पुरी के 20 प्रमुख दर्शनीय स्थल 2024 | 20 Best Places to visit in Puri in Hindi | Puri Tourist Places in Hindi 2024 | Puri Tourism in Hindi | Things to do in Puri in Hindi | Puri Travel Guide in Hindi 2024 | Part- 02
पुरी का इतिहास | History of Puri in Hindi
भारत के पूर्वी भाग में स्थित ओडिशा राज्य का एक प्रमुख तटीय शहर है पुरी। श्री जगन्नाथ मंदिर के कारण पुरी भारत के सबसे प्रमुख धार्मिक पर्यटक स्थल के रूप में जाना जाता है। हिन्दू धर्म में मोक्ष प्राप्ति के लिए चारधाम यात्रा को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। इन्ही चारधामों में एक है पुरी में स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर।श्री जगन्नाथ मंदिर में स्थापित भगवान जगन्नाथ के दर्शन करने के लिए पूरे वर्ष में देशी और विदेशी श्रद्धालु पुरी की यात्रा करते रहते है।
जून और जुलाई माह में आयोजित होने वाली रथ यात्रा के समय पुरी में देशी और विदेशी श्रद्धालुओं की संख्या लाखों में पहुँच जाती है। रथ यात्रा के समय कई बार श्रद्धालुओं का यह आकंड़ा 10 लाख के आसपास भी पहुँच जाता है। एक विश्व प्रसिद्ध धार्मिक पर्यटक स्थल होने के साथ-साथ पुरी भारत के सबसे प्राचीन शहरों में से एक माना जाता है।
पुरी के आसपास के क्षेत्र में अनेक प्राचीन स्मारक और प्राचीन मंदिर बने हुए है। और इसके अलावा पर्यटकों को यहाँ समुद्री वन्यजीवन और प्राकृतिक सौंदर्य भी भरपूर देखने को मिलता है। पुरी के आसपास के क्षेत्र में बने हुए कई प्राचीन मंदिर स्थापत्यकला का ऐसा अनूठा उदाहरण प्रस्तुत करते है। आज भी अनेक स्थापत्यकला विशेषज्ञ पुरी के आसपास स्थित इन प्राचीन स्मारकों और प्राचीन मंदिरों का अध्ययन करने के लिए यहाँ आते रहते है।
पुरी के समुद्र तट भारत के सबसे साफ समुद्र तटों में एक माने जाते है। कुछ समुद्रतट तो ऐसे भी है जहाँ पर आप को बिल्कुल भी भीड़ नहीं मिलती है। एक धार्मिक पर्यटक स्थल और साफ सुथरे समुद्रतटों के अलावा पुरी के आसपास का क्षेत्र प्राकृतिक रूप से भी बहुत ज्यादा समृद्ध माना जाता है। इसी प्राकृतिक समृद्धता की वजह से यहाँ पर अनके प्रकार के वन्यजीव और प्रवासी पक्षी भी देखें जा सकते है। अपनी इसी धार्मिक, प्राकृतिक और भौगोलिक विविधता की वजह से ही प्रतिवर्ष देश-विदेश से लाखों की संख्या में श्रद्धालु और पर्यटक पुरी की यात्रा करना पसंद करते है।
बेदी हनुमान मंदिर पुरी – Bedi Hanuman Temple Puri in Hindi
पुरी के समुद्र तट के किनारे पर स्थित बेदी हनुमान मंदिर पुरी के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक है। यह प्राचीन मंदिर हिन्दू धर्म में सबसे पूज्नीय माने जाने भगवान हनुमान को समर्पित है। बेदी हनुमान मंदिर को पुरी में दरिया महावीर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। इस प्राचीन मंदिर का नाम बेदी हनुमान मंदिर रखने के पीछे एक बहुत ही दिलचस्प पौराणिक कथा जुड़ी हुई है।
ऐसा माना जाता है की समुद्र किनारे पर बना हुआ दरिया हनुमान मंदिर पुरी को समुद्र के प्रकोप से बचाता है और किसी भी प्रकार से समुद्र का पानी शहर में प्रवेश करने से रोकते है। एक बार श्री जगन्नाथ भगवान के दर्शन करने के लिए समुद्र के देवता वरुण ने पुरी में प्रवेश कर लिया और उनके पीछे-पीछे समुद्र के पानी ने भी शहर के अंदर प्रवेश कर लिय।
समुद्र के पानी ने जब शहर में प्रवेश किया तो इस वजह से पुरी शहर और जगन्नाथ मंदिर को बहुत भारी नुकसान पहुँचा। समुद्र के प्रकोप से बचने के लिए पुरी के निवासियों ने भगवान जगन्नाथ से प्रार्थना की। उसके बाद भगवान जगन्नाथ ने हनुमानजी से पूछा की उनकी होते हुए समुद्र के पानी मंदिर और शहर में प्रवेश किया कैसे प्रवेश किया। हनुमानजी ने भगवान जगन्नाथ को बताया की वह भगवान श्रीराम के दर्शन करने के लिए अयोध्या गए हुए थे इसी वजह से समुद्र का पानी मंदिर और शहर में प्रवेश कर गया।
हनुमानजी की इस अनिश्चित यात्रा के बारे में सुनने पर भगवान जगन्नाथ ने उनके के हाथ और पैरों को रस्सी से बांध दिया ताकि वह दोबारा पुरी को छोड़ कर कहीं और ना जा सके। पौराणिक कथा के अनुसार उसी समय से इस प्राचीन मंदिर को बेदी हनुमान मंदिर के नाम से जाना जाने लगा। बेदी हनुमान मंदिर के गृभगृह में स्थापित हनुमानजी जी की मूर्ति के बाएँ हाथ में मिठाई है और दाएँ हाथ में एक गदा पकड़ी हुई है।
मंदिर के बाहरी भाग पर हिन्दू धर्म के अनेक देवी-देवताओं की मूर्तियाँ बनी हुई है। हनुमानजी जी की माता अंजनी की मूर्ति भी मंदिर के पश्चिमी भाग की दीवार पर बनी हुई है जिसमें वह एक छोटे बच्चे को गोद में खीला रही है। मंदिर के दक्षिणी भाग की दीवार पर गणेश जी की मूर्ति भी बनाई गई है।
बेदी हनुमान मंदिर में हनुमान जयंती, पान संक्रांति और राम नवमी त्यौहार को प्रमुखता से मनाया जाता है।
बेदी हनुमान मंदिर पुरी में प्रवेश का समय – Bedi Hanuman Temple Puri Timings in Hindi
श्रद्धालु सुबह 6:00 बजे से लेकर शाम को 6:00 बजे तक बेदी हनुमान मंदिर में दर्शन कर सकते है। मंदिर में प्रवेश शुल्क प्रति व्यक्ति 5 रुपये निर्धारित किया गया है।
बेदी हनुमान मंदिर पुरी में प्रवेश शुल्क – Bedi Hanuman Temple Puri Entry Fee in Hindi
मंदिर में प्रवेश शुल्क प्रति व्यक्ति 5 रुपये निर्धारित किया गया है।
शिल्प गांव पुरी – Shilpgram Puri in Hindi
अगर आप एक कला प्रेमी है तो पुरी से 11 किलोमीटर की दूरी पर स्थित जगन्नाथबल्लावा नाम के छोटे से कस्बे में स्थित रघुराजपुर शिल्प गांव जरूर जाना चाहिए। ओडिशा की स्थानीय और विश्व प्रसिद्ध लोककला पट्टचित्रा के चित्रों के लिए बहुत प्रसिद्ध है। इस वजह से पुरी के पास स्थित यह छोटासा कस्बा कला प्रेमियों के आकर्षण का मुख्य केंद्र है।
ओडिशा का सबसे पहला शिल्प गांव भी रघुराजपुर ही है, 2000 में रघुराजपुर को ओडिशा के सबसे पहले शिल्प गांव की मान्यता प्रदान की गई। रघुराजपुर भारत की प्रसिद्ध और महान ओडिसी नृत्यांगना केलूचरण महापात्र का जन्मस्थान भी है। शिल्प गांव में हाथों से बने हुए कपड़े, कागज और सूखे ताड़ के पत्ते पर अलग-अलग प्रकार की चित्रकला की शैली से बने हुए चित्रों को प्रदर्शित किया गया है।
इसके अलावा पट्टचित्रा चित्रकला और गोटीपुआ नृत्य मंडल के लिये भी रघुराजपुर का शिल्प गांव बेहद प्रसिद्ध है। रघुराजपुर के शिल्प गांव में ताड़, आम, नारियल के पेड़ और जैक फल जैसे अनेक प्रकार के लगे पेड़ लगे हुए है। शिल्प गांव के अधिकांश हिस्से को भित्ति चित्रों से सजाया गया है। यहाँ के प्राकृतिक वातावरण और भित्ति चित्रों की सजावट की वजह से यह शिल्प गांव बहुत ही सुंदर दिखाई देता है।
शिल्प गांव में हस्तशिल्प से निर्मित टसर पेंटिंग, पत्थर की नक्काशी, लकड़ी की नक्काशी, ताड़ के पत्तों पर नक्काशी और मुखोटे आदि देखने के लिए मिलते है। रथ यात्रा के समय रघुराजपुर के शिल्प गांव में भगवान जगन्नाथ के सिंहासन को परंपरागत तरीके से सजाया जाता है। शिल्प गांव में बसंत का उत्सव बड़े उत्साह से मनाया जाता है। वसंत उत्सव प्रतिवर्ष फरवरी और मार्च महीने में आयोजित किया जाता है।
वसंत उत्सव के समय शिल्प गांव में सबसे ज्यादा पर्यटक आते है।
शिल्प गांव पुरी देखने का समय – Shilpgram Puri Timings in Hindi
कला प्रेमी और पर्यटक सुबह 10:00 बजे से लेकर शाम 03:00 बजे तक शिल्प गांव में घूमने के लिए जा सकते है। शिल्प गांव में किसी भी प्रकार का प्रवेश शुल्क नहीं लिया जाता है।
शिल्प गांव पुरी में प्रवेश शुल्क – Shilpgram Puri Entry Fee in Hindi
शिल्प गांव में किसी भी प्रकार का प्रवेश शुल्क नहीं लिया जाता है।
पिपली गांव पुरी – Pipali Village Puri in Hindi
ओडिशा में हाथों से निर्मित रंगीन कपड़ों की सामग्री खरीदने के लिए सबसे पुरी से लगभग 38 किलोमीटर की दूरी पर स्थित पिपली गांव सबसे उपयुक्त और सबसे प्रसिद्ध जगह है। पिपली गांव में स्थानीय कारीगर ओडिशा की सबसे पारम्परिक और पुरानी हस्तशिल्प कला का उपयोग किया करते है। ओडिशा के स्थानीय हस्तकला के जानकर कारीगरों को रोज़गार दिलाने व्यापार के उचित अवसर प्रदान कराने के लिए पिपली गांव का निर्माण करवाया गया था।
शुरुआत के समय में स्थानीय कलाकारो द्वारा यहाँ आयोजित किये जाने वाले उत्सवों के समय पर सिर्फ छतरियाँ, बैनर और कैनोपियाँ आदि का ही निर्माण प्रमुखता से किया जाता था। समय के साथ-साथ यहाँ पिपली गाँव की लोकप्रियता बढ़ती गई और यहाँ काम करने वाले कारीगरों ने घर के उपयोग में आने वाले अनेक प्रकार के आइटम बनाने शुरू कर दिए।
पिपली गांव में तैयार किये जाने वाले कपड़ो पर विभिन्न प्रकार की डिज़ाइन बनाई जाती है। इन कपड़ो पर जानवर, फूल, कपड़ो के छोटे टुकड़ो की डिज़ाइन, कढ़ाई और गाँव के प्राकृतिक दृश्य आदि बनाये जाते है। कपड़ो से बने हुए अनेक प्रकार के घरेलू और निजी उपयोग के आइटम पिपली गांव से खरीदे जा सकते है जैसे वॉलेट, लैंपशेड, बैग, पाउच और गार्डन छाता आदि।
गांव में ऐसी बहुत सारी दुकानें बनी हुई है जिन पर से आप इकत, बोमकाई, रेशम और कपास से बने हुए कपड़े खरीद सकते है। कपड़ो के अलावा पिपली में गिफ्टिंग आइटम, ज्वेलरी और बिड्रवेयर आदि भी खरीदे जा सकते है। ओडिशा की प्राचीन हस्तकला के लिए पुरी के पास स्थित पिपली गांव सबसे प्रसिद्ध और दर्शनीय स्थलों में से एक है।
कोणार्क पुरी – Konark Puri in Hindi
कोणार्क, पुरी से 35 किलोमीटर दूर स्थित एक छोटा सा शहर है। कोणार्क की पहचान यहाँ पर स्थित विश्व प्रसिद्ध प्राचीन सूर्य मंदिर है। इस प्राचीन सूर्य मंदिर की वजह से इस छोटे से शहर को कोणार्क सूर्य मंदिर के नाम से ज्यादा जाना जाता है। बंगाल की खाड़ी के पास स्थित यह सूर्य मंदिर भारत के सबसे ज्यादा देखे जाने वाले पर्यटक स्थलों में से एक है।
सूर्य मंदिर का निर्माण उस समय के राजा नरसिम्ह देव प्रथम के शासनकाल के समय काले पत्थर का उपयोग करके बनाया गया था। इस वजह से सूर्य मंदिर को काले पैगोडा के नाम से भी जाना जाता है। सूर्य मंदिर की वास्तुकला पौराणिक पुस्तकों में वर्णित भगवान सूर्य के रथ से मिलती है। 1984 में यूनेस्को ने सूर्य मंदिर को वर्ल्ड हेरिटेज साइट का दर्जा भी दे दिया।
वर्तमान में कोणार्क में स्थित सूर्य मंदिर का अधिकांश हिस्सा खंडहर में बदल गया है। मंदिर में स्थित अधिकांश मुर्तियों को सूर्य मंदिर संग्रहालय में संरक्षित किया गया है। संग्रहालय का संचालन और सूर्य मंदिर की देखभाल की जिम्मेदारी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के पास है। कोणार्क में सूर्य मंदिर के अलावा पर्यटकों के लिए कई प्राचीन मंदिर और समुद्र तट है।
मंदिरों और समुद्र तटों के अलावा सूर्य मंदिर में प्रतिवर्ष आयोजित किया जाने वाला कोणार्क नृत्य महोत्सव भी पर्यटकों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र रहता है। कोणार्क के बारे में और जानकारी पाने के लिये दिए गए लिंक पर क्लिक करें।
बेलेश्वर बीच पुरी – Baleshwar Beach Puri in Hindi
बंगाल की खाड़ी पर स्थित बेलेश्वर समुद्र तट ओडिशा के सबसे शांत और साफ समुद्र तट में से एक माना जाता है। यह समुद्र तट पुरी से लगभग 17 किलोमीटर दूर बेलेश्वर नाम के स्थान पर स्थित है। बेलेश्वर नाम के स्थान की वजह से इस समुद्र तट को बेलेश्वर समुद्र तट या फिर बालेश्वर समुद्र तट के नाम से जाना जाता है।
बेलेश्वर समुद्र तट पुरी के सबसे प्रसिद्ध समुद्र तटों में से एक माने जाते है। बालेश्वर समुद्र तट के पास बहने वाली नुआनाई नदी जब बंगाल को खाड़ी में गिरती है तब यह दृश्य बहुत खूबसूरत दिखाई देता है। समुद्र तट के एक तरफ साफ सुथरा और नीला समुद्र दिखाई देता है। और समुद्र तट के दूसरी तरफ घने पेड़ इस जगह की सुंदरता को और बढ़ा देते है।
बेलेश्वर समुद्र तट के पास स्थित बेलेश्वर महादेव नाम का एक प्राचीन शिव मंदिर भी बना हुआ है। इस प्राचीन शिव मंदिर में महाशिवरात्रि के समय हजारों की संख्या में श्रद्धालु भगवान शिव के दर्शन करने के लिये आते है।
बेलेश्वर बीच पुरी देखने का समय – Baleshwar Beach Puri Timings in Hindi
दिन के किसी भी समय।
बेलेश्वर बीच पुरी में प्रवेश शुल्क – Baleshwar Beach Puri Entry Fee in Hindi
प्रवेश निःशुल्क।
चंद्रभागा समुद्रतट पुरी – Chandrabhaga Beach Puri in Hindi
चंद्रभागा समुद्र तट की पुरी से दूरी मात्र 27 किलोमीटर है और कोणार्क से इस बीच की दूरी मात्र 5 किलोमीटर है। चंद्रभागा समुद्र तट पुरी और कोणार्क का प्रमुख और सबसे सुंदर समुद्र तट में से एक माना जाता है। स्थानीय लोग चंद्रभागा समुद्र तट को कोणार्क समुद्र तट के नाम से भी जानते है। बंगाल की खाड़ी में मिलने वाली चंद्रभागा नदी की वजह से इस समुद्र तट का नाम चंद्रभागा समुद्र तट रखा गया है।
समुद्र तट की मिट्टी का रंग सफेद है, इस समुद्र तट पर आने वाले पर्यटक अपना अधिकांश समय धूप सकने और नीले पानी में सूर्यास्त देखते हुए व्यतीत करते है। चंद्रभागा समुद्र तट पुरी और कोणार्क का सबसे प्रमुख पर्यटक स्थल माना जाता है। इस समुद्र तट पर एक पुराना लाइट हाउस भी बना हुआ है जो की यहाँ आने वाले सभी पर्यटकों का ध्यान अपनी और आकर्षित करता है।
कोणार्क समुद्र तट पर प्रतिवर्ष हिन्दू कैलेंडर के अनुसार माघ महीने में आने वाली 7वीं पूर्णिमा के समय सात दिवसीय मेले का आयोजन किया जाता है। इस सात दिवसीय मेले को स्थानीय निवासी माघ सप्तमी मेला कह कर बुलाते है। मेले के समय समुद्र तट पर आने वाले श्रद्धालु चंद्रभागा समुद्र तट पर समुद्र के पानी में डुबकी लगाकर सूर्य भगवान की पूजा करते है। यह मेला स्थानीय निवासियों और पर्यटकों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र है।
चंद्रभागा समुद्रतट पुरी देखने का समय – Chandrabhaga Beach Puri Timings in Hindi
दिन के किसी भी समय।
चंद्रभागा समुद्रतट पुरी में प्रवेश शुल्क – Chandrabhaga Beach Puri Entry Fee in Hindi
प्रवेश निःशुल्क।
चिल्का झील पुरी – Chilika Lake Puri in Hindi
विश्व प्रसिद्ध चिल्का झील भारत की पहली और दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी खारे पानी की झील है। यह झील पुरी से लगभग 37 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। 1100 वर्ग किलोमीटर में फैली चिल्का झील पर अनेक छोटे बड़े द्वीप बने हुए है जिससे यह झील और भी आकर्षक हो जाती है। झील के आसपास स्थित गांव के मछुआरों का जीवन झील में पाई जाने वाली मछलियों पर निर्भर है।
सर्दियों के मौसम में अनेक प्रवासी पक्षी चिल्का झील में अपना शीतकालीन अवकाश बिताने के लिए आते है। चिल्का झील वैसे खारे पानी की झील है लेकिन बारिश के मौसम में यह झील कुछ समय के लिये मीठे पानी की झील बन जाती है। दुनिया की सबसे बड़ी राजहंस प्रजनन की कॉलोनी भी यही चिल्का झील है। 1981 में चिल्का झील को भारत सरकार द्वारा रामसर साइट का दर्जा दिया गया था।
यह उपलब्धि प्राप्त करने वाली भारत की पहली खारे पानी की झील है। प्रवासी पक्षियों के अलावा इस झील के आसपास के क्षेत्र में वन्यजीव जंतु भी पाये जाते है। इन सब के अलावा झील का जलीय जनजीवन भी बेहद समृद्ध है। यहां आने वाले पर्यटक वन्य जनजीवन के अलावा झील में नाव की सवारी का भी आनंद ले सकते है।
चिल्का झील के पास एक प्राचीन मंदिर भी बना हुआ है। यह प्राचीन मंदिर देवी कालजई को समर्पित है, स्थानीय निवासी इस मंदिर को कालजई मंदिर के नाम से जानते है। इस मंदिर में मकर संक्रांति का त्याहौर बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। चिल्का झील अभ्यारण्य की पूरी जानकारी के लिये दिये गए लिंक पर क्लिक करें।
(अगर आप मेरे इस आर्टिकल में यहाँ तक पहुंच गए है तो आप से एक छोटा से निवदेन है की नीचे कमेंट बॉक्स में इस लेख से संबंधित आपके सुझाव जरूर साझा करें, और अगर आप को कोई कमी दिखे या कोई गलत जानकारी लगे तो भी जरूर बताए। में यात्रा से संबंधित जानकारी मेरी इस वेबसाइट पर पोस्ट करता रहता हूँ, अगर मेरे द्वारा दी गई जानकारी आप को पसंद आ रही है तो आप अपने ईमेल से मेरी वेबसाइट को सब्सक्राइब जरूर करे, धन्यवाद )