उदयपुर के 40 पर्यटक स्थल 2024 | 40 Tourist Places to Visit in Udaipur in Hindi 2024 | Places to Visit in Udaipur in Hindi | Udaipur Tourist Places in Hindi | Udaipur in Hindi | Udaipur Tourism in Hindi | Things to do in Udaipur in Hindi | Part- 03
उदयपुर का इतिहास | History of udaipur
अरावली पर्वतमाला की गोद में बसा हुआ उदयपुर शहर राजस्थान के सबसे प्रमुख पर्यटक स्थलों में से एक है। यह खूबसूरत शहर एक प्रसिद्ध पर्यटक स्थल होने के साथ-साथ दुनिया का सबसे पसंदीदा डेस्टिनेशन वेडिंग स्पॉट भी है। उदयपुर में बने हुए अधिकांश राजपरिवार महलों को होटल्स में बदल दिया गया है, इन सभी होटल्स पर अभी मेवाड़ के राजपरिवार का ही मालिकाना अधिकार है।
एक राजसी माहौल में रहने के लिए पैसे खर्च करने वालों के लिये उदयपुर किसी स्वर्ग से कम नहीं है। फतेह प्रकाश पैलेस, जग मंदिर, लेक पैलेस ईन सभी महलों को समय की मांग के अनुसार आलीशान होटलों में बदल दिया गया है। अगर आपको कभी भी एक राजा की तरह रहने की इच्छा हुई है, या फिर आप एक राजा की तरह शादी करना चाहते है, तो आप एक मोटी धनराशि खर्च करके इन महलों में रुक कर एक आलीशान महल में रूकने का अनुभव प्राप्त कर सकते है।
और अगर आप को राजा-महाराजों के जैसे शादी करने की इच्छा है तो उदयपुर दुनिया की सबसे अच्छी जगहों में से एक है बस आप को थोड़ा पैसा ज्यादा खर्च करना पड़ेगा। पिछोला झील के मध्य भाग में स्थित लेक पैलेस दुनिया की सबसे महंगी शादियों का गवाह रह चुका है। उदयपुर शहर के आसपास का सुंदर प्राकृतिक परिदृश्य और शहर का राजसी माहौल हर किसी को अपनी तरफ आकर्षित करता है।
इसी माहौल की वजह से उदयपुर शहर में प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में पर्यटक घूमने के लिए आते है। उदयपुर के चारों तरफ फैली हुई अरावली पर्वतमाला की वजह से इस क्षेत्र में हमेशा से ही बहुत अधिक बारिश होती रही है। यहाँ बहने वाली अधिकांश बरसाती नदियों की वजह से उस समय हर वर्ष बाढ़ की स्थित बन जाती थी, और इस वजह से इस क्षेत्र में रहने वाली आम जनता को बहुत भारी नुकसान का सामना करना पड़ता था।
इसी समस्या से छुटकारा पाने के लिए उदयपुर के आसपास के क्षेत्रों में छोटे-बड़े बांधो का निर्माण किया गया ताकि बाढ़ के पानी से होने वाले नुकसान से बचा जा सके। बांधो के निर्माण के साथ-साथ आम जनता को पानी की समस्या का सामना ना करना पड़े इसलिए उदयपुर के आसपास के क्षेत्रों में मीठे पानी की झीलों का भी निर्माण करवाया गया। इसी वजह से आज उदयपुर और इसके आसपास के क्षेत्रों में मीठे पानी की झीलों की संख्या ज्यादा है।
स्वरूप सागर झील उदयपुर – Swaroop Sagar Lake Udaipur in Hindi
उदयपुर में स्थित स्वरूप सागर झील पिछोला झील और फतेहसागर झील को जोड़ने का काम करती है। स्वरूप सागर झील एक मीठे पानी की कृत्रिम झील है| स्वरूप सागर झील निर्माण महाराणा स्वरूप सिंह (1842-1861) ने अपने शासनकाल के दौरान पिछोला झील और फतेहसागर झील को जोडने के लिए करवाया था|
इस झील के निर्माण की मुख्य वजह पिछोला झील और फतेहसागर झील के जलस्तर को बराबर रखना था| महाराणा स्वरूप सिंह के सम्मान में इस झील का नाम स्वरूप सागर रखा गया था। स्वरूप सागर झील को उदयपुर के स्थानीय निवासी कुम्हारिया तालाब के नाम से भी पुकारते है। उदयपुर में स्वरूप सागर झील जगदीश मंदिर के पीछे स्थित है।
आप शाम के समय स्वरूप सागर झील के किनारे पर बैठ कर झील आसपास स्थित खूबसूरत दृश्यों का भरपूर आनंद ले सकते है।
स्वरूप सागर झील उदयपुर में प्रवेश का समय – Swaroop Sagar Lake Udaipur Timings in Hindi
सुबह 08:00 बजे से शाम 06:30 बजे तक।
स्वरूप सागर झील उदयपुर में प्रवेश शुल्क – Swaroop Sagar Lake Udaipur Entry Fee in Hindi
प्रवेश निःशुल्क।
स्वरूप सागर झील उदयपुर में बोट राइड का शुल्क – Swaroop Sagar Lake Udaipur Boat Ride Ticket Price in Hindi
01 रेगुलर बोट राइड – 30/- प्रति व्यक्ति
02 मोटर बोट राइड – 200/- प्रति व्यक्ति
03 स्पीड बोट राइड – 400/- प्रति व्यक्ति
रंग सागर झील उदयपुर – Rang Sagar Lake Udaipur in Hindi
स्वरूप सागर झील और पिछोला झील को जोड़ने वाली रंग सागर झील उदयपुर में स्थित सभी झीलों की अपेक्षा बेहद छोटी है। रंग सागर झील की चौड़ाई 250 मीटर है और लंबाई लगभग 1 किलोमीटर के आसपास है। उदयपुर में स्थित बाकी कृत्रिम झीलों की तरह रंग सागर झील भी मीठे पानी की झील है।
शुरुआती समय में इस झील को अमरकंट कहा जाता था। 1668 में रंग सागर झील का निर्माण उदयपुर के मंत्री रहे अमर सिंह बड़वा की देखरेख में हुआ था। रंग सागर झील एक प्रकार से पिछोला झील का विस्तार है जो आगे जा कर स्वरूप सागर झील और फतेहसागर झील से जुड़ जाती है।
रंग सागर झील से भी पिछोला झील की तरह अरावली पर्वतमाला के बेहद मनोरम दृश्य दिखाई देते है। उदयपुर के स्थानीय लोग अपने परिवार के साथ सप्ताहांत के समय रंग सागर झील के आसपास समय व्यतीत करते हुए दिख जाते है। रंग सागर झील पर दिन के किसी भी समय घूमने जाया जा सकता है।
रंग सागर झील उदयपुर में प्रवेश का समय – Rang Sagar Lake Udaipur Timings in Hindi
दिन के किसी भी समय।
रंग सागर झील उदयपुर में प्रवेश शुल्क – Rang Sagar Lake Udaipur Entry Fee in Hindi
प्रवेश निःशुल्क।
उदय सागर झील उदयपुर – Udai sagar Lake Udaipur in Hindi
उदयपुर में मानव निर्मित सबसे पुरानी झीलों में से एक उदयसागर झील का निर्माण महाराणा उदयसिंह ने उदयपुर की स्थापना के कुछ वर्षों के बाद 1565 में करवाया था। उदयपुर शहर की पूर्वी दिशा में स्थित इस झील की मुख्य शहर से दूरी 13 किलोमीटर है। उदयसागर झील उदयपुर में स्थित सबसे विशाल झीलों में से एक है इसकी लंबाई 4 किलोमीटर के आसपास है और चौड़ाई 2.5 किलोमीटर के आसपास है।
महाराणा उदयसिंह ने उदयसागर झील पर बेरच बांध का भी निर्माण करवाया ताकि स्थानीय लोगों के लिए यहाँ पर कभी पानी से जुड़ी हुई समस्याओं का सामना ना करना पड़े। अरावली पर्वतमाला से घिरी हुई इस झील से शाम के समय सूर्यास्त के बहुत ही सुंदर दृश्य दिखाई देते है। उदयसागर झील के पानी का मुख्य स्त्रोत आहर नदी है।
आहर नदी में उदयपुर और आसपास के क्षेत्रों में लगे हुए कारखानों और होटलों का गन्दा पानी छोड़ा जाता है इस वजह से उदयसागर झील का पानी भी दूषित हो रहा है। वर्तमान में राष्ट्रीय झील संरक्षण कार्यक्रम द्वारा उदयसागर झील के जीर्णोद्धार का कार्य चल रहा है। उदयसागर झील पर प्रवेश के लिए किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जाता है। पर्यटक दिन के किसी भी समय उदयसागर झील देखने के लिए जा सकते है।
उदय सागर झील उदयपुर में प्रवेश का समय – Udai sagar Lake Udaipur Timings in Hindi
सुबह 08:00 बजे से शाम 06:30 बजे तक।
उदय सागर झील उदयपुर में प्रवेश शुल्क – Udai sagar Lake Udaipur Entry Fee in Hindi
प्रवेश निःशुल्क।
उदय सागर झील उदयपुर में बोट राइड का शुल्क – Udai Sagar Lake Udaipur Boat Ride Ticket Price in Hindi
01 रेगुलर बोट राइड – 30/- प्रति व्यक्ति
02 मोटर बोट राइड – 200/- प्रति व्यक्ति
03 स्पीड बोट राइड – 400/- प्रति व्यक्ति
बड़ी झील उदयपुर – Lake Badi Udaipur in Hindi
उदयपुर के मुख्य शहर से लगभग 12 किलोमीटर दूर स्थित बड़ी झील प्राकृतिक रूप से उदयपुर की सबसे सुन्दर झील कही जा सकती है। उदयपुर और इसके आसपास के क्षेत्र में स्थानीय लोगों को अकाल के कारण हुए नुकसान से बचाने के लिए और पानी की आपूर्ति सुचारू रूप से जारी रखने के लिए महाराणा राज सिंह (1652-1680) ने बड़ी झील का निर्माण करवाया।
महाराणा राज सिंह ने बड़ी झील का नाम अपनी माता जान देवी के नाम पर जियान सागर रखा था। बड़ी झील पर बनी हुई तीन विशाल छतरियाँ इसे एक अलग ही रूप प्रदान करती है। बड़ी झील अरावली पर्वतमाला की पहाड़ियों के बीच में स्थित है। अगर आपको पहाड़ो में ट्रेकिंग करना पसंद है तो उदयपुर के पास स्थित बड़ी झील के आसपास स्थित कुछ पहाड़ो पर ट्रेकिंग की जा सकती है।
बड़ी झील के सबसे सुंदर प्राकृतिक दृश्य अरावली पर्वतमाला की पहाड़ियों की चोटी से ही दिखाई देते है। 1973 में बारिश की कमी की वजह से बड़ी झील से उदयपुर शहर को पानी की सप्लाई की गई थी। पर्यटक दिन के किसी भी समय बड़ी झील पर घूमने जा सकते है। बड़ी झील पर किसी प्रकार का प्रवेश शुल्क नहीं लिया जाता है।
बड़ी झील उदयपुर में प्रवेश का समय – Lake Badi Udaipur Timings in Hindi
सुबह 07:00 बजे से शाम 06:00 बजे तक।
बड़ी झील उदयपुर में प्रवेश शुल्क – Lake Badi Udaipur Entry Fee in Hindi
प्रवेश निःशुल्क।
बड़ी झील उदयपुर में बोट राइड का शुल्क – Lake Badi Udaipur Boat Ride Ticket Price in Hindi
01 रेगुलर बोट राइड – 30/- प्रति व्यक्ति
02 मोटर बोट राइड – 200/- प्रति व्यक्ति
03 स्पीड बोट राइड – 400/- प्रति व्यक्ति
जयसमंद झील / ढेबर झील उदयपुर – Jaisamand Lake Udaipur in Hindi
उदयपुर से 45 किलोमीटर दूर स्थित जयसमंद झील भारत में मानव निर्मित मीठे पानी की दूसरी सबसे बड़ी झील है। जयसमंद झील की चौड़ाई 14 किलोमीटर (9 मील) है, और इसकी लंबाई 48 किलोमीटर (30 मील)के आसपास है, जयसमंद झील 100 फ़ीट तक गहरी है। झील पर तीन छोटे-छोटे द्वीप बने हुए है इनमेंसे कुछ द्वीप पर आज भी भील जाती के लोग स्थायी रूप से निवास करते है।
भील जाती के यह लोग झील से जमीन पर आने के लिए नाव का उपयोग करते है। जयसमंद झील को ढेबर झील के नाम से भी जाना जाता है। जयसमंद झील का निर्माण महाराणा जय सिंह ने 1685 में करवाया था। जयसमंद झील पर एक बांध भी बना हुआ जिसका निर्माण 2 जून 1691 में पूरा हुआ कहते है की बांध का निर्माण कार्य पूरा होने पर महाराणा जय सिंह ने अपने वजन के बराबर सोना तुलवा कर आम जनता में वितरित किया था।
जयसमंद झील पर स्थित बांध की चौड़ाई 1200 फ़ीट और इसकी गहराई 100 फ़ीट के आसपास है। बांध के पास एक पहाड़ी पर छोटा महल भी बना हुआ है जिसका उपयोग महाराणा अपनी शीतकालीन राजधानी के रूप में किया करते थे। जयसमंद झील के बांध को आकर्षक बनाने के लिए संगमरमर की छतरियों और हाथियों का निर्माण करवाया गया। इसके अलावा बांध पर भगवान शिव का एक मंदिर भी बना हुआ है।
जयसमंद झील का अधिकांश हिस्सा अरावली पर्वतमाला और घने जंगलों से घिरा हुआ है इस वजह से यह झील प्राकृतिक रूप से भी बहुत ज्यादा समृद्ध है। इस प्राकृतिक समृद्धता की वजह से जयसमंद झील के आसपास के वन क्षेत्र को 1957 में वन्यजीव अभ्यारण घोषित किया गया। इस वन्यजीव अभ्यारण को जयसमंद वन्यजीव अभ्यारण के नाम से जाना जाता है।
जयसमंद वन्यजीव अभ्यारण के घने जंगलों में जंगली सुअर, चौसिंगा, हिरण जैसे वन्यजीव पाये जाते है इसके अलावा इस अभ्यारण में बहुत सारे प्रवासी पक्षियों की प्रजातियाँ भी पाई जाती है।
जयसमंद झील उदयपुर में प्रवेश का समय – Jaisamand Lake Udaipur Timings in Hindi
सुबह 10:00 बजे से शाम 05:00 बजे तक।
जयसमंद झील उदयपुर में प्रवेश शुल्क – Jaisamand Lake Udaipur Entry Fee in Hindi
प्रवेश निःशुल्क।
जयसमंद झील उदयपुर में बोट राइड का शुल्क – Jaisamand
Lake Udaipur Boat Ride Ticket Price in Hindi
भारतीय पर्यटक – 30/- प्रति व्यक्ति
विदेशी पर्यटक – 80/- प्रति व्यक्ति
जयसमंद वन्यजीव अभ्यारण्य उदयपुर में प्रवेश का समय – Jaisamand Wildlife Sanctuary Udaipur Timings in Hindi
सुबह 10:00 बजे से शाम 05:00 बजे तक।
जयसमंद वन्यजीव अभ्यारण्य उदयपुर में प्रवेश शुल्क – Jaisamand Wildlife Sanctuary Udaipur Entry Fee in Hindi
भारतीय पर्यटक – 10/- प्रति व्यक्ति
विदेशी पर्यटक – 80/- प्रति व्यक्ति
राजसमंद झील उदयपुर – Rajsamand Lake Udaipur in Hindi
उदयपुर से 66 किलोमीटर दूर स्थित राजसमंद झील राजस्थान के राजसंमद जिले में स्थित एक मानव निर्मित मीठे पानी की झील है। राजसमंद झील राजस्थान के मेवाड़ क्षेत्र की सबसे प्रमुख झीलों में से एक मानी जाती है। राजसमंद झील 4 मील लंबी और 1.7 मील चौड़ी है, इस झील की गहराई लगभग 60 फ़ीट के आसपास है।
यह झील राजसंमद जिले के दो प्रमुख शहर राजनगर और कांकरोली के बीच में स्थित है। राजसमंद झील का निर्माण महाराणा राज सिंह ने 17वीं शताब्दी के दौरान करवाया था। 1661 में मेवाड़ के इस क्षेत्र में बारिश की कमी की वजह से भयंकर सूखा पड़ गया जिससे इस क्षेत्र में रहने वाले किसानों और आम जनता को बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ा।
भविष्य में इस तरह की विकट परिस्थिति का सामना ना करने पड़े इसलिए महाराणा राज सिंह ने इस क्षेत्र में बहने वाली तीन नदियों केलवा,गोमती और तली के बहाव क्षेत्र में बांध का निर्माण करवाया इस प्रकार 1662 में राजसंमद झील का निर्माण हुआ। महाराणा राज सिंह द्वारा उस समय सूखे के वक़्त किये गए राहत कार्यों में 4 मिलियन रुपये खर्च किये गए थे।
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान राजसमंद झील का उपयोग इम्पीरियल एयरवेज के सीप्लेन बेस तौर पर उपयोग में लिया गया था। राजसंमद झील के किनारे पर बने तटबंध को नौ चौकी के नाम से जाना जाता है, इस तटबंध पर संगमरमर के पत्थर से बनी हुई छतरियों का निर्माण किया गया है। पर्यटक राजसमंद झील पर घुमने के लिए किसी भी समय जा सकते है।
राजसमंद झील उदयपुर में प्रवेश का समय – Rajsamand Lake Udaipur Timings in Hindi
दिन के किसी भी समय।
राजसमंद झील उदयपुर में प्रवेश शुल्क – Rajsamand Lake Udaipur Entry Fee in Hindi
प्रवेश निःशुल्क।
भारतीय लोक कला मंडल उदयपुर – Bhartiya Lok Kala Mandal Udaipur in Hindi
उदयपुर में चेतक सर्किल के पास स्थित भारतीय लोक कला मंडल भारत के प्रमुख राज्यों राजस्थान, गुजरात और मध्यप्रदेश की संस्कृति, इतिहास, पारम्पारिक रहन-सहन और लोक संस्कृति से जुड़ी हुई जानकारी प्राप्त करने के लिए सबसे उपयुक्त स्थान है। 1952 में मिहिर चौधरी ने भारतीय लोक कला मंडल की स्थापना की।
इस संस्थान का मुख्य उद्देश्य राजस्थान और मेवाड़ की ऐतिहासिक धरोहर, लोक संस्कृति, लोक नृत्य, राजस्थानी हस्तशिल्प और पारम्पारिक कला को आम लोगों तक पहुंचाना है। भारतीय लोक कला मंडल के अंदर राजस्थान, गुजरात और मध्यप्रदेश से जुड़ी हुई ऐतिहासिक वस्तुओं का संग्रहालय बना हुआ है।
संग्रहालय में पुरानी पेंटिंग्स, हस्तशिल्प, गहने, वाद्ययंत्र, लकड़ी के मुखोटे, ग्रामीण वेशभूषा और पुरानी गुड़िया का संग्रह किया गया है। कला, लोक संस्कृति और ऐतिहासिक वस्तुओं में दिलचस्पी रखने वाले लोगों को उदयपुर में स्थित भारतीय लोक कला मंडल की यात्रा अवश्य करनी चाहिए।
भारतीय लोक कला मंडल उदयपुर में प्रवेश का समय – Bhartiya Lok Kala Museum Udaipur Timings in Hindi
सुबह 09:00 बजे से शाम 06:00 बजे तक।
भारतीय लोक कला मंडल उदयपुर में प्रवेश शुल्क – Bhartiya Lok Kala Museum Udaipur Entry Fees in Hindi
S.No | Category | Indian Tourist | Student (Indian) | Foreign Tourist |
01 | Puppet Show & Folk Lore Museum | 25/- | 15/- | 40/- |
02 | Folk Dance & Special Puppet Show | 40/- | 20/- | 60/- |
03 | Tickets For Both Programme | 60/- | 60/- | 95/- |
04 | Entrance Fees For Museum | 20/- | 20/- | 35/- |
05 | Camera Fees | 10/- | ||
06 | Video Camera Fees | 50/- | ||
07 | Timing For Special Puppet Show & Folk Dance | 12:00 PM To 01:00 PM & 06:00 PM To 07:00 PM | ||
08 | Note:- Tickets Available up to 05:30 PM |
शिल्पग्राम उदयपुर – Shilpgram Udaipur in Hindi
उदयपुर शहर के पश्चिमी में भाग में स्थित शिल्पग्राम का उद्धघाटन 1989 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने किया था। शहर से 3 किलोमीटर दूर स्थित शिल्पग्राम के निर्माण के पीछे का मुख्य कारण उदयपुर घूमने आने वाले पर्यटकों को प्राचीन राजस्थान के ग्रामीण परिवेश और गाँव में रहने वाले लोगों के रहन-सहन को नजदीक से समझ सके।
उदयपुर में स्थित शिल्पग्राम एक 70 एकड़ में फैला हुआ कृत्रिम राजस्थानी गांव है। इस गांव में पुराने तरीके से घरों और झोपड़ियों का निर्माण किया गया है। घरों के निर्माण में मिट्टी, लकड़ी और गोबर का इस्तेमाल किया गया है। घरों की दीवारों पर सीमेंट प्लास्टर की जगह गोबर का लैप किया गया है और उसके बाद दीवारों का आकर्षक बनाने के लिए प्राकृतिक रंगों से सुंदर चित्रकारी की गई है।
घरों और झोपड़ियों के बाहर और अंदर की दीवारों पर राजस्थान की प्रसिद्ध चित्रशैली मंडाना का उपयोग करके सुंदर चित्र बनाये गए। घरों में पुराने समय में काम आने वाले बर्तन और सजावट के सामानों का संग्रह प्रदर्शित किया गया है। शिल्पग्राम में हस्तशिल्प से निर्मित मिट्टी, लकड़ी और पत्थर की मूर्तियां भी देखने को मिलती है।
शिल्पग्राम में राजस्थान के अलावा महाराष्ट्र, गोआ और गुजरात के ग्रामीण परिवेश को भी बहुत सुंदर तरीके से प्रदर्शित किया गया है। शिल्पग्राम में प्रतिवर्ष 21 दिसम्बर से लेकर 31 दिसम्बर तक शिल्पग्राम उत्सव का आयोजन किया जाता है जिसे हजारों की संख्या में पर्यटक देखने आते है। शिल्पग्राम में एक ओपन थिएटर भी है जिसमे एक समय में 8000 दर्शक एक साथ बैठ कर कार्यक्रम देख सकते है।
दस दिवसीय शिल्पग्राम उत्सव में राजस्थान और अन्य राज्यों की लोक कला, और संस्कृति से जुड़ी हुई बहुत सारी दुकानें भी लगती है। इसके अलावा इन दस दिनों में बहुत सारे सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।
शिल्पग्राम उदयपुर में प्रवेश का समय – Shilpgram Udaipur Timings in Hindi
सुबह 11:00 बजे से शाम 07:00 बजे तक।
शिल्पग्राम उदयपुर में प्रवेश शुल्क – Shilpgram Udaipur Entry Fee in Hindi
भारतीय पर्यटक – 30/- प्रति व्यक्ति
विधार्थी – 15/- प्रति व्यक्ति
विदेशी पर्यटक – 50/- प्रति व्यक्ति
शिल्पग्राम उत्सव के समय शिल्पग्राम में प्रवेश शुल्क में बदलाव किया जा सकता है।
बागोर की हवेली उदयपुर – Bagore ki Haveli Udaipur in Hindi
उदयपुर में पिछोला झील के पास में स्थित बागोर की हवेली का निर्माण मेवाड़ रियासत के प्रधानमंत्री अमरचंद बड़वा ने करवाया था। अमरचंद बड़वा 1751 से लेकर 1778 के तक महाराणा प्रताप सिंह द्वितीय, महाराणा राज सिंह द्वितीय, महाराणा अरी सिंह और महाराणा हमीर सिंह के कार्यकाल में मेवाड़ के प्रधानमंत्री के रूप में कार्य करते रहे।
अमरचंद बड़वा की मृत्य के बाद बागोर की हवेली पर मेवाड़ के राजपरिवार ने अधिकार कर लिया और उस समय के महाराणा के रिश्तेदार नाथ सिंह निजी निवास स्थान के रूप में उपयोग करने लगे। महाराज शक्ति सिंह ने 1878 में इस हवेली के प्रवेश द्वार को ट्रिपल-धनुषाकार में बनवाया उसके बाद से ही इस हवेली को बागोर की हवेली के नाम से जाना जाने लगा।
ब्रिटिश शासन में और भारत की स्वंतंत्रता के बाद भी एक लंबे समय तक बागोर की हवेली उपेक्षा का शिकार रही। 1986 के बाद इस हवेली के जीर्णोद्धार कार्य को दुबारा शुरू किया गया और इसको पुराना स्वरूप प्रदान करते हुए एक संग्रहालय में बदल दिया गया। राजपूती वास्तुशैली में निर्मित बागोर की हवेली में छतरियाँ,मेहराब, फव्वारे, झरोखे और विशाल प्रांगण बने हुए है।
हवेली में कुल 138 कमरे है जिनमें से कई कमरों में शीशे का बहुत सुंदर काम किया गया है। कमरे की खिड़कियों और दीवारों को रंगीन शीशे के टुकड़ो से सुंदर भित्ति चित्र द्वारा सजाया गया है। हवेली राजपरिवार के सदस्यों और राजपरिवार की महिलाओं के लिए अलग से कमरे बने हुए है। उस समय इन कमरों में सिर्फ राजपरिवार के सदस्यों को ही जाने की अनुमति प्राप्त थी।
बागोर की हवेली में तीन चौक भी बने हुए है जिन्हें कुआँ चौक, तुलसी चौक और नीम चौक के नाम से जाना जाता है। हवेली में स्थित काँच महल और दरी खाना का उपयोग सिर्फ राजपरिवार के पुरुष ही कर सकते थे। हवेली के सबसे बड़े कक्ष दीवान-ए-खास के नाम से जाना जाता है। राजपरिवार की महिलाओं की रुचि को ध्यान में रखते हुए हवेली में महिलाओं के शृंगार कक्ष का निर्माण करवाया गया था।
राजपरिवार की महिलाओं की संगीत में रूचि को देखते हुए हवेली में बहुत सारे वाद्ययंत्र भी उपलब्ध करवाये गए। पुरुषों के खेलने के लिए चौपड़ की भी व्यवस्था की गई थी। वर्तमान में बागोर की हवेली के अंदर स्थित संग्रहालय को पाँच भागों में विभाजित किया गया है जिन्हें कठपुतली संग्रहालय, पगड़ी संग्रहालय, हथियार संग्रहालय, हवेली संग्रहालय और शादी संग्रहालय के नाम से जाना जाता है।
बागोर की हवेली उदयपुर में प्रवेश का समय – Bagore ki Haveli Udaipur Timings in Hindi
सुबह 10:00 बजे से शाम 06:30 बजे तक।
बागोर की हवेली उदयपुर में प्रवेश शुल्क – Bagore ki Haveli Udaipur Entry Fee in Hindi
भारतीय पर्यटक – 60/- प्रति व्यक्ति
भारतीय विधार्थी (उम्र 05-12 वर्ष) – 30/- प्रति व्यक्ति
विदेशी पर्यटक – 100/- प्रति व्यक्ति
विदेशी विधार्थी (उम्र 05-12 वर्ष) – 50/- प्रति व्यक्ति
कैमरा – 50/- INR
धरोहर डांस शो उदयपुर – Dharohar Dance Show Udaipur in Hindi
उदयपुर में बागोर की हवेली के अंदर प्रतिदिन शाम को 07:00 बजे एक घंटे का सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया जाता है। बागोर की हवेली में आयोजित किये जाने वाला यह कार्यक्रम धरोहर डांस शो के नाम से प्रसिद्ध है। बागोर हवेली के अंदर स्थित नीम चौक नामक प्रांगण में इस लोक सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है।
प्रतिदिन शाम को आयोजित किये जाने वाले धरोहर डांस शो में राजस्थान के लोक संगीत और लोक कला से जुड़े हुए कार्यक्रमों को राजस्थान के लोक कलाकारों द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। एक घंटा चलने वाले इस कार्यक्रम में सबसे पहले राजस्थान के प्रसिद्ध चरी नृत्य प्रस्तुत किया जाता है।
इस नृत्य में महिला कलाकार राजस्थान की परंपरागत वेशभूषा पहन कर अपने सिर पर एक से ज्यादा संख्या में पीतल के घड़े रख कर नृत्य करती है। चरी नृत्य के बाद बारी आती है तेरह ताल नृत्य की राजस्थान के लोक नृत्य में तेरह ताल नृत्य का हमेशा विशेष स्थान रहा है। तेरह ताल नृत्य को प्रदर्शित करने वाला कलाकार अपने शरीर पर 13 मंजीरे बांध लेता हैं।
और उसके बाद एक से ज्यादा संख्या में पीतल के घड़े अपने सिर पर रख कर तेरह मंजीरे बजाते हुए नृत्य प्रस्तुत करता है। इन दोनों नृत्यों के प्रदर्शन के बाद राजस्थान का विश्व प्रसिद्ध लोक नृत्य गोरबंध का महिला कलाकारों द्वारा प्रदर्शन किया जाता है। गोरबंध नृत्य में नृत्य करने वाला कलाकार एक जगह पर रुक बहुत तेज गति से गोल-गोल चक्कर लगता है।
इन सब नृत्यों के बाद धरोहर डांस शो में कठपुतली शो का प्रदर्शन किया जाता है। धरोहर डांस शो कार्यक्रम के अंत में राजस्थान के सबसे सुंदर लोक नृत्य घूमर नृत्य और भवानी नृत्य का प्रदर्शन किया जाता है। भवानी नृत्य में कलाकार अपने सिर पर 10 से ज्यादा मिट्टी के घड़े रखकर काँच के टुकड़ो पर नृत्य करता है।
बागोर की हवेली में आयोजित किया जाने वाला धरोहर डांस शो राजस्थान के लोक संगीत, लोक कला और लोक नृत्य को नजदीक से जानने का सबसे अच्छा और उपयुक्त स्थान है।
धरोहर डांस शो उदयपुर देखने का समय – Dharohar Dance Show Udaipur Timings in Hindi
शाम को 07:00 बजे से।
धरोहर डांस शो उदयपुर प्रवेश शुल्क – Dharohar Dance Show Udaipur Entry Fee in Hindi
भारतीय पर्यटक – 90/- प्रति व्यक्ति
भारतीय विधार्थी – 45/- प्रति व्यक्ति
विदेशी पर्यटक – 150/- प्रति व्यक्ति
विदेशी विधार्थी 75/- प्रति व्यक्ति
कैमरा – 150/- INR
उदयपुर के नजदीकी पर्यटक स्थल – Places to Visit near Udaipur in Hindi
उदयपुर के आसपास बहुत सारे खूबसूरत पर्यटक स्थल है जैसे उदयपुर Part-01, उदयपुर Part-02, उदयपुर Part-04, सिटी पैलेस, कुम्भलगढ़, कुम्भलगढ़ राष्ट्रीय उद्यान, जोधपुर, रणकपुर, सादड़ी में परशुराम महादेव मंदिर, चित्तौड़गढ़, नाथद्वारा, माउंट आबू और गुजरात में स्थित अम्बा जी मंदिर भी आप समय निकाल कर जा सकते है।
(अगर आप मेरे इस आर्टिकल में यहाँ तक पहुंच गए है तो आप से एक छोटा से निवदेन है की नीचे कमेंट बॉक्स में इस लेख से संबंधित आपके सुझाव जरूर साझा करें, और अगर आप को कोई कमी दिखे या कोई गलत जानकारी लगे तो भी जरूर बताए। में यात्रा से संबंधित जानकारी मेरी इस वेबसाइट पर पोस्ट करता रहता हूँ, अगर मेरे द्वारा दी गई जानकारी आप को पसंद आ रही है तो आप अपने ईमेल से मेरी वेबसाइट को सब्सक्राइब जरूर करे, धन्यवाद )