केदारकांठा ट्रेक 2024 | केदारकांठा ट्रेक की सम्पूर्ण जानकारी | Kedarkantha Trek in Hindi 2024 | Kedarkantha Trek Complete Travel Guide | Kedarkantha Trek Things to do | Kedarkantha Trek Best Time To Visit in Hindi | Kedarkanth Trek Travel Guide in Hindi | Kedarkantha 2024 in Hindi
केदारकांठा – Kedarkantha in Hindi
हिमालय के गढ़वाल क्षेत्र में स्थित केदारकांठा शिखर भारत में सबसे ज्यादा पसंद किये जाने वाले ट्रैक में से एक है। समुद्रतल से 3800 मीटर (12500 फ़ीट ) की उंचाई पर स्थित केदारकांठा शिखर उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में है। केदारकांठा के लिए यह माना जाता है की यह भारत का सबसे बढ़िया विंटर ट्रेक है।
इसी वजह से सर्दियों के मौसम ट्रेकर्स के द्वारा केदारकांठा ट्रेक किया जाता है। वैसे इसके एक प्रसिद्ध विंटर ट्रेक होने के पीछे बहुत सारी वजह है जिनमें से कुछ के बारे में आपको बता देता हूँ। बाकी जब आप यह ट्रेक करेंगे तब आप अपने आप अनुभव कर सकते है की क्योँ केदारकांठा को बेस्ट विंटर ट्रेक कहा जाता है।
केदारकांठा उत्तराखंड के गोविन्द वन्यजीव अभ्यारण्य में स्थित है इसी वजह से जब आप इस ट्रेक की शुरुआत करते है तो आप बेहद घने जंगलो में होकर गुजरते है जो की आपकी यात्रा का खूबसूरत और यादगार बना देता है। गोविन्द वन्यजीव अभ्यारण्य के अलावा सांकरी गांव से कुछ किलोमीटर की दुरी पर स्थित “जुडा-का-तालाब” भी केदारकांठा ट्रेक का एक मुख्य आकर्षण माना जाता है।
इन सब के अलावा केदारकांठा शिखर से हिमालय की कुछ पर्वत श्रृंखलाओं के बेहद अविस्मरणीय दृश्य दिखाई देते है। केदारकांठा से दिखाई देने वाली पर्वत श्रृंखलाओं में से स्वर्गारोहिणी 1, स्वर्गारोहिणी 2, स्वर्गारोहिणी 3, स्वर्गारोहिणी 4, काला नाग (Black Peak ), हर की दून, गंगौत्री, यमुनोत्री और बन्दरपूँछ आदि पर्वत मुख्य रूप से दिखाई देते है।
इन सब के अलावा केदारकांठा शिखर पर आने वाले लगभग सभी पर्यटक यहाँ का सूर्योदय देखना बहुत ज्यादा पसंद करते है। लेकिन फिर भी केदारकांठा आने वाले कुछ ट्रेकर्स के मन में कुछ सवाल होते है। आज के इस ब्लॉग में आप के इन्ही सवालों के जवाब देने का प्रयास करूँगा…
01 केदारकांठा ट्रेक कहाँ से शुरू होता है ?
02 केदारकांठा ट्रेक में कितना टाइम लगता है ?
03 केदारकांठा ट्रेक के दौरान क्या- क्या सुविधा मिलती है ?
04 क्या केदारकांठा ट्रेक सुरक्षित है ?
05 केदारकांठा ट्रेक में कितना खर्च आता है ?
06 केदारकांठा ट्रेक करने का सबसे अच्छा टाइम क्या है ?
07 केदाकांठा का इतिहास क्या है ?
08 केदारकांठा ट्रेक कितना मुश्किल है ?
केदारकांठा का इतिहास – History of Kedarkantha in Hindi
केदारकांठा शिखर से जुडी हुई लगभग सभी पौराणिक कथाएं केदारनाथ और केदारकांठा से सम्बन्ध स्थापित करती है। यहाँ के स्थानीय निवासियों का यह मानना है की आज केदारकांठा ही केदारनाथ के रूप में पूजा जाता अगर उस समय इस स्थान पर रहने वाले लोगों की वजह से भगवान शिव यह स्थान छोड़ कर नहीं जाते।
केदारकांठा और पंच केदार मंदिरों की पौराणिक कथाओं में एक तरह की समानता महसूस होती है। ऐसा इसलिए है क्यों महाभारत काल में जब युद्ध समाप्ति के बाद जब पांडव भ्रातृहत्या के पाप से मुक्ति पाने के लिए भगवान शिव से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए निकल पड़ते है तो भगवान शिव पांडवों से छिपने के लिए एक बैल का रूप धारण करके के सबसे पहले केदारकांठा ही आये थे।
लेकिन जब भगवान शिव केदाकांठा आये थे उस समय इस पर्वत के आसपास के क्षेत्र में मनुष्यों की बस्ती हुआ करती थी। उस समय यहाँ रहने वाले मनुष्य अपने पशुओं के गले में घंटी बांध दिया करते थे। ताकि जब उनके पालतू पशु घास के मैदानों में चर रहे होते तो उनके गले बंधी हुई घंटी की आवाज से उनको यह पता चल जाता की उनका पालतू पशु उनसे कितनी दुरी पर है।
लेकिन पालतू पशुओं में बंधी हुई घंटी से होने वाली आवाज की वजह से भगवान शिव का ध्यान भंग हो जाता था। इसी वजह से भगवान शिव केदारकांठा को छोड़ कर केदारनाथ चले गए। इसके अलावा पंच केदार से जुडी हुई एक और पौराणिक कथा के अनुसार जब केदारनाथ में भगवान शिव पाँच भागों में अलग हुए थे तो उनके गले के भाग इस स्थान पर गिर गया था इसी वजह से इस जगह जो केदारकांठा कहा जाता (स्थानीय निवासी ऐसा मानते है की केदारकांठा का मतलब होता है भगवान शिव के कंठ) है।
केदारकांठा ट्रेक के दौरान जुडा -का -तालाब नाम का एक बेहद सुन्दर तालाब आता है इस के लिए कहा जाता है की जब भगवान शिव तपस्या करने के लिए केदारकांठा जा रहे थे तब उन्होंने ने इस स्थान पर रुक कर अपनी जटा खोली थी और उनकी जटा से इस स्थान पर पानी की 02 बून्द गिर गई थी जिस वजह से स्थान पर एक तालाब बन गया।
इस वजह से स्थानीय निवासी इस तालाब को जुडा-का-तालाब कहते है। यहाँ के स्थानीय केदारकांठा से जुडी हुई एक मान्यता पर बहुत गहरा विश्वास करते है। यहाँ के स्थानीय निवासियों का यह मानना है केदारकांठा में स्थापित भगवान शिव का त्रिशूल सदियों से उनकी रक्षा करता है। उनका ऐसा मानना है की त्रिशूल की वजह से ही यहाँ बहने वाली पवित्र नदियों में कभी भी पानी की कमी नहीं होती है।
केदारकांठा ट्रेक – Kedarkantha Trek In Hindi
हिमालय के गढ़वाल क्षेत्र में स्थित केदारकांठा ट्रेक अनुभवी और शुरुआती ट्रेकर्स दोनों में समान रूप से प्रसिद्ध है। इसका मुख्य कारण है इस ट्रैक के दौरान दिखाई देने वाले अविस्मरणीय दृश्य। इसके अलावा केदारकांठा ट्रेक भारत के उन चुनिंदा ट्रेक में से एक है जो कि सबसे ज्यादा सर्दियों के मौसम में किया जाता है।
वैसे आप चाहे तो पूरे साल में किसी भी समय केदारकांठा ट्रेक कर सकते है। लेकिन आपको मानसून के मौसम में केदारकांठा ट्रेक करने से बचना चाहिये इसका मुख्य कारण है हाल के वर्षों में उत्तराखंड में बारिश के मौसम में भूस्खलन की संख्या बहुत बढ़ गई है। केदारकांठा ट्रेक कुल 18 किलोमीटर लंबा है और इसे पूरा करने में आपको 4-5 दिन का समय लग सकता है।
केदारकांठा ट्रेक की कठिनाई का स्तर मध्यम श्रेणी का माना जाता है। अगर आपको किसी भी प्रकार की गंभीर शारीरिक समस्या नहीं है तो आप इस ट्रैक का बड़ी आसानी से पूरा कर सकते है। फिर भी यह ट्रेक शुरू करने से पहले आपको कुछ दिनों तक 4-5 किलोमीटर पैदल चलने का अभ्यास कर लेना चाहिए ताकि आपको ट्रेक के दौरान किसी प्रकार की समस्या का सामना ना करना पड़े।
केदारकांठा ट्रेक का पहला दिन – Day One of Kedarkantha Trek in Hindi
केदारकांठा ट्रेक वैसे तो साँकरी गांव से शुरू होता है, लेकिन अधिकांश ट्रेवल एजेंसीज देहरादून से केदारकांठा ट्रेक का पहला दिन मानते है। इसलिए आप जब भी केदारकांठा ट्रेक शुरू करें तो आपकी यात्रा का पहला चेक पॉइंट आप देहरादून को मान ले। केदारकांठा ट्रेक शुरू करने से पहले आप को सबसे पहले साँकरी गांव पहुँचना होगा।
देहरादून से साँकरी की दुरी मात्र 190 किलोमीटर है, देहरादून से साँकरी के लिए आपको नियमित रूप से बस और टैक्सी सेवा उपलब्ध मिल जायेगी। अगर आप किसी ट्रेकिंग एजेंसी के साथ यह ट्रेक कर रहे है तो फिर वो लोग आपके साँकरी तक पहुँचने की व्यवस्था पहले से कर के रखते है आपको तो सिर्फ उनके द्वारा निर्धारित स्थान पर तय समय तक पहुंचना होता है।
देहरादून से साँकरी पहुंचने के दो रास्ते है, जिनमें से पहले रास्ते से अगर आप अगर साँकरी जाते है तो आप देहरादून से यमुना पुल – नैनबाग – नौगांव – पुरोला और मोरी होते हुए साँकरी पहुंचते है। इसके अलावा आप देहरादून से विकासनगर और चकराता होते हुए भी साँकरी पहुँचते है। वैसे पुरोला और मोरी होते साँकरी का रास्ता बहुत खूबसूरत माना जाता है। मोरी के बाद आप टोंस नदी के साथ चलते हुए आप साँकरी पहुँच सकते है।
केदारकांठा ट्रेक का दूसरा दिन – Day Two of Kedarkantha Trek in Hindi
देहरादून से सड़क मार्ग द्वारा साँकरी गांव पहुँचने के बाद पहले दिन आप यहाँ पर आराम करें। साँकरी गांव को केदारकांठा ट्रेक का बेस कैंप गांव भी कहा जाता है।
उसके बाद अगले दिन आप सुबह जल्दी उठकर साँकरी से केदारकांठा ट्रेक की अपनी यात्रा शुरू कर सकते है। यहाँ पर आपको इस बात का ध्यान रखना है अगर आप किसी ट्रैकिंग एजेंसी के साथ यह ट्रेक कर रहे है तो वो लोग आपको देहरादून में ही आपका पूरा यात्रा कार्यक्रम बता देंगे। साँकरी से केदारकांठा ट्रेक की यात्रा के पहले दिन आपको पहला चेक पॉइंट जुडा-का-तालाब है।
साँकरी से जुडा-का-तालाब की दुरी लगभग 04 किलोमीटर है। साँकरी से जुडा-का-तालाब का ट्रेक घने जंगलो में से होते हुए गुजरता है और इस ट्रेक के दौरान आपको बेहद सुन्दर दृश्य दिखाई देते है। इस 04 किलोमीटर के ट्रेक के को आप बड़ी आसानी से पूरा कर सकते है।
केदारकांठा ट्रेक का तीसरा दिन – Day Three of Kedarkantha Trek in Hindi
आपके पहले ट्रेक के दिन आप साँकरी गाँव से जुडा-का-तालाब पहुँचते है, और यहाँ पहुँचने के बाद यदि आप अपने साथ कैंपिंग सामान लेकर आये है तो ठीक नहीं तो आप यहाँ पर 500 रुपये देकर अपने रुकने के लिए टेंट किराये पर ले सकते है। एक रात यहाँ रुकने के बाद आप अगले दिन केदारकांठा के लिए अपनी यात्रा शुरू कर सकते है।
जुडा-का-तालाब के बाद केदारकांठा ट्रेक का आपका अगला चेक पॉइंट आता है केदारकांठा बेस कैंप। जुडा-का-तालाब से केदारकांठा बेस कैंप की दूरी मात्र 02 किलोमीटर है। लेकिन अगर आप सर्दियों के मौसम में यह ट्रेक कर रहे है तो आपको जुडा-का-तालाब और केदारकांठा बेस कैम्प के बीच मे अच्छी खासी बर्फ मिल सकती है। इसी वजह से जुड़ा-का-तालाब के बाद आपको ट्रेक करने में थोड़ी कठिनाई भी महसूस हो सकती है।
केदारकांठा ट्रेक का चौथा दिन – Day Four of Kedarkantha Trek in Hindi
केदारकांठा बेस कैम्प पर एक पूरा दिन आराम करने के बाद अगले दिन आपको सुबह जल्दी ही केदारकांठा के शिखर के लिये ट्रेक शुरू करना होगा ताकि आप सूर्योदय से पहले केदारकांठा के शिखर तक पहुंच पाए। केदारकांठा बेस कैम्प से केदारकांठा शिखर की दूरी लगभग 4-5 किलोमीटर है और इस ट्रैक का सबसे मुश्किल हिस्सा भी माना जाता है।
सर्दियों के मौसम में आपको केदारकांठा शिखर के ट्रेक के दौरान 3-4 फ़ीट गहरी बर्फ मिल सकती है। इसलिए इस समय ट्रेक करते समय आपको अतिरिक्त सावधानी रखनी होगी। केदारकांठा शिखर पर पर सूर्योदय का आनंद लेने और कुछ समय बीतने के बाद आप उसी दिन वापस केदारकांठा बेस कैम्प आ सकते है।
केदारकांठा ट्रेक का पाँचवां दिन – Day Five of Kedarkantha Trek in Hindi
अब ये आपके केदारकांठा ट्रेक का आखरी दिन है। इस दिन आप केदारकांठा बेस कैंप से साँकरी गाँव वापस पहुँच सकते है। अब ये आप पर निर्भर करता है की आप साँकरी पहुँच कर देहरादून जाने चाहेंगे या फिर साँकरी गाँव मे ही आराम करना चाहेंगे।
नोट :- अगर आप एक अनुभवी ट्रैकर नहीं है तो आपको बिना किसी ट्रेक गाइड या किसी ट्रैकिंग एजेंसी के केदारकांठा ट्रेक नहीं करना चाहिए।
केदारकांठा ट्रेक रूट – Kedarkantha Trek Route in Hindi
केदारकांठा ट्रेक करने के लिए कुल तीन ट्रेक रूट उपयोग में लिए जाते है । लेकिन इन तीनो रूट में साँकरी से जुडा-का-तालाब और केदारकांठा बेस कैम्प वाला रूट सबसे ज्यादा उपयोग में लिए जाता है। केदारकांठा ट्रेक के तीनों रूट इस प्रकार है।
रूट 01:- साँकरी – जुडा-का-तालाब – केदारकांठा बेस कैम्प – केदारकांठा शिखर
( इस रूट में आप केदारकांठा शिखर से वापस आते समय हरगांव होते हुए वापस आ सकते है। अगर आप हरगांव होते हुए वापस साँकरी आते है तो आपका रूट इस प्रकार रहेगा केदारकांठा शिखर – केदारकांठा बेस कैम्प – हरगांव बेस कैम्प – साँकरी)
रूट 02:- कोटगाँव – खुजेय – केदारकांठा बेस कैम्प – केदारकांठा शिखर
रूट 03:- गैछवां गाँव – जूलोटा – पुकरोला – केदारकांठा शिखर
केदारकांठा ट्रेक के लिए सबसे अच्छा समय – Best Time for Kedarkantha Trek in Hindi
केदारकांठा ट्रेक हिमालय के उन चुनिंदा ट्रेक्स में से है जिन्हे पुरे साल किया जा सकता है। आप पुरे साल में कभी भी केदारकांठा ट्रेक कर सकते है। पुरे साल में आप जब भी यह ट्रेक करते है तो आपको यहाँ पर एक अलग ही तरह की खूबसूरती देखने को मिलती है। इस वजह से आप पुरे साल केदारकांठा ट्रेक ट्रेकर्स को यह ट्रेक करते हुए देख सकते है।
लेकिन हो सके तो बारिश के मौसम में आप केदारकांठा ट्रेक करने से बचे। हालाँकि बारिश के मौसम में यह ट्रेक बहुत ज्यादा खूबसूरत हो जाता है लेकिन उतना ही ज्यादा खतरनाक भी हो जाता है। हाल के वर्षों में हिमालय के पहाड़ों में बारिश के मौसम में भूस्खलन के बहुत ज्यादा मामलों में बढ़ोतरी देखी गई है, इस वजह से बारिश के मौसम में आपको केदारकांठा ट्रेक करने से बचना चाहिए।
केदारकांठा ट्रेक सर्दियों के मौसम में बहुत ज्यादा प्रसिद्ध है। क्योंकि यह हिमालय के उन चुनिंदा ट्रेक में से है जिन्हे सर्दियों के मौसम में सबसे ज्यादा किया जाता है। सर्दियों के मौसम में यहाँ बिछी हुई बर्फ के सफेद चदर को देखना और केदारकांठा के शिखर से दिखाई देने वाली हिमालय की विशाल पर्वत श्रृंखलाओं को देखने का एक अलग ही सुखद अनुभव होता है।
इसी वजह से केदाकांठा ट्रेक को “विंटर बेस्ट ट्रेक” भी कहा जाता है। मानसून से पहले अप्रैल से लेकर जून महीने के समय आप जब यह ट्रेक करते है तो आपको यहाँ से दिखाई देने वाले दृश्य बहुत ही साफ़ और सुन्दर दिखाई देते है। अगर आप अप्रैल महीने में यह ट्रेक करते है तो हो सकता है आप को यहाँ पर बर्फ की चदर भी देखने को मिल जाए।
गर्मियों के मौसम में यहाँ दिन का तापमान बड़ा लुभावना रहता है और रात के समय यहाँ पर ठण्ड बढ़ जाती है। अगर आप मानसून के बाद यह ट्रेक करते है तो आपको यह ट्रेक करते समय चारों तरफ हरियाली देखने को मिलती है। सर्दियों के मौसम में यहाँ पर अच्छी खासी बर्फ़बारी होती है इसलिए अगर आपको बर्फ़ में ट्रेक करना और बर्फ़बारी देखना अच्छा लगता है तो आप यह ट्रेक सर्दियों के मौसम में भी कर सकते है।
केदारकांठा का तापमान – Temperature of Kedakantha in Hindi
01 गर्मियों में केदारकांठा का तापमान – Kedarkantha Temperature in Summer
अप्रैल से जून महीने तक – अधिकतम: लगभग 25℃ / न्यूनतम: लगभग 5-8℃
02 मानसून में केदारकांठा का तापमान – Kedarkantha temperature in monsoon
जुलाई से सितंबर महीने तक – अधिकतम: लगभग 20℃ / न्यूनतम: लगभग 3-5℃
03 सर्दियों में केदारकांठा का तापमान – Kedarkantha Temperature in Winter
अक्टूबर से फरवरी महीने तक – अधिकतम: लगभग 10℃ / न्यूनतम: लगभग -20℃ और कम
केदारकांठा ट्रेक कॉस्ट – Kedarkantha Trek Cost in Hindi
उत्तराखंड, दिल्ली और चंडीगढ़ जैसे शहरों में बहुत सारी ट्रैकिंग एजेंसीज है जो की पुरे साल केदारकांठा ट्रेक का समिट करवाती है। लगभग सभी ट्रैकिंग एजेंसीज के पास अनुभवी ट्रेक गाइड होते है। केदारकांठा ट्रेक का पूरा करने में 4-5 दिन का समय लगता है कई ट्रैकिंग एजेंसीज 6 दिन में भी यह ट्रेक पूरा करवाती है।
लगभग सभी एजेंसीज देहरादून से केदारकांठा तक कॉस्ट चार्ज करते है। एजेंसीज आपको यात्रा कार्यक्रम में देहरादून को ही पिकअप एंड ड्राप पॉइंट बनाती। केदारकांठा ट्रेक की अनुमानित लागत 5000 रूपए से लेकर 10000 तक जाती है। अब यह कॉस्ट इस बात पर आधारित होती है की आपको ट्रेक के दौरान एजेंसीज क्या -क्या सुविधा उपलब्ध करवाती है।
इसलिए आप जब भी किसी ट्रेकिंग एजेंसीज के साथ यह ट्रेक करें तब आप उन लोगों से यात्रा कार्यक्रम के बारे में पूरी जानकारी जरूर ले लेवें।
केदारकांठा ट्रेक के लिए टिप्स – Tips For Kedarkantha Trek in Hindi
01 पहचान पत्र
02 मफलर
03 पानी की बोतल ( 3-5 से लीटर )
04 ड्राई फ्रूट्स और पैकेट फ़ूड
05 गरम कपड़े ( स्वेटर / जैकेट / पुल ओवर )
06 पोंचो / रेन कोट ( बारिश के मौसम के लिए )
07 धुप का चश्मा
08 टोर्च / पॉवर बैंक / कैमरा के लिए एक्स्ट्रा बैटरी
09 कैंपिंग का सामान अगर संभव हो। ( चटाई / स्लीपिंग बैग )
10 इलेक्ट्रॉनिक सामान को बारिश से बचाने के वाटरप्रूफ बैग।
11 नींबू और नमक या इलेक्ट्रोलाइट पाउडर/पेय (इलेक्ट्रल/गेटोरेड/ग्लूकॉन डी)
12 ट्रैकिंग शूज / ट्रैकिंग पेंट / क्विक ड्राई टीशर्ट /केप
13 सीटी (आपात स्थित के लिए )
14 प्राथमिक चिकित्सा किट :- कैंची, सनस्क्रीन (एसपीएफ़ 50+), बैंड एड्स (वाटर प्रूफ), एनाल्जेसिक स्प्रे (रिलीस्प्रे, वोलिनी), एंटीसेप्टिक लिक्विड (सेवलॉन, डेटॉल), एंटीसेप्टिक पाउडर (पोविडोन-आयोडीन आधारित पाउडर जैसे सिप्लाडाइन, सेवलॉन), पट्टी, रुई, क्रेप पट्टी आदि।
15 दवाइयां :- बुखार , सिरदर्द , मोशन सिकनेस , लूज़ मोशन , उल्टी और एसिडिटी आदि ।
16 केदारकांठा ट्रेक शुरू करने से पहले मौसम के बारे में जरूर पता करें।
17 अगर आप को पहाड़ों में ट्रैकिंग का अनुभव नहीं है तो अपने साथ स्थानीय गाइड कर सकते है।
18 ट्रेक शुरू करने से पहले आप जिस ट्रैकिंग एजेंसी के साथ यह ट्रेक कर रहे है तो आप सबसे पहले यात्रा कार्यक्रम की जानकारी जरूर लेना ना भूले
19 ट्रेक शुरू करने से पहले केदारकांठा ट्रेक से जुड़े हुए नियमों के बारे में जानकारी जरूर ले लेवें।
20 अगर आप किसी ट्रैकिंग एजेंसी के साथ यह ट्रेक नहीं कर रहे है तो आप अपने साथ स्थानीय ट्रेक गाइड जरूर कर लेवें।
21 अगर आप एक अनुभवी ट्रेकर नहीं है तो भूल कर भी यह ट्रेक अकेले ना करें।
22 ट्रेक के दौरान आपको किसी भी तरह के मोबाइल नेटवर्क नहीं मिलते है। साथ में ही आपको आपके इलेक्ट्रॉनिक उपकरण चार्ज करने की सुविधा भी उपलब्ध नहीं होगी इसलिए आप ट्रेक के दौरान अतिरिक्त बैटरी और पॉवरबैंक जरूर साथ रखें।
23 मानसून के मौसम में ट्रेक फिसलन भरा हो जाता है इसलिए इस समय थोड़ी अतिरिक्त सावधानी रखें।
( नोट :- किसी भी तरह के दवाई लेने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लेवें। )
केदारकांठा कैसे पहुँचे – How To Reach Kedakantha in Hindi
हवाई मार्ग से केदारकांठा कैसे पहुँचे – How To Reach Kedakantha By Air in Hindi
देहरादून का जॉली ग्रांट एयरपोर्ट केदारकांठा के सबसे नजदीकी हवाई अड्डा है। देहरादून हवाई अड्डे से साँकरी (केदारकांठा) की दूरी मात्र 200 किलोमीटर है। देहरादून से आप बस, कैब और शेयर्ड टैक्सी की सहायता से साँकरी (केदारकांठा) पहुँच सकते है। देहरादून हवाई अड्डा भारत के प्रमुख हवाई अड्डों से बहुत अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।
रेल मार्ग से केदारकांठा कैसे पहुँचे – How To Reach Kedakantha By Train in Hindi
हरिद्वार, ऋषिकेश और देहरादून रेलवे स्टेशन साँकरी (केदारकांठा) के सबसे ज्यादा नजदीकी रेलवे स्टेशन है। यह तीनो रेलवे स्टेशन भारत के सभी प्रमुख शहरों से रेल मार्ग द्वारा बहुत अच्छी तरह से जुड़े हुए है। लेकिन अधिकांश लोग केदारकांठा के लिए देहरादून रेलवे स्टेशन आना पसंद करते है। आपको देहरादून से साँकरी (केदारकांठा) के लिए सीधी बस सेवा उपलब्ध मिल जायेगी। इस अलावा आप कैब और शेयर्ड टैक्सी से भी बड़ी आसानी साँकरी (केदारकांठा )पहुँच सकते है।
सड़क मार्ग से केदारकांठा कैसे पहुँचे – How To Reach Kedakantha By Road in Hindi
केदारकांठा पहुँचने के लिए आपको सबसे पहले देहरादून आना होगा। उत्तराखंड की राजधानी देहरादून सड़क मार्ग द्वारा भारत के प्रमुख शहरों से बहुत अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। उसके बाद आप देहरादून से साँकरी(केदारकांठा) के लिए सुबह जल्दी जाने वाली बस पकड़ सकते है।
आपको इस बात ध्यान रखना है कि सुबह सिर्फ तीन बस ही साँकरी(केदारकांठा) के लिए देहरादून से रवाना होती है। इसके बाद आप बस के द्वारा पुरोला ओर मोरी पहुँच सकते है, यहाँ से आप शेयर्ड टैक्सी की सहायता से साँकरी (केदारकांठा) पहुँच सकते है। देहरादून से साँकरी (केदारकांठा) जाने वाली बसों की जानकारी इस प्रकार है:-
पहली बस – सुबह 05:30 बजे(प्राइवेट)
दूसरी बस – सुबह 06:30 बजे (प्राइवेट)
तीसरी बस – सुबह 08:00 बजे (सरकारी)
देहरादून से साँकरी तक कि बस यात्रा के लिए आपको 10 घंटे का समय लगेगा। इसके अलावा आप टैक्सी जिसका अनुमानित किराया 5000-8000 रुपये है कि सहायता से भी साँकरी पहुँच सकते है। आप चाहे तो शेयर्ड कैब की सहायता से भी साँकरी तक जा सकते है लेकि शेयर्ड कैब आपको पुरोला ड्राप कर देती है और उसके बाद आपको पुरोला से साँकरी के लिए दुबारा शेयर्ड कैब लेनी होगी।
शेयर्ड कैब के आपको लगभग 700-800 रुपये खर्च करने होंगे। और बस में आप सिर्फ 300-400 रुपये देकर ही साँकरी पहुँच सकते है।
Dehradun to Kedarkantha Distance – 200 KM
Rishikesh to Kedarkantha Distance – 180 KM
Haridwar to Kedarkantha Distance – 200 KM
Delhi to Kedarkantha Distance – 440 KM
(अगर आप मेरे इस आर्टिकल में यहाँ तक पहुंच गए है तो आप से एक छोटा से निवदेन है की नीचे कमेंट बॉक्स में इस लेख से संबंधित आपके सुझाव जरूर साझा करें, और अगर आप को कोई कमी दिखे या कोई गलत जानकारी लगे तो भी जरूर बताए। में यात्रा से संबंधित जानकारी मेरी इस वेबसाइट पर पोस्ट करता रहता हूँ, अगर मेरे द्वारा दी गई जानकारी आप को पसंद आ रही है तो आप अपने ईमेल से मेरी वेबसाइट को सब्सक्राइब जरूर करे, धन्यवाद )