कान्हा नेशनल पार्क 2024 | कान्हा टाइगर रिज़र्व 2024 | Kanha National Park 2024 In Hindi | Kanha Tiger Reserve 2024 In Hindi | Kanha National Park History In Hindi | Kanha National Park Things to do In Hindi | Best time to visit | Entry Fee | Timings | Safari | Kanha National Park Complete Travel Guide in Hindi | Kanha Tiger Reserve Travel Guide in Hindi
कान्हा राष्ट्रीय उद्यान – Kanha National Park In Hindi
मध्यप्रदेश के मंडला और बालाघाट जिले में स्थित कान्हा राष्ट्रीय उद्यान को कान्हा टाइगर रिज़र्व के नाम से भी जाना जाता है। भारत के सबसे प्रमुख और प्रसिद्ध राष्ट्रीय उद्यानों में से एक कान्हा राष्ट्रीय उद्यान मध्यप्रदेश का सबसे प्रसिद्ध और सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्यान भी है। भारत का मध्यप्रदेश राज्य अपने यहाँ स्थित राष्ट्रीय उद्यानों और बाघ सरंक्षण के लिये पूरे विश्व मे अपनी एक अलग पहचान रखता है।
भारत मे वर्ष 2018 में की गई बाघों की गणना के अनुसार उस समय कुल 2967 बाघ थे। उस समय की गई गणना में सबसे ज्यादा बाघ मध्यप्रदेश में ही पाए गए थे। 2018 में मध्यप्रदेश प्रदेश में की गई गणना के अनुसार कुल 526 बाघ है जो कि भारत के किसी भी राज्य से ज्यादा थे। मध्यप्रदेश के बाद कर्नाटक भारत का दूसरा ऐसा राज्य है जिसमें बाघों की संख्या 524 है।
कान्हा राष्ट्रीय उद्यान में वर्ष 2018 में कई गई की गणना के अनुसार इस उद्यान में बाघों की संख्या 125 (83 बाघ और 42 शावक) थी। बाघ के सरंक्षण के अलावा कान्हा टाइगर रिज़र्व में बारहसिंगा जैसे शानदार वन्यजीव का भी संरक्षण किया गया है। मध्यप्रदेश के वन विभाग द्वारा की जा रही राष्ट्रीय उद्यानों की देखभाल की वजह से आज मध्यप्रदेश अपने राष्ट्रीय उद्यानों के लिये पूरी दुनिया मे एक अलग पहचान रखता है।
कान्हा राष्ट्रीय उद्यान में बाघ के अलावा अनेक प्रकार के वन्यजीव पाए जाते है। इसके अलावा प्राकृतिक रूप से भी यह टाइगर रिज़र्व बहुत समृद्ध है। इसी वजह से देश और दुनिया से हजारों-लाखों की संख्या में पर्यटक यह राष्ट्रीय उद्यान देखने आते रहते है।
कान्हा राष्ट्रीय उद्यान का इतिहास – Kanha National Park History In Hindi
मध्यप्रदेश का कान्हा राष्ट्रीय उद्यान यहाँ पाये जाने वाले वन्यजीवों और वनस्पति के लिए पूरे विश्व मे प्रसिद्ध है। खास तौर पर यहाँ पाए जाने वाले बंगाल टाइगर और बारहसिंगा को देखने के लिए देश-विदेश से पर्यटक इस राष्ट्रीय उद्यान में आते है। इस राष्ट्रीय उद्यान का नाम कान्हा राष्ट्रीय उद्यान रखे जाने के पीछे स्थानीय लोगों से अनेक बाते और कहानियाँ सुनने को मिलती है।
इस उद्यान में और इसके आसपास के क्षेत्र में चिकनी मिट्टी पाई जाती है जिसे स्थानीय लोग कनहार कहते है। और कनहार शब्द से इस जगह को कान्हा कहा जाने लगा। इसके अलावा आपको यहाँ के स्थानीय निवासियों के द्वारा एक सिद्ध पुरूष के बारे में भी सुनने को मिल सकता है जिनका नाम कान्वा था और वह इस जंगल के समीप एक गांव में रहा करते थे।
कहा जाता है कि उनके नाम पर ही इस जगह का नाम कान्हा रखा गया है। आपने प्रसिद्ध कार्टून धारावाहिक और पुस्तक जंगल बुक के बारे में जरूर सुना होगा। उसके लेखक रूडयार्ड किपलिंग ने इसी कान्हा राष्ट्रीय उद्यान से प्रेरणा लेकर जंगल बुक जैसी शानदार पुस्तक लिखी थी। कान्हा टाइगर रिज़र्व को स्थानीय निवासी कान्हा-किसली राष्ट्रीय उद्यान भी कह कर बुलाते है।
यह राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत का सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्यान माना जाता है। एक आरक्षित वन क्षेत्र से पहले यह राष्ट्रीय उद्यान वर्ष 1880 के आसपास गोंडवानों (अर्थात गोंडों की भूमि) का हिस्सा माना जाता था। जो की उस समय की मध्य भारत की दो मुख्य जनजातियों गोंडों और बैगाओं के द्वारा बसाया गया था। वर्तमान में भी इस राष्ट्रीय उद्यान के बाहरी क्षेत्र में इन्हीं दोनों जनजातियों की बस्तियाँ देखने को मिलती है।
एक राष्ट्रीय उद्यान घोषित किये जाने से पहले इस वन क्षेत्र को वर्ष 1862 में उस समय के वन प्रबंधन नियमों के तहत एक प्रतिबंधित क्षेत्र घोषित कर दिया गया था। लेकिन वर्ष1879 से लेकर वर्ष 1910 तक यह वन क्षेत्र अंग्रजों पसंदीदा शिकार का स्थल भी हुआ करता था। इसके कुछ वर्षों के बाद वर्ष 1933 में इस आरक्षित वन को अभयारण्य का दर्जा दे दिया गया।
इसके बाद इस उद्यान को पूरे विश्व पटल में अपनी प्राकृतिक विषमता और वन्यजीवन की वजह से बहुत सराहना मिली। 01 जून 1955 को इस अभयारण्य को राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा दिया गया था, और वर्ष 1973 में इस राष्ट्रीय उद्यान को एक टाइगर रिजर्व भी घोषित कर दिया गया। कान्हा राष्ट्रीय उद्यान को वर्ष 1991 और वर्ष 2001 में भारत सरकार के पर्यटन विभाग के द्वारा पर्यटकों के लिये सबसे अनुकूल राष्ट्रीय उद्यान के रूप में भी सम्मानित किया गया है।
कान्हा राष्ट्रीय उद्यान का भूगोल – Kanha National Park Geography in Hindi
कान्हा राष्ट्रीय उद्यान का कोर जोन मध्यप्रदेश दो जिलों मंडला और बालाघाट के कुल 940 वर्ग किलोमीटर (360 वर्ग मील) के क्षेत्र में फैला हुआ है। इसके अलावा इस उद्यान के दो सरंक्षित क्षेत्र में भी विभाजित किया गया है, जिसमे 250 वर्ग किलोमीटर (97 वर्ग मील) का हिस्सा हॉलन में आता है, और लगभग 300 वर्ग किलोमीटर (116 वर्ग मील) का हिस्सा बंजार में आता है।
इसके अलावा 1067 वर्ग किलोमीटर (412 वर्ग मील) के आसपास का बफर जोन है, और नजदीक के ही फेन अभयारण्य के 110 वर्ग किलोमीटर (42 वर्ग मील) के क्षेत्र को भी इस राष्ट्रीय उद्यान के बफर जोन में शामिल कर लिया गया है। इसी वजह से आज कान्हा राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत का सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्यान बन गया। कान्हा टाइगर रिज़र्व का क्षेत्र घोड़े के पैरों के आकार के समान है।
इसके अलावा यह राष्ट्रीय उद्यान सतपुड़ा की पहाड़ियों से भी घिरा हुआ है जिनकी ऊँचाई इस वन क्षेत्र में 450 मीटर से 900 से मीटर तक जाती है। मध्य भारत का प्रिन्सेस क्षेत्र मानी जाने वाली बंजर और हेलन घाटियां भी इस राष्ट्रीय उद्यान का हिस्सा है। कान्हा राष्ट्रीय उद्यान में अनेक वन्यजीवों को सरंक्षित किया गया है। जिनमें से लगभग विलुप्त हो चुके बारहसिंगा को भी इसी राष्ट्रीय उद्यान देखा जा सकता है ।
यह टाइगर रिज़र्व एशिया के सबसे खूबसूरत सरंक्षित वन क्षेत्र में से एक माना जाता है। कान्हा राष्ट्रीय उद्यान की सबसे बड़ी विशेषता खुले घास के मैदान है। यहाँ के खुले घास के मैदानों में आप मे काले हिरण, सांभर, बारहसिंगा और चीतल को एक साथ चरते हुए देख सकते है। इसके अलावा अगर आपकी किस्मत अच्छी रही तो आप इस उद्यान के खुले घास में मैदान में बाघ को शिकार करते हुए भी देख सकते है।
कान्हा राष्ट्रीय उद्यान का फ्लोरा – Kanha National Park Flora in Hindi
एक प्रसिद्ध वन्यजीव अभ्यारण्य होने के साथ-साथ कान्हा राष्ट्रीय उद्यान प्राकृतिक रूप से भी बेहद समृद्ध है। यह राष्ट्रीय उद्यान पेड़-पौधों की लगभग 1000 से भी ज्यादा प्रजातियों के घर माना जाता है। साल के घने जंगलों के अलावा इस उद्यान में अन्य कई प्रकार के पेड़ भी दिखाई देते है। इस उद्यान में आपको बड़े-बड़े घास के मैदान देखने को मिलते है।
जंगल में ऊंचाई वाली जगह अपेक्षाकृत नम रहती है और ढलानों पर बांस के जंगल दिखाई दे जाते है। इस प्रकार की प्राकृतिक विषमता आपको पूरे जंगल मे देखने को मिल जाती है। इन सब के अलावा आपको इस टाइगर रिज़र्व में भारतीय घोस्ट ट्री भी देखने को मिलता है।
इस उद्यान में पाई जाने वाली वनस्पति में साल, चार, बीजा, तेंदू, महुआ, लेंडिया, आंवला, साजा, पलास, धवा, बीजा और बांस आदि शामिल हैं।
कान्हा राष्ट्रीय उद्यान के वन्यजीव – Kanha National Park Founa in Hindi
मुख्य रूप से पर्यटक कान्हा टाइगर रिज़र्व में बाघ देखने आते है। लेकिन इस राष्ट्रीय उद्यान में आपको बाघ के अलावा तेंदुए, जंगली कुत्ते, लोमड़ी, लकड़बग्घा और सुस्ती भालू जैसे शिकारी जानवर भी देखने को मिलते है। बारहसिंगा जो को विलुप्त प्राय श्रेणी का जानवर है उसको भी आप इस राष्ट्रीय उद्यान में विचरण करते हुए देख सकते है।
इन सब के अलावा आपको इस जंगल मे हिरण, चौसिंघा, चीतल, गौर, जंगली सुअर, लंगूर, काला हिरण, रूड मोंगोज, भौंकने वाले हिरण और सांभर जैसे वन्यजीव भी देखने को मिल जाते है। इन सब के अलावा साँपो की भी कई प्रजातियां देखने मिलती है जिनमें भारतीय क्रेट, रसेल्स वाइपर, चूहा साँप, अजगर और भारतीय कोबरा प्रमुखता से देखा जा सकता है। कान्हा राष्ट्रीय उद्यान 300 से भी ज्यादा देशी और विदेशी पक्षियों का घर भी है।
यहाँ पर दिखाई देने वाले पक्षियों में आपको मवेशी इग्रेट, इंडियन रोलर, मालाबार पाइड हॉर्नबिल, गिद्ध, रेड जंगलफॉवल, इंडियन मोर, व्हाइट-ब्रेस्टेड किंगफिशर, टिकेल्स ब्लू फ्लाईकैचर, रेड-वॉटल्ड लैपविंग, ब्लॉसम-हेडेड पैराकेट्स, ब्लैक आइबिस, पोंड हेरोन्स, क्रेस्टेड सर्पेंट ईगल, लिटिल ग्रीब्स, सफेद-भूरे रंग की फंतासी, पैराडाइज फ्लाईकैचर, लेसर एडजुटेंट, ड्रोंगोस, कॉमन टील, व्हाइट-आइड बज़र्ड, लेसर व्हिसलिंग टील, कबूतर, हॉर्नबिल, स्टेपी ईगल, मैना, मिनिवेट्स और कठफोड़वा दिखाई दे सकते है।
कान्हा राष्ट्रीय उद्यान का मौसम – Kanha National Park Weather in Hindi
कान्हा टाइगर रिज़र्व का अधिकांश हिस्सा मैदानी इलाकों में स्थित है। और समुद्रतल से इस उद्यान की ऊंचाई भी मात्र 600 मीटर ही है। इसी वजह से पूरे साल इस उद्यान का तापमान मौसम के अनुसार ही रहता है। जैसे कि गर्मियों में यहाँ बहुत ज्यादा गर्मी होती है और सर्दियों में यहाँ का मौसम बहुत ठण्डा भी रहता है।
गर्मियों के मौसम में कान्हा राष्ट्रीय उद्यान का अधिकतम तापमान 45° डिग्री और इससे ऊपर भी जा सकता है। इसके अलावा मानसून के मौसम में भी यहाँ का मौसम बहुत अच्छा होता है। लेकिन मानसून के मौसम में कान्हा राष्ट्रीय उद्यान तीन महीनों के पर्यटकों के लिये बन्द रहता है। सर्दियों के मौसम में कान्हा राष्ट्रीय उद्यान का मौसम -2° डिग्री तक चला जाता है।
गर्मियों में कान्हा राष्ट्रीय उद्यान का मौसम – Kanha National Park Weather in Summer
मार्च से जून महीने तक – अधिकतम: लगभग 43℃ / न्यूनतम: लगभग 35℃
मानसून में कान्हा राष्ट्रीय उद्यान का मौसम -Kanha National Park Weather in Monsoon
जुलाई से सितंबर महीने तक – अधिकतम: लगभग 30℃ / न्यूनतम: लगभग 20℃
(मानसून के मौसम में कान्हा नेशनल नेशनल पार्क पर्यटकों के लिये बंद रहता है।)
सर्दियों में कान्हा राष्ट्रीय उद्यान का मौसम – Kanha National Park Weather in Winter
अक्टूबर से फरवरी महीने तक – अधिकतम: लगभग 20℃ / न्यूनतम: लगभग -2℃ और कम।
कान्हा राष्ट्रीय उद्यान में घूमने का सबसे अच्छा समय – Kanha National Park Best Time To Visit in Hindi
मानसून के मौसम 01 जुलाई से लेकर 14 अक्टूबर तक कान्हा राष्ट्रीय उद्यान पर्यटकों के लिये बंद रहता है। आसान भाषा मे आप यह भी कह सकते है कि मानसून के मौसम में कान्हा राष्ट्रीय उद्यान पर्यटकों के लिये बन्द रहता है। बाकी 15 अक्टूबर से लेकर 30 जून तक यह उद्यान पर्यटकों के लिये खुला रहता है।
इसके अलावा होली के त्यौहार के दिन और सप्ताह में प्रति बुधवार दोपहर की सफारी नहीं कि जा सकती है। मानसून के मौसम के अलावा वैसे तो यह राष्ट्रीय उद्यान घूमने के लिये कभी भी जा सकते है लेकिन गर्मियों के मौसम में यहाँ पर बहुत तेज गर्मी पड़ती है। इसके अलावा अगर आप मानसून के तुरंत बाद यह राष्ट्रीय उद्यान देखने जाते है तो आपको यहाँ पर वन्यजीवों के साथ प्राकृतिक सुंदरता भी देखने को मिल सकती है।
इसी वजह से अक्टूबर से लेकर मार्च तक का समय यह राष्ट्रीय उद्यान देखने का सबसे अच्छा समय माना जाता है। मार्च के बाद यहाँ की वनस्पति सूखने लग जाती है लेकिन इसी समय खुले में बाघ के दिखाई देने की संभावना भी बहुत बढ़ जाती है।
नोट:- 01 कान्हा राष्ट्रीय उद्यान को पर्यटकों के लिए खोलने और बन्द करने के समय मे कभी भी स्थानीय प्रशासन के द्वारा बदलाव किया जा सकता है।
02 कान्हा राष्ट्रीय उद्यान को पर्यटकों के लिये खोलने और बन्द करने के सभी तरह के अधिकारी स्थानीय प्रशासन के पास सुरक्षित है।
कान्हा राष्ट्रीय उद्यान के सफारी ज़ोन – Kanha National Park Safari Zone in Hindi
मध्यप्रदेश के सबसे बड़े राष्ट्रीय उद्यान कान्हा राष्ट्रीय में कुल 04 कोर जोन है जो कि कील 917.44 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। और कुल 04 बफर जोन है जो कि कुल 1134.36 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। कोर जोन और बफर जोन का कुल क्षेत्र 2051.79 वर्ग किलोमीटर का एरिया इस उद्यान को मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्यान बना देता है।
कान्हा राष्ट्रीय उद्यान के चारों कोर जोन को कान्हा, किसली, मुक्की और सराही नाम से जाना जाता है। और इस उद्यान के बफर जोन को खटिया, सिझोरा, फेन और खापा नाम से जाना जाता है।
कान्हा राष्ट्रीय उद्यान के कोर ज़ोन – Kanha National Park Core Zone in Hindi
कान्हा जोन – Kanha Zone
प्रवेश द्वार – खटिया / मुक्की / सराही
सफारी का समय – सुबह 06:00 बजे से 11:00 बजे तक और शाम को 3:00 से 06:00 बजे तक (समय मे बदलाव संभव है)
सफारी का प्रकार – जीप सफारी
जीप सफारी – सुबह की सफारी एक बार मे 36 जीप को प्रवेश की अनुमति है। और शाम की सफारी में 23 जीप को उद्यान में प्रवेश की अनुमति दी जाती है। (1 जीप में कुल 06 सीटों की क्षमता होती है जिसमे 01 गाइड और 01 ड्राइवर अलग से होता है )
कान्हा राष्ट्रीय उद्यान का सबसे प्रसिद्ध सफारी जोन कान्हा जोन है। उद्यान के इस जोन के अधिकांश भाग में आपको खुले घास के मैदान और बाँस के जंगल बने हुये है। बंगाल टाइगर दिखने की सबसे ज्यादा संभावना भी इस जोन में सबसे ज्यादा मानी जाती है। कान्हा जोन में एक रोड को स्कॉलर रोड कहा जाता है। कान्हा जोन में स्थित स्कॉलर रोड एक प्रसिद्घ शोधकर्ता और संरक्षणवादी जॉर्ज स्कॉलर को समर्पित की गई है।
जॉर्ज स्कॉलर ने कान्हा राष्ट्रीय उद्यान के पर “ द टाइगर एंड द डियर” नाम से एक पुस्तक भी लिखी है। इसके अलावा उद्यान के इस जोन में एक श्रवण ताल नाम की भी जगह है जिसके लिए कहा जाता है की इसी स्थान पर राजा दशरथ ने श्रवण कुमार को एक हिरण समझ कर तीर से मार दिया था।
कान्हा जोन में स्थित आप कान्हा संग्रहालय के लिए भी समय निकाल सकते है, इस संग्रहालय में आपको यहाँ की स्थानीय संस्कृति और कान्हा राष्ट्रीय उद्यान के इतिहास के बारे में बहुत सारी जानकारी मिल सकती है।
किसली जोन – Kisli Zone
प्रवेश द्वार – खटिया / मुक्की / सराही
सफारी का समय – सुबह 06:00 बजे से 11:00 बजे तक और शाम को 3:00 से 06:00 बजे तक (समय मे बदलाव संभव है)
सफारी का प्रकार – जीप सफारी
जीप सफारी – सुबह की सफारी एक बार मे 15 जीप को प्रवेश की अनुमति है। और शाम की सफारी में 10 जीप को उद्यान में प्रवेश की अनुमति दी जाती है। (1 जीप में कुल 06 सीटों की क्षमता होती है जिसमे 01 गाइड और 01 ड्राइवर अलग से होता है )
कान्हा जोन के बाद कान्हा टाइगर रिज़र्व का किसली जोन दूसरा ऐसा जोन है जहाँ पर आपको बाघ दिखाई देने की सबसे ज्यादा संभावना है। किसली जोन के अधिकांश हिस्से में आपको साल वृक्षों के घने जंगलों के अलावा बाँस के जंगल और खुले घास मैदान दिखाई देते है।
मुक्की जोन – Mukki Zone
प्रवेश द्वार – खटिया / मुक्की
सफारी का समय – सुबह 06:00 बजे से 11:00 बजे तक और शाम को 3:00 से 06:00 बजे तक (समय मे बदलाव संभव है)
सफारी का प्रकार – जीप सफारी
जीप सफारी – सुबह की सफारी एक बार मे 30 जीप को प्रवेश की अनुमति है। और शाम की सफारी में 30 जीप को उद्यान में प्रवेश की अनुमति दी जाती है। (1 जीप में कुल 06 सीटों की क्षमता होती है जिसमे 01 गाइड और 01 ड्राइवर अलग से होता है )
अभी कुछ समय से कान्हा राष्ट्रीय उद्यान के इस हिस्से में कई बार बाघ दिखाई दिए है। जिसकी वजह से उद्यान के इस जोन को भी पर्यटकों द्वारा एक्स्प्लोर किया जाने लगा है। बाघ के दिखाई देने की अधिकतम संभावना के साथ मुक्की जोन में आपको साल पेड़ो के घने जंगल के अलावा बाँस और खुले घास के मैदान भी दिखाई देते है।
सराही जोन – Sarahi Zone
प्रवेश द्वार – खटिया / सराही
सफारी का समय – सुबह 06:00 बजे से 11:00 बजे तक और शाम को 3:00 से 06:00 बजे तक (समय मे बदलाव संभव है)
सफारी का प्रकार – जीप सफारी
जीप सफारी – सुबह की सफारी एक बार मे 19 जीप को प्रवेश की अनुमति है। और शाम की सफारी में 17 जीप को उद्यान में प्रवेश की अनुमति दी जाती है। (1 जीप में कुल 06 सीटों की क्षमता होती है जिसमे 01 गाइड और 01 ड्राइवर अलग से होता है )
सराही जोन कान्हा राष्ट्रीय उद्यान का ऐसा जोन है जिसमे वर्ष 1966 में सबसे पहले बार बारहसिंगा देखा गया था। सराही जोन के अधिकांश हिस्से में आपको शुष्क पर्णपाती वन और विशाल घास के मैदान दिखाई देते है।
उद्यान के इस जोन में भी आप को बाघ दिखाई देने की बहुत ज्यादा संभावना रहती है। आप जब किसली जोन से होते हुए सराही जोन में प्रवेश करते है उस समय आपको विशाल साल पेड़ो के जंगल से बीच में हो गुजरना होता है जो को आप के लिए यादगार साबित हो सकता है।
कान्हा राष्ट्रीय उद्यान के बफर ज़ोन – Kanha National Park Buffer Zone in Hindi
खटिया जोन – Khatiya Zone
प्रवेश द्वार – खटिया
सफारी का समय – सुबह 06:00 बजे से 11:00 बजे तक और शाम को 3:00 से 06:00 बजे तक (समय मे बदलाव संभव है)
सफारी का प्रकार – जीप सफारी
जीप सफारी – सुबह की सफारी एक बार मे 25 जीप को प्रवेश की अनुमति है। और शाम की सफारी में 15 जीप को उद्यान में प्रवेश की अनुमति दी जाती है। (1 जीप में कुल 06 सीटों की क्षमता होती है जिसमे 01 गाइड और 01 ड्राइवर अलग से होता है )
खापा जोन – Khapa Zone
प्रवेश द्वार – मुक्की
सफारी का समय – सुबह 06:00 बजे से 11:00 बजे तक और शाम को 3:00 से 06:00 बजे तक (समय मे बदलाव संभव है)
सफारी का प्रकार – जीप सफारी
जीप सफारी – सुबह की सफारी एक बार मे 20 जीप को प्रवेश की अनुमति है। और शाम की सफारी में 12 जीप को उद्यान में प्रवेश की अनुमति दी जाती है। (1 जीप में कुल 06 सीटों की क्षमता होती है जिसमे 01 गाइड और 01 ड्राइवर अलग से होता है )
सिझोरा जोन – Sijhora Zone
प्रवेश द्वार – मुक्की
सफारी का समय – सुबह 06:00 बजे से 11:00 बजे तक और शाम को 3:00 से 06:00 बजे तक (समय मे बदलाव संभव है)
सफारी का प्रकार – जीप सफारी
जीप सफारी – सुबह की सफारी एक बार मे 20 जीप को प्रवेश की अनुमति है। और शाम की सफारी में 12 जीप को उद्यान में प्रवेश की अनुमति दी जाती है। (1 जीप में कुल 06 सीटों की क्षमता होती है जिसमे 01 गाइड और 01 ड्राइवर अलग से होता है )
फेन जोन – Phen Zone
प्रवेश द्वार – मुक्की
सफारी का समय – सुबह 06:00 बजे से 11:00 बजे तक और शाम को 3:00 से 06:00 बजे तक (समय मे बदलाव संभव है)
सफारी का प्रकार – जीप सफारी
जीप सफारी – सुबह की सफारी एक बार मे 25 जीप को प्रवेश की अनुमति है। और शाम की सफारी में 15 जीप को उद्यान में प्रवेश की अनुमति दी जाती है। (1 जीप में कुल 06 सीटों की क्षमता होती है जिसमे 01 गाइड और 01 ड्राइवर अलग से होता है )
कान्हा नेशनल पार्क में सफारी / प्रवेश शुल्क / प्रवेश समय – Kanha National Park Safari / Timings / Entry Fees in Hindi
कान्हा नेशनल पार्क एलीफैंट सफारी – Kanha National Park Elephant Safari in Hindi
S.no | Particular | Elephant Safari Price | Elephant Safari Timing | Elephant Safari Capacity |
01 | Adult | 1000/- INR Per Person | 8:00 AM to 009:00 AM (Morning) | 04 Person |
02 | Child(Age 5-12) | 500/-INR Per Person | 09:00 AM – 10:00 PM (Evening) |
नोट :- 01 कान्हा नेशनल पार्क में एलीफैंट सफारी की अवधि सिर्फ आधा घंटा ही है।
02 एलीफैंट सफारी से पहले प्रशासन के द्वारा हाथी की उपलब्ध्ता और उसकी सेहत निरीक्षण किया जाता है उसके बाद ही एलीफैंट सफारी की अनुमति दी जाती है।
03 एलीफैंट सफारी की अनुमति देना पूरी तरह से स्थानीय प्रशासन के ऊपर निर्भर करता है।
04 एलीफैंट सफारी के समय में स्थानीय प्रशासन के द्वारा कभी भी बदलाव किया जा सकता है।
05 हर बुधवार को कान्हा राष्ट्रीय उद्यान में दोपहर की सफारी बंद रहती है।
06 होली के त्यौहार पर भी कान्हा राष्ट्रीय उद्यान में सुबह और शाम दोनों समय की सफारी बंद रहती है।
कान्हा नेशनल पार्क जीप सफारी – Kanha National Park Jeep Safari in Hindi
S.no | Type of Jeep Safari | Safari cost | Jeep Hiring cost | Guide | Total | Capacity |
01 | Single Seat | 250/- INR Per Person | 2000/- INR
(divide into 06 Person) |
480/- INR
(divide into 06 Person) |
663/- INR Per Person | 06 Person |
02 | Full Vehicle | 1500/-INR Per Person | 2000/- INR | 480/- INR | 3980/- INR | 06 Person |
नोट:- नोट:- 01 उधान में प्रवेश से पहले उद्यान से जुड़े हुए नियमों के बारे में पूरी जानकारी जरूर ले लेवें।
02 कान्हा नेशनल पार्क में यात्रा, सफारी और ऑनलाइन बुकिंग से जुडी हुई और अधिक जानकारी के लिए उधान की ऑफिसियल वेबसाइट पर विजिट करें ( https://forest.mponline.gov.in/ )
03 कान्हा राष्ट्रीय उद्यान में किसी भी तरह की आपात स्थित में आपकी सफारी की बुकिंग बिना किसी पूर्व सुचना के रद्द की जा सकती है।
04 जीप सफारी और किसी भी अन्य दूसरी सफारी की कॉस्ट में स्थानीय प्रशासन के द्वारा कभी भी बदलाव किया जा सकता है।
05 आप एक बार में सिर्फ एक ही गेट से उद्यान में प्रवेश कर सकते है बाकि के सभी गेट से प्रवेश करने के लिए अलग से प्रवेश शुल्क देना होगा।
06 जीप सफारी और एलीफैंट सफारी के लिए अलग से शुल्क देना होगा।
07 हर बुधवार को कान्हा राष्ट्रीय उद्यान में दोपहर की सफारी बंद रहती है।
08 होली के त्यौहार पर भी कान्हा राष्ट्रीय उद्यान में सुबह और शाम दोनों समय की सफारी बंद रहती है।
कान्हा राष्ट्रीय उद्यान में सफारी का समय – Kanha National Park Safari Timing in Hindi
कान्हा राष्ट्रीय उद्यान गर्मियों में सफारी का समय – Kanha National Park Safari Timings in Summer in Hindi
Month | Morning Entry Timing | Morning Exit Timing | Evening Entry Timing | Evening Exit Timing |
April | 05:45 AM | 11:00 AM | 04:00 PM | 06:45 PM |
May | 05:30 AM | 11:00 AM | 04:00 PM | 07:00 PM |
June | 05:30 AM | 11:00 AM | 04:00 PM | 07:00 PM |
कान्हा राष्ट्रीय उद्यान सर्दियों में सफारी का समय – Kanha National Park Safari Timings in Winter in Hindi
Month | Morning Entry Timing | Morning Exit Timing | Evening Entry Timing | Evening Exit Timing |
October | 06:00 AM | 11:00 AM | 03:00 PM | 06:00 PM |
November | 06:15 AM | 11:00 AM | 03:00 PM | 05:45 PM |
December | 06:30 AM | 11:00 AM | 03:00 PM | 05:30 PM |
January | 06:45 AM | 11:00 AM | 03:00 PM | 05:45 PM |
February | 06:30 AM | 11:00 AM | 03:00 PM | 06:15 PM |
March | 06:15 AM | 11:00 AM | 03:00 PM | 06:30 PM |
नोट:- 01 किसी भी जोन में सफारी पर जाने से पहले एक बार सफारी के समय के बारे में जरूर पता कर लें।
02 सफारी के समय में स्थानीय प्रशासन के द्वारा कभी भी बदलाव किया जा सकता है।
03 सफारी के समय पर मौसम के हिसाब से बदलाव संभव है।
कान्हा राष्ट्रीय उद्यान में कहाँ रुके – Hotels in Kanha national Park in Hindi
कान्हा नेशनल पार्क में पर्यटकों के रुकने के लिये स्थानीय प्रशासन ने कुछ वन विश्राम गृह बनाये है। खटिया जंगल कैम्प, किसली वन विश्राम गृह और मुक्की वन विश्राम गृह यह सभी वन विश्राम गृह स्थानीय प्रशासन के द्वारा बनाये गए है। स्थानीय प्रशासन के द्वारा बनाये गए वन विश्राम गृह की बुकिंग आप उद्यान की टिकट लेते समय भी कर सकते है।
और इसके अलावा आप ऑनलाइन इनकी वेबसाइट पर दिए गए फ़ोन नंबर पर कॉल करके भी बुक करवा सकते है। इसके अलावा खटिया गेट और मुक्की गेट के आसपास भी कई निजी होटल और रिसोर्ट बने हुए है जहाँ पर आप ऑनलाइन बुकिंग करवा कर रुक सकते है।