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    Home»Language»Hindi»हरिद्वार के 11 दर्शनीय स्थल 2024 | 11 Tourist Places To Visit in Haridwar in Hindi 2024
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    हरिद्वार के 11 दर्शनीय स्थल 2024 | 11 Tourist Places To Visit in Haridwar in Hindi 2024

    18 Mins Read

    हरिद्वार के 11 दर्शनीय स्थल 2024 | 11 Tourist Places To Visit in Haridwar in Hindi 2024 | 11 Best Places to Visit in Haridwar in Hindi 2024 | Things to Do in Haridwar in Hindi | Best Time to Visit in Haridwar | Haridwar Travel Guide in Hindi 2024

    हरिद्वार का इतिहास – History of Haridwar in Hindi

    हरिद्वार के लिए अंग्रेजी भाषा में एक नाम बहुत ज्यादा प्रचलित है “The Gateway To God”। भारत में हिन्दू धर्म की आस्था का सबसे बड़ा केंद्र हरिद्वार। हरि और द्वार इन दो शब्दों को मिला कर इस पवित्र हिंदू तीर्थ स्थल का नाम हरिद्वार रखा गया है। हरि का मतलब होता है ईश्वर और द्वार का मतलब होता है दरवाजा।

    और इन दोनों शब्दों का एक साथ जोड़ने पर इसका मतलब निकलता है ईश्वर के घर का प्रवेश द्वार। प्राचीन भारत के इतिहास में इस जगह का नाम गंगाद्वार ज्यादा सुना पढ़ा जाता है, और गंगाद्वार के अलावा भी इस जगह को अनेक नामों से पुकारा जाता था।  पौराणिक कथाओं के अनुसार समुद्र मंथन के उपरांत जब भगवान धन्वंतरि इस जगह से अमृत कलश लेकर गुजर रहे थे तो अमृत की कुछ बूंदे इस स्थान पर गिर गई थी।

    ऐसा माना जाता है की अमृत कलश से अमृत की बूंदे भारत के चार अलग-अलग स्थानों पर गिरी थी – हरिद्वार, उज्जैन, नासिक और प्रयागराज। भारत में प्रति 12 वर्ष में एकबार होने वाले महाकुंभ का आयोजन इन्ही चारों पवित्र स्थानों बारी-बारी से होता है।

    आज दुनिया के विकसित देश अपने देश के नागरिकों का डाटा इकट्ठा करने में एक बहुत बड़ी धन राशि को खर्च करने में लगे हुए है लेकिन हरिद्वार एक ऐसा स्थान है जहाँ पर हर एक हिन्दू परिवार की वंशावली का पूरा ब्यौरा आज भी उपलब्ध हो जाएगा। सदियों से हरिद्वार में हिन्दू धर्म का पालन करने वाले लोग अपने परिजन की मृत्यु के बाद उसकी मोक्ष प्राप्ति के लिए हरिद्वार में अस्थि विषर्जन करने के लिये आते है।

    अस्थि विषर्जन के लिये आये हुए हिन्दू परिवार से हरिद्वार में रहने वाले उनके पारिवारिक पुजारी उनसे उनके परिवार के अन्य सदस्यों की जानकारी लेकर एक खाते में लिख लेते है इस प्रकार हिंदू परिवारों की वंशावली का पारिवारिक ब्यौरा इकट्ठा करने की यह अदभुत प्रक्रिया आज भी सतत रूप से चल रही है।

    अगर आप एक हिन्दू है और आप को अपने वंशजो के बारे में पता करना है तो आप को सिर्फ अपने पारिवारिक पुजारी का नाम पता होना चाहिए और हरिद्वार में आप का काम हो जाएगा।

    हरिद्वार में घूमने की सबसे अच्छी जगह – Places to visit in Haridwar in Hindi

    हर की पौड़ी हरिद्वार – Har ki Pauri Haridwar in Hindi

    Har Ki Paudi Haridwar

    हरिद्वार में बहती हुई पवित्र गंगा नदी के किनारे पर यूं तो कई घाट बने हुई है लेकिन हर की पौड़ी यहां का सबसे व्यस्तम घाट है। इस जगह से जुड़ी हुई पौराणिक कथा के अनुसार भगवान श्री विष्णु के पावँ इस जगह पड़े हुए है इसलिए इस स्थान को हर की पौड़ी कहा जाता है, यहां घाट पर  एक चट्टान के ऊपर पैर के निशान बने हुए है ऐसा माना जाता है की यह भगवान श्री विष्णु के पैरों के निशान है।

    एक और कथा के अनुसार हरिद्वार में जो अमृत कलश से बूंदे गिरी वो हरिद्वार के इसी स्थान पर गिरी थी इसीलिए हर की पौड़ी को ब्रम्हा कुंड भी कहा जाता है। पूरे साल हर की पौड़ी में श्रद्धालुओं और अपने परिजन की अस्थि विषर्जन के लिए आये हुए लोगों की भीड़ देखने को मिल जाएगी।

    शाम को 4 बजे से शुरू होने वाली गंगा आरती हर की पौड़ी का विशेष आकर्षण केंद्र है, घाट पर होने वाली आरती की अवधि ढाई घंटे की है। यहाँ होने वाली गंगा आरती के समय आप को यहां पर एक अलग ही ऊर्जा का अनुभव होता है। गंगा आरती के बाद घाट पर बने हुए वाक वे पर घूमने का भी एक अलग ही आनंद है।

    मनसा देवी मन्दिर हरिद्वार – Mansa Devi Temple Haridwar in Hindi


    Mansa Devi Temple Haridwar | Click on Image For Credits

    एक पौराणिक धार्मिक नगरी होने की वजह से हरिद्वार के आसपास के क्षेत्र में हिन्दू धर्म के कई देवी-देवताओं के प्राचीन और प्रसिद्ध मन्दिर बने हुए है। मनसा देवी का मन्दिर हरिद्वार के सबसे ज्यादा प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है, मान्यता के अनुसार मनसा देवी भगवान शिव की मानस पुत्री है इसलिये इन्हें मनसा देवी कह कर पुकारा जाता है।

    मनसा देवी के प्रादुर्भाव से जुड़ी हुई एक पौराणिक कथा और भी सुनी जाती है कहा जाता है की ऋषि कश्यप केमस्तक से मनसा देवी का जन्म हुआ। मनसा देवी सबसे ज्यादा नाग देवी के रूप में पूजी जाती है। हरिद्वार से मनसा देवी मंदिर कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

    प्रति वर्ष यहाँ लाखों के संख्या में श्रद्धालु मनसा देवी के दर्शन करने आते है, यहाँ आने वाले श्रद्धालुओं में मनसा देवी के प्रति अटूट भक्ति भावना देखने को मिलती है। मनसा देवी मंदिर तक पहुंचने के दो रास्ते बने हुए है पहला रास्ता पैदल रास्ता है जिसमे आप को पैदल पहाड़ की चढ़ाई करनी पड़ेगी जो की थोड़ा थकाने वाली यात्रा हो सकती है, दूसरा रास्ता है रोप-वे से मनसा देवी मंदिर तक जाने का रास्ता जो की मंदिर तक पहुंचने का सबसे आसान रास्ता है।

    मनसा देवी मंदिर हरिद्वार में दर्शन का समय – Mansa Devi Temple Haridwar Timings in Hindi

    श्रद्धालु और पर्यटक सुबह 7:00 बजे से लेकर शाम को 7:00 बजे तक मंदिर में दर्शन कर सकते है। दोपहर के 12:00 बजे से लेकर 2:00 बजे तक मनसा देवी मंदिर के दर्शन बंद रहते है।

    मनसा देवी मंदिर हरिद्वार में प्रवेश शुल्क – Mansa Devi Temple Haridwar Entry Fee in Hindi

    प्रवेश निःशुल्क।

    मनसा देवी मंदिर हरिद्वार में रोपवे टिकट प्राइस – Mansa Devi Temple Haridwar Rope way Ticket Price in Hindi

    रोप-वे से आने जाने का शुल्क 122/- रुपये लिया जाता है।

    मनसा देवी मंदिर हरिद्वार में रोपवे की समय सारणी – Mansa Devi Temple Haridwar Ropeway Timings in Hindi

    रोप-वे अप्रैल से अक्टूबर महीने में सुबह 6:30 बजे से लेकर शाम 5:00 बजे तक चलते है, और नवंबर से लेकर मार्च महीने में सुबह 8:30 बजे से लेकर शाम को 5:00 बजे तक चलते है।

    चंडी देवी मंदिर हरिद्वार – Chandi Devi Mandir Haridwar in Hindi


    Chandi Devi Temple Haridwar | Click on Image For Credits

    पौराणिक काल में जब शुम्भ और निशुम्भ नाम के दो राक्षसों द्वारा स्वर्ग लोक पर अधिकार कर लिया जाता है तो स्वर्ग के देवता आदि शक्ति माँ पार्वती प्रसन्न करने के लिए पूजा करते है, देवताओं की पूजा प्रसन्न होकर माँ पार्वती चंडी के रूप में आकर शुम्भ और निशुम्भ का वध करती है। दोनों राक्षसों का वध करने के बाद चंडी देवी हिमालय के शिवालिक पर्वत श्रृंखला में स्थित निल पर्वत पर कुछ समय के लिए विश्राम करती है।

    ऐसा माना जाता है की इस पौराणिक घटनाक्रम के बाद निल पर्वत पर चंडी देवी की पूजा अर्चना शुरू कर दी गई। हरिद्वार से 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित चंडी देवी मंदिर में देवी की मूर्ति स्थापना 8वीं शताब्दी में आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा की गई, और चंडी देवी के वर्तमान मंदिर का निर्माण 1929 में कश्मीर के तत्कालीन शासक महाराजा सुच्चत सिंह द्वारा करवाया गया।

    चंडी देवी मन्दिर तक जाने के दो रास्ते है एक पैदल मार्ग और दूर रोप-वे। पैदल मार्ग से जाने पर आप को मंदिर तक पहुंचने के लिये 3 किलोमीटर के चढ़ाई चढ़नी पड़ेगी जो की आप के लिए एक थकाने वाला अनुभव हो सकता है लेकिन साथ में ही आप को निल पर्वत से मैदानों में बहती हुई पवित्र गंगा नदी के बहुत ही सुंदर दृश्य दिखाई देते है।

    मनसा देवी मंदिर की भांति चंडी देवी मंदिर में पूरे वर्ष लाखों की संख्या में श्रद्धालु और पर्यटकों के आने जाने का तांता लगा रहता है।

    चंडी देवी मंदिर हरिद्वार में दर्शन का समय – Chandi Devi Temple Haridwar Timings in Hindi

    सुबह 6:00 बजे से लेकर रात को 8:00 बजे तक।

    चंडी देवी मंदिर हरिद्वार में प्रवेश शुल्क – Chandi Devi Temple Haridwar Entry Fee in Hindi

    प्रवेश निःशुल्क।

    चंडी देवी मंदिर हरिद्वार में रोप वे टिकट प्राइस – Chandi Devi Temple Haridwar Rope way Ticket Price in Hindi

    रोप-वे से ऊपर जाने और नीचे आने के लिए 200/- रुपये प्रति व्यक्ति लिया जाता है।

    चंडी देवी मंदिर हरिद्वार में रोपवे की समय सारणी – Chandi Devi Temple Haridwar Rope way Ticket Price in Hindi

    सुबह 08:30 बजे से शाम 06:00 बजे तक।

    माया देवी मंदिर हरिद्वार – Maya Devi Temple Haridwar in Hindi


    Maya Devi Temple Haridwar | Click on Image For Credits

    हरिद्वार में स्थित माया देवी मंदिर हरिद्वार की अधिष्ठात्री देवी माया का मंदिर है। इस प्राचीन मंदिर से जुड़ी हुई पौराणिक कथा के अनुसार राजा दक्ष की पुत्री देवी सती इसी स्थान पर सती हुई थी और उनके सती होने के बाद भगवान शिव जब उन्हें लेकर जा रहे थे तो उनके हृदय और नाभि इस स्थान के आसपास गिरे थे जहाँ पर आज माया देवी का प्राचीन मंदिर बना हुआ है।

    हरिद्वार में तीन सबसे प्राचीन मंदिर आज भी मौजूद है नारायण-शिला मंदिर, भैरव मंदिर और माया देवी मंदिर।  माया देवी मंदिर का निर्माण 11वीं शताब्दी में करवाया गया था। मंदिर में स्थापित माया देवी की मूर्ति पर तीन सिर और चार हाथ बने हुए है। मंदिर में स्थापित मूर्ति के मध्य में स्थित मुख को माया देवी, बाईं और के मुख को माँ काली तथा दाईं और के मुख को कामाख्या देवी के रूप में पूजा जाता है।

    इस प्राचीन माया देवी मंदिर में देवी को शक्ति के रूप में पूजा जाता है। हर की पौड़ी के पूर्वी भाग में स्थित माया देवी की हरिद्वार रेलवे स्टेशन से दूरी मात्र 600 मीटर की है। नवरात्रि के समय माया देवी मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ ज्यादा रहती है।

    माया देवी मंदिर हरिद्वार में दर्शन का समय – Maya Devi Temple Haridwar Timings in Hindi

    सुबह 6:30 बजे से लेकर रात को 9:00 बजे तक माया देवी मंदिर में दर्शन किये जा सकते है। दोपहर के 12:00 बजे से लेकर 3:00 बजे तक मंदिर दर्शन के लिए बंद रहता है।

    माया देवी मंदिर हरिद्वार में प्रवेश शुल्क – Maya Devi Temple Haridwar Entry Fee in Hindi

    प्रवेश निःशुल्क।

    वैष्णो देवी मन्दिर हरिद्वार – Vaishno Devi Temple Haridwar in Hindi


    Vaishno Devi Temple Haridwar | Click on Image For Credits

    हरिद्वार में स्थित वैष्णो देवी मंदिर का निर्माण अभी 10 वर्ष पहले ही हुआ है लेकिन अपनी बनावट और सुंदर वास्तुकला के कारण यह मंदिर श्रद्धालुओं और पर्यटकों में बहुत जल्द प्रसिद्ध हो गया है। हरिद्वार रेलवे स्टेशन से वैष्णो देवी मंदिर की दूरी मात्र 5.6 किलोमीटर है मंदिर तक जाने के लिए आपको स्टेशन से आसानी से ऑटोरिक्शा मिल जाएगा।

    हरिद्वार में बने हुए वैष्णो देवी मंदिर को जम्मू के कटरा में स्थित प्राचीन वैष्णो देवी मंदिर की प्रतिकृति के जैसा बनाया गया है। हरिद्वार में वैष्णो देवी के दर्शन करने के लिए मंदिर में मानव निर्मित गुफा बनाई गई है ताकि यहाँ आने वाले पर्यटकों और श्रद्धालुओं को वास्तविक वैष्णो देवी मंदिर के जैसे अनुभूति हो, मंदिर के गृभगृह तक बनाई गई गुफा को प्राकृतिक रूप देने का भरपूर पूरा प्रयास किया गया है और इसमें मंदिर निर्माता काफी हद तक सफल भी हुए है।

    वैष्णो देवी मंदिर हरिद्वार में दर्शन का समय – Vaishno Devi Temple Haridwar Timings in Hindi

    श्रद्धालु और पर्यटक सुबह 8:00 बजे से लेकर शाम को 8:00 बजे तक वैष्णो देवी के दर्शन कर सकते है।

    वैष्णो देवी मंदिर हरिद्वार में प्रवेश शुल्क – Vaishno Devi Temple Haridwar Entry Fee in Hindi

    मंदिर में किसी भी प्रकार का प्रवेश शुल्क नहीं लिया जाता है।

    भारत माता मन्दिर हरिद्वार – Bharat Mata Temple Haridwar in Hindi


    Bharat Mata Temple Haridwar | Click on Image For Credits

    हरिद्वार में स्थिति भारत माता मंदिर एक पौराणिक मंदिर नहीं है, बल्कि यह मंदिर भारत के संतो, स्वंतंत्रता सेनानियों, मातृ शक्ति और देश की रक्षा में बलिदान हुए शूरवीरों को समर्पित एक मंदिर है। भारत माता मंदिर हरिद्वार में गंगा नदी के पास सत सरोवर स्थान पर बना हुआ है।

    स्वामी नित्यानंद गिरी महाराज ने 1983 में इस आठ मंजिला मंदिर का निर्माण करवाया और तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने इस मंदिर का उद्धघाटन किया। भारत माता मंदिर में भारत माता की मूर्ति के अलावा इस मंदिर में संतो, स्वंतंत्रता सेनानियों, मातृ शक्ति और शूरवीरों की मूर्तियां भी बनी हुई है। भारत माता मन्दिर के आठों मंजिलों को अलग-अलग  भागों में बांटा गया है।

    पहली मंजिल पर भारत माता की मूर्ति स्थापित की गई है। दूसरी मंजिल पर देश की रक्षा में अपने प्राण देने वाले शूरवीरों को समर्पित शूर-मंदिर बनाया हुआ है। तीसरी मंजिल पर भारत की मातृ शक्ति को समर्पित मातृ-मंदिर बना हुआ है। चौथी मंजिल पर भारत के संत-महात्माओं को समर्पित मन्दिर बना हुआ है। पांचवी मंजिल पर देश की भौगोलिक सुंदरता और गौरवशैली इतिहास को दिखाया गया है।

    छठी मंजिल पर शक्ति-मंदिर बना हुआ है जिसमे आदि शक्ति के अलग-अलग रूप  की मूर्तियां स्थापित की गई है। सातवीं मंजिल पर भगवान विष्णु के दशावतारों को देखा जा सकता है और अंत में आठवीं मंजिल भगवान शिव को समर्पित है। हरिद्वार रेलवे स्टेशन से भारत माता मंदिर की दूरी 7 किलोमीटर है।

    मंदिर में किसी भी प्रकार की फोटोग्राफी पूरी तरह से निषेध है।

    भारत माता मंदिर हरिद्वार में दर्शन का समय – Bharat Mata Temple Haridwar Timings in Hindi

    भारत माता मंदिर सुबह 5:00 बजे से लेकर रात को 9:00 बजे तक पर्यटकों के लिए खुला रहता है।

    भारत माता मंदिर हरिद्वार में प्रवेश शुल्क – Bharat Mata Temple Haridwar Entry Fee in Hindi

    मंदिर में किसी भी प्रकार का प्रवेश शुल्क नहीं लिया जाता है।

    सप्तर्षि आश्रम / सप्त सरोवर हरिद्वार – Saptrishi Aashram / Saptsarovar Haridwar in Hindi

    Temple At Har Ki Paudi Haridwar

    भारत माता मंदिर के एकदम समीप स्थित सप्त सरोवर जगह है, इस जगह गँगा नदी सात अलग-अलग धाराओं में बंट जाती है। एक पौराणिक कथा के अनुसार पौराणिक काल में जब सप्त ऋषि एक साथ इस स्थान पर गहरी तपस्या में लीन थे तो उस समय गँगा नदी ने अपने आप को सात अलग-अलग धाराओं में विभाजित कर लिया ताकि उसके प्रवाह से सप्त ऋषियों की तपस्या में किसी प्रकार का व्यवधान उत्पन्न ना हो उस समय से इस स्थान को सप्त सरोवर के नाम से जाना जाता है।

    आज भी गँगा नदी इस स्थान से अलग-अलग धाराओं में बहती है। संत गोस्वामी गुरुदत्त ने 1943 में सप्त सरोवर के पास एक आश्रम की स्थापना भी की आज भी बहुत सारे साधु सन्यासी इस आश्रम में योग साधना करने के लिये आते है। गँगा नदी के किनारे बैठ मानसिक शांति और ध्यान लगाने के लिए सप्त सरोवर सबसे उपयुक्त जगह है।

    शान्तिकुंज हरिद्वार (गायत्री शक्ति पीठ) – Shanti Kunj Haridwar in Hindi (Gyatri Shakti Peeth)


    Shantikunj Haridwar | Click on Image For Credits

    हरिद्वार  से ऋषिकेष जाने के मार्ग पर स्थित शांतिकुंज गायत्री परिवार द्वारा संचालित एक समाज सेवी संस्था और आध्यात्म केंद्र है।  एक समाज सेवी संस्था होने के साथ साथ शांतिकुंज अखिल भारतीय गायत्री परिवार का मुख्यायल भी है। 1971 में गायत्री परिवार के  पंडित श्री राम आचार्य ने शांतिकुंज की स्थापना की थी।

    गायत्री परिवार से जुड़े हुए लोग शांतिकुंज को युगतीर्थ के नाम से भी जानते है, शांतिकुंज में समाज कल्याण से जुड़ी हुई अनेक गतिविधियों का आयोजन किया जाता है| आश्रम में शैक्षणिक संस्थाए  भी बनी हुई है इन शैक्षेणिक संस्थाओ में शिक्षा पर किसी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जाता है।

    शांतिकुंज में गायत्री माता का मन्दिर, हरीतिमा देवालय, अस्पताल एवं चिकित्सा-केन्द्र, यज्ञशाला, ज्ञान मंदिर (पुस्तक विक्रय केन्द्र), देव संस्कृति दिग्दर्शन प्रदर्शनी, अखण्ड दीप, ऋषियों के मन्दिर, शैक्षणिक संस्थान, वैज्ञानिक अध्यात्म अनुसन्धान केंद्र और देवात्मा हिमालय मन्दिर बने हुए है।

    शांतिकुंज में पुरे वर्ष अनेक आध्यात्म, ध्यान-योग  तथा अन्य गतिविधियों  से जुड़े हुए शिविरों का आयोजन किया जाता है , पुरे विश्व से लोग इन शिविर में भाग लेने के लिए  आते रहते है। हरिद्वार  से शांतिकुंज की दुरी मात्र 7 किलोमीटर है और शांतिकुंज देखने के लिए दिन के किसी भी समय जाया जा सकता है। आश्रम में किसी भी प्रकार का प्रवेश शुल्क नहीं लिया जाता है

    शांतिकुंज हरिद्वार में दर्शन का समय – Shantikunj Haridwar Timings in Hindi

    दिन के किसी भी समय।

    शांतिकुंज हरिद्वार में प्रवेश शुल्क – Shantikunj Haridwar Entry Fee in Hindi

    प्रवेश निःशुल्क।

    कनखल हरिद्वार – Kankhal Haridwar in Hindi


    Kankhal Town Old Painting | Click on Image For Credits

    हरिद्वार से 3.5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कनखल का पौराणिक महत्व हरिद्वार के बराबर ही है। कनखल का महाभारत और भगवान शिव से जुड़े हुए बहुत से वृतान्त में वर्णन सुनाई देता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कनखल ही वो जगह है जहाँ राजा दक्ष की पुत्री सती ने अपने पिता द्वारा भगवान शिव का अपमान करने पर अपने आप सती कर लिया था।

    उसके बाद भगवान शिव ने वीरभद्र का यहाँ भेज कर राजा दक्ष का वध करवा दिया था। राजा दक्ष के वध के बाद भगवान शिव सती के जलते हुए शरीर को इस स्थान से लेकर चले गए। वर्तमान में कनखल हरिद्वार की उपनगरी के रूप में जाना जाता है और भगवान शिव और राजा दक्ष के बीच हुए पौराणिक घटना को मान्यता प्रदान करने के लिए कनखल में दक्षेश्वर महादेव मंदिर भी बना हुआ है।

    आज कनखल हरिद्वार के सबसे ज्यादा घनी आबादी वाला क्षेत्र है। आज भी कनखल में बहुत सारे प्राचीन मंदिर बने हुए है, ख़रीदारी के हिसाब से हरिद्वार में कनखल का बाज़ार एक उपयुक्त स्थान माना जा सकता है।

    राजाजी राष्ट्रीय उद्यान – Rajaji National Park

    Rajaji National Park Uttrakhand | Ref Img

    हरिद्वार से 21 किलोमीटर की दूरी पर स्थित राजाजी राष्ट्रीय उद्यान उत्तराखंड खंड के तीन बड़े जिलों में फैला हुआ है हरिद्वार, देहरादून और पौड़ी गढवाल। यह राष्ट्रीय उद्यान उत्तराखंड के प्रमुख राष्ट्रीय उद्यान में से एक है और यहाँ पाये जाने वाले हाथियों की संख्या के कारण पूरे विश्व में प्रसिद्ध है।

    1983 तक यह वन क्षेत्र तीन अभ्यारण में बँटा हुआ था- मोतीचूर, राजाजी और चिल्ला। 1983 में इन तीनों अभयारण्य को मिला कर राजाजी राष्ट्रीय उद्यान बना दिया गया। राजाजी राष्ट्रीय उद्यान का नामकरण महान स्वतंत्रता सेनानी चक्रवर्ती राजगोपालाचारी के सम्मान में किया गया है।

    यह राष्ट्रीय उद्यान 830 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है और हाथियों के अलावा इस राष्ट्रीय उद्यान में रॉयल बंगाल टाइगर,धारीदार लकड़बग्गा, हिरण, तेंदुए,सांभर, सुस्ती भालू, सिवेट्स, हिमालयन येलो-थ्रोट मार्टन, और चीतल जैसे वन्यजीव पाये जाते है। वन्यजीव के अलावा राजाजी राष्ट्रीय उद्यान में 315 के आसपास पक्षियों की प्रजातियां भी पाई जाती है। राजाजी राष्ट्रीय उद्यान की और अधिक जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें। 

    हरिद्वार घूमने का सबसे अच्छा समय – Best Time to Visit Haridwar in Hindi

    हिमालय की तलहटी में स्थित होने की वजह से हरिद्वार में बारिश बहुत ज्यादा होती है इसलिये बारिश के मौसम के बाद अक्टूबर से  लेकर मार्च महीने के अंत तक हरिद्वार घूमने का सबसे अच्छा से रहता है। गर्मियों के मौसम में हरिद्वार में नमी  ज्यादा रहती है और तापमान भी ज्यादा हो जाता है। इसलिए गर्मियों के मौसम में हरिद्वार घूमने में थोड़ी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।

    हरिद्वार कैसे पहुंचे – How to reach Haridwar in Hindi

    हवाई जहाज से हरिद्वार कैसे पहुंचे – How to reach Haridwar By Flight in Hindi

    हरिद्वार के सबसे नजदीकी एयरपोर्ट देहरादून का जॉली ग्रांट एयरपोर्ट है। देश के प्रमुख शहरों से जॉली ग्रांट एयरपोर्ट को कनेक्टिविटी भी बहुत बढ़िया है। अगर आप किसी दूसरे देश से हरिद्वार की यात्रा कर रहे है तो दिल्ली का इंदिरा गांधी अंतराष्ट्रीय हवाई अड्डा हरिद्वार के लिए सबसे नजदीकी हवाई अड्डा है। दिल्ली से हरिद्वार के लिए रेल, बस ओर कैब की अच्छी सुविधा उपलब्ध है।

    रेल से हरिद्वार कैसे पहुंचे – How to reach Haridwar By Train in Hindi

    एक पौराणिक नगरी और देश का सबसे बड़ा तीर्थ स्थल होने के वजह से हरिद्वार भारत के अन्य शहरों से रेल मार्ग द्वारा भी बहुत अच्छे तरीके से जुड़ा हुआ है। हरिद्वार रेलवे स्टेशन देश के लगभग सभी प्रमुख शहरों से रेल मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है।

    सड़क मार्ग से हरिद्वार कैसे पहुंचे – How to reach Haridwar By Road in Hindi

    भारत के किसी भी कोने से आप हरिद्वार सड़क मार्ग द्वारा बहुत आसानी से पहुंच सकते है। उत्तर भारत के प्रमुख शहरों से हरिद्वार की कनेक्टिविटी बहुत अच्छी है दिल्ली, जयपुर और आगरा जैसे शहरों से हरिद्वार आने के लिए नियमित निजी बस सेवा और सरकारी बस उपलब्ध है। आप अपने निजी वाहन या फिर कैब के द्वारा भी बहुत आसानी से हरिद्वार पहुँच सकते है।

    हरिद्वार के आस पास घूमने के लिए कुछ प्रसिद्ध पर्यटन स्थल  – Places to Visit near Haridwar

    धनोल्टी , नई टिहरी, टिहरी झील, नरेंद्र नगर, नाग टिब्बा,  राजाजी राष्ट्रीय उद्यान, मालसी डियर पार्क, ऋषिकेश, देहरादून, चम्बा, दशावतार मंदिर, मसूरी, जोरांडा फाल्स, बरेहिपानी, न्यू टेहरी टाउनशिप, माताटीला डैम और देओगढ़ किला जैसी जगहों की बहुत बड़ी लिस्ट है । पर्यटक यहाँ पर कई एडवेंचर स्पोर्ट जैसे रिवर क्रासिंग, रॉक क्लाइम्बिंग, हाईकिंग और कैंप थांगधर में ट्रैकिंग का आनंद भी ले सकते हैं। यह कैंप पर्यटकों को रुकने के साथ साथ अन्य सुविधाएं भी उपलब्ध करते है।

    (अगर आप मेरे इस आर्टिकल में यहाँ तक पहुंच गए है तो आप से एक छोटा से निवदेन है की नीचे कमेंट बॉक्स में इस लेख से संबंधित आपके सुझाव जरूर साझा करें, और अगर आप को कोई कमी दिखे या कोई गलत जानकारी लगे तो भी जरूर बताए।  में यात्रा से संबंधित जानकारी मेरी इस वेबसाइट पर पोस्ट करता रहता हूँ, अगर मेरे द्वारा दी गई जानकारी आप को पसंद आ रही है तो आप अपने ईमेल से मेरी वेबसाइट को सब्सक्राइब जरूर करे, धन्यवाद )

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