पुरी के 20 प्रमुख पर्यटन स्थल 2024 | 20 Best Places to visit in Puri in Hindi | Puri Tourist Places in Hindi 2024 | Puri Tourism in Hindi | Things to do in Puri in Hindi | Puri Travel Guide in Hindi 2024 | Part-01
पुरी का इतिहास | History of Puri in Hindi
भारत में ओडिशा राज्य के समुद्र तट पर बसा हुआ पुरी शहर भारत के सबसे प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। भारत का यह प्राचीन शहर भगवान श्रीकृष्ण के सबसे प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। अपने धार्मिक महत्व के कारण प्रसिद्ध पुरी शहर को अनेक प्राचीन नामों से भी जाना जाता है – नीलाचल, नीलगिरी, शंखक्षेत्र, निलाद्री, श्रीक्षेत्र, पुरुषोत्तम और जगन्नाथ धाम।
इन सब नामों के अलावा वर्तमान में पुरी के स्थानीय लोग और श्रद्धालु पुरी को जगन्नाथपुरी के नाम से ज्यादा जानते है। हिन्दू धर्म में मोक्ष प्राप्ति को बहुत ज्यादा महत्व दिया जाता है। मोक्ष प्राप्ति के लिए हिन्दू धर्म का पालन करने वाले लोग भारत के प्रमुख चार तीर्थ स्थलों की यात्रा करना बहुत जरूरी मानते है। भारत में स्थित बद्रीनाथ, केदारनाथ, रामेश्वरम और जगन्नाथपुरी इन चारों तीर्थ स्थलों को चारधाम के नाम से जाना जाता है।
ऐसा माना जाता है की अगर कोई भी मनुष्य इन चारों तीर्थ स्थलों की यात्रा पूरी कर लेता है तो उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। चारधाम यात्रा का एक हिस्सा होने की वजह से भी जगन्नाथपुरी की यात्रा का धार्मिक महत्व बहुत बढ़ जाता है। श्रद्धालुओं में पुरी शहर से जुड़ी हुई एक मान्यता पर बहुत विश्वास किया जाता है।
ऐसा माना जाता है, की अगर कोई व्यक्ति पुरी में 3 दिन और 3 रात तक रुकता है तो उस व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इतिहासकारों का यह मानना है की पुरी में श्री जगन्नाथ मंदिर के निर्माण से पहले इस स्थान पर भील जाती के लोगो द्वारा शासन किया जाता था। श्री जगन्नाथ जी भगवान की मूर्ति भी सर्वप्रथम भील राजा विश्वासु को समुद्र के किनारे पर प्राप्त हुई थी।
पुरी जितना श्रद्धालुओं में भगवान श्री जगन्नाथ के मंदिर की वजह से प्रसिद्ध है। उतना ही यह शहर प्राकृतिक रूप से भी समृद्ध है, पुरी के पास स्थित समुद्र तट भारत के सबसे साफ़ समुद्र तटों में से एक माने जाते है। समुद्र तटों के अलावा पुरी के आसपास के कई क्षेत्रों में प्रचुर मात्रा में वन्यजीवन भी पाया जाता है।
श्री जगन्नाथ मंदिर, पुरी – Jagannath Puri in Hindi
पुरी में स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित भारत का सबसे प्रमुख धार्मिक तीर्थ स्थल है। दसवीं शताब्दी में निर्मित श्री जगन्नाथ मंदिर निर्माण गंग वंश के शासकों द्वारा करवाया गया था। अपने धार्मिक महत्व के अलावा श्री जगन्नाथ मंदिर अपनी वास्तुकला के कारण भी पर्यटकों और श्रद्धालुओं में बहुत प्रसिद्ध है।
मंदिर के निर्माण में बहुत ही महीन नक्काशी का कार्य किया गया है, तथा मंदिर परिसर में हिन्दू धर्म से जुड़े हुए अनेक देवी-देवताओं की बेहद सुन्दर कलाकृतियां बनाई गई है। श्री जगन्नाथ मंदिर में भगवान श्री जगन्नाथ के अलावा उनके बड़े भाई बलभद्र और बहन शुभद्रा के विग्रह भी स्थापित किये गए है।
मंदिर के गर्भगृह में स्थापित यह तीनो विग्रह एक विशेष प्रकार की लकड़ी से बने हुए है। प्रति 12 वर्ष में भगवान श्री जगन्नाथ के लकड़ी से बने हुए विग्रह को बदल दिया जाता है। श्री जगन्नाथ मंदिर में प्रवेश के लिए चार प्रमुख द्वार बने हुए है जिन्हे सिंहद्वार, अश्वद्वार, हाथीद्वार और व्याघ्रद्वार के नाम जाना जाता है।
मुख्य मंदिर में चार कक्ष भी बने हुए है, इन चारों कक्षों को भोगमंदिर, नाटा मंदिर, जगमोहन और गर्भगृह के नाम से जाना जाता है। श्री जगन्नाथ मंदिर में बनी हुई रसोई दुनिया की सबसे बड़ी रसोई में से एक मानी जाती है, ऐसा कहा जाता है की मंदिर की रसोई में बनने वाला भोजन कभी भी श्रद्धालुओं के लिए कम नहीं पड़ता है।
मंदिर परिसर में माता लक्ष्मी को समर्पित एक प्राचीन लक्ष्मी मंदिर भी बना हुआ है। श्री जगन्नाथ मंदिर की सम्पूर्ण जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें।
जगन्नाथ मंदिर में दर्शन का समय | Jagannath Temple Timings in Hindi
दिन के किसी भी समय।
जगन्नाथ मंदिर में प्रवेश शुल्क | Jagannath Temple Entry Fee in Hindi
प्रवेश निःशुल्क।
जगन्नाथ रथ यात्रा – Jagannath Rath Yatra in Hindi
पूरी में प्रति वर्ष जून और जुलाई माह के समय भगवान श्री जगन्नाथ की विश्व प्रसिद्ध रथ यात्रा निकाली जाती है। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार रथ यात्रा जून और जुलाई माह में आने वाली “आसाढ़ शुक्ल पक्ष की द्वितीया ” के दिन आयोजित की जाती है। रथ यात्रा के समय भगवान श्री जगन्नाथ अपने बड़े भाई बलभद्र और छोटी बहन सुभद्रा के साथ नौ दिन के लिए अपनी मौसी के घर पर जाते है, और नौ दिन पूरे होने के बाद वापस अपने मुख्य मंदिर में आते है।
नौ दिन तक चलने वाले इस धार्मिक कार्यक्रम में प्रतिदिन भगवान जगन्नाथ के लिए अपनी मौसी के घर पर अलग-अलग तरह के धार्मिक कार्य आयोजित किये जाते है। रथ यात्रा में भाग लेने के लिए पुरे भारत और दुनिया के अलग-अलग देशों से लाखों के संख्या में श्रद्धालु और पर्यटक रथ यात्रा के समय भगवान जगन्नाथ के दर्शन करने के लिए पुरी आते है।
जगन्नाथ पुरी में प्रतिवर्ष आयोजित की जाने वाली रथ यात्रा विश्व के सबसे बड़े धार्मिक आयोजनों में एक माने जाती है। रथ यात्रा के समय भगवान श्री जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के विग्रह को लकड़ी के बने हुए अलग-अलग विशाल रथों पर स्थापित किया जाता है। उसके बाद रथ यात्रा में भाग लेने आये श्रद्धालुओं द्वारा लकड़ी के विशाल रथों को मजबूत रस्सी सहायता से खींचा जाता है। रथ यात्रा कुल 5 किलोमीटर लम्बी होती है। रथ यात्रा की अधिक जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें।
गुंडिचा मंदिर पुरी – Gundicha Temple Puri in Hindi
पूरी में श्री जगन्नाथ मंदिर के अलावा सबसे प्राचीन मंदिर गुंडिचा मंदिर को माना जाता है। पूरी में भगवान श्री जगन्नाथ की रथ यात्रा जगन्नाथ मंदिर से शुरू होती है और गुंडिचा मंदिर पर समाप्त होती है। रथ यात्रा की वजह से पूरी में स्थित गुंडिचा मंदिर का धार्मिक महत्व और बढ़ जाता है। पुरी में गुंडिचा मंदिर का निर्माण श्री जगन्नाथ मंदिर के संस्थापक महाराजा इंद्रद्युम्न की पत्नी महारानी गुंडिचा के द्वारा करवाया गया था।
गुंडिचा मंदिर के निर्माण से जुड़ी हुई कथा के अनुसार महाराजा इन्द्रद्युम्न की पत्नी महारानी गुंडिचा की भगवान श्रीकृष्ण में बहुत आस्था थी। कहा जाता है की महारानी गुंडिचा की भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान श्रीकृष्ण ने महारानी गुंडिचा को आशीर्वाद दिया था की वर्ष में एक बार वह महारानी के घर पर जरूर आयेंगे। ऐसा माना जाता है की उस समय के बाद से ही पुरी में भगवान श्री जगन्नाथ की यात्रा शुरू हो गई थी।
गुंडिचा मंदिर को भगवान श्री जगन्नाथ की मौसी का घर भी माना जाता है। रथ यात्रा के बाद जब भगवान श्री जगन्नाथ अपनी मौसी के घर गुंडिचा मंदिर पहुंचते है तब भगवान श्री जगन्नाथ और उनके भाई और बहन का चावल से बने हुए एक विशेष प्रकार के पकवान ‘पोदापीति’ से स्वागत किया जाता है। गुंडिचा मंदिर श्री जगन्नाथ मंदिर से थोड़ी ही दूरी पर बना हुआ है।
रथ यात्रा के समय भगवान श्री जगन्नाथ अपने भाई और बहन के साथ सात दिनों के लिए गुंडिचा मंदिर में रहने के लिए जाते है। गुंडिचा मंदिर के परिसर में बहुत सुंदर उद्यान बना हुआ है इसलिए गुंडिचा मंदिर को भगवान श्री जगन्नाथ का उद्यान घर भी कहा जाता है। जगन्नाथ मंदिर की तरह गुंडिचा मंदिर का निर्माण भी कलिंग वास्तुशैली में किया गया है। मंदिर निर्माण के समय पत्थरों पर बहुत ही महीन कारीगरी का प्रदर्शन किया गया है। मंदिर निर्माण के लिए हल्के भूरे रंग के पत्थरों का उपयोग किया गया है।
मंदिर की सुरक्षा की दृष्टि मंदिर के चारों तरफ 20 फ़ीट ऊंची और 5 फ़ीट चौड़ी दीवार का निर्माण किया गया है। मंदिर परिसर में बने कक्षो को जगमोहन, नटमंडप, विमना और भोगमंडप के नाम से जाना जाता है। गुंडिचा मंदिर में प्रवेश के लिए दो द्वार बने हुए है पश्चिम दिशा में स्थित द्वार मंदिर का मुख्य प्रवेश द्वार है और पूर्व दिशा में स्थित द्वार को नचना द्वार कहा जाता है।
रथ यात्रा के समय भगवान श्री जगन्नाथ पश्चिमी द्वार से गुंडिचा मंदिर में प्रवेश करते है और पूर्व द्वार से मंदिर से बाहर आते है। पूरी में प्रतिवर्ष आयोजित की जाने वाली रथ यात्रा को नवदिन यात्रा, घोसायात्रा और गुंडिचा यात्रा के नाम से भी जाना जाता है। रथ यात्रा के समय भगवान श्री जगन्नाथ के दर्शन करना बहुत शुभ माना जाता है। रथ यात्रा के समय भगवान श्री जगन्नाथ के दर्शन को अड़पा दर्शन के नाम से जाना जाता है।
गुंडिचा मंदिर की देखरेख जगन्नाथ मंदिर प्रशासन के अधीन आती है।
गुंडिचा मंदिर में दर्शन का समय | Gundicha Temple Timings in Hindi
श्रद्धालु सुबह 06:00 बजे से लेकर दोपहर के 03:00 बजे तक गुंडिचा मंदिर में दर्शन कर सकते है और शाम के 04:00 बजे से लेकर रात को 10:00 बजे तक मंदिर श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए खुला रहता है।
गुंडिचा मंदिर में प्रवेश शुल्क | Gundicha Temple Entry Fee in Hindi
मंदिर में श्रद्धालु के लिए प्रवेश शुल्क 05 रुपये प्रति व्यक्ति निर्धारित किया गया है।
नरेन्द्र टैंक | नरेंद्र पोखरी पुरी – Narendra Tank Puri in Hindi
पुरी में श्री जगन्नाथ मंदिर से मात्र 1 किलोमीटर की दूरी पर नरेंद्र टैंक या फिर नरेंद्र पोखरी नाम का एक प्राचीन पवित्र तालाब बना हुआ है। यह प्राचीन तालाब पुरी के मौजा डंडिमाला साही क्षेत्र में बना हुआ है। नरेंद्र पोखरी तालाब को नरेंद्र टैंक के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा माना जाता है की नरेंद्र पोखरी ओडिशा का सबसे बड़ा टैंक है।
नरेंद्र पोखरी तालाब का निर्माण 15वीं शताब्दी में पुरी के तत्कालीन राजा नरेंद्र देव द्वारा करवाया गया था। नरेन्द्र टैंक एक बड़े क्षेत्र में फैला हुआ तालाब है, जिसके मध्य भाग में एक मन्दिर का निर्माण भी किया गया है। तालाब के मध्य भाग में स्थित मंदिर को चंदन मंडप कहा जाता है, यह मंदिर तालाब के दक्षिणी तट से पुल के द्वारा जुड़ा हुआ है। नरेंद्र टैंक के आसपास के क्षेत्र में छोटे बड़े कई मंदिर बने हुए है।
तालाब के किनारे पर श्रद्धालुओं के लिए पवित्र तालाब में स्नान करने के लिए 16 घाटों का निर्माण करवाया गया है। नरेंद्र पोखरी का जल स्तर वर्तमान समय में जमीन से 10 फ़ीट नीचे है। तालाब के मुख्य घाट को चंदन पुष्करिणी कहा जाता है। नरेंद्र तालाब पर प्रतिवर्ष भगवान श्री जगन्नाथ की प्रसिद्ध चंदन यात्रा बड़े धूमधाम से मनाई जाती है।
चंदन यात्रा त्यौहार के समय तालाब के आसपास स्थित सभी छोटे बड़े मंदिरों में स्थापित देवताओं की मूर्तियों को चंदन का लैप लगा कर तालाब के पवित्र जल में स्नान करवाया जाता है। नरेंद्र पोखरी में चंदन यात्रा का आयोजन हिन्दू कैलेंडर के अनुसार “बैशाख” महीने के समय किया जाता है।
नरेंद्र टैंक पूरी में दर्शन का समय | Narendra Tank Puri Timings in Hindi
श्रद्धालु नरेंद्र पोखरी पर दर्शन करने के लिए सुबह 06:00 बजे से लेकर रात को 09:00 बजे तक जा सकते है।
नरेंद्र टैंक पूरी में प्रवेश शुल्क | Narendra Tank Puri Entry Fee in Hindi
प्रवेश निःशुल्क।
पुरी बीच – Puri Beach in Hindi
हिन्द महासागर में बंगाल की खाड़ी पर बसा हुआ पुरी शहर भारत के सबसे बड़े धार्मिक स्थलों में से एक है। एक धार्मिक स्थल होने के साथ-साथ पुरी के समुद्र तट भारत के सबसे साफ और सुंदर समुद्र तटों में से एक माने जाते है। पुरी में श्री जगन्नाथ मंदिर से मात्र 2.5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित पुरी बीच सफेद मिट्टी और काँच के जैसे साफ पानी के लिए बहुत प्रसिद्ध है।
पुरी में श्री जगन्नाथ मंदिर के दर्शन करने आने वाले श्रद्धालु पुरी बीच पर भगवान श्री जगन्नाथ को जलांजलि देने के लिए जरूर आते है। साल के कुछ विशेष दिनों जैसे रथ यात्रा या फिर हिन्दू धर्म से जुड़े हुए किसी बड़े त्यौहार के समय पुरी बीच पर श्रद्धालुओं की बहुत ज्यादा भीड़ देखी जा सकती है।
पुरी बीच पर आप को विदेशी सैलानी और भारतीय पर्यटक पुरी बीच की सफ़ेद मिट्टी का आनन्द लेते हुए दिखाई दे जाते है। बीच पर समुद्र में मिलने वाले मोती और अन्य प्रकार के सामान को स्थानीय विक्रेताओं द्वारा बड़ी आसानी से खरीदा जा सकता है। अगर आप की किस्मत अच्छी रही तो विश्व प्रसिद्ध सैंड आर्टिस्ट सुदर्शन पटनायक द्वारा सैंड आर्ट से बनाई गई शानदार कलाकृतियों को देखने का अवसर भी प्राप्त हो सकता है।
पुरी में प्रति वर्ष नवंबर माह में पुरी बीच महोत्सव का आयोजन किया जाता है, इस पांच दिवसीय उत्सव में स्थानीय लोगों के अलावा देश और विदेश से आने वाले पर्यटक भी बढ़चढ़ कर हिस्सा लेते है। पर्यटकों को पुरी बीच से सूर्योदय और सूर्यास्त के बहुत ही सुंदर दृश्य दिखाई देते है।
पुरी बीच देखने का समय | Puri Beach Timings in Hindi
पर्यटकों के लिए पूरी बीच पर जाने का सबसे उपयुक्त समय सुबह के 06:00 बजे से लेकर शाम को 07:00 बजे रहता है।
पुरी बीच में प्रवेश शुल्क | Puri Beach Entry Fee in Hindi
प्रवेश निःशुल्क।
सुदर्शन क्राफ्ट संग्रहालय पुरी – Sudarshan Craft Museum Puri in Hindi
पुरी में सुदर्शन क्राफ्ट संग्रहालय की स्थापना 1977 में श्री सुदर्शन साहू ने की थी। इस क्राफ्ट संग्रहालय के निर्माण का मुख्य कारण ओडिशा और पुरी की प्राचीन और स्थानीय लोक कला को संजो कर रखना है। सुदर्शन क्राफ्ट संग्रहालय कला प्रेमियों के लिए ओडिशा की स्थानीय लोक कला और हस्तकला को नजदीक से देखने और समझने की सबसे उपयुक्त जगह है।
सुदर्शन क्राफ्ट संग्रहालय में आने वाले कला प्रेमियों और पर्यटकों के लिए पत्थर, लकड़ी, हस्तकला से निर्मित वस्तुएँ, फाइबर ग्लॉस से निर्मित वस्तुएं और नक्काशीदार चित्रों के संग्रह को प्रदर्शित किया गया है। सुदर्शन क्राफ्ट संग्रहालय में निर्मित अधिकांश वस्तुएँ सुदर्शन साहू के द्वारा बनाई गई है। संग्रहालय में ओडिशा से जुड़ी हुई कलाकृतियों के अलावा एक जापानी शैली में निर्मित मंदिर, पुस्तकालय और कार्यशाला को भी देखा जा सकता है।
अगर पर्यटक और कला प्रेमी संग्रहालय से कुछ खरीदना चाहे तो संग्रहालय में धातु से बनी हुई मूर्तियाँ और महीन नक्काशी किये हुए पत्थर को उचित मूल्य देकर खरीद सकते है। सुदर्शन क्राफ्ट संग्रहालय कला क्षेत्र में उभरते हुए नए कलाकारों को अपनी कला को प्रदर्शित करने के लिए एक उचित मंच भी प्रदान करता है।
सुदर्शन क्राफ्ट संग्रहालय पुरी देखने का समय – Sudarshan Craft Museum Puri Timings in Hindi
सुदर्शन क्राफ्ट संग्रहालय सप्ताह में शनिवार और रविवार को छोड़ कर सप्ताह के बाकी दिन खुला रहता है। यह संग्रहालय सुबह 08:00 बजे से लेकर दोपहर के 12:00 बजे तक और दोपहर के 02:00 बजे से लेकर रात को 08:00 बजे तक पर्यटकों के लिए खुला रहता है।
सुदर्शन क्राफ्ट संग्रहालय पुरी में प्रवेश शुल्क – Sudarshan Craft Museum Puri Entry Fee in Hindi
सुदर्शन क्राफ्ट संग्रहालय में भारतीय पर्यटकों से प्रवेश शुल्क 05 रुपये और विदेशी पर्यटकों से प्रवेश शुल्क 50 रुपये लिया जाता है।
लोकनाथ मंदिर पुरी – Loknath Temple Puri in Hindi
पुरी में स्थित लोकनाथ मंदिर भगवान शिव को समर्पित सबसे प्राचीन मंदिर है। लोकनाथ मंदिर ओडिशा के सबसे प्रमुख शिव मंदिरों में से एक माना जाता है। 11वीं शताब्दी में निर्मित लोकनाथ मंदिर के अंदर स्थापित शिवलिंग से जुड़ी हुई पौराणिक कथा के अनुसार स्वयं भगवान राम ने इस शिवलिंग की स्थापना की थी। कहा जाता है की भगवान राम सीतामाता की खोज करते हुए इस स्थान पर आये थे।
इस स्थान पर पहुंचने पर भगवान राम को शिव जी के दर्शन करने की इच्छा होती है तो वह इस स्थान पर भगवान शिव की आराधना करने बैठ जाते है। उसी समय पास के सबरपल्ली गांव के लोगों को जब भगवान राम के बारे में पता चलता है तो वह लोग शिवलिंग की प्रतिकृति के रूप में लौकी (कद्दू) लेकर आते है। उसके बाद भगवान राम उस लौकी को शिवलिंग के रूप में स्थापित करके के भगवान शिव की पूजा करते है।
उस समय के बाद से जिस स्थान पर भगवान राम ने शिव जी की पूजा की थी उसे लुकानाथ कहा जाने लगा और आगे चल कर लुकानाथ का नाम बदलकर लोकनाथ हो गया। लोकनाथ मंदिर में स्थापित शिवलिंग हमेशा जलमग्न ही रहता है इस कारण ऐसा माना जाता है माँ गंगा भगवान शिव के शिवलिंग के ऊपर से धारा के रूप में बहती रहती है। लोकनाथ मंदिर में शिवलिंग के दर्शन सिर्फ शिवरात्रि से पहले आने वाली पिंगोधर एकादशी के समय ही किये जा सकते है।
उस दिन कुछ समय के लिए शिवलिंग को जल से बाहर निकाला जाता है। पिंगोधर एकादशी के दिन लोकनाथ मंदिर में हजारों की संख्या में भक्त शिवलिंग के दर्शन करने के लिए मंदिर आते है। ऐसा माना जाता है की शिवलिंग के दर्शन करने पर स्वास्थ्य से जुड़ी सभी तरह की समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है। गुंडिचा मंदिर की ही तरह लोकनाथ मंदिर भी चार भागों में बंटा हुआ है जिन्हें – नटमंडप, विमना, भोगमंडप और जगमोहन के नाम से जाना जाता है।
मुख्य मंदिर पत्थरों से बना हुआ है और जमीन से लगभग 30 फ़ीट ऊपर उठा हुआ है। मंदिर की दीवारों पर हिन्दू धर्म के अलग-अलग देवी-देवताओं की मूर्तियाँ बनाई गई है। मंदिर के भीतरी भाग में एक छोटा मंदिर और बना हुआ है जिसमे सूर्यनारायण भगवान और चंद्रनारायण भगवान की मूर्तियाँ को रखा गया है। मंदिर परिसर में स्थित सत्यनारायण मंदिर के अंदर भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी के अलावा पीतल से बनी हुई मूर्तियों को भी स्थापित किया गया है।
लोकनाथ मंदिर में श्रावण सोमवार के समय बहुत बड़ा मेला लगता है जिस स्थानीय निवासियों और श्रद्धालुओं द्वारा बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है की लोकनाथ मंदिर में स्थापित शिवलिंग श्री जगन्नाथ मंदिर के खजाने और सोने के आभूषणों के संरक्षक है इसलिए जगन्नाथ मंदिर परिसर में लोकनाथ की उत्सव मूर्ति को स्थापित किया गया है।
लोकनाथ मंदिर पुरी में दर्शन का समय – Loknath Temple Puri Timings in Hindi
श्रद्धालु और पर्यटक लोकनाथ मंदिर में सुबह 05:00 बजे से लेकर शाम को 08:00 बजे तक दर्शन करने के लिए जा सकते है।
लोकनाथ मंदिर पुरी में प्रवेश शुल्क – Loknath Temple Puri Entry Fee in Hindi
प्रवेश निःशुल्क।
बाल्घई बीच पुरी – Balghai Beach Puri in Hindi
बाल्घई बीच पुरी शहर की भागदौड़ से एकदम अलग है और इस बीच पर पुरी बीच की अपेक्षा बहुत कम भीड़ रहती है। पुरी बीच की ही तरह बाल्घई बीच भी पुरी का एक प्राचीन समुद्र तट है। पुरी से कोणार्क की तरफ जाने वाली सड़क को कोणार्क मरीन ड्राइव कहा जाता है। मरीन ड्राइव के दूसरी तरफ जहाँ नुआई नदी बंगाल की खाड़ी में आकर गिरती है उसी स्थान पास में बाल्घई बीच स्थित है।
पुरी शहर से बाल्घई बीच की दूरी मात्र 8 किलोमीटर है। बाल्घई बीच भी भारत के सबसे साफ सुथरे समुद्र तटों में से एक है। पुरी बीच की तरह इस बीच की मिट्टी भी एकदम सफेद है। बीच नीलगिरी, अलास्का और कैसुरीना पेड़ो से घिरा हुआ है इस वजह से बीच की खूबसूरती और भी बढ़ जाती है। बाल्घई बीच से सूर्योदय और सूर्यास्त को देखना एक अलग ही अनुभव प्रदान करता है।
समुद्र के पानी सूर्य की लालिमा एक अलग ही सुखद अनुभव देती है। ओलिव रिडले कछुए देखने के लिए बाल्घई बीच सबसे उपयुक्त जगह है। दिसंबर और जनवरी के महीने में ओलिव रिडेल प्रजाति के कछुए प्रजनन करने के लिए बाल्घई बीच के किनारे पर आते है। वानस्पतिक रूप से समृद्ध होने की वजह से सर्दियों के मौसम में प्रवासी पक्षियों को भी बाल्घई बीच के किनारे पर देखा जा सकता है।
बाल्घई बीच पर पर्यटकों के मनोरंजन के लिए वाटर स्कीइंग, नाव की सवारी और पेरासेलिंग की सुविधा भी उपलब्ध है। बाल्घई बीच के पास में स्थित बालीहिराना हिरण अभ्यारण्य देखने के लिए भी जा सकते है। अभ्यारण्य में भारतीय ब्लैक बक और लुप्तप्राय बालीहिराना हिरण देख सकते है। बीच से थोड़ी ही दूरी पर सी टर्टल रिसर्च सेंटर बनाया गया है। रिसर्च सेंटर में विभिन्न प्रकार के कछुओं को देखा जा सकता है।
बाल्घई बीच पुरी देखने का समय – Balghai Beach Puri Timings in Hindi
पर्यटक बाल्घई बीच पर सुबह 06:00 बजे से लेकर शाम को 06:00 बजे तक घूमने के लिए जा सकते है।
बाल्घई बीच पुरी में प्रवेश शुल्क – Balghai Beach Puri Entry Fee in Hindi
प्रवेश निःशुल्क।
अलारनाथ मंदिर पुरी – Alarnath Temple Puri in Hindi
पूरी के पास स्थित अलारनाथ मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित एक प्राचीन मंदिर है। अलारनाथ मंदिर पुरी से 22 किलोमीटर दूर ब्रह्मगिरि में बना हुआ ओडिशा में स्थित भगवान विष्णु के सबसे प्रमुख प्राचीन मंदिरों में से एक है। अलारनाथ मंदिर किसी धार्मिक पर्यटन स्थल के हिसाब से बहुत ज्यादा प्रसिद्ध नहीं है। लेकिन भगवान विष्णु में आस्था रखने वाले सभी श्रद्धालु पूरे साल अलारनाथ मंदिर के दर्शन करने के लिए आते रहते है।
ऐसा विश्वास है की अलारनाथ मंदिर की निर्माण पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर से भी दो सौ वर्ष पहले हुआ था। मंदिर निर्माण से जुड़ी पौराणिक कथा के अनुसार कहा जाता है की जब भगवान ब्रम्हा इस जगह पर आये थे तो उन्होंने एक पहाड़ की चोटी पर भगवान विष्णु की पूजा की थी। इतिहासकारों के अनुसार राजस्थान के अलवर जिले के तत्कालीन शासकों ने इस स्थान पर अलारनाथ मंदिर का निर्माण करवाया था।
इसी वजह से इस मंदिर को अलारनाथ मंदिर या फिर अलवरनाथ मंदिर के नाम से जाना जाता है। अलारनाथ मंदिर और उड़ीसा के चैतन्य महाप्रभु की जगन्नाथ यात्रा से जुड़ा हुआ प्रसंग यहाँ पर बहुत प्रसिद्ध है। एक बार चैतन्य महाप्रभु जब अपने पुरी प्रवास पर थे तो वह नित्य भगवान श्री जगन्नाथ के दर्शन करने के लिए करने के लिए जगन्नाथ मंदिर में जाया करते थे।
उन्ही दिनों भगवान जगन्नाथ और उनके भाई, बहन के विग्रह को 15 दिन की अन्नवारा अवधि के समय मंदिर के एक गुप्त कक्ष में रख दिया जाता है। गुप्त कक्ष में भगवान के विग्रह को स्थापित करने की वजह से चैतन्य महाप्रभु भगवान जगन्नाथ के दर्शन करने में असमर्थ थे।
पता करने पर किसी उन्हें सुझाव दिया की अगर वह अन्नवारा अवधि के समय भगवान जगन्नाथ के दर्शन करने की जगह ब्रह्मगिरि में स्थित अलारनाथ मंदिर में स्थापित भगवान की पूजा करते है तो भी उन्हें जगन्नाथ भगवान का आशिर्वाद प्राप्त होता है। इसीलिए लिए आज भी अन्नवारा अवधि के समय जितने भी श्रद्धालु भगवान जगन्नाथ के दर्शन करने में असमर्थ होते है वह सभी लोग इस दौरान अलारनाथ मंदिर के दर्शन करने के लिए जाते है।
अन्नवारा अवधि के समय अलारनाथ मंदिर में हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ भगवान का आशिर्वाद प्राप्त करने के लिए इकट्ठी होती है। अलारनाथ मंदिर में भगवान विष्णु का विग्रह अपने चारों हाथों में चक्र, शंख, गदा और पद्म को धारण किये हुए है। भगवान विष्णु के चरणों में उनके वाहन गरुड़ की प्रतिमा को भी स्थापित किया गया है।
भगवान विष्णु के अलावा मंदिर परिसर में चैतन्य महाप्रभु, सत्यभामा और रुक्मिणी की मूर्तियां भी स्थापित की गई है। अलारनाथ नाथ मंदिर के पीछे बनी हुई झील में प्रतिवर्ष 21 दिनों के लिए चंदन यात्रा का आयोजन किया जाता है।
अलारनाथ मंदिर पुरी में दर्शन का समय – Alarnath Temple Puri Timings in Hindi
अलारनाथ मंदिर में श्रद्धालु सुबह 06:00 बजे से लेकर रात को 09:00 बजे तक दर्शन कर सकते है।
अलारनाथ मंदिर पुरी में प्रवेश शुल्क – Alarnath Temple Puri Entry Fee in Hindi
प्रवेश निःशुल्क।
मार्कंडेश्वर मंदिर पुरी – Markendeshwar Temple Puri in Hindi
पुरी में स्थित प्राचीन मार्कंडेश्वर मंदिर हिन्दू धर्म अनुयायियों के लिये एक प्रमुख तीर्थ स्थल के रूप में प्रसिद्ध है। यह मंदिर पुरी में मार्कंडेश्वर तालाब के पास में स्थित है। मार्कंडेश्वर मंदिर को पुरी के पंच तीर्थों में एक माना जाता है। मार्कंडेश्वर मंदिर को भारत में भगवान शिव के पवित्र बावन तीर्थ स्थलों में एक माना जाता है।
इतिहासिक प्रमाणों के अनुसार मार्कंडेश्वर मंदिर का निर्माण गंगवंश के शासकों द्वारा 12वीं शताब्दी के दौरान किया गया था। मंदिर से जुड़ी हुई पौराणिक कथा के अनुसार एक बार जब भगवान शिव ने ऋषि मार्केंडेय के प्राणों की रक्षा की थी। तब उसके बाद ऋषि मार्केंडेय ने इस स्थान पर भगवान शिव के मंदिर का निर्माण करवाया था।
मार्कंडेश्वर मंदिर, जगन्नाथ मंदिर में आयोजित किये जाने वाले धार्मिक अनुष्ठानों जैसे बलभद्र जनमा, शीतल सस्ति, चंदन यात्रा और कालियालय से जुड़ा हुआ है। मार्कंडेश्वर मंदिर के पास स्थित मार्केंडेय तालाब का उपयोग धार्मिक अनुष्ठानों और स्नानादि के लिए किया जाता है।
मार्कंडेश्वर मंदिर पुरी में दर्शन का समय – Markendeshwar Temple Puri Timings in Hindi
मार्कंडेश्वर मंदिर में श्रद्धालु सुबह के 06:00 बजे से लेकर शाम को 07:00 बजे तक दर्शन कर सकते है।
मार्कंडेश्वर मंदिर पुरी में प्रवेश शुल्क – Markendeshwar Temple Puri Entry Fee in Hindi
प्रवेश निःशुल्क।
पुरी में स्थानीय भोजन – Puri Famous Food in Hindi
पुरी हिन्दू धर्म के चार प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है, और भारत के ओडिशा राज्य का एक प्रमुख शहर भी है। एक धार्मिक स्थल होने के साथ-साथ पुरी के हिन्द महासागर में बंगाल की खाड़ी के समुद्र तट पर स्थित होने की वजह से की वजह से पूरी में खाने से जुड़े से अनेक प्रकार के स्थानीय व्यंजन और समुद्री भोजन (मांसाहार) के प्रकार श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए उपलब्ध है।
पुरी के समुद्र तट पर श्रद्धालुओ और पर्यटकों के लिए ढ़ेर सारे छोटे और बड़े रेस्टोरेंट बने हुए है। समुद्र तट के अलावा पुरी में जगन्नाथ मंदिर के आसपास बहुत सारे भोजनालय भी बने हुए है। पुरी में ओडिशा के स्थानीय खाने के अलावा भारत के अलग-अलग क्षेत्रों के भोजन के प्रकार भी उपलब्ध है।
पुरी में आने वाले पर्यटकों और श्रद्धालुओं को भगवान जगन्नाथ के लगने वाले भोग (महाप्रसाद) को जरूर खाना चाहिए। भोग के अलावा पुरी आने पर आपको मालपुआ, छेना-पोर, खिचड़ी, उखड़ा, दालमा, अबाधा, संतुला, चूंगडी मलाई, पीठा, रसाबलि और माचा-चंचेड़ा जरूर खाना चाहिए।
पुरी का स्थानीय बाजार – Puri Local Market in Hindi
पुरी के स्थानीय बाजारों में पर्यटकों और श्रद्धालुओं के लिए स्थानीय हस्तशिल्प,धातु, बांस और मनके से बनी हुई वस्तुओं को खरीदने के लिए ढ़ेर सारे विकल्प उपलब्ध है। एक धार्मिक पर्यटक स्थल होने की वजह से पुरी के स्थानीय बाजार में श्री जगन्नाथ भगवान और कृष्ण भगवान के चित्र और मूर्तियाँ मुख्य रूप से बेचे जाते है।
पुरी में सबसे ज्यादा भगवान जगन्नाथ के साथ उनके बड़े भाई बलभद्र और छोटी बहन सुभद्रा के चित्र और मूर्तियाँ बना कर बेची जाती है। पुरी में छोटे पत्तों पर की जाने वाली चित्रकारी भी बहुत प्रसिद्ध है। छोटे पत्तों पर की जाने वाली चित्रकारी को पट्टाचित्र कहा जाता है। इन छोटे पत्तों पर मुख्य रूप से जगन्नाथ भगवान और कृष्ण भगवान के चित्र बनाये जाते है।
पुरी में परंपरागत तरीके से और हाथों से बनी हुई साड़ियां भी बहुत प्रसिद्ध है। बोम्काई, उत्तम पासपली और इकत-शैली में बनी हुई साड़ियां पर्यटकों द्वारा विशेष रूप से पसंद की जाती है। इकत शैली से बनी हुई साड़ियां और सोने की कढ़ाई से बनी हुई साड़ियों के लिए पुरी में ओडिशा हैंडीक्राफ्ट एम्पोरियम सबसे उपयुक्त स्थानों में से एक है।
जगन्नाथ मंदिर के मुख्य परिसर में स्थित आनंद बाजार में हस्तशिल्प, धार्मिक वस्तुओं, शंख और अलग-अलग प्रकार के मोतियों से बनी हुई माला को खरीदने के लिए सबसे उपयुक्त स्थान है। पुरी बीच पर स्थानीय निवासियों द्वारा घर के सजावट से जुड़े हुए सामान बेचे जाते है। बीच पर से पर्यटक लैंपशेड, बेडशीट, हैंडबैग, कुशन, दर्पण, छतरियाँ और वॉल हैंगिग्स खरीद सकते है। बीच पर स्थित दुकाने पर से सामान खरीदते समय मोलभाव जरूर करें।
पुरी में होटल – Hotels in Puri in Hindi
एक प्रसिद्ध धार्मिक पर्यटक स्थल होने की वजह से पुरी में बहुत सारे छोटे-बड़े होटल्स और निजी धर्मशालायें बनी हुई है। पुरी में हिन्दू धर्म से जुड़े हुए अलग-अलग सम्प्रदायों और जातियों के लोगों ने भी बहुत सारी धर्मशालाओं का निर्माण करवा रखा है, इन धर्मशालाओं में श्रद्धालु बहुत कम शुल्क देकर पुरी में रुक सकते है।
पुरी में बनी हुई धर्मशालाओं में खाने की भी बहुत अच्छी सुविधा उपलब्ध रहती है। पुरी में स्थित लगभग सभी होटल्स ऑनलाइन होटल बुकिंग वेबसाइट पर उपलब्ध है। ऑनलाइन होटल बुकिंग वेबसाइट पर पूरे साल अलग-अलग तरह के डिस्काउंट ऑफर आते रहते है। इन ऑफर को अप्लाई करके आप पुरी में स्थित होटल्स में भी बहुत कम कीमत पर रुक सकते है।
पुरी कैसे पहुंचे | How To Reach Puri in Hindi
हवाई मार्ग से कैसे पहुंचे | How To Reach Puri By Air in Hindi
भुवनेश्वर का बीजू पटनायक हवाई अड्डा पुरी के सबसे नजदीकी हवाई अड्डा है। बीजू पटनायक हवाईअड्डे की पुरी से दुरी मात्र 60 किलोमीटर है। भुवनेश्वर का हवाईअड्डा भारत के प्रमुख हवाई अड्डों से बहुत अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।
अगर आप किसी दूसरे देश से पुरी की यात्रा कर रहे है तो बंगाल में कोलकाता का नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा सबसे उपयुक्त रहेगा। कोलकाता के नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से पुरी की दुरी मात्र 512 किलोमीटर है।
रेल मार्ग से कैसे पहुंचे | How To Reach Puri By Rail in Hindi
भारत का एक प्रमुख धार्मिक स्थल होने की वजह से पुरी लगभग पुरे भारत से रेल मार्ग द्वारा बहुत अच्छी तरह से जुड़ा है। भारत के लगभग सभी राज्यों के प्रमुख शहरों से पूरी के लिए नियमित रेल सेवा उपलब्ध रहती है।
सड़क मार्ग से कैसे पहुंचे | How To Reach Puri By Road in Hindi
पुरी भारत के राष्ट्रीय राजमार्ग द्वारा ओडिशा के भुवनेश्वर और कटक जैसे शहरों से बहुत अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। अगर आप अपने निजी वाहन लेकर पूरी आना चाहते है तो आप सड़क मार्ग द्वारा बहुत आराम से पूरी पहुँच सकते है।
ओडिशा के कई प्रमुख शहरों से पूरी के लिए नियमित बस सेवा उपलब्ध रहती है, आप टैक्सी और कैब के द्वारा भी पुरी बहुत आराम से पहुँच सकते है।
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