गिर राष्ट्रीय उद्यान 2024 | गिर वन्यजीव अभ्यारण्य 2024 | Gir National Park 2024 in Hindi | Gir Wildlife Sanctuary 2024 in Hindi | Gir Jungle Safari 2024 in Hindi | Gir National Park Travel Guide 2024 in Hindi | Best Time To Visit | Things to do | Complete Travel Guide | Complete Information | Ticket | Timing | History
गिर राष्ट्रीय उद्यान – Gir National Park in Hindi
गुजरात के जूनागढ़, अमरेली और गिर सोमनाथ जिले में फैला हुआ गिर राष्ट्रीय उद्यान एशिया का एकमात्र एसियाटिक सिंहो का निवास स्थान है। गिर राष्ट्रीय उद्यान को सासन गिर के नाम से भी जाना जाता है और मूल रूप से यह राष्ट्रीय उद्यान तलाला गिर नाम की जगह के पास में स्थित है।
गिर राष्ट्रीय उद्यान लगभग 1424 वर्ग किलोमीटर (550 वर्ग मील) में फैला हुआ है जिसमें से लगभग 258 वर्ग किलोमीटर (100 वर्ग मील) के क्षेत्र को पूरी से राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया हुआ है और बाकी के 1153 वर्ग किलोमीटर (445 वर्ग मील) के क्षेत्र को सरंक्षित वन्यजीव अभ्यारण्य घोषित किया गया है।
इसके अलावा इस राष्ट्रीय उद्यान के पास में ही एक छोटा सा वन्यजीव अभ्यारण्य और भी है जिसे मितीयाला वन्यजीव अभयारण्य के नाम से जाना जाता है जो कि लगभग 18.22 वर्ग किलोमीटर (07 वर्ग मील) में फैला हुआ है। पूरे विश्व मे अफ्रीका के बाद गुजरात का गिर राष्ट्रीय उद्यान ही एकमात्र ऐसा वन क्षेत्र है जहां पर सिंह अपने प्राकृतिक आवास में रहा करते है।
गिर के वन क्षेत्र को वर्ष 1965 में एक सरंक्षित वन्यजीव अभ्यारण्य घोषित किया गया था और इसके 06 वर्ष के बाद इस सरंक्षित वन क्षेत्र के 140.4 वर्ग किलोमीटर (54.20 वर्ग मील) क्षेत्र का विस्तार करके इसे राष्ट्रीय उद्यान के रूप स्थापित किया जाता है। वर्तमान में यह इस राष्ट्रिय उद्यान लगभग 258.71 वर्ग किलोमीटर (100 वर्ग मील ) तक फ़ैल चूका है।
मूलरूप से गिर राष्ट्रिय उद्यान खथियार-गिर के शुष्क पर्णपाती वन क्षेत्र का हिस्सा माना जाता है जो की गुजरात के तीन प्रमुख जिलों में फैला हुआ है। और अगर हम इन तीनों जिलों से इस उद्यान की भौगोलिक स्थिति के बारे में बात करते है तो हमें यह पता चलता है की यह राष्ट्रीय उद्यान जूनागढ़ से 65 किमी (40 मील) (दक्षिण-पूर्व) की दुरी पर स्थित है, और वहीँ अमरेली से 60 किमी (37 मील) (दक्षिण-पश्चिम) की दुरी पर स्थित है इसके अलावा सोमनाथ से 43 किमी (27 मील) (उत्तर-पूर्व) की दुरी पर स्थित है।
अब हम इस राष्ट्रिय उद्यान में सिंहो की वर्तमान संख्या के बारे में बात करते है तो वर्ष 2015 के मई महीने में 14वीं एशियाई शेर जनगणना 2015 आयोजित की गई थी। उसके अनुसार वर्ष 2015 में इस राष्ट्रीय उद्यान में सिंहो की संख्या 523 थी जो की 2010 की जनगणना की तुलना में 27% ज्यादा थी। 2005 की जनगणना के अनुसार उद्यान में सिंहो की संख्या 359 थी और 2010 की जनगणना में सिंहो की संख्या 411 थी।
अगर हम वर्तमान सिंहो (2015 की जनगणना के अनुसार ) की जनसँख्या को जिला वाइज देखे तो गिर सोमनाथ जिले में 44, अमरेली जिले में 174, जूनागढ़ जिले में 268 और भावनगर जिले में 37 रहते है। इन 523 सिंहो में 109 नर, 201 मादा और 213 शावक हैं।
गिर राष्ट्रीय उद्यान का इतिहास – Gir National Park History in Hindi
गिर राष्ट्रीय उद्यान के इतिहास के बारे में बात करने से पहले में आपको भारत के वैदिक और प्राचीन इतिहास में सिंह के महत्व के बारे में बताना चाहूँगा। वैसे तो सिंह को जंगल का राजा कहा जाता है लेकिन प्राचीन भारत इतिहास से जुड़े हुए प्रतीकों में आपको बहुत सारी जगहों पर सिंह का उल्लेख प्रमुखता से देखने को मिलता है।
अगर हम वैदिक समय की बात करें तो हमें यह पता चलता है की सिंह को हिन्दू धर्म की एक प्रमुख देवी माँ अम्बा के वाहन के रूप में भी दर्शाया गया है। इससे आप यह समझ सकते है की प्राचीन भारतीय संस्कृति में सिंह का कितना ज्यादा महत्व रहा होगा। अब जब हम गिर राष्ट्रीय उद्यान की बात करते है तो में आपको यह बताना चाहूंगा की इस राष्ट्रीय उद्यान का इतिहास लगभग 100 साल से भी ज्यादा पुराना है।
19वीं शताब्दी में जब भारत में ब्रिटिश राज चल रहा था तब भारतीय रियासतों के शासक ब्रिटिश अधिकारीयों को प्रसन्न करने के लिए उनको शिकार आदि करने के लिए अपनी रियासत में बुलाया करते थे। इस वजह से उस समय भारत में बहुत ज्यादा संख्या में वन्यजीवों का शिकार हुआ और इसी वजह से बहुत सारे वन्यजीवों की प्रजातियां या तो विलुप्त हो गई या फिर विलुप्त होने के कगार पर पहुँच गई।
ऐसा ही कुछ एशियाई सिंहो के साथ भी हुआ उस समय जो एशियाई सिंह इस देश के कई अलग-अलग हिस्सों में पाए जाते थे अब वह सिर्फ जूनागढ़ के नवाब के निजी शिकारगाह (गिर वन क्षेत्र) तक ही सिमट कर रह गए थे। वर्ष 1900 के आसपास तक पुरे भारत में इतने ज्यादा सिंहो को शिकार हुआ की उस समय सिर्फ गुजरात के गिर वन क्षेत्र में मात्र 15 सिंह ही बचे थे। तब उस समय के तत्कालीन ब्रिटिश वाइसराय ने जूनागढ़ के नवाब को सिंहो की घटती आबादी के बारे में सचेत किया।
जिसके बाद जूनागढ़ के नवाब ने गिर वन क्षेत्र को संरंक्षित वन क्षेत्र घोषित किया और यहाँ पर शिकार करने पर पाबन्दी लगा दी। यहाँ पर हम थोड़ा से भारत में सिंहो से जुड़े हुए इतिहास के बारे में थोड़ा और बात कर लेते है। आज से कई सौ वर्ष पहले तक लगभग पुरे भारत के अलग-अलग वन क्षेत्रों में सिंह पाए जाते थे। भारत के पड़ोसी देश सिंगापूर का नाम भी सिंह के ऊपर रखा गया था।
उस समय सिंगापूर को सिंहो का नगर कहा जाता था। वहीँ अगर आप भारत के इतिहास की और थोड़ा ध्यान देते है तो आपको यह पता चलेगा की भारत के हिन्दू राजा अपने नाम के पीछे सिंह लगाया करते थे और यह परम्परा आज भी हिन्दू धर्म में भी प्रचलित है। हिन्दू धर्म में राजपूत समुदाय के लोग आज भी अपने नाम के सिंह लगाना पसंद करते है।
19वीं शताब्दी में जैसे-जैसे जगंलों की कटाई ज्यादा संख्या में होने लगी वैसे ही वन्यजीवों पर भी इस बात का विपरीत प्रभाव पड़ने लगा। जंगल छोटे होते गए शिकार बढ़ता गया और वन्यजीवों के लिए भोजन की कमी होने लगी इसी वजह से वन्यजीव विलुप्त होते गए या फिर विलुप्त होने के कगार पर पहुँच गए । इन सभी कारणों की वजह से सिंह जैसा शानदार वन्यजीव भी विलुप्त होने के कगार पर पहुँच गया था।
अब अगर हम सालाना तौर पर देखे तो वर्ष 1840 में बिहार, 1885 में विध्यांचल और बुंदेलखंड, 1834 में दिल्ली, 1842 में भवलपुर, राजस्थान और मध्यभारत में 1870 और देश के पश्चिमी विस्तार में 1880 तक सिंह पूरी तरह से विलुप्त हो चुके थे। वर्ष 1900 तक सिर्फ गुजरात के गिर वन क्षेत्र में दो दर्जन के आसपास ही सिंह बचे थे। उस समय जूनागढ़ के नवाब के द्वारा गिर वन क्षेत्र में शिकार पर प्रतिबन्ध लगाने के बाद हमारे देश सिंहो की संख्या धीरे-धीरे बढ़ने लगी है।
अभी हालिया वर्षों में गिर जंगलो के पास में स्थित अमरेली जिले में सिंह का स्थानांतरण किया गया था और उसके बहुत ही अच्छे परिणाम सामने आये है। वर्तमान में गुजरात में जूनागढ़ जिले के बाद सबसे ज्यादा सिंह अमरेली जिले में पाए जाते है।
गिर राष्ट्रीय उद्यान की जलवायु – Climate of Gir National Park in Hindi
जब हम गिर राष्ट्रीय उद्यान की जलवायु के बारे में बात करते है यहाँ पर गर्मियों के मौसम में दिन का तापमान 43° डिग्री तक चला जाता है जो की पर्यटन के हिसाब से किसी भी तरह से अच्छा नहीं जाता है। और वहीँ सर्दियों के मौसम में इस राष्ट्रीय उद्यान का न्यूनतम तापमान 10° डिग्री तक जा सकता है।
बारिश के मौसम में आपको यहाँ पर थोड़ा अधिक नमी का अनुभव हो सकता है। गिर राष्ट्रीय उद्यान में जून महीने के मध्य भाग से लेकर सितंबर महीने तक बारिश होती है। यहाँ पर प्रति वर्ष औसतन 1000 मिली मीटर तक बारिश होती है। हालाँकि इस राष्ट्रीय उद्यान में कई बार अकाल की स्थिति भी बन जाती है। गिर राष्ट्रीय उद्यान का प्रमुख जल स्त्रोत यह बहने वाली सात नदियों हरि, शिंगोडा, शेत्रुंजी, मछुंदरी, दातारडी, गोदावरी और रावल हैं।
इसके अलावा इस क्षेत्र में वन्यजीवों को पानी की किसी तरह समस्या ना हो इसलिए यहाँ के चार बड़े-बड़े जलाशयों पर चार बांध का निर्माण भी करवाया गया है। यह सभी बांध हिरन, रावल, मछुंदरी और शिंगोडा नदियों पर बने हुए है। इस वन क्षेत्र का सबसे बड़ा जलाशय कमलेश्वर बांध है जिसे “गिर की जीवन रेखा” भी कहा जाता है।
गर्मियों के मौसम में वन्यजीवों के पानी पीने के लिए यहाँ पर 300 से भी अधिक पानी एकत्रित करने के बिंदु बनाये हुए है। लेकिन जब यहाँ पर बहुत तेज गर्मी पड़ती है या फिर सूखा पड़ता है तो इन पानी एकत्रित करने वाले बिंदुओं में से अधिकांश बिंदु सुख जाते है।
इसी वजह से गर्मियों के मौसम में वन्यजीवों के लिए पानी की उपलब्धता में किसी प्रकार की कोई भी कमी ना है यह सुनिश्चित करना वन विभाग के कर्मचारियों के लिए चुनौती भरा कार्य होता है।
गिर राष्ट्रीय उद्यान का फ्लोरा – Gir National Park Flora in Hindi
गिर राष्ट्रीय उद्यान पश्चिमी भारत का सबसे बड़ा शुष्क पर्णपाती वन क्षेत्र माना जाता है। इस राष्ट्रीय उद्यान में लगभग 507 से भी ज्यादा पौधों की प्रजातियाँ पाई जाती है। गिर राष्ट्रीय उद्यान के पूर्वी भाग में अधिकांश सागवान के पेड़ दिखाई देते है जो कि इस उद्यान का लगभग आधे भाग में फैले हुए है।
सागवान के अलावा आपको गिर राष्ट्रीय उद्यान में बेर, जंगल की लौ, तेंदू, ज़िज़ीफस, बबूल, करंज, ऊमलो, सिरस, जामुन, आंवली, चरल, बरगद और कलाम जैसे पेड़ पाए जाते है। आपको यहां पर बबूल के पेड़ की विभिन्न प्रकार की क़िस्म देखने को मिल जाती है। गिर राष्ट्रीय उद्यान हमारे देश के लिये एक महत्वपूर्ण जैविक अनुसंधान क्षेत्र भी माना जाता है।
इसके अलावा यह जंगल सालाना 123000 मेट्रिक टन सुखी लकड़ी भी प्रदान करता है जिसकी लागत कई मिलियन डॉलर तक चली जाती है।
गिर राष्ट्रीय उद्यान के वन्यजीव – Gir National Park Wildlife in Hindi
गिर राष्ट्रीय उद्यान लगभग 2375 प्रकार के वन्यजीव और कीटों की प्रजातियों का घर माना जाता है। यहाँ पर पक्षियों की 300, स्तनधारियों की 38 और सरीसृपों की 37 से अधिक प्रजातियां पाई जाती है। मांसाहारी वन्यजीवों में यहाँ पर प्रमुख रूप से एशियाई शेर, जंगली बिल्ली, सुनहरा सियार, तेंदुआ, बंगाल लोमड़ी, धारीदार लकड़बग्घा, भारतीय ग्रे नेवला और सुर्ख नेवला जैसे वन्यजीव पाए जाते है।
इसके अलावा यहाँ पर एशियाई जंगली बिल्ली और जंग लगी चित्तीदार बिल्ली भी पाई जाती है लेकिन अगर आपकी किस्मत अच्छी हो तभी यह आपको दिखाई दे सकती है। उद्यान के प्रमुख शाकाहारी वन्यजीवों में आपको नीलगाय, चिंकारा, चीतल, जंगली सूअर, सांभर, काले हिरण, खरगोश, पैंगोलिन और साही दिखाई दे सकते है।
सरीसृपों की प्रजातियों में आपको मगरमच्छ, कछुआ, भारतीय कोबरा, अजगर और मॉनिटर छिपकली जैसे वन्यजीव इस राष्ट्रीय उद्यान में पाए जाते है। गुजरात के गुजरात राज्य वन विभाग ने वर्ष 1977 में भारतीय मगरमच्छ संरक्षण परियोजना का गठन किया और इस योजना के अंतर्गत विभाग ने गिर की कमलेश्वर झील और इसके आसपास के अन्य जल स्त्रोत में 1000 के आसपास दलदली मगरमच्छों को छोड़ा।
उद्यान में प्रचुर मात्रा में एविफ़ुना आबादी के पक्षियों की 300 से अधिक प्रजातियाँ पाई जाती है। यहां पर मेहतर समूह के गिद्धों की 6 प्रजातियाँ दर्ज की गई है। इसके अलावा यहाँ पर इंडियन मोर, क्रेस्टेड सर्पेंट ईगल, ब्राउन फिश उल्लू, ब्लैक हेडेड ओरिओल, बोनेली ईगल, ब्राउन कैप्ड पिग्मी वुडपेकर, इंडियन ईगल-उल्लू, रॉक बुश-बटेर, चेंजेबल हॉक-ईगल, ट्रीस्विफ्ट, क्रेस्टेड और भारतीय पित्त जैसे देशी और प्रवासी पक्षी प्रमुखता से देखे जा सकते है।
गिर राष्ट्रीय उद्यान में घूमने की जगह – Places To Visit in Gir National Park in Hindi
कमलेश्वर बांध – Kamleshwar Dam In Hindi
गिर राष्ट्रीय उद्यान में स्थित कमलेश्वर बाँध इस उद्यान का प्रमुख दर्शनीय स्थल माना जाता है। गिर राष्ट्रीय उद्यान में बहने वाली हिरन नदी पर बना हुआ कमलेश्वर बाँध उद्यान के वन्यजीवों के पानी का मुख्य स्त्रोत माना जाता है। लगभग 25 मीटर की ऊंचाई वाला कमलेश्वर बाँध दलदली मगरमच्छों और प्रवासी पक्षियों के लिए बहुत ज्यादा प्रसिद्ध है।
कमलेश्वर बाँध के आसपास आपको ढेर सारे प्रवासी पक्षियों के झुण्ड देखने को मिल सकते है और इसी वजह से उद्यान का यह हिस्सा बर्ड वॉचर्स के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं माना जाता है। गिर राष्ट्रीय उद्यान में स्थित कमलेश्वर बाँध इस उद्यान के प्रमुख आकर्षण केंद्र में से एक माना जाता है।
कनकाई माता मंदिर – Kankai Mata Mandir in Hindi
गिर राष्ट्रीय उद्यान से मात्र 25 किलोमीटर की दुरी पर स्थित कनकाई मंदिर गुजरात के स्थानीय निवासियों के लिए बेहद ही पूजनीय स्थल माना जाता है। एक पौराणिक घटनाक्रम के अनिसार पांडव जब अज्ञात वास के दौरान इस वन क्षेत्र से निकलते है तब उन्हे बहुत तेज प्यास लगती है। तब उस समय अर्जुन इस स्थान पर पृथ्वी से जल निकालने के लिए अपनी धनुष से तीर चलाते है।
मंदिर के पास में भगवान शिव को समर्पित मंदिर बना हुआ है जिसे स्थानीय निवासी “बनेज” के नाम से भी पुकारते है। यहाँ के स्थानीय निवासी मुख्य मंदिर में स्थापित विग्रह “श्री कंकेश्वरी माताजी” और “श्री कंकई माताजी” नाम से पुकारना पसंद करते है।
यहाँ की स्थानीय जातियां जैसे गुर्जर सुथर (पंचसार), वैश्य सुथार (वधिया और पाधियार), भद्रेश्वर-वंजा, भावसार (बहेकर), उनवल ब्राह्मण और बोरखेतरिया-वंजा वैश्य जैसी जातियों मंदिर में स्थापित देवी को अपनी प्रमुख देवी के रूप में भी पूजते है। मंदिर के आसपास आपको भरपूर प्राकृतिक सुंदरता भरपूर देखने को मिलती है ।
और इसके अलावा मंदिर के पास में शिंगवाड़ा नदी भी बहती है जो की इस उद्यान की सुंदरता जो चार चाँद लगा देती है यहाँ पर भी आप अपने लिए कुछ समय जरूर निकाल सकते है । मंदिर में प्रतिवर्ष मनाये जाने वाले उत्सवों के दौरान हजारों की संख्या में श्रद्धालु कनकाई माता के दर्शन करने के लिए भी आते है। यहाँ पर आने वाले श्रद्धालुओं के लिए भोजन या फिर प्रसाद बिलकुल निशुल्क दिया जाता है।
आप जब भी कनकाई माता के मंदिर में दर्शन करने के लिए जाए उस समय निर्धारित समय से पहले उद्यान से सुरक्षित बहार निकाल जाए यह जरूर सुनिश्चित करें।
जंजीर वाटरफाल्स – Jamjir Waterfall in Hindi
गुजरात के जूनागढ़ जिले के जामवला गांव जंजीर वॉटरफॉल गिर राष्ट्रीय उद्यान के पास में स्थित एक बहुत ही सुन्दर झरना है। यह गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र का एकमात्र ऐसा झरना है जिसमे आपको पुरे साल पानी गिरता हुआ मिल जाएगा। जंजीर वॉटरफॉल मुख्य रूप से शिंगोदा नदी का ही हिस्सा है।
यह झरना बहुत ज्यादा ऊंचाई से निचे गिरता है इस वजह से इसमें पानी का वेग बहुत ज्यादा होता है जिस वजह से इस झरने के पास में जाना बहुत ज्यादा खतरनाक माना जाता है। हालाँकि झरने के ऊपर बहने वाली नदी में आप आसानी से तेर सकते है यदि एक अच्छे तैराक है तो। जंजीर वॉटरफॉल के पास में जामदग्नि आश्रम बना हुआ है जहाँ पर आप अपने लिए और अपने दोस्तों या परिवार के सदस्यों के लिए खाना बना सकते है।
देवलिया सफारी पार्क – Devaliya Safari Park in Hindi
गिर राष्ट्रीय उद्यान से मात्र 13 किलोमीटर की दुरी पर स्थित देवलिया सफारी पार्क मूल रूप से मानव निर्मित उद्यान है। इसके निर्माण का मुख्य उद्देश्य गिर राष्ट्रीय उद्यान में मानवीय उपस्थिति को कम करने के लिए किया गया है। इसके अलावा गिर आने वेक पर्यटकों को यहाँ के विविध प्रकार के वन्यजीवन के महत्व को बेहतर ढंग से समझाने के लिए इस एक व्याख्या क्षेत्र के रूप में भी विकसित किया है।
लगभग 412 हेक्टेयर में फैला हुआ देवलिया सफारी पार्क के चारोँ तरफ चेन-लिंक फैंसिंग क्षेत्र बनाया गया है। इस व्याख्या कशेरा में आपको गिर राष्ट्रीय उद्यान में पाए जाने वाले अधिकांश वन्यजीव यहाँ पर बड़ी आसानी से देखे जा सकते है। यहाँ पाए जाने वाले वन्यजीवों में आपको प्रमुख रूप से सिंह, चिंकारा, चित्तीदार हिरन, सांभर, जंगली सूअर और ब्लू बुल से वन्यजीव देखे जा सकते है।
सोमनाथ मंदिर – Somnath Temple in Hindi
गिर राष्ट्रीय उद्यान से मात्र 58 किलोमीटर की दुरी पर स्थित भगवान शिव को समर्पित सोमनाथ मंदिर लगभग एक ईसा पूर्व निर्मित शिव मंदिर है। सोमनाथ मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में प्रथम ज्योतिर्लिंग के रूप में पूजा जाता है। मंदिर के निर्माण का उल्लेख ऋग्वेद में स्पष्ट रूप से किया हुआ है जिससे आपको यह अंदाजा हो जाएगा की यह मंदिर कितने हजार वर्ष पुराना हो सकता है।
वर्तमान सोमनाथ मंदिर के निर्माण का इतिहास बहुत ही ज्यादा रक्तरंजित रहा है। जितनी बार भी मुग़ल आक्रांतों ने इस मंदिर को खंडित किया उतनी ही हिन्दू राजाओं ने इस मंदिर के पुनर्निर्माण में अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया।
सोमनाथ मंदिर के वर्तमान भवन का निर्माण लौहपुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल ने करवाया था और दिसंबर 1955 में भारत के राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद जी ने इस मंदिर को राष्ट्र- को समर्पित कर दिया। अगर आप गिर राष्ट्रीय उद्यान आ रहे है तो आपको सोमनाथ मंदिर जरूर देखना चाहिए।
गिर नेशनल पार्क के खुलने का समय – Gir National Park Opening Time in Hindi
गुजरात में प्रति वर्ष जून महीने के पहले सप्ताह में मानसून आ जाता है। और लगभग इसी समय के आसपास गिर राष्ट्रीय उद्यान में भी मानसून आ जाता है इसी वजह से प्रति वर्ष 16 जून से 15 अक्टूबर तक यह उद्यान पर्यटकों के लिए बंद कर दिया जाता है। बाकी 16 अक्टूबर से लेकर 15 जून तक गिर राष्ट्रीय उद्यान पर्यटकों के लिए खुला रहता है।
गिर राष्ट्रीय उद्यान में जंगल सफारी का समय – Gir National Park Jungle Safari Timings in Hindi
Season | Date | Days | Morning | Evening |
Winter | 16th oct to 28th/29th Feburary | All week | 06:45 AM to 09:45 AM | 03:00 PM to 06:00 PM |
Winter/Summer | Depand on Weather | All Week | 08:30 AM to 11:30 AM | |
Summer | 1st March to 15th June | All Week | 06:00 AM to 09:00 AM | 04:00 PM to 07:00 PM |
नोट :- 01 गिर राष्ट्रीय उद्यान के प्रवेश समय में स्थानीय प्रशासन के द्वारा किसी भी समय बदलाव किया जा सकते है।
गिर राष्ट्रीय उद्यान में जंगल सफारी का टिकट – Gir National Park Jungle Safari Ticket in Hindi
Type Of Safari | Days | Particulars | Indian | Forenginers |
Gypsy Safari | Monday to Friday | Up to 06 Person | 800/- INR | 5600/- INR |
Gypsy Safari | Monday to Friday | Extra Child | 100/- INR | 1400/- INR |
Gypsy Safari | Saturday / Sunday / Festival Days | Up to 06 Person | 1000/- INR | 7000/- INR |
Gypsy Safari | Saturday / Sunday / Festival Days | Extra Child | 125/- INR | 1750/- INR |
नोट:- 01 एक ई-परमिट या पास पर अधिकतम 06 व्यक्तियों की अनुमति है। इसके अलावा 03-12 वर्ष के बीच के एक बच्चे को भी शामिल किया जा सकता है।
02 एक ई-परमिट में गाइड चार्ज के 400/- रुपये और जिप्सी चार्ज 2000/- रुपये शामिल नहीं है, जिसका भुगतान संबंधित गाइड और जिप्सी वाहन मालिकों को अलग से करना होगा।
03 गिर राष्ट्रीय उद्यान में प्रवेश और सफारी से जुड़े हुए सभी प्रकार के अधिकार वन विभाग के पास सुरक्षित है।
04 गिर राष्ट्रीय उद्यान में प्रवेश और सफारी शुल्क में किसी भी समय बदलाव किया जा सकता है।
05 गिर राष्ट्रीय उद्यान की ऑफिसियल वेबसाइट से आप अपने लिए ऑनलाइन टिकट बुक करवा सकते है। ( https://girlion.gujarat.gov.in/GirJungleTrailBooking.aspx )
देवलिया सफारी पार्क में जिप्सी सफारी का समय – Devaliya Safari Park Gypsy Safari Timing in Hindi
Vehicle Type | Days | Morning | Evening |
Gypsy Safari | Monday to Sunday | 07:00 AM To 07:55 AM | 03 PM To 3:55 PM |
Gypsy Safari | Monday to Sunday | 08:00 AM To 08:55 AM | 04:00 PM To 04:55 PM |
Gypsy Safari | Monday to Sunday | 09:00 AM To 09:55 AM | 05:00 PM To 05:55 PM |
Gypsy Safari | Monday to Sunday | 10:00 AM To 10:55 AM |
नोट :- 01 देवलिया सफारी पार्क पर्यटकों के लिए सप्ताह में प्रत्येक बुधवार को बंद रहता है।
02 देवलिया सफारी पार्क में जिप्सी सफारी के समय में प्रशासन के द्वारा बदलाव संभव है।
देवलिया सफारी पार्क में जिप्सी सफारी का टिकट – Devaliya Safari Park Gypsy Safari Ticket in Hindi
Type Of Safari | Days | Particulars | Indian | Forenginers |
Gypsy Safari | Monday to Friday | Up to 06 Person | 800/- INR | 5600/- INR |
Gypsy Safari | Monday to Friday | Extra Child | 100/- INR | 1400/- INR |
Gypsy Safari | Saturday / Sunday / Festival Days | Up to 06 Person | 1000/- INR | 7000/- INR |
Gypsy Safari | Saturday / Sunday / Festival Days | Extra Child | 125/- INR | 1750/- INR |
नोट:- 01 एक ई-परमिट या पास पर अधिकतम 06 व्यक्तियों की अनुमति है। इसके अलावा 03-12 वर्ष के बीच के एक बच्चे को भी शामिल किया जा सकता है।
02 एक ई-परमिट में गाइड चार्ज के 400/- रुपये और जिप्सी चार्ज 1600/- रुपये शामिल नहीं है, जिसका भुगतान संबंधित गाइड और जिप्सी वाहन मालिकों को अलग से करना होगा।
03 देवलिया सफारी पार्क में प्रवेश और सफारी से जुड़े हुए सभी प्रकार के अधिकार वन विभाग के पास सुरक्षित है।
04 देवलिया सफारी पार्क में प्रवेश और सफारी शुल्क में किसी भी समय बदलाव किया जा सकता है।
05 देवलिया सफारी पार्क की ऑफिसियल वेबसाइट से आप अपने लिए आसानी से टिकट बुक करवा सकते है। ( https://girlion.gujarat.gov.in/GIZDevaliaGypsyBooking.aspx )
देवलिया सफारी पार्क में बस सफारी का समय – Devaliya Safari Park Bus Safari Timing in Hindi
Vehicle Type | Days | Morning | Evening |
Mini Bus | Monday to Sunday | 07:30 AM To 11:00 AM | 03:00 PM To 05:00 PM |
नोट :- 01 देवलिया सफारी पार्क पर्यटकों के लिए सप्ताह में प्रत्येक बुधवार को बंद रहता है।
02 देवलिया सफारी पार्क में बस सफारी के समय में प्रशासन के द्वारा बदलाव संभव है।
देवलिया सफारी पार्क में बस सफारी का टिकट – Devaliya Safari Park Bus Safari Ticket in Hindi
Type Of Safari | Days | Indian | Forenginers |
Mini Bus | Monday to Friday | 150/- INR | 2800/- INR |
Mini Bus | Saturday / Sunday / Festival Days | 190/- INR | 3500/- INR |
गिर राष्ट्रीय उद्यान घूमने का सबसे अच्छा समय – Best Time To Visit Gir National Park in Hindi
गिर राष्ट्रीय उद्यान जून महीने के दूसरे सप्ताह से लेकर अक्टूबर महीने के दूसरे सप्ताह तक पर्यटकों के लिए बंद रहता है। इसके अलावा वर्ष के बाकी सभी महीनों में गिर राष्ट्रीय उद्यान पर्यटकों के लिए खुला रहता है।
लेकिन जब हम इस राष्ट्रीय उद्यान में घूमने के सबसे अच्छे समय के बारे में बात करते है तो में आपको यह बताना चाहूँगा की पर्यटन के हिसाब से नवंबर महीने से लेकर मार्च महीने में गिर राष्ट्रीय उद्यान में घूमने का सबसे अच्छा समय माना जाता है।
लेकिन अगर आप एक वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर है तो अप्रैल से लेकर मई महीने का समय वाइल्डलाइफ फोटोग्राफी के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। हालाँकि अप्रैल और मई महीने में यहाँ पर तापमान बहुत ज्यादा हो जाता है लेकिन वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफी के लिए यह समय सबसे अच्छा माना जाता है।
गिर राष्ट्रीय उद्यान में कहाँ ठहरे – Hotels in Gir National Park in Hindi
गिर राष्ट्रीय उद्यान के आसपास ठहरने के लिए बहुत सारे रिसोर्ट, गेस्ट हाउस और होटल्स बने हुए है। इसके अलावा सिंह सदन नाम से एक गवर्मेंट गेस्ट हाउस भी बना हुआ है जहाँ पर आप गिर राष्ट्रीय उद्यान की यात्रा के समय रुक सकते है। इसके अलावा बहुत सारी ऑनलाइन होटल बुकिंग वेबसाइट की सहायता से भी गिर राष्ट्रीय उद्यान के पास में रूम बुक करवा सकते है।
आप इस बात का जरूर ध्यान रखें की बहुत सारे रिसोर्ट और होटल वाले गिर राष्ट्रीय उद्यान में जंगल सफारी के लिए परमिट भी बुक करवाते है। तो आप चाहे तो अपने लिए इन रिसोर्ट होटल वालों की सहायता से जंगल सफारी का परमिट एडवांस में बुक करवा सकते है। बस आप इस बात का जरूर ध्यान रखें की आपको इसके लिए अतिरिक्त शुल्क देना पड़ सकता है।
गिर राष्ट्रीय उद्यान कैसे पहुंचे – How To Reach Gir National Park in Hindi
हवाई मार्ग से गिर राष्ट्रीय उद्यान कैसे पहुंचे – How To Reach Gir National Park By Air in Hindi
अगर आप हवाई यात्रा के द्वारा गिर राष्ट्रीय उद्यान आना चाहते है। तो आपके लिए गिर के आसपास हवाई यात्रा के लिए कई विकल्प उपलब्ध है। गिर राष्ट्रीय उद्यान के सबसे नजदीकी हवाई अड्डों में केशोद हवाई अड्डा (दुरी 60 किलोमीटर) इऔर दीव हवाई अड्डा (दुरी 100 किलोमीटर ) है। इन दोनों के अलावा राजकोट हवाई अड्डा (दुरी 160 किलोमीटर) और अहमदाबाद हवाई अड्डा (दुरी 370 किलोमीटर ) भी है।
राजकोट और अहमदाबाद इन दोनों हवाई अड्डों के लिए आपको देश के सभी प्रमुख हवाई अड्डों से नियमित रूप से हवाई सेवा उपलब्ध मिल जायेगी। आप इन सभी हवाई अड्डों से टैक्सी और बस की सहायता से बड़ी आसानी से गिर राष्ट्रीय उद्यान पहुँच सकते है।
रेल मार्ग से गिर राष्ट्रीय उद्यान कैसे पहुंचे – How To Reach Gir National Park in By Train in Hindi
सासन रेलवे स्टेशन गिर राष्ट्रीय उद्यान के सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन है। सासन रेलवे से स्टेशन के लिए आपको जूनागढ़ और वेरावल से नियमित रूप से रेल सेवा उपलब्ध मिल जायेगी। जूनागढ़ और वेरावल रेलवे स्टेशन राजकोट और अहमदाबाद रेलवे से बहुत अच्छी तरह से जुड़े हुए है और इसके अलावा देश के कई प्रमुख शहरों से भी आपको इन दोनों रेलवे स्टेशन के लिए नियमित रेल सेवा उपलब्ध मिल जायेगी।
आप जूनागढ़ और वेरावल से गिर राष्ट्रीय उद्यान टैक्सी और बस की सहायता से बड़ी आसानी से पहुँच सकते है।
सड़क मार्ग से गिर राष्ट्रीय उद्यान कैसे पहुंचे – How To Reach Gir National Park in By Road in Hindi
गुजरात के कई प्रमुख शहरों जैसे जूनागढ़, वेरावल और अमरेली से आप टैक्सी और बस की सहायता से बड़ी आसानी से गिर राष्ट्रीय उद्यान पहुँच सकते है। इसके अलावा गिर राष्ट्रीय उद्यान कई स्टेट हाईवे से बड़ी अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है इसलिए आप अपने निजी वाहन की सहायता से भी गिर राष्ट्रीय उद्यान बड़ी आसानी से पहुंच सकते है।
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