल कैसे पहुँचे – How to Reach Kedartal By Road in Hindi
केदारताल के सबसे नजदीकी शहर गंगोत्री सड़क मार्ग द्वारा उत्तराखंड के प्रमुख शहरों से बहुत अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। हरिद्वार, ऋषिकेश, देहरादून टिहरी गढ़वाल और उत्तरकाशी से आप बस, टैक्सी और कैब सेवा के द्वारा गंगोत्री बड़ी आसानी से पहुंच सकते है।
आप चाहे तो अपने निजी वाहन की सहायता से भी गंगोत्री सड़क मार्ग द्वारा बहुत आसानी से पहुचं सकते है। सड़क मार्ग द्वारा गंगोत्री पहुँचने के बाद आप केदारताल के लिए ट्रेक शुरू कर सकते है।
(अगर आप मेरे इस आर्टिकल में यहाँ तक पहुंच गए है तो आप से एक छोटा से निवदेन है की नीचे कमेंट बॉक्स में इस लेख से संबंधित आपके सुझाव जरूर साझा करें, और अगर आप को कोई कमी दिखे या कोई गलत जानकारी लगे तो भी जरूर बताए। में यात्रा से संबंधित जानकारी मेरी इस वेबसाइट पर पोस्ट करता रहता हूँ, अगर मेरे द्वारा दी गई जानकारी आप को पसंद आ रही है तो आप अपने ईमेल से मेरी वेबसाइट को सब्सक्राइब जरूर करे, धन्यवाद )