चंद्रशिला ट्रेक 2024 | Chandrashila Trek 2024 in Hindi | Chandrashila Trek Guide 2024 in Hindi | Deoriatal Chandrashila Trek in Hindi | Tungnath Chandrashila Trek in Hindi | Chandrashila Trek Cost | Best Time To Visit Chandrashila | Chandrashila Trek itinerary | Chandrashila Trek Tips | History | Timings
चंद्रशिला का इतिहास – Chandrashila History in Hindi
उत्तराखंड में तृतीय केदार के नाम से प्रसिद्ध तुंगनाथ से लगभग 1.5 किलोमीटर की पैदल दूरी पर स्थित चंद्रशिला का पौराणिक महत्व रामायण काल और उससे भी ज्यादा पुराना माना जाता है। तुंगनाथ पर्वत में स्थित चंद्रशिला का सिर्फ पौराणिक महत्व ही नहीं है। बल्कि चंद्रशिला उत्तराखंड के सबसे प्रसिद्ध ट्रेकिंग डेस्टिनेशन में से एक माना जाता है।
लगभग पूरे साल देश और दुनिया के अलग-अलग हिस्सों ट्रेकर्स चंद्रशिला समिट पूरा करने के लिए यहाँ आते रहते है। मेरा यह मानना है कि हम कहीं भी घूमने के लिए जाए चाहे वो मैदानी इलाका हो, रेगिस्तान इलाका हो, समुद्री इलाका हो या फिर बर्फ़ीले पहाड़ हो। दुनिया के सभी पर्यटन स्थलों का कुछ ना कुछ इतिहास जरूर होता है। और अगर हम उस जगह के इतिहास को जानकर वहाँ जाते है। तो वो उस जगह घूमने जाने से पहले हम काफी हद उस जगह से अपने आप को जुड़ा हुआ महसूस करते है।
इसलिए चंद्रशिला ट्रेक के बारे में जानने से पहले आपका इस शानदार जगह के पौराणिक महत्व के बारे में पता होना बहुत जरूरी है। राजा दक्ष प्रजापति के 27 कन्याएं थी। उन सभी मे रोहिणी नाम की कन्या से चंद्रमा बहुत ज्यादा प्रेम करते थे, जब इस बात का पता राजा दक्ष प्रजापति को चला तो उन्होंने चंद्रमा को श्राप दे दिया। राजा दक्ष प्रजापति के श्राप की वजह से चंद्रमा को क्षय रोग हो जाता है। क्षय रोग से मुक्ति पाने के लिए चंद्रमा तुंगनाथ के पास स्थित इस स्थान पर आकर भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कठोर तपस्या करते है।
तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव चंद्रमा को क्षय रोग से मुक्त होने का आशीर्वाद देते है। ऐसा कहा जाता है चंद्रमा द्वारा की गई कठोर तपस्या की वजह से इस स्थान को चंद्रशिला कहा जाता है। चंद्रशिला के शिखर पर एक बहुत छोटा-सा मंदिर भी बना हुआ है। चंद्रशिला समिट पूरा होने के बाद यहाँ आने वाले सभी ट्रेकर्स इस मंदिर के दर्शन जरूर करते है। रामायण काल से जुड़ी हुई एक पौराणिक कथा के अनुसार रावण का वध करने के बाद ब्राम्हण हत्या के अपराध से मुक्त होने के लिए भगवान राम ने भी इस स्थान पर तपस्या की थी।
चंद्रशिला का भूगोल – Geography of Chandrashila in Hindi
उत्तराखंड के सबसे प्रसिद्ध ट्रैकिंग डेस्टिनेशन में से एक (Chandrashila Height) चंद्रशिला शिखर की समुद्रतल से ऊँचाई 4000 मीटर (13,120 फ़ीट )है। चंद्रशिला के पास में स्थित (Tunganath Height) तुंगनाथ की समुद्रतल से ऊंचाई 3680 मीटर है। (Chopta Height) चोपता जहाँ से चंद्रशिला ट्रेक शुरू होता है उसकी समुद्रतल से ऊंचाई 2680 मीटर (8793 फ़ीट) है।
चोपता से 5.5 किलोमीटर की पैदल दूरी पर स्थित चंद्रशिला शिखर से हिमालय की अनेक प्रमुख पर्वत श्रृंखलाएं दिखाई देती है जिनमें से नंदादेवी, चौखम्बा, बुग्याल, त्रिशूल, केदार और बन्दरपूँछ आदि प्रमुख मानी जाती है।
चंद्रशिला ट्रेक – Chandrashila Trek in Hindi
चंद्रशिला के शिखर तक पहुंचने के दो प्रमुख रास्ते है। सबसे पहले रास्ते से आप चोपता से तुंगनाथ होते हुए चंद्रशिला के शिखर तक पहुँच सकते है। चंद्रशिला के शिखर तक पहुँचने का यह सबसे छोटा ट्रेक है जो कि मात्र 5.5 किलोमीटर का है। सर्दियों के मौसम में बहुत ज्यादा बर्फबारी की वजह से यह ट्रेक बंद हो जाता है। चंद्रशिला तक जाने वाला यह ट्रेक तुंगनाथ चंद्रशिला ट्रेक ( Tunganath Chandrashila Trek) के नाम से प्रसिद्ध है।
चंद्रशिला तक जाने वाला दूसरा ट्रेक जिसका उपयोग पूरे साल किया जाता है और लगभग सभी ट्रैकिंग ऑर्गनाइजेशन इसका उपयोग करती है। यह ट्रेक देवरियाताल चंद्रशिला ट्रेक (Deoriatal Chandrashila Trek) के नाम से बहुत प्रसिद्ध है। देवरियाताल चंद्रशिला ट्रेक की कुल दूरी 27 किलोमीटर है जो कि उखीमठ से 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सरी गाँव से शुरू होता है।
तुंगनाथ चंद्रशिला ट्रेक – Tungnath Chandrashila Trek in Hindi
चोपता से शुरू होने से शुरू होने वाले तुंगनाथ चंद्रशिला ट्रेक की लंबाई मात्र 5.5 किलोमीटर की ही है। चोपता से आप जब अपना ट्रेक शुरू करते है तो आप सबसे पहले तुंगनाथ पहुँचते है। चोपता से तुंगनाथ का ट्रैक 04 किलोमीटर लंबा है और इस पूरे रास्ते पर पत्थरों की सहायता से सड़क बनाई हुई है। इस वजह से चोपता से तुंगनाथ के यह 04 किलोमीटर बहुत आसानी से पूरे हो जाते है।
तुंगनाथ पहुँचने के बाद चंद्रशिला का 1.5 किलोमीटर का स्ट्रेच बाकी रहता है जो कि पूरी खड़ी चढ़ाई है। यह 1.5 किलोमीटर का पैदल मार्ग थोड़ी थकावट भरा होता है। लेकिन आप जब चंद्रशिला के शिखर तक पहुँचते है तब आपकी सारी थकावट यहाँ से दिखने वाले दृश्यों की वजह से एकदम खत्म हो जाती है।
चोपता से तुंगनाथ के बीच की दूरी 4 किलोमीटर है और तुंगनाथ से चंद्रशिला के बीच की दुरी लगभग 1.5 किलोमीटर है। तुंगनाथ चंद्रशिला ट्रेक आप कुछ घंटों में पूरा कर सकते है। इस ट्रैक की सबसे अच्छी बात यह है कि इस ट्रैक को पूरा करने के लिये आपको किसी भी तरह के ट्रेकिंग गाइड की जरूरत नहीं है और ना ही किसी ट्रैकिंग आर्गेनाईजेशन से संपर्क करने की जरुरत है।
आपको सिर्फ चोपता पहुंचना है, और फिर चोपता से अपना ट्रेक शुरू करना है, और आप कुछ ही घंटो में चंद्रशिला के शिखर पर होंगे। सर्दियों के मौसम में होने वाली भारी बर्फबारी की वजह से चोपता में कई फ़ीट बर्फ़ की परत जम जाती है जिस वजह से तुंगनाथ चंद्रशिला का ट्रैक बंद हो जाता है।
सर्दियों के मौसम में सभी ट्रेकर्स देवरियाताल चंद्रशिला ट्रेक वाले रास्ते से चंद्रशिला पीक का ट्रैक पूरा करते है। तुंगनाथ चंद्रशिला ट्रेक की कुल दूरी 11 किलोमीटर के आसपास है और यह ट्रेक उत्तराखंड के सबसे आसान और माध्यम श्रेणी के ट्रेक में से एक माना जाता है। अगर आप अपनी यात्रा दिल्ली से शुरू करते है तो आप यह ट्रेक 5-6 दिन में बड़ी आसानी से पूरा कर सकते है।
जनवरी से लेकर फरवरी और मार्च के महीनों के समय होने वाली भारी बर्फबारी की वजह से यह ट्रेक बंद रहता है।
देवरियाताल चंद्रशिला ट्रेक – Deoriatal Chandrashila Trek in Hindi
उखीमठ से 12 किलोमीटर दूर स्थित सरी गांव से शुरू होने वाले देवरियाताल चंद्रशिला ट्रेक की लम्बाई 27 किलोमीटर है। इस ट्रेक को पूरा करने की कुल अवधि 03 दिन है। अगर आप पहली बार देवरियाताल चंद्रशिला ट्रेक कर रहे है और आप एक प्रोफेशनल ट्रेकर नहीं है तो आपको यह ट्रेक पूरा करने के लिए एक बढ़िया ट्रैकिंग आर्गेनाईजेशन से जरूर संपर्क करना चाहिए। भारत में जितनी भी ट्रैकिंग आर्गेनाईजेशन है वह सभी चंद्रशिला के शिखर तक जाने के देवरियाताल चंद्रशिला ट्रेक का उपयोग करते है।
इसका सबसे बड़ा कारन है एक तो इस रास्ते से आप चंद्रशिला तक पुरे साल में कभी भी पहुँच सकते है। दूसरा यह ट्रेक करते हुए आप केदारनाथ वन्यजीव अभ्यारण्य के शानदार जंगलो में से होकर गुजरते है। इसके अलावा अगर आप इस रास्ते से चंद्रशिला के शिखर तक ट्रेक करते है तो आपको एक उचित ट्रैकिंग का अनुभव भी प्राप्त होता है।
बस यह ट्रेक तुंगनाथ चंद्रशिला ट्रेक की अपेक्षा में थोड़ा महंगा रहता है। लगभग सभी ट्रैकिंग आर्गेनाईजेशन देवरियाताल चंद्रशिला ट्रेक के लिए आपको 8000/- INR से लेकर 10000/- INR तक की फीस ले सकते है। इस फीस में यह लोग आप को दिल्ली से चंद्रशिला और चंद्रशिला से दिल्ली तक आने जाने की फीस शामिल करते है ( कुछ ट्रैकिंग आर्गेनाईजेशन दिल्ली की जगह हरिद्वार और ऋषिकेश से आप का पूरा ट्रेक प्लान करते है)।
देवरियाताल चंद्रशिला ट्रेक के पैकेज में ट्रैकिंग आर्गेनाईजेशन आपके रुकने, खाने और ट्रैकिंग में काम आने वाले सभी तरह के उपकरण शामिल करते है। देवरियाताल चंद्रशिला ट्रेक वाले रास्ते से आप पुरे साल चंद्रशिला ट्रेक कर सकते है। लेकिन जनवरी और फरवरी महीने में चंद्रशिला में 8-10 फ़ीट बर्फ जमा हो जाती है। इस वजह से इन दो महीनों में यह ट्रेक करना बिलकुल भी सुरक्षित नहीं माना जाता है।
देवरियाताल चंद्रशिला ट्रेक का यात्रा कार्यक्रम – Deoriatal Chandrashila Trek itinerary in Hindi
सरी गांव से शुरू होने वाला देवरियाताल चंद्रशिला ट्रेक का यात्रा कार्यक्रम कुल 03 दिनों का होता है। अगर आप ऋषिकेश से अपनी यात्रा शुरू कर रहे है तो आप को सबसे पहले ऋषिकेश से रुद्रप्रयाग तक (देवप्रयाग और श्रीनगर के रास्ते) पहुंचना होगा। बस द्वारा ऋषिकेश से रुद्रप्रयाग पहुँचने में आपको 05 घंटे के आसपास का समय लगता है।
रुद्रप्रयाग पहुँचने के बाद आपको उखीमठ पहुंचना है, जिसके लिए आप को लगभग 03 घंटे और लग सकते है। उखीमठ से आप अपने आधा घंटे में सरी गाँव पहुँचते सकते है। सरी गाँव से आपका देवरियाताल चंद्रशिला ट्रेक शुरू होता है। पहले दिन आप जब सरी गाँव से अपना ट्रेक शुरू करते है तो आप मात्र 02 किलोमीटर का ट्रैक करके देवरियाताल तक पहुँचते है, और आपको रात्रि विश्राम देवरियाताल झील के पास बने हुए टेंट में करना होता है।
अगली सुबह आप जल्दी उठकर आपको आपके अगले डेस्टिनेशन बनियाकुण्ड तक ट्रेक करना होता है। देवरियाताल से बनियाकुण्ड की पैदल दूरी लगभग 17 किलोमीटर है। यह दूरी पूरा करने में आपको लगभग 10 घंटे से ज्यादा का समय लग सकता है। बनियाकुण्ड कुंड से आप बस और टैक्सी के द्वारा भी आप चोपता तक पहुँच सकते है, और पैदल भी अब ये आप पर निर्भर करता है, कि आपको चोपता कैसे पहुँचना है। यह आपके देवरियाताल चंद्रशिला ट्रेक का तीसरा और आखरी दिन है।
चंद्रशिला शिखर बनियाकुण्ड से लगभग 08 किलोमीटर की पैदल दूरी पर स्थित है। बनियाकुण्ड से चंद्रशिला तक ट्रेक करना आपके पूरे ट्रेक का सबसे मुश्किल हिस्सा रहेगा। 08 किलोमीटर के पूरे ट्रेक के दौरान आपको कई जगह पर सीधी खड़ी चढ़ाई करनी होगी जो कि काफी थकावट भरी हो सकती है। चंद्रशिला पीक पर पहुंचने के बाद आपको एक अलग तरह की उपलब्धि प्राप्त करने का अनुभव होता है।
सर्दियों के मौसम के अलावा चंद्रशिला के शिखर से आप जब वापस नीचे आते है तो आप चोपता से बस और टैक्सी की सहायता से ऋषिकेश पहुँच सकते है। और अगर आप सर्दियों में चंद्रशिला ट्रेक कर रहे है तो आपको वापस बनियाकुण्ड या फिर सरी गांव तक ट्रेक करके नीचे आना होता है और फिर यहाँ से आप बस और टैक्सी की सहायता से ऋषिकेश पहुँच सकते है।
नोट:- अगर आप किसी ट्रेकिंग ऑर्गनाइजेशन की सहायता से चंद्रशिला ट्रेक कर रहे है तो आप उनके द्वारा दी जाने वाली सभी तरह की सुविधाओं के बारे में जानकारी जरूर ले। आपका पीक और ड्रॉप पॉइंट क्या होगा इसके बारे में भी आप पहले से पता कर ले। ट्रेक के दौरान आपके लिए मेडिकल की क्या सुविधा रहेगी इसके बारे में भी पता कर ले। सबसे जरूरी बात अगर आप अपना ट्रिप कैंसिल करें तो फिर रिफंड पॉलिसी क्या होगी आपको इसके बारे में भी पता कर लेना चाहिए।
देवरियाताल चंद्रशिला ट्रेक का मैप – Deoria Tal Chandrakala track map in Hindi
पहला दिन – सरी से देवरियाताल 02 किलोमीटर
दूसरा दिन – देवरियाताल से बनियाकुण्ड 17 किलोमीटर
तीसरा दिन – बनियाकुण्ड से चंद्रशिला 08 किलोमीटर
मार्ग :- सरी – देवरियाताल – रोहिणी बुग्याल – स्यालमी – बनियाकुण्ड – चोपता – तुंगनाथ – चंद्रशिला
चोपता – Chopta in Hindi
उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित चोपता एक छोटा मगर सुंदर हिल स्टेशन है। चोपता की समुद्रतल से ऊँचाई मात्र 2680 मीटर (8970 फ़ीट) है। यह छोटा सा हिल स्टेशन मुख्य रूप से तुंगनाथ मंदिर और चंद्रशिला पीक की वजह से बहुत ज्यादा प्रसिद्ध है। एक तरह से आप ये कह सकते है कि चोपता, तुंगनाथ और चंद्रशिला का बेस कैम्प है।
चोपता अल्पाइन घास का मैदानी इलाका है जो कि चारों तरफ से देवदार और रोडोडेंड्रन के जंगलों से घिरा हुआ है। यह मैदानी क्षेत्र केदारनाथ वन्यजीव अभ्यारण्य के अंतर्गत आता है। एक सरंक्षित वन क्षेत्र होने की वजह से चोपता के आसपास के जंगलों में दुर्लभ कस्तूरी मृग, मोनाल पक्षी, हिमालय में पाए जाने वाले दुर्लभ जीव और पिका माउस जैसे वन्यजीव पाए जाते है। चोपता के बारे में और अधिक जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें।
तुंगनाथ – Tungnath in Hindi
चोपता से 04 किलोमीटर की दूरी पर स्थित तुंगनाथ भगवान शिव का दुनिया में सबसे ज्यादा ऊँचाई पर स्थित मंदिर है। तुंगनाथ की समुद्रतल से ऊँचाई 3470 मीटर (11385 फ़ीट) है। तुंगनाथ चंद्रशिला ट्रेक करते समय आप सबसे पहले तुंगनाथ पहुँचते है, और उसके बाद 1.5 किलोमीटर का ट्रैक करने के बाद आप चंद्रशिला पीक तक पहुँचते है।
तुंगनाथ पंच केदार मंदिरों में तृतीय स्थान पर आता है अनुमानित तौर पर यह मंदिर 1000 साल से ज्यादा पुराना माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस प्राचीन मंदिर का निर्माण पांडवों ने करवाया था इस वजह से कुछ लोगो का यह भी मानना है कि तुंगनाथ मंदिर 5000 साल से भी ज्यादा पुराना है। तुंगनाथ के बारे में और अधिक जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें।
एक्यूट माउंटेन सिकनेस – Acute mountain sickness in Hindi
चंद्रशिला का ट्रैक करते समय आप लगभग 4000 मीटर की ऊँचाई तक पहुँच जाते है। इतनी अधिक ऊंचाई पर पहुंचने के बाद बहुत सारे लोगो को तेज बुखार आने लग सकती है। इसके अलावा आपको ज्यादा ऊँचाई पर जाने के बाद चक्कर भी आने लग सकते है, साँस लेने में कठिनाई हो हो सकती है, सिरदर्द हो सकता है या फिर आपके सीने में दर्द हो सकता है।
यदि आपको ऐसा कुछ भी महसूस हो रहा है तो आपको उसी समय अपनी चंद्रशिला शिखर की यात्रा या फिर आप किसी और ऊँचाई वाली जगह पर जा रहे है तो उसे तुरंत रोक देना चाहिए और धीरे-धीरे कम ऊँचाई वाली जगह की तरफ बढ़ना चाहिए। आप जब भी कहीं पर ट्रैकिंग करने जा रहे है तो आपको एक्यूट माउंटेन सिकनेस के बारे में पता होना चाहिए।
यह बीमारी तभी होती है जब आप किसी बहुत ज्यादा ऊँचाई वाली जगह ट्रैकिंग करने के लिए जा रहे है। ज्यादा ऊंचाई वाली जगह पर जाने से पहले आप अपने डॉक्टर से एक्यूट माउंटेन सिकनेस के बारे में जरूर पता करें और जरूरी दवाई भी साथ में ले लेवे। हो सके तो अपने साथ गर्म पानी वाली बोतल जरूर रखें।
गर्म पानी मे ऑक्सिजन की मात्रा ज्यादा होती है ऊंचाई वाली जगहों पर जहाँ ऑक्सिजन कम हो जाती है ऐसी जगहों पर आप थोड़ी-थोड़ी देर में गर्म पानी जरूर पीते रहे आपके के शरीर का ऑक्सिजन लेवल संतुलित रहेगा।
चंद्रशिला ट्रेक के लिए सबसे अच्छा समय – Best Time For Chandrashekhar Trek in Hindi
जनवरी और फरवरी के महीने को छोड़कर चंद्रशिला ट्रेक पूरे साल में कभी-भी पूरा किया जा सकता है। इन दो महीनों में चंद्रशिला पर 8-10 फ़ीट बर्फबारी होती है जिस वजह से यहाँ पर ट्रेक करना बहुत ज्यादा खतरनाक हो जाता है। अगर आप इस तरह की बर्फ में ट्रेक करने के लिए प्रशिक्षित नहीं है तो आपको भूल कर भी जनवरी और फरवरी में चंद्रशिला शिखर पर ट्रेक नहीं करना चाहिए।
चंद्रशिला ट्रेक करने के लिए सबसे अच्छा समय अप्रैल से जून महीने को माना जाता है और यदि आप इन महीनों में चंद्रशिला ट्रेक नहीं कर पाए है। तो आप सितंबर से लेकर अक्टूबर महीने में भी चंद्रशिला ट्रेक कर सकते है। नवंबर और दिसंबर महीने में चंद्रशिला ट्रेक करने से पहले आप यह जरूर पता कर ले कि यहाँ पर कितनी बर्फबारी हो चुकी है।
बर्फबारी का पता करने बाद ही आप चंद्रशिला ट्रेक करने जाएं तो आपके लिए ज्यादा अच्छा रहेगा। मानसून के मौसम में भी आप चंद्रशिला ट्रेक ना करें तो अच्छा है इस समय यहाँ पर बहुत ज्यादा फिसलन हो जाती है।
चंद्रशिला में कहाँ ठहरे – Stay in Chandrashila in Hindi
चंद्रशिला के शिखर पर किसी भी तरह के आवास की सुविधा उपलब्ध नहीं है। चंद्रशिला के नजदीक स्थित कुछ जगहों जैसे चोपता, दुग्गलबिट्टा, गोपेश्वर और बनियाकुण्ड में आपको रुकने के लिए कैम्पसाइट और छोटे होटल्स मिल जाएंगे।
आप गूगल से यहाँ के किसी भी होटल का या फिर कैम्पसाइट चलाने वाले का नंबर लेकर अपने लिए रूम बुक करवा सकते है या फिर यहाँ पहुँच कर भी अपने लिए रूम ले सकते है। तुंगनाथ में भी रुकने की व्यवस्था है जो कि बहुत सीमित है।
चंद्रशिला में स्थानीय भोजन – Chandrashila Local Food in Hindi
चंद्रशिला के शिखर पर किसी भी प्रकार के भोजन की व्यवस्था नहीं है। चंद्रशिला के सबसे नजदीकी तुंगनाथ और चोपता इन दोनों जगहों पर आपको खाने के लिए ढ़ाबे और छोटे रेस्टोरेंट मिल जाएंगे। इसके अलावा चोपता से तुंगनाथ के बीच मे कुछ चाय के स्टॉल भी बने हुए है।
आप चाहें तो आप चंद्रशिला के शिखर पर अपने साथ स्नैक्स, बिस्किट और चॉकलेट भी लेकर जा सकते है लेकिन आप इस बात का पूरा ध्यान रखें कि शिखर पर किसी भी प्रकार की गंदगी ना फैलाये। चोपता और तुंगनाथ में बने हुए ढ़ाबे और रेस्तरां वालों से आप जो भो खाने के लिए ले उससे पहले हर खाने की वस्तु की कीमत जरूर पता कर ले।
चंद्रशिला ट्रेक – चीजें जो आपको साथ में लेनी चाहिए – Chandrashila Trek – Things you should carry in Hindi
01 फुल स्लीव्स विंडप्रूफ जैकेट / डाउन जैकेट / ऊनी मफलर / गर्म टोपी / गर्म दस्ताने (वाटर प्रूफ दस्ताने)
02 आरामदायक ट्रेक पैंट (जींस या तंग पतलून न पहनें)
03 फुल स्लीव्स टी-शर्ट्स कॉलर वाली
04 अच्छे ट्रैकिंग जूते ( फिसलन से बचने के लिए) / स्पोर्ट्स सॉक्स
05 ट्रेक के दौरान हल्के कपड़े पहने
06 बारिश में मौसम में पोंचो या फिर रेनकोट जरूर साथ मे लेकर जाए
07 छोटा तौलिया / धूप का चश्मा / एलईडी टॉर्च
08 गर्म पानी की बोतल
09 सनस्क्रीन / मॉइस्चराइज़र / टॉयलेट पेपर / क्रेप बैंडेज / लिप बॉम / वैसलीन / कोल्ड क्रीम
10 दवाइयां – बैंड एड, सर्दी, बुखार, दस्त, फ्लू, सिरदर्द, शरीर में दर्द आदि की दवाई जरूर साथ मे ले।
चंद्रशिला ट्रेक के लिए टिप्स – Chandrashila Trek Tips in Hindi
चंद्रशिला ट्रेक को वैसे तो उत्तराखंड के सबसे आसान ट्रेक्स में से एक माना जाता है। लेकिन 4000 मीटर के ऊँचाई पर स्थित होने की वजह से आपका शारीरिक थोड़ा सा स्वस्थ होना तो जरूरी है। चंद्रशिला ट्रेक करते समय आपको पूरे 11 किलोमीटर की पैदल यात्रा करनी होगी और आपको यह पता होना चाहिए कि आप 11 किलोमीटर पैदल चल सकते है।
क्यूँ की चढ़ाई से ज्यादा थकान उतरते समय होती है, हालांकि किसी भी ऊँचाई से नीचे उतरते समय बहुत कम लगता है लेकिन उस समय आपके पैरों पर बहुत ज्यादा दबाव आता है खासकर के पंजो पर। इसलिए आपको इस बात का विशेष तौर पर ध्यान रखना है कि चंद्रशिला ट्रेक करते समय आपका शारीरिक रूप से थोड़ा मजबूत होना जरूरी है और आपअपने साथ सही उपकरण जरूर लेकर जाए ताकी चढ़ते और उतरते समय आपको किसी भी तरह की परेशानी ना हो।
सर्दियों के मौसम में चंद्रशिला कई फ़ीट बर्फ़ से ढक जाता है इस समय यहाँ पर ट्रेक करना बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं माना जाता है। जनवरी, फरवरी और मार्च महीने में अगर आप यह ट्रेक करने का कार्यक्रम बना रहे है तो किसी प्रशिक्षित गाइड को जरूर साथ मे ले जो कि यहाँ पर पहले भी कई बार आया हो। हालांकि एक गाइड करना आपके ट्रेक के खर्च को थोड़ा महँगा कर देगा लेकिन इस वजह से आप चंद्रशिला ट्रेक सुरक्षित तरीके से पूरा भी कर पायेंगे।
चंद्रशिला पहुँचने से पहले आप उखीमठ या फिर गोपेश्वर से अपनी गाड़ी में तैल जरूर भरवा लेवे और आप एटीएम से पैसे भी निकाल ले। क्योंकि इन दोनों शहरों के बाद ना तो आप को पेट्रोल पंप मिलेगा ना ही एटीएम मिलेगा। आप अगर अपनी गाड़ी से चोपता आ रहे है तो गाड़ी से संबंधित आपका कोई भी काम उखीमठ और गोपेश्वर में हो सकता है। ट्रेक शुरू करने से पहले आप अपने पास पर्याप्त मात्रा में गर्म पानी जरूर रख ले।
ट्रेक के दौरान थोड़ी-थोड़ी देर पानी पीते रहे ताकि आपकी बॉडी डी-हाइड्रेट ना हो और एक्यूट माउंटेन सिकनेस से बचे रहे। यात्रा के समय अपने साथ दो जोड़ी दस्ताने जरूर रखे एक गर्म और एक वॉटरप्रूफ दस्ताना। अपने साथ एक वॉटरप्रूफ बैग भी लेकर जाए ताकि आपके गैजेट्स और अतिरिक्त सामान बारिश के दौरान सुरक्षित रह सके।
चढ़ाई करते समय तेज गति से ना चढ़े बल्कि धीर-धीरे और आराम से चढ़ाई करें इससे थकान कम होगी और आप ट्रेक का आनंद ले पाएंगे। हो सके तो अपने साथ खाने के लिए कुछ स्नैक्स लेकर जाए या फिर आप तुंगनाथ के पास स्थित ढाबों पर भी भोजन कर सकते है।
चंद्रशिला कैसे पहुँचे – How To Reach Chandrashila in Hindi
हवाई मार्ग से चंद्रशिला कैसे पहुँचे – How To Reach Chandrashila By Flight in Hindi
चंद्रशिला के सबसे नजदीकी हवाई अड्डा देहरादून का जॉली ग्रांट हवाई अड्डा है। देहरादून हवाई अड्डा देश के प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। चंद्रशिला किसी भी प्रकार के सड़क मार्ग से नहीं जुड़ा हुआ है। चोपता चंद्रशिला के सबसे नजदीकी शहर है। देहरादून हवाई अड्डे से चोपता की दुरी मात्र 179 किलोमीटर है (Dehradun to Chopta Distance )।
देहरादून से आप रुदप्रयाग बस द्वारा आसानी से पहुँच सकते है। रुद्रप्रयाग पहुंचने के बाद आप उखीमठ या गोपेश्वर के रास्ते से चोपता पहुंच सकते है। आप चाहे तो टैक्सी के द्वारा भी देहरादून से चोपता बड़ी आसानी से पहुँच सकते है।
रेल मार्ग से चंद्रशिला कैसे पहुँचे – How To Reach Chandrashila By Train in Hindi
अगर आप रेल से चंद्रशिला आने का कार्यक्रम बना रहे है तो हरिद्वार, ऋषिकेश और देहरादून रेलवे स्टेशन चोपता के सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन है। इन तीनो से शहरों से रुदप्रयाग के लिए नियमित बस सेवा उपलब्ध है। रुद्रप्रयाग से आप उखीमठ और गोपेश्वर होते हुए चोपता पहुँच सकते है। आप चाहे तो टैक्सी के द्वारा भी चोपता पहुँच सकते है।
Haridwar Railway Station to Chopta Distance – 186 KM
Rishikesh Railway Station to Chopta Distance – 162 KM
Dehradun Railway Station to Chopta Distance – 203 KM
सड़क मार्ग से चंद्रशिला कैसे पहुँचे – How To Reach Chandrashila By Road in Hindi
चंद्रशिला के सबसे नजदीकी मोटरेबल रोड चोपता की है। चोपता वैसे तो सड़क मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है लेकिन इस शहर के लिए किसी भी तरह की सीधी बस सेवा या सार्वजानिक परिवहन सेवा उपलब्ध नहीं है। चोपता पहुँचने के लिए सबसे पहले आपको रुद्रप्रयाग पहुंचना होगा। रुद्रप्रयाग पहुंचने के बाद आप उखीमठ या गोपेश्वर होते हुए चोपता पहुँच सकते है। हरिद्वार, ऋषिकेश और देहरादून से रुद्रप्रयाग के लिए नियमित बस सेवा उपलब्ध है।
Rudraprayag to Chopta Distance – 70 KM
Ukhimath to Chopta Distance – 30 KM
Gopeshwar to Chopta Distance – 42 KM
ट्रेवल टिप्स – Travel Tips
01 चोपता उत्तराखंड राज्य के गढ़वाल क्षेत्र के लगभग सभी कस्बों से सड़क मार्ग द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।
02 ऋषिकेश, हरिद्वार और देहरादून से चोपता किसी भी प्रकार के परिवहन द्वारा सीधी तरह से नहीं जुड़ा हुआ है। आपको सबसे पहले रुद्रप्रयाग पहुंचना होगा उसके बाद आप रुद्रप्रयाग से उखीमठ या गोपेश्वर पहुँच कर टैक्सी से चोपता पहुँच सकते है।
03 आप अपने निजी वाहन के द्वारा भी चोपता पहुँच सकते है।
04 अगर आप गूगल मैप पर चोपता ढूंढते है तो गूगल आपको चोपता गाँव की लोकेशन शो करता है जो कि कोई हिल स्टेशन नहीं है। आप गूगल मैप पर चोपता हिल स्टेशन टाइप करेंगे तो गूगल आप को चोपता की मैप पर सही लोकेशन शो करेगा।
05 चोपता का रोड मैप – दिल्ली – रुड़की – हरिद्वार – ऋषिकेश – देवप्रयाग – श्रीनगर – रुद्रप्रयाग (केदारनाथ रोड ) – अगस्तमुनि – कुंड (पुल से पहले उखीमठ के लिए बाएं मुड़े ) – उखीमठ कट (चोपता के लिए सीधा चले) – मस्तूरा – मक्कू बेंड (चोपता की तरफ जाने वाली रोड पकड़े) – दुग्गलबिट्टा – बनियाकुण्ड – चोपता
चंद्रशिला के नजदीकी पर्यटक स्थल – Near by Places to Visit Tungnath in Hindi
चोपता, तुंगनाथ , रुद्रप्रयाग, केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री।
(अगर आप मेरे इस आर्टिकल में यहाँ तक पहुंच गए है तो आप से एक छोटा से निवदेन है की नीचे कमेंट बॉक्स में इस लेख से संबंधित आपके सुझाव जरूर साझा करें, और अगर आप को कोई कमी दिखे या कोई गलत जानकारी लगे तो भी जरूर बताए। में यात्रा से संबंधित जानकारी मेरी इस वेबसाइट पर पोस्ट करता रहता हूँ, अगर मेरे द्वारा दी गई जानकारी आप को पसंद आ रही है तो आप अपने ईमेल से मेरी वेबसाइट को सब्सक्राइब जरूर करे, धन्यवाद )